सावन के इस पवित्र महीने में सौंदर्य और प्रेम के उत्सव हरियाली तीज की आप सभी को हार्दिक बधाई 🎊 एवं शुभकामनाएं 🌷 । भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा सदैव हम सभी पर बनी रहे🙏🚩
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महादेव, महादेव महादेवेति यो वदेत्।
एकेन मुक्तिमाप्नोति द्वाभ्यां शंभु ऋणी भवेत।।''🙏
जो पुरुष तीन बार महादेव, महादेव, महादेव इस तरह भगवान का नाम उच्चारण करता है, भगवन एक नाम से मुक्ति देकर शेष दो नाम से सदा के लिए उसके ऋणी हो जाते हैं।🙏
महादेव महादेव महादेवेति वादिनः।
पश्चाद्यामि महांस्त्रस्तो नाम श्रवण लोभतः॥🙏 (-ब्रह्मवैवर्तपुराण)*
श्रीकृष्ण कहते है महादेव! महादेव!! महादेव!!! इस प्रकार बोलने वाले पुरुष के पीछे-पीछे मैं नाम श्रवण के लोभ से फिरता रहता हूँ।🙏 जय श्री कृष्ण 🙏ॐ नमः शिवाय 🔱 सुप्रभात वन्दन 🙏 जयहिंद 🇮🇳 वंदेमातरम 🚩
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ते सभाग्या मनुष्येषु कृतार्था नृप निश्चितम्। स्मरन्ति स्मारयन्ते ये हरेर्नामानि वै कलौ॥🙏 - ग०स०, अ०ख० ६१.३२ वे लोग निश्चय ही भाग्यवान व कृतार्थ हैं, जो कलियुग में हरि नाम का स्मरण करते और करवाते हैं।🙏 हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।🙏 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥ 🙏 🌷 सुप्रभातम् स्वस्ति सुमंगलम् सुदिनमस्तु भवेद् 🙏 🙏 जयहिंद 🇮🇳 वंदेमातरम 🚩 कामिका एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं 🌷 💐 🌺 🌼 🌸 🌻 https://www.instagram.com/p/CgYGeLNJX4w/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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ते सभाग्या मनुष्येषु कृतार्था नृप निश्चितम्।
स्मरन्ति स्मारयन्ते ये हरेर्नामानि वै कलौ॥🙏
- ग०स०, अ०ख० ६१.३२
वे लोग निश्चय ही भाग्यवान व कृतार्थ हैं, जो कलियुग में हरि नाम का स्मरण करते और करवाते हैं।🙏
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।🙏
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥ 🙏 🌷 सुप्रभातम् स्वस्ति सुमंगलम् सुदिनमस्तु भवेद् 🙏 🙏 जयहिंद 🇮🇳 वंदेमातरम 🚩
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ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टि वर्धनम्, उर्वारुक मिव बंधनान् मृत्योरमुक्षीय मामृतात् 🙏 कर्पूरगौरम् करुणावतारम् संसार सारम् भुजगेंद्र हारम्, सदा वसंतम् हृदयारविंदे भवं भवानीम् सहितं नमामि 🙏 श्रावण मास के प्रथम सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं 🌷 💐 हर हर महादेव 🙏 Listen to Hara Hara Shambhu(भोलेनाथ ).mp3 by Brijesh Mishra on #SoundCloud
https://soundcloud.app.goo.gl/LVaGV
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🌺।।धनुष पिनाक कथा।।🌺
जब श्रीराम ने धनुष उठा कर स्वयंवर की शर्त पूरी कर ही दी थी, फिर उस धनुष को भंग करने की क्या आवश्यकता थी?
अपना औचित्य (देवी सीता हेतु श्रीराम का चुनाव) पूर्ण करने के उपरांत उस धनुष का उद्देश्य समाप्त हो गया। 🙏 उसके उपरांत पिनाक का पृथ्वी पर कोई अन्य कार्य शेष नही था।कदाचित यही कारण था कि श्रीराम ने उस धनुष को भंग कर दिया।
यदि आप वाल्मीकि रामायण एवं रामचरितमानस का संदर्भ लें तो दोनों में एक ही चीज लिखी है - सीता स्वयंवर के समय श्रीराम द्वारा उस महान धनुष......पर प्रत्यंचा चढ़ाने के प्रयास में वो धनुष टूट गया। अर्थात मूल रामायण के अनुसार श्रीराम ने उस धनुष को जान-बूझ कर नही तोड़ा था अपितु प्रत्यंचा चढ़ाते समय वो अनायास ही टूट गया। अब आप इसे स्वयं महादेव की इच्छा भी समझ सकते हैं।🙏 हालांकि यदि आप पिनाक के इतिहास के बारे में पढ़े, जिसका वर्णन विष्णु पुराण और शिव पुराण दोनों में दिया गया है, तो इस धनुष के भंग होने का वास्तविक कारण आपके समझ मे आ जाएगा।🙏 इस कथा के अनुसार भगवान शंकर का धनुष पिनाक और भगवान नारायण का धनुष श्रांग दोनों का निर्माण स्वयं परमपिता ब्रह्मा ने किया था। एक बार इस बात पर चर्चा हुई कि दोनों धनुषों में से श्रेष्ठ कौन है। तब ब्रह्मदेव की मध्यस्थता में भोलेनाथ और श्रीहरि में अपने-अपने धनुष से युद्ध हुआ।🙏 उस युद्ध में श्रीहरि की अद्भुत धनुर्विद्या देखने के लिए महादेव एक क्षण के लिए रुक गए।
युद्ध के अंत में दोनों ने ब्रह्माजी से निर्णय देने को कहा। शिवजी और विष्णुजी की धनुर्विद्या में अंतर बता पाना असंभव था।🙏 किन्तु कोई निर्णय तो देना ही था इसी कारण ब्रह्माजी ने कहा कि चूंकि महादेव युद्ध मे रुक कर नारायण का कौशल देखने लगे थे इसी कारण श्रांग पिनाक से श्रेष्ठ है। ये सुनकर महादेव बड़े रुष्ट हुए और उन्होंने उसी समय पिनाक का त्याग कर दिया।🙏 उन्होंने भगवान विष्णु से कहा कि अब आप ही इस धनुष का नाश करें। महादेव की इच्छा का मान रखते हुए श्रीहरि ने कहा कि समय आने पर वे उस धनुष को भंग करेंगे।
पिनाक को ब्रह्माजी ने इंद्र को रखने को दिया। बाद में इंद्र ने उस धनुष का दायित्व मिथिला के तत्कालीन राजा देवरात को दिया।🙏 यही देवरात मिथिला नरेश जनक के पूर्वज थे। पीढ़ी दर पीढ़ी होता हुआ वो धनुष जनक को प्राप्त हुआ। कहते हैं कि एक बार माता सीता ने केवल 7 वर्ष की आयु में उस धनुष को उठा लिया था जिसे कोई हिला भी नही पाता था।🙏 तब राजा जनक ने ये प्रण किया कि वो उसी से सीता का विवाह करेंगे जो इस महान धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा।
उधर भगवान विष्णु श्रीराम के रूप में अवतरित हो चुके थे। सीता स्वयंवर में श्रीराम रूपी नारायण ने महादेव की इच्छा को फलीभूत करने के लिए ही अंततः उस धनुष को भंग कर दिया।🙏 अर्थात वो महान धनुष महादेव की इच्छा से ही भंग हुआ, सीता स्वयंवर तो केवल निमित्त मात्र था।🙏 वास्तव में ये घटना सृष्टि के उस नियम को भी प्रतिपादित करती है जिसके अनुसार सृष्टि में कुछ भी अनश्वर नही है, चाहे वो मनुष्य हो अथवा वस्तु। समय पूर्ण होने पर सबका नाश होना अवश्यम्भावी है, यही सृष्टि का अटल नियम है।
जय श्री राम 🌺🚩
हर हर ह��� महादेव 🙏🕉नमस्ते 🙏
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सप्त स्वराः सप्त रसातलानि,
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम।🙏
सप्तार्णवाः सप्त कुलाचलाश्च,
सप्तर्षयो द्वीपवनानि सप्त।🙏
भूरादिकृत्वा भुवनानि सप्त,
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥🙏 🌷 🔱
🙏वामनपुराण🙏
षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत तथा निषाद – ये सप्त स्वर, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल तथा पाताल, ये सात अधोलोक सभी मेरे प्रातःकाल को मंगलमय करें। सातों समुद्र, सातों कुलपर्वत, सप्तर्षिगण, सातों वन तथा सातों द्वीप, भूलोक, भुवर्लोक आदि सातों लोक, सभी मेरे प्रातः काल को मंगलमय करें।🙏 सुप्रभात वन्दन 🙏 जयहिंद 🇮🇳 वंदेमातरम 🚩 देवशयनी एकादशी की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌷 💐 🌺 🌼 ऊं केशवाय नमः 🙏 ॐ नमस्त्वनन्ताय सहस्त्रमूर्तये सहस्त्रपादाक्षिशिरोरुबाहवे सहत्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्रकोटी युगधारिणे नमः 🙏 🚩 🌺 🌷
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तुम्हहि छाड़ि गति दूसरि नाहीं। राम बसहु तिन्ह के मन माहीं॥🙏
जननी सम जानहिं परनारी। धनु पराव बिष तें बिष भारी॥🙏 🌷
और आपको छोड़कर जिनके दूसरे कोई गति नहीं है, हे राम!आप उनके मन में बसिए। जो पराई स्त्री को जन्म देनेवाली माता के समान जानते हैं और पराया धन जिन्हें विष से भी भारी विष है। 🙏 जय श्री राम 🙏 सुप्रभात वन्दन 🙏 जयहिंद 🇮🇳 वंदेमातरम 🚩
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प्रश्न = गीता का वो कौनसा महत्वपूर्ण श्लोक है जिसका अर्थ गलत समझा जाता रहा है ?
उत्तर =कुछ इस तरह है 😊
अपना कर्म करो, फल की चिंता मत करो!
यह बात अपने आसपास के लोगों से आपने बहुत बार सुनी होगी ?
उनसे यदि पूछें कि ऐसा किसने कहा है 🤔, तो उनका जवाब होगा, "अरे! गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है। अद्भुत बात यह है कि गीता पढ़े बिना हम सबको पता है कि गीता में श्रीकृष्ण ने क्या-क्या कहा है। अब देखते हैं कि यह बात कहाँ से आ रही है,
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।🙏
अर्थात = कर्म करने में ही तेरा अधिकार है, फलों में कभी नहीं। तो लोगों ने इस श्लोक का अर्थ लगाया कि फल की परवाह करे बिना बस कर्म करते चलो।🙏
पर कौन-सा कर्म करें? इस बात को हम बिल्कुल दबा गए जबकि श्रीकृष्ण के उपदेश में यही बात (सही कर्म का चयन) सर्वोपरि है।
नतीजन हम ज़्यादातर गलत काम चुनते हैं, और फिर कहते हैं, "बस अपना काम करे चलो डूबकर, और फल की चिंता मत करो"। ये बात गलत और नुकसानदेह है। सबसे पहले आता है सही कर्म का चयन। सही कर्म कौन सा है? सही कर्म वो है जो अपनी व्यक्तिगत कामना की पूर्ति के लिए न किया जाए, बल्कि कृष्ण (सत्य) के लिए किया जाए। यही निष्कामता है।🙏
पर अपनी कामना को पीछे छोड़ना हमें स्वीकार नहीं होता, तो काम तो हम करते हैं मगर कामनापूर्ति के लिए, और फिर ऐसे काम में जब तनाव और दुख मिलता है, तो खुद को बहलाने के लिए कह देते हैं कर्म करो, फल की चिंता छोड़ो"।
खेदजनक है कि गीता के सबसे मूलभूत सूत्र का ही सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया है आम जनता तो भ्रमित हो ही रही है और तथाकथित गुरुओं ने भी अक्सर सूत्रों की अनुचित विवेचना की है नतीजा ये है कि आज कुछ लोग गीता का असत अर्थ करते हैं और बाकी लोगों की गीता में रुचि नहीं गीता कोई सुनी-सुनाई कहावत नहीं है, गीता जीवन-विज्ञान है, गीता हमारी कल्पना से आगे की बात है।🙏 जय श्री कृष्ण 🙏🌷🍀🌻🌼🌺🌾💐
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ते पितु मातु धन्य जिन्ह जाए। धन्य सो नगरु जहाँ तें आए॥
धन्य सो देसु सैलु बन गाऊँ। जहँ-जहँ जाहिं धन्य सोइ ठाऊँ॥🙏 🌷
वे माता-पिता धन्य हैं जिन्होंने इन्हें जन्म दिया। वह नगर धन्य है जहाँ से ये आए हैं। वह देश, पर्वत, वन और गाँव धन्य है, और वही स्थान धन्य है जहाँ-जहाँ ये जाते हैं।🙏 नमस्कार 🙏 सुप्रभात वन्दन 🙏 जयहिंद 🇮🇳 वंदेमातरम 🚩
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नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।🙏 ।।सुप्रभात वन्दन 🙏 जयहिंद 🇮🇳 वंदेमातरम 🚩
Goddess Mahalaxmi
Antique Lithograph Print (via eBay: Ishr2013)
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Vishnu on Garuda with Super Blood Moon
Garuda Wisnu Kencana (GWK) Park, Ungasan, Jimbaran, Bali, Indonesia.
Daniel Kordan wrote :
Two days of driving and scouting in Bali with @odeodi for the best spot to photograph the blood moon rising behind the 122 m tall Garuda Wisnu Kencana statue. For me it’s like a symbol of Bali. The first photo was taken yesterday, when the moon just rose after sunset, and the second is today, one hour after sunset from a bit closer position. I’ve used a 600 mm focal length, thanks to @sriwijayacameradenpasar who brought me one 🔥
(via Instagram: Daniel Kordan)
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दशरथकृत शनि स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
ॐ शं शनैश्चराय नम:🚩🙏
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Rama holding ornaments of Sita
Painting depicts Shri Ramchandra holding ornaments of Sita. Lakshman is seated before him.
Artist: Ram Gopal Vijayvargiya (1905 – 2003) India
Bengal School of Art. Water Colour on Paper 25.5 x 17.3 cm
🏛️ Allahabad Museum, Allahabad
(via Museums Of India - National Portal And Digital Repository)
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Nepal’s tallest Shiva statue in Pokhara
Savad.monk wrote :
So glad I got to experience Nepal for a week last month.
So incredibly calm and peaceful! This magnificent view of Annapurna range from this temple blew my mind away.
(via Savad | Travel Photography @savad.monk)
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Fire - Shiva Parvati
Artist: Sanat Kumar Chatterjee (1935 - 2021) Water colour wash on Paper.
(via reem-speak.com)
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