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pradeepdasblog · 33 minutes
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##ये_है_गीता_का_ज्ञान
गीता अध्याय 18, श्लोक 62
“हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”।
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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pradeepdasblog · 3 hours
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#ये_है_गीता_का_ज्ञान
🏞️🏞️🏞️
वास्तव में शाश्वत तो पूर्ण परमात्मा है।🙏
अध्याय 15 श्लोक 17
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक हिंदू साहेबान नहीं समझे गीता, वेद, पुराण।👋🪴
Tattvadarshi Sant Rampal Ji Maharaj🙏🌹
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pradeepdasblog · 4 hours
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गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरित भक्ति करना व्यर्थ है।
#ये_है_गीता_का_ज्ञान
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pradeepdasblog · 4 hours
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( #Muktibodh_Part291 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part292
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 556-557
“पूज्य कबीर परमेश्वर (कविर् देव) जी की अमृतवाणी में सृष्टि रचना”
विशेष :- निम्न अमृतवाणी सन् 1403 से {जब पूज्य कविर्देव (कबीर परमेश्वर) लीलामय शरीर में पाँच वर्ष के हुए} सन् 1518 {जब कविर्देव (कबीर परमेश्वर) मगहर स्थान से सशरीर सतलोक गए} के बीच में लगभग 600 वर्ष पूर्व परम पूज्य कबीर परमेश्वर (कविर्देव) जी द्वारा अपने निजी सेवक (दास भक्त) आदरणीय धर्मदास साहेब जी को सुनाई थी तथा धनी धर्मदास साहेब जी ने लिपिबद्ध की थी। परन्तु उस समय के पवित्र हिन्दुओं तथा पवित्र मुसलमानों के नादान गुरुओं (नीम-हकीमों) ने कहा कि यह धाणक (जुलाहा) कबीर झूठा है। किसी भी सद् ग्रन्थ में श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी के माता-पिता का नाम नहीं है। ये तीनों प्रभु अविनाशी हैं इनका जन्म मृत्यु नहीं होता। न ही
पवित्र वेदों व पवित्र कुरान शरीफ आदि में कबीर परमेश्वर का प्रमाण है तथा परमात्मा को निराकार लिखा है। हम प्रतिदिन पढ़ते हैं। भोली आत्माओं ने उन विचक्षणों (चतुर गुरुओं) पर विश्वास कर लिया कि सचमुच यह कबीर धाणक तो अशिक्षित है तथा गुरु जी शिक्षित हैं, सत्य कह रहे होंगे। आज वही सच्चाई प्रकाश में आ रही है तथा अपने सर्व पवित्र धर्मों के पवित्र सद्ग्रन्थ साक्षी हैं। इससे सिद्ध है कि पूर्ण परमेश्वर, सर्व सृष्टि रचनहार, कुल
करतार तथा सर्वज्ञ कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ही है जो काशी (बनारस) में कमल के फूल पर प्रकट हुए तथा 120 वर्ष तक वास्तविक तेजोमय शरीर के ऊपर मानव सदृश शरीर हल्के तेज का बना कर रहे तथा अपने द्वारा रची सृष्टि का ठीक-ठीक (वास्तविक तत्त्व) ज्ञान देकर सशरीर सतलोक चले गए। कृपया प्रेमी पाठक पढ़े निम्न अमृतवाणी परमेश्वर कबीर साहेब
जी द्वारा उच्चारित :-
धर्मदास यह जग बौराना। कोइ न जाने पद निरवाना।।
यहि कारन मैं कथा पसारा। जगसे कहियो राम नियारा।।
यही ज्ञान जग जीव सुनाओ। सब जीवोंका भरम नशाओ।।
अब मैं तुमसे कहों चिताई। त्रीयदेवनकी उत्पत्ति भाई।।
कुछ संक्षेप कहों गुहराई। सब संशय तुम्हरे मिट जाई।।
भरम गये जग वेद पुराना। आदि रामका का भेद न जाना।।
राम राम सब जगत बखाने। आदि राम कोइ बिरला जाने।।
ज्ञानी सुने सो हिरदै लगाई। मूर्ख सुने सो गम्य ना पाई।।
माँ अष्टंगी पिता निरंजन। वे जम दारुण वंशन अंजन।।
पहिले कीन्ह निरंजन राई। पीछेसे माया उपजाई।।
माया रूप देख अति शोभा। देव निरंजन तन मन लोभा।।
कामदेव धर्मराय सत्ताये। देवी को तुरतही धर खाये।।
पेट से देवी करी पुकारा। साहब मेरा करो उबारा।।
टेर सुनी तब हम तहाँ आये। अष्टंगी को बंद छुड़ाये।।
सतलोक में कीन्हा दुराचारि, काल निरंजन दिन्हा निकारि।।
माया समेत दिया भगाई, सोलह शंख कोस दूरी पर आई।।
अष्टंगी और काल अब दोई, मंद कर्म से गए बिगोई।।
धर्मराय को हिकमत कीन्हा। नख रेखा से भगकर लीन्हा।।
धर्मराय किन्हाँ भोग विलासा। मायाको रही तब आसा।।
तीन पुत्र अष्टंगी जाये। ब्रह्मा विष्णु शिव नाम धराये।।
तीन देव विस्त्तार चलाये। इनमें यह जग धोखा खाये।।
पुरुष गम्य कैसे को पावै। काल निरंजन जग भरमावै।।
तीन लोक अपने सुत दीन्हा। सुन्न निरंजन बासा लीन्हा।।
अलख निरंजन सुन्न ठिकाना। ब्रह्मा विष्णु शिव भेद न जाना।।
तीन देव सो उनको धावें। निरंजन का वे पार ना पावें।।
अलख निरंजन बड़ा बटपारा। तीन लोक जिव कीन्ह अहारा।।
ब्रह्मा विष्णु शिव नहीं बचाये। सकल खाय पुन धूर उड़ाये।।
तिनके सुत हैं तीनों देवा। आंधर जीव करत हैं सेवा।।
अकाल पुरुष काहू नहिं चीन्हां। काल पाय सबही गह लीन्हां।।
ब्रह्म काल सकल जग जाने। आदि ब्रह्मको ना पहिचाने।।
तीनों देव और औतारा। ताको भजे सकल संसारा।।
तीनों गुणका यह विस्त्तारा। धर्मदास मैं कहों पुकारा।।
गुण तीनों की भक्ति में, भूल परो संसार।
कहै कबीर निज नाम बिन, कैसे उतरैं पार।।
उपरोक्त अमृतवाणी में परमेश्वर कबीर साहेब जी अपने निजी सेवक श्री धर्मदास साहेब जी को कह रहे हैं कि धर्मदास यह सर्व संसार तत्त्वज्ञान के अभाव से विचलित है।
किसी को पूर्ण मोक्ष मार्ग तथा पूर्ण सृष्टि रचना का ज्ञान नहीं है। इसलिए मैं आपको मेरे द्वारा रची सृष्टि की कथा सुनाता हूँ। बुद्धिमान व्यक्ति तो तुरंत समझ जायेंगे। परन्तु जो सर्व प्रमाणों को देखकर भी नहीं मानेंगे तो वे नादान प्राणी काल प्रभाव से प्रभावित हैं, वे
भक्ति योग्य नहीं। अब मैं बताता हूँ तीनों भगवानों (ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी) की उत्पत्ति कैसे हुई? इनकी माता जी तो अष्टंगी (दुर्गा) है तथा पिता ज्योति निरंजन (ब्रह्म,
काल) है। पहले ब्रह्म की उत्पत्ति अण्डे से हुई। फिर दुर्गा की उत्पत्ति हुई। दुर्गा के रूप पर आसक्त होकर काल (ब्रह्म) ने गलती (छेड़-छाड़) की, तब दुर्गा (प्रकृति) ने इसके पेट में शरण ली। मैं वहाँ गया जहाँ ज्योति निरंजन काल था। तब भवानी को ब्रह्म के उदर से
निकाल कर इक्कीस ब्रह्माण्ड समेत 16 शंख कोस की दूरी पर भेज दिया। ज्योति निरंजन (धर्मराय) ने प्रकृति देवी (दुर्गा) के साथ भोग-विलास किया। इन दोनों के संयोग से तीनों
गुणों (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी) की उत्पत्ति हुई। इन्हीं तीनों गुणो (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी) की ही साधना करके सर्व प्राणी काल जाल में फंसे हैं। जब तक वास्तविक मंत्र नहीं मिलेगा, पूर्ण मोक्ष कैसे होगा?
क्रमशः_____
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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pradeepdasblog · 14 hours
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#ये_है_गीता_का_ज्ञान
गीता ज्ञान दाता गीता अध्याय 18 के श्लोक नंबर 66 में अपने से अलग किसकी शरण में जाने को कह रहा है ??
👉जानने के लिए सुनिए संत रामपाल जी महाराज के प्रवचन साधना टीवी चैनल पर शाम 7:30 बजे से
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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pradeepdasblog · 14 hours
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#ये_है_गीता_का_ज्ञान
📚गीता सार तत्त्वदर्शी संत पूर्ण मोक्ष प्राप्ति की साधना / पूजा बताता है। पूर्ण मोक्ष के लिए इन तीनों देवताओं की शास्त्रोक्त साधना करनी होती है, परंतु पूजा गीता अध्याय 8 श्लोक 3, 8, 9, 10, अध्याय 15 श्लोक 17, अध्याय 18 श्लोक 62
Tattvadarshi Sant Rampal Ji
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pradeepdasblog · 22 hours
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Way of Living Audiobook by Sant Rampal Ji Maharaj | Episode- 16 | जीने क...
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pradeepdasblog · 22 hours
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Way of Living Audiobook by Sant Rampal Ji Maharaj | Episode- 15 | जीने क...
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pradeepdasblog · 1 day
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#ईसाई_नहीं_समझे_HolyBible
पवित्र बाईबल में लिखा है कि जीसस के शरीर छोड़ने के बाद कोई अन्य मसीहा विश्व में आएगा जो विश्व में शांति स्थापित करेगा।
वह कोई और नहीं जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
Almighty God Kabir
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pradeepdasblog · 2 days
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#ईसाई_नहीं_समझे_HolyBible
हजरत ईसा जी में देव तथा पित्तर प्रवेश होकर बोलते थे
प्रमाण : बाईबल अध्याय 2 कुरिन्थियों 2ः12-17 पृष्ठ 259-260 में स्पष्ट लिखा है कि एक आत्मा नबी में प्रवेश करके बोल रही है।
Almighty God Kabir
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pradeepdasblog · 2 days
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Way of Living Audiobook by Sant Rampal Ji Maharaj | Episode- 15 | जीने क...
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pradeepdasblog · 2 days
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Way of Living Audiobook by Sant Rampal Ji Maharaj | Episode- 15 | जीने क...
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pradeepdasblog · 2 days
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Way of Living Audiobook by Sant Rampal Ji Maharaj | Episode- 14 | जीने क...
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pradeepdasblog · 2 days
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#GodMorningTuesday
A DEVOTEE
🌠🌠🌠
should speak lovingly to everyone and
utter sweet words.
This gives oneself the experience of happiness and joy, and others also remain happy.
👉Download Karen Sant Rampal Ji Maharaj official app🙏🪴
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pradeepdasblog · 2 days
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#परमात्माकबीरकी_वाणी_ए
#Godmorning Tuesday
कमंत्र के समान है।
कबीर-हिन्दू के दया नहीं, मिहर तुरकके नाहिं।
कहै कबीर दोनूं गया, लख चौरासी माहिं।।
दोनों ही धर्मों के मार्ग दर्शक निर्दयी हो चुके हैं।
🌹अधिक जानकारी के लिए Satlok Aashram Youtube Channel पर Visit करें।
Kabir is God
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pradeepdasblog · 2 days
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#परमात्माकबीरकी_वाणी_ए
#Godmorning Tuesday
कमंत्र के समान है
जो जो वस्तु दृष्टि में आई, सोई सबहि काल धर खाई।। मूरति पूजें मुक्त न होई, नाहक जन्म अकारथ खोई।।
Kabir is God
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pradeepdasblog · 2 days
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#GodMorningTuesday
Kabir ji has said that:-
Kabir, Guru bin mala ferte Guru bin dete dan!
Guru bin dono nisfal hai chahe pucho ved puran!!
Kabir is God
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