Don't wanna be here? Send us removal request.
Text
प्रार्थना...
इतनी तालीम नवाज़िश हो, के जज़्बात पढ़ सके,
किसी को आंकने से पहले, उसके हालात समझ सके...
निगाह मिले कुछ ऐसी, जो दिलों की मालुमात रख सके,
तोहमत लगाने से पहले, ख़ुद का किरदार परख सके...
राह मिले भी तो ऐसी, किसी का साथ बन सके,
मंजिलों को ढूंढने से पहले, किसी की तलाश बन सके...
#आशीष..
0 notes
Text
Introspection...
ज़माने के गुनाहों को देखो जब भी,
आईने से रूबरू हो जाना तुम भी...!
लगने लगे अगर कुछ किसी में कमी,
ये समझना अभी ख़ुद से तुम मिले ही नहीं...!
यूँ तोहमत लगा कर किसी पर भी,
क्या गर्द अपनी सीरत की हटेगी कभी...!
#आशीष...
0 notes
Text
अंदाज़े-बयां...
कितने नामों से रहा है अब तलक, तार्रुफ़ अपना,
मगर जो जुबां को लज़्ज़त दें, वो सिर्फ तेरा नाम है...
#आशीष...
0 notes
Text
यूँ उदासी दिल की, न लफ़्ज़ों में बयां कर,
दौरे-ज़िन्दगी का बदल जाना लाज़मी है,
निकले थे साथ जिनके, मंजिल की तल���श में,
उनका राह भटक जाना नया तो नहीं...
#आशीष...
0 notes
Text
नज़र...
लगा के गले उसे अपनी नज़रों से,
ज़माने की रवायतों को महफूज़ रखा है,
फ़ासला दरमियाँ बेशक़ है लेकिन,
हमनें अब तक उसे दिल के करीब रखा है..
#आशीष
0 notes
Text
अलविदा पंकज उधास साहेब...
हर दौर सुनाएगा दास्ताँ तुम्हारी,
हर मयकश को याद ज़ुबानी रहोगे,
मोहब्बत तेरे नगमों से बयां होगी,
महफिलों की तुम कहानी रहोगे...
#आशीष
0 notes
Text
Friends...
अपनी ज़िन्दगी का बस इतना सा फलसफा है,
तस्सली, दिलासा, दुआ, सब तुम से ही मिला है...
कहने को ये ज़हां, हज़ारों नेमतों से भरा है,
लुत्फ़ इनमें मग़र यारों, सिर्फ तुमसे ही घुला है...
तवल्लुद के साथ ख़ुदा ने, कई रिश्तों को बक्शा है,
महज़ दोस्तों को सबने, अपनी मर्ज़ी से ख़ुद चुना है...
#आशीष...
तवल्लुद : उत्पत्ति
0 notes
Text
वास्तविकता...
समझदारी आजकल समझौते में झलकती है,
क़ाबिलियत सब से बना के चलती है,
चलो सही गलत का मसला तो सुलझ गया,
शय कोई हो किसी न किसी मोल बिकती है...
#आशीष...
0 notes
Text
Irony...
फुर्सत के मोहताज है रिश्ते, आखिर दम तोड़ते है,
खाली हाथ जाने के लिये हम, कितना कुछ जोड़ते है...
#आशीष
0 notes
Text
अलविदा मुनव्वर राणा...
किस्सा अधूरा छोड़ दो, रूह को आज़ाद रहने दो,
मचलता है वो माँ के लिये, उसे माँ के पास जाने दो...
#आशीष
0 notes
Text
क्यों...
करीब दिल के जो, जितना रहता है,
फासला क्यों उनसे, वक्त देता है...
चाँद भी जिस आसमां में, चमकता है,
अंधेरा वहाँ क्यों, फिर पसरा रहता है...
कहते है रब तो, सब का होता है,
फिर नसीब सब का क्यों, जुदा होता है...
#आशीष...
0 notes
Text
संवाद...
ख़ुदी में सिमट जाना भी गज़ब सुकूं देता है,
आखिर ख़ुद से मिलना भी कब-कब होता है...
ख़ुद-कलामी पर क्यों कोई तअज्जुब करता है,
ज़रा पूछो उन से, क्या कभी हमारी सुनता है...
सर्द कोहरे में जो नज़र से, ओस बन छलकता है,
अश्क़ का कतरा-कतरा, सच्चा हमदर्द होता है...
#आशीष
ख़ुद-कलामी= ख़ुद से बातें करना
0 notes
Text
दिल से...
दिल से करोगे बात, तो ज़बा में असर आएगा,
चेहरे पे वो नूर होगा, जो लोगो के दिलों में उतर जायेगा...
#आशीष...
0 notes
Text
अंदाज़े बयां...
गीत,ग़ज़ल,नज़्म या शायरी से बयां की,
बात जो भी दिल में थी तुमको सुना दी...
हमनें तो सिर्फ अपने दर्दे दिल को जुबां दी,
न जाने क्यूँ तुमने अपनी पलकें भीगा ली...
अब तो आस की भी हर ज्योत बुझा दी,
क्यूँ आकर के फिर से तुमने शमा जला दी...
#आशीष...
0 notes
Text
हाले-दिल...
दामन झटक के रात ये भी गुज़र गई,
नींद न जाने कैसे हमसे बिछड़ गई...
बेख्याली में ज़िन्दगी हमारी बिखर गई,
सुध आई तब तलक हाथ से ही निकल गई...
दर्द, सुनापन,उदासी, यूँ तो नया नहीं,
मुस्कुराहट लबों की न जाने किधर गई...
#आशीष...
0 notes
Text
ख्वाहिश...
चाँद शबाब पर तो है मगर, अंधेरा अब भी दो दिलों में हैं,
तर्जुमाँ मोहब्बत का करें कैसे, अब तलक बड़ी उलझन में हैं...
आसमां रोशन हैं लेकिन, कैद हम-तुम अंधेरों में हैं,
दास्ताँ अपनी भी हसीं थी लेकिन, क्या करें मिटने को हैं...
वो लफ्ज़-लफ्ज़ याद मुझको, लज़्ज़ते-इश्क़ ज़ेहन में हैं,
फिर से वो गुज़रे पल दें दो,हम अब तक जिनकी गिरफ्त में हैं!
#आशीष...
0 notes
Text
हुनर...
यक़ींअच्छा दिलाते हैं, फरेबी सीरत वाले,
हुनर उनका सराहते हैं, हम एतबार के मारे..
#आशीष
0 notes