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#मेरे_अज़ीज़_हिंदुओं_स्वयं_पढ़ो_अपने_ग्रंथ
#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं #हिन्दू_भाई_संभलो
#SantRampalJiMaharaj #Hindu #Hinduism #trendingreels #virals @followers
वर्तमान के सभी धर्म गुरु पितृ पूजा, भूत पूजा, श्राद्ध करवाते हैं !
गीता जी कहती है कि ये नहीं करना है फिर हम क्यों करते हैं?
मेरे अजीज हिंदुओं स्वयं पढ़ो अपने ग्रंथ
गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में प्रमाण है जिससे सिद्ध होता है जो पितृ पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं, वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते, वे यमलोक में पितरों को प्राप्त होते हैं।

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#मेरे_अज़ीज़_हिंदुओं_स्वयं_पढ़ो अपने ग्रंथ
वेदों में परमेश्वर का नाम कविर्देव यानी कबीर बताया है। जबकि ये धर्मगुरु वेदों का क ख भी नहीं जानते हैं।
Sant Rampal Ji Maharaj

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हमारीभीसुनो_बुद्धिमानहिंदुओं ओशो जी के विचार हैं कि मन को रोकने की कोशिश मत करो उसे खुला छोड़ दो। संतुष्टि होने के बाद वह अपने आप ही भक्ति में लग जाएगा।
ओशो जी के विचारों से प्रभावित श्रद्धालुओं से हम पूछना चाहेंगे क्या मन की इच्छाओं को कभी पूरा किया जा सकता है ?

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#मेरे_अज़ीज़_हिंदुओं_स्वयं_पढ़ो अपने ग्रंथ
गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत, उपवास, जागरण वर्जित है। किन्तु सभी धार्मिक गुरु व्रत करने पर बल देते हैं। वे बताते हैं व्रत कैसे, किस विधि से, किस मुहूर्त में करें।

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मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
श्री देवकीनंदन जी, श्रीहित प्रेमानन्द जी व अन्य कथावाचक कहते हैं ‛राधे राधे’ बोलने से बड़े आध्यात्मिक लाभ होते हैं।

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हिंदू भइयों संभल जाओ
हिन्दू धर्म गुरूजन मूर्ति पूजा करने की राय देते हैं। यह काल ब्रह्म द्वारा दिया गलत ज्ञान है जो वेदों व गीता के विरूद्ध साधना होने से व्यर्थ है।
सूक्ष्मवेद में कबीर परमेश्वर जी ने आन-उपासना निषेध बताया है। उपासना का अर्थ है अपने ईष्ट देव के निकट जाना यानि ईष्ट की पूजा करना।
आन-उपासना वह पूजा है जो शास्त्रों में वर्णित नहीं है। मूर्ति-पूजा आन-उपासना है ।
इस विषय पर सूक्ष्मवेद में कबीर साहेब ने इस प्रकार स्पष्ट किया है
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हिंदू भइयों संभल जाओ
हिन्दू धर्म गुरूजन मूर्ति पूजा करने की राय देते हैं। यह काल ब्रह्म द्वारा दिया गलत ज्ञान है जो वेदों व गीता के विरूद्ध साधना होने से व्यर्थ है।
सूक्ष्मवेद में कबीर परमेश्वर जी ने आन-उपासना निषेध बताया है। उपासना का अर्थ है अपने ईष्ट देव के निकट जाना यानि ईष्ट की पूजा करना।
आन-उपासना वह पूजा है जो शास्त्रों में वर्णित नहीं है। मूर्ति-पूजा आन-उपासना है ।
इस विषय पर सूक्ष्मवेद में कबीर साहेब ने इस प्रकार स्पष्ट किया है:-
कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहार।

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#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
Sant Rampal Ji Maharaj
हिंदू भाई धोखे में अब न रहो !
श्रीमदभगवद्गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण तक ही सीमित नहीं है। इस��ा गूढ़ रहस्य समझो।
गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने प्रश्न किया कि {आपने गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में जो तत् ब्रह्म कहा है} वह तत् ब्रह्म क्या है? जिसका उत्तर देते हुए गीता अध्याय 8 श्लोक 3, 8, 9, 10, गीता अध्याय 15 श्लोक 4 तथा 17 आदि में कहा है। जिस लोक में वह तत् ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म (सत्यपुरूष) रहता है, उसमें परमशांति है यानि महासुख है। "।

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मनुष्य जीवन बार-बार नहीं मिलता इसलिए एक सच्चे संत से नाम लेकर सतभक्ति रूपी लड्डू (अर्थात राम नाम की कमाई ) खा लो, ताकि इस जीवन की पतंग की डोर जब टूटे तो नर्क में नहीं, सीधे सतलोक में ले जाए।
सत_भक्ति_संदेश

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#हमारीभीसुनो_बुद्धिमानहिंदुओं
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 एवं 16, 17 में कहा गया है जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी विभाग को सही-सही बता देगा वह पूर्ण संत होगा और कहा गया है कि जो पूर्ण संत होगा वह भक्त समाज को शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि साधना बताएगा।
Sant Rampal Ji Maharaj

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#हमारीभीसुनो_बुद्धिमानहिंदुओं
आज तक के इतिहास में कभी किसी भागवत कथावाचक द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता खोलकर नहीं दिखाई गई और न ही उसमें वर्णित श्लोकों का अर्थ बताया गया। सभी धर्मगुरु केवल उपवास और राशियों, ग्रह एवं नक्षत्रों के ऊपर बल देते हैं। मोक्ष के विषय में न उनके पास स्वयं कोई ज्ञान है और न ही वे इसके विषय में कुछ भी बोल पाते हैं।
Sant Rampal Ji Maharaj
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हमआपके_दोस्तहैं_दुश्मन_नहीं
हमारी भी तो सुना, है बुद्धिमान हिंदुओं !
हमारे संत महंतों का मानना है की पाप कर्म तो भोगना ही पड़ेगा।
संत रामपाल जी महाराज न्यू प्रमाण दिखाया है :-
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है,
Sant Rampal Ji Maharaj

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#हमारीभीसुनो_बुद्धिमानहिंदुओं
ब्रह्मा विष्णु शिव जी की उपासना श्रीमद्भगवद्गीता में वर्जित है। फिर ये धर्मगुरु रात और दिन किसके गुणगान करते हैं? श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15, 20 से 23 तथा अध्याय 9 श्लोक 20 से 23 में प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया गया है कि तीनों गुणों ( रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तथा तमगुण शिव) अर्थात तीनों भगवानों की भक्ति करने वालों को असुर स्वभाव को धारण किये हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले, मूढ़ लोग बताया है।
Sant Rampal Ji Maharaj

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#GodMorningFriday
#thoughtoftheday
#SatlokAshramBhiwani
#SantRampajiQuotes
#derasachasauda
कबीर परमात्मा जी कहते हैं
कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।
तातें तो चक्की भली, पीस खाये संसार।।
भावार्थ: कबीर साहेब जी ने हिंदुओं को समझाते हुए कहते हैं कि किसी भी देवी-देवता की आप पत्थर की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करते हैं जो कि हमें कुछ नही दे सकती। इनकी पूजा से अच्छा चक्की की पूजा करना है जिससे हमें खाने के लिए आटा मिलता है।

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