Shiv Ram Gupta Civil Engineer Delhi Akhand Bharat turned 10 today!
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Again after 5 year
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दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर मॉं दुर्गा के चरणों में वो भी बंगाल के एक शहर में। (at Asansol " City of Brotherhood ")
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Maa Durga Puja on Ist day of the festival in Bengal
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Shiv Ram Gupta Civil Engineer Delhi Akhand Bharat turned 3 today!
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ये हमारे एक अंकल जी। क्यों है ना दूसरे मोदी साहब? (at Asansol Astha It Projects Pvt. Ltd.)
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अखिल भारत हिन्दुमहासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री स्वातन्त्र्य वीरसावरकर जी की पुण्यतिथि पर उन्हें अश्रुपूर्ण श्रधान्जली। सभी सावरकरवादियों को उनके अखण्ड़ भारत और हिन्दुराष्ट्र के अधुरे सपने को पूरा करना हैं।
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कितनी प्यारी बच्ची हैं। काश मेरी भी ऐसी ही एक बेटी होती!
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Happy Father's Day to all Angrejs n their Aulaad.
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हिन्दुत्व शब्द के जनक एवं एक अति महान क्रान्तिकारी वीर विनायक दामोदर सावरकर जी की जयन्ती पर उन्हें नमन्। आप अमर रहे। #VeerSavarkar savarkar
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Life- To serve self, needy, nation n religen, but without any return demand.
Myself
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स्वर्गिय श्री लाल बहादुर शाश्त्री जी को उनके जन्म दिवस पर याद करते हुए उनके श्री चरणो मे नमन्। माटी का ये लाल अमर रहे। जय जवान जय किसान्।वन्दे-मातरम्। जन्म-दिवस की हार्दिक सुभकामनाये।
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अभी कुछ क्षण पहले भगवान श्री विश्वकर्मा जी के जन्म-दिवस पर पुजा के बाद मै उनकी चरण वन्द्ना करते हुए.
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एक बनी थी झंडा समिति 1946 में जिसको दायित्व सौंपा गया था कि स्वतंत्र भारत के राष्ट्रिय ध्वज की रूपरेखा क्या हो यह तय करे । झंडा समिति के सदस्यों की कई महीनों तक चली बैठकों और सहमतियों के बाद भगवा ध्वज को भारत के राष्ट्रिय ध्वज के रूप में सर्वसम्मति से चुन कर प्रस्ताव पारित होने हेतु 1946 की सर्वदलीय संसद में भेजा गया । अंतिम स्तर पर जाकर पाकपिता गंधासुर गाँधी ने झंडा समिति के सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से चुने गये भगवा ध्वज के प्रस्ताव को खारिज कर दिया । यहाँ यह उल्लेखनीय है कि पाकपिता गंधासुर गाँधी कांग्रेस के किसी पद पर न होते हुए भी भारत की 1946 की सर्वदलीय संसद से झंडा समिति द्वारा पारित वह फ़ाइल मंगवा कर पढ़ते हैं और उसे पूर्णतया बदल कर तत्काल प्रभाव से नया राष्ट्रिय ध्वज पारित भी कर देते हैं । जो कि अतीत में कांग्रेस पार्टी के ध्वज जैसा ही था । जिसमे राष्ट्रिय ध्वज को समानरूप से क्रमश: केसरिया, सफेद तथा हरे रंग में तीन पट्टी वाला ध्वज का प्रारूप पास कर दिया गया । पूर्व में उस ध्वज में रखे गये चरखे के स्थान पर चक्र को स्थान दिया गया जो कि संभवत: अंबेडकर और उनके अनुयायियों को प्रसन्न करने हेतु किया गया होगा । आज जो लोग बात करते हैं मनमोहन सिंह के दफ्तर की महत्वपूर्ण files सोनिया गांधी 10 जनपथ पर पढती हैं तो उन्हें यह समझना चाहिए कि यह आश्चर्य की बात नही अपितु परम्परा की बात है । परन्तु यह सब शर्मनाक है । आज हमारा राष्ट्रीय ध्वज किसी संवेधानिक समिति के सदस्यों द्वारा पारित नही अपितु पाकपिता गंधासुर गाँधी द्वारा जबरन थोपा गया एक ध्वज है । क्यों यह भारत भूमि षड्यंत्रों की भूमि बन गई ? हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा नही अपितु भगवा ही होना चाहिए । अब हो सकता है कि कोई व्यक्ति कुतर्क करे और कहे कि यह संविधान के विरुद्ध है ... तो उन बुद्धिजीवियों से मेरा प्रश्न है : "कौन सा संविधान" ????? 1. वो जो ब्रिटेन की अधीनता के अंतर्गत बनाया गया ? 2. वो जो भारत की संसद में कभी पारित ही नही किया गया । 3. पारित भी कैसे होगा क्यूंकि यह संविधान तो भारत की संसद में कभी पेश ही नही किया गया । 4. संविधान लागू होता है 26 जनवरी 1950 को तथा भारत की पहली संसद का निर्माण होता है 1952 में । 5. बंगलादेश जैसे देश की संविधान समीक्षा समिति 3 बार अपने देश के संविधान को ख़ारिज करती है अंत में जब वह पूर्णतया शरीयत के अनुरूप बन कर आता है तब वह पास किया जाता है । 6. श्री लंका जैसे देश की संविधान समीक्षा समिति दो बार अपने देश के संविधान को खारिज करती है और जब वह बोद्ध एवं सिंहली मान्यताओं के अनुरूप बन कर आता है तब वह पारित होता है । 7. भारत में तीन बार संविधान समीक्षा समिति बनती है... और... तीनो बार संविधान समीक्षा समिति ही भंग हो जाती है । 8. इस संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए स्वयं अम्बेडकर ने संसद में खड़े होकर कहा था ... " My friends tell me that I have made the Constitution. But I am quite prepared to say that I shall be the first person to burn it out. I do not want it. It does not suit anybody...." Read full story here... http://arunshourie.voiceofdharma.com/articles/ambedkar.htm जो संविधान भारत की बहुसंख्यक जनता की आध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय आस्थाओं तथा परम्पराओं एवं मान्यताओं के अनुरूप नही हो सकता वह संविधान भारत के संविधान के रूप में कदापि मान्य नही हो सकता । किसी भी रूप में वह मेरा संविधान तो कदापि नही हो सकता । मेरा राष्ट्रीय ध्वज भी भगवा ही होगा। और वो भगवा जो चक्रवर्ती सम्राट महाराजा विक्रमादित्य का ध्वज होता था और जिसे भारत की प्रथम राजनैतिक पार्टी अखिल भारत हिन्दू महासभा ने स्वीकार किया । जिस भगवा पर स्वास्तिक, कुंडलिनी तथा तलवार अंकित है । इस भगवा ध्वज की महत्ता 1928 में स्वयं वीर सावरकर बताते हैं:- "योगसाधना का विचार पूर्णतः विज्ञान-निष्ठ है और भारतवर्ष ने ही विश्व को प्रदान किया यह दान है। कुंडलिनी का यह संकेत चिन्ह हिन्दू धर्म एवं हिन्दुराष्ट्र के वैदिक कालखंड से लेकर आज तक के और आज से लेकर युगांत तक के महत्तम ध्येय को सुस्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करेगा ; सवास्तिक प्राचीन है, किन्तु मनुष्य निर्मित है। कुंडलिनी प्रकृति की देन है और वह शास्त्रीय तथा शास्त्रोक्त संकेत है। इस हेतु तलवार, कुण्डलिनी तथा स्वास्तिक अंकित ध्वज को ही हिन्दुध्वज माना जाए। तलवार और कुंडलिनी से दो चिन्ह क्रमशः भुक्ति और मुक्ति; शक्ति और शांति; भोग तथा योग; आचार-विचार, कर्म और ज्ञान, सत और चित, प्रवृत्ति और निवृत्ति इनके ही प्रतीक रूप है और उनमे सुचारू रूप से समन्वय बनाये रखनेवाले प्रतिक है।" ( सन्दर्भ :- मासिक जनज्ञान फरवरी १९९७ पृष्ठ २७ ले.स्व.बालाराव सावरकर )" जय श्री राम कृष्ण प��शुराम ॐ Courstey Lovy Bhai
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Veer Savarkar Ji
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