कुर्सी त्याग देश के लिए लड़े, लोकतंत्र का मान बढ़ाया पोखरण में कर परमाणु परीक्षण, विश्व में भारत का परचम लहटाया। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को जन्मदिन पर कोटि-कोटि नमन । May the country progress, may everyone get employment, may good governance spread everywhere, may India's welfare be done. best wishes to good governance day. Gave up the chair, fought for the country, raised the prestige of democracy, conducted nuclear tests in Pokhran, hoisted the flag of India in the world. Bharat Ratna Mr. Atal Bihari Vajpayee Millions of salutations on his birthday. #AtalBihariVajpayee #अटलबिहारीवाजपेयी (at Gotan, Rajasthan, India) https://www.instagram.com/p/CmlGrlRrWBW/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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अटल बिहारी वाजपेयी की बायोपिक में Pankaj Tripathi मुंबई : -अनिल बेदाग- अपने राजनैतिक करिय...
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Remembering the legacy of Shri Atal Bihari Vajpayee on his death anniversary. His vision, leadership, and unwavering dedication to the nation continue to inspire us. At Mewar University, we are committed to upholding the values he stood for and fostering a spirit of service, integrity, and excellence in our students. 🙏
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अटल थे जिनके इरादे, नमन उनको कर बाँधे... #अटलबिहारीवाजपेयी (25 दिसम्बर 1924 - 16 अगस्त 2018) #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Www.instagram.com/Theworldforwrite #india #atalbiharivajpeyee #poemtime #quote #quoteoftheday #quotestagram Read my thoughts on @YourQuoteApp #yourquote #quote #stories #qotd #quoteoftheday #wordporn #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #inspirationalquotes #writeaway #thoughts #poetry #instawriters #writersofinstagram #writersofig #writersofindia #igwriters #igwritersclub https://www.instagram.com/p/CSpCvURpPoQ/?utm_medium=tumblr
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पुण्यतिथि विशेष : वो राजनेता जिनका विरोध उनके विरोधी भी नहीं कर पाते थे, साधारण और सौम्य स्वभाव वाले अटल जी
चैतन्य भारत न्यूज
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी क��� आज तृतीया पुण्यतिथि है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई बड़े नेता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत काफी लंबी समय से खराब थी, लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त, 2018 को उनका निधन हो गया था।
अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था और इस दिन को भारत में बड़ा दिन कहा जाता है। वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक ऐसे राजनेता हैं, जिनका विरोध उनके विरोधी भी नहीं कर पाते थे। अटल जी के पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। उन्होंने बी.ए. की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज के नाम से जाने वाले विक्टोरिया कॉलेज से पूरी की।
स्नातक के बाद अटल जी ने कानपुर के डी.ए.वी. महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की।
उन्हें स्कूल के समय से ही भाषण देने का बड़ा शौक था। वह हमेशा स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्य पाठ और भाषण जैसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे।
छात्र जीवन से ही अटल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे।
उन्हें लंबे समय तक बतौर पत्रकार राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं में भी काम किया है।
वह भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया।
1957 के लोकसभा चुनावों में अटल जी पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे थे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया।
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार है। उनके विपक्ष के साथ भी हमेशा संबंध मधुर रहे।
इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था।
आपातकाल के कारण इंदिरा गांधी को साल 1977 के लोकसभा चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी। इसके बाद देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी जिसके मुखिया स्वर्गीय मोरारजी देसाई थे।
मोरारजी की सरकार में अटल जी को विदेश मंत्री का विभाग दिया गया।
बतौर विदेश मंत्री अटल जी संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने। वह 1977 से 1979 तक देश के विदेश मंत्री रहे।
साल 1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल जी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी बनाई। वह भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
साल 1996 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। भाजपा द्वारा सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि, उस समय अटल जी 13 दिन तक ही देश के प्रधानमंत्री रहे। उस दौरान उन्होंने अपनी अल्पमत सरकार का त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया।
फिर साल 1998 में भाजपा दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन उस समय भी 13 महीने बाद तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गयी।
अटल जी ने बतौर प्रधानमंत्री दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पोखरण में 5 भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया।
दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल की और पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई।
कारगिल युद्ध की जीत का पूरा श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया।
कारगिल युद्ध में विजयश्री के बाद हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी।
साल 2004 में भारत में लोकसभा चुनाव हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शाइनिंग इंडिया का नारा देकर चुनाव लड़ा। उस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। फिर वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र की सरकार बनाई।
इसके बाद से ही अटल जी लगातार अस्वस्थ रहने लगे, जिसके कारण उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। 16 अगस्त 2018 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
अटल जी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। साल 2015 में अटल जी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से उनके घर जाकर सम्मानित किया गया था।
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#नाम_जिनका_अटल_है #भूत_पूर्व #प्रधानमंत्री #भारतरत्न #अटलबिहारीवाजपेयी #पुण्यतिथि #सादर_श्रद्धांजलि . . . #followmypage👉👉 #sach_honge_sare_sapne (at Munger) https://www.instagram.com/p/CD9JW9tDGhu/?igshid=1n1opvj5o5idz
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🙏🚩श्रदेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को सादर श्रदाँजलि🌷🙏 💐 शत शत नमन 🙏 🙏💐जय भारत माता 💐🙏 🙏🚩🇮🇳🌷विनय बृज लाल कोहली https://sanskritiandsanskaar.org #vinaykohli20 #sanskritiandsanskaar #naman #kakori #india🇮🇳 #1857 #indiasfreedom #indiasfreedomfighter #pmo #अटलबिहारीवाजपेयी #atalbiharivajpayee (at Sanskriti and Sanskaar Enduring Tomorrow TRUST) https://www.instagram.com/p/CD8LU3jhmR9/?igshid=1woy1d7e1mp33
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Humble tributes to the eminent leader, poet, journalist, former Prime Minister Bharat Ratna, Shri Atal Bihari Vajpayee ji on his second death anniversary. #AtalBihariVajpayee BJP4India@BJP4Gujarat Bjp4up@BJP4Delhi BJP4UP #AtalBihariVajpayeeJi #अटल_बिहारी_वाजपेयी #अटलबिहारीवाजपेयी (at उत्तर प्रदेश) https://www.instagram.com/p/CD726tyAbwC/?igshid=1obwpl7rx9ox4
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छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता,
टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता ।
#अटलबिहारीवाजपेयी
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भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी को भावपूर्ण श्रद्धांजलिhttps://t.co/7qkb59RwWO#अटलबिहारीवाजपेयी #atalbiharivajpayee #biography #hindi https://t.co/7qkb59RwWO pic.twitter.com/13psU7Zr1f
— Life Style Hindi (@lifestylehindi) August 16, 2018
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पुण्यतिथि विशेष : वो राजनेता जिनका विरोध उनके विरोधी भी नहीं कर पाते थे, साधारण और सौम्य स्वभाव वाले अटल जी
चैतन्य भारत न्यूज
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी की आज तृतीया पुण्यतिथि है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई बड़े नेता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत काफी लंबी समय से खराब थी, लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त, 2018 को उनका निधन हो गया था।
अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था और इस दिन को भारत में बड़ा दिन कहा जाता है। वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक ऐसे राजनेता हैं, जिनका विरोध उनके विरोधी भी नहीं कर पाते थे। अटल जी के पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। उन्होंने बी.ए. की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज के नाम से जाने वाले विक्टोरिया कॉलेज से पूरी की।
स्नातक के बाद अटल जी ने कानपुर के डी.ए.वी. महा���िद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की।
उन्हें स्कूल के समय से ही भाषण देने का बड़ा शौक था। वह हमेशा स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्य पाठ और भाषण जैसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे।
छात्र जीवन से ही अटल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे।
उन्हें लंबे समय तक बतौर पत्रकार राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं में भी काम किया है।
वह भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया।
1957 के लोकसभा चुनावों में अटल जी पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे थे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया।
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार है। उनके विपक्ष के साथ भी हमेशा संबंध मधुर रहे।
इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था।
आपातकाल के कारण इंदिरा गांधी को साल 1977 के लोकसभा चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी। इसके बाद देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी जिसके मुखिया स्वर्गीय मोरारजी देसाई थे।
मोरारजी की सरकार में अटल जी को विदेश मंत्री का विभाग दिया गया।
बतौर विदेश मंत्री अटल जी संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने। वह 1977 से 1979 तक देश के विदेश मंत्री रहे।
साल 1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल जी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी बनाई। वह भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
साल 1996 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। भाजपा द्वारा सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि, उस समय अटल जी 13 दिन तक ही देश के प्रधानमंत्री रहे। उस दौरान उन्होंने अपनी अल्पमत सरकार का त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया।
फिर साल 1998 में भाजपा दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन उस समय भी 13 महीने बाद तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गयी।
अटल जी ने बतौर प्रधानमंत्री दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पोखरण में 5 भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया।
दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल की और पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई।
कारगिल युद्ध की जीत का पूरा श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया।
कारगिल युद्ध में विजयश्री के बाद हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी।
साल 2004 में भारत में लोकसभा चुनाव हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शाइनिंग इंडिया का नारा देकर चुनाव लड़ा। उस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। फिर वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र की सरकार बनाई।
इसके बाद से ही अटल जी लगातार अस्वस्थ रहने लगे, जिसके कारण उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। 16 अगस्त 2018 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
अटल जी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। साल 2015 में अटल जी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से उनके घर जाकर सम्मानित किया गया था।
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