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#कृष्ण कौल
loksutra · 2 years
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झलक दिखला जा 10 साठी हिना खान या शोचा एक भाग असू शकते
झलक दिखला जा 10 साठी हिना खान या शोचा एक भाग असू शकते
झलक दिखला जा 10: स्टार प्लसचा प्रसिद्ध डान्स रिअॅलिटी शो ‘झलक दिखला जा 10’ त्याच्या 10व्या सीझनसह टीव्हीवर पुनरागमन करण्यासाठी सज्ज झाला आहे. या शोच्या निर्मात्यांनी अभिनेत्री माधुरी दीक्षित, नोरा फतेही आणि करण जोहर यांची जज म्हणून निवड केली आहे. तुम्हाला सांगतो की ‘झलक दिखला जा’ सहा वर्षांनंतर टीव्हीवर कमबॅक करत आहे, अशा परिस्थितीत हा शो सुपरहिट व्हावा यासाठी निर्माते सर्वतोपरी प्रयत्न करत…
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himachalnewsdaily · 3 years
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बैंक के कार्यकारी निदेशक विजय दुबे ने सोलन के मॉल रोड में बैंक के ड्रीम प्रोजेक्ट “ईज आउटलेट" का किया उद्घाटन
बैंक के कार्यकारी निदेशक विजय दुबे ने सोलन के मॉल रोड में बैंक के ड्रीम प्रोजेक्ट “ईज आउटलेट” का किया उद्घाटन
सोलन, 14 जुलाई, 2021। पंजाब नैशनल बैंक के कार्यकारी निदेशक विजय दुबे जी ने सोलन के मॉल रोड में बैंक के ड्रीम प्रोजेक्ट “ईज आउटलेट” का उद्घाटन किया। यह परियोजना ईज़ी आउटलेट (पीएनबी बैंक की अवधारणा “बैंकिंग ऑन द गो” और “डू इट योर यू @ पीएनबी”) प्रमोद कुमार दुबे, अंचल प्रबन्धक शिमला के कुशल मार्गदर्शन में और संजीव कुमार, मण्डल प्रमुख सोलन की देखरेख में पूरी हुई। इस अवसर पर अंचल कार्यालय शिमला, मण्डल…
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azad4sk · 3 years
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'द कश्मीर फाइल्स' के बहाने: कश्मीर के हिन्दू नरसंहार की कुछ ऐसी नृशंस घटनाएं जिन पर आज चर्चा आवश्यक है।
25 जून 1990 गिरिजा टिकू नाम की कश्मीरी पंडित की हत्या के बारे में आप जानेंगे तो सिहर जाएँगे। सरकारी स्कूल में लैब असिस्टेंट का काम करती थी। मुसलमान आतंकियों के डर से वो कश्मीर छोड़ कर जम्मू में रहने लगी। एक दिन किसी ने उसे बताया कि स्थिति शांत हो गई है, वो बांदीपुरा आ कर अपनी तनख्वाह ले जाए। वो अपने किसी मुस्लिम सहकर्मी के घर रुकी थी। मुसलमान आतंकी आए, उसे घसीट कर ले गए। वहाँ के स्थानीय मुसलमान चुप रहे क्योंकि किसी काफ़िर की परिस्थितियों से उन्हें क्या लेना-देना। गिरिजा का सामूहिक बलात्कार किया गया, बढ़ई की आरी से उसे दो भागों में चीर दिया गया, वो भी तब जब वो जिंदा थी। ये खबर कभी अखबारों में नहीं दिखी।
4 नवंबर 1989 को जस्टिस नीलकंठ गंजू को दिनदहाड़े हायकोर्ट के सामने मार दिया गया। उन्होंने मुसलमान आतंकी मकबूल भट्ट को इंस्पेक्टर अमरचंद की हत्या के मामले में फाँसी की सजा सुनाई थी। 1984 में जस्टिज नीलकंठ के घर पर बम से भी हमला किया गया था। उनकी हत्या कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या की शुरुआत थी।
7 मई 1990 को प्रोफेसर के एल गंजू और उनकी पत्नी को मुसलमान आंतंकियों ने मार डाला। पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया। 22 मार्च 1990 को अनंतनाग जिले के दुकानदार पी एन कौल की चमड़ी जीवित अवस्था में शरीर से उतार दी गई और मरने को छोड़ दिया गया। तीन दिन बाद उनकी लाश मिली।
उसी दिन श्रीनगर के छोटा बाजार इलाके में बी के गंजू के साथ जो हुआ वो बताता है कि सिर्फ मुसलमान आतंकी ही इस लम्बे चले धार्मिक नरसंहार की चाहत नहीं रखते थे, बल्कि स्थानीय मुसलमानों का पूरा सहयोग उन्हें मिलता रहा। कर्फ्यू हटा था तो बी के गंजू, टेलिकॉम इंजीनियर, अपने घर लौट रहे थे। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका पीछा किया जा रहा है, हालाँकि घर के पास आने पर उनकी पत्नी ने यह देख लिया। उनके घर में घुसते ही पत्नी ने दरवाजा बंद कर दिया। दोनों ही घर के तीसरे फ्लोर पर चावल के बड़े डब्बों में छुप गए।
आतंकियों ने छान मारा, वो नहीं मिले, जब वो लौटने लगे तो मुसलमान पड़ोसियों ने उन मुसलमान आतंकियों को वापस बुलाया और बताया कि वो कहाँ छुपे थे। आतंकियों ने उन्हें बाहर निकाला, गोलियाँ मारी, और जब खून चावल में बह कर मिलने लगा, तो जाते हुए मुसलमान आतंकियों ने कहा, "इस चावल में खून को मिल जाने दो, और अपने बच्चों को खाने देना। कितना स्वादिष्ट भोजन होगा वो उनके लिए।"
12 फरवरी 1990 को तेज कृष्ण राजदान को उनके एक पुराने सहकर्मी ने पंजाब से छुट्टियों में उनके श्रीनगर आने पर भेंट की इच्छा जताई। दोनों लाल चौक की एक मिनि बस पर बैठे। रास्ते में मुसलमान मित्र ने जेब से पिस्तौल निकाली और छाती में गोली मारी। इतने पर भी वो नहीं रुका, उसने राजदान जी को घसीट कर बाहर किया और लोगों से बोला कि उन्हें लातों से मारें। फिर उनके पार्थिव शरीर को पूरी गली में घसीटा गया और नजदीकी मस्जिद के सामने रख दिया गया ताकि लोग देखें कि हिन्दुओं का क्या हश्र होगा।
24 फरवरी 1990 को अशोक कुमार काज़ी के घुटनों में गोली मारी गई, बाल उखाड़े गए, थूका गया और फिर पेशाब किया गया उनके ऊपर। किसी भी मुसलमान दुकानदार ने, जो उन्हें अच्छे से जानते थे, उनके लिए एक शब्द तक नहीं कहा। जब पुलिस का सायरन गूंजा तो भागते हुए उन्होंने बर्फीली सड़क पर उनकी पीड़ा का अंत कर दिया। पाँच दिन बाद नवीन सप्रू को भी इसी तरह बिना किसी मुख्य अंग में गोली मारे, तड़पते हुए छोड़ा गया, मुसलमानों ने उनके शरीर के जलने तक जश्न मनाया, नाचते और गाते रहे।
30 अप्रैल 1990 को कश्मीरी कवि और स्कॉलर सर्वानंद कौल प्रेमी और उनके पुत्र वीरेंदर कौल की हत्या बहुत भयावह तरीके से की गई। उन्होंने सोचा था कि 'सेकुलर' कश्मीरी उन्हें नहीं भगाएँगे, इसलिए परिवार वालों को लाख समझाने पर भी वो 'कश्मीरी सेकुलर भाइयों' के नाम पर रुके रहे। एक दिन तीन 'सेकुलर' आतंकी आए, परिवार को एक जगह बिठाया, और कहा कि सारे गहने-जेवर एक खाली सूटकेस में रख दें।
उन्होंने प्रेमी जी को कहा कि वो सूटकेस ले लें, और उनके साथ आएँ। घरवाले जब रोने लगे तो उन्होंने कहा, "अरे! हम प्रेमी जी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। हम उन्हें वापस भेज देंगे।" 27 साल के बेटे वीरेन्द्र ने कहा कि पिता को अँधेरे में वापसी में समस्या होगी, तो वो साथ जाना चाहता है। "आ जाओ, अगर तुम्हारी भी यही इच्छा है तो!" दो दिन बाद दोनों की लाशें मिलीं। तिलक करने की जगह को छील कर चमड़ी हटा दी गई थी। पूरे शरीर पर सिगरेट से जलाने के निशान थे, हड्डियाँ तोड़ दी गईं थीं। पिता-पुत्र की आँखें निकाल ली गईं थीं। फिर दोनों को रस्सी से लटकाया गया था, और उनकी मृत्यु सुनिश्चित हो, इसके लिए गोली भी मारी गई थी।
मुजू और दो अन्य लोगों को मुसलमान आतंकियों ने किडनैप किया और कहा कि कुछ लोगों को खून की जरूरत है, तो उन्हें चलना होगा। आतंकियों ने उनके शरीर का सारा खून बहा दिया और उनकी मृत्यु हो गई। 9 जुलाई 1990 को हृदय नाथ और राधा कृष्ण के सर कटे हुए मिले। 26 जून 1990 को बी एल रैना जब अपने परिवार को जम्मू लाने के लिए कश्मीर जा रहे थे, तो मुसलमान आतंकियों ने घेर कर मार दिया। 3 जून को, आतंकियों ने उनके पिता दामोदर सरूप रैना की हत्या घर में घुस कर की थी। उन्होंने पड़ोसियों से मदद माँगी, मुसलमान ही थे, नहीं आए।
अशोक सूरी के भाई को गलती से मुसलमान आतंकियों ने उठा लिया। उसे खूब पीटा, टॉर्चर किया और पूरे शरीर को सिगरेट से जलाने के बाद, अधमरे हो जाने पर, बताया कि वो तो उसके भाई को मारना चाहते थे। उसे छोड़ दिया गया। वो किसी तरह घर पहुँच कर भाई को भाग जाने की सलाह देने लगे। भाई ने सलाह नहीं मानी। आधी रात को वो आतंकी घर में आए, लम्बे चाकू से गर्दन काटी और मरने के लिये छोड़ कर चले गए।
सोपोर के चुन्नी लाल शल्ला इंस्पेक्टर थे। कुपवाड़ा में पोस्टिंग होने पर उन्होंने दाढ़ी बढ़ा रखी थी कि उन्हें आतंकी पहचान न सकें। एक दिन आतंकी खोजते हुए आए और उन्हें पहचान नहीं पाए, और वापस जाने लगे। उनके साथ ही एक मुसलमान सिपाही भी काम करता था। उसने आतंकियों को वापस बुलाया और बताया कि दाढ़ी वाला ही शल्ला हैं। आतंकी कुछ करते उस से पहले उनके मुसलमान सहकर्मी ने छुरा निकाला और पूरा दाहिना गाल चमड़ी सहित छील दिया। चुन्नी लाल अवाक् रह गए। तब मुसलमान सिपाही ने कहा, "अबे सूअर! तेरे दूसरे गाल पर भी जमात-ए-इस्लामी वाली दाढ़ी नहीं रखने दूँगा।" फिर छुरे से दूसरी तरफ भी काट दिया गया। उसके बाद आतंकियों के साथ मिल कर चुन्नी लाल के चेहरे पर हॉकी स्टिक से ताबड़तोड़ प्रहार किया गया और फिर आतंकियों ने कहा, "दोगले, तेरे ऊपर गोली बर्बाद नहीं करेंगे हम।" रक्त बहते रहने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
28 अप्रैल 1990 को भूषण लाल रैना के साथ जो हुआ वो मुसलमान आतंकियों की क्रूरता सटीक तरीके से बयान करता है। अगले द��न अपनी माँ के साथ घाटी छोड़ने की योजना थी, सामान बाँध रहे थे। मुसलमान आतंकियों की एक टोली आई और रैना के सर में नुकीला छड़ घोंप कर हमला किया। उसके बाद उन्हें खींच कर बाहर निकाला गया, कपड़े उतार कर एक पेड़ पर कीलें ठोंक कर लटकाने के बाद वो उन्हें तड़पाते रहे। भूषण बार-बार कहते रहे कि वो उन्हें गोली मार दें, आतंकियों ने इंतजार किया, गोली नहीं मारी।
25 जनवरी 1998 की रात को वन्धामा गाँव के 23 कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या पूर्वनिर्धारित तरीके से की गई। एक बच्चा जो बच गया, उसने बताया कि मुसलमान आतंकी आर्मी की वर्दी में आए, चाय पिया, और अपने वायरलेस सेट पर संदेश का इंतजार करने लगे। जब खबर आ गई कि सारे कश्मीरी पंडितों के परिवार को एक साथ फँसा लिया गया है, तब एक साथ क्लासनिकोव रायफलों से उनकी नृशंस हत्या कर दी गई। उसके बाद हिन्दुओं के मंदिर तोड़ दिए गए और घरों में आग लगा दी गई।
अगर सिक्खों की बात करें तो कई सिक्खों को उनके परिवार के साथ 1990 से 1992 के बीच इसी क्रूरता से मारा गया। इनमें कई जम्मू कश्मीर पुलिस के सिपाही या अफसर भी शामिल थे। ऐसे ही 1989 से 1992 के बीच छः बार ईसाई मिशनरी स्कूलों पर मुसलमान आतंकियों ने बम धमाके किए।
ये कहानियाँ आज क्यों!
इन कहानियों को अभी कहने का मतलब क्या है? इन कहानियों को अभी कहने का मतलब मात्र यह है कि इसमें से 99% कहानियों के पात्रों का नाम आपको याद भी नहीं होगा। इसलिए, इन्हें इनके शीशे की तरह साफ दृष्टिकोण में मैं आपको बताना चाहता हूँ कि शाब्दिक भयावहता जब इतनी क्रूर है तो उनकी सोचिए जिनके साथ ऐसा हुआ होगा। ये किसी फिल्म के दृश्य नहीं हैं जहाँ नाटकीयता के लिए आरी से किसी को काटा जाता है, किसी की खोपड़ी में लोहे का रॉड ठोक दिया जाता है, किसी की आँखें निकाल ली जाती हैं, किसी के दोनों गाल चाकू से चमड़ी सहित छील दिए जाते हैं, किसी के तिलक लगाने वाले ललाट को चाकू से उखाड़ दिया जाता है...
ये सब हुआ है, और लम्बे समय तक हुआ है। इसमें वहाँ के वो मुसलमान भी शामिल थे, जो आतंकी नहीं थे, बल्कि किसी के सहकर्मी थे, किसी के पड़ोसी थे, किसी के जानकार थे। सर्वानंद कौल सोचते रहे कि उन्होंने तो हमेशा उदारवादी विचार रखे हैं, उन्हें कैसे कोई हानि पहुँचाएगा, लेकिन पुत्र समेत ऐसी हालत में मरे जिसे सोच कर रीढ़ की हड्डियों में सिहरन दौड़ जाती है।
ये आतंकी बनाम हिन्दू नहीं था, बल्कि ये मुसलमान बनाम गैर-मुसलमान था। आतंकी ही होते तो बाजार में घसीटे जा रहे लाश पर कोई मुसलमान कुछ बोलता, आतंकियों को घेरता, पत्थर ही फेंक देता। ऐसा नहीं हुआ। चार सौ सालों के इस्लामी शासन के बाद कश्मीर के गैर-मुसलमान सिमट कर 6% रह गए थे। 1990 की जनवरी से जो धार्मिक नरसंहारों का दौर चला और विभिन्न स्रोतों के मुताबिक तीन से आठ लाख कश्मीरी हिन्दू पलायन को मजबूर हुए।
पहचानिये सच्चाई .....
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teznews · 4 years
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शाहीन बाग प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार
शाहीन बाग प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार
नागरिक संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया। शनिवार को याचिका खारिज करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी ने कहा कि विरोध का अधिकार, कभी भी और कहीं भी नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि राइट टू प्रोटेस्ट का यह मतलब यह नहीं कि जब और जहां मन हुआ, प्रदर्शन करने…
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loksutra · 2 years
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टीव्ही न्यूज ऑफ द डे जस्मिन भसीन वधूचे फोटो व्हायरल दिव्या अग्रवाल लॉक यूपीपीमध्ये दिसणार
टीव्ही न्यूज ऑफ द डे जस्मिन भसीन वधूचे फोटो व्हायरल दिव्या अग्रवाल लॉक यूपीपीमध्ये दिसणार
टीव्हीवरील दिवसातील प्रमुख पाच बातम्या: टीव्हीच्या दुनियेत प्रत्येक वेळेप्रमाणे आजही हा गोंधळ सुरूच होता. छवी मित्तलने इंस्टाग्रामवर सांगितले की तिला स्तनाच्या कर्करोगासारख्या गंभीर आजाराने ग्रासले आहे, तर उर्फी जावेद पुन्हा एकदा तिच्या पोशाखामुळे ट्रोल झाली. दुसरीकडे दिव्या अग्रवाल आणि कृष्णा कौल ‘लॉकअप’च्या सेटजवळ दिसल्या. आज आम्ही तुमच्यासाठी अशाच काही चटपटीत आणि चटपटीत बातम्या घेऊन आलो आहोत,…
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everynewsnow · 4 years
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कुमकुम भाग्य: सेट्स से कृष्णा का व्लॉग | एसबीएस मूल
कुमकुम भाग्य: सेट्स से कृष्णा का व्लॉग | एसबीएस मूल
सास बहू और साज़िश की रिपोर्ट देखें कि कैसे कृष्ण कौल ने धारावाहिक कुमकुम भाग्य के सेट से एक व्लॉग बनाया। उन्होंने एसबीएस मूल में पहली बार ऐसा किया है। शीर्ष मनोरंजन कहानियों पर नियमित अपडेट के लिए जुड़े रहें। & nbsp; Source link
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onlinekhabarapp · 5 years
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महान्यायाधिवक्ता खरेल दिल्लीमा भेटघाटमा व्यस्त
११ भदौ ,काठमाडौं । भारत तथा नेपालका अधिकारीहरूबीच साइबर अपराधको विषयमा सरकारी वकिलहरुलाई तालिम ���िनेबारे छलफल भएको छ । भारत भ्रमणमा रहेका महान्यायाधिवक्ता अग्नि खरेलको त्यहाँका सर्वोच्च अदालतका प्रधान न्यायाधीश, न्यायाधीश, महान्यायाधिवक्ता र कानुनमन्त्रीहरुसँग यस विषयमा छलफल गरेका हुन् ।
महान्यायाधिवक्ता खरेलले दिल्लीस्थित सर्वोच्च अदालतमा प्रधानन्यायाधीश रञ्जु गोगोइसँग भेटवार्ता गरेका छन् ।
त्यस्तै, खरेलले सर्वोच्च अदालतका न्यायाधीश सन्जय कृष्ण कौल, कानुनमन्त्री रविशंकर प्रसाद तथा भारतका महान्यायाधिवक्ता केके बेनुगोपालसँग छलफल गरेका महान्यायाधिवक्ताको कार्यालयले जनाएको छ । भेटमा कानुनको क्षेत्रमा आपसी सहयोग तथा नेपालका सरकारी वकिलका लागि साइबर अपराधको विषयमा तालिम र उच्च शिक्षाको अध्ययनका लागि सहयोग गर्नेबारे छलफल भएको बताइएको छ ।
भारत सरकारद्वारा सञ्चालित संस्था आईएलआईको सहयोगमा नेपालका ११ जना सरकारी वकिल, दुईजना मुख्य न्यायाधिवक्ताहरूसहित १४ सदस्यीय टोली हाल भारतको कानुन क्षेत्रको अध्ययन भ्रमणमा छ ।
टोलीको नेतृत्व गर्दै दिल्ली पुगेका महान्यायाधिवक्ता खरेलले भारतको कानुनी र न्यायिक क्षेत्रका उच्च नेतृत्वसँग छलफल गरेका हुन् । टोलीमा प्रदेश २ का मुख्य न्यायाधिवक्ता दीपेन्द्र झा र गण्डकी प्रदेशका मुख्य न्यायाधिवक्ता राजेन्द्र घिमिरे पनि सामेल छन् ।
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abhay121996-blog · 4 years
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जब जहां मर्जी हो प्रदर्शन करने का अधिकार किसी को नहीं : सुप्रीम कोर्ट Divya Sandesh
#Divyasandesh
जब जहां मर्जी हो प्रदर्शन करने का अधिकार किसी को नहीं : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन करने के अधिकार पर गंभीर टिप्पणी की है और साफ कहा है कि कोई जब चाहे तब और जहां चाहे वहां, प्रदर्शन नहीं कर सकता है। देश की शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कहा कि ‘प्रदर्शन करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी’ नहीं हो सकता। उच्चतम न्यायायल ने इसके साथ ही, पिछले साल पारित अपने आदेश की समीक्षा की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी।
पब्लिक प्लेस पर लगातार कब्जे की अनुमति नहीं सर्वोच्च अदालत ने पिछले वर्ष अपने फैसले में कहा था कि शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों (Anti-CAA protest in Shaheen Bagh) के दौरान सार्वजनिक रास्ते पर कब्जा जमाना ‘स्वीकार्य नहीं है।’ उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कुछ अचानक प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक असहमति या प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता है जिससे दूसरे लोगों के अधिकार प्रभावित हों।
पुनर्विचार याचिका खारिज जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिसअनिरूद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, “हमने समीक्षा याचिका और सिविल अपील पर गौर किया है और आश्वस्त हैं कि जिस आदेश की समीक्षा करने की मांग की गई है उसमें पुनर्विचार किए जाने की जरूरत नहीं है।” पीठ ने हाल में फैसला पारित करते हुए कहा कि इसने पहले के न्यायिक फैसलों पर विचार किया और गौर किया कि “प्रदर्शन करने और असहमति व्यक्त करने का संवैधानिक अधिकार है लेकिन उसमें कुछ कर्तव्य भी हैं।”
बेंच ने शाहीन बाग निवासी कनीज फातिमा और अन्य की याचिका को खारिज करते हुए कहा, “प्रदर्शन करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता है। कुछ अचानक प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन लंबी समय तक असहमति या प्रदर्शन के मामले में सार्वजनिक स्थानों पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता है जिससे दूसरों के अधिकार प्रभावित हों।”
याचिका में पिछले वर्ष सात अक्टूबर के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई न्यायाधीश के चैंबर में की और मामले की खुली अदालत में सुनवाई करने का आग्रह भी ठुकरा दिया। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष सात अक्टूबर को फैसला दिया था कि सार्वजनिक स्थलों पर अनिश्चित काल तक कब्जा जमाए नहीं रखा जा सकता है और असहमति के लिए प्रदर्शन निर्धारित स्थलों पर किया जाए। इसने कहा था कि शाहीन बाग इलाके में संशोधित नागरिकता के खिलाफ प्रदर्शन में सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा स्वीकार्य नहीं है।
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doonitedin · 6 years
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में सर्वदलीय प्रार्थना सभा अटल जी की याद में हुई सर्वदलीय प्रार्थना सभा में पीएम मोदी ने दी पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि, कहा उनसे सीखी जा सकती है जीवन जीने की कला, उनके नाम में ही नहीं  व्यवहार में भी था अटल भाव, अटल जी के प्रयासों से आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को पूरे विश्व का साथ मिला अटल जी नाम से ही अटल जी नहीं थे बल्कि उनके व्यवहार में भी अटल भाव था । कुछ इस तरह से याद किया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने। दिल्ली में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में आयोजित एक सर्वदलीय प्रार्थना सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जीवन जीने की कला अटल जी से सीखनी चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में सोमवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में सर्वदलीय प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया जिसमें तमाम दलों के नेताओं ने अपने प्रिय नेता अटल जी को याद किया । खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अटल जी को श्रद्धासुमन अर्पित किया ।  बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी , संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ ही तमाम छोटे बडे दल के नेता , धर्मगुरु और सामजिक संगठनों के नेता पूर्व प्रधानमंत्री को याद करने के लिए मौजूद थे। इस मौके पर अटल जी को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जीवन जीने की कला अटल जी से सीखी जा सकती है। पोखरण परीक्षणों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अटल जी नाम से ही अटल नहीं थे उनके व्यवहार में भी अटल भाव नजर आता है। प्रधानमंत्री के तौर पर अटल जी के कार्यकाल को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वो अटल जी ही थे जो अपने प्रयासों से आतंकवाद के मुद्दे पर पूरे विश्व को भारत के साथ लाने में सफल हुए थे । अटल जी की लोकप्रियता की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री  ने कहा कि दस साल तक जो महापुरुष किसी राजनीतिक मंच पर नजर नहीं आए उस व्यक्ति की विदाई को जिस प्रकार देश ने सम्मान दिया शायद ही कोई ऐसे अवसर की कल्पना कर सकता है । पीएम ने एशियाई खेलों का जिक्र करते हुए कहा कि बजरंग पुनिया ने पहला गोल्ड मेडल जीता और उसे अटल जी को समर्पित कर दिया ।  गौरतलब है कि लंबी बीमारी के बाद अटल जी ने 16 अगस्त को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आखिरी सांस ली थी । अगले दिन पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था  जिसमें उनके अंतरराष्ट्रीय कद के मुताबिक विदेशों से भी मेहमान आए थे । सर्वदलीय प्रार्थना सभा में वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य उनके पति रंजन भ्ट्टाचार्य औरअटल जी की नातिन निहारिका समेत परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे । हर किसी ने याद किया कि कैसे वाजपेयी जी  देश और देशवासियों के जिए और वो अब भी सबके प्रिय हैं । सर्वदलीय प्रार्थना सभा में लालकृष्ण आडवाणी , मोहन भागवत , राजनाथ सिंह और अमित शाह ने अटल जी के साथ अपनी यादों को किया साझा , तमाम दलों के नेताओं ने भी की अटल जी की सराहना । ऐसा कम ही होता है कि जब तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने-अपने दलों की सीमाएं तोड़कर दिलों से दिल मिलाकर बात करते है। आज ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में आयोजित सर्वदलीय श्रद्धांजलि सभा में। इस सभा में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी बोले और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी। राष्ट्रीय स्वयं सेवा संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने भी अपनी बात रखी और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दूला ने भी और अटलजी को याद करते हुए सभी एक सूर में बोले। और एक बार फिर पूरे विश्व ने देखा कि आखिर क्यों  भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को आजादशत्रु कहा जा रहा है। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में सोमवार को राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में सर्वदलीय प्रार्थना सभा र्में तमाम दलों के नेताओं ने वाजपेयी जी को याद किया। वाजपेयी जी से जुड़े नेताओं के लिए यह मौक़ा बहुत ही भावुक कर देने वाला था। प्रार्थना सभा में अन्य दलों के नेताओं ने भी अटल जी को अपने संस्मरणों के जरिए याद किया। प्रार्थना सभा के अंत में मंत्रोच्चार से अटल जी की आत्मा की शांति की प्रार्थना की गयी । रविवार को हरिद्वार में अटल जी की अस्थि को गंगा में प्रवाहित करने के बाद अब उनका अस्थि कलश देश के सभी राज्यों में पहुंचाया जाएगा। उनकी याद में पंचायत स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
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meribakwas · 6 years
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पुलिस विभाग का मान सम्मान बढ़ा रहे राजेंद्र त्यागी व विजय गुप्ता इंस्पेक्टर खरखौदा व देहलीगेट को उनके सराहनीय कार्य हेतु डीजीपी और एसएसपी करे सम्मानित
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गत बीस जून को थाना खरखौदा इंचार्ज का कार्य भार ग्रहण करने वाले इंस्पेक्टर राजेंद्र त्यागी तथा 33 मिनट में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता का चोरी हुआ मोबाइल बरामद करने में सक्षम रहे इंस्पेक्टर देहलीगेट विजय गुप्ता जैसे पुलिस अफसर जहां अपने विभाग की छवि सुधारने में और उच्चाधिकारियों का मान सम्मान बढ़ाने में सक्षम हैं वहीं अपने समकक्ष अन्य सहयोगी उन पुलिस वालों व थाना प्रभारियों के लिये प्रेरणास्त्रोत भी है जो अपने इलाकों में होने वाले अपराधों तथा चलने वाले हुक्काबारों का प्रचलन रोकने और शासन के आदेशों का पालन कराने में पूर्ण असफल ही कहे जा सकते है। ऐसे लापरवाह थानेदार जो जनशिकायतों को गंभीरता से न लेकर उन्हे हवा में उड़ाते हैं या जांच अथवा कागजी कार्रवाई के चक्र व्यहू में उलझाकर इतना फंसा देते हैं कि शिकायतकर्ता को कुछ समझ में नहीं आता कि हो क्या रहा है। क्योंकि ऐसे थानेदार उसे विश्वास दिलाते रहते हैं कि कार्रवाई हो रही है ओर जो करना चाहिये वो करते नहीं हैं। वो इन दोनों थानेदारों से सबक लेकर उप्र सरकार की जो छवि पुलिस वालों की लापरवाही के चलते प्रभावित हो रही है। उसे उज्जवल बनाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। बताते चले कि अपने पद का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद इंस्पेक्टर खरखौदा द्वारा कुछ नियम निर्धारित किये गए थे जिनके तहत अब तक वो 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ तस्करा 1 विधायक सत्यवीर त्यागी के फार्म हाउस में चोरी के मामले में सिपाही जयनेंद्र सिंह के खिलाफ। 2 कौल गांव के प्राथमिक स्कूल में चोरी के मामले में सिपाही जगवीर सिंह के खिलाफ। 3 धंतला में भैंसा चोरी के मामले में सिपाही तेजपाल भाटी के खिलाफ। 4 कस्बे में बीयर और शराब की दुकान में चोरी के मामले में सिपाही आजाद, सुशील एवं कृष्ण पर कार्रवाई। 5 बिजौली में भैंस चोरी के मामले में सिपाही निलेश के खिलाफ। 6 छतरी गांव के जंगल में आत्महत्या की घटना के बाद सूचना पर न पहुंचने पर सिपाही मोहित एवं सुशील के खिलाफ। 7 छतरी के जंगल में गौकशी के मामले में स्वयं अपने इंस्पेक्टर राजेन्द्र त्यागी, दारोगा प्रेमप्रकाश और चंद्रकिशोर एवं सिपाही जयनारायण के खिलाफ लापरवाही में कार्यवाही कर चुके हैं। थानेदार के इस कदम के लिये जहां एसएसपी राजेश पांडे ने उनकी तारिफ की है वहीं एसपी देहात राजेश कुमार द्वारा भी इंस्पेक्टर की प्रशंसा की गई है मगर खरखौदा की जनता ने इनसे भी दो कदम आगे बढ़कर थानेदार के साथ साथ सीओ चक्रपाणी त्रिपाठी व एसडीएम सदर निशा अनंत को भी सम्मानित किया। शांति समिति की बैठक में ग्राम प्रधान संगठन के जिला प्रभारी देवेंद्र शर्मा आदि ने राजेंद्र त्यागी की प्रशंसा करते हुए शाॅल औढ़ाकर उनका सम्मान किया। और अच्छे मार्गदर्शन के लिये सीओ और एसडीएम सदर को भी शाॅल औढ़ाई गई। दूसरी तरफ दिल्ली सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता लालकुर्ती निवासी स्मिता दीक्षित जब शहर कबाडी बाजार में हार्डवेयर की एक दुकान से कुछ सामान खरीद रही थी तब किसी ने उनका मोबाइल चोरी कर लिया जिसमें उनका महत्वपूर्ण डाटा मौजूद था। उन्होंने पौने तीन बजे के आसपास इंस्पेक्टर देहलीगेट विजय गुप्ता को सूचना दी। जिस पर वो तुरंत अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। और सीसीटीवी कैमरे से मोबाइल चोरी करने वाले युवक की पहचान कर पूरे क्षेत्र में चेकिंग अभियान शुरू किया। तथा सवा तीन बजे 33 मिनट में चोर को गिरफ्तार कर मोबाइल बरामद करा लिया गया। पुलिस की इस तत्पर्रता की अधिवक्ता ने डीजीपी को टवीट कर आभार जताया। यह दोनों घटना अगर देखी जाए तो जनता में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा करने तथा सरकार शासन व प्रशासन और पुलिस की छवि में अभूतपूर्व निखार लाने में सफल रहने वाली हैं। क्योंकि अभी तक थाना क्षेत्र के चक्कर में फंसाकर पुलिस वाले बढ़ी बढ़ी घटना को घूमाते रहते हैं या फिर रिपोर्ट लिखने के बजाए शिकायतकर्ता को परेशान करने अथवा थाने में आने पर उससे अभद्रता करने और अपराध खोलने में असक्षम रहने के लिये ही जाने जाते हैं मगर इन दोनों घटनाओं ने पुलिस की छवि स्वच्छ बनाने की पहल की है। मेरा मानना है कि जिला पुलिस कप्तान राजेश पाण्डे और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इन दोनों थानेदारों को सम्मानित करना चाहिये। और क्राईम मिटिंग में इनके बारे में अन्य अधिकारियों व थानेदारों को बताकर इनसे कुछ सिख लेने का संदेश भी देना चाहिये। दूसरी तरफ प्रमुख व्यापारी नेता रजनीश कौशल का कहना था कि इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिये व्यापारियों द्वारा श्री अजय गुप्ता का सम्मान किया जाएगा।
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कौल गांव में स्थित एक निजी स्कूल कक्षा लगाता रहा कैथल जिला प्रशासन बेखबर कैसे 
कैथल जिला प्रशासन और सरकार के आदेशों को धत्ता बताते हुए खुले हुए हैं निजी स्कूल ग्रामीणों ने बनाई वीडियो, सोशल मीडिया पर हुआ वायरल, एक भी बच्चे के मुंह पर नहीं मिला मास्क ! लॉक डाउन में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही हुई जगजाहिर कैथल, 07 सितंबर (कृष्ण प्रजापति): जिले के कौल गांव में स्थित एक निजी स्कूल द्वारा लॉकडाउन के दौरान सरकार व जिला प्रशासन के आदेशों की परवाह न करते हुए कक्षाएं लगाई जा…
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newsdaynight · 8 years
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सुप्रीम कोर्ट को मिले पांच नए जज, ली शपथ
Delhi: सुप्रीम कोर्ट के पांच नए जजों ने शुक्रवार को शपथ ग्रहण की और इसके साथ ही चीफ जस्टिस समेत सर्वोच्च अदालत में जजों की संख्या बढ़कर कुल 28 हो गई है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने संजय कृष्ण कौल, नवीन सिन्हा, मोहन एम शांतानागौदार, दीपक गुप्ता और एस अब्दुल नजीर को शपथ दिलाई।सुप्रीम कोर्ट के पांच नए जजों ने शुक्रवार को शपथ ग्रहण की और इसके साथ ही चीफ जस्टिस समेत सर्वोच्च अदालत में जजों की संख्या बढ़कर कुल 28 हो गई है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने संजय कृष्ण कौल, नवीन सिन्हा, मोहन एम शांतानागौदार, दीपक गुप्ता और एस अब्दुल नजीर को शपथ दिलाई। http://dlvr.it/NPNZc7
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abhay121996-blog · 4 years
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जब जहां मर्जी हो प्रदर्शन करने का अधिकार किसी को नहीं : सुप्रीम कोर्ट Divya Sandesh
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जब जहां मर्जी हो प्रदर्शन करने का अधिकार किसी को नहीं : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन करने के अधिकार पर गंभीर टिप्पणी की है और साफ कहा है कि कोई जब चाहे तब और जहां चाहे वहां, प्रदर्शन नहीं कर सकता है। देश की शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कहा कि ‘प्रदर्शन करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी’ नहीं हो सकता। उच्चतम न्यायायल ने इसके साथ ही, पिछले साल पारित अपने आदेश की समीक्षा की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी।
पब्लिक प्लेस पर लगातार कब्जे की अनुमति नहीं सर्वोच्च अदालत ने पिछले वर्ष अपने फैसले में कहा था कि शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों (Anti-CAA protest in Shaheen Bagh) के दौरान सार्वजनिक रास्ते पर कब्जा जमाना ‘स्वीकार्य नहीं है।’ उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कुछ अचानक प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक असहमति या प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता है जिससे दूसरे लोगों के अधिकार प्रभावित हों।
पुनर्विचार याचिका खारिज जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिसअनिरूद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, “हमने समीक्षा याचिका और सिविल अपील पर गौर किया है और आश्वस्त हैं कि जिस आदेश की समीक्षा करने की मांग की गई है उसमें पुनर्विचार किए जाने की जरूरत नहीं है।” पीठ ने हाल में फैसला पारित करते हुए कहा कि इसने पहले के न्यायिक फैसलों पर विचार किया और गौर किया कि “प्रदर्शन करने और असहमति व्यक्त करने का संवैधानिक अधिकार है लेकिन उसमें कुछ कर्तव्य भी हैं।”
बेंच ने शाहीन बाग निवासी कनीज फातिमा और अन्य की याचिका को खारिज करते हुए कहा, “प्रदर्शन करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता है। कुछ अचानक प्रदर्शन हो सकते हैं लेकिन लंबी समय तक असहमति या प्रदर्शन के मामले में सार्वजनिक स्थानों पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता है जिससे दूसरों के अधिकार प्रभावित हों।”
याचिका में पिछले वर्ष सात अक्टूबर के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई न्यायाधीश के चैंबर में की और मामले की खुली अदालत में सुनवाई करने का आग्रह भी ठुकरा दिया। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष सात अक्टूबर को फैसला दिया था कि सार्वजनिक स्थलों पर अनिश्चित काल तक कब्जा जमाए नहीं रखा जा सकता है और असहमति के लिए प्रदर्शन निर्धारित स्थलों पर किया जाए। इसने कहा था कि शाहीन बाग इलाके में संशोधित नागरिकता के खिलाफ प्रदर्शन में सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा स्वीकार्य नहीं है।
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