"केसीआर के पास पीएम मोदी के लिए सीधी रेखा है": हैदराबाद में राहुल गांधी का आरोप
“केसीआर के पास पीएम मोदी के लिए सीधी रेखा है”: हैदराबाद में राहुल गांधी का आरोप
Rahul Gandhi leads the Congress’s Bharat Jodo Yatra in Telangana’s Hyderabad
हैदराबाद:
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज हैदराबाद की सड़कों के माध्यम से पार्टी के भारत जोड़ी यात्रा अभियान की अगुवाई की और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तेलंगाना की टीआरएस सरकार पर कथित तौर पर लोगों के हितों के खिलाफ भाजपा के साथ काम करने के लिए हमला किया।
गांधी ने कांग्रेस के भारत जोड़ी (संयुक्त भारत)…
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आरोप लगाया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने राज्य सचिवालय जाना बंद कर दिया और लंबे समय तक “तांत्रिकों” और अंकशास्त्रियों की सलाह पर महिलाओं को अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया।
सीतारमण ने यह भी दावा किया कि राव, जिन्हें केसीआर के नाम से जाना जाता है, ने “तांत्रिकों” (तांत्रिकों) की सलाह पर अपनी पार्टी – तेलंगाना राष्ट्र समिति…
दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामला: केसीआर की बेटी के कविता को सीबीआई ने तलब किया
दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामला: केसीआर की बेटी के कविता को सीबीआई ने तलब किया
छवि स्रोत: के कविता (ट्विटर) दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामला: केसीआर की बेटी के कविता को सीबीआई ने तलब किया
दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामलादिल्ली शराब घोटाला मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार (2 दिसंबर) को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और टीआरएस एमएलसी के कविता को 6 दिसंबर (मंगलवार) को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया।
केंद्रीय एजेंसी ने सीआरपीसी की…
चुनाव आयोग ने 48 घंटे के लिए केसीआर के प्रचार करने पर लगाया बैन, जानें क्या है वजह
हैदराबाद: चुनाव आयोग ने बुधवार को तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के खिलाफ बड़ा ऐक्शन लिया है। चुनाव आयोग ने केसीआर को कांग्रेस के खिलाफ उनकी आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए 48 घंटे तक प्रचार करने से रोक दिया। चुनाव आयोग ने कहा कि पांच अप्रैल को सिरसिल्ला में संवाददाता सम्मेलन में केसीआर की टिप्पणी आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और उसके परामर्श का उल्लंघन थी। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री राव पर प्रचार के संबंध में 48 घंटे का प्रतिबंध बुधवार रात आठ बजे से लागू होगा। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के बाद केसीआर दूसरे नेता हैं जिन पर मौजूदा लोकसभा चुनाव में प्रचार करने पर 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया गया है।चुनाव आयोग के पास कब आई शिकायत?दरअसल 6 अप्रैल को चुनाव आयोग के पास एक शिकायत दी गई। इसमें टीपीसीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जी निरंजन ने दावा किया कि केसीआर ने 5 अप्रैल को सिरसिल्ला में एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस विधायकों को अपमानित और नाराज किया था। इन टिप्पणियों को चुनाव आयोग ने असत्यापित आरोप और अपमानजनक टिप्पणी माना था। जो विपक्षी दल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। वर्तमान चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता में हस्तक्षेप कर सकती हैं। ईसीआई की ओर से केसीआर को टिप्पणियों पर अपनी स्थिति साफ करने के लिए 18 अप्रैल, 2024 तक का समय दिया गया था।केसीआर ने किया आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन चुनाव आयोग ने कहा था कि केसीआर ने अपने भाषण के संबंध में कई निर्देश जारी करने के बाद भी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। चुनाव प्राधिकरण ने यह भी संकेत दिया था कि यदि केसीआर समय के भीतर जवाब नहीं देते हैं, तो चुनाव आयोग उचित कार्रवाई करेगा।केसीआर ने क्या कहा था?दरअसल केसीआर ने 5 अप्रैल को सिरसिल्ला में एक प्रेस वार्ता में कांग्रेस नेताओं को 'कुत्तों की औलाद' कहा था। उन्होंने सरकार को 'लतखोरों' की सरकार भी कहा। इसके अलावा भी केसीआर के कांग्रेस के लिए बड़े आपत्तिजनक शब्द कहे थे। इसके बाद चुनाव आयोग ने यह कार्रवाई की है। http://dlvr.it/T6Gn9N
ED action- प्रवर्तन निदेशालय की बड़ी कार्रवाई, दिल्ली शराब घोटाले में बीआरएस नेता के कविता गिरफ्तार
हैदराबाद: दिल्ली शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी और विधायक के कविता को शुक्रवार को हैदराबाद में गिरफ्तार कर लिया है. जांच एजेंसी उन्हें पूछताछ के लिए दिल्ली ले जा रही है. इससे पहले ईडी ने शुक्रवार सुबह 11 बजे बीआरएस नेता कविता के हैदराबाद स्थित घर पर छापेमारी शुरू की थी. करीब 8 घंटे की तलाशी और कार्रवाई के बाद शाम 7 बजे उन्हें पहले हिरासत…
तेलंगाना के सीएम केसीआर को रैली के लिए रोका गया, बस की तलाशी ली गई सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। दूसरी ओर, चुनाव आयोग भी स्थिति की निगरानी कर रहा है। निर्वाचन आयोग दलों और नेताओं द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करने की घटनाओं को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। तेलंगाना में 30 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। इस बीच, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) चुनाव
तेलंगाना में पीएम मोदी ने दिया भाषण, KCR को कहा सबसे भ्रष्ट पार्टी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार 8 जुलाई को तेलंगाना (Telangana) के वारंगल में 6 हजार करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्गाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि तेलंगाना के लोगों की ताकत ने हमेशा भारत की ताकत बढ़ाई है. आज जब भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तो इसमें तेलंगाना के लोगों की बहुत बड़ी भूमिका है. पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने इस दौरान केसीआर सरकार (KCR Government) पर हमला बोला और इसे सबसे भ्रष्ट सरकार बताया.
पीएम मोदी का संबोधन
पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा, ऐसे में जब पूरी दुनिया भारत में निवेश के लिए आ रही है, तब तेलंगाना के सामने अवसर ही अवसर हैं. उन्होंने कहा, आज का भारत नया भारत है. बहुत सारी एनर्जी से भरा हुआ है. 21वीं सदी के इस तीसरे दशक में हमारे पास एक गोल्डन पीरियड आया है. हमें इस मौके के हर पल का पूरा इस्तेमाल करना है. देश का कोई भी कोना तेज विकास की संभावना में पीछे न��ीं रहना चाहिए.नए लक्ष्य के लिए नए रास्ते भी बनाने पड़ते हैं. भारत का तेज विकास पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर पर संभव नहीं था. इसलिए हमारी सरकार पहले से कहीं अधिक स्पीड और स्केल पर काम कर रही है.
पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने आगे कहा, आज हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पहले से कई गुना तेजी से काम हो रहा है. आज पूरे देश में हाईवे, एक्सप्रेसवे, इक्नॉमिक कॉरिडोर, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का जाल बिछ रहा है. पीएम मोदी ने कहा, युवाओं के लिए रोजगार का एक और बड़ा माध्यम देश में मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर बन रहा है, ‘मेक इन इंडिया’ अभियान बन रहा है. हमने देश में मैन्युफेक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए PLI योजना शुरु की है. इसका मतलब जो ज्यादा उत्पादन कर रहा है उसे भारत सरकार से विशेष मदद मिल रही है.
केसीआर सरकार पर लगाए आरोप
पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने तेलंगाना सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि तेलंगाना में जो सरकार है उसने क्या किया? यहां की राज्य सरकार ने सिर्फ 4 काम किए हैं. पहला- सुबह-शाम मोदी और केंद्र सरकार को गाली देने का काम किया है. दूसरा- सिर्फ एक ही परिवार को सत्ता का केंद्र बनाने और खुद को तेलंगाना का मालिक साबित करने का काम किया है. तीसरा इन्होंने तेलंगाना के विकास को चौपट कर दिया. चौथा-इन्होंने तेलंगाना को भ्रष्टाचार में डुबा दिया. KCR सरकार यानी सबसे भ्रष्ट सरकार. ये जितनी भी परिवारवादी पार्टियां हैं, उनकी नींव भ्रष्टाचार पर खड़ी होती है.
उन्होंने आगे कहा, परिवारवादी कांग्रेस (Congress) का भ्रष्टाचार पूरे देश ने देखा है. परिवारवादी बीआरएस का भ्रष्टाचार पूरा तेलंगाना देख रहा है. कांग्रेस हो या बीआरएस दोनों ही तेलंगाना के लोगों के लिए घातक है. इन दोनों से ही तेलंगाना के लोगों को बचकर रहना है. पीएम मोदी ने कहा, यहां सत्ता में जो परिवार बैठा है, जो करोड़ों के घोटालों में लिप्त है, जिसपर जांच एजेंसियों का शिकंजा लगातार कस रहा है, जिसकी पोल तेलंगाना के लोगों के सामने खुल चुकी है, वो परिवार अब लोगों का ध्यान भटकाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहा है.
गुजरात में सूरत की निचली अदालत ने राहुल गांधी को, चार साल पुराने एक मामले में आपराधिक मानहानि के लिए दो साल की सजा सुना दी। इसे संयोग मानने के लिए राजनीतिक रूप से बहुत भोला होना जरूरी है कि उन्हें जिला अदालत ने, आपराधिक मानहानि के अपराध के लिए दी जाने वाली अधिकतम सजा सुनाई है और यह ठीक उतनी ही सजा है, जितनी किसी निर्वाचित सांसद-विधायक को ''अयोग्य'' करार देकर, उसकी सदस्यता खत्म करने के लिए न्यूनतम आवश्यक सजा है! खैर! अब यहां से आगे घटनाक्रम ठीक-ठीक क्या रूप लेगा? राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता ताबड़तोड़ खत्म कर दिए जाने के बाद, क्या चुनाव आयोग उनकी वायनाड की लोकसभाई सीट खाली घोषित कर, उसके लिए चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर देगा? क्या उच्चतर अपीलीय न्यायालयों द्वारा राहुल गांधी की सजा को भी, खासतौर पर इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए रोक दिया जाएगा कि यह भारत में आपराधिक मानहानि कानून के करीब पौने दो सौ साल के इतिहास में, किसी को इस कानून के अंतर्गत सजा दिए जाने का पहला ही मामला है, या सदस्यता तत्काल खत्म करने के बाद, राहुल गांधी को आठ साल तक चुनाव लड़ने से भी रोक दिया जाएगा और ऐसा हुआ, तो इसके नतीजे क्या होंगे, इस सब के स्पष्ट होने के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा।
लेकिन, इस पूरे प्रकरण का एक नतीजा तत्काल साफ-साफ दिखाई दे रहा है। कर्नाटक में एक चुनावी सभा में दिए गए भाषण के एक अंश के लिए, राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाए जाने को, उन्हें संसद से ही दूर करने की कोशिश के रूप में लेकर, इस फैसले का खुलकर सबसे पहले विरोध करने वालों में, एक आवाज आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो, अरविंद केजरीवाल की थी। और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी कम-से-कम इस मामले में विपक्ष के साथ आवाज मिलाने में कमोबेश ऐसी ही तत्परता दिखाई है।
लेकिन, वह तो शुरूआत थी। इस सत्ता-प्रायोजित तानाशाहीपूर्ण मनमानी के खिलाफ देश भर में उठी नाराजगी की लहर के दबाव मेें भारत राष्ट्र समिति के शीर्ष नेता केसीआर ही नहीं, चुनावों के ताजा चक्र के बाद से कांग्रेस से बढ़कर राहुल गांधी के खिलाफ खासतौर पर हमलावर ममता बैनर्जी और काफी किंतु-परंतु के साथ ही सही, बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी, विरोध की आवाज उठाई है। यहां तक कि सप्ताहांत के बाद, सोमवार को संसद बैठने पर विपक्षी पार्टियों के सांसदों नेे काले कपड़ों के साथ जो विरोध प्रदर्शन निकाला, उसमें बजट सत्र का उत्तरार्द्घ शुरू होने के बाद, पहली बार तृणमूल कांग्रेस और बीआरएस के सांसद भी शामिल हुए।
जाहिर है कि संसद में और संसद के बाहर भी, अडानी प्रकरण समेत मौजूदा निजाम के विरोध के मुद्दों पर अक्सर साथ दिखाई देने वाली चौदह-पंद्रह विपक्षी पार्टियां तो इस ''सजा'' को, विपक्ष की आवाज दबाने के लिए, मोदी निजाम के एक और हमले की ही तरह देखती ही हैं। बहरहाल, उनके अलावा ममता बैनर्जी तथा केसीआर जैसे नेताओं का इस मुद्दे पर खुलकर विरोध की आवाज उठाना, इसलिए खास महत्व रखता है कि पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में इसी फरवरी में हुए विधानसभाई चुनाव के नतीजों के बाद गुजरे हफ्तों में, इन पार्टियों के ही कदमों से और उससे बढ़कर उनके बयानों से, 2024 के आम चुनाव के लिए विपक्ष की एकजुटता के नामुमकिन होने के दावों को काफी बढ़ावा मिल रहा था। कांग्रेस तो खैर, आर-पार की लड़ाई का बिगुल फूंकने के मूड में नजर आ ही रही है।
जाहिर है कि यह ताजा घटना विकास, इसकी ओर इशारा करता है कि अगले आम चुनाव में विपक्ष की एकजुटता-विभाजन का मामला, जोड़-घटाव का सरल प्रश्न नहीं, रासायनिक क्रिया का कहीं जटिल मामला होने जा रहा है। ममता बैनर्जी का ही नहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री तथा बीआरएस सुप्रीमो चंद्रशेखर राव और ओडिशा के मुख्यमंत्री तथा बीजद सुप्रीमो नवीन पटनायक का भी आम तौर पर वर्तमान निजाम के खिलाफ विपक्ष के एकजुट कदमों से अलग-अलग हद तक दूसरी बनाए रखना, विपक्षी एकता के सवाल की उस जटिलता में ही इजाफा करता है।
फिर भी इस प्रकरण से एक बात एकदम साफ है, जनतंत्र और विपक्ष मात्र के साथ मोदी राज का सलूक, अपने तमाम राजनीतिक-विचारधारात्मक मतभेदों और हितों के टकरावों के बावजूद, विपक्ष को ज्यादा-से-ज्यादा एक स्वर में बोलने की ओर ले जा रहा है। इसी का एक और साक्ष्य है 14 विपक्षी पार्टियों का सुप्रीम कोर्ट के सामने याचिका दायर कर, केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई, ईडी आदि केंद्रीय जांच एजेंसियों का विपक्ष को कुचलने के लिए दुरुपयोग का आरोप लगाना।
इस मामले में आम आदमी पार्टी और बीआरएस जैसी पार्टियां भी, कांग्रेस के साथ एक मंच पर खड़ी देखी जा सकती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री, मनीष सिसोदिया की दो अलग-अलग मामलों में सीबीआई तथा ईडी द्वारा गिरफ्तारी और बीआरएस विधान परिषद सदस्य
व चंद्रशेखर राव की पुत्री, सुश्री कविता से ईडी की लगातार जारी पूछताछ ने, इस मुद्दे पर विपक्ष की एकजुटता के दायरे को बढ़ाने का काम किया है।
लेकिन, 2024 के आम चुनाव के संदर्भ में विपक्षी एकता की चर्चा में अक्सर, खुद को संघ-भाजपा राज के विरोध में बताने वाली पार्टियों के कई मुद्दों पर अलग-अलग बोलने तथा अलग-अलग चुनाव लड़ने को तो दर्ज किया जाता है, लेकिन विपक्षी स्वरों की बढ़ती एकता की ओर से आंखें ही मूंद ली जाती हैं। बहरहाल, विपक्षी एकता की यह समझ अधूरी है और इसलिए भ्रामक भी। यह समझ विपक्षी एकता को, सत्ताधारी गठजोड़ से बाहर की सभी राजनीतिक पार्टियों के पूरी तरह से एक होकर, सत्ताधारी गठजोड़ के हरेक उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार उतारने की हद तक एकता में घटा देती है।
जाहिर है कि भारत की वास्तविक राजनीतिक परिस्थितियों में, जिसमें क्षेत्रीय राजनीतिक विविधताएं बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, यह एक असंभव-सी मांग है। और इसी मांग के पूरा न होने के आधार पर विपक्षी एकता होने, न होने को लेकर नकारात्मक फैसले सुनाना, सत्ताधारी गठबंधन की तथाकथित अजेयता के पक्ष में हवा बनाने में मदद तो कर सकता है, लेकिन भारतीय राजनीति की वास्तविक दशा-दिशा को समझने के लिए उससे कोई मदद नहीं मिल सकती है।
जाहिर है कि स्वतंत्र भारत की राजनीति का वास्तविक अनुभव, विपक्षी एकता की ऐसी परिभाषा से मेल नहीं खाता है। स्वतंत्रता के बाद के पहले बीस साल में, कांग्रेस की सत्ता पर लगभग इजारेदारी के अनेक राज्यों के टूटने की जब 1967 में शुरूआत हुई थी, कई राज्यों में गठबंधनों ने तथा कुछ राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों ने सत्ता संभाली थी। यह प्रक्रिया, इमरजेंसी के बाद, 1977 के आरंभ में हुए आम चुनाव में नई ऊंचाई पर पहुंची, जब पहली बार केंद्र में सत्ता से कांग्रेस पार्टी की विदाई हुई। वास्तव में इमरजेंसी का उदाहरण ही, भारत में संभव तथा इसलिए भारत के लिए वास्तविक, विपक्षी एकता की संकल्पना का ज्यादा उपयुक्त उदाहरण है।
इमरजेंसी के अनुभव के बाद, चंद अपवादों को छोड़कर, लगभग सभी गैर-कांग्रेसी पार्टियां, इमरजेंसी निजाम और उसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस का विरोध करने पर एकमत थीं। लेकिन, यह एकता किसी भी प्रकार से, एक के मुकाबले एक उम्मीदवार की, मुकम्मल चुनावी एकता नहीं थी। इसके बावजूद, इस चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को अभूतपूर्व हार का सामना करना पड़ा था। आगे चलकर, कांग्रेस के शासन के लगभग दो कार्यकालों के बाद, यही 1988 में, बोफोर्स प्रकरण पर केंद्रित भ्रष्टाचार के आरोपों की पृष्ठभूमि में हुए आम चुनाव में भी, कांग्रेस की हार के रूप में दोहराया गया था। और फिर, 2004 में बेशक काफी भिन्न संदर्भ में, सत्ताधारी भाजपाई गठजोड़ की हार के रूप में।
साफ है कि विपक्षी एकता या एकजुटता और विपक्ष का एक के मुकाबले एक उम्मीदवार का मुकाबला सुनिश्चित करने की हद तक एकजुट होना, काफी हद तक अलग-अलग चीजें हैं। वैसे भी एक के मुकाबले एक उम्मीदवार की हद तक विपक्षी एकता, एक ऐसे सत्ताधारी गठजोड़ को हराने की आवश्यक पूर्व-शर्त तो हर्गिज नहीं है, जिसको ऐतिहासिक रूप से अब तक वास्तव में 40 फीसद से ज्यादा वोट नहीं मिला है। फिर भी, दो चीजें हैं, जो सत्ताधारी गठजोड़ को चुनावी मुकाबले में हराने के लिए जरूरी हैं।
पहली, एक वृहत्तर राजनीतिक मुद्दा, को सिर्फ विपक्षी पार्टियों को ही नहीं, आम जनता के उल्लेखनीय रूप से बड़े हिस्सों को भी जोड़ सकता हो। 1977 में इमरजेंसी, तो 1988 में बोफोर्स व आम तौर पर भ्रष्टाचार, ऐसे ही मुद्दे थे। पुन: 2004 में शासन का बढ़ता सांप्रदायीकरण, खासतौर पर 2002 के गुजरात के खून-खराबे की पृष्ठभूमि में ऐसा ही मुद्दा था, जिसने भाजपाई गठजोड़ को, केंद्र में सत्ता से बाहर किया था। 2024 के चुनाव में मोदी राज की बढ़ती अघोषित तानाशाही और जनविरोधी कार्पोरेटपरस्ती, बखूबी ऐसा ही निर्णायक मुद्दा बन सकती है। राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कराने के जरिए मौजूदा निजाम ने जाहिर है कि इस प्रक्रिया को और गति दे दी है।
लेकिन, इसका अर्थ यह हर्गिज नहीं है कि विपक्षी कतारों के चुनाव के पहले और चुनाव के लिए भी, एकजुट होने की कोई भी जरूरत या सार्थकता ही नहीं है। 1977, 1988 और 2004 -- तीनों चुनावों का अनुभव बताता है कि विपक्ष की मुकम्मल एकता भले संभव न हो और देश के एक अच्छे-खासे हिस्से में यानी कई राज्यों में केंद्र की सत्ताधारी पार्टी का असली मुकाबला, राज्य के स्तर पर मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों से या उनके नेतृत्व वाले राज्यस्तरीय गठबंधनों/ मोर्चों से ही होने जा रहा हो, फिर भी विपक्ष की राजनीतिक निशाने की एकता के साथ ही साथ, चुनाव से पहले और चुनाव में भी, उसके एक हद तक एकजुट होने की भी जरूरत होती है, ताकि जनता के बीच
आम तौर पर इसका भरोसा पैदा हो सके कि सत्ताधारियों को, हराने में समर्थ ताकतें सचमुच मौजूद हैं, कि उन्हें सच���ुच हराया जा सकता है। मोदी राज के दुर्भाग्य से, उसकी तमाम तिकड़मों और हथकंडों के बावजूद, हालात उसे हराने की दोनों शर्तें पूरी होने की ओर ही बढ़तेे नजर आते हैं। राहुल गांधी के खिलाफ नवीनतम कानूनी प्रहार ने इस प्रक्रिया को और भी तेज कर दिया है।
��क फूल कई माली, किसके नाम की बजेगी ताली! मोदी विरोधी फ्रंट के पीएम चेहरे का खुलासा
Delhi: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अभी से सभी दल तैयारी में जुटे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां विपक्षी एकता की कवायद में जुटे हैं। उधर, ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का दावा कर रही हैं। साउथ में केसीआर अलग फ्रंट बना रहे हैं। इन सबके बीच चर्चा जोरों पर है कि आखिर पीएम फेस कौन होगा। आइए जानते हैं मामले की पड़ताल करती रिपोर्ट में। http://dlvr.it/SkNWFM
शाह के बारामूला दौरे के बाद भाजपा का लंबा दावा; निजाम की तरह व्यवहार कर रहे केसीआर: तरुण चुगु
शाह के बारामूला दौरे के बाद भाजपा का लंबा दावा; निजाम की तरह व्यवहार कर रहे केसीआर: तरुण चुगु
एक्सप्रेस समाचार सेवा
नई दिल्ली: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के आतंक गढ़ बारामूला में गृह मंत्री अमित शाह की सफल रैली के बाद, भाजपा राज्य को देश के विकास केंद्र के रूप में पेश करने के लिए तैयार है।
तेलंगाना में भी, जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं, पार्टी 2020-21 में दो उपचुनावों में अपनी जीत से उत्साहित महसूस करती है।
“सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के प्रदर्शन को देखते हुए, एक धारणा है कि…
Financetime.in तेलंगाना नेता ने केसीआर को भुनाया, राजनीतिक घमासान का कारण
तेलंगाना पुलिस ने वाईएस शर्मिला को हिरासत में लिया है और उन्हें हैदराबाद ट्रांसफर कर दिया है
हैदराबाद:
वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की प्रमुख वाईएस शर्मिला ने रविवार को कहा कि तेलंगाना भारत का अफगानिस्तान है और केसीआर तालिबान है।
“तेलंगाना की महिलाओं को केसीआर और बीआरएस के खिलाफ खड़ा होना चाहिए क्योंकि उन्होंने न केवल मेरा बल्कि सभी महिलाओं का अपमान किया है कि वे उनसे सवाल करने के लिए खड़ी हुई हैं।…
‘अबकी बार, किसान सरकार’, असा नारा देत, तेलंगणामधील भारत राष्ट्र समितीची राज्यात पक्ष बांधणीस नांदेडमधून सुरुवात.
पुण्यातील कसबा आणि पिंपरी चिंचवड विधानसभा पोटनिवडणूक बिनविरोध होण्यासाठी भाजप- शिंदे गटाचे प्रयत्न तर महाविकास आघाडीची निवडणूक लढण्याची तयारी.
नव्या शिक्षण धोरणातून मराठी ही ज्ञान व्यवहाराची भाषा होणार - उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस.
पाकिस्तानचे माजी लष्करप्रमुख आणि माजी राष्ट्रपती परवेज मुशर्रफ यांचं दुबईत दीर्घ आजारानं निधन.
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राज्यात लोककला महामंडळ स्थापन करण्याबाबत शासन सकारात्मक - मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे.
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‘अबकी बार, किसान सरकार’, असा नारा देत भारत राष्ट्र समिती पक्षाचे अध्यक्ष, तेलंगणाचे मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यांनी आज नांदेडमध्ये देशात परिवर्तनासाठी एकत्रित लढा देण्याचं शेतकऱ्यांना आवाहन केलं आहे. भारत राष्ट्र समिती पक्षानं राज्यात पक्ष बांधणीस आज नांदेडमधून सुरुवात केली. शहरात झालेल्या सभेत त्यांनी काँग्रेस आणि भारतीय जनता पक्षाच्या सरकारवर जोरदार टीका केली. गडचिरोली जिल्ह्यातील अहेरीचे माजी आमदार दीपक आत्राम यांनी आज राव यांच्या भारत राष्ट्र समिती पक्षात प्रवेश केला. यावेळी झालेल्या सभेत बोलताना राव यांनी केसीआर यांनी देशाला स्वातंत्र्य मिळून ७५ वर्ष झाली, मात्र आजही जनतेला पिण्यासाठी, सिंचनासाठी पाणी मिळत नाही, गरिबांना आज वीजदेखील मिळत नसल्याचा आरोप केला. देशाला अन्न देणारा अन्नदाता आत्महत्या करण्यासाठी मजबूर झाला आहे. एकीकडे शेतकरी आत्महत्या करत आहे, तर राजकीय नेते विधानसभेत आणि संसदेत भाषण देण्यात व्यस्त असल्याचं ते म्हणाले.
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पुण्यातील कसबा आणि पिंपरी चिंचवड विधानसभा मतदार संघाची पोटनिवडणूक बिनविरोध व्हावी, यासाठी भारतीय जनता पक्ष आणि शिंदे गटाकडून प्रयत्न केले जात आहेत. भाजपचे प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुळे तसंच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी विरोधकांशी याबाबत चर्चा केली आहे. मात्र दुसरीकडे महाविकास आघाडीचे नेते ही निवडणूक बिनविरोध करण्यास तयार नसल्याचं चित्र दिसत आहे.
आमदारांचं निधन झालेल्या ठिकाणची पोटनिवडणूक बिनविरोध केली जाते, तशी परंपरा आहे. या परंपरेनुसार कसबा आणि पिंपरी चिंचवडची पोटनिवडणूक बिनविरोध करण्याची विनंती आपण विरोधी पक्षाला केली असल्याचं मुख्यमंत्री शिंदे यांनी म्हटलं आहे. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेचे अध्यक्ष राज ठाकरे यांनीही ही निवडणूक बिनविरोध करण्यासाठीचा दिलदारपणा दाखवण्याचं आवाहन विरोधी पक्षाला केलं आहे.
मात्र विरोधी पक्ष नेते अजित पवार यांनी या दोन्ही मतदारसंघातील पोटनिवडणूक बिनविरोध होण्याचे कारण नाही, असं स्पष्ट केलं. कोल्हापूर, पंढरपूर आणि देगलूर मतदार संघातील पोटनिवडणूक भाजपनं बिनविरोध होऊ दिली नव्हती. अंधेरीच्या पोटनिवडणुकीसाठी त्यांनी आपला उमेदवार दिला नाही, म्हणजे बाकीच्या सर्व निवडणुका बिनविरोध होतील हे त्यांनी डोक्यातून काढावं, असे ते म्हणाले. काँग्रेसचे प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले यांनीही बिनविरोध निवडणुकीस विरोध केला आहे.
शिवसेनेचे प्रवक्ते खासदार संजय राऊत यांनीही पोटनिवडणूक बिनविरोध होणार नसल्याचं स्पष्ट केलं आहे.
वंचित बहुजन आघाडीचे नेते विधीज्ञ प्रकाश आंबेडकर यांनी आमची युती शिवसेनेशी झालेली आहे, शिवसेनेला कसबा मतदार संघात उमेदवार देण्याचा सल्ला आपण दिला असल्याचं त्यांनी सांगितलं. शिवसेनेनं उमेदवार दिला तर आमचा त्यांना पाठिंबा असेल, असं आंबेडकर म्हणाले.
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राज्यात मुख्यमंत्री वैद्यकीय सहाय्यता कक्षातर्फे गेल्या सहा महिन्यात तीन हजार ६०० रुग्णांना २८ कोटी ३२ लाख रुपयांची मदत करण्यात आली आहे. मुख्यमंत्री वैद्यकीय सहाय्यता कक्ष प्रमुख मंगेश चिवटे यांनी ही माहिती दिली आहे. मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीच्या निकषात बदल करुन खर्चिक उपचार असणाऱ्या आजारांचा नव्यानं समावेश करण्यात आला असल्याचं त्यांनी यावेळी सांगितलं.
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नव्या शिक्षण धोरणातून मराठी ही ज्ञान व्यवहाराची भाषा होणार असल्याचं मत उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी व्यक्त केलं आहे. वर्धा इथं सुरु असलेल्या ९६ वाव्या अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनात आज ते बोलत होते. आता सरकारनं वैद्यकीय, तंत्र आणि सर्व प्रकारचं शिक्षण प्रादेशिक भाषेतून देण्याचं ठरवलं असल्यामुळे राज्यात ते आता मराठी भाषेतून देता येणार आहे. ते म्हणाले –
मराठीकडचा थोडा ओढा हा आपला कमी व्हायला लागला तर मला अतिशय आनंद आहे की, आपले पंतप्रधान नरेंद्र मोदीजी यांनी आता जी नवी शिक्षा निती केली, त्या नव्या शिक्षा नितीमध्ये आता आपल्याला सगळ्या प्रकारचं शिक्षण हे मराठीत देता येणार आहे. त्यामुळे उच्च शिक्षण असेल, तंत्र शिक्षण असेल किंवा ज्ञानाधारित शिक्षण असेल हे सगळं आता मराठीत आपण देऊ शकणार आहोत. आणि मराठी ही ज्ञान भाषा आहेच पण व्यवहारातल्या ज्ञानभाषेतही मराठीचा समावेश जेव्हा होईल त्यावेळेस आपल्यासमोर ज्या चिंता आहेत मराठीच्या भवितव्याबद्दल त्���ा चिंता दूर होतील.
याप्रसंगी त्यांनी विदर्भ साहित्य संघाच्या शताब्दी महोत्सवा निमित्त आयोजित ९६व्या साहित्य संमेलनाच्या वरदा या स्मरणिकेचं प्रकाशन देखील केलं. या संमेलनात आज सकाळच्या सत्रात ‘गांधीजी ते विनोबाजी : वर्तमानाच्या परिप्रेक्ष्यातून’ हा परिसंवाद आयोजित करण्यात आला होता.
दरम्यान, या संमेलनाची आज सांगता होत आहे.
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पाकिस्तानचे माजी लष्करप्रमुख आणि माजी राष्ट्रपती परवेज मुशर्रफ यांचं आज दुबईत दीर्घ आजारानं उपचारादरम्यान निधन झालं, ते ७९ वर्षांचे होते. ११ ऑगस्ट १९४३ ला दिल्लीत जन्मलेले मुशर्रफ यांचं प्राथमिक शिक्षण कराची इथं तर उच्च शिक्षण लाहोर इथं झालं होतं. १९९० मध्ये त्यांना पाकिस्तानचे मेजर जनरल म्हणून पदोन्नती मिळाली. त्यानंतर १९९९ मध्ये ते पाकिस्तानचे लष्करप्रमुख झाले आणि त्याच वर्षी भारत आणि पाकिस्तानमध्ये कारगिल युद्ध झाले. २००१ ते २००८ या काळात मुशर्रफ पाकिस्तानचे राष्ट्रपतीदेखील झाले. या काळात तत्कालीन पंतप्रधान अटलबिहारी वाजपेयी यांच्यासोबत आग्रा इथं शिखर परिषद केली होती. २००७ मध्ये पाकिस्तानचं संविधान बरखास्त केल्यानंतर त्यांच्याविरूद्ध देशद्रोहाचा खटला चालू होता. तसंच पाकिस्तानच्या माजी पंतप्रधान बेनझीर भुट्टो आणि लाल मस्जिदच्या मौलवींच्या हत्येसंदर्भात त्यांना फरार घोषित करण्यात आलं होतं. २०१६ मध्ये ते उपचारासाठी दुबईत गेले, तेव्हापासून मुशर्रफ यांचं तिथंच वास्तव्य होतं.
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राज्यात लोककला महामंडळ स्थापन करण्याबाबत शासन सकारात्मक असल्याचं राज्याचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी म्हटलं आहे. रत्नागिरी जिल्ह्यात चिपळूण इथं आयोजित पर्यटन, लोककला, सांस्कृतिक, खाद्य या चार दिवसीय महोत्सवाचं उद्घाटन मुख्यमंत्री शिंदे यांच्या हस्ते दूरदृश्य प्रणालीद्वारे झालं, त्यानंतर ते बोलत होते. देशाला कोकणचा सर्वांगीण परिचय व्हावा हा या महोत्सवाचा मुख्य उद्देश असल्याचं त्यांनी यावेळी सांगितलं. या महोत्सवामुळं आर्थिक विकासाला देखील चालना मिळेल, अशी अपेक्षा त्यांनी व्यक्त केली.
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संत रविदास यांच्या जयंती यानिमित्तानं राष्ट्रपती, उपराष्ट्रपती, पंतप्रधान यांनी त्यांना श्रद्धांजली अर्पण केली आहे. मानवसेवेला ईश्वरसेवा मानणाऱ्या संत रविदास यांनी जाती धर्म भेदभावमुक्त समाज निर्माणाची संकल्पना मांडली होती, त्यांचं जीवन त्याग आणि तपश्चर्येचं अद्वितीय उदाहरण आहे असं राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू यांनी आपल्या संदेशात म्हटलं आहे. संत रविदास यांच्या आदर्शांप्रमाणे आपणही न्यायप्रिय, सौहार्दपूर्ण आणि समृद्ध समाजाप्रती संकल्पित असल्याचं पंतप्रधान मोदी यांनी आपल्या संदेशात म्हटलं आहे. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी संत रविदास यांच्या प्रतिमेस पुष्पहार अर्पण करुन अभिवादन केलं.
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शैक्षणिक विकासातून आत्मनिर्भर भारत निर्माणाचं स्वप्न पूर्ण होईल असं मत राज्याचे सहकार आणि इतर मागास बहुजन कल्याण विभागाचे मंत्री अतुल सावे यांनी व्यक्त केलं आहे. ते आज औरंगाबाद इथं ‘प्रगत शैक्षणिक महाराष्ट्र, निपूण भारत, अधिगम सर्वेक्षण आणि स्पोकन इंग्लिश आणि प्रौढ साक्षरता’ या विषयावरील आयोजित कार्यशाळेत बोलत होते. आश्रम शाळेतील विद्यार्थ्यांना शासनामार्फत टॅब, निवास तसंच भोजन आणि विविध सुविधा उपलब्ध करुन दिल्या जात असल्याचं त्यांनी यावेळी सांगितलं. महाज्योतीच्या माध्यमातून पन्नास विद्यार्थ्यांना परदेशातील शिक्षणासाठी संधी उपलब्ध करुन दिली जात असून या सुविधेत वाढ करुन आता शंभर विद्यार्थ्यांना संधी मिळावी यासाठी शासनाकडे पाठपुरावा करणार असल्याचे मंत्री सावे यांनी यावेळी सांगितलं.
तेलंगाना चुनावों के एग्जिट पोल में बड़े उलटफेर का अनुमान, कामारेड्डी में केसीआर और रेवंत रेड्डी दोनों हार सकते हैं, जानें
हैदराबाद: विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल में सत्ता पर काबिज बीआरएस के बाहर होने के अनुमान सामने आया है। राज्य में कांग्रेस सरकार बनने की चर्चा के बाद टाइम्स नाउ-ईटीजी ने अपने वीआईपी सीट के एग्जिट पोल में बड़े उलटफेर का अनुमान व्यक्त किया है। इसमें कहा गया है कि तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) कामारेड्डी सीट से चुनाव हार सकते हैं। इस सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी उनके सामने ताल ठोक रहे हैं। एग्जिट पोल में अनुमान व्यक्त किया गया है कि इस सीट पर सबसे बड़ा उलटफेर हो सकता है। तेलंगाना सीएम और कांग्रेस स्टेट चीफ रेवंत रेड्डी दोनों चुनाव हार सकते हैं। इसकी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार केवी रमाना रेड्डी को बढ़त बताई गई है। अनुमान में कहा गया है यह सीट बीजेपी के खाते में जा सकती है। दो-दो सीटों से लड़े हैं दोनों दिग्गज तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर कामारेड्डी सीट के साथ सिद्दीपेट जिले की गजवेल से चुनाव मैदान में उतरे हैं। पिछली बार कामारेड्डी सीट बीआरएस ने जीती थी, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री यहां पर फंस गए हैं। यह सीट नार्थ तेलंगाना में आती है। केसीआर इस सीट से पहली बार लड़ रहे हैं। केसीआर के लड़ने का ऐलान के बाद रेवंत ने यहां से लड़ने का ऐलान कर दिया था। उनकी दूसरी सीट गजवेल हैं। केसीआर से यहां से मैदान में हैं। यहां से वे जीतते आ रहे हैं। केसीआर को यहां पर खुद के पुराने साथी और उनके पूर्व मंत्री इटाला राजेंद्र से टक्कर मिल रही है। वे बीजेपी के टिकट पर उनको चुनौती दे रहे हैं। टाइम्स नाउ-ईटीजी रिसर्च ने अपने प्रोजेक्शन में कामारेड्डी सीट पर केसीआर और रेवंत रेड्डी दोनों की हार का अनुमान लगाया है। सीएम केसीआर की तरह कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी कामारेड्डी के अलावा कोडांगल से भी चुनाव लड़ रहे हैं। तेलंगाना में कांग्रेस के जीतने पर रेवंत रेड्डी को सीएम पर का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। करीमनगर में फंस गए हैं BJP के संजय टाइम्स नाउ-ईटीजी रिसर्च ने जिस तरह के उलटफेर का अनुमान कामारेड्डी सीट को लेकर लगाया है। वैसा ही कुछ उलटफेर करीमनगर सीट पर होने के आसार है��। यहां से बीजेपी के बड़े बंदी संजय कुमार मैदान में हैं। इस सीज पर बीआरएस के उम्मीदवार के जीत का अनुमान लगाया है। यहां से गंगुला कमलाकर चुनाव जीत सकते हैं। इसके पीछे का कारण यह बताया जा रहा है कि मुस्लिमों ने बीआरएस को वोट किया है। इस सीट कांग्रेस को मुस्लिमों के वोट नहीं मिले हैं। http://dlvr.it/SzZp1x
Telangana:राज्यपाल से तनातनी! गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए सीएम के. चंद्रशेखर राव - Telangana Cm Chandrashekhar Rao Skips Republic Day Celebration In Raj Bhavan Governor Hyderabad
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव
– फोटो : फेसबुक/केसीआर
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गणतंत्र दिवस के मौके पर तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन ने हैदराबाद स्थित राजभवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। हैरानी की बात है कि इस कार्यक्रम में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव शामिल नहीं हुए। बता दें कि गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में राज्यपाल के साथ ही मुख्यमंत्री भी शिरकत करते हैं लेकिन तेलंगाना सीएम के…