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#गौतम बुद्ध की जीवनी
10lines-on · 10 months
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rimantsingh · 1 year
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बौद्ध धर्म में भगवान की परिभाषा और अवधारणा
बौद्ध धर्म में भगवान की परिभाषा और अवधारणा
मुक्ति के मार्ग के बारे में बौद्ध धर्म में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म होने के नाते यह भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के आधार पर कई परंपराओं और प्रथाओं को पूरा करता है। आइए इस लेख के माध्यम से बौद्ध धर्म में ईश्वर की अवधारणा को गौतम बुद्ध की जीवनी पर अवलोकन करके समझें और विश्लेषण करने का प्रयास करें कि क्या मोक्ष प्राप्ति में बौद्ध धर्म में पालन की जाने वाली धार्मिक प्रथाएं उचित हैं?
निम्नलिखित पर प्रकाश डाला जाएगा
बौद्ध धर्म की स्थापना किसने की?
बुद्ध ने वास्तव में दिव्य लोगों के बारे में क्या कहा?
बौद्ध धर्म में देवत्व
अनुयायी जो साम्यवाद की वकालत करते हैं
बौद्ध किसकी प्रार्थना करते हैं?
पागलपन का ढोंग: मानव बलिदान
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Gautam Buddha Ke Baare Mein
दोस्तों आज हम आपको Gautam Buddha Ke Baare Mein Puri Jankari In Hindi के बारे में बताने जा रहे है|जो दार्शनिक,धर्मगुरु,समाज -सुधारक,बौद्ध धर्म के संस्थापक थे| इस Article मे आप गौतम बुद्ध की जीवनी , Gautam Buddha Ki Life Story , Jivan Parichay , Jivni Hindi Me ya Bhgwan Gautam Buddha Biography In Hindi पढ़ने को पाएंगे !
Gautam  Buddha Ke Baare Mein Puri Jankari In Hindi
बौद्ध धर्म के संस्थापक Gautam Buddha का जन्म 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी ,नेपाल में हुआ था |इनके पिता का नाम शुद्धोधन था ,जो शाक्य राज्य कपिलवस्तु के शासक थे | इनकी माता का नाम माया देवी था |इनकी माता माया देवदह की राजकुमारी थी और कोलीय वंश से थी | एक बार रानी माया को रात में स्वप्न आया कि एक चमकता तारा स्वर्ग से  निकला जो पहले छह दांतों वाला एक हाथी देखा फिर वह हाथी सफेद गाय में बदल गया और वह आसमान से दाहिनी ओर से रानी के गर्भ में प्रवेश कर गया|रानी उसी रात गर्भवती हो गयी|रानी को अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हुआ|सुबह उठते रानी ने पूरा वृतांत राजा को सुनाया|
राजा ने एक स्वप्न- वाचक को बुलाया और उन्होंने राजा से कहा कि ''स्वप्न उत्तम है कर्क और सूर्य की उत्तम योग से रानी एक सुन्दर ,स्वस्थ पुत्र को जन्म देंगी जो मानव कल्याण के लिए जन्म लेगा और मानव जाति को अज्ञानता की दासता से मुक्त करेगा| प्रसव काल आते ही रानी अपने पिता के पास जाने के लिए निकल पड़ी धीरे -धीरे दोपहर होने लगी रानी ने सोचा विश्राम कर लेते है| तभी उन्हें प्रसव पीड़ा हुई और उन्हें एक सुन्दर पुत्र की प्राप्ति हुई |कहते है की जन्म के बाद उस बालक ने सात कदम चले जहाँ जहाँ बालक के कदम पड़े धरती से कमल के फूल निकलने लगे|जन्म के समय बालक के तन पर 32 सुभ लक्षण अंकित थे | उधर कुछ अमंगलसूचक चिन���हों ने उन्हें परेशान कर रखा था स्वप्न देखने वालो ने उनकी चिंताओ को दूर करते हुए कहा कि राजकुमार इस धरती पर शासन करेगा|
राजकुमार सात रत्नों से विभूषित होंगे | जो इसप्रकार होंगे :-
पहला : चक्र-रत्न -ईश्वरप्रदत्त चक्र,
दूसरा : अश्व -रत्न -वह स्वाभिमानी अश्व जो बादलों पर भी यात्रा कर सकता है ,
तीसरा : हस्ति -रत्न -जो बर्फ के समान वह श्वेत गज जो मनुष्य को लेकर तेज गति से चलता है ,
चौथा : जन्म से ही धैर्यवान,
पाचवा : नीति जानने वाला,
छठा : दीवाकर की तरह अजेय ,
सातवाँ : स्त्री रत्न -जिसे अत्यंत सुन्दर स्त्री प्राप्त हो|
यह सुनकर राजा खुश हो गए|राजा ने पूरे नगर में उत्सव की घोषणा करवा दी |उसी उत्सव के सुभ मुहूर्त पर राजकुमार का नामकरण हुआ|और राजकुमार का नाम सिद्धार्थ रखा गया जिसका अर्थ है ''जिसका जन्म सिद्धी प्राप्ति के लिए हुआ हो |
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rimantsingh · 1 year
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बौद्ध धर्म में भगवान की परिभाषा और अवधारणा
बौद्ध धर्म में भगवान की परिभाषा और अवधारणा
मुक्ति के मार्ग के बारे में बौद्ध धर्म में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म होने के नाते यह भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के आधार पर कई परंपराओं और प्रथाओं को पूरा करता है। आइए इस लेख के माध्यम से बौद्ध धर्म में ईश्वर की अवधारणा को गौतम बुद्ध की जीवनी पर अवलोकन करके समझें और विश्लेषण करने का प्रयास करें कि क्या मोक्ष प्राप्ति में बौद्ध धर्म में पालन की जाने वाली धार्मिक प्रथाएं उचित हैं?
निम्नलिखित पर प्रकाश डाला जाएगा
बौद्ध धर्म की स्थापना किसने की?
बुद्ध ने वास्तव में दिव्य लोगों के बारे में क्या कहा?
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lifestylechacha · 3 years
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चाणक्य के अनमोल विचार - Chanakya Niti in Hindi
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(चाणक्य निति) Chanakya Niti in Hindi :  चाणक्य महान विद्वान थे। जिन्होंने अपने अर्थशार के माध्यम से लोगों को अपने विचार नीति से प्रभावित किया। आज भी चाणक्य के बताई गई नीति बहुत ही लोगो के काम आती है। इन्होने अपने शब्दो को इस प्रकार बताया है कि कमजोर से कमजोर इंसान इनकी नीति को पढ़ कर आत्मविश्वासी जरूर होगा। चाणक्य जो विष्णुगुप्त व कौटिल्य के नाम से भी जाने जाते हैं। इन्होने ही अर्थशास्त्र नीतिशास्त्र की व्याख्या की थी। और यह शास्त्र चाणक्य नीति के नाम से प्रसिद्ध है। इनकी नीति कितनी ही पुरानी क्यूं न हो लेकिन आज भी उतनी ही जटिल व सटीक साबित होती है। चलिए दोस्तो जानते हैं चाणक्य के अनमोल विचारों को जो आपकी ज़िन्दगी में बदलाव लाने में मददगार साबित होंगे।   पढ़े... चाणक्य के अनमोल विचार (Chanakya Niti in Hindi) 👇  1. जो मेहनती है। वह मनुष्य कभी गरीब नहीं हो सकता। जो हमेशा ईश्वर को याद करते हैं उनमें किसी तरह का पाप नहीं होता। और वह मनुष्य दिमाग से जागा हुआ होता है। जो बिल्कुल निडर होता है। 2. विद्या ही वह धन है जो निर्धन का धन होता है, और यह ऐसा धन होता है। जिसे कभी कोई चुरा नहीं सकता और इसे जितना बाँटोगे उतना ही बढ़ता जाएगा। 3. किसी भी कार्य को करने से पहले खुद से यह सवाल करे, कि में यह क्यूं कर रहा हूं, इसका परिणाम क्या होगा , क्या मुझे इसमें सफलता हासिल होगी?  यह सब सोचने पर अगर आपको सही जवाब मिल जाए,  तो समझ लीजिए आप सही दिशा की ओर है। 4. जो इंसान श्रेष्ठ होता है। वह सबको एक समान मानता है। 5. कभी भी अपनी कमजोरियां दूसरो को नहीं बतानी चाहिए, ये आपके ल��ए ही अहितकारी हो सकता है। 6. आलसी मनुष्य का ना तो वर्तमान का पता लगता न ही भविष्य का पता चलता। 7. भाग्य भी उसी का नजर आता है। जो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक रहते हैं। 8. संकटकाल में हमेशा बुद्धि की ही परीक्षा होती है। और बुद्धि ही हमारे निरंतर काम आती है। 9. एक ही देश के शत्रु परस्पर मित्र होते हैं। उनमें घनिष्ट सम्बन्ध होता है। 10. मन में सीचे हुए कार्य को किसी के सामने व्यक्त करने से अच्छा है उस कार्य को मन में रख कर ही पूरा करना चाहिए। 11. यदि आपके जीवन में कोई परेशानी नहीं है। फिर भी आप सचेत रहे। मुसीबतों को अपनी जिंदगी में आने न दे। यदि आपके जीवन में कोई परेशानी आ भी जाती है तो उस परेशानी से जल्दी बाहर निकलने की कोशिश करे। 12. ऐसे लोगो की मदद करना बेहद खराब है। जो हमेशा नकारात्मक रहते हैं। क्यूंकि हमेशा उनकी बुद्धि नकारात्मक रहने से खुद को अपनी वर्तमान स्थिति को या फिर आपको सभी को दोषी मानकर उदास रहते हैं और अपने लक्ष्य से पीछे हटने लगते हैं। 13. अगर कोई बुद्धिमान व्यक्ति किसी मूर्ख व्यक्ति को समझने का प्रयास कर रहा है, तो इसका मतलब यह है कि वह खुद के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। 14. हमेशा खुश रहना दुश्मनों के दुखो का कारण बनता है, और उनका खुश रहना उनके लिए सबसे बड़ी सजा है। 15. इंसान हमेशा अपने गुणों के कारण ऊंचा होता है, ऊंचे स्थान पर बैठने से इंसान ऊंचा नहीं हो जाता। 16. दूसरे इंसान के धन का लालच करना ही नशे का कारण बन जाता है। 17. शिक्षा ही हमारा सबसे बड़ा मित्र है। क्यूंकि शिक्षित मनुष्य का हर जगह आदर-सम्मान होता है। 18. जिस प्रकार सर्प के फ़न में और बिच्छू के डंक में विष होता है, उसी प्रकार एक बुरे व्यक्ति के दिमाग़ में भी विष भरा होता है। 19. किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किसी भी शत्रु का साथ नहीं लेना चाहिए। वरना हमें उसके सामने जीवन भर झुकना पड़ता है। 20. फूलों की सुगंध जिस तरह हवा में फैलती है, उसी प्रकार अच्छे मनुष्य की अच्छाई चारो दिशा में फैलती है। 21. मनुष्य को कभी भी अतीत के बारे मैं सोच कर पछताना नहीं चाहिए। ना ही भविष्य के बारे मैं चिंता करनी चाहिए। विवेकशील व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीता है। 22. मनुष्य को दूसरो की गलतियों से भी सीखते रहना चाहिए। क्यूंकि अपने ही ऊपर प्रयोग करने से उम्र कम पड़ सकती हैं। 23. भाग्य पहले से ही लिखा जा चुका है। तो कोशिश करने से क्या होगा? क्या पता किस्मत में लिखा हो कोशिश करने से मिलेगा। 24. नसीब को मान कर चलना। अपने खुद के पैरो पर कुल्हाड़ी मारने की तरह है। ऐसे इंसान को बर्बाद होते समय नहीं लगता है। 25. अच्छा आचरण 'दुःखो'  को मिटाता है। विवेक 'अज्ञान' को मिटाता है। अधिक जानकारी 'भय' को मिटाती है। 🙏🙏🙏🙏 ये भी पढ़े 👇 सम्राट अशोक जीवनी (Samrat Ashoka Hindi biography) सावित्री बाई फुले जीवनी (Savitribai Phule Biography in Hindi) डॉ. भीम राव अम्बेडकर जीवनी (Ambedkar Hindi Biography) गौतम बुद्ध जीवनी (Gautam Buddha Hindi Biography) Read the full article
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lifestylechacha · 3 years
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सावित्री बाई फुले की जीवनी - Savitri Bai Phule Biography in Hindi
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Savitribai Phule Biography in Hindi :  सावित्री बाई फुले देश की प्रथम शिक्षित महिला व समाज सुधारिका थी। जिन्होंने महिलाओं के अधिकार व खास तौर पर महिलाओं की शिक्षा के अधिकार के प्रति अपनी अहम भूमिका निभाई। सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 महाराष्ट्र के सतारा जिले के गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम खंदोजी नेवसे था। और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्री बाई फुले मराठी कवित्री भी थी। इन्होने शिक्षित होकर देश की घिनौनी कुरीति पर भी आवाज उठाई साथ ही महिलाओं के लिए शिक्षा के दरवाजे भी खोले। सावित्री बाई फुले और उनके पति ज्योतिबा फुले दोनों ने मिल कर समाज के उत्थान के लिए एक ही साथ मिलकर कार्य किया। साथ ही दोनों ने मिलकर सामाजिक कुप्रथाओं जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह अंधविशवासों के प्रति कड़ा संघर्ष किया। सावित्री बाई फुले का विवाह व शिक्षा। सावित्री बाई का विवाह ज्योतिबा फुले के साथ हुआ था। जब ज्योतिबा फुले 12 वर्ष के थे, और सावित्री बाई फुले 9 वर्ष की थी, तभी इनका विवाह हुआ था। जब सावित्री बाई का विवाह हुआ, तो वह बिल्कुल भी पढ़ी लिखी नही थी। लेकिन फिर भी वह पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें नहीं पढ़ाया। लेकिन शादी के बाद उन्हें ज्योतिबा फुले पढ़ाया करते थे। जब उनके पिता को पता चला कि वह सावित्री बाई को पढ़ाते हैं तो उन्होंने समाज के डर से उन्हें घर से निकाल दिया। फिर भी उन्होंने हिम्मत ना हारते हुए सावित्री बाई को आगे की पढ़ाई करने के लिए उनका एडमिशन प्रशिक्षित स्कूल में करवाया। इस दौरान उन्होंने समाज का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की। इस दौरान कई महिलाओं ने भी पढ़ाई की।   सावित्री बाई का नारी शिक्षा के प्रति योगदान। सावित्री बाई फुले और उनके पति दोनों ने मिलकर 1848 में पुणे में बालिका विद्यालय की स्थापना की थी। जिसमें 18 स्कूलों का निर्माण किया। और सावित्री बाई को इस विद्यालय की अध्यापिका बनाया गया। केवल इस विद्यालय में 9 बालिकाओं ने एडमिशन लिया था। सावित्री बाई जब भी इस विद्यालय में लड़कियों को पढ़ाने जाती थी। तो उन्हें समाज वाले लोग बहुत सताया करते थे उनके ऊपर गोबर फेकते, इट पत्थर फेकते, उनका बहुत बुरी तरह अपमान करते, लेकिन इसके बाद भी सावित्री बाई फुले कभी पीछे नहीं हटी और लगातार शिक्षा देती रही। और नारी शिक्षा के प्रति अपना पूरा योगदान दिया।   सामाजिक कार्य। साथ ही उन्होंने समाज का सामना करते हुए विधवा विवाह पर भी आवाज उठाई। साथ ही 1854 में उन्होंने विधवा आश्रम की स्थापना की। सती प्रथा को रोकने के लिए भी कड़े कदम उठाए। विधवा का पुनर्विवाह करने के लिए बहुत संघर्ष किया। और कन्या भ्रूण हत्या पर भी प्रतिबंध लगाने पर कड़ा विरोध किया साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए गृह नामक केयर सेंटर की स्थापना की जिसमे महिलाओं को कन्या को जन्म देने और उनका पालन पोषण की सुविधा का प्रबंध किया। सावित्री बाई फुले ने महिलाओं को अपने जीवन के प्रति जागरूक करने के लिए महिला सेवा मंडल की भी स्थापना की।   सावत्री बाई का भारत में सम्मान। सावित्री बाई को भारत देश में प्रथम शिक्षित महिला के रूप में जाना जाता है। उनके सम्मान में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदल कर उसके स्थान पर सावित्री बाई फुले विश्वविद्यालय रखा गया। और 2018 में सावित्री बाई फुले की जीवनी पर कन्नड़ भाषा में फिल्म बनाई गई।   सावित्री बाई फुले की लिखी गई पुस्तक। 1 बावनकशी सर्वोधरत्नाकर। 2 काव्य फुले।   सावित्री बाई का निधन। सावित्री बाई फुले का निधन 1897 में जब पुणे में भयंकर प्लेग की बीमारी चली इस दौरान रोगियों की सेवा करते-करते वह भी प्लेग की चपेट में आ गई और उनका निधन हो गया।   मूल्यांकन वाकई उस जमाने में यह सब कार्य करना वो भी एक स्त्री के लिए बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन फिर भी सावित्री बाई ने पूरी हिम्मत के साथ स्त्री पर हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। और महिलाओं की शिक्षा उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए बहुत ही कड़ा विरोध किया। आज सभी महिलाएं इनकी वजह से शिक्षा ग्रहण कर रही है। इसलिए हर भारतीय युवा पीढ़ी को इनके बारे में जरूर जानना चाहिए। और आने वाली पीढ़ी को भी सावित्री बाई फुले और महात्मा ज्योतिबा फुले के बारे में जरूर बताना चाहिए जिससे सभी को सीख मिल सके। 🙏🙏🙏🙏 ये भी पढ़े 👇 ज्योतिबा फुले जीवनी (Jyotiba Phule Hindi Biography) डॉ. भीम राव अम्बेडकर जीवनी (Ambedkar Hindi Biography) गौतम बुद्ध जीवनी (Gautam Buddha Hindi Biography) सम्राट अशोक जीवनी (Samrat Ashoka Hindi biography) Read the full article
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