इमारत ए शरिया पहुंचे लालू यादव,कहा:4 जून को बनेगी इंडिया की सरकार
पटना:बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपनी बेटियों की जीत के लिए कोई भी कोर कसर बाकी रखना नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि एक तरफ जहां अपनी बेटी रोहिणी आचार्य के लिए उन्होंने सारण में कैंप किया वहीं अब बड़ी बेटी डॉक्टर निशा भारती को पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीत दिलाने के लिए भी मोर्चा संभाल लिया है। इसी कड़ी में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव मंगलवार को…
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पटना /मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व मंत्री चंद्रिका राय पर जताया भरोसा, दी अपने नये कार्यकारिणी में जगह- पार्टी को दे रहे हैं मुख्यमंत्री "धार"
प्रियंका भारद्वाज : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू की राज्यस्तरीय बैठक में सूबे के JDU को मजबूत और निगरानी हेतु कुल 68 प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों मनोनित किया है।CM के निर्देश पर सदस्यों में कई सांसद,मंत्री,पूर्वमंत्री,विधान पार्षद,विधायक,पूर्व विधायक सहित कई राजनेता मनोनित किए गए है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा परसा विधानसभा क्षेत्र के बजहिया निवासी सह बिहार सरकार के पूर्वमंत्री…
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Brahmin Saansadon ka Bhaaratiya Raajaniti Mein Badhata Dabdaba
भारत की राजनीति में जाति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। समय के साथ कई जातियों और वर्गों ने सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत की है। इन्हीं जातियों में ब्राह्मण समुद��य भी एक प्रमुख भूमिका में रहा है। "भारत में ब्राह्मण सांसद" इस बात का प्रमाण है कि भारतीय लोकतंत्र में यह जाति सदियों से प्रभावी भूमिका निभाती आई है। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम का दौर हो या आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था, ब्राह्मण समाज ने सत्ता के विभिन्न स्तरों पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है।
ब्राह्मणों का ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व
भारतीय समाज में ब्राह्मणों का स्थान सदियों से ऊँचा माना जाता रहा है। उन्हें विद्या, धर्म, और नीति का संरक्षक माना गया है। प्राचीन समय से ही यह समुदाय राजा और शासकों के सलाहकार की भूमिका में रहा है। वे न केवल धार्मिक कार्यों में अग्रणी रहे, बल्कि नीति-निर्धारण और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
आधुनिक भारत में भी ब्राह्मणों ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर संविधान सभा तक अपनी पहचान बनाई है। महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, और गोविंद बल्लभ पंत जैसे प्रमुख नेताओं का संबंध ब्राह्मण समुदाय से रहा है, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वतंत्रता के बाद से भारत में ब्राह्मण सांसदों की संख्या और उनका प्रभाव लगातार बना हुआ है, हालांकि यह समय-समय पर घटता-बढ़ता रहा है।
ब्राह्मण सांसदों की वर्तमान स्थिति
भारत में ब्राह्मण सांसदों की स्थिति समय के साथ बदलती रही है। 1950 और 1960 के दशक में, जब कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व था, तब ब्राह्मण नेता भारतीय राजनीति में शीर्ष पर थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक, कई प्रमुख नेता ब्राह्मण समाज से थे। लेकिन समय के साथ, विशेष रूप से 1980 के दशक के बाद, मंडल आयोग और पिछड़ी जातियों के आरक्षण के बाद, जातिगत राजनीति ने एक नया मोड़ लिया।
हालांकि, इसके बावजूद, आज भी संसद और राज्य विधानसभाओं में ब्राह्मण सांसदों का महत्वपूर्ण स्थान है। वे न केवल बड़े राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता बने हुए हैं, बल्कि कई राज्यों में मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी आसीन हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ब्राह्मण सांसदों की संख्या और प्रभाव आज भी चर्चा का विषय बना रहता है।
जातिगत समीकरण और ब्राह्मणों का दबदबा
भारत में जातिगत राजनीति ने हमेशा चुनावी समीकरणों को प्रभावित किया है। पिछले कुछ दशकों में, पिछड़ी जातियों और दलितों के उभरने के बावजूद, ब्राह्मण समुदाय ने अपनी पकड़ बनाए रखी है। इसका कारण यह है कि ब्राह्मण नेता उच्च राजनीतिक सूझ-बूझ और व्यापक प्रशासनिक अनुभव के कारण विभिन्न दलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
ब्राह्मण नेताओं का महत्व इस बात में भी देखा जा सकता है कि जब किसी भी पार्टी को चुनाव जीतने के लिए जातिगत समीकरणों की जरूरत होती है, तब ब्राह्मण समाज को नजरअंदाज करना कठिन होता है। भाजपा, कांग्रेस, और अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों ने समय-समय पर ब्राह्मण नेताओं को अपने शीर्ष पदों पर बिठाया है ताकि ब्राह्मण मतदाताओं का समर्थन प्राप्त किया जा सके।
विभिन्न राज्यों में ब्राह्मणों का प्रभाव
उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ब्राह्मण सांसदों का महत्वपूर्ण प्रभाव है। उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा राज्य है, वहां के चुनावी समीकरण जातिगत आधार पर तय होते हैं। यहां पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अधिक है, और इसलिए, चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, सभी पार्टियां ब्राह्मण नेताओं को टिकट देने में पीछे नहीं रहतीं।
बिहार में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। यहां जातिगत समीकरण में ब्राह्मणों का महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य में जब चुनाव होते हैं, तो ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए राजनीतिक पार्टियां अपने प्रमुख नेताओं के रूप में ब्राह्मणों को पेश करती हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और भाजपा दोनों ने ब्राह्मण समुदाय से कई महत्वपूर्ण नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है।
ब्राह्मण सांसदों की भूमिका और चुनौतियाँ
हालांकि ब्राह्मण सांसदों का दबदबा आज भी बरकरार है, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ जहां पिछड़ी जातियों और दलितों का राजनीतिक सशक्तिकरण हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ ब्राह्मण नेताओं को जातिगत राजनीति के भीतर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।
इसके अलावा, मंडल आयोग के बाद से ब्राह्मणों की राजनीतिक स्थिति कुछ हद तक कमजोर हुई है, क्योंकि आरक्षण नीति ने पिछड़ी जातियों को अधिक अवसर प्रदान किए हैं। फिर भी, ब्राह्मण सांसदों ने अपनी राजनीतिक कौशल और कूटनीति से अपने लिए एक मजबूत आधार बनाए रखा है।
भविष्य में ब्राह्मणों की भूमिका
भारत में ब्राह्मण सांसदों की भूमिका भविष्य में भी महत्वपूर्ण बनी रहेगी। हालांकि राजनीति का जातिगत समीकरण समय-समय पर बदलता रहेगा, लेकिन ब्राह्मण नेताओं की बौद्धिक और संगठनात्मक क्षमता के कारण उनका स्थान हमेशा खास रहेगा। वर्तमान समय में जब राजनीति का ध्रुवीकरण हो रहा है, तब ब्राह्मण समुदाय को अपनी एकता और प्रभाव को बनाए रखना होगा।
इसके अलावा, ब्राह्मण समाज को सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अधिक संवेदनशील और प्रगतिशील होना पड़ेगा, ताकि वे बदलते भारत के साथ तालमेल बिठा सकें। अगर वे इन चुनौतियों का सामना कर पाते हैं, तो निश्चित रूप से भारत में ब्राह्मण सांसदों का प्रभाव भविष्य में भी बरकरार रहेगा।
निष्कर्ष
"भारत में ब्राह्मण सांसद" एक ऐसा विषय है जो भारतीय राजनीति के कई आयामों को छूता है। ब्राह्मणों का दबदबा केवल जातिगत समीकरणों के आधार पर नहीं है, बल्कि यह उनकी राजनीतिक कुशलता, शिक्षा, और अनुभव के कारण भी है। हालांकि, बदलते सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में ब्राह्मण नेताओं को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उनके ऐतिहासिक और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारतीय राजनीति में ब्राह्मण सांसदों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण बनी रहेगी।
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jamshedpur bjm meeting : जदयू में सरयू राय के शामिल होने के बावजूद भाजमो की बैठकों का दौर जारी, भाजमो ने बारीडीह में बैठक कर चुनावी तैयारी की
जमशेदपुर : भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में विधायक सरयू राय के शामिल होने के बावजूद भारतीय जनतंत्र मोर्चा (भाजमो) का अपना कार्यक्रम जारी है. दरअसल, पार्टी के विलय को लेकर अब तक फैसला नहीं हुआ है. अकेले सरयू राय पार्टी में शामिल हुए है. लेकिन उनकी पार्टी भाजमो लगातार मीटिंग कर रहा है. भारतीय जनतंत्र मोर्चा बारीडीह मंडल सेक्टर 3 की बूथ समिति गठन हेतु महत्वपूर्ण बैठक बारीडीह मंडल…
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Sanjay Jha : जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने संजय झा
Sanjay Jha : दिल्ली में जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संजय झा को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। बता दें कि इस दौरान सीएम नीतीश कुमार और पार्टी के सभी शीर्ष नेता मौजूद रहे। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। दिल्ली के कॉस्टिट्यूशनल क्लब में हुई जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव खुद सीएम नीतीश कुमार…
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Lok Sabha Result 2024 Live: नीतीश-तेजस्वी एक साथ दिल्ली आ रहे; मायावती ने हार के लिए इन्हें जिम्मेदार ठहराया
Results of Lok Sabha for 2024, नीतीश-तेजस्वी दिल्ली रवाना|
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक ही विमान से दिल्ली आ रहे हैं। दोनों की बैठकें आज दिल्ली में होनी हैं। नीतीश भाजपा नीत एनडीए और तेजस्वी इंडि गठबंधन का हिस्सा हैं।
मायावती ने मुस्लिम समाज पर फोड़ा हार का ठीकरा |
लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी को हुए भयंकर नुकसान के बाद पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बसपा द्वारा उचित प्रतिनिधित्व देने के बाद भी मुस्लिम समाज ने हमारा साथ नहीं दिया ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच समझकर ही मौका दिया जाएगा। चुनाव में हुए नुकसान पर उन्होंने कहा कि हम इसका गहन विश्लेषण करेंगे और देश के करोड़ों, गरीबों, दलितों, शोषितों, आदिवासियों, पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए काम करते रहेंगे जिससे उनकी सुरक्षा व सम्मान पर मंडराता खतरा दूर हो।
Live Lok Sabha Result 2024: एनडीए-I.N.D.I.A. के घटक दल आज अलग-अलग करेंगे बैठक|
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सभी घटक दलों ने भाजपा को आश्वासन दिया है कि वे सरकार बनाने में पार्टी का साथ देंगे। जानकारी के मुताबिक, चार बजे एनडीए के घटक दलों की महत्वपूर्ण बैठक होगी। इस बैठक में सरकार बनाने को लेकर चर्चा होगी। जदयू, लोजपा, टीडीपी, जदएस और शिवसेना दिल्ली में बुधवार को होने वाली एनडीए की बैठक में शामिल होंगे।
वहीं, विपक्षी इंडि गठबंधन भी अपनी बैठक करेगा। यह बैठक शाम छह बजे होगी।उन्होंने बताया था कि इंडि गठबंधन कल यानी की बुधवार को दिल्ली में एक बैठक करेगा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी (राकांपा-एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को ही इस बारे में जानकारी दी थी।
Lok Sabha Result 2024 Live: केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक |
लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद बुधवार सुबह केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक आम चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद सुबह साढ़े 11 बजे शुरू होगी। इस दौरान मौजूदा लोकसभा को भंग करने की सिफारिश की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर बैठक बुलाई है। जिसका कार्यकाल 16 जून को समाप्त हो रहा है। इसमें 17वीं लोकसभा को भंग करने की सिफारिश किए जाने की संभावना है,
Lok Sabha Result 2024 Live: नीतीश-तेजस्वी एक साथ दिल्ली आ रहे; मायावती ने हार के लिए इन्हें जिम्मेदार ठहराया|
Lok Sabha Election Result 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की स्थिति में आ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने देश में 240 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा नीत राजग को लोकसभा में बहुमत मिल गया है। अब सरकार के गठन के लिए उसे राजग के अपने सहयोगियों के समर्थन की जरूरत होगी। इससे पहले पार्टी ने 2019 में 303 और 2014 में 282 सीटें जीती थीं। पार्टी बहुमत के 272 के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई है।
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पार्टी ऑफिस में आकर पता नही कौन दे गया 1-1 करोड़ के 10 चुनावी बॉन्ड; जेडीयू
पार्टी ऑफिस में आकर पता नही कौन दे गया 1-1 करोड़ के 10 चुनावी बॉन्ड; जेडीयू
JDU Electoral Bonds: इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े सामने आने के बाद एक से एक दिलचस्प जानकारी सामने आई है। बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू ने कहा कि उसकी पार्टी की ऑफिस में आकर कोई 1-1 करोड़ का 10 बॉन्ड देकर गया था। वो व्यक्ति कौन था, इसकी जानकारी पार्टी को नहीं है। हालांकि नीतीश कुमार की पार्टी ने इसे जरूर भूना लिया।
जदयू को किसने दिया इलेक्टोरल बॉन्ड
निर्वाचन आयोग ने रविवार को जैसे ही विभिन्न…
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बहुत - बहुत आभार एवं धन्यवाद आदरणीय अध्यक्ष श्री Umesh Singh Kushwaha जी, पार्टी और आपने जिस विश्वास के साथ यह दायित्व दिया है उसे तन-मन-धन लगा कर पूरा करूँगा और विश्वास दिलाता हूँ दल को आगामी चुनाव के दृष्टिकोण से मजबूत कर अपने नेता आदरणीय श्री Nitish Kumar जी के हाथों को मजबूत करूँगा - डॉ. चन्दन कुमार यादव - प्रदेश सचिव सह संगठन प्रभारी नवादा - जनता दल यूनाइटेड, बिहार
#जनता_दल_यूनाइटेड #नीतीश_कुमार #शुभकामनाएं #Nitishkumar #JDU #जदयू #डॉ_चन्दन_यादव_जदयू
#डॉ_चन्दन_कुमार_यादव_232_बेलागंज_विधानसभा_गया
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Mission 2024-बीजेपी में बदलाव का दौर, चार राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी ने आज कई संगठनात्मक बदलाव किए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आज तीन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के नाम को घोषणा की है। इनमे बिहार में पार्टी ने सम्राट चौधरी को बड़ा जिम्मा सौंपते हुए प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। सम्राट कभी लालू के करीबी रहे तो कभी जदयू में रहते मांझी खेमे के पक्ष में रह नीतीश के खिलाफ बोला। फिलहाल वह भाजपा में हैं और सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम…
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पटना @प्रबुद्ध जनता - जदयू से अलग होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन किया। इसके बाद उन्होंने बिहार में विरासत बचाओ यात्रा शुरू कर दी। वहीं रालोजद प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को केंद्र सरकार की तरफ़ से वाई प्लस सिक्योरिटी दी गई है।
उपेंद्र कुशवाहा को वाई प्लस सिक्योरिटी मिलने के बाद संभावनाओं की सियासत पर भी चर्चा शुरू हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ़ से उपेंद्र कुशवाहा को सुरक्षा प्रदान करने के लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं। 3 अलग-अलग शिफ्टों में CRPF के 11 कमांडो विशेष आधुनिक हथियारों से तैनात रहेंगे। इनमें दो PSO भी शामिल हैं। 2024 लोकसभा चुनाव 2024 से सुरक्षा प्रदान किए जाने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
नीतीश कुमार से किनारा करने के बाद उपेंद्र कुशवाहा अभी प्रदेश भर में विरासत बचाओ यात्रा के तहत राज्य सरकार पर हमलावर हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर उपेंद्र कुशवाहा अपनी नई पार्टी की सियासी ज़मीन मज़बूत कर रहे हैं, इसके साथ मुख्यमंत्री ही नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर हमला बोल रहे हैं।
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तेजस्वी यादव का पीएम मोदी पर निशाना,कहा:आप भैंस, मंगलसूत्र के रास्ते 'मुजरा' तक पहुंच गए,ये अच्छी बात नहीं
Tejashwi Yadav letter To PM Modi: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी को लंबा चौड़ा एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने संविधान और आरक्षण समेत कई मुद्दों को उठाया है. ये पत्र उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि आप ‘भैंस’, ‘मंगलसूत्र’ के रास्ते होते हुए ‘मुजरा’ तक की शब्दावली पर आ गए। अब आपसे अपेक्षा नहीं है कि आप अपने पद की गरिमा…
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PANTA /JDU बैठक के बाद मंत्री बिजेंद्र यादव ने पलटा अपना बयान, कहा मजाक में कह दिया था कि "मै पार्टी में नहीं हूँ"
प्रियंका भारद्वाज /पटना, 16 सितंबर 2024। जदयू की आज की बैठक के बाद मंत्री बिजेंद्र यादव अपने पूर्व बयान से पलटते नजर आये । बैठक के दौरान मंत्री यादव ने दावा किया था कि वे जनता दल (यूनाइटेड) में नहीं हैं और जदयू कार्यालय में अपनी उपस्थिति पर सवाल उठाया था।बिजेंद्र यादव ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए अपने पहले के बयान को मजाक का हिस्सा बताया और कहा कि वे किसी भी प्रकार से नाराज नहीं…
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बिहार के मुख्यमंत्री अतिपिछड़ा विरोधी है-उपेंद्र कुशवाहा
पटना। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और उनकी ही पार्टी जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बीच जारी जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रहा है। उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को पार्टी नेतृत्व पर हमला करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अतिपिछड़ा विरोधी है। उन्होंने अति पिछड़ा समाज के नेता को मंत्री तो बनाया लेकिन उसपर भरोसा नहीं करते है।अधिकारी ही विभाग चलाते हैं। नीतीश सरकार में मंत्रियों को चपरासी के…
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बिहार की सियासत का मौसम वैज्ञानिक 2.0, इसके आगे नीतीश-तेजस्वी-PK सब फेल!
पटना: बिहार की सियासत को भांपना इतना आसान नहीं है। बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी धोखा खा जाते हैं। दरअसल बिहार की राजनीति में जो होता है वो दिखता नहीं और जो दिखता है वो होता नहीं। 2015 विधानसभा चुनाव को ही याद कर लीजिए। करीब-करीब सभी एग्जिट पोल बिहार में बीजेपी की सरकार बनते दिखा रहे थे। लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी से ज्यादा झटका एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों को लगा। खैर, इन सबके बीच बिहार में एक नेता ऐसे भी थे जिन्हें पहले ही पता चल जाता था कि सियासी ऊंट किस करवट बैठने वाला है। वो थे रामविलास पासवान, लेकिन अब लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बिहार में एक नए मौसम वैज्ञानिक की एंट्री हो चुकी है।
बिहार का मौसम वैज्ञानिक 2.0
इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको बिहार चुनाव का एग्जिट पोल समझना होगा। रिपब्लिक भारत-मैट्रिज के एग्जिट पोल के मुताबिक बिहार में एनडीए को 32 से 37 सीट मिलने का अनुमान है। जबकि, इंडिया गठबंधन के खाते में 2 से 7 सीट आ सकती है। एक्सिस-माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक बिहार में एनडीए को 29-33 सीट मिल सकती है। जबकि, इंडिया गठबंधन के खाते में 7-10 सी��� आ सकती है। इसमें भाजपा को 13-15, जदयू को 9-11, कांग्रेस को 1-2 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है। लोजपा (रामविलास) को 5 सीट मिलने की बात कही गई है। आज तक के एग्जिट पोल में भाजपा को 13-15 सीट मिलने का अनुमान है। जबकि, जदयू को 9-11 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को 5 और राजद को 6-7 सीट मिल सकती है। कांग्रेस को 1-2 सीट मिलने का अनुमान है। अन्य के खाते में भी दो सीट जाने की संभावना है।
अब समझिए मौसम वैज्ञानिक 2.0 का फॉर्म्युला
ऊपर दिए गए एग्जिट पोल के नतीजों को पढ़ लीजिए, क्योंकि हिंट उसमें ही है। वैसे जिस वक्त दोनों गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर माथा पच्ची चल रही थी। उसी बीच इस मौसम वैज्ञानिक 2.0 ने न सिर्फ अपनी सीटें तय कर लीं, बल्कि वहां के लोकसभा प्रभारी भी नियुक्त कर दिए। जब तक सीट बंटवारा तय होता, मौसम वैज्ञानिक इन सीटों पर आधी से ज्यादा तैयारी कर चुका था। सियासी पंडित इसके हिस्से कुछ सीटों का अनुमान लगा रहे थे। लेकिन जैसे कि इसे सबका पहले से आभास था, इसने अपनी चुनिंदा सीटों पर ही किलेबंदी कर दी। आखिर में हुआ भी वही, सारे अनुमान धरे के धरे रह गए।
जानिए कौन है सियासी मौसम वैज्ञानिक का लेटेस्ट वर्जन
मौसम वैज्ञनिक 2.0 ने न सिर्फ अपनी 5 सीटों को हासिल कर लिया बल्कि अब एग्जिट पोल के नतीजे भी उसी के पक्ष में हैं। फायदा-नुकसान किसी का हो, लेकिन उसकी पांच सीटों पर करीब-करीब सारे एग्जिट पोल एक ही बात बता रहे हैं कि जीत की संभावना उसी की है। अब काफी हद तक आप समझ गए होंगे कि ये मौसम वैज्ञानिक 2.0 कौन है। ये है लोजपा रामविलास के चीफ चिराग पासवान। पूरे एग्जिट पोल में अगर किसी पार्टी की जय-जय है तो वो है चिराग की पार्टी, क्योंकि उसका स्ट्राइक रेट सबसे टॉप पर है, 5 में 5। चिराग ये साबित करने के कगार पर पहुंच गए हैं कि पिता के बाद अगर सच में कोई सियासी मौसम वैज्ञानिक है तो वो खुद बेटा। http://dlvr.it/T7jp2M
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Jamshedpur mla saryu roy : विधायक सरयू राय जनता दल यूनाइटेड में जाने के बाद मीडिया से की बात, जमशेदपुर पूर्वी से लड़ेंगे चुनाव या नहीं इस पर यह कहा, देखे - video
जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू रॉय के जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में शामिल होने के बाद उनका समर्थको ने स्वागत किया. उन्होंने जमशेदपुर में पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि उनका ज्वाइनिंग करीब 10 दिनों पहले ही हुई थी. उन्होंने बताया कि बिना शर्त उनकी ज्वाइनिंग हुई है. जमशेदपुर पूर्वी सेल चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह अब जनता दल यूनाइटेड में है, लिहाजा अब पार्टी को ही…
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Analysis on the Lok Sabha Election: यह जनादेश किसकी जीत किसकी हार? 10 साल बाद लौट रहा गठबंधन सरकार का दौर
Analysis of the Lok Sabha Elections: #1 इस जनादेश के क्या मायने हैं?
एनडीए को 400 पार और पार्टी को 370 पार ले जाने की भाजपा की रणनीति कामयाब नहीं हो पाई।.
जनादेश बताता है कि गठबंधन की अहमियत का दौर 10 साल बाद फिर लौट आया है। भाजपा के पास अकेले के बूते अब वह आंकड़ा नहीं है, जिसके सहारे वह अपना एजेंडा आगे बढ़ा सके।
जनादेश ने साफ कर दिया कि सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के भरोसे रहने से भाजपा का काम नहीं चलेगा। उसके निर्वाचित सांसदों और राज्य के नेतृत्व को भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा।
एग्जिट पो���्स की भी हवा निकल गई। 11 एग्जिट पोल्स में एनडीए को 340 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। तीन सर्वेक्षणों में तो एनडीए को 400 लोकसभा सीटें मिलने का अनुमान था। रुझानों/नतीजों में एनडीए उससे तकरीबन 100 सीट पीछे है।
2# क्या इसे सत्ता विरोधी लहर कहेंगे?
1999 में 182 सीटें जीतने वाली भाजपा जब 2004 में 138 सीटों पर आ गई तो उसने सत्ता गंवा दी। उसके पास स्पष्ट बहुमत 1999 में भी नहीं था और उससे पहले भी नहीं था। 2009 में कांग्रेस इससे बढ़कर 206 सीटों पर पहुंच गई, लेकिन 2014 में 44 पर सिमट गई। इसे स्पष्ट तौर पर यूपीए के लिए सत्ता विरोधी लहर माना गया। फिर भी यह माना गया कि जनादेश भाजपा के 'फील गुड फैक्टर' के विरोध में था।वहीं, 2004 में भाजपा से महज सात सीटें ज्यादा यानी 145 सीटें जीतकर कांग्रेस ने यूपीए की सरकार बना ली।
हालांकि,यहां भाजपा 34-35 सीटों पर सिमटती दिख रही है, जबकि 2014 में यहां भाजपा ने 71 और 2019 में 62 सीटें जीती थीं। जब उत्तर प्रदेश जैसे सबसे अहम राज्य के नतीजे देखते हैं तो तस्वीर इस बार अलग नजर आती है। सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को इसी राज्य से हुआ है।
3# क्या कम मतदान ने भाजपा की सीटें घटा दीं और कांग्रेस-सपा की बढ़ा दीं?
वैसे तो इस बार लोकसभा चुनाव के शुरुआती छह चरण में ही पिछली बार के मुकाबले ढाई करोड़ से ज्यादा वोटरों ने मतदान किया था।क्योंकि भाजपा को पसंद करने वाले वोटरों ने तेज गर्मी के बीच संभवत: खुद ही यह मान लिया कि इस बार भाजपा की जीत आसान रहने वाली है। फिर भी मतदान का प्रतिशत कम रहा। इसके ये मायने निकाले जा रहे हैं|इसलिए वोटरों का एक बड़ा तबका वोट देने के लिए निकला ही नहीं। कि भाजपा अब की पार 400 पार के नारे में खुद ही उलझ गई। उसके वोट इसलिए नहीं बढ़े |
4# तो यह किसकी जीत, किसकी हार?
यह BJP की स्पष्ट जीत नहीं है। यह NDA की जीत ज्यादा है। आंकड़ों की दोपहर तक की स्थिति को देखें तो यह माना जा सकता है| नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू, दोनों ही अतीत में एनडीए से अलग हो चुके हैं।इंडी गठबंधन की बात करें तो यह उसकी स्पष्ट जीत कम और बड़ी कामयाबी ज्यादा है। इन दोनों दलों के बारे में यह कहना मुश्किल है कि ये भाजपा के साथ पूरे पांच साल बने रहेंगे या नहीं। कि पूरे पांच साल भाजपा गठबंधन के सहयोगियों खासकर जदयू और तेदेपा के भरोसे रहेगी। राज्य के लिए विशेष पैकेज और केंद्र और प्रदेश की सत्ता में भागीदारी के मुद्दे पर इनके भाजपा से मतभेद के आसार ज्यादा रहेंगे। यह गठबंधन 200 का आंकड़ा आसानी से पार कर रहा है। इसके ये सीधे तौर पर मायने हैं कि अगले पांच साल विपक्ष केंद्र की राजनीति में मजबूती से बना रहेगा। क्षेत्रीय दल देश की राजनीति में अपरिहार्य बने रहेंगे।
5# मुकाबला भाजपा बनाम विपक्ष था या मोदी बनाम मोदी?
आंकड़ों की मानें तो इसका जवाब है हां, लेकिन इसका दूसरा जवाब यह भी है पहली बार में ही वह अकेले के बूते 282 सीटों पर पहुंी। In 2019, 303 सीटें जीतीं। कि यह मुकाबला 2014 और 2019 में मोदी की लोकप्रियता बनाम 2024 में मोदी की लोकप्रियता का रहा। भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर पहली बार 2014 का लोकसाा चुनाव लड़ा था। भाजपा ने इस बार भाजपा की अपनी सीटें 240 के आसपास हैं। यानी वह 2014 से 40 सीटें और 2019 से 60 सीटें पीछे है।
6# तो क्या गठबंधन की राजनीति लौट रही है?
बिल्कुल, भाजपा ने 10 साल स्पष्ट बहुमत से सरकार चलाई, लेकिन अब गठबंधन सरकार का दौर लौटेगा। भाजपा को भले ही पांच साल तक आसानी से सरकार चला लेने का भरोसा हो, लेकिन उसकी निर्भरता जदयू और तेदेपा जैसे दलों पर रहेगी।
7# पिछली गठबंधन सरकारों के मुकाबले भाजपा किस स्थिति में रहेगी?
डॉ. मनमोहन सिंह के समय कांग्रेस ने इससे भी कम सीटें लाकर गठबंधन की सरकार चलाई। अटल-आडवाणी भी भाजपा को अधिकतम 182 सीटों पर पहुंचा सके थे, लेकिन सरकार चला पाए। भाजपा की 2024 की स्थिति इससे बेहतर है।
8# यह जनादेश कबकी याद दिलाता है?
1991 नतीजे के लोकसभा चुनाव जैसे हैं। 232 सीटें जीतीं और पीवी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पूरे पांच साल अन्य दलों के समर्थन से सरकार चलाई। इस बार भाजपा भी 240 के आसपास है। गठबंधन अब उसकी मजबूरी है।
9# यह चुनाव किसके लिए उत्साहजनक हैं?
इसके पीछे कई चेहरे हैं। जैसे राहुल गांधी। कांग्रेस 2014 में 44 और 2019 में 52 सीटों पर थी तो उन्हें जिम्मेदार माना गया। इस बार वह 100 सीटों के करीब है। देशभर में भाजपा को सबसे बड़ा झटका सपा ने ही दिया है। सपा ने पिछली बार बसपा के साथ गठबंधन किया। यानी पिछली बार के मुकाबले लगभग दोगुनी सीटों पर वह जीत रही है।दूसरा बड़ा नाम है अखिलेश यादव।बसपा को 10 सीटें मिली थीं, लेकिन सपा पांच ही सीटें जीत पाई थी। इस बार सपा ने कांग्रेस से हाथ मिलाया। । 2004 के लोकसभा चुनाव में उसे 35 सीटें मिली थीं। वह 34 से ज्यादा सीटों पर जीत रही है। यह लोकसभा चुनावों में वोट शेयर के लिहाज से सपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन हो सकता है वहीं, वोट शेयर के लिहाज पार्टी का सबसे बेहतर प्रदर्शन 1998 में था जब उसे करीब 29 फीसदी वोट मिले थे। इस बार यह आंकड़ा 33 फीसदी से ज्यादा हो सकता है।
तीसरा बड़ा नाम हैं चंद्रबाबू नायडू। उनकी तेदेपा आंध्र प्रदेश में सरकार बनने के करीब है और एनडीए के सबसे अहम घटक दलों में से एक रहेगी।
ऐसा ही एक नाम उद्धव ठाकरे का है। यह उनके लिए अस्तित्व की लड़ाई थी। शिंदे गुट से ज्यादा सीटें जीतकर उद्धव ठाकरे यह कहने की स्थिति में होंगे कि उनकी शिवसेना ही असली शिवसेना है।
10# इस बार क्या रिकॉर्ड बन सकते हैं?
इस बार का लोकसभा चुनाव भले ही सुस्त नजर आया, लेकिन जनादेश ऐतिहासिक हो सकता है। अगर भाजपा ही सरकार बनाती है तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैट्रिक होगी। पीएम मोदी पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वे ऐसे दूसरे नेता होंगे, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। 1947 में पंडित नेहरू पहली बार प्रधानमंत्री जरूर बने, लेकिन चुनावी राजनीति शुरू होने के बाद उन्होंने 1951-52, 1957, 1962 का चुनाव जीता और लगातार प्रधानमंत्री रहे। वहीं, शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अटलजी की भी बराबरी कर लेंगे। अटलजी का कार्यकाल कम रहा, लेकिन उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। more.
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