IND vs SL: 'फेरारी की सवारी...', डेल स्टेन ने उमरान मलिक को दिया ये मंत्र
IND vs SL: ‘फेरारी की सवारी…’, डेल स्टेन ने उमरान मलिक को दिया ये मंत्र
नयी दिल्ली: वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ पहले टी20 मैच के दौरान उमरान मलिक ने अपनी तूफानी गेंद से सनसनी मचा दी थी. उन्होंने 155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली गेंद फेंकी जिस पर श्रीलंकाई कप्तान दासुन शनाका आउट हो गए। इस तूफानी गेंद से उमरान मलिक ने जसप्रीत बुमराह का रिकॉर्ड तोड़ दिया। वह जवागल श्रीनाथ के बाद दूसरे सबसे तेज भारतीय गेंदबाज बन गए।
फेरारी की सवारी करने के लिए पैदा…
Sajid Khan: साजिद खान को 'बिग बॉस 16' से नहीं निकालेंगे मेकर्स, डील से हुआ खुलासा
Sajid Khan: साजिद खान को ‘बिग बॉस 16’ से नहीं निकालेंगे मेकर्स, डील से हुआ खुलासा
मेकर्स के साथ साजिद खान की डील: टीवी शो ‘बिग बॉस 16’ में साजिद खान के आने के बाद से ही उन्हें हटाने की मांग उठ रही थी। मी टू मूवमेंट की वजह से उन पर कई तरह के आरोप लगे थे जिसके चलते लोगों को शो में उनका लुक पसंद नहीं आया था। यहां तक कि कई सेलेब्रिटीज ने उन्हें शो से निकालने की मांग की थी, लेकिन इतने विवाद के बाद भी उन्हें शो से नहीं हटाया गया है। इसके पीछे की वजह अब सामने आई है। हाल ही में शो…
परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
⚜️ हनुमान जी ने मुनिंद्र ऋषि जी की शरण कैसे ग्रहण की?
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⚜️परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
- संत रामपाल जी महाराज
⚜️कबीर परमेश्वर जी ने हनुमान जी को सृष्टि रचना सुनाई। सत्यकथा सुनकर हनुमान जी गदगद हुए। सत्यलोक देखने की प्रार्थना की। हनुमान जी को दिव्य दृष्टि देकर सतलोक दिखाया। ऋषि मुनीन्द्र जी (कबीर परमेश्वर जी) सिंहासन पर बैठे दिखाई दिए। मुनीन्द्र जी नीचे आए। हनुमान जी को विश्वास हुआ कि ये परमेश्वर हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है। परमेश्वर कबीर जी से दीक्षा ली। अपना जीवन धन्य किया। मुक्ति के अधिकारी हुए।
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
⚜️हनुमान जी ने अपनी पूजा करने के लिए कभी नहीं कहा। वो तो खुद एक भक्त थे | यह शास्त्र विधि छोड़ कर मनमाना आचरण है जिससे कोई लाभ नहीं है।
⚜️हनुमान जयंती पर जानिए आखिर किस भगवान की शरण में जाने से हनुमान जी को पूर्ण मोक्ष मार्ग मिला।
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⚜️हनुमान जी राम जी को भगवान मानते थे और हमने हनुमान जी को पूजना शुरू कर दिया।
हनुमान जी जैसे भक्त होना दुर्लभ है पर हनुमान जी के भक्त बनना शास्त्र विरुद्ध है।
⚜️कबीर परमेश्वर जी ने हनुमान जी को सृष्टि रचना सुनाई। दिव्य दृष्टि देकर सतलोक दिखाया। हनुमान जी को विश्वास हुआ कि ये परमेश्वर हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है।
⚜️परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया।
⚜️कबीर परमात्मा मुनीन्द्र ऋषि के रूप में स्वयं आए, हनुमान जी को मोक्ष मार्ग बताया। उनका कल्याण हुआ। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे
हनुमान जी ने मुनिंद्र ऋषि जी की शरण कैसे ग्रहण की?
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परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
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मणिमहेश यात्रा पर आए श्रद्धालुओं से वसूला जा रहा 20 रुपए शुल्क, डॉ जनकराज बोले, यह आस्था के साथ खिलवाड़
Shimla News: उतर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के दौरान आ रहे श्रद्धालुओं से पंजीकरण के नाम पर 20 रुपए शुल्क वसूलने पर भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज की ओर से आपत्ति जाहिर की है।
भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि भगवान भोले नाथ के प्रति लोगों की गहरी आस्था है और हर वर्ष लाखों की संख्या में शिव भक्त मणिमहेश पहुंच कर पवित्र डल झील में आस्था की डुबकी लगाते हैं।
‘यह आस्था…
काशी बनारस के सुप्रसिद्ध विद्वान व 1400 शिष्यों के गुरु स्वामी रामानंद जी प्रतिदिन पंचगंगा घाट पर स्नान करने जाते थे।
एक दिन वहां पर पहले से ही 5 वर्षीय कबीर देव जी ने ढाई वर्ष के बच्चे का रूप धारण किया तथा पंचगंगा घाट की सीढ़ियों में लेट गए। अंधेरा होने के कारण रामानंद जी के पैर की खड़ाऊ बालक रूप कबीर देव के सिर में लगी तथा कबीर साहेब जी ने रोने की लीला की।
जब स्वामी रामानंद जी रोते हुए बालक को उठाने के लिए झुके तो उनके गले की माला कबीर देव जी के गले में डल गई और उन्होंने बच्चे को प्यार से कहा बेटा राम राम बोल और आशीर्वाद भरा सिर पर हाथ रखा।
इस तरह कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को गुरु धारण करने की लीला की।
BBL 2022: क्रिस जॉर्डन ने बुमराह की तरह डाली यॉर्कर, आउट होने के बाद हैरान रह गए बल्लेबाज
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बीबीएल 2022: ऑस्ट्रेलिया में चल रही बिग बैश लीग में आज सिडनी सिक्सर्स बनाम ब्रिस्बेन हीट के बीच मैच खेला जा रहा है। इस मैच में पहले खेलते हुए ब्रिस्बेन हीट ने 13 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 147 रन बनाए हैं। बारिश के कारण इस मैच को 13-13 ओवर का किया जा रहा है.
ब्रिस्बेन हीट के बल्लेबाजों ने जहां चौकों-छक्कों की बरसात की तो वहीं सिडनी सिक्सर्स के गेंदबाजों की जमकर धुनाई हुई. हालांकि, अनुभवी तेज…
ऑफ शोल्डर गाउन में सोनम कपूर डॉल की तरह लग रही हैं
ऑफ शोल्डर गाउन में सोनम कपूर डॉल की तरह लग रही हैं
ऐसी दिखती हैं सोनम कपूर: सोनम कपूर को बॉलीवुड की स्टाइल क्वीन कहा जाता है। एक्ट्रेस हर लुक में जलवा बिखेरती हैं। सोनम कपूर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आते ही ट्रेंड करने लगती हैं और अब एक बार फिर उनकी कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें वह बार्बी डॉल की तरह लग रही हैं और उनके फैन्स उनके दीवाने हुए जा रहे हैं. आप भी देखिए सोनम कपूर का दिलकश अंदाज।
सोनम कपूर ने इन तस्वीरों को अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम…
तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार जम्मू-कश्मीर जा रहे हैं। वे 20 जून को श्रीनगर पहुंचेंगे और 21 जून को योग दिवस के मौके पर एक बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।
वे डल झील के किनारे सैकड़ों लोगों के साथ योग करेंगे। जम्मू में हालिया आतंकी घटनाओं के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर खासे इंतजाम किए गए हैं।
दो दिवसीय यात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर जा रहे हैं, जिसके दौरान वे विभिन्न…
प्रभु कबीर जी ने स्वामी रामानन्द जी को तत्वज्ञान समझाया।
पंडित स्वामी रामानन्द जी एक विद्वान पुरुष थे। वेदों व गीता जी के मर्मज्ञ ज्ञाता माने जाते थे।
पाँच वर्ष की आयु में रामानन्द जी को गुरु धारण करना
जिस समय कबीर परमेश्वर (कविर्देव) अपने लीलामय शरीर में पाँच वर्ष के हो गए तब गुरु मर्यादा बनाए रखने के लिए लीला की। अढ़ाई वर्ष की आयु के बच्चे का रूप धारण करके सुबह-सुबह अंधेरे में पंचगंगा घाट की पौडि़यों के ऊपर लेट गए, जहाँ पर स्वामी रामानन्द जी प्रतिदिन स्नानार्थ जाया करते थे। श्री रामानन्द जी चारों वेदों के ज्ञाता और पवित्रा गीता जी के विद्वान माने जाते थे। स्वामी रामानन्द जी की आयु 104 वर्ष की हो चुकी थी। काशी में जो पाखण्ड पूजा दूसरे पण्डितों ने चला रखी थी वह बंद करवा दी थी। रामानन्द जी शास्त्रा अनुकूल साधना बताया करते थे और पूरी काशी में अपने बावन दरबार लगाया करते थे। रामानन्द जी पवित्रा गीता जी व पवित्र वेदों के आधार पर विधिवत् साधना बताते थे। ओ3म् नाम का जाप उपदेश देते थे।
उस दिन भी जब स्नान करने के लिए पंचगंगा घाट पर गए तो पौडि़यों पर कबीर साहेब लेटे हुए थे। सुबह ब्रह्ममूहूर्त के अंधेरे में स्वामी रामानन्द जी को कबीर साहेब दिखाई नहीं दिए। कबीर साहेब के सिर में रामानन्द जी के पैर की खड़ाऊ लग गई। कविर्देव ने जैसे बालक रोते हैं ऐसे रोना शुरु कर दिया। रामानन्द जी तेजी से झुके और देखा कि कहीं बालक को चोट तो नहीं लग गई तथा प्यार से उठाया। उसी समय रामानन्द जी के गले की कण्ठी (माला) निकल कर परमेश्वर कविर्देव के गले में डल गई। रामानन्द जी ने कहा कि बेटा राम - राम बोलो। राम के नाम से दुःख दूर हो जाते हैं, पुत्र राम - राम बोलो, कबीर साहेब के सिर पर हाथ रखा। शिशु रूप में कबीर साहेब चुप हो गए। फिर रामानन्द जी स्नान करने लग गए और सोचा कि बच्चे को आश्रम में ले चलूँगा। जिसका होगा उसके पास भिजवा दूँगा। रामानन्द जी ने स्नान करके देखा तो बच्चा वहाँ पर नहीं है। कबीर साहेब वहाँ से अंतध्र्यान हुए और अपनी झोपड़ी में आ गए। रामानन्द जी ने सोचा कि बच्चा था चला गया होगा, अब उसको कहाँ ढूंढूं?।
कबीर प्रभु द्वारा स्वामी रामानन्द जी के आश्रम में दो रूप धारण करना
एक दिन स्वामी रामानन्द जी का कोई शिष्य कहीं पर सत्संग कर रहा था। कबीर साहेब वहाँ पर चले गए। वह ऋषि जी श्री विष्णु पुराण की कथा सुना रहा था। वह कह रहा था कि भगवान विष्णु जी सारी सृष्टी के रचनहार हैं, यही पालनकर्ता हैं, यही राम और कृष्ण रूप में अवतार आने वाली परम शक्ति हैं, अजन्मा हैं, श्री विष्णु जी के कोई माता-पिता नहीं हैं। कविरीश्वर ने यह सारी चर्चा सुनी। सत्संग के उपरान्त कबीर परमेश्वर ने कहा ऋषि जी क्या मैं एक प्रश्न पूछ सकता हूँ? ऋषि जी ने कहा कि हाँ बेटा! पूछो। वहाँ सैकड़ों की संख्या में भक्तजन उपस्थित थे। कविर्देव ने कहा कि आप विष्णु पुराण से सत्संग सुना रहे थे कि श्री विष्णु जी परमशक्ति है, इन्हीं से ब्रह्मा और शिव की उत्पत्ति हुई है। ऋषि जी ने कहा कि मैं जो सुनाता हूँ, विष्णु पुराण में ऐसा ही लिखा हुआ है। कबीर साहेब ने कहा कि ऋषि जी मैंने तो आपसे संशय निवारण के लिए प्रार्थना की है आप क्षुब्ध मत होईये। एक दिन मैंने शिवपुराण सुना था। उसमें वह महापुरुष सुना रहे थे कि भगवान शिव से विष्णु और ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई (प्रमाण पवित्रा शिव पुराण, रूद्र संहिता, अध्याय 6 तथा 7 में, गीता प्रैस गोरख पुर से प्रकाशित) दे��ी भागवत के तीसरे स्कंद में लिखा है कि देवी इन तीनों ब्रह्मा-विष्णु- शिव की माँ है। ये तीनों नाशवान हैं, अविनाशी नहीं हैं। ऋषि जी निरूतर हो गए। क्रोधित होकर बोला तू कौन है ? किसका पुत्रा है ? कबीर साहेब से पहले ही दूसरे भक्तजन कहने लगे कि यह तो नीरु जुलाहे का पुत्रा है। स्वामी रामानन्द जी का शिष्य कहने लगा कि तूने गले में कण्ठी कैसे डाल रखी है ? (वैष्णु साधू तुलसी की एक मणिये की माला गले में डालते हैं, उससे यह प्रमाणित होता है कि इन्होंने विष्णु परंपरा से उपदेश ले रखा है।) तेरा गुरुदेव कौन है? कबीर साहेब ने कहा कि मेरे गुरुदेव वही हैं जो आपके गुरुदेव हैं। वह ऋषि बहुत क्रोधित हो गया तथा बोला कि रे नादान ! तू अछूत जुलाहे का बच्चा और मेरे गुरुदेव को अपना गुरुदेव बताता है। मेरे गुरुदेव का पता है कौन हैं ? श्री श्री 1008 पंडित रामानन्द जी आचार्य। तू जुलाहे का बालक, वे तो तेरे जैसे अछूतों के दर्शन भी नहीं करते और तू कह रहा है कि मैंने उनसे नाम लिया है। देख लो भाई भक्तजनों यह झूठा, कपटी है। अभी गुरुदेव के पास जाऊँगा और उनको तेरी सारी कहानी बताऊँगा। तू छोटी जाति का बच्चा हमारे गुरुदेव की बेइज्जती करता है। कविरग्नि बोले कि ठीक है गुरुदेव जी को बताओ। उस ऋषि ने जाकर श्री रामानन्द जी को बताया कि गुरुदेव एक जुलाहे जाति का लड़का है। उसने तो हमारी नाक काट दी। वह कहता है कि स्वामी रामानन्द जी मेरे गुरुदेव हैं। हे भगवन् ! हमारा तो बाहर निकलना दुःभर हो गया। स्वामी रामानन्द जी बोले कि कल सुबह उसको बुला कर लाओ। कल देखना तुम्हारे सामने मैं उसको कितना दण्ड दूँगा।
स्वामी रामानन्द जी के मन की बात बताना
अगले दिन सुबह-सुबह कबीर साहेब को दस नादान व्यक्तियों ने पकड़ कर श्री रामानन्द जी के सामने उपस्थित कर दिया। रामानन्द जी ने यह दिखाने के लिए कि मैं कभी छोटी जाति वालों के दर्शन भी नहीं करता, यह झूठ बोल रहा था कि इसने मेरे से दीक्षा ली है, आगे पर्दा लगा लिया। रामानन्द जी ने पर्दे के पीछे से पूछा कि तू कौन है और तेरी क्या जाति है? तेरा कौन सा पंथ है, अर्थात् किस परमात्मा की पूजा
जब स्वामी रामानंद जी रोते हुए बालक को उठाने के लिए झुके तो गले की माला (एक रुद्राक्ष की कंठी माला) कबीर देव के गले में डल गई और उन्होंने बच्चे को प्यार से कहा बेटा राम राम बोल, राम नाम से सब कष्ट दूर हो जाते हैं और आशीर्वाद देते हुए सिर पर हाथ रखा। इस
जब स्वामी रामानंद जी रोते हुए बालक को उठाने के लिए झुके तो गले की माला (एक रुद्राक्ष की कंठी माला) कबीर देव के गले में डल गई और उन्होंने बच्चे को प्यार से कहा बेटा राम राम बोल, राम नाम से सब कष्ट दूर हो जाते हैं और आशीर्वाद देते हुए सिर पर हाथ रखा। इस तरह कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को गुरु धारण करने की लीला की।
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स्वामी रामानंद जी प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व गंगा नदी के तट पर बने पंचगंगा घाट पर स्नान करने जाते थे। 5 वर्षीय कबीर देव ने ढाई वर्ष के बच्चे का रूप धारण किया तथा पंचगंगा की घाट की सीढ़ियों में लेट गए। अंधेरा होने के कारण रामानंद जी के पैर की खड़ाऊ बालक रूप कबीर देव जी के सिर में लगी। जब स्वामी रामानंद जी रोते हुए बालक को उठाने के लिए झुके तो गले की माला (एक रुद्राक्ष की कंठी माला) कबीर देव के गले में डल गई और उन्होंने बच्चे को प्यार से कहा बेटा राम राम बोल, राम नाम से सब कष्ट दूर हो जाते हैं और आशीर्वाद देते हुए सिर पर हाथ रखा। इस तरह कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को गुरु धारण करने की लीला की। वास्तव में कबीर परमेश्वर ही रामानंद जी के गुरु थे।
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ऋषि रामानन्द का उद्धार
कबीर साहेब ने महज 5 वर्ष की आयु में 104 वर्ष के स्वामी रामानन्द जी को ज्ञानचर्चा में पराजित कर दिया था। कबीर परमेश्वर ने उन्हें अपना तत्वज्ञान बताया व सतलोक दिखाया। तब स्वामी रामानन्द जी ने कबीर साहेब जी से उपदेश लिया था।
संत गरीबदास जी की वाणी में प्रमाण है- "बोलत रामानन्द जी सुन कबीर करतार। गरीबदास सब रूप में तुम ही बोलनहार।।
दोहु ठोर है एक तू, भया एक से दोय। गरीबदास हम कारणें उतरे हो मग जोय।।”