कबीर साहेब जी ने समस्त मानव समाज को बहुत ही गहरा ज्ञान दिया है कि, जब परमेश्वर जिसने सारी सृष्टि की उत्पत्ति की, उस परमेश्वर की कोई जाति नहीं है तो फिर आपकी कहां से कैसे कोई जाति हो सकती है। हे भोले मानव इस जाति पाति के चक्कर में पड़कर अपना अनमोल जीवन क्यों नष��ट कर रहा है।
कबीर साहेब जी ने समस्त मानव समाज को बहुत ही गहरा ज्ञान दिया है कि, जब परमेश्वर जिसने सारी सृष्टि की उत्पत्ति की, उस परमेश्वर की कोई जाति नहीं है तो फिर आपकी कहां से कैसे कोई जाति हो सकती है। हे भोले मानव इस जाति पाति के चक्कर में पड़कर अपना अनमोल जीवन क्यों नष्ट कर रहा है।
जाति नहीं जगदीश की, हरिजन की कहां से होय। इस जात पात के चक्कर में, डुब मरो मत कोय।।
कबीर साहेब जी ने समस्त मानव समाज को बहुत ही गहरा ज्ञान दिया है कि, जब परमेश्वर जिसने सारी सृष्टि की उत्पत्ति की, उस परमेश्वर की कोई जाति नहीं है तो फिर आपकी कहां से कैसे कोई जाति हो सकती है। हे भोले मानव इस जाति पाति के चक्कर में पड़कर अपना अनमोल जीवन क्यों नष्ट कर रहा है।
कबीर साहेब जी ने समस्त मानव समाज को बहुत ही गहरा ज्ञान दिया है कि, जब परमेश्वर जिसने सारी सृष्टि की उत्पत्ति की, उस परमेश्वर की कोई जाति नहीं है तो फिर आपकी कहां से कैसे कोई जाति हो सकती है। हे भोले मानव इस जाति पाति के चक्कर में पड़कर अपना अनमोल जीवन क्यों नष्ट कर रहा है।
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी मरे, मरम न जाना कोई।|
कबीर साहेब जी ने इस वाणी के द्वारा बहुत ही अनमोल ज्ञान दिया है। कहां है कि हिन्दुओं को अपना राम बहुत प्यारा है और मुसलमानों (तुर्क) को अपना रहमान (अल्लाह) और इसी बात पर वे आपस में हमेशा झगड़ते रहते है लेकिन सच्चाई को कोई जान ही नहीं रहे। जबकि सच तो ये है कि राम और रहीम दोनों एक ही हैं।