Pitru Paksha (पितृपक्ष) , पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए? , पितृ पक्ष में जल कैसे दिया जाता है?
Pitru Paksha : Tue, 17 Sept, 2024 – Wed, 2 Oct, 2024
पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए?
पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्धकर्म किए जाते हैं. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. पितृपक्ष में शुभ कार्य वर्जित हैं. यदि आपका भी कोई शुभ कार्य बाकी रह गया है तो पितृपक्ष से पहले पूरा कर लें
पितृ दोष क्यों होता है?
‘पितृ दोष’ शब्द का अर्थ पूर्वजों के नकारात्मक कर्म ऋण…
हमारे पित्तरों के किये गए पाप पुण्य के भागीदार हम भी होते हैं।
हमें अपने पित्तरों के लिए दान, तर्पण आदि करने चाहिये।
गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पित्तरों की पूजा करते हैं, वे पित्तर योनि प्राप्त करेंगे, मोक्ष नहीं होगा। जो भूत पूजते हैं, वे भूत बनेंगे। श्राद्ध करना पित्तर पूजा तथा भूत पूजा है।
आपके जो पितर हैं वो आपके भीतर ही हैं। क्योंकि इन पितरों से आप बने हो।
पित्तरों को तर्पण करते हैं तो स्वयं को क्षमा करते हैं।
Sant Rampal Ji Maharaj
मेरे अज़ीज़ हिंदुओं
स्वयं पढ़ो अपने ग्रंथ गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पित्तरों की पूजा करते हैं, वे पित्तर योनि प्राप्त करेंगे, मोक्ष नहीं होगा। जो भूत पूजते हैं, वे भूत बनेंगे। श्राद्ध करना पित्तर पूजा तथा भूत पूजा है।
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#Kabir_Is_SupremeGod📚वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान 📚📖
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1. ब्रम्हा,विष्णु ,महेश के माता-पिता कौन है ?
2. शेरावाली माता (दुर्गा अष्टांगी) का पति कौन है ?
3. हमको जन्म देने व मारने में किस प्रभु का स्वार्थ है ?
4. हम सभी इतनी देवी-देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं,फिर भी दु:खी क्यों हैं?
5. ब्रम्हा ,विष्णु ,महेश किसकी भक्ति करते हैं?
6. पूर्ण संत की क्या पहचान है एवं पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा ?
7. परमात्मा साकार है या निराकार ?
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11.पूर्ण परमात्मा कौन तथा कैसा है ? कहाँ रहता है ?कैसे मिलता है ? किसने देखा है ?
12.समाधि अभ्यास (Meditation) राम,हरे कृष्ण ,हरिओम ,हंस,तीन व पांच नामों तथा वाहेगुरु आदि -आदि नामों के जाप से सुख एवं मुक्ति संभव है या नहीं ? 13.वर्तमान समय में प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं के अनुसार वह महान संत कौन है ?
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लखनऊ, दिनांक 22 मार्च, 2023 | 'हिन्दू नववर्ष' नव संवत्सर (विक्रम संवत 2080 प्रारम्भ) के अवसर पर, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सेक्टर-25, इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में, ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती (डॉ०) रूपल अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलन करके, भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा पुष्प अर्पित करके, हिन्दू नव वर्ष पर्व मनाया l
श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी लोगों को 'हिन्दू नववर्ष' की बधाई देते हुए कहा कि, भारत ने विश्व को काल गणना का एक अद्वितीय सिद्धांत प्रदान किया है । 'विक्रम संवत' अत्यंत प्राचीन संवत है। भारत के सांस्कृतिक इतिहास की दृष्टि से सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रीय संवत 'विक्रम संवत' ही है । आज ही के दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण किया था, इसलिए इस पावन तिथि को 'नव संवत्सर' पर्व के रूप में भी मनाया जाता है । पिछले दो हज़ार वर्षों में अनेक देशी और विदेशी राजाओं ने अपनी साम्राज्यवादी आकांक्षाओं की तुष्टि करने तथा इस देश को राजनीतिक द्दष्टि से पराधीन बनाने के प्रयोजन से अनेक संवतों को चलाया किंतु भारत राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान केवल विक्रमी संवत के साथ ही जुड़ी रही। अंग्रेज़ी शिक्षा-दीक्षा और पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण आज भले ही सर्वत्र ईस्वी संवत का बोलबाला हो और भारतीय तिथि-मासों की काल गणना से लोग अनभिज्ञ होते जा रहे हों परंतु वास्तविकता यह भी है कि देश के सांस्कृतिक पर्व-उत्सव तथा राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, गुरु नानक आदि महापुरुषों की जयंतियाँ आज भी भारतीय काल गणना के हिसाब से ही मनाई जाती हैं, ईस्वी संवत के अनुसार नहीं । विवाह-मुण्डन का शुभ मुहूर्त हो या श्राद्ध-तर्पण आदि सामाजिक कार्यों का अनुष्ठान, ये सब भारतीय पंचांग पद्धति के अनुसार ही किया जाता है, ईस्वी सन् की तिथियों के अनुसार नहीं । आज के कालखंड में हमें दोनों ही दृष्टि से इस विषय पर विचार करना चाहिए l"
इस अवसर पर ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही l
श्राद्ध का एक प्रसंग महाभारत महाकाव्य से इस प्रकार है, कौरव-पांडवों के बीच युद्ध समाप्ति के बाद, जब सब कुछ समाप्त हो गया, दानवीर कर्ण मृत्यु के बाद स्वर्ग पहुंचे। उन्हें खाने मे सोना, चांदी और गहने भोजन के जगह परोसे गये। इस पर, उन्होंने स्वर्ग के स्वामी इंद्र से इसका कारण पूछा।
इस पर, इंद्र ने कर्ण को बताया कि पूरे जीवन में उन्होंने सोने, चांदी और हीरों का ही दान किया, परंतु कभी भी अपने पूर्वजों के नाम पर कोई भोजन नहीं दान किया। कर्ण ने ���सके उत्तर में कहा कि, उन्हें अपने पूर्वजों के बारे मैं कोई ज्ञान नही था, अतः वह ऐसा करने में असमर्थ रहे।
तब, इंद्र ने कर्ण को पृथ्वी पर वापस जाने के सलाह दी, जहां उन्होंने इन्हीं सोलह दिनों के दौरान भोजन दान किया तथा अपने पूर्वजों का तर्पण किया। और इस प्रकार दानवीर कर्ण पित्र ऋण से मुक्त हुए।
।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 02 नवम्बर 2022 सूर्योदय :- 06:33 सूर्यास्त :- 17:49 सूर्य राशि :- तुला चंद्र राशि :- मकर मास :- कार्तिक तिथि :- नवमी वार :- बुधवार नक्षत्र :- धनिष्ठा योग :- गंड करण :- बालव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- शरद लाभ :- 06:32 - 07:56 अमृत:- 07:57 - 09:21 शुभ :- 10:45 - 12:10 राहु काल :- 12:11 - 13:35 जय महाकाल महाराज :- *आँवला नवमी:-* *शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।* *प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥* कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या अक्षय नवमी कहा जाता है। इस दिन से ही द्वापर युग का आरंभ हुआ था। इस दिन दान-धर्म का अधिक महत्व होता है। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से उसका पुण्य वर्तमान के साथ अगले जन्म में भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। *शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं* *विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।* *लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्* *वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥* आज का मंत्र :- ""|| ॐ गं गणपतये नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 02 नवम्बर 2022 ( बुधवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CkcYttASVL6/?igshid=NGJjMDIxMWI=