Happy New Year 2023: कौन से देश मनाएंगे 1 जनवरी को पहली और आखिरी? यहाँ जानिए
Happy New Year 2023: कौन से देश मनाएंगे 1 जनवरी को पहली और आखिरी? यहाँ जानिए
छवि स्रोत: फ्रीपिक कौन सा देश नव वर्ष 2023 को सबसे पहले और आखिरी बार मनाएगा?
नया साल मुबारक हो 2023: दुनिया भर में, दुनिया भर में पार्टी करने वालों में पार्टी की भावना अधिक है। हर गुजरते मिनट के साथ 2022 विदा हो रहा है और भोर के साथ हम 2023 में प्रवेश करेंगे। लेकिन कौन से देश नए साल की सुबह सबसे पहले और आखिरी में देखेंगे? इस दिलचस्प ट्रिविया को यहां जानें।
कौन सा देश सबसे पहले नया साल मनाता…
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दस साल के एग रोल ब्वॉय जसप्रीत की मां ने सोशल मीडिया पर आकर कहा, ‘ससुरालवालों ने मुझे बदनाम करने की साजिश रची
दिल्ली के तिलक नगर के 10 साल के लड़के की दिल दहला देने वाली कहानी में एक नया मोड़ आया है, सोशल मीडिया जिसने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए खाने की गाड़ी चलाकर पूरे देश का दिल जीत लिया है। अब उनकी मां सिमरन कौर आगे आई हैं और अपना पक्ष रखा है.
अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने बच्चे जसप्रीत और अपनी बहन को छोड़ने के पिछले आरोपों से इनकार करते हुए कौर ने कहा है कि ये आरोप उसके ससुराल वालों द्वारा…
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टेकऑफ न हो पाए तो घंटों प्लेन में बैठने को मजबूर नहीं होंगे यात्री, सीधे डिपार्चर टर्मिनल जा सकेंगे
नई दिल्ली: खराब मौसम, तकनीकी कारणों या अन्य किसी वजह से न हो पाने की स्थिति में घंटों उसी हवाई जहाज में बैठे रहने को मजबूर यात्रियों के लिए राहत की खबर है। अब ऐसी किसी भी स्थिति में फ्लाइट से यात्रियों को उतारने की मजबूरी होगी तो उन्हें फिर से अराइवल टर्मिनल पर ले जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि यात्रियों को फिर से पर ही लाया जा सकता है। इससे यात्रियों को हवाई जहाज से उतारकर अराइवल टर्मिनल से ले जाते हुए फिर से डिपार्चर टर्मिनल तक लाने में लगने वाला एक से डेढ़ घंटा बचेगा और यात्री सीधे डिपार्चर टर्मिनल पर आ सकेंगे। ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्यॉरिटी (BCAS) ने देशभर के तमाम हवाई अड्डों और एयरलाइंस कंपनियों को नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
अब यात्रियों की कम होगी परेशानी
बीसीएएस के 38वें स्थापना दिवस पर बीसीएएस के डीजी जुल्फिकार हसन ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि टेकऑफ करने के लिए तैयार किसी फ्लाइट को खराब मौसम, तकनीकी कारण या किसी बीमार यात्री की वजह से लेट होने के बाद जब यात्रियों को प्लेन से उतारा जाता था तो उन्हें फिर से एयरपोर्ट के अराइवल टर्मिनल पर ले जाया जाता था। वहां से फिर उन्हें डिपार्चर गेट तक लाया जाता था। इस प्रक्रिया में यात्रियों का एक से डेढ़ घंटा बर्बाद होता था। अब अराइवल गेट पर ले जाने की जरूरत नहीं होगी। यात्रियों को फ्लाइट से डीबोर्ड कराकर सीधे डिपार्चर टर्मिनल लाया जाएगा। जब हवाई जहाज उड़ान के लिए तैयार हो जाएगा तो यात्रियों की स्क्रीनिंग कर उन्हें फ्लाइट में बैठा दिया जाएगा। बीसीएएस के महानिदेशक ने यह भी बताया कि देश में सबसे पहले बेंगलुरु एयरपोर्ट पर फुल बॉडी स्कैनर लगाया जाएगा। यहां इसी महीने इसे लगा दिया जाएगा। इसके बाद दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे हवाई अड्डों पर फुल बॉडी स्कैनर लगाए जाएंगे। तीन से चार महीने में देश के तमाम बड़े एयरपोर्ट पर फुल बॉडी स्कैनर लगा दिए जाएंगे।
नए नियमों से यात्रियों को मिलेगी राहत
पिछले साल दिसंबर में मुंबई और दिल्ली समेत कई एयरपोर्ट पर ऐसे मामले सामने आए थे जब हवाई जहाज एक से दो घंटे तक उड़ान नहीं भर सका। इस दौरान यात्री उसी फ्लाइट में रहे। जब यात्रियों को उतारा गया तो उन्हें घंटों परेशानी और उठानी पड़ी। डीजीसीए का नया आदेश ऐसी समस्या को खत्म करेगा। नए आदेश से बुजुर्ग, दिव्यांग और छोटे बच्चों वाली महिलाओं को बड़ा फायदा मिलेगा। इसके अलावा देश के उन बड़े हवाई अड्डों पर पहले चरण में फुल बॉडी स्कैनर लगाए जाएंगे जहां सालभर में 50 लाख या इससे अधिक यात्रियों की आवाजाही है। इनका फायदा भी कस्टमर्स को होगा। दुबई, थाइलैंड जैसे देशों से आने वाले स्मगलरों को पकड़ना भी आसान होगा। http://dlvr.it/T4xTdT
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अगले पांच साल में निर्णायक फैसले होंगे; सरकार की नीति 'राष्ट्र प्रथम', मेरी नजरें 2047 पर; पीएम मोदी
अगले पांच साल में निर्णायक फैसले होंगे; सरकार की नीति 'राष्ट्र प्रथम', मेरी नजरें 2047 पर; पीएम मोदी
Delhi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वे 2047 की योजना बना रहे हैं। भाजपा और खुद की राजनीतिक तैयारियों को लेकर एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि उनकी नजरें 2047 पर हैं।
बकौल पीएम मोदी आज देश का मूड भारत को विकसित भारत बनाने का है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमने शासन का नया मॉडल विकसित किया है। पीएम…
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भारत में CNG कारों के बिक्री का बना रिकॉर्ड
पेट्रोल, डीजल के ऊंचे दाम देश में सी एन जी कारों की बिक्री को बढ़ाने का काम बखूबी कर रहे हैं। मौजूदा कारोबारी साल के पहले 10 महीनों में ही सी एन जी कारों की बिक्री 2022 - 23 से आगे निकल गई है।
वाहन वेबसाइट के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक 3.64 लाख सी एन जी कारों की बिक्री हुई है।
ये आंकड़ा अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के 2.82 लाख यूनिट्स से 29 फीसदी ज्यादा है। यही नहीं 2022 - 23 में साल के दौरान 3.27 लाख सी एन जी कारों की बिक्री हुई थी। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि 2023 - 24 में 4.75 लाख तक सी एन जी कारों की बिक्री हो सकती है।
भारत में CNG कारों के बिक्री का बना रिकॉर्ड
इस तरह मौजूदा कारोबारी साल में सी एन जी कारों की बिक्री ऑल टाइम पर पहुंचने का अनुमान है। इस मार्केट में चार बड़ी कंपनियां मौजूद हैं। इनकी मार्केट पोसिशन्स में भी इस साल बदलाव हुआ है।
आंकड़ों के मुताबिक 69 फीसदी मार्केट शेयर के साथ मारुति सुजुकी पहले पायदान पर है। इसके दबदबे की एक बड़ी वजह है कि मारुति सुजुकी के सभी 13 मॉडल्स के सी एन जी वेरिएंट मार्केट में मौजूद है।
दूसरे नंबर पर 18 फीसदी मार्केट शेयर के साथ टाटा मोटर्स आ गए हैं और इनके अगस्त में लॉन्च हुए टाटा पंच के दम पर हुंडई को इसने पछाड़ दिया है। कंपनी ने फिलहाल चार सी एन जी मॉडल्स बाजार में उतार रखे हैं।
वहीं तीसरे नंबर पर 11.46% मार्केट शेयर के साथ हुंडई मोटरस है जिसके तीन सी एन जी मॉडल्स हैं
जबकि बीते साल के मुकाबले बिक्री को करीब आठ गुना बढ़ाकर टोयोटा 1.66 फीसदी हिस्सेदारी के साथ चौथी पोज़ीशन पर बनी हुई है।
और इसके भी तीन सी एन जी मॉडल्स बाजार में मौजूद है। अगर भारत में सी एन जी कारों की बिक्री के ट्रेंड के बारे में बात करें तो 2014 से 15 के बाद से अब तक करीब 10 साल में 21,00,000 सी एन जी कारों की बिक्री हो चुकी है। इनमे से आंधी से ज्यादा यानी 11.04 लाख सी एन जी कारों की बिक्री बीते 4 साल में हुई है।
इसमें भी वित्तीय वर्ष 2021 में कोविद19 के असर से शून्य फ़ीसदी ग्रोथ के बाद फाइनैंशल ईयर 2022 में सी एन जी कारों की बिक्री 34 फीसदी और 2023 में 39% बढ़ी है।
पिछले साल सी एन जी कारों की ऑल टाइम हाई बिक्री के बाद इस साल फिर से ये रिकॉर्ड 10 महीनों में ही टूटने के बाद मार्च तक एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।
इस साल बिक्री को बढ़ाने में बड़ा रोल यह भी है कि अप्रैल 2023 में CNG दाम के दाम घटे थे । जिनकी वजह से पेट्रोल डीजल के मुकाबले सी एन जी कार चलाना काफी सस्ता हो गया है ।
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करियर में सफलता के लिए जरूरी है प्लानिंग
करियर में सफलता के लिए जरूरी है प्लानिंग
राजीव एकेडमी में करियर एण्ड बिजनेस अपार्च्युनिटी पर गेस्ट लेक्चर
मथुरा। हर कोई सफलता के शिखर पर पहुंचना चाहता है, इसके लिए लोग देश-विदेश के अच्छे कॉलेजों से एज्यूकेशन भी हासिल करते हैं, बावजूद इसके कुछ लोग ही निर्धारित लक्ष्य के अनुसार अपना करियर बना पाते हैं। इस असफलता के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके मुख्य कारणों में से एक है व्यवस्थित तरीके से करियर प्लानिंग न करना। यदि करियर में हमें सफलता हासिल करनी है तो पहले से प्लानिंग करनी होगी। यह बातें राजीव एकेडमी में हाउ टू क्रियेट करियर एण्ड बिजनेस अपार्च्युनिटी विषय पर आयोजित कार्यशाला में बंसल फूड के डायरेक्टर अंकित बंसल ने बीबीए के छात्र-छात्राओं को बताईं। बंसल ने कहा कि करियर प्लानिंग एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति अपने करियर के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रास्ता चुनता है। करियर प्लानिंग के लिए पहला कदम है खुद का मूल्यांकन और फिर स्वतः निर्धारण यानि सबसे पहले आपको अपनी रुचि, नापसंद, कमजोरी, ताकत आदि सब का पता लगाना है। करियर प्लानिंग के लिए अपने आपको समझना बहुत जरूरी है। इसलिए अपने लिए कुछ समय निकालें तथा उन सभी कामों की सूची बनाएं जोकि आप करना चाहते हैं। बंसल ने कहा कि शिक्षा हासिल करने के बाद सभी क�� कोई न कोई खास फील्ड चुनना होता है, जहां वह जॉब या व्यापार की सम्भावनाएं तलाशता है। लेकिन किसी भी संगठन या कम्पनी में खुद की आवश्यकताओं, क्षमताओं, रुचि आदि के आधार पर अपना रास्ता स्वयं बनाना पड़ता है। ब्राइट करियर के लिए, सब कुछ पहले से प्लान करने से आप अपना काफी समय बचा सकते हैं। ऐसा करने से जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे, आपके लिए हर चीज पर नजर रखना आसान होगा, इसलिए अपना समय बचाने के लिए अपनी करियर प्लानिंग जरूर बनाएं।
अपने कारपोरेट अनुभव को साझा करते हुए श्री बंसल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जॉब मार्केट में बहुत बड़े बदलाव हुए हैं यानि कि लोगों का करियर ग्राफरोलर कोस्टर की तरह रहा है। हर साल प्रमोशन, वेतन वृद्धि अब पुरानी बातें हो गई हैं। आज इकोनॉमी की कमजोरी के दौर में जॉब मार्केट में भारी अनिश्चितताएं हैं। अतः आपको बेहतर जॉब के लिए बेहतर प्लानिंग की बहुत जरूरत है।
श्री बंसल ने छात्र-छात्राओं से कहा कि पहले खुद को समझें उसके बाद मौजूदा जॉब प्रोफाइल व बिजनेस का आकलन करें। व्यापार लम्बी अवधि तक चले इसके लिए प्लानिंग जरूर करें। जॉब और बिजनेस में लगातार नया सीखें और आगे बढ़ें। आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप सीखे हुए स्किल का प्रयोग भी करें। लोगों से सम्पर्क बनाना सीखें तथा उनके अनुभव का लाभ उठाएं। अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने अतिथि वक्ता का आभार माना।
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केंद्र सरकार का फैसला 2024 में गेहूं पैदावार का नया लक्ष्य
केंद्र सरकार ने वर्ष 2024 के लिए देश की गेहूं पैदावार का नया निर्धारित किया लक्ष्य देश के वैज्ञानिक एक बार फिर नए लक्ष्य के साथ गेहूं की पैदावार बढ़ाने में जुट गए हैं। पिछले साल का लक्ष्य 112 मिलियन टन हासिल करने के बाद अब केंद्र सरकार ने वर्ष 2024 के लिए देश की … Read more
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Horticultural Crops: बागवानी फसलों के उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनने का अनुमान, जानिए आंकड़े
बागवानी फसलों का बढ़ता दायरा
भारत बागवानी फसलों और फलों के सकल उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल बागवानी उत्पादन में शीर्ष राज्य हैं।
Horticultural Crops: बागवानी फसलों के उत्पादन का नया रिकॉर्ड: भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों और अन्य सरकारी एजेंसियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर एकीकृत, बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन के संबंध में साल 2021-22 के अंतिम आंकड़े और साल 2022-23 के पहले अग्रिम अनुमान जारी किए हैं।
साल 2021-22 में कुल बागवानी फसलों के उत्पादन का रिकॉर्ड 347.18 मिलियन टन रहा, जो साल 2020-2021 के उत्पादन से 3.76 प्रतिशत की बढ़ोतरी = के साथ 12.58 मिलियन टन ज़्यादा है। 2022-23 में अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2021-22 के अन्तिम आंकड़ों की तुलना में 3.69 मिलियन टन (1.06%) की बढ़ोतरी के साथ कुल बागवानी उत्पादन रिकॉर्ड 350.87 मिलियन टन होने की संभावना है।
बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन के आए इस नए अनुमान पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारे किसान भाइयों-बहनों के अथक मेहनत, वैज्ञानिकों की कुशलता और केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों व राज्य सरकारों के सहयोग से देश में रिकॉर्ड उत्पादन संभव हो रहा है।
बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन के संबंध में 2021-22(अंतिम आंकड़े) की मुख्य बातें:
2021-22 में कुल बागवानी फसलों के उत्पादन का रिकॉर्ड 347.18 मिलियन टन हुआ, जो वर्ष 2020-21 के उत्पादन से लगभग 12.58 मिलियन टन (3.76%) ज़्यादा है।
2021-22 में फलों का उत्पादन 107.51 मिलियन टन हुआ, जबकि 2020-21 में 102.48 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था।
सब्जियों का उत्पादन पिछले साल के 200.45 मिलियन टन की तुलना में, 4.34% की बढ़ोतरी के साथ, 2021-22 में 209.14 मिलियन टन हुआ।
2021-22 में प्याज का उत्पादन 31.69 मिलियन टन हुआ, जबकि 2020-21 में 26.64 मिलियन टन का उत्पादन हुआ था।
वर्ष 2021-22 में आलू का उत्पादन 56.18 मिलियन टन हुआ, जो इसके गत वर्ष करीब इतना ही था।
2022-23 (पहले अग्रिम अनुमान) की मुख्य बातें:
वर्ष 2022-23 में कुल बागवानी फसलों के उत्पादन 350.87 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो 2021-22 (अंतिम) की तुलना में लगभग 3.69 मिलियन टन (1.06% अधिक) की बढ़ोतरी है।
फलों, सब्जियों, मसालों, फूलों, सुगंधित और औषधीय पौधों और वृक्षारोपण फसलों के उत्पादन में पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी का अनुमान है।
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सरसों तेल का व्यापार कैसे करें ?How To Trade Mustard Oil.
बात जब खाने में स्वाद की हो तो सरसों के तेल में पक्की हुई चीजों का कोई जवाब नहीं| फिर चाहे दाल सब्जी हो पकोड़े हो या पापड़ हो या फिर चिकन मटन और मछली हो | इंडिया में ज्यादातर सरसों का ही तेल इस्तेमाल होता है| खाने के अलावा औषधि गुण होने के चलते सरसों का तेल मालिश इलाज में भी इस्तेमाल होता है| त्योहारों में भी हम दिया जलाने के लिए सरसों के तेल का यूज करते हैं और आज बिजनेस 7773 के इस ब्लॉग में आप जानेंगे की कैसे शुरू किया जा सकता है सरसों तेल मैन्युफैक्चरिंग का कारोबार | मार्केट साइज की बात करें तो मस्टर्ड ऑयल यानी कि सरसों के तेल की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोलना क्यों एक फायदेमंद बिजनेस हो सकता है| इस बात को इस फैक्ट से आप समझ सकते हैं कि अपने देश में क सरसों के तेल का कंजप्शन पिछले 40 सालों से हर साल 5 % के हिसाब से बढ़ रहा है और अभी इंडिया में हर साल लगभग 2. 50 मिलियन मेट्रिक टन सरसों का तेल इस्तेमाल होता है| हमारे देश की जरूरत के हिसाब से सरसों के तेल का एक बड़ा हिस्सा इंपोर्ट के जरिए पूरी दुनिया से मंगवाया जाता है | फाइनेंशियल ईयर 2020 से 2021 की बात करें तो लगभग 17 देशों से 83 मिलियन डॉलर का सरसों का तेल इंडिया ने इंपोर्ट करवाया जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 25% ज्यादा है| जब भी आप अपनी ग्लोसरी का सामान लेने जाते हैं और सरसों का तेल मांगते हैं तो कोई ना कोई नया ब्रांड आपको पक्के से जरूर दिया जाता है| इससे समझिए कि सरसों तेल का बिजनेस किस तरह से आगे बढ़ रहा है और दिन-ब-दिन बढ़ती कीमतों के बाद भी हमें खाने में यह चाहिए ही होता है|
इस ब्लॉग मे हम आपको बतायेगे की सरसों तेल का व्यापार कैसे करें ?How To Trade Mustard Oil. सरसो के तेल का बिज़नेस करने करने से से कितना प्रॉफिट होता है |
तो चलिए अब जानते हैं इस बिजनेस की बारीकियों को
1. बिजनेस मॉडल
आपका बिजनेस मॉडल क्या होगा | यह आपको डिसाइड करना होगा कि आप किस तरह अपनी यूनिट को चलाएंगे| जैसे कि आप खुद से रो मटेरियल से तेल निकाल कर उसको भेजेंगे या फिर किसी कंपनी के बिहाफ पर अपनी यूनिट चलाएंगे या फिर अपनी खुद की कंपनी बनाकर अपना सरसों के तेल का नया ब्रांड लॉन्च करेंगे | अगर आप खुद का इंडिविजुअल ब्रांड लॉन्च करेंगे तो इसके लिए आपको कंपनी रजिस्टर करवानी होगी लाइसेंस लेना होगा ब्रांडिंग मार्केटिंग और लेवलिंग डिमांड एंड सप्लाई सब कुछ देखना होगा|
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🙏कर्नाटक में BJP के पुराने मेनिफेस्टो भूल कर नया मेनिफेस्टो
इतिहास गवाह है
❌दुगुनी आमदानि
❌हर साल 2 करोड की नौकरी
❌300₹ सिलेंडर
❌50₹ पेट्रोल
❌40₹ डीज़ल
❌100 दिन में काला धन
❌15 लाख
❌5 ट्रिलियन
❌सबको पक्का मकान
❌100 स्मार्ट सिटी
❌5 गाँव गाँद, लिस्ट लंबी है
लेकिन जो मेनिफेस्टो नहीं था वो....
✅पिछले 8 सालों में 85 लाख करोड़(8500000,0000000) देश का कर्ज़ और
✅11 लाख करोड़(11000000000000)पूंजीपति का माफ
✅75 हजार करोड़(72000,0000000)के 500 से ज्यादा भाजपा कार्यालय और 700 से ऊपर RSS कार्यालय बने,
कर्नाटक की जनता को नए जुमले देने की हिम्मत नहीं |
‼️In News National International and Social media 📺 ‼️
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ओमीक्रोन XBB.1.16: बूस्टर डोज पर भी हावी हो रहा नया वेरिएंट तभी तो फिर फैलने लगा कोराना, जानें कितना खतरनाक
Delhi: नई दिल्ली: देश में तेजी से बढ़ रहे कोविड केसेज के पीछे ओमीक्रोन का नया सबवेरिएंट XBB.1.16 जिम्मेदार है। हालिया मामलों के जीनोम एनालिसिस से एक बात सामने आई है। जीनॉमिक्स कंसोर्टियम INSACOG के एक सदस्य ने हमारे सहयोगी द इकॉनमिक टाइम्स को बताया कि भारत में 60% केसेज में XBB.1.16 मिल रहा है। उसके ऊपर 25-30% मामले ऐसे हैं जो इसी XBB वेरिएंट के सबलीनिएज हैं। मतलब ओमीक्रोन का XBB सबवेरिएंट देश के करीब 90% कोरोना मामलों के पीछे है। डेली पॉजिटिविटी रेट 2.87 प्रतिशत हो गया है। पिछले हफ्ते के मुकाबले पॉजिटिविटी रेट दोगुना हो गया है। XBB.1.16 को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी आगाह किया है। WHO के मुताबिक, XBB.1.16 सबवेरिएंट पर नजर रखने की जरूरत है। अभी तक यह सबवेरिएंट 22 देशों में मिला है। भारत में इसका पहला केस पिछले साल फरवरी में पुणे से मिला था। अब इसने कोरोना के बाकी सारे वेरिएंट्स को पीछे छोड़ दिया है। XBB.1.16 वेरिएंट क्यों इतना खतरनाक है, किसलिए इतनी तेजी से फैल रहा है, लक्षण और इलाज कैसे हो रहा है, जानिए हर बात। http://dlvr.it/SlvHc6
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राजस्थान विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान दिए गए जवाब में कहा कि राज्य सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन से बजट 2023-24 में युवा, शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, सड़क, सामाजिक सुरक्षा, पेंशनधारियों सहित हर क्षेत्र के सर्वोंगीण विकास के लिए घोषणाएं की गई हैं। बजट की पूरे देश में चर्चा और सराहना हो रही है। सभी घोषणाएं निश्चित रूप से धरातल पर उतरेगी। इस बजट डॉक्यूमेंट को हर राज्य के मुख्यमंत्री को भेजा जा रहा है, ताकि वे इसे आधार मानकर आमजन को लाभ पहुंचा सके। हमारे वित्तीय प्रबंधन से ही राजस्थान देश में जीडीपी की विकास दर में भी दूसरे स्थान पर आ गया है। बजट चर्चा का जवाब देते हुए आगामी वर्ष में 1 लाख भर्तियों की भी घोषणा की।
राज्य सरकार समावेशी बजट, कुशल वित्तीय प्रबंधन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बढ़ते दायरे के कारण प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है। प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने के लिए सतत प्रयास कर रहे हैं। बताया कि वर्ष 2022-23 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 56 हजार 149 रही, जो कि गत वर्ष से 14.85 प्रतिशत अधिक है। पिछले 11 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में सर्वाधिक वृद्धि गत वर्ष 18.10 प्रतिशत और इस वर्ष 14.85 प्रतिशत रही है। राजस्थान की प्रति व्यक्ति आय में पिछले 4 वर्षाें में 10.01 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह वृद्धि 7.89 प्रतिशत ही रही है।
गत 3 वर्षों में राजस्थान अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय वाले पिछडे़ राज्यों से निकलकर अग्रणी राज्यों में खड़ा हो गया है। सांख्यिकी कार्यक्रम इम्प्लीमेंटेशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अगस्त, 2022 में जारी विभिन्न राज्यों की जीएसडीपी के अनुसार विभिन्न राज्यों में गत 10 वर्षों में रही वृद्धि दर के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि वाले राज्यों में राजस्थान का स्थान अग्रणी रहा है।
पिछली सरकार के समय में वर्ष 2016-17 में 21वें, वर्ष 2017-18 में 30वें और वर्ष 2018-19 में 19वें स्थान पर रहा था। वहीं, राज्य सरकार की कुशल आर्थिक नीतियों के कारण सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में राजस्थान वर्ष 2019-20 में 12वें, वर्ष 2020-21 में 10वें और वर्ष 2021-22 में 9वें स्थान पर रहा है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा 5 साल के कार्यकाल में शिक्षा, खेल, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, जल एवं स्वच्छता, सामाजिक सुरक्षा एवं सेवाएं, सड़क एवं पुल आदि क्षेत्रों में कुल 3,06,479.23 करोड़ रुपए खर्च किए। वहीं, वर्तमान सरकार द्वारा 2,26,280 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए गए है।
13 जिलों की जनता के लिए पानी उपलब्धता के लिए ईआरसीपी में 13 हजार 500 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है। प्रधानमंत्री ने हाल ही ईआरसीपी में राजस्थान-मध्यप्रदेश को शामिल कर नया विषय खड़ा कर दिया गया है। कर्नाटक में 21 हजार 450 करोड़ रुपए के ऊपरी भद्रा प्रोजेक्ट को हालांकि राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा तो नहीं दिया, लेकिन केंद्र द्वारा 5300 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया गया है। वहीं, राजस्थान को इस संबंध में राहत प्रदान नहीं की गई। वहीं, केंद्र सरकार की प्रस्तावित योजना में 2 लाख हैक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा।
मानवीय दृष्टिकोण से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की। इस बजट में बोर्ड, निगम सहित सभी के लिए ओपीएस की घोषणा की गई है। इससे कार्मिकों का भविष्य सुरक्षित होगा और उनकी चिंताएं दूर होंगी। राज्य सरकार द्वारा बजट में लम्पी रोग में अकाल मृत्यु प्राप्त गायों के परिवारों को 40 हजार रुपए प्रति गाय दिए जाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही प्रति परिवार 2-2 दुधारू पशुओं का बीमा किया है। गत सरकार द्वारा 4 साल में 143 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया, जबकि वर्तमान में 2313 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने हर क्षेत्र के बजट में कटौती की है। पर्यावरण वानिकी में 40 प्रतिशत, सीमा क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम में 71.73 प्रतिशत, राष्ट्रीय शिक्षा मिशन में 17.54 प्रतिशत, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में 30.47 प्रतिशत, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 32.90 प्रतिशत, पशुधन सहायक और रोग नियंत्रण कार्यक्रम में 30 प्रतिशत, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य मिशन में 71.19 प्रतिशत, महात्मा गांधी नरेगा योजना में 32.88 प्रतिशत की लगभग कटौती की गई। इसके साथ ही मिड-डे मील में लगभग 10 प्रतिशत, यूरिया सब्सिडी में 14 प्रतिशत, अनुसंधान में 13 प्रतिशत, आईसीडीएफ में 38 प्रतिशत, एनएफएसए में 17 प्रतिशत, इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी हार्डवेयर में 41 प्रतिशत, अटल पेंशन योजना में 28 प्रतिशत, पवन ऊर्जा में 14 प्रत��शत, आत्म निर्भर भारत रोजगार योजना में 7 प्रतिशत की लगभग कटौती की गई है।
केंद्र का सकल कर 33 लाख 52 हजार 79 करोड़ रुपए है। इसका राज्यों को देय 41 प्रतिशत यानी 13 लाख 74 हजार 352 करोड़ रुपए होता है। यह राज्यों में वितरित होना चाहिए, जबकि केंद्र द्वारा 30 से 33 प्रतिशत हिस्सा ही राज्यों को हस्तांतरित किया जाता है। इसमें राजस्थान का हिस्सा लगभग 6.026 प्रतिशत है, जिसमें 82 हजार 818 करोड़ रुपए राजस्थान को मिलने चाहिए। केंद्रीय बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 में राजस्थान के लिए 61 हजार 552 करोड़ रुपए रखा गया। इसमें राजस्थान को 21 हजार 266 करोड़ रुपए कम मिलेंगे। इसके लिए पक्ष-विपक्ष को मिलकर राजस्थान के हित में केंद्र सरकार से मांग करनी चाहिए।
15वें वित्त आयोग ने राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से 42 प्रतिशत बढ़ाया, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा राज्यों का हिस्सा कम दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले राष्ट्रीय खाद सुरक्षा मिशन में केंद्र का शेयर 100 प्रतिशत था, जिसे अब राज्य का 40 और केंद्र का 60 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में केंद्र पर 100 प्रतिशत शेयर को अब 40ः60, समेकित बाल विकास सेवाएं में 10ः90 को अब 40ः60, प्रोजेक्ट टाइगर में 15ः85 को 40ः60, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 25ः75 को 40ः60, मरूस्थलीय क्षेत्र��ं में सिंचाई निर्माण में 10ः90 को अब 40ः60, इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 25ः75 को अब 50ः50, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 25ः75 को अब 40ः60, समेकित महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में 0ः100 को अब 40ः60 और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 0ः100 शेयर पैटर्न को अब 40ः60 प्रतिशत कर दिया गया है।
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Driving License:अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो जायेगा मुश्किल, जानें नया नियम
Driving License: अगर आप भी नया ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) बनवाने का सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. बता दें कि अगले महीने से नए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि दिल्ली में अगले महीने से ड्राइविंग टेस्ट ऑटोमैटिक (Automatic) हो जायेंगे. दिल्ली में कुल 13 ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक होता है.
जिसमें से अभी तक 12 टेस्ट ट्रैक ऑटोमैटिक हो चुके हैं और अब एक बाकी है. इस प्र���्रिया से ड्राइविंग टेस्ट पास करना और भी मुश्किल हो जायेगा. क्योंकि इसमें ड्राइविंग टेस्ट ऑनलाइन यानी सीसीटीवी कैमरे और सेंसर के निगरानी में की जाती है. वाबजूद ऑनलाइन ड्राइविंग टेस्ट के कई फायदे भी हैं.
भ्रष्टाचार का होगा खात्मा
देश में बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए दिल्ली में करीब 5 साल पहले ही ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट की पहल शुरू की गई थी. आप सभी इस बात को भली भांति जानते ही होंगे कि दिल्ली के सड़को पर गाड़ी चलाना कितना मुश्किल होता है. ऐसे में आवेदकों को स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस देने से पहले उनकी ड्राइविंग स्किल की निष्पक्ष तरीके से जांच करना है.
जिससे सड़क हादसा में भी कमी आयेगी. इसके अलावा ऑटोमेटिक होने से सालों से चले आ रहे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (RTO) में भ्रष्टाचार को भी समाप्त किया जा सकता है. इसमें ड्राइविंग लाइसेंस की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन ही होगी.
24 पैरामीटर में होगा टेस्ट
अगर तो इंसान इस ऑटोमैटिक ट्रैक टेस्ट में पास नहीं करता है तो उसे अगले बार फिर से चांस दिया जायेगा और उनके पिछले टेस्ट की गलतियों का पता लगाकर उनमें सुधार करने की कोशिश करेगा. लास्ट ड्राइविंग लाइसेंस ट्रैक ऑटोमेटिक होने के बाद दिल्ली भारत का एकमात्र ऐसा राज्य बन जाएगा जहां ड्राइविंग टेस्ट का बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के किया जाएगा.
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मुंबई : अनिल बेदाग : कोविड-19 के साथ बीते दो वर्षों के लंबे इंतजार के बाद डॉ. बत्रा'ज़ ® पॉजिटिव हेल्थ फाउंडेशन ने अपने प्रतिष्ठित वार्षिक सिंगिंग कॉन्सर्ट ‘यादों की बहार’ (Yaadon Ki Bahar) के 11वें संस्करण की मेजबानी की। संगीत आयोजन का यह नया संस्करण 18 जनवरी को वाय.बी. चव्हाण ऑडिटोरियम, नरिमन पॉइंट, मुंबई में आयोजित हुआ, जहाँ पद्मश्री विजेता और डॉ. बत्रा'ज़ ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक डॉ. मुकेश बत्रा ने पुराने गानों को अपनी आवाज दी। वार्षिक चैरिटी सिंगिंग कॉन्सर्ट के मुख्य अतिथि भारतीय पार्श्वगायक और संगीत निर्देशक श्री रूप कुमार राठौड़ थे, जिन्हें ‘वीर ज़ारा’, ‘रब ने बना दी जोड़ी’, ‘बॉर्डर’ और ‘सरफरोश’ जैसी फिल्मों के लिये जाना जाता है।
'यादों की बहार’ एक शानदार इवेंट है, जिसका आयोजन ‘द शेफर्ड विडोज होम’ की वृद्ध विधवाओं की मदद के लिये होता है। इसका आयोजन डॉ. बत्रा'ज़ फाउंडेशन द्वारा किया जाता है, जोकि पिछले 30 वर्षों से वृद्ध महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करता है और उन्हें मुफ्त में मेडिकल केयर देता है।
डॉ. मुकेश बत्रा, पद्मश्री विजेता और डॉ. बत्रा'ज़ ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक, ने कहा, “यह फाउंडेशन वंचित लोगों की सहायता के लिये 22 साल पहले बना था। मेरा मानना है कि पैसों की कमी के चलते किसी को मेडिकल ट्रीटमेंट देने से मना नहीं किया जाना चाहिये। इसलिये हम देशभर में फ्री क्लिनिक्स चलाते हैं, ताकि जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें। मेरा यह भी मानना है कि बुजुर्ग लोग अकेले पड़ जाते हैं और उन्हें घर में शामिल किया जाना चाहिये। ग्रैण्डपैरेंट को गोद लेना एक बेहतरीन विचार है, जिसका वक्त आ गया है। मैं देश में कुछ ओल्ड-ऐज होम्स की मदद करके अपना योगदान कर रहा हूँ।”
मुख्य अतिथि श्री रूप कुमार राठौड़ ने कहा, “मैं पिछले 40 साल से डॉ. बत्रा को जानता हूँ और जिन्दगी को लेकर तथा कम भाग्यशाली लोगों तक पहुँचने के लिये उनके उत्साह से बड़ा प्रभावित हूँ। उनकी आवाज बहुत अच्छी है और मुझे खुशी है कि उन्होंने अपनी आवाज कर इस्तेमाल समाज की बेहतरी के लिये किया है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि उनका संगीत और उदारता उनकी तीसरी पीढ़ी तक पहुँची है और उनके पोते हृमन ने आज बहुत अच्छा परफॉर्म किया है।”
इस मौके पर भारत में होम्योपैथी को लोकप्रिय बनाने के लिये होम्योपैथी एंथेम भी लॉन्च किया गया। होम्योपैथी की अच्छाई बताने वाले इस एंथेम की परिकल्पना पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा ने की थी। इसे प्रतिष्ठित संगीत निर्देशक संजयराज गौरीनंदन ने कम्पोज किया है और महालक्ष्मी अय्यर, डॉ. राहुल जोशी और डॉ. मुकेश बत्रा ने गाया है। इसका निशुल्क वितरण होम्योपैथी कॉलेजों, होम्योपैथी डॉक्टरों और भारत में होम्योपैथी के चाहने वालों को किया जाएगा। यह दुनिया में होम्योपैथी के लिये पहला एंथेम है।
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Huge Price Drop in LPG Cylinder Petrol and Diesel
नया साल आम नागरिकों के लिए एक नया उपहार लेकर आए है। अभी-अभी एलपीजी गैस सिलिंडर, पेट्रोल और डीजल के को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। जिससे लोगों को काफी राहत मिलेगी। पिछले साल गैस सिलिंडर, पेट्रोल और डीजल के कीमतों मे दिन प्रतिदिन कीमतों मे ब्रिधि देखने को मिल रही थी। जिसके वजह से सभी आम नागरिक परेशान हो रहे थे।
LPG Cylinder Price Drop
आज भारत मे रहने वाले ज्यादातर नागरिक LPG गैस सिलिंडर का इस्तेमाल करते है और इसकी हमे हर रोज़ पड़ती है। पिछले साल एलपीजी गैस सिलिंडर की कीमत लगातार बढ़ रही थी। जिससे लोग काफी परेशान थे. लेकिन नया साल के आते ही एक बड़ी खबर सामने आई है। गैस सिलिंडर के कीमतों मे कटौती करके आज मात्र 853 रुपये कर दिए गए हैं।
अब आप भी बड़ी आसानी से इस कीमत पर गैस सिलिंडर को आपने घर ला सकते है। इसके लिए कौन-कौन से तरीके अपनाने पड़ेंगे इसकी पूरी जानकारी पाने के लिए इस लेख को विस्तार से पढ़ें।
अगर LPG मे मिलने वाले सब्सिडी के बारे मे जानना चाहते है तो हमारे इस लेख को जरुर पढ़ें; 305 रूपए तक की भारी सब्सिडी पाने के लिए आज ही करें ये काम!
Petrol and Diesel Price Drop
आज ज़माना काफी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। देश के अन्दर ढेर सारे आम नागरिक हैं जो जातायत के लिए मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए पट्रोल की कीमत बढ़ने से सीधा असर उनके जेब पर पड़ता है। दूसरी और देश के अन्दर ऐसे भी लोग है जिनके पास मोटरसाइकिल नहीं है। वे जातायत के लिए पब्लिक ऑटो या बस का सहारा लेते हैं। इसलिए डीजल की कीमत बढ़ने से जातायत करने वाले लोगों पर भी असर पड़ता है।
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