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#परमेश्वर का स्वभाव
brijpal · 5 months
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#SpiritualKnowledge
आध्यात्मिक ज्ञान
घर-घर बोध विचार हो, दुर्मति दूर बहाय । कलयुग में सब एक होई। बरतें सहज सुभाय ।।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि मेरी महिमा के ज्ञान की घर-घर चर्चा चलेगी। सबकी दुर्मति समाप्त हो जाएगी। सब परमात्मा से डरने वाले होंगे,
कोई शराब, तम्बाकू, माँस का सेवन नहीं करेगा। चोरी, जारी (व्याभिचार), डाके डालना, रिश्वत लेना पाप जानकर सब छोड़ देंगे। शुद्ध होकर सहज स्वभाव से रहा करेंगे।
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goludahiys · 2 months
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
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jayshriram2947 · 5 months
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एक अनीह अरूप अनामा अज सच्चिदानंद पर धामा
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना तेहिं धरि देह चरित कृत नाना
जो परमेश्वर एक है जिनके कोई इच्छा नहीं है जिनका कोई रूप और नाम नहीं है जो अजन्मा सच्चिदानन्द और परमधाम है और जो सबमें व्यापक एवं विश्व रूप हैं उन्हीं भगवान ने दिव्य शरीर धारण करके नाना प्रकार की लीला की है
सो केवल भगतन हित लागी परम कृपाल प्रनत अनुरागी
जेहि जन पर ममता अति छोहू जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू
वह लीला केवल भक्तों के हित के लिए ही है क्योंकि भगवान परम कृपालु हैं और शरणागत के बड़े प्रेमी हैं जिनकी भक्तों पर बड़ी ममता और कृपा है जिन्होंने एक बार जिस पर कृपा कर दी उस पर फिर कभी क्रोध नहीं किया
गई बहोर ग़रीब नेवाजू सरल सबल साहिब रघुराजू
बुध बरनहिं हरि जस अस जानी करहिं पुनीत सुफल निज बानी
वे प्रभु श्री रघुनाथजी गई हुई वस्तु को फिर प्राप्त कराने वाले ग़रीब नवाज (दीनबन्धु) सरल स्वभाव सर्वशक्तिमान और सबके स्वामी हैं यही समझकर बुद्धिमान लोग उन श्री हरि का यश वर्णन करके अपनी वाणी को पवित्र और उत्तम फल (मोक्ष और दुर्लभ भगवत्प्रेम) देने वाली बनाते हैं
जय श्री राम🏹ᕫ🌷🙏
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sidhu04u · 7 months
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#GodMorningFriday
#RealityOfKarwaChauth
जैसे जमीन सहनशील है, वैसे ही भक्त-संत का स्वभाव होना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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indrabalakhanna · 8 months
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Live : भक्ति करने के लिए जंगल में रहना आवश्यक नहीं || Episode: 1357 || S...
#GodMorningWednesday
#wednesday #wednesdaymotivation #WednesdayWisdom
#KabirIsGod
#SantRampalJiMaharaj
SUPREME GOD KABIR
Saviour of the world Sant Rampal Ji
पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज
Amazing And Precious Amrit Rupi Pvitr Aur Nirmal Saty Tatv Gyan According To Our All Holy Scriptures🙏📕🙏
Tatavdarshi Sant
Jagatguru
Satguru
Bandichod
Avatar Of Puran Brahm Kabir God_
Sant Rampal Ji Maharaj
"और ज्ञान सो ज्ञानडी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान | जैसे गोला तोब का,करता चले मैदान"
बंदी छोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार शास्त्र अनुकूल परम पवित्र सत्य तत्व अमृत ज्ञान दे रहे हैं🙏
#Aadi_Sanatan_Dharma
#आदि_सनातन_धर्म_महान_है
जितने भी नकली संत, महंत हैं वे सभी सनातन धर्मग्रंथ के विपरीत विधान बताते हैं कि परमात्मा निराकार है।
जबकि संत रामपाल जी महाराज सनातन धर्म ग्रंथ पवित्र यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15, अध्याय 5 मंत्र 1, पवित्र ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, सूक्त 86 से प्रमाणित कर दिया है की पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर से शरीर है पापों और बंधनों छुड़ाने वाले हैं सर्व सुखदायक और मोक्षदायक परमात्मा हैं |📕
संत रामपाल जी महाराज ने ही ऋग्वेद मंडल नंबर 10 सूक्त 161 मंत्र नंबर 2 में प्रमाण सहित बताया है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक के असाध्य रोग को नाश करके स्वस्थ कर देता है,उसकी 100 वर्ष की आयु भी बढ़ा देते हैं।
#श्राद्ध_शास्त्रविरुद्ध_साधना #श्राद्ध_अंधश्रद्धा_भक्ति
#क्या
📕श्रीमद् भागवत गीता में शास्त्र अनुकूल भक्ति न करने वालों को मनमाना आचरण धारण करने वाला कहां है और मनमाने आचरण से भक्ति करने वालों की पूजा भक्ति विधि को मूर्खों की पूजा और अविद्या कहा है और ऐसे मनुष्यों को आसुरी( राक्षसी) स्वभाव की संज्ञा दी है |
📕गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में भी प्रमाण है कि जो पितरों की पूजा करते हैं वे पितरों को प्राप्त होते हैं, जो भूत पूजते हैं वो भूत बनते हैं
श्राद्ध पूजा से मुक्ति संभव नहीं है।
📕पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर ने भी अपनी वाणी में कहा है_ "तीन देव की जो करते भक्ति, उनकी कभी ना होती मुक्ति | तीन गुणों की भक्ति में, भूल पड़ो संसार, कहे कबीर निज नाम बिन कैसे उतरो पार"||
📕कबीर गुरु बड़े गोविंद से, मन में देख विचार | हरि सुमिरे सो वारि हैं, गुरु सुमिरे होए पार ||
📕कबीर ये तन विष की बेलरि, गुरु अमृत की खान | सीस दिए जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ||
📕सात द्वीप नौ खंड में, गुरु से बड़ा ना कोए | करता करे न कर सके, गुरु करे सो होए ||
📕गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाएँ | बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये ||
🙏निशु:ल्क मंगवायें और पढ़े पवित्र पुस्तक *ज्ञान गंगा*/*जीने की राह* आदि |
सत्संग के अंत में सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
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@SantRampalJiM.
🥀SUPREME GOD KABIR🥀
"Prithvi Jal Thal Gagan mein, Bhitar Bahr Ek . Purn Brhm Kabir Hain, Avigat Purush Alekh." 📕
🙏SUBSCRIBE AND MUST WATCH DAILY SANT RAMPAL JI MAHARAJ ON YOU TUBE 📺 CHANNEL SHRDHAA MH 1 2:00 p.m. SADHANA tv 7:30 p.m.
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StoryOfHanumanJi
⚜️ हनुमान जी ने मुनिंद्र ऋषि जी की शरण कैसे ग्रहण की?
कौन थे मुनिंद्र ऋषि, यह जानने के लिए Download करें हमारी Official App
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⚜️परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
- संत रामपाल जी महाराज
⚜️कबीर परमेश्वर जी ने हनुमान जी को सृष्टि रचना सुनाई। सत्यकथा सुनकर हनुमान जी गदगद हुए। सत्यलोक देखने की प्रार्थना की। हनुमान जी को दिव्य दृष्टि देकर सतलोक दिखाया। ऋषि मुनीन्द्र जी (कबीर परमेश्वर जी) सिंहासन पर बैठे दिखाई दिए। मुनीन्द्र जी नीचे आए। हनुमान जी को विश्वास हुआ कि ये परमेश्वर हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है। परमेश्वर कबीर जी से दीक्षा ली। अपना जीवन धन्य किया। मुक्ति के अधिकारी हुए।
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
⚜️हनुमान जी ने अपनी पूजा करने के लिए कभी नहीं कहा। वो तो खुद एक भक्त थे | यह शास्त्र विधि छोड़ कर मनमाना आचरण है जिससे कोई लाभ नहीं है।
⚜️हनुमान जयंती पर जानिए आखिर किस भगवान की शरण में जाने से हनुमान जी को पूर्ण मोक्ष मार्ग मिला।
जानने के लिए Download करें हमारी Official App
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⚜️हनुमान जी राम जी को भगवान मानते थे और हमने हनुमान जी को पूजना शुरू कर दिया।
हनुमान जी जैसे भक्त होना दुर्लभ है पर हनुमान जी के भक्त बनना शास्त्र विरुद्ध है।
⚜️कबीर परमेश्वर जी ने हनुमान जी को सृष्टि रचना सुनाई। दिव्य दृष्टि देकर सतलोक दिखाया। हनुमान जी को विश्वास हुआ कि ये परमेश्वर हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है।
⚜️परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया।
⚜️कबीर परमात्मा मुनीन्द्र ऋषि के रूप में स्वयं आए, हनुमान जी को मोक्ष मार्ग बताया। उनका कल्याण हुआ। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे
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santram · 2 years
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*भक्त तरवर (वृक्ष) जैसे स्वभाव का होता है*
एक बार एक समुद्री जहाज में एक सेठ व्यापार के लिए जा रहा था। उसके साथ रास्ते का खाना बनाने वाले तथा मजाक-मस्करा करके दिल बहलाने वालों की पार्टी भी थी। लम्बा सफर था। महीना भर लगना था। मजाकिया व्यक्तियों को एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी जिसके ऊपर सब मजाक की नकल झाड़ सकें। खोज करने पर इब्राहिम को पाया और पकड़कर ले गए। सोचा कि इस भिखारी को रोटियाँ चाहिए, मिल जाएंगी। समुद्र में दूर जाने के पश्चात् सेठ के लिए मनोरंजन का प्रोग्राम शुरू हुआ। इब्राहिम के ऊपर मजाक झाड़ रहे थे। कह रहे थे कि एक इस (इब्राहिम) जैसा मूर्ख था। वह वृक्ष की उसी डाली पर बैठा था जिसे काट रहा था। गिरकर मर गया। हा-हा करके हँसते थे। इस प्रकार बहुत देर तक ऐसी अभद्र टिप्पणियाँ करते रहे।
इब्राहिम बहुत दुःखी हुआ। सोचा कि महीनों का दुःख हो गया। न भक्ति कर पाऊँगा, न चैन से रह पाऊँगा। उसी समय आकाशवाणी हुई कि हे भक्त इब्राहिम! यदि तू कहे तो इन मूर्खों को मार दूँ। जहाज को डुबो दूँ, तुझे बचा लूँ। ये तेरे को तंग करते हैं। यह आकाशवाणी सुनकर जहाज के सब व्यक्ति भयभीत हो गए। इब्राहिम ने कहा, हे अल्लाह! यह कलंक मेरे माथे पर न लगा। ये बेखबर हैं। इतने व्यक्तियों के मारने के स्थान पर मुझे ही मार दे या इनको सद्बुद्धि दे दो, ये आपकी भक्ति करके अपने जीव का कल्याण कराऐं।
जहाज मालिक सहित सब यात्रियों ने इब्राहिम से क्षमा याचना की तथा परमात्मा का ज्ञान सुना। आदर के साथ अपने साथ रखा। भक्ति करने के लिए जहाज में भिन्न स्थान दे दिया।
इब्राहिम ने उन सबको सत्यज्ञान समझाकर आश्रम में लाकर गुरू जी से दीक्षा दिलाई।
इब्राहिम स्वयं दीक्षा दिया करता था। जब जिन्दा बाबा यानि परमेश्वर कबीर जी को किसी ने इब्राहिम की उपस्थिति में बताया कि हे गुरूदेव! इब्राहिम दीक्षा देता है। तब परमेश्वर जी ने बताया कि हे भक्त! आप गलती कर रहे हो। आप अधिकारी नहीं हो। उस दिन के पश्चात् इब्राहिम ने दीक्षा देनी बंद की तथा अपने सब शिष्यों को पुनः गुरू जी से उपदेश दिलाया। क्षमा याचना की, स्वयं भी अपना नाम शुद्ध करवाया। भविष्य में एसी गलती नहीं की।
कबीर सागर के अध्याय ‘‘सुल्तान बोध’’ का सारांश सम्पूर्ण हुआ।
{पारख के अंग का सरलार्थ चल रहा है।}
 पारख के अंग की वाणी नं. 37.41 :
गरीब, नौ लख नानक नाद में, दस लख गोरख तीर। लाख दत्त संगी सदा, चरणौं चरचि कबीर।।37।।
गरीब, नौलख नानक नाद में, दस लख गोरख पास। अनंत संत पद में मिले, कोटि तिरे रैदास।।38।।
 सरलार्थ :- परमात्मा कबीर जी की शरण में आकर (नाद) वचन के शिष्य बनकर श्री नानक देव (सिख धर्म के प्रवर्तक) जैसे भक्त नौ लाख पार हो गए तथा श्री गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरूष दस लाख पार हो गए। श्री दत्तात्रो जैसे ऋषि एक लाख उनकी शरण में सदा उनकी महिमा की चर्चा करते रहते हैं। संत रविदास (रैदास) जैसी करोड़ों भक्त आत्मा पार हो गई कबीर जी के ज्ञान व साधना का आश्रय लेकर।(37-38)
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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prince-kumar · 2 years
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🔮संत रामपाल जी महाराज कौन हैं और उनके उद्देश्य क्या हैं🔮
संत रामपाल जी महाराज सतलोक आश्रम, बरवाला, जिला हिसार, हरियाणा के संचालक हैं जो पवित्र शास्त्रों के अनुसार कबीर भगवान का सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर रहे हैं।
स्वभाव से धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण संत रामपाल जी महाराज आमजन की तरह हिंदू देवी और देवता की भक्ति करते थे। लेकिन भगवान के प्रति विशेष लगाव के चलते परमात्मा प्राप्ति का माध्यम, गुरु की शरण ली और अपने आध्यात्मिक सफर की शुरुआत सन 1988 में कबीर ज्ञान पर आधारित गरीबदास पंथ के संत स्वामी राम देवानंद जी से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करने लगे।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी को सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में ना���दान करने की आज्ञा प्रदान की।
सतगुरु रामपाल जी महाराज ने गुरु आदेश को सर्वोपरि मानकर कबीर परमेश्वर द्वारा प्रमाणित ज्ञान को ग्रंथों में दिखाकर उसका प्रचार प्रसार, अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर, शुरू कर दिया। नतीजतन लाखों लोग सतगुरु रामपाल जी महाराज के सबसे अलग, अनसुने, धर्मग्रन्थो मे दिखाये प्रमाणित आध्यात्मिक ज्ञान को समझकर निशुल्क नाम दीक्षा धारण कर उनके शिष्य बन गये।
सतज्ञान, सतभक्ति मिलने के बाद उन्हे चमत्कारिक लाभ होने के कारण शिष्यो का अटूट विश्वाश सतगुरु रामपाल जी महाराज पर हो गया जो अब तक कायम है।
संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगो के माध्यम से सभी धर्मो के सद्ग्रंथ जैसे गीता, वेद, पुराण, बाइबल, कुरान शरीफ, गुरु ग्रंथ साहिब आदि में से प्रमाण सहित दिखाते हैं कि एक सर्वोच्च परमात्मा कबीर जी हैं व् उनको पाने की शास्त्र प्रमाणित सत भक्ति मंत्र व् विधि बताते हैं।
आध्यात्मिक ज्ञान देने के साथ साथ संत रामपाल जी महाराज ने समाज सुधार के अनेकों कार्य किये-
उन्होंने सामाजिक कुरीतियां जैसे दहेज प्रथा, नशा खोरी, विवाह में बैंड-बाजे-डीजे बजाना, बेशर्मी से नाचना, लोक दिखावा, फिजूलखर्ची, नारी के प्रति असमानता, मृत्यु भोज पर अंकुश लगाया है, आज उनका कोई अनुयायी यह बुराइयां नहीं करता।
साथ ही सतगुरु रामपाल जी महाराज धर्म के नाम पर चल रहे गोरखधंधे को उजागर कर पाखंडियों का खुलेआम पर्दाफाश करते हैं। धर्मग्रंथों के यथार्थ ज्ञान के आधार पर प्रमाण देकर नकली गुरुओं की पोल खोलकर पाखंडवाद का सफाया करते है।
इसके अलावा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी सार्वजनिक कर उसे जड़ से उखाड़ फेंकने का कठिन कार्य संत रामपाल जी ने किया है।
रक्तदान, अन्नदान और देहदान आदि परमार्थ करने के लिए लाखो लोगों को प्रेरित किया गया।आज संत रामपाल जी के सानिध्य में सैकड़ों जगहों पर निशुल्क रक्तदान शिविर और देहदान शिविरों का आयोजन किया जाता है, और संत जी के आश्रमों में 24 घंटे निशुल्क भंडारा भी चलता रहता है।
संत रामपाल जी के द्वारा दी गई शिक्षाओं से उनके भक्त आज सभी कुरीतियों से पूरी तरह से रहित हैं और लोगों को भी इन बुराइयों को छोडऩे के लिए प्रेरित करते हैं।
संत रामपालजी महाराज का उद्देश्य है की पृथ्वी स्वर्ग समान हो, और इस घोर कलयुग में पुनः सतयुग जैसा वर्तावरण हो, जिसमे लोगों के बीच आपसी भाईचारा हो और समाज में शांति हो। विश्व दहेज मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, और नशा मुक्त बने। सभी सतभक्ति करें और अपने निज धाम सतलोक को चले जाएं। समाज में किसी भी प्रकार का भेदभाव न रहे और आपसी रागद्वेश समाप्त हो जाए।
अधिक जानकारी के लिए Download करें हमारी Official App "Sant Rampal Ji Maharaj"
#8सितंबर_संतरामपालजी_अवतरणदिवस
#SantRampalJiMaharaj
#8thSeptember_AvataranDiwas
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "धरती पर अवतार"
https://bit.ly/DhartiParAvtar
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jyotis-things · 30 days
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( #Muktibodh_Part283 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part284
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 542-543
◆ अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 5
सः बुध्न्यादाष्ट्र जनुषोऽभ्यग्रं बृहस्पतिर्देवता तस्य सम्राट्।
अहर्यच्छुक्रं ज्योतिषो जनिष्टाथ द्युमन्तो वि वसन्तु विप्राः।।5।।
सः-बुध्न्यात्-आष्ट्र-जनुषेः-अभि-अग्रम्-बृहस्पतिः-देवता-तस्य-सम्राट-अहः-
यत्-शुक्रम्-ज्योतिष:-जनिष्ट-अथ-द्युमन्तः-वि-वसन्तु-विप्राः
अनुवाद :- (सः) उसी (बुध्न्यात्) मूल मालिक से (अभि-अग्रम्) सर्व प्रथम स्थान पर (आष्ट्र) अष्टँगी माया-दुर्गा अर्थात् प्रकृति देवी (जनुषेः) उत्पन्न हुई क्योंकि नीचे के परब्रह्म व ब्रह्म के लोकों का प्रथम स्थान सतलोक है यह तीसरा धाम भी कहलाता है (तस्य) इस दुर्गा का भी मालिक यही (सम्राट) राजाधिराज (बृहस्पतिः) सबसे बड़ा पति व जगतगुरु (देवता) परमेश्वर है। (यत्) जिस से (अहः) सबका वियोग हुआ (अथ) इसके बाद (ज्योतिषः) ज्योति रूप निरंजन अर्थात् काल के (शुक्रम्) वीर्य अर्थात् बीज शक्ति से (जनिष्ट) दुर्गा के उदर से उत्पन्न
होकर (विप्राः) भक्त आत्माएं (वि) अलग से (द्युमन्तः) मनुष्य लोक तथा स्वर्ग लोक में ज्योति निरंजन के आदेश से दुर्गा ने कहा (वसन्तु) निवास करो, अर्थात् वे निवास करने लगी।
भावार्थ :- पूर्ण परमात्मा ने ऊपर के चारों लोकों में से जो नीचे से सबसे प्रथम अर्थात् सत्यलोक में आष्ट्रा अर्थात् अष्टंगी (प्रकृति देवी/दुर्गा) की उत्पत्ति की। यही राजाधिराज, जगतगुरु, पूर्ण परमेश्वर (सतपुरुष) है जिससे सबका वियोग हुआ है। फिर सर्व प्राणी ज्योति निरंजन (काल) के (वीर्य) बीज से दुर्गा (आष्ट्रा) के गर्भ द्वारा उत्पन्न होकर स्वर्ग लोक व
पृथ्वी लोक पर निवास करने लगे।
अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 6
नूनं तदस्य काव्यो हिनोति महो देवस्य पूर्व्यस्य धाम।
एष जज्ञे बहुभिः साकमित्था पूर्वे अर्धे विषिते ससन् नु।।6।।
नूनम्-तत-अस्य-काव्यः-महः-देवस्य-पूर्व्यस्य-धाम-हिनोति-पूर्वे- विषिते-एष-
जज्ञे-बहुभिः-साकम्-इत्था-अर्धे-ससन्-नु।
अनुवाद - (नूनम्) निसंदेह (तत्) वह पूर्ण परमेश्वर अर्थात् तत् ब्रह्म ही (अस्य) इस (काव्यः) भक्त आत्मा जो पूर्ण परमेश्वर की भक्ति विधिवत करता है को वापिस (महः) सर्वशक्तिमान (देवस्य) परमेश्वर के (पूर्व्यस्य) पहले के (धाम) लोक में अर्थात् सत्यलोक में
(हिनोति) भेजता है। (पूर्वे) पहले वाले (विषिते) विशेष चाहे हुए (एष) इस परमेश्वर को व (जज्ञे) सृष्टि उत्पत्ति
के ज्ञान को जान कर (बहुभिः) बहुत आनन्द (साकम्) के साथ (अर्धे) आधा (ससन्) सोता हुआ (इत्था) विधिवत् इस प्रकार (नु) सच्ची आत्मा से स्तुति करता है।
भावार्थ :- वही पूर्ण परमेश्वर सत्य साधना करने वाले साधक को उसी पहले वाले स्थान (सत्यलोक) में ले जाता है, जहाँ से बिछुड़ कर आए थे। वहाँ उस वास्तविक सुखदाई प्रभु को प्राप्त करके खुशी से आत्म विभोर होकर मस्ती से स्तूति करता है कि हे परमात्मा असंख्य जन्मों के भूले-भटकों को वास्तविक ठिकाना मिल गया। इसी का प्रमाण पवित्र
ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 90 मंत्र 16 में भी है। आदरणीय गरीबदास जी को इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) स्वयं सत्यभक्ति प्रदान करके सत्यलोक लेकर गए थे, तब अपनी अमृतवाणी में आदरणीय
गरीबदास जी महाराज ने आँखों देखकर कहाः-
गरीब, अजब नगर में ले गए, हमकुँ सतगुरु आन।
झिलके बिम्ब अगाध गति, सुते चादर तान।।
अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 7
योऽथर्वाणं पित्तरं देवबन्धुं बृहस्पतिं नमसाव च गच्छात्।
त्वं विश्वेषां जनिता यथासः कविर्देवो न दभायत् स्वधावान्।।7।।
यः-अथर्वाणम्-पित्तरम-देवबन्धुम्-बृहस्पतिम्-नमसा-अव-च- गच्छात्-त्वम्-
विश्वेषाम्-जनिता-यथा-सः-कविर्देव:-न-दभायत्-स्वधावान्
अनुवाद :- (यः) जो (अथर्वाणम्) अचल अर्थात् अविनाशी (पित्तरम्) जगत पिता (देव बन्धुम्) भक्तों का वास्तविक साथी अर्थात् आत्मा का आधार (बृहस्पतिम्) जगतगुरु (च) तथा (नमसा) विनम्र पुजारी अर्थात् विधिवत् साधक को (अव) सुरक्षा के साथ (गच्छात्) सतलोक गए हुओं को अर्थात् जिनका पूर्ण मोक्ष हो गया, वे सत्यलोक में जा चुके हैं। उनको सतलोक ले जाने वाला (विश्वेषाम्) सर्व ब्रह्माण्डों की (जनिता) रचना करने वाला जगदम्बा अर्थात् माता वाले गुणों
से भी युक्त (न दभायत्) काल की तरह धोखा न देने वाले (स्वधावान्) स्वभाव अर्थात् गुणों वाला (यथा) ज्यों का त्यों अर्थात् वैसा ही (सः) वह (त्वम्) आप (कविर्देवः/ कविर्देवः) कविर्देव है
अर्थात् भाषा भिन्न इसे कबीर परमेश्वर भी कहते हैं।
भावार्थ :- इस मंत्र में यह भी स्पष्ट कर दिया कि उस परमेश्वर का नाम कविर्देव
अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी (गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 में
भी प्रमाण है) जगत् गुरु, आत्माधार, जो पूर्ण मुक्त होकर सत्यलोक गए हैं उनको सतलोक ले जाने वाला, सर्व ब्रह्माण्डों का रचनहार, काल (ब्रह्म) की तरह धोखा न देने वाला ज्यों
का त्यों वह स्वयं कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु है। यही परमेश्वर सर्व ब्रह्माण्डों व प्राणियों को अपनी शब्द शक्ति से उत्पन्न करने के कारण (जनिता) माता भी कहलाता है तथा (पित्तरम्) पिता तथा (बन्धु) भाई भी वास्तव में यही है तथा (देव) परमेश्वर भी यही है। इसलिए इसी कविर्देव (कबीर परमेश्वर) की स्तूति किया करते हैं। त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव, त्वमेव विद्या च द्रविणंम त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम् देव देव। इसी परमेश्वर की महिमा का पवित्र ऋग्वेद मण्डल नं. 1 सूक्त नं. 24 में विस्तृत विवरण है।
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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930701sblog · 1 month
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्���ोंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
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sahebraosblog · 1 month
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
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kasdikar · 1 month
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
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pleasantnightarcade · 1 month
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
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cooltimetravelking · 2 months
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
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yashwant135 · 2 months
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
⚜️पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
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garima9691 · 2 months
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#अयोध्यासे_जानेकेबाद_हनुमानको मिले पूर्ण परमात्मा
पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- संत रामपाल जी महाराज
https://youtu.be/P-rN_Viere4?si=wZDc4cukZDZoX7JT
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