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best24news · 2 years
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Haryana News: पशुओ मे आई अब एक ओर नई बीमारी, मची अफरा तफरी
Haryana News: पशुओ मे आई अब एक ओर नई बीमारी, मची अफरा तफरी
हरियाणा: प्रदेश में लंबी बीमारी से अभी राहत भी नहीं मिली है कि अब पशुओ को एक ओर बीमारी ने दस्तक दे दी है। अंबाला जिले में अफ्रीकन स्‍वाइन फीवर( African swine fever) से हड़कंप मच गया है। नारायणगढ़ के गांव भूरेवाला में सूअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि होने के बाद पशु पालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। Navratri 1st Day 2022: शारदीय नवरात्र आज से, जानिए अखण्ड ज्योति के…
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rajneesh-soni-blog · 5 years
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हिमाचल में आवारा पशुओं की बढती हुई अति गम्भीर समस्या ,जयराम सरकार नाकाम साबित -Rajneesh Soni
क्या आगामी लोकसभा चुनावों में हिमाचल में आवारा पशु ,गौ सेवा,गौ रक्षा का मुद्दा चुनावी-मुद्दा बन पायेगा या इस पर केवल राजनीती ही होती रहेगी ?
वर्तमान में उपरोक्त आवारा पशुओं का विषय बहुत गम्भीर विषय है और इसको नलवाड़ मेले के साथ इसीलिए जोड़ रहां हूँ क्यूंकि हिमाचल प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और कृषि उत्पादन , बागवानी ही पहाड़ी प्रदेश के लोगों का मुख्य कार्यक्षेत्र रहा है और एक तरफ नलवाड़ मेले में पशुओं का पूजन ,मान-सम्मान दिया जाता है और दूसरी तरफ इन्ही मेला ग्राउंड के बाहर आवारा पशुओं का जमावड़ा सडकों पर लगा होता है और वही अधिकारी सड़कों के  जाम में फसते हैं जो मेले में बैलों का पुजन कर के आते है|  प्रदेश  के कई क्षेत्रों में लम्बे समय से नलवाड़ मेले बड़ी धूम-धाम से  मनाये जाते रहें है और जिसके लिए लाखो रूपये जनता से एकत्रित करके आयोजन होता रहा है , जिससे जनता का मनोरंजन , स्टार नाईट , मुख्य अथिति की जी हजुरी ,शाल टोपी, आदि पर और बड़ी राशि  बाहरी राज्यों के गायकों , कलाकारों पर स्थानीय प्रशासन  खर्च  करता रहा है क्यूंकि इस तरह के मेलों के आयोजन के लिए सरकार के पास ज्यादा बजट नहीं होता है|
बात हिमाचल प्रदेश में संचालित हो रहे इन मेलों के  इतिहास की भी होनी चाहिए क्यूंकि हिमाचल  जैसे पाहड़ी राज्य में मार्च , अप्रैल महीने में जब ग्रीष्म-ऋतु का आगमन होने पर राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय नलवाड़ मेले का आयोजन पिछले कई दशकों से प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता रहा है जिसमे मेले के स्तर को देखते हुए आयोजन समिति में प्रशासन की भूमिका बदलती रहती है | यह नलवाड़ मेले हिमाचल के अस्तित्व में आने से पहले से ही तत्कालीन रियासतें , उनके राजा-महाराजा, अंग्रेजों के समय से इनको मनाया जाता रहा है,  जिसका मूल उद्देश्य यही था कि हिमाचल राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है जहाँ उस समय भी और आज भी 90% आबादी गावं में निवास करती है और कृषि एवं बागवानी राज्य होने के वजह से पशुओं की आवश्यकता किसानों को होती रहती थी , जिसके लिए इस तरह के नलवाड़ मेले आयोजित होते गये और पशुओं की खरीद फरोक्त के लिए किसान, आदि मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते थे | समय के साथ ऐसे मेलों का स्तर भी बदलता गया और राजनितिक नेताओं ने जनता के अनुरोध और अपने वोट बैंक को लुभाने के लिए मेले का स्तर जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय में तब्दील होता गया | आधुनिक युग में कृषि उपकरणों के आ जाने से पशुओं की आवाजाही कम होती गई और कई मेले देवता मेला में तब्दील होने लग गये और कई जगह केवल नाम की ही नलवाड़ रह गयी है, आजकल राज्य स्तरीय , जिला स्तरीय नलवाड़ मेले बिलासपुर, सुन्दर-नगर, भंगरोटू(बल्ह), धर्मपुर, जोगिन्द्रनगर, मंडी, आदि स्थानों में मनाते हैं एवं वर्ष 2000 के बाद एक नया चलन शुरू हुआ कि लोग पशुओं को मेले में लेकर तो आते थे परन्तु उन्ही स्थानों में पशुओं को खुले में छोड़ कर चले जाने लगे और ऐसे में आवारा पशुओं की संख्या बल बढ़ने लग गया तथा आजकल ऐसे नलवाड़ मेले केवल मात्र मनोरंजन मात्र रह गये है, जिसमे रस्म अदा करने के लिए मेले के प्रथम दिन बैल पूजन करने के लिए जोड़ी को लाया जाता है और बाकी दिन जनता के मनोरंजन के लिए तरह तरह की दुकाने, झोले, ���दि खरीददारी के लिए जनता इन मेलों में शिरकित करती है परन्तु एक तरफ बैलों का पूजन और हिन्दू धर्म संस्कृति में गौ का बहुत ज्यादा महत्व रहा है और गाय को माता का दर्जा दिया गया है और खुले में आवारा पशुओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है और इस बात का प्रमाण हिमाचल प्रदेश के किसी भी शहर, कस्बे के चौराहे में देखने मात्र से मिल जायेगा | कई क्षेत्रों का भ्रमण करने के बाद स्थिति का आंकलन किया जा सकता है क्यूंकि प्रदेश के हर जिला की अधिकतर तहसीलों, कस्बों में रोजाना आवारा  पशुओं का आंकड़ा बढ़ रहा है , जिसकी वजह से कई बार गम्भीर दुर्घटना हो चुकी है और आम जनता को जान गवानी तक पड़ चुकी है | जनता में यह मुद्दा कोई नेता उठाना तक नहीं चाहता और न्यूज़, मीडिया भी इस तेरह के गौ रक्षा के मुद्दे को ज्यादा जगह नहीं मिल पाती है और नामी हिन्दू धर्म संगठन जैसे विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल , आदि भी केवल मात्र सोशल मीडिया में दिखावे की गौ सेवा कर रहे है और फोटो शूट कर के कार्यक्रम दिखाने की कोशिश करते रहते हैं , यदि इनमे से किसी ने सत्य में रातल पर कुछ किया होता तो गली मुहल्ले में सडकों , रास्तों पर गाय , बैलों की संख्या दिन प्रतिदिन न बढती |  
रजनीश सोनी ने प्रश्न किया कि क्या प्रदेश सरकार सच में गौ रक्षा और आवारा पशुओं के लिए गम्भीर है ??
प्रदेश की जय राम सरकार का 15 महीनों का कार्यकाल हो चूका है, आवारा पशुओं के मामलों में ज्यादा रोक नहीं लग पायी है  बाद उन्होंने  हाल ही में गौ सेवा आयोग का गठन किया तो है  जिसमे उन्होंने गौ सेवा , गौ रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने  के दावे तो किये गये हैं परन्तु मात्र कागजों में क्यूंकि यदि सरकार ने धरातल में कोई प्रयास किये होते तो आज खुले में इतनी ज्यादा संख्या में पशु नहीं दिखाई पड़ते ,  वैसे तो वर्तमान में तकनीक और विज्ञान की मदद से सरकार और प्रशासन बहुत दावे करते हैं , पर जिस प्रकार से मुख्यमंत्री के अपने जिला में इर्द गिर्द झांके तो सरकार और विभागों के सभी दावे खोंखले नजर आते हैं चलो बात हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के बल्ह क्षेत्र की करते है कि हकीकत में यहाँ आवारा पशुओं पर लगाम लगी है या हाल बेहाल है, उभरता हुआ क्षेत्र बल्ह क्षेत्र, जो तेजी से विकसित हो रहा है जिसमे शिक्षा, स्वास्थ्य, ऑटोमोबाइल, होल-सेलर , कृषि उपकरणों, मेडिकल हेल्थ का बड़ा हब बनने जा रहा है और ग्राहकों की शॉपिंग के लिए पहली पसंद नेर चौक है परंतु यह क्षेत्र एक ऐसी समस्या से ग्रसित है जिसका पूर्ण निवारण कोई भी सरकार, अधिकारी ,नेता ,मंत्री गण आज तक नहीं कर पाएं हैं, हम बात कर रहे हैं दिन प्रतिदिन बढ़ते आवारा पशुओं की समस्या की, जिससे सभी वर्ग के लोग परेशान है। आखिर कौन लोग है जो अपना पशु धन सड़कों पर छोड़ कर भाग जाते है , क्या यह स्थानीय लोग करते है या अन्य राज्यों से आए करते हैं। इसका उत्तर अभी तक कोई नहीं ढूंग पाया है।
आवारा पशुओं के द्वारा आए दिन किसानों की फसल को बर्बाद होते देखा जाता है, जिसमे किसान को भारी नुकसान झेलना पड़ता रहा है।शहरों में बीच सड़कों पर शान से यह पशु अपनी महफ़िल सजाए रहते है, जितना मर्जी हार्न बजाओ , हिलने का नाम तक नहीं लेते, जिससे दुर्घटना का खतरा भी बढ़ता है और जाम लगने पर  ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारियों को सड़कों पर मुशकत करते सभी ने देखा होगा।  घरों और दुकानों की छतों पर आए दिन बन्दर नजर आते हैं । छोटे बच्चे अपने घरों में खेल भी नहीं सकते। आवारा कुत्तों की समस्या से बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ता है ।
आए दिन किसी ना किसी को कुत्ते के काटने के मामले हस्पतालों में देखने को मिलते है।
क्या बताए.... कई बार जान तक गई है लोगों की || आखिर इतने कम अंतराल में आवारा पशु क्यूं बढ़ रहे हैं। इसका कोई ठोस जवाब किसी भी  प्रशासनिक अधिकारी द्वारा नहीं मिला ।
आवारा पशु की समस्या एवं उनके निदान वर्तमान मे आवारा पशु  शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रो मे गंभीर समस्या बन गई है । गाय , बैल , बन्दर, कुत्ते , आदि आवारा पशु रहवास�� इलाको मे बहुतायत से घूमते मिल जाते है। यदि इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते है। आवारा पशु यातायात को बाधित करते है जिससे सड़क दुर्घटनाएँ होती है और यातायात जाम भी हो जाता  है। आवारा पशु अपने मल-मूत्र से गाँव और शहर को अस्वच्छ करते है । इस से कई बीमारियाँ फेलने का खतरा होता है ।
आवारा पशु-पक्षी  की समस्या से निदान के लिए शासन को सख्ती के साथ इन पशुओं को कहीं पर स्थान चिन्हित कर के पंचायत स्तर पर गऊ शाला निर्मित करनी ही पड़ेगी  । इसके साथ  ही इनके मालिकों पर भी सख्त कारवाई करनी चाहिए ताकि वे अपने पालतू पशुओ को आवारा न छोड़े । साथ साथ घनी आवादी वाले क्षेत्रो मे पालतू पशुओ की संख्या पर भी सीमा होना चाहिए। टोकन या कोई पंजीकरण प्रक्रिया और रेडियम कोल्ल्रर ,  आई-रेटीना या अन्य पंजीकरण प्रक्रिया आरंभ करने पड़ेगी।
रेडियो , टेलिविजन , समाचार पत्र आदि संचार  के साधनो के माध्यम से लोगो मे इस समस्या के प्रति जागरूकता फेलाना चाहिए। कैसे पशुओं के कारण दुर्घटनाये कम हो, इसके लिए प्रशाशन , ग्राम पंचायत एवं नगर निकाय के जन प्रतिनिधि मिलकर समय समय पर बैठके कर के ठोस रणनीति तैयार कर सकते हैं |
क्यूंकि बल्ह क्षेत्र में केवल मात्र दो गौशाला एक घौड (रिवल्सर) में तथा दूसरी नगर परिषद  नेर चौक के वार्ड 2 ढांगु में  , जो निजी संस्था के रूप में संचालित हो रही है और पशुओं कि संख्या कुछ अंक तक सीमित है। मात्र गौ शाला निर्मित करना ही लक्ष्य नहीं होना चाहए , गौ शाला का रख रखाव , आदि वित्त साधनों पर कैसे प्राप्त कर सके , सरकार को सोचना होगा | स्थानीय विधायक और प्रसाशन से निवेदन रहेगा कि बल्ह के आवारा पशुओं के लिए कोई ठोस नीति बनाई जाना आवश्यक है तथा प्रदेश स्तर पर प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री ने आवारा गाय के सरक्षण के लिए कड़े कदम उठाने के प्रयास शुरू किए और कुछ दिन पूर्व कहा था कि हर पंचायत में गऊ शाला बनेगी  और उनकी माने तो हिन्दू संस्कृति में गौ, गायत्री, गंगा, गीता इनका महत्व हर सनातन धर्म और हर भारतीय  को समझना चाहिए और इनका संरक्षण करना ही हर सनातन धर्म और हिन्दू का कर्तव्य होना चाहिए। अन्यथा जिस प्रकार गौ मांस के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ रहें हैं तो उसमे भी हमारी माता गाय सुरक्षित नहीं है। गौ का संरक्षण अत्यंत अत्यंत आवश्यक होना चाहिए। क्यूंकि गाय के कारण दूध, घी, दही, आदि उत्पन होता है। हिन्दू धर्म में मानव जीवन के जन्म और मृत्यु के वक़्त गौ मूत्र ही दिया जाता है । माननीय मुख्य मंत्री हिमाचल प्रदेश से निवेदन रहेगा कि प्रदेश को आपके युवा नेतृत्व से बहुत उम्मीदें है और उस पर खरा उतरना ही आपकी सबसे कसौटी रहेगी। कृपया आवारा पशुओं के लिए कोई ठोस और सख्त नीति बनाई जाए , जिससे पंचायत स्तर पर गऊ शाला का निर्माण हो सके और स्थानीय लोगों को रोजगार और स्व रोजगार के अवसर भी मिल सके और गाय के गोबर, मल मूत्र से जैविक खेती के लिए जैविक खाद और स्प्रे का निर्माण कर सके ताकि किसानों और कृषि से कार्य करने वालों इसका फायदा हो सके ताकि जो स्वप्न माननीय महामहिम हि०प्र आचार्य देवरत जी ने प्रदेश को जैविक राज्य बनाने का देखा है उसमे हम सभी अपनी ओर से कुछ प्रयास कर सके । पशु का सरक्षण होंगे तो राज्य जैविक बनेगा और अनेकोनेक अवसर ग्रामीणों को मिलेंगे।          लेखक, रजनीश सोनी; मोबाइल- 8679300086
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jaihoanimalcare · 3 years
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(हिंदी में नीचे पढ़े) Yesterday , on the occasion of World Environment Day, Jai Ho Animal Care Trust Team cleaned the bank of Yamuna and ran a plantation program on the bank of Yamuna. It is to be known that Jaiho Animal Care Trust works for the treatment and protection of injured, sick cows and all other animals in road accident. Vikas, the founder of the trust, told that while the whole world is battling an epidemic like corona.. On the other hand, due to lack of trees , there was a severe shortage of oxygen in the past, due to which many people lost their lives. We have to be aware of the environment, we need to plant more and more trees to make our rivers healthy and clean air. Where we humans are setting up factories, the number of vehicles is increasing, due to which pollution is spreading.. On the other hand, instead of planting trees, we are cutting trees continuously, about which we need to be aware. We have to create such an environment for our coming generation so that they do not have to face these problems.
आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जय हो एनिमल केयर ट्रस्ट टीम ने यमुना तट की साफ सफाई की व यमुना किनारे पौधा रोपण प्रोग्राम चलाया। ज्ञात हो कि जयहो एनिमल केयर ट्रस्ट रोड एक्सीडेंट मे घायल, बीमार गायो व अन्य सभी पशुओ के उपचार व सरक्षंण करने का कार्य करती है। ट्रस्ट के संस्थापक विकास ने बताया कि एक और जहां पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है..वही दूसरी और लगातार पेड़ करने की वजह से पिछले दिनों ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखने मे आई, जिसकी वजह से अनेको इंसानो को जान गवानी पड़ी। हमे पर्यावरण के प्रति जागरूक होना पड़ेगा, हमे अपनी नदियों को स्वस्थ व साफ हवा हेतु ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की आवश्यकता है। हम इंसान एक और जहां फैक्ट्रियां लगा रहे है, वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है,जिससे कि प्रदूषण फैलता जा रहा है..वही दूसरी और पेड़ लगाने की बजाय हम लगातार पेड़ काट रहे है, जिसको लेकर हमे जागरूक होने की आवश्यकता है। हमे अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक ऐसा वातारवरण तैयार करना है जिससे कि उन्हें इन समस्याओ का सामना न करना पड़े।
इस कार्यक्रम में संस्था के संस्थापक विकास मुखिया, कृष्ण मित्तल जी, अमर सिंह रावल जी, अर्जुन पुंडीर, अजय पुंडीर, राहुल प्रजापत उर्फ छोटू, दीपक कुमार, रवि खोखर आदि मौजूद रहे।
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best24news · 2 years
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Haryana News: Swachh Award से नवाजा जाएगा ये शहर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेगी सम्मानित
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धारूहेडा: आजादी अमृत महोत्सव की श्रृंखला में स्वच्छ भ���रत मिशन के तहत धारूहेडा को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। धारूहेड़ा नगरपालिका को स्वच्छ शहर के अवार्ड से नवाजा जाएगा। आगामी एक अक्टूबर को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित होने वाले सम्मान समारोह में जिला रेवाड़ी की नगर पालिका धारूहेड़ा को यह अवार्ड दिया जाएगा। Haryana News: पशुओ मे आई अब एक ओर…
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