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#पुरानी पेंशन योजना क्या है
sharpbharat · 10 months
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jharkhand cabinet important meeting - झारखंड कैबिनेट की बैठक में 29 अहम फैसले लिये गये, रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों के खिलाफ चलेगा आय से अधिक संपत्ति पर केस दायर करने का मुकदमा, सरकार ने दी मंजूरी, प्रभात खबर के झारखंड संपादक अनुज सिन्हा की ट्राइबल हीरो शिबू सोरेन पुस्तक सरकारी स्कूलों में बंटेंगे, जानिये क्या क्या हुआ अहम फैसला
रांची : झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार ने कैबिनेट में कई अहम फैसले लिये है. इसके तहत झारखंड के निर्यात नीति को जहां मंजूरी दी गयी, वही पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेने की प्रक्रिया को भी मंजूरी देकर राज्यकर्मियों को बड़ा तोहफा दिया. सबसे अहम फैसला सरकार ने यह लिया कि झारखंड के रघुवर दास सरकार में रहे पांच मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दायर करने की मंजूरी दे दी. झारखण्ड सरकार के…
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dainiksamachar · 1 year
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पीएम किसान और ओल्ड पेंशन पर कुछ नहीं... 2024 के चुनावों को देखते हुए कहां ठहरता है बजट?
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए सरकार ने लगातार दसवां बजट पेश किया है। बजट से पहले सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि वह कौन सा रास्ता चुने। एक रास्ता लोकलुभावन बजट का था, जो कोविड के बाद आम लोगों के लिए कई सौगात की ओर ले जाता। दूसरा रास्ता, आर्थिक सुस्ती और भविष्य में उठापटक की आशंका के बीच रक्षात्मक रुख के साथ संतुलन बनाने की ओर जाता था। सरकार ने दूसरा रास्ता चुना। ऐसा इसलिए भी कि भले 2024 में पूर्ण बजट नहीं होगा, लेकिन लोकलुभावन बजट का विकल्प खुला रहेगा। साल 2019 के अंतरिम बजट में भी सरकार ने कई बड़े फैसले किए थे। इस बजट से सरकार ने पांच सियासी और आर्थिक संदेश देने की कोशिश की है। 1- मिडल क्लास को खुश करने की कोशिश कुछ वर्षों में मिडल क्लास ने जिस तरह राजनीति में रुचि बढ़ाई है और नैरेटिव बनाने में जिस तरह इस तबके की भूमिका सामने आई है। उसके अनुरूप इस वर्ग को सरकार से उम्मीद के मुताबिक, सौगात नहीं मिली थी। लेकिन इस बजट में इस वर्ग को भी काफी कुछ मिला है। इनकम टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव और नौकरियों पर जोर से सरकार ने मिडिल क्लास को संबोधित करने की कोशिश की है। 2-गरीबों पर फोकस सरकार ने बजट में गरीबों पर पूरा फोकस रखा। बीजेपी की लगातार मजबूत सियासी स्थिति में गरीब वोटरों का बड़ा योगदान रहा है। ऐसे में इस बजट में मुफ्त अनाज, हर घर जल, सभी को घर से जुड़ी योजनाओं के जरिए सरकार ने इस तबके पर अपनी पकड़ बनाए रखने की पूरी मंशा दिखाई है। जिस तरह बीते कुछ महीनों से सरकार ने आदिवासी समुदाय के बीच अपनी कमजोर होती पकड़ को मजबूत करने की कोशिश की है, उसकी भी झलक इस बजट में दिखी। 3- किसान का भी ध्यान बजट में खेती और किसान पर भी जोर रहा। दरअसल बीते कई वर्षों से किसानों का मोदी सरकार के साथ रिश्ता उतार-चढ़ाव भरा रहा है। साल 2019 से पहले जब पूरे देश में अलग-अलग किसान आंदोलन हुए, तब किसान सम्मान निधि का एलान हुआ, जिसका लाभ तब चुनाव में मिला। इस बार खेती के कर्ज का लक्ष्य 2023-24 के लिए बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया गया है। लेकिन कई मदों में कटौती भी की गई। 4- रेवड़ी कल्चर से परहेज बजट से पहले किसान सम्मान निधि बढ़ाने की चर्चा थी। सुगबुगाहट यह भी थी क्या विपक्ष के दबाव में सरकार पुरानी पेंशन की वापसी का संकेत देगी? लेकिन सरकार ने परहेज किया। कोई बड़ी मुफ्त योजना का ऐलान भी नहीं किया। दरअसल पिछले दिनों पीएम ने रेवड़ी कल्चर के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। ऐसे में बजट में इन चीजों से परहेज किया गया। मुफ्त राशन को जरूर जारी रखा गया, लेकिन फूड सब्सिडी में कमी की भी बात कही गई। 5- भविष्य के प्रति सतर्क नजरिया सरकार ने सकारात्मक संदेश देने की भी पूरी कोशिश की, लेकिन भविष्य की आर्थिक अनिश्चितता का साफ असर भी बजट पर दिखा। वैश्विक मंदी की आशंका के बीच सरकार ने कोई बड़ा जोखिम लेने से परहेज किया। साथ ही, ऐसे फैसलों से भी दूरी रखी जो बाजार का सेंटिमेंट कमजोर करे। वित्तीय घाटे को काबू में रखने की मंशा दिखाई गई। इन कदमों को आने वाले दिनों में किसी भी सूरत से निपटने की तैयारी के रूप में देखा गया। http://dlvr.it/ShpbM9
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newslobster · 1 year
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सरकारी कर्मचारियों के लिए संसद से जरूरी खबर, Old Pension Scheme पर Latest Update
सरकारी कर्मचारियों के लिए संसद से जरूरी खबर, Old Pension Scheme पर Latest Update
पुरानी पेंशन योजना पर latest news नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश का चुनाव कांग्रेस पार्टी पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के मुद्दे पर जीत गई. इससे पहले भी कुछ राज्यों में इस योजना को लागू किया गया है. यह सभी राज्य गैर बीजेपी शासित राज्य है. छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान और फिर पंजाब इस बारे में फैसला ले चुके हैं. अब हिमाचल भी इस कतार में आ गया है. क्या यह योजना लागू हो चुकी है. या नहीं… इस पूरी योजना…
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sabkuchgyan · 2 years
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Government Old Pension: सरकार ने इन कर्मचारियों को दी पुरानी पेंशन चुनने का विकल्प, क्या करना होगा?
Government Old Pension: सरकार ने इन कर्मचारियों को दी पुरानी पेंशन चुनने का विकल्प, क्या करना होगा?
Government Old Pension: नई पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना के बीच विवाद के बीच केंद्र सरकार ने कुछ मामलों में अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनने की अनुमति दी है। केंद्रीय सिविल सेवा नियम 2021 के तहत विकलांग होने पर कर्मचारी को सेवा से मुक्त करने की स्थिति में उसे पुरानी पेंशन योजना का विकल्प मिल सकता है। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने अपने कार्यालय ज्ञापन में कहा है,…
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bihar-teacher · 2 years
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केंद्र सरकार: दशहरा पर सरकार ने दिया कर्मचारियों को बड़ा तोहफा ! DA में 4% की हुई बढ़ोतरी। सैलरी में भी हुआ बम्पर उछाल।
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को एक बार फिर बड़ा तोहफा देने का एलान किया है जिसके अंतर्गत केंद्रीय कर्मचारियों के DA यानी महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। इस बढ़ोतरी से कर्मचारियों के वेतन में एक बड़ा उछाल देखने को मिलगा अभी माना जा रहा है कि DA बढ़ोतरी सिर्फ केंद्रीय कर्मचारियों की ही नहीं बल्कि राज्यों की सरकार भी इसे लागू कर सकती है। बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार ऐसे कदम उठा रही है। दशहरे पर मिला तोहफा DA/DR की बढ़ोतरी की घोषणा आमतौर पर मार्च और सितंबर में की जाती है। जैसा कि सितंबर पहले ही शुरू हो चुका है और त्योहारों का मौसम नजदीक है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को दशहरे पर DA वृद्धि की घोषणा अधिसूचना प्राप्त होने की उम्मीद है। कितनी हुई बढ़ोतरी?  सरकार दशहरे पर DA की दर 34% से बढ़ाकर 38% कर सकती है। सेवानिवृत्त लोगों के लिए DR दर में भी इसी तरह की वृद्धि की उम्मीद है।  क्या है DA गणना प्रक्रिया ? सरकार हर छह महीने में DA/DR दर में बदलाव करती है। यह मंहगाई के कारण क्रय हुए नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। DA/DR दर केंद्र सरकार के कर्मचारियों और सेवानिवृत्त लोगों दोनों को लाभान्वित करती है।   DA/DR की गणना के लिए सातवें वेतन आयोग द्वारा सुझाए गए फॉर्मूले का इस्तेमाल कर किया जाता है। वर्तमान में, श्रम और रोजगार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा प्रकाशित अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति की दर द्वारा DA को विनियमित और निर्धारित किया जाता है।  CPI-IW का उपयोग औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों के लिए DA की गणना करने के साथ-साथ अनुसूचित रोजगार में न्यूनतम मजदूरी तय करने और संशोधित करने के लिए किया जाता है। कर्मचारियों के लिए DA का प्रतिशत = ×100। DA का प्रतिशत के लिए महंगाई भत्ता प्रतिशत= (बीते 3 महीनों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत (बेस ईयर 2001=100)-126.33))x100 Old Pension Scheme: कर्मचारियों ने लगाए प्रधानमंत्री से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की गुहार! लिख डाले आँसुओं भरे पत्र। Read the full article
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uppssms · 2 years
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सजायाफ्ता नेताओं को पुरानी पेंशन (old pension scheme)तो कर्मचारियों को क्यों नहीं:अतीक अहमद, डीपी यादव जैसे नेताओं को तो मिल रही, 20 लाख कर्मचारी कर रहे आंदोलन
सजायाफ्ता नेताओं को पुरानी पेंशन (old pension scheme)तो कर्मचारियों को क्यों नहीं:अतीक अहमद, डीपी यादव जैसे नेताओं को तो मिल रही, 20 लाख कर्मचारी कर रहे आंदोलन
Old pension scheme उत्तर प्रदेश विधानसभा के करीब 2460 पेंशनर्स हैं। इनमें से 85% यानी 2091 माननीय पूर्व MLA-MLC हैं। 20% यानी 492 दागी हैं। इनमें अतीक अहमद, डीपी यादव जैसे नेताओं को पेंशन मिल रही है, लेकिन 20 लाख कर्मचारी अपने हक के लिए 17 साल से आंदोलन कर रहे हैं। इनकी मांग है कि इन्हें पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत पेंशन मिले। चुनावी माहौल में भी इनकी उम्मीद धूमिल होती जा रही है। रिटायर्ड…
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realtimesmedia · 2 years
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पढ़ें: भूपेश के बजट में क्या है ख़ास...
पढ़ें: भूपेश के बजट में क्या है ख़ास…
रायपुर(realtimes) भूपेश बघेल की सरकार ने आज विधानसभा में अपना चौथा बजट पेश किया. छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान कर दिया है. इसे लेकर कर्मचारियों में जबरदस्त खुशी का माहौल है. इसके अलाव बजट 2022-23 में ये है ख़ास रैली ककून का संग्रहण कर राज्य में ही धागा उत्पादन एवं प्रसंस्करण की व्यवस्था की जाएगी धागा उत्पादन एवं प्रसंस्करण की व्यवस्था हेतु मुख्यमंत्री रेशम…
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darkwombatnacho · 2 years
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मध्यप्रदेश में और कहाँ लागू हो सकती है पुरानी पेंशन योजना, जानिए क्या है नई और पुरानी पेंशन में अंतर
मध्यप्रदेश में और कहाँ लागू हो सकती है पुरानी पेंशन योजना, जानिए क्या है नई और पुरानी पेंशन में अंतर
मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का मुद्दा इस बार बजट सत्र में देखने को मिल सकता है। कांग्रेस इस मुद्दे को लगातार उठा रही है। यहां तक कि भाजपा विधायक ने भी इस मांग का समर्थन कर सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। वहीं खबर है कि सरकार भी इसके नफा-नुकसान का आंकलन कर रही है। राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया। इस फैसले को इतना पसंद किया जा रहा है कि यह देशभर में चर्चा का…
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mukhtarahmed · 4 years
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आप कम से कम ₹300 टेलीविजन देखने पर खर्च कर रहे चाहे डिश हो या केबल पर इस यह ₹300 आप के खिलाफ ही इस्तेमाल हो रहा है चाहे न्यूज़ चैनल हो या ड्रामे हो या हिस्ट्री हो हर जगह हिंदू मुस्लिम को लड़ाने भेदभाव पैदा करने वाली संस्कृति परोसी जा रही है क्या आज का टेलीविजन न्यूज़ चैनल ड्रामे हिस्ट्री खेल क्या आपकी जिंदगी से जुड़े इन मुद्दों को उठा रहे हैं या आप के खिलाफ ही काम कर रहे हैं सोचिए और घरों से टेलीविजन निकाल फेंकिए इनकी कमर टूट जाएगी और यह आपके मुद्दे उठाने पर आमादा हो जाएंगे अगर आज आप आपने टेलीविजन घर से नहीं निकाला, आप गुलामी के लिए तैयार रहिए ,यह गुलामी की संस्कृति आपके मन मस्तिष्क में डाली जा रही है एक नफरत का माहौल आपके मन मस्तिष्क में डाला जा रहा है हजारों करोड रुपए आपसे कमाकर आप के खिलाफ इस्तेमाल हो रहे हैं जरा नीचे लिखे कुछ मुद्दों पर गौर कीजिए क्या यह मुद्दे टेलीविजन उठा रहा है 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 क्या आप जानते हैं एलआईसी पर सरकार के फैसले से 30 करोड़ एलआईसी धारको पर इसका गंभीर असर पड़ेगा क्या जानते हैं आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर सरकार द्वारा संविधान में बदलाव से 75 करोड़ SC ST OBC पिछड़ा वर्ग आदिवासी पर इसका गंभीर असर पड़ेगा क्या आप जानते हैं ₹150 से गैस का भाव बढ़ाने से 20 करोड़ परिवारों पर इसका असर पड़ा है क्या आप जानते हैं पिछले 45 वर्ष में भारत बेरोजगारी के सबसे निचले स्तर पर आ चुका है क्या जानते हैं बलात्कार जासूसी काला धन अपराध के मामलों में भारतीय जनता पार्टी और RSS. से संबंधित लोगों पर सरकार कार्यवाही नहीं करती है या उनको बचाती है क्या आप जानते हैं कि 200000000 परिवार की महिलाओं ने नोटबंदी के सभी बुरे समय के लिए जमा किए गए धन को निकाला और उनके घर की अर्थव्यवस्था खराब हुई 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 क्या आप जानते हैं के गवर्नर सुप्रीम कोर्ट सीबीआई ईडी चुनाव आयोग सब की गरिमा नीचे गिरी है 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 क्या आप जानते हैं पुलवामा में शहीद हुए लोग इंस्पेक्टर दविंदर सिंह का पकड़ा जाना और ऐसे कई जासूसी कांड पर सरकार की चुप्पी क्यों है 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 क्या जानते हैं CAA NRC NPR के तहत कागजों को दिखाने के मामले में प्रत्येक भारतीय को एक कठिन प्रक्रिया से गुजरना होगा आप का वोटिंग का अधिकार छीन सकता है आपकी संपत्ति जप्त हो सकती है आपको विदेशी घोषित किया जा सकता है आपके शिक्षा के स्वास्थ्य के सारे अधिकार छीने जा सकते हैं भारत सरकार और राज्य सरकार की करोड़ों कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लिए लड़ रहे हैं हम टैक्सपेयर की गाढ़ी https://www.instagram.com/p/B8y0v3CnJ-g/?igshid=1482gykd5wv55
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cnnworldnewsindia · 5 years
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भारत में पेंशन प्रणाली: सभी कर्मचारियों से निवेदन है कि इस लेख को पूरा पढें और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
भारत में पेंशन  प्रणाली एक सदी से भी अधिक समय से प्रचलित है। आजादी से पहले, ब्रिटिश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों  के लिए पेंशन  नियम पेश करके  उसे वैधानिक बना दिया था।
1982 में सुप्रीमकोर्ट  ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया जिसमे  घोषित किया गया कि
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 ‘‘भारतीय संविधान के अनुसार सरकार पेंशनभोगियों को सामाजिक एवं आर्थिक संरक्षण देने के लिए बाध्य है और सरकारी सेवा से सेवानिवृतों के लिए पेंशन उनका मौलिक अधिकार है। पेंशन न तो उपहार है और ना ही नियोक्ता की सद्भावना या मेहरबानी है। यह एक अनुग्रह भुगतान भी नहीं है बल्कि उनकी पूर्व में की गयी सेवाओं का भुगतान है। यह एक सामाजिक कल्याणकारी मानदण्ड है, जिसके तहत उन लोगों को सामाजिक-आर्थिक न्याय देना है,जिन्होंने  अपनी पूरी जवानी नियोक्ताओं के लिए निरंतर कड़ी मेहनत करने में इस भरोसे  में बितायी है कि उनके बुढ़ापे  में उन्हे बेसहारा  नहीं  छोड़ दिया जाएगा’’।1980 के दशक में  भूमंडलीयकरण नीतियों  (globalization ) के  आगमन के साथ ही साथ ‘पेंशन  सुधारों  की भी शुरुआत हुई।पेंशन  सुधारों (Pension Reforms) की आवश्यकता पर जोर देते हुए आई.एम.एफ. और  विश्व बैंक ने कई रिपार्टे  आरै लेख प्रकाशित करना शुरु किया।भारत में पेंशन  के क्षेत्र में होने वाले सुधारों  के बारे में रिपार्टे  प्रकाशित करना शुरु कर दिया। 2001 में *‘‘भारत में पेंशन  सुधारों पर आई.एम.एफ. का कार्य - पत्र’’* और विश्व बैंक भारत की विशिष्ट रिपोर्ट  ‘‘भारत - वृधावस्था में आय सुरक्षा की चुनौती प्रकाशित  की गई।इन रिपोर्ट  में यह तर्क दिया गया कि सरकारों द्वारा किये गए पेंशन दायित्वों  या किए गए वायदों  से सरकारी वित्त पर दबाव डालेगा अतः  यह अस्थिर हो जायेगा।अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जब पूर्व एनडीए सरकार सत्ता में आयी, वह भी नवउदारवादी नीतियों  के प्रति कटिबद्ध थी, स्वेच्छा  से आई.एम.एफ. और विश्व बैंक के निर्देशों  के अनुसार पेंशन ‘सुधारों ' को प्रस्तुत किया।2001 में उसने  तथाकथित  पेंशन ‘सुधारों '  का अध्ययन आरै अनुशंसा करने के लिए कर्नाटक के पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में ‘भट्टाचार्य समिति’ नियुक्त की।उसने पुरानी पारम्परिक सुनिश्चित पेंशन  हितलाभों से कर्मचारियों को वंचित करने की भूमिका  तैयार की।भट्टाचार्य समिति की सिफारिशों को लागू करते  हुए एनडीए सरकार ने नयी पेंशन  योजना  को पेश  किया, जिसे सुनिश्चित अंशदायी योजना बताया और कहा कि 1.1.2004 के बाद जो भी कर्मचारी नौकरी पर लगा है, उस पर यह लागू होगी।2004 में सत्ता में आयी कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने भी उन सुधारों  को जारी रखते हुए एन.पी.एस. को वैधानिक बनाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया। लेकिन अन्य दलों, जिनके समर्थन पर इसका अस्तित्व टिका था, के कड़े  विरोध के कारण यूपीए -1 सरकार इस पेंशन  बिल को संसद में पारित नहीं  करा पायी।बाद में जब यूपीए-2 सत्ता में आयी तब ‘पेंशन  फंड  रेग्यूलेटरी एवम डेवल्पमेटं आथरिटी’ (पी.एफ.आर.डी.ए.) का बिल संसद में पारित हो  गया। विपक्षी दल होने के बावजूद भाजपा ने इसका समर्थन किया। यह इस तथ्य को स्पष्ट रूप से सामने लाता है कि नवउदारवादी नीतियों के तहत, जनता के सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी उपायों  में कटौती करने और देशी-विदेशी कोर्पोरेट्स  को धन हस्तांतरण  के मामले में अ  और ब में कोई अंतर नहीं है।एनपीएस न केवल केन्द्रीय और राज्य सरकार के नए कर्मचारियों  पर लागू है बल्कि सावर्जनिक क्षेत्र तथा स्वायत्त निकायों  में लगभग सभी नये कर्मचारियों  पर भी लागू हो रहा है। *एनपीएस क्या है?*इस नयी योगदान आधारित पेंशन  योजना के अनुसार कर्मचारियों  के वेतन में से हर महीने मूल वेतन मँहगाई भत्ता (डीए) का 10% काटकर कर्मचारी के पेंशन  खाते में जमा किया जाता है। उसके समान राशि नियोक्ता की ओर से भी जमा की जाती है। कुल राशि पी.एफ.आर.डी.ए. अधिनियम के तहत पेंशन फंड में जमा की जाती है।इसमें योगदान राशि तो परिभाषित की गई है लेकिन सेवानिवृत के बाद कर्मचारी को मिलने वाली पेंशन  राशि को परिभाषित नहीं किया गया है।पेंशन फंड  में जमा धन शेयर  बाजार में निवेश किया जा रहा है। पी.एफ.आर.डी.ए. अधिनियम के अनुसार ग्राहकों द्वारा खरीदे जाने वाले शेयर के अन्तर्निहित कोई परोक्ष या सुस्पष्ट आश्वासन नहीं होंगे ।इस प्रकार पेंशन फंड में जमा राशि बढ़ भी सकती है या घट भी सकती है। यह शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर आधारित है।60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत होने के बाद पेंशन  खाते  में संचित राशि का 60% टेक्स काटकर जो वर्तमान में तीस प्रतिशत है ,वापस मिल जाता है और बाकी 40% बीमा वार्षिकयोजना  में जमा की जाती है बीमा वार्षिक योजना से प्राप्त मासिक राशि ही मासिक पेंशन है।इस प्रकार  देखा जा सकता है कि पेंशन  फंड  में जमा राशि में बढ़ोतरी शेयर बाजार की अनियमिताओं  पर निर्भर करती है।यदि शेयर बाजार में गिरावट आई है, जैसा कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान हुआ था, तो पेंशन  फंड  में पूरी राशि गायब हो सकती है।उस स्थिति में  कर्मचारियों  को कोई पेंशन  नहीं मिल सकेगी। शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को न तो कर्मचारी नियंत्रित कर सकता है और ना ही कोई भविष्यवाणी की जा सकती है, जो एनपीएस के तहत कवर किए गए कर्मचारियों  की पेंशन  के भविष्य को प्रभावित करेगी।पेंशन की अनिश्चितता और रिटायर्ड जिंदगी कर्मचारी के सर पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं। अगर शेयर बाजार स्थिर भी हो तब भी 40% बीमा वार्षिक योजना की राशि कर्मचारी के अन्तिम वेतन  के 50% के समान नहीं हो सकती, जैसा कि पुरानी पेंशन  स्कीम में था।पी.एफ.आर.डी.ए. अधिनियम की धारा 12(5) के अनुसार जो कर्मचारी और पेंशन भोगी एनपीएस की परिधि में नहीं  आते हैं उन्हें भी सरकार राजपत्र में अधिसूचित करके  अधिनियम के दायरे में ला सकती है।इस तरह नवीन अंशदायी पेंशन योजना  NPS/GPF कर्मचारियों  और पेंशनरों के सिर पर लटकने वाली खतरे की तलवार है।लाभान्वित कौन है?इन पेंशन  सुधारों जो की पेंशन विनाश ही हैं  से किसको लाभ होगा?जैसे कि हर नवउदारवादी सुधारों  से अंततः लाभान्वित होने वाले देश-विदेशी कोर्पोरेट्स ही धनवान होते है।कर्मचारियों  की तनख्वाह से बडी मात्रा में धनराशि को पेंशनफंड में एकत्रित करके, पेंशन फंड  मैनेजरों  द्वारा शेयर बाजार में लगाया जाता है। इस धन राशि का इस्तेमाल बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा अपने मुनाफों  को कई गुना करने के लिए होता है।नये भर्ती हुए कर्मचारियों  से कटोती  की गयी धनराशि और नियोक्ता की हिस्सेदारी को पेंशन फडं में जमा किया जाता है जो 30-35 वर्षों  तक अर्थात् 60 वर्ष की आयु तक पेंशन फंड और शेयर बाजार में रहती है। इस 35 वर्ष की लम्बी अवधि के लिए करोड़ों  और करोड़ों  रुपया, शेयर  बाजार को नियंत्रित करने  वाले बड़े बहुराष्ट्रीय कोर्पोरेशनो की मनमानी पर रहता है।अंततः  शिकार तो गरीब मजबूर कर्मचारी / पेंशनभोगी होता है।NMOPS सहित देश के कई संगठन जिनका निर्माण केवल पुरानी पेंशन बहाली की एक मात्र मांग के लिए हुआ है। 26 नवम्बर को दिल्ली में हुई विशाल कर्मचारी रैली ने भारत सरकार व राज्य सरकारों की नींद उड़ा दी है और सरकार ने संशोधन के नाम पर कर्मचारियों को भ्रमित करने का प्रयास शुरू कर दिया है लेकिन अब हम पुरानी पेंशन योजना से कम कुछ भी स्वीकार करने वाले नहीं है।  एनपीएस के खिलाफ संघर्ष की तीव्रता के लिए चैतन्यपूर्ण एवं उद्देश्यपूर्ण परिस्थितियाँ उभर रही हैं।  यहां तक कि 7वें  केन्द्रीय  वेतन आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार माथुर को यह इंगित करना पड़ा कि ‘‘01-01-2004 को या उसके बाद नियुक्त लगभग सरकारी कर्मचारीगण नई पेंशन योजना से नाखुश था। सरकार को उनकी शिकायत पर ध्यान देना चाहिए’’।और देशी-विदेशी कोर्पोरेट्स फायदों के लिए कर्मचारियों  के धन को सट्टेबाज शेयर बाजार में लगाने के खिलाफ सरकार को चेतावनी देने के वास्ते है।बड़ी मेहनत से हासिल कर्मचारियों के विशेष  सामाजिक सुरक्षा लाभों पर आघात व अन्याय को और नहीं सहा जा सकता।उस नवउदारवादी व्यवस्था को पलटने की मांग करने के लिए है जो जनता के धन और सार्वजनिक सम्पत्तियों  केवल कुछ लोगों के हाथों  में स्थानान्तरित करती है।एनपीएस के खिलाफ अभियान और संघर्ष जारी रहा है। अब केंद्रीय और राज्य सरकारों सार्वजनिक क्षेत्र एवं स्वायत्त निकायों के कुल कर्मचारियों का लगभग 50% एनपीएस में कवर हो गया है जिनकी संख्या आज उन्सठ लाख है।  वे एनपीएस के खिलाफ अधीर और उत्तेजित हैं।यह लडाई हम सब जीतेंगे जरुर लेकिन यह सब आप की भागीदारी पर निर्भर  करेगा कि लडाई कितनी लम्बी चलेगी।ज्यादा लम्बी लडाई लड़ना ops के लिए घातक है!आइये इस लेख को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें!
Read full post at: https://www.cnnworldnews.info/2019/03/blog-post_381.html
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dainiksamachar · 1 year
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अग्निपथ स्कीम के बाद अब सपोर्ट स्टाफ की कटौती करेगी सेना, मकसद भविष्य की जंग से जुड़ा है
नई दिल्ली: भारतीय सेना को 24 घंटे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होता है। पिछले करीब तीन साल से चीन के साथ बॉर्डर पर तनाव बरकरार है। पड़ोसी पाकिस्तान से भी अलर्ट रहने की जरूरत है। ऐसे में हाईटेक हथियारों की खरीद के साथ आधुनिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है। 12 लाख जवानों वाली ताकतवर फौज अब अपने टूथ-टेल रेशियो (Tooth To Tail Ratio) को सुधारने के लिए कई प्रस्तावों पर काम कर रही है। सेना में T3R रेशियो दरअसल, जंग लड़ने वाली यूनिटों जैसे- सैनिक, बख्तरबंद विंग और सपोर्ट सेवाओं जैसे- लॉजिस्टिक्स, सिंग्नल्स का अनुपात होता है। सेना अपने सपोर्ट मैनपावर में कटौती की दिशा में बढ़ रहा है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब पिछले साल अग्निपथ योजना शुरू होने से पहले दो साल तक सेना में भर्ती प्रक्रिया बंद थी। सेना के इस फैसले का मकसद भविष्य की जंग से जुड़ा है। राष्ट्रीय राइफल्स में भी कटौती! इन प्रस्तावों में कुछ पुरानी लीगेसी यूनिटों में कटौती और लॉजिस्टिक्स सेवाओं को आउटसोर्स करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में तैनात स्पेशल राष्ट्रीय राइफल्स का पुनर्गठन शामिल है। दरअसल, सैलरी और पेंशन पर खर्च बढ़ने के कारण सेना को अपने आधुनिकीकरण के लिए बहुत कम फंड बच पाता है जिससे अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया जा सके। पिछले साल जून में बिना पेंशन और अन्य लाभ के अग्निपथ स्कीम के तहत सैनिकों की भर्ती की घोषणा की गई थी। इससे पहले सेना ने कोरोना महामारी के कारण 2020-21 और 2021-22 के दौरान भर्ती प्रक्रिया बंद रखी थी। सैनिकों की उम्र एक अधिकारी ने कहा, 'इससे 1.2 लाख सैनिक घटे हैं। अग्निपथ के पहले साल में, हम दो बैच में केवल 40,000 अग्निवीरों को शामिल कर रहे हैं।' प्लान के अनुसार सैनिकों की औसत उम्र को वर्तमान में 32 साल से घटाकर अगले छह-सात साल में 24-26 साल करना है और भविष्य की जंग के लिए तकनीक में दक्ष युवाओं को शामिल करना है। 2032 तक सेना में 50% अग्निवीर होंगे। एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे में खाना बनाने वाले, नाई, धोबी और सफाईवाले जैसे 'ट्रेड्समैन' मैनपावर को कम करने की भी पर्याप्त संभावना बनती है। सेना में इस समय इनकी संख्या करीब 80,000 है। ... क्योंकि आतंकवाद घटा है जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद घटा है। 1990 में राष्ट्रीय राइफल्स एक छोटी फोर्स के तौर पर खड़ी की गई थी लेकिन अब इसकी 63 बटालियन हो चुकी है। सेना महसूस कर रही है कि इसका पुनर्गठन करने की जरूरत है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने TOI को बताया, '2020 में चीन की घुसपैठ के बाद पूर्वी लद्दाख में RR की एक डिविजनल लेवल फोर्स को तैनात किया गया। हम इस बात का आकलन कर रहे हैं कि अगर आतंकवाद फिर से नहीं बढ़ता है तो क्या आरआर बटालियन की संख्या या हर बटालियन में कंपनियों की संख्या को घटाया जा सकता है।' एनिमल की जगह ड्रोन एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सेना ने धीरे-धीरे 'एनिमल ट्रांसपोर्ट कंपनियों' को बंद करने का फैसला किया है। 2030 तक इनकी संख्या को 70 प्रतिशत तक घटाया जाएगा। इसकी जगह लॉजिस्टिक्स ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। सेना ने पिछले महीने 570 लॉजिस्टिक्स ड्रोन खरीदने के लिए RFI (सूचना के लिए अनुरोध) जारी किया है। इसमें 12,000 फीट की ऊंचाई पर तैनाती के लिए डिजाइन किए गए ड्रोन भी शामिल हैं। एक अधिकारी ने कहा कि इन ड्रोन की मदद से बॉर्डर पर तैनात जवानों के लिए डिलिवरी भी की जा सकती है। इससे पहले सेना चीन बॉर्डर पर ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स को बढ़ाने के लिए सैनिकों के लिए 363 ड्रोन की जल्द खरीद के लिए आरएफआई जारी कर चुकी है। एक अधिकारी ने बताया कि ये ड्रोन आपूर्ति और हथियार पहुंचाने में जवानों या पोर्टर्स और एनिमल ट्रांसपोर्ट की जरूरत कम करेंगे। शेकतकर समिति ने दिसंबर 2019 में रक्षा खर्च का फिर से बैलेंस बनाने के साथ युद्धक क्षमता बढ़ाने और नॉन-ऑपरेशनल कटौती का सुझाव दिया था। इसके तहत सेना ने आगे कदम बढ़ा दिया है। http://dlvr.it/SgFGDB
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mskuthar · 4 years
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"निजीकरण एक षड्यंत्र"
निजीकरण एक साजिश
आइए हम सब भारतीय संविधान की प्रस्तावना को दोहराते हैं
*"हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक, विचार, अभिव्यक्ति विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए बाध्य है "*
भारतीय संविधान की प्रस्तावना को *संविधान की आत्मा* कहा गया है
इसका स्पष्ट अर्थ है कि जिस संविधान को हमने अंगीकृत किया है उसका एक निश्चित उद्देश्य है
जो इस प्रस्तावना के एक-एक शब्द से प्रतिबिंब हो रहा है यदि देश की शासन व्यवस्था, न्यायालय, कार्यपालिका और मीडिया जिन्हें  लोकतंत्र के चार महत्वपूर्ण स्तंभ कहा गया है* वह संविधान की प्रस्तावना में निहित आदर्शों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं और देश उस लक्ष्य से दूर होता जा रहा है तो हमें यह स्वीकार करना होगा कि *संविधान की आत्मा धीरे-धीरे मरणासन्न हो रही है
क्या यह अनायास ही हो रहा है नहीं *संविधान की आत्मा का आत्मा को एक षड्यंत्र के तहत निजी करण के खंजर से मारा जा रहा है* कौन हैं यह लोग...? यह वही लोग हैं जो सदियों से मनुष्य होकर भी मानवता को शर्मसार करते आए हैं ! यह पूंजीवादी साधन संपन्न लोग स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ समझते हैं ! गरीब, मध्यमवर्ग , किसान , बेरोजगार  सभी को अपनी सेवा के लिए गुलाम बनाने की महत्वाकांक्षा रखते हैं !
सदियों से मानव समाज , अलग-अलग विद्वानों और क्रांतिकारियों के नेतृत्व में यह लड़ाई लड़ता आया है और आगे भी समाज को यह लड़ाई लड़नी होगी यह कभी रुकने वाली नहीं है आजाद भारत को भी इस पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से समाजवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर अग्रसर होना था जहां हम भारत के लोग, उसके समस्त नागरिकों को आर्थिक सामाजिक समानता और उस समानता के लिए अवसर की समता प्राप्त हो ऐसी बंधुता बढ़ाने की ओर बढ़ना था और हम बढ भी रहे थे, परंतु पिछले दो दशकों से  पूंजीवाद षड्यंत्रकारियोंने अपने दलालों को भारतीय राजनीति में सक्रिय कर दिया है यह समय भारतीय राजनीति का काला अध्याय है
"अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और देश को विश्वगुरु बनाने के सपने दिखाकर, सरकारी उपक्रमों को लाभ हानि के आंकड़ों में उलझा कर यह षड्यंत्रकारी अपने पूंजीवादी मालिकों के इशारे पर फिर से देश की 99% जनता को आर्थिक व सामाजिक रुप से गुलाम बनाना चाहते हैं"
Today's Taxpayers
आइए इसे विस्तार से समझते हैं -
वैश्वीकरण , उदारीकरण, निजीकरण के इस दौर में किसी भी समाजवादी और लोकतांत्रिक देश को बड़ी ही सावधानी से निजीकरण और सरकारीक्षेत्र के लिए कार्यक्षेत्र का चुनाव करना होता है यदि हमारा चुनाव गलत होगा तो उसके भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे.....
जिसकी झलक भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था में हम आज *कोरोना जैसी वैश्विक महामारी* के समय देख भी रहे हैं देश का निजी क्षेत्र संकट के इस समय सेल्फ क्वारंटीन हो गया है ? और देश का सरकारी कर्मचारी फिर वह चाहे अ श्रेणी का हो या घ श्रेणी का अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है और सैकडों *कोरोना वोरियर्स ने अपनी शहादत भी दी* पर सरकार की ओर से उनको पुष्पवर्षा और कोरे सम्मान के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं मिला....! यहाँ तक कि देश के विधायकों, सांसदों और मंत्रीयों को मिल रही पुरानी पेंशन भी इन कोरोना वोरियर्स को मांगने पर भी नहीं दी जा रही है
PSU की हालत 
"सरकार अपने उसी रवैये पर अड़ी है और निजीकरण के रास्ते पर सरपट दौडी जा रही है ! किसी भी देश के विकास का मानक उस देश के लोगों की आर्थिक, सामाजिक , शैक्षिक स्थिति, स्वास्थ्य और खुशहाली जैसे(मानव विकास सूचकांक- HDI) अनेक मानवीय पक्षों के आधार पर तय की जाती है पर सरकारें जीडीपी का लॉलीपॉप दिखा कर देश की जनता को गुमराह करती हैं"
उदाहरण:
एक गरीब व्यक्ति के खाते में आप 100,00,000 रुपए जमा करा दें पर उसका उपभोग करने की अनुमति न दी जाए , तकनीकी रूप  से वह गरीब भी नहीं है और व्यवहारिक रूप से उसे अमीर या सुखी भी नहीं मान सकते हैं
यही स्थिति भारत की है जिसकी जीडीपी हर पंचवर्षीय योजना में बढ़ती रहती है पर भारत के गरीब, बेरोजगार, किसान और कर्मचारी की स्थिति जस की तस बनी हुई है और अब धीरे-धीरे यह बद से बदतर हो रही है इसे रोकने का एकमात्र विकल्प है *देश की संपत्ति का यथासंभव समान वितरण बिना किसी भेदभाव के इस वितरण को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकारी उपक्रम श्रेष्ठतम विकल्प है*
निजीकरण की तारीफ करने वालों से मैं यह पूछना चाहता हूं कि भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजीकरण का कब्जा है निजी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के सरकारी उपक्रमों को जानबूझकर कमजोर कर दिया गया है परंतु , आज अगर फुटपाथ पर बैठकर जूते चप्पल की मरम्मत करने वाले किसी कामगार का बच्चा यदि डॉक्टर इंजीनियर वकील या सक्षम अधिकारी बनने की योग्यता रखता हो तो, क्या शिक्षा का यह निजीबाजार उसे यह अवसर दे सकता है ? कभी नहीं संभव ही नहीं है
यहां तक कि सरकारी क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था का कमजोर ढांचा भी देश की ऐसी प्रतिभाओं को समान अवसर नहीं दे पा रहा है यही हाल हमारी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का है यदि किसी गरीब दिहाड़ी मजदूर को कैंसर, ह्रदयरोग, मधुमेह, ब्रेनट्युमर जैसी गंभीर बीमारी हो जाए तो क्या निजी स्वास्थ्य व्यवस्था उसे निशुल्क इलाज देगी और क्या हमारी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी सक्षम है कि अपने देश के गरीब नागरिकों की जान को बचा सकती है ?
केवल इन दो क्षेत्रों से ही हम निजी करण की एक भयावह तस्वीर को देख पा रहे हैं पर सरकार तो देश के सभी महत्वपूर्ण उपक्रमों में - शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, सुरक्षा उपकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, कम्युनिकेशन, बीमा, बैंक आदि सभी को एक-एक कर निजीकरण के ब्लैकहोल में आहुति देती जा रही है निजीकरण का खंजर संविधान की आत्मा को बुरी तरह घायल करता जा रहा है अगर हम ने इसका विरोध अभी नहीं किया तो हम फिर से गुलामी की उस व्यवस्था में फंस जाएंगे जहां से निकलने में हमें फिर से कई सदियां लग जाएंगी!
निजीकरण के दुष्प्रभावों को समझने के लिए हमें सरकारी क्षेत्र के महत्व को समझना होगा एक लोकतांत्रिक सरकार देश की गरीब और मध्यमवर्गीय जनता के लिए क्या-क्या करती है? और कैसे करती है? लोकतांत्रिक सरकारें कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर चलती हैं और अपने लोगों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बेहतर जीवन जीने के अवसर उपलब्ध कराती हैं लोग आत्मनिर्भर बनें इसके लिए जरूरी है कि लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसा हो....!
इसके लिए सरकार सीधे तौर पर कर्मचारियों की नियुक्तियां करती है और अपने कर्मचारियों को वेतन व पेंशन के रूप में जो पैसे देती है वह पैसा कर्मचारी व उसके परिवार की जरूरतों को पूरा करने वाली वस्तुओं और सेवाओं के बाजार में उपभोग /निवेश हो जाता है और उस सेवा वस्तु के बाजार से जुड़े लोगों तक आमदनी के रूप में पहुंचता है
अब निजी करण के हिमायती यह दलील देंगे कि यह प्रक्रिया तो निजीक्षेत्र से भी होती है.... बिल्कुल होती है परंतु अति अल्पमात्रा में , क्योंकि निजी क्षेत्र में ग और घ श्रेणी के कर्मचारियों का वेतन बहुत ही कम होता है इसलिए निजी क्षेत्र के कर्मचारी कि उपभोग की प्रवृत्ति भी बहोत कम होती है इसका असर गरीब दिहाड़ी मजदूरों से लेकर लघु उद्योग और बड़े उद्योग पर भी प्रतिकूल पड़ता है यहां पर गौर करने वाली एक महत्वपूर्ण बात है कि "सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन भी बाजार की मांग पर प्रभाव डालती है"  
जब एक सरकारी कर्मचारी अपने बुढ़ापे के बारे में आश्वस्त होता है कि उसे अपने जीवन निर्वाह के लिए एक सम्मानजनक धनराशि उसकी मृत्यु तक, उसके बाद उसके जीवन साथी को उसकी मृत्यु तक, प्रतिमाह प्राप्त होती रहेगी तो वह भविष्य की आर्थिक चिंताओं से बेपरवाह होकर वर्तमान में उपभोग करता है परंतु निजीकरण से यह संभव नहीं है इसलिए भी निजीकरण की फैलती आग देश के लिए जानलेवा है सरकार सीधी नौकरी के अतिरिक्त स्वरोजगार , कुटीर उद्योग, लघु और मध्यम उद्योगों को सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध कराती है और वह भी बिना गारंटी के, उदार शर्तों के साथ, आकर्षक सब्सिडी के साथ , यदि देश की सभी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाए तो क्या यह संभव हो पाएगा इसलिए निजी करण से केवल देश के सरकारी कर्मचारियों का ही नहीं परंतु देश की 99% जनता फिर चाहे वह गरीब , किसान , मजदूर, कर्मचारी, छोटे व्यापारी , मध्यमवर्ग के उद्योगपति, फुटपाथ विक्रेता जो भी हो सभी पर संकट के बादल छा रहे हैं
इस privatization की जरूरत क्यों है ?
कल्याणकारी राज्यों का एक महत्वपूर्ण कार्य या यूं कहें कि कर्तव्य होता है देश के सभी नागरिकों को मूलभूत ढांचा उपलब्ध कराना जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, सड़कें, रेलवे, परिवहन, आंतरिक सुरक्षा, बाह्य आक्रमण से सुरक्षा, न्याय, बिजली, पानी, स्वच्छ हवा ऐसी सैकड़ों छोटी-बड़ी मूलभूत सुविधाएं हमें सरकारी क्षेत्र से प्राप्त होती हैं
 यदि सरकार ने सभी क्षेत्रों को निजीकरण की खाई में धकेल दिया तो क्या होगा इस देश के लोगों का ? इस पर देश के बुद्धिजीवी वर्ग को सोचना होगा  वर्तमान सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैया को देश महसूस कर रहा है रेलवे , एयरलाइंस, बीमा सहित देश की सुरक्षा को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाली ऑर्डिनेंसफैक्ट्रीओं को निजी करण की भेंट चढ़ाने का निर्णय ले चुकी यह सरकार, देश को बर्बादी की राह पर ले जा रही है पूरा विश्व कोरोना की महामारी से लड़ रहा है ऐसे समय में हमें यह भी देखना और समझना चाहिए कि विश्व के वह देश जो निजी करण और पूंजीवादी व्यवस्था के दम पर विश्व पटल पर अग्रणी थे आज वहां की जनता सबसे ज्यादा प्रभावित है और पैसा होते हुए भी वह सरकारें निष्फल है परंतु जो अर्थव्यवस्थायें *समाजवादी हैं, लोकतांत्रिक हैं, जहां सरकारी क्षेत्र का ढांचा विकसित और व्यवस्थित है ऐसे विकसित और भारत जैसे विकासशील देश कोरोना से बेहतर ढंग से लड रहे हैं*
भारतीय व्यवस्था 
यह सीखने और सबक लेने का अवसर है....!
देश के डॉक्टरों , इंजीनियरों , वकीलों, व्यापारियों, विद्यार्थियों, कर्मचारियों, अर्थशास्त्रियों ,लेखकों ,कवियों, समाजसेवियों, खिलाड़ियों, अभिनेताओं और बेशक चुने हुए जनप्रतिनिधियों को इस पर निरंतर सोचना चाहिए... लिखना चाहिए....और बोलना भी चाहिए..... *दृष्टि तो सभी के पास हो सकती है परंतु यदि आपके पास दृष्टिकोण है तो, आपको उसे सबके सामने निडर होकर रखना चाहिए*
एक बार पुनः मैं आपको संविधान की प्रस्तावना (आत्मा) के अंशों को याद दिलाना चाहता हूं
"हम भारत के लोग"
"उसके समस्त नागरिकों को" "समाजवादी"
"लोकतंत्रात्मक"
"सामाजिक"
"आर्थिक"
"प्रतिष्ठा"
 "गरिमा"
 "अवसर की समता प्राप्त करने के लिए"
 "बंधुता बढ़ाने के लिए"
 अगर आज हम चुप रहे सड़कों पर नहीं आए और अपने *आज से लेकर आने वाले कल तक के लिए* संघर्ष नहीं करेंगे तो, निजी करण का यह खंजर भारतीय संविधान की लोकतंत्रात्मक आत्मा को पूरी तरह मार देगा
अब वक्त आ गया है कि हम खुद से चिल्ला चिल्ला कर कहे कि "हम जिंदा हैं....!"
*मैं निजीकरण का विरोध करता हूँ.. और सरकारी क्षेत्र का समर्थन करता हूँ..!*
अनुपम आनंद
9918468436
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ajitnehrano0haryana · 4 years
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जयपुर। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में राज्य सरकार की ओर से प्रीमियम की राशि जमा नहीं करवाए जाने के मुद्दे पर सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। विरोध में भाजपा ने प्रश्नकाल के दौरान सदन से वाॅकआउट भी किया। भाजपा ने आरोप लगाया कि प्रदेश के 37 लाख किसान रबी और खरीफ के फसल बीमा से वंचित हो गए हैं। सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए अपने हिस्से का 1377 करोड़ रुपए प्रीमियम जमा नहीं करवाया।
सवाल : उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़- राज्य सरकार बीमा का प्रीमियम जमा नहीं करवाएगी तब तक किसानों को बीमा क्लेम नहीं मिल सकता। जवाब: कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया- हमने मार्केटिंग बोर्ड के जरिए ओरिएंटल इंश्योरेंस से 500 करोड़ रुपए का लोन लिया है। इसमें 100 करोड़ रुपए आज जारी कर दिए गए हैं और 400 करोड़ रुपए अगले 15 दिनों में प्रीमियम के रूप में जमा करवा दिए जाएंगे।
सवाल :राजेंद्र राठौड़- : क्या प्रदेश के 12 लाख किसानों के क्लेम बकाया पड़े हैं? जवाब: मंत्री- आप सही संख्या बता रहे हैं।
सवाल: गुलाबचंद कटारिया : सीधा बताइए 2019 की खरीफ-रबी फसल के लिए बीमा प्रीमियम का पैसा जमा करवा दिया या नहीं? करवाया है तो कितना? जवाब: मंत्री- 2018-19 के आंकड़े गिनवाने लगे। (भाजपा 2019 के आंकड़े बताने की मांग पर अड़ गई।) हंगामा बढ़ने लगा तो स्पीकर ने मंत्री को बैठा दिया। भाजपा नेता नाराज हो गए और सदन से सांकेतिक वाॅकआउट कर दि��ा।
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source https://lendennews.com/archives/67506 https://ift.tt/30TzLQL
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jmyusuf · 5 years
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सुधार चाबुक से नहीं होता साहब
सुधार चाबुक से नहीं होता साहब । जिसके पास हेलमेट न हो हेल्मेट दो , बीमा दो , लाइसेंस दो और तुरन्त उसके पैसे लो ।। बात खत्म... ये हिंदुस्तान है साहब , यहां आज भी लाखों ऐसे गरीब हैं जो बमुश्किल सालाना 40,50 हजार ही कमा पाते हैं , सरकार के तो बाप के बस की बात नहीं है उपयुक्त रोजगार देने की । 140 करोड़ का देश होने वाला है , वोट बैंक के लिए फ्री की योजना क्यों चलाते हो ??? हमें नहीं चाहिए कोई फ्री की योजना उसके बदले 18 साल की उम्र होने पर driving लाइसेंस बनवा के दो न ??? हमें नहीं चाहिए 1 रुपये किलो गेंहू , उसके बदले दिनभर 300 रुपये का रोजगार दीजिये न ??? हमें नहीं चाहिए मुफ्त का केरोसिन महीने भर बिना कटौती के बिजली दीजिये न ??? हमें नहीं चाहिए वृद्धा वस्था पेंशन उसके बदले सरकार के किसी दफ्तर में चपरासी की नौकरी दीजिये न ??? एक व्यक्ति परचून की दुकान पर ( जो कि दुकान उसके घर से 15 किलोमीटर दूर है ! ) काम करने जाता है उसकी वेतन 7000 रुपये है वह 12 बी तक पढ़ा हुआ है । दुकान जाने के लिए उसने 15000 की एक पुरानी स्प्लेंडर गाड़ी लेली , मालिक से एडवांस लेकर 4,5 हजार का ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया लेकिन समय पर बीमा नहीं करवा पाया पारिवारिक स्तिथि ठीक नहीं है घर मे पत्नी और 3 बेटियां हैं , उनका घर बसाना है और कोई कमाने वाला नहीं है । अब वो सरकार को चालान भरे या घर चलाये , या फिर आत्म हत्या करे ??? इस विषय पर सरकार को सोचना चाहिए , ऐसे डंडे मारकर देश को नहीं सुधारा जा सकता श्रीमानों ! अरे जिस बजह से चालान कर रहे हो वो बजह ही खत्म कर दो ना ! किसी के पास हेलमेट नहीं है तो 500 लेकर हेलमेट दो !! किसी का बीमा नहीं है तो on the spot bima करवाओ !!! ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तो on th spot बनाइये न !!!! सबके कागज भी पूरे होंगे और देश भी सुधरेगा । ये तरीका मुझे अच्छा लगा,आप क्या कहते है,अगर अच्छा है तो शेयर करे शायद कुछ अच्छा हो जाये। जय हिंद जय भारत।
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Navbharat Times modi लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा भाषण, बड़ी घोषणाएं नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated Aug 15, 2018, 10:53 AM IST ���ई दिल्ली देश आज 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर तिरंगा फहराने के बाद देश की उपलब्धियों को गिनाया और भविष्य के लक्ष्यों को भी रेखांकित किया। उन्होंने 82 मिनट के अपने भाषण में यूपीए के मुकाबले अपने सरकार के कामकाज की गति की तुलना की। पीएम ने लाल किले की प्राचीर से बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि 2022 तक भारत मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा। उन्होंने बेटियों को बड़ा तोहफा देते हुए महिलाओं के लिए सेना में स्थायी कमीशन की घोषणा की। 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रुपये सालाना बीमा देने के लिए 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना' को 25 सितंबर से लागू करने का ऐलान किया। पढ़ें प्रधानमंत्री का पूरा भाषण... 12 साल बाद लहलहा रहे हैं नील कुरिंजी के फूल आजादी के पावन पर्व की आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आज देश आत्मविश्वास से भरा हुआ है। सपनों को संकल्प के साथ, परिश्रम की पराकाष्ठा करके देश नई ऊंचाइयों को पार कर रहा है। आज का सूरज नया उमंग, नया उत्साह लेकर आया है। हमारे देश में 12 साल में एक बार नील कुरिंजी का फूल उगता है। इस साल दक्षिण के नीलगिरी पहाड़ियों पर नील कुरुंजी का फूल जैसे मानों तिरंगे झंडे के अशोक चक्र की तरह लहलहा रहा है। यह भी पढ़ें: मोदी ने भाषण में किया इस दुर्लभ फूल का जिक्र बेटियों ने सात समंदर पार किया आजादी का यह पर्व हम तब मना रहे हैं जब हमारी बेटियां, उतराखंड, हिमाचल, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की बेटियों ने सात समंदर पार किया और सातों समंदर को तिरंगे रंग से रंगकर लौट आईं। एवरेस्ट विजयी तो बहुत हुए। हमारे अनेक वीरों और बेटियों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है। आजादी के इस पर्व पर याद करूंगा कि आदिवासी इलाकों के हमारे बच्चों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इसकी शान और बढ़ा दी है। संसद सत्र में सामाजिक न्याय के लिए काम अभी-अभी लोकसभा और राज्यसभा के सत्र पूरे हुए हैं। यह सत्र बहुत अच्छे ढंग से चला और संसद का यह सत्र पूरी तरह सामाजिक न्याय को समर्पित था। सोषित, वंचितों और महिलाओं की हकों की रक्षा के लिए संवेदनशीलता के साथ समाजिक न्याय को मजबूत किया। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर पिछड़ों-अति पिछड़ों के हकों की रक्षा का प्रयास किया। यह भी पढ़ें: बेसब्र हूं मैं, बेचैन भी हूं... जानें ऐसा क्यों बोले मोदी सकारात्मक माहौल हमारे देश में उन खबरों ने देश में एक चेतना लाई है कि भारत विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। ऐसे सकारात्मक माहौल में हम आजादी का पर्व मना रहे हैं। देश को आजादी दिलाने के लिए बापू के नेतृत्व में लाखों लोगों ने जवानी जेलों में गुजार दी। बहुत से लोगों ने आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया। मैं उन वीरों को सलाम करता हूं। इस तिरंगे की आन-बान-शान के लिए सैनिक दिन रात देश की सेवा में लगे रहते हैं। मैं अर्धसैनिक बलों और पुलिसबल को लाल किले की प्राचीर से शत-शत नमन करता हूं। इन दिनों देश के कोने-कोने से अच्छी बर्षा के साथ बाढ़ की खबरें आ रही हैं। अतिवर्षा की वजह से जिन्हें मुसीबतें झेलनी पड़ीं उनके लिए देश खड़ा है। जिन्होंने अपनों को खोया है उनके दुख में मैं सहभागी हूं। अगले साल जलियावाला बाग की घटना को 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। मैं उन सभी वीरों को नमन करता हूं। यह भी पढ़ें: लालकिले से कांग्रेस को क्या-क्या सुना गए मोदी संविधान में सभी के लिए समान अवसर ये आजादी ऐसे ही नहीं मिली है। पूज्य बापू के नेतृत्व में नौजवानों, सत्याग्रहियों ने जवानी जेलों में काटकर हमें आजादी दिलाई। उन्होंने कुछ सपने भी संजोए थे। आजादी से पहले तमिलनाडु के कवि सुब्रमण्यन भारती ने कहा था 'भारत दुनिया को सभी बंधनों से मुक्ति पाने का रास्ता दिखाएगा।' इन महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए आजादी के बाद बाबा साहेब आंबेडकर के नेतृत्व में समावेशी संविधान बनाया। इसमें समाज के हर तबके को समान रूप से अवसर दिया गया है। दुनिया में भारत की धमक हो हमारा संविधान कहता है कि गरीबों को न्याय मिले। जन-जन को आगे बढ़ने का मौका मिले। निम्न मध्य वर्ग, मध्य वर्ग को और उच्च वर्ग को आगे बढ़ने का मौका मिले। हमारे बुजुर्ग हमारे दिव्यांग, महिलाएं, दलित, पिछड़े, सोषित, आदिवासी को आगे बढ़ने का मौका मिले। हम चाहते हैं कि दुनिया में भारत साख और धमक हो। यह भी पढ़ें: देश की 10 बातें, जिन पर आप भी करेंगे गर्व मैंने पहले भी टीम इंडिया का सपना आपके सामने रखा है। जब जन-जन देश को आगे बढ़ाने के लिए जुड़ते हैं, सवा सौ करोड़ सपने, संकल्प और पुरुसार्थ सही दिशा में बढ़ते हैं तो क्या नहीं हो सकता। मैं नम्रता के साथ कहना चाहूंगा कि 2014 में सवा सौ करोड़ देशवासियों ने सिर्फ सरकार नहीं बनाई, देश बनाने के लिए जुटे भी हैं और जुटे रहेंगे। यह हमारे देश की ताकत है। आज श्री अरबिंदो का जन्मदिन भी है। उन्होंने कहा था कि राष्ट्र और मातृभूमि क्या है। यह कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है। ना ही यह सिर्फ संबोधन है। ना ही यह कोई कोरी कल्पना है। राष्ट्र एक विशाल शक्ति है। जो असंख्य छोटी-छोटी इकाइयों को संगठित ऊर्जा का मूर्त रूप देती है। श्री अरबिंद की यह कल्पना ही आज देश को आगे ले जाने में हर नागरिक को जोड़ रही है। 2013 से तुलना हम आगे जा रहे हैं यह तब तक पता नहीं चलता है, जब तक हम यह ना देखें कि कहां से चले थे। 2013 की रफ्तार को यदि हम आधार मान लें तो पिछले चार साल साल में हुए काम का लेखा-जोखा लें तो आपको अचरज होगा। शौचालय को ही लें। 2013 में जो रफ्तार थी उससे 100 फीसदी शौचलय निर्माण दशकों लग जाते। बिजली पहुंचाने में उस गति से 1-2 दशक और लगते। एलपीजी गैस कनेक्शन 2013 की रफ्तार से देते तो काम को पूरा करने में 100 साल भी ज्यादा लगता। यदि हम 2013 की रफ्तार से ऑपटिकल फाइबर बिछाते तो गांवों में पहुंचाने में पीढ़ियां लग जातीं। बदल रहा है देश देश की अपेक्षाएं और आवश्यकताएं बहुंत हैं। उन्हें पूरा करने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और समाज को साथ काम करना है। आज देश में बदलाव आया है। देश वही है, धरती वही है। हवा, आसमान वही हैं। अधिकारी वही हैं, फाइलें वहीं हैं, लेकिन 4 साल में देश बदलाव महसूस कर रहा है। देश में नई चेतना नई ऊंर्जा है। आज देश दोगुने रफ्तार से हाइवे बना रहा है चार गुना नए मकान बना रहा है। देश रेकॉर्ड अन्न के साथ रेकॉर्ड मोबाइल बना रहा है। रेकॉर्ड ट्रैक्टर की बिक्री हो रही है तो आजादी के बाद सर्वाधिक हवाई जहाज खरीदारी हो रही है। देश में नए आईआईटी, नए आईआईएम, नए एम्स बना रहा है। टायर-2 टायर थ्री सिटी में स्टार्टअप्स की बाढ़ है। सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया के लिए काम हो रहा है तो उतने ही लगाव के साथ दिव्यांगों के लिए काम कर रहा है। हमारा किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती कर रहा है तो पुरानी बंद पड़ी सिंचाई योजनाओं को शुरू किया जा रहा है। Poll: आपको PM मोदी का भाषण कैसा लगा? सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र हमारी सेना कहीं भी प्राकृतिक आपदा होने पर पहुंच जाती है। मुसीबत में घिरे लोगों को बाहर निकालती है। लेकिन वहीं सेना जब संकल्प लेकर निकलती है तो सर्जिकल स्ट्राइक से दुश्मन के दांत खट्टे करके लौटती है। देश नई उमंग से आगे बढ़ रहा है। लक्ष्य बड़े हों गुजरात में एक कहावत है- निशान चूक माफ लेकिन नहीं माफ नीचा निशान, लक्ष्य बड़े होने चाहिए। उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है जवाब देना पड़ता है। लेकिन यदि लक्षय बड़े नहीं होंगे तो फैसले भी नहीं होते। बड़े फैसले लिए साहस की जरूरत किसान संगठन एमएसपी वृद्धि की मांग कर रहे थे। सालों से डेढ़ गुना एमएसपी की बात हो रही थी, लेकिन हमने हिम्मत के साथ फैसला लिया। जीएसटी पर कौन सहमत नहीं था। सबस चाहते थे, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। आज हमारे व्यापारियों के सहयोग से देश ने जीएसटी लागू कर दिया है। व्यापारियों को जीएसटी के साथ शुरू में कठिनाई आईं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इसे गले से लगाया। बैंकिंग सेक्टर को मुसीबत से बाहर निकालने के लिए इन्सॉलवेंसी और बैंकरप्सी कानून को लाने से किसने रोका था। बेनामी संपत्ति के खिलाफ कानून क्यों नहीं बन पाया था। सैनिक वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे। हमने इसे पूरा किया। हम कड़े फैसले लेने का साहस रखते हैं, क्योंकि हम देशहित में काम करते हैं दलहित में नहीं। दुनिया का बदला नजरिया आज पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है। हमारी छोटी-छोटी बातों को भी पूरी दुनिया गौर से देख रही हैं। 2014 से पहले दुनिया की ओर से कहा जा रहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था में जोखिम है, लेकिन अब वही लोग कह रहे हैं कि सुधारों से बदलाव आ रहा है। दुनिया तब रेड टेप की बात कहती थी औज रेड कार्पेट की बात हो रही है। भारत के लिए पॉलिसी पैरालिसिस की बात कही जाती थी। वो भी एक वक्त था जब भारत को फ्रेगाइल-5 में गिना जाता था और आज दुनिया कह रही है भारत मल्टी ट्रिल्यन डॉलर निवेश का गंतव्य बन गया है। दुनिया कभी बिजली जाने और बॉटलनेक की बात करते थे और आज दुनिया कह रही है कि सोया हुआ हाथी अब दौड़ने लगा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसिया कह रही हैं कि आने वाले तीन दशक तक भारत दुनिया को गति देने वाला है। ऐसा विश्वास आज भारत के लिए पैदा हुआ है। भारतीय पासपोर्ट की ताकत बढ़ी आज भारत की बात को दुनिया में सुना जा रहा है। दुनिया के मंचों पर हमने अपनी आवाज को बुलंद की है। आज हमें अनगिनत संस्थाओं में स्थान मिला है। आज भारत ग्लोबल वार्मिंग की बात करने वालों के लिए उम्मीद बना है। आज कोई भी भारतीय जब कहीं कदम रखता है तो स्वागत होता है। भारतीय पासपोर्ट की ताकत बढ़ गई है। विश्व में यदि कहीं भी हिंदुस्तानी संकट में है तो उसे विश्वास है कि देश हमारे साथ खड़ा है। नॉर्थ ईस्ट से आ रहीं अच्छी खबरें भारत में जब नॉर्थ ईस्ट की खबरें आती थीं तो लगता था कि ऐसी खबरें ना आएं तो अच्छा। लेकिन आज नॉर्थ ईस्ट से अच्छी खबरें आ रही हैं। खिलाड़ी मेडल जीत रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट के दूरदराज के गांवों में बिजली पहुंचने और इंटरनेट पहुंचने की खबरें आ रही हैं। आज नॉर्थ ईस्ट के नौजवान बीपीओ खोल रहे हैं। हर्बल खेती का केंद्र बन गया है। हमारे देश के युवाओं ने आज प्रगति के सारे मापदंडों को बदल दिया है। नौजवानों ने नेचर ऑफ जॉब को बदल दिया है। नए क्षेत्रों से देश को ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। 13 करोड़ मुद्रा लोन दिया गया है। इनमें 4 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार लोन लेकर स्वरोजगार शुरू किया है। आज हिंदुस्तान के गांवों में कॉमन सर्विस सेंटर युवा चला रहे हैं। 2022 तक अंतरिक्ष में मानव यान रेलवे, रोड, हाइवे के मामले में देश बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने हमारे देश का नाम रोशन किया है। 100 से ज्यादा सेटेलाइट एक साथ आसमान में भेजकर दुनिया को चकित कर दिया। पहले ही प्रयास में मंगलयान की सफलता, हमारे वैज्ञानिकों की शक्ति दिखाता है। हम जल्द ही नाविक सेटेलाइट लॉन्च करने जा रहे हैं। इससे मछुआरों और आम नागरिकों को दिशा दर्शन में मदद मिलेगी। आज लाल किले की प्राचीर से मैं एक खुशखबरी देना चाहता हूं। हमारा देश अंतरिक्ष की दुनिया में प्रगति करता रहा है। लेकिन हमने सपना देखा है, हमारे वैज्ञानिकों ने सपना देखा है। हमारे देश ने संकल्प लिया है कि 2022 या उससे पहले मां भारत का कोई संतान 'बेटा हो या बेटी' अंतरिक्ष में जाएंगे। हाथ में तिरंगा झंडा लेकर जाएंगे। आजादी के 75 साल से पहले इसे पूरा करना है। अब हम मानव सहित गगनयान लेकर चलेंगे। और यह गगनयान अंतरिक्ष में जाएगा तब हम मानवयान अंतरिक्ष में ले जाने वाले विश्व के चौथे देश बन जाएंगे। खेती की आधुनिकता पर ध्यान मैं देश कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों को बहुत बधाई देता हूं। हमारे किसानों को भी वैश्विक चुनौतियों की सामना करना पड़ता है। आज हमारा पूरा ध्यान कृषि क्षेत्र में आधुनिकता लाने पर है। हम किसानों की आय दोगुना करना चाहते हैं। बहुत से लोगों को इस पर आशंका होती है। हम मक्खन पर लकीर नहीं पत्थर पर लकीर खींचने वाले लोग हैं। मक्खन र लकीर तो कई खींच लेता है पत्थर पर लकीर खींचने के लिए मेहनत करनी पड़ती है, जी-जान से जुटना पड़ता है। हम बीज से लेकर बाजार तक की आधुनिकीकरण करना चाहते हैं। कई नई फसलों का रेकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। आज कृषि उत्पाद निर्यात नीति तैयार करने जा रहे हैं, ताकि हमारा किसान दुनिया की चुनौतियां का सामना कर सके। आज हमारा देश मछली उत्पादन में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। आज शहद का निर्यात दोगुना हो चुका है। इथेनॉल का उत्पादन तीन गुना हो गया है। हम गांव के संसाधन और सामर्थ्य को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं। खादी की बिक्री भी बढ़ी खादी का नाम पूज्य बापू के साथ जुड़ा है। खादी की बिक्री पहले से डबल हो गई है। सोलर फार्मिंग की ओर भी हमारा किसान ध्यान देने लगा है। हैंडलूम का रोजगार भी बढ़ा है। मानव की गरिमा सर्वोच्च है। हमें उन योजनाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए ताकि लोग सम्मान के साथ आगे बढ़ें। स्वच्छता मिशन से बची 3 लाख बच्चों की जान मैंने इसी लाल किले से स्वच्छता की बात कही थी तो कुछ लोगों ने मजाक बनाया था। पिछले दिनों डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट आई है, इसमें कहा गया है कि स्वच्छता की वजह से भारत में तीन लाख लोगों की जिंदगी बची है। गांधी जी ने सत्याग्रही तैयार किए थे उन्हीं की प्रेरणा से स्वेच्छाग्रही तैयार हुए। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कितना ही सुखी परिवार क्यों ना हो, एक बार घर में बीमारी आ जाए तो पूरा परिवार बीमार हो जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी बीमारी के चक्र में फंस जाता है। देश के सामान्य जन को आरोग्य की सुविधा मिले और देश के बड़े अस्पतालों में आम लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिले। इसके लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की घोषणा की है। इसके तहत 10 करोड़ परिवारों को यानी करीब 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये सालाना स्वास्थ्य बीमा की योजना देने वाले हैं। आने वाले समय में मध्य वर्ग को भी इसका लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए बने तकनीक का आज 15 अगस्त से देश के अलग-अलग कोने में परीक्षण शुरू हो रहा है। यह योजना 25 सितंबर, पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर पूरे देश में लॉन्च कर दिया जाएगा। देश के गरीब व्यक्ति को बीमार से जूझना नहीं पड़ेगा। साहूकार से कर्ज नहीं लेना पड़ेगा और उसका परिवार तबाह नहीं होगा। आरोग्य के क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे। नए अस्पताल बनेंगे। बहुत बड़ी मात्रा में मेडिकल स्टाफ लगेगा। बहुत बड़े रोजगार के अवसर पैदा होंगे। 5 करोड़ गरीबी रेखा से बाहर कोई गरीब गरीबी में जीना-मरना नहीं चाहता। कोई गरीब अपने बच्चों को विरासत में गरीबी देकर जाना नहीं चाहता। वह झटपटा रहा होता है। गरीबों को सशक्त बनाने का यही अपाय है। हमारा प्रयास रहा है कि गरीब सशक्त हो। पिछले 2 साल में भारत में पांच करोड़ गरीब करीबी रेखा से बाहर आए। हमने गरीबों के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन बिचौलिए गरीबों का लाभ उस तक पहुंचने नहीं देते। हमारी व्यवस्था में जो त्रुटिया हैं उन्हें दूर करके लोगों में विश्वास पैदा करना जरूरी है। 90 हजार करोड़ रुपये बचाए जब से हम इस सफाई अभियान में लगे हैं, छह करोड़ लाभार्थी ऐसे थे जो कभी पैदा ही नहीं हुए। लेकिन उनके नाम से पैसे जा रहे थे। जो इंसान पैदा नहीं हुआ, फर्जी नाम लिखकर पैसे मार लिए जाते थे। करीब 90 हजार करोड़ रुपया ��ो गलत लोगों के हाथों में गलत तरीके से जा रहे थे आज वह बचे हैं। ऐसा होता क्यों है। यह देश गरीब की गरिमा के लिए काम करने वाला है। ये बिचौलिये क्या करते हैं। बाजार में गेहूं की कीमत 24-25 रुपये है। जबकि सरकार इस दर पर खरीदकर केवल 2 रुपये में गरीब को देती है। चावल 30-35 रुपये में लेकर 2 रुपये में गरीब तक पहुंचाती है। लेकिन यह गेंहूं-चावल बाजार में बेच दिया जाता ता। ईमानदार टैक्सदाता को धन्यवाद जो ईमानदार टैक्सदाता हैं उनके पैसे से गरीबों के लिए योजनाएं चलती हैं। इसका पुण्य ईमानदार टैक्सदाताओं को जाता है। जब आप खाना खा रहे हैं तो तीन गरीब परिवार भी खाना खा रहा है और इसका पुण्य टैक्सदाता को मिलता है। देश में टैक्स ना भरने का माहौल बनाया जा रहा है। लेकिन जब टैक्सदाता को पता चलता है कि उसके पैसे से तीन गरीब परिवारों का पेट भर रहा है तो इससे ज्यादा संतोष की बात क्या होगी। प्रत्यक्ष टैक्सदाताओं की संख्या 2013 तक 4 करोड़ थी और आज पौने 7 करोड़ है, यह ईमानदारी का उदाहरण है। अप्रत्यक्ष कर 70 सालों में 70 लाख था, जीएसटी के बाद एक साल में यह आंकड़ा 1 करोड़ 16 लाख पहुंच गया। जो भी आगे आ रहे हैं उन्हें मैं नमन करता हूं। देश को दीमक की तरह भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया। दिल्ली के गलियारों में आप पावर ब्रोकर नजर नहीं आते। कुछ लोग देश बेडरूम में बैठकर कहते थे सरकार की नीतियां बदल दूंगा, उनकी दुकानें बंद हो गईं। करीब 3 लाख फर्जी कंपनियां बंद कर दी गईं। एक समय पर्यावरण की मंजूरी भ्रष्टाचार का पहाड़ था, हमने सारी व्यवस्था ऑनलाइन कर दी है। सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन आज सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज हैं, यह गर्व का विषय है। आजादी के बाद यह पहली कैबिनेट है जब महिलाओं को सर्वाधिक स्थान मिला है। भारतीय सेना में सॉर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से नियुक्त महिला अधिकारियों को पुरुष अधिकारियों की तरह पारदर्शी चयन प्रक्रिाय के द्वारा स्थायी कमीशन की घोषणा करता हूं। देश की महिलाएं देश के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। हमारी मां-बेटियों का योगदान आज देश अनुभव कर रही हैं। खेत से लेकर खेल के मौदान तक योगदान दे रही हैं। सरपंच से लेकर संसद तक योगदान दे रही हैं। स्कूल से लेकर सेना तक महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। बलात्कारियों में भय हो जब हमारी महिलाएं इतने परिश्रम से आगे बढ़ रही हों, तब हम कुछ विकृतियां भी देख रहे हैं। महिला शक्ति को चुनौतियां देने वाली कुछ राक्षसी शक्तियां उभरकर आती हैं। बलात्कार की घटनाएं पीड़ादायक हैं। पीड़िता से ज्यादा हमें लाखों गुना पीड़ा होनी चाहिए। इस राक्षसी शक्ति से देश को मुक्त करना होगा। कानून अपना काम कर रहा है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश में 5 दिन में बलात्कारियों के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई। राजस्थान में भी ऐसा हुआ। आज ये फांसी की खबरें जितनी प्रचारित होंगी, इन राक्षसों को भय होगा। फांसी लगना तय हो रहा है, इन खबरों की चर्चा अधिक होनी चाहिए। इस मानसिकता-सोच पर प्रहार करने की आवश्यकता है। किसी को कानून हाथ में लेने के हक नहीं है। बच्चों की परिवरिश हो कि उनके दिमाग में महिलाओं के प्रति सम्मान हो। यह हमें परिवारों में बच्चों को सिखाना होगा। तीन तलाक से दिलागऊंगा मुक्ति मुस्लिम महिलाओं को मैं लाल किले से विश्वास दिलाना चाहता हूं। 3 तलाक ने हमारे देश की मुस्लिम बेटियों को तबाह किया है। हमने इस संसद सत्र में तीन तलाक के खिलाफ बिल पेश किया था, लेकिन कुछ लोग अभी भी इसे पारित नहीं होने देना चाहते। मैं मुस्लिम बेटियों को विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपको न्याय दिलाकर रहूंगा। आंतरिक सुरक्षा देश में आतंरकि सुरक्षा मजबूत हुई। सुरक्षाबलों ने अपने त्याग से विश्वास पैदा किया है। आए दिन नॉर्थ ईस्ट से बम-बंदूक की खबरें आती थीं। आज हमारे सुरक्षाबलों, केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से कुछ वर्षों बाद त्रिपुरा और मेघायल अफस्पा मुक्त हो गया है। आज नक्सलवाद 126 जिलों से कम होकर 90 जिलों तक सिमट गया है। कश्मीर के लिए वाजपेयी का रास्ता जम्मू-कश्मीर के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने हमें रास्ता दिखाया था। हम उन्हीं की तरह इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का संतुलित विकास हो। हम जन-जन को गले लगाकर बढ़ना चाहते हैं। हम गोली और गालियों के साथ नहीं हम कश्मीरियों को गले लगाकर आगे बढ़ना चाहते हैं। नए आईआईटी-नए एम्स बन रहे हैं। कश्मीर के पंच आकर हमसे अपील करते थे कि पंचायत चुनाव हो। जल्द ही वहां पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव होंगे। सबका साथ-सबका विकास हमें देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है। हमारा मंत्र है- सबका साथ सबका विकास। मैं एक बार फिर इस तिरंगे झंडे के नीचे खड़े रहकर मैं संकल्प दोहरना चाहता हूं। सभी देशवासी के पास अपना घर हो। सभी घर में बिजली हो। सभी घर को धुएं से मुक्ति मिले। हर भारतीय को स्वच्छ पानी और शौचालय मिले। हर भारतीय को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिले। हर भारतीय को बीमा सुरक्षा मिले। हर भारतीय को इंटरनेट की सुविधा मिले। मैं बेसब्र हूं... लोग मेरे लिए भी भांति-भांति की बातें करते हैं। लेकिन जो कुछ भी कहा जाता हो मैं सार्वजनिक रूप से स्वीकार करता हूं मैं बेसब्र हूं। मैं बेसब्र हूं देश को आगे ले जाने के लिए। मैं बेचैन हूं देश को कुपोषण को मुक्त करने के लिए। मैं व्याकुल हूं कि देश के सभी व्यक्ति को बीमा कवर मिले। मैं बेसब्र हूं कि देश के लोगों का जीवनस्तर में सुधार हो। मैं आतुर हूं कि क्योंकि मैं चाहता हूं कि देश अपनी क्षमता और संसाधनों का पूरा लाभ उठाए। हम जा आज हैं कल उससे भी आगे बढ़ना चाहते हैं। रुकना और झुकना हमारे स्वभाव में नहीं। यह देश ना रुकेगा ना झुकेगा और ना थकेगा। हम सिर्फ भविष्य देखकर अटकना नहीं चाहते हैं। अपने मन में एक लक्ष्य लिए मंजलि अपनी प्रत्यक्ष लिए...हम तोड़ रहे हैं जंजीरे...हम बदल रहे हैं तस्वीरें यह नवयुग है यह नवभारत है...खुद लिखेंगे अपनी तकदीर...बदल रहे हैं तस्वीर हम निकल पड़े हैं अपना तन-मन अर्पण करके, जिद है एक सूर्य उगाना है...अंबर से आगे जाना है...एक भारत नया बनाना है। Web Title: prime minister narendra modi speech from red fort on independence day (Hindi News from Navbharat Times , TIL Network) कीवर्ड्स:#स्वतंत्रता दिवस भाषण#लाल किले से मोदी का भाषण#प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी#नरेंद्र मोदी#PM Modi Speech from Red Fort#Narendra Modi#modi from red fort#Independence Day speech > स्वतंत्रता दिवस: देश के नाम लिखें दिल की बात Hindi NewsIndia News In HindiPrime Minister Narendra Modi Speech From Red Fort On Independence Day Copyright © 2018 Bennett, Coleman & Co. 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bihar-teacher · 2 years
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Old Pension Scheme: कर्मचारियों ने लगाए प्रधानमंत्री से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की गुहार! लिख डाले आँसुओं भरे पत्र।
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सरकार 2004 के बाद से बहाल कर्मचारियों की के लिए पुरानी पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन योजना लाई लेकिन इस में कई तरह की त्रुटि थी जिसकी वजह से कर्मचारियों ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया। और लगातार इसे हटाने और वापिस से पुरानी पेंशन योजना लागू कराने के संघर्ष में जुटी है। देश भर से मिल रही ख़बरों के आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा की अब कर्मचारियों में अपने अधिकार को लेकर जागरूकता आ रही है और लगातार इसका प्रदर्शन भी किया जा रहा है। इसी क्रम में एक कर्मचारी ने देश के प्रधान मंत्री को पत्र लिखते हुए कई बातों का खुलासा किया और सरकार से कई तरह के सवाल का जवाब भी माँगा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र सेवा में, श्री नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री (भारत सरकार)महोदय, हालांकि यह शिकायत आप सबसे ही है पर शिकायत करें तो किससे करें? पता नही किस आधार पर हम सारे कर्मचारियों की 2004 से पेंशन खत्म कर दी। आपको यह तो पता ही होगा कि शुरू में सांसदों और विधायकों को केवल भत्ते मिलते थे, बाद में आप लोगों ने संविधान संशोधन द्वारा खुद की पेंशन भी जारी कर ली। आप सबने समाजसेवा के नाम पर राजनीति में प्रवेश किया था कि जन, समाज, क्षेत्र और देश का विकास करेंगे जबकि सफल होने पर खुद के लिए तनख्वाह, भत्ते, पेंशन आदि सारी सुविधाएं जुटा ली… अधिकार का ऐसा दुरुपयोग कोई आप लोगों से सीखे। क्या आप बता सकते हैं कि आप जैसे ही अन्य समाजसेवी गाँव के प्रधानों, बीडीसी मेम्बरों, जिला पंचायतों, व्लॉक प्रमुखों आदि को पेंसन क्यों नही मिलती। आप यह भी सोचिए कि राज्य के राज्यपाल को पेंसन नही मिलती, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के साथी को मुफ्त यात्रा का लाभ नही मिलता।सरकारी अधिकारियों को दी जाने वाली पेंशन कर्मचारियों और सरकार के योगदान से बने फंड से दी जाती है। अर्थात जो हम देते हैं उसी में सरकार के योगदान को मिलाकर पाते हैं। जबकि आप सभी पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों को उस संचित निधि से पेंशन दी जाती है जिसमें आप सबका कोई योगदान भी नहीं हैं आप सबको मिलने वाली पेंशन हम करदाताओं का पैसा है। हमारी समझ से आप जैसे समाजसेवियों के लिए पद साघ्य नहीं जनता की सेवा का साधन मात्र है। खुद पे गौर करें…आप को प्रतिमाह लगभग 1 लाख 25 हज़ार रुपये वेतन के रूप में म��लते हैं। साथ ही आपको मुफ़्त आवास, यात्रा, चिकित्सा, टेलीफ़ोन आदि अन्य बहुत सी सुविधाएँ मुहैया करायी जाती हैं। भत्ते के रूप में आपको निर्वाचन क्षेत्र, आकस्मिक ख़र्च, अन्य ख़र्चे एवं डी.ए. आदि दिया जाता है। ठीक ऐसे ही मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को भी मनमाने ढंग से बहुत सारी सुविधाएं दी गयी हैं। आप सबने एक दिन के लिए भी बने सांसदों व विधायकों को 20000 लगभग प्रतिमाह पेंशन तय कर लिया है। (जबकि आपको भी पता है कि उन्हें किसी तरह की पेंसन की जरूरत नही होती। ऐसे सभी लोग अरबपति होते हैं जो सैकडों लोगों को नौकर रख सकते हैं।) जबकि सरकारी कर्मचारियों को लंबी सेवा के बावजूद पुरानी पेंसन को समाप्त कर, अंशदायी पेंशन की अनिवार्य व्यवस्था की गई है जिसमे अब तक परिणाम जो सामने आए किसी को 900 रु महीने किसी को 1000 रु परिवार चलाने के लिए नई पेंशन दी जा रही है।हमारी कटौतियाँ पता नही किस कम्पनियों को जा रहा है यह विदित नही है और यह भी अंदेशा नही बल्कि विश्वास है कि NPS भविष्य की सबसे बड़ी घोटाला साबित होने जा रही है। ऐसा क्यों है कि आपकी पेंसन संचित निधि से दी जाए और हमारी पेंशन कम्पनी या बाजार तय करे? क्या यह व्यवस्था भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 के विपरीत नही है?आप और आपकी पार्टी वर्तमान में एक देश -एक टैक्स का बखान करते नहीं थक रही है और इस एक टैक्स से राष्ट्रवाद को बढावा मिलेगा आदि। तो माननीय प्रधानमंत्री जी यदि एक देश-एक टैक्स से राष्ट्रवाद बढता है तो एक देश-एक पेंशन(पुरानी पेंशन) से राष्ट्रवाद कम हो जाता है क्या? यदि देश के लाखों कर्मचारियों को वेतन, पेंशन, भत्ता आदि देने से भारत सरकार की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है तो क्या तमाम वर्तमान व पूर्व सांसदों, विधायकों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को वेतन, पेंशन, बंगला, गाडी, मुफ्त टेलीफोन, मुफ्त हवाई व रेल यात्रा, सस्ती कैण्टीन आदि में अरबों रुपये खर्च करने से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है? भारत के लाखों कर्मचारी व आम जनता आपका विचार इस मुद्दे पर जानना चाहती है कि क्या केवल लाल ,नीली बत्ती हटा देने से सरकार के खर्चे में कटौती हो जायेगी? वर्तमान में जब सभी टेलीकाम कम्पनियां 349 रु. में एक महीने मुफ्त काल व नेट की सुविधा दे रहीं हैं तो भारत सरकार अपने सांसदो को 15000/- टेलीफोन भत्ता किसलिए दे रही है? क्या देश की जनता मूर्ख है?आप सबने सुनियोजित ढंग से शिक्षक कर्मचारी पर आरोप लगाया कि वे कामचोर हैं, भ्रष्ट है। इसलिए पहले पेंशन बंद कर दी, समुचित वेतन नही बढ़ाया, अब वेतन आयोग को बंद कर रहे, अपने पूँजीपति भाइयों को खुश करने के लिए संस्थाओं का निजीकरण करने का मुद्दा उठा रहे। आम जन को आपकी कार्यशैली पसंद आ रही पर भेड़ जनता को हकीकत तब पता चलेगी जब हाथ में कुछ भी नही रह जायेगा। क्योंकि बुनियादी स्वास्थ्य के बिना मरीज अस्पतालों के बाहर मरे मिलेंगे और बुनियादी शिक्षा के बिना भारत जैसे देश के आधे नौनिहाल अशिक्षित रह जाएंगे। और तो और नुकसान की बात कर निजी कम्पनियां बीच मे स्कूल भी बंद कर देंगी अन्यथा खून चूसती रहेंगी। क्या आप सबको पता नही है कि निजी संस्थानों का मूल उद्देश्य तो लाभ होता है, वे उन्हीं उद्योगों को हाथ में लेते हैं, जहां लाभ अधिकतम और निश्चित हो । जनता को समझना होगा नौकरियों को समाप्त किया जा रहा है… जैसे अभी प्राथमिक में अचानक 66 हजार लगभग अध्यापकों को सरप्लस दिखा दिया गया। आप जैसे कुछ लोगों का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र का आकार स्वतः भ्रष्टाचार में परिणत होता है। तो कैसे तमाम नॉर्डिक देशों में बड़े सार्वजनिक क्षेत्र हैं लेकिन भ्रष्टाचार कम है। यह देखने में आ रहा कि जैसी सरकार वैसा काम। एक बात और केवल हमें ही क्यों आप सब अपने को क्यों नही देखते? क्या आप सबसे हम ज्यादे अकर्मण्य है? क्या आप सबसे ज्यादे भ्रष्टाचारी हैं? हमारे ऊपर कोई जाँच आती है तो सेलरी रोक दी जाती है आपके ऊपर जाँच ही नही आती, आती भी है तो कोई आर्थिक नुकसान नही उठाना पड़ता।मतलब अधिकार सुख इतना मादक होता है कि सामान्य समझ भी नही रह जाती?यदि 50 वर्ष पार कर चुके कर्मचारी की स्क्रीनिंग करके नौकरी से हटाया जा सकता है यदि ऐसा होगा तो 50 की उम्र पार कर चुके नेताओं के स्क्रीनिंग की व्यवस्था क्यों नहीं है? ये कर्मचारी तो केवल एक विभाग या कार्यालय चलाते हैं यदि उसके कार्यक्षमता का इतना प्रभाव पड सकता है तो हमारे देश के नेता तो पूरा देश चला रहे हैं क्या 50 की उम्र पार कर चुके नेताओं के कार्यक्षमता का प्रभाव देश पर नहीं पडता होगा?सुना है आप अपने 56 इंच का सीने से मन की बात करते हैं यदि वास्तव में ऐसा है तो हमारे उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर आप अगले मन की बात में देश की जनता को बताने की कृपा करेगें।प्रार्थीसमस्त कर्मचारीगणप्रधान मंत्री को भेजे गए पत्र इसे भी पढ़ें: Bihar Education: बिहार स्कूल के औचक निरक्षण के क्रम में सामने आए हैरान करने वाले रिपोर्ट, जनवरी 2023 से बोयमेट्रिक प्रणाली शुरू करने की तैयारी Read the full article
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