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#बिस्तर की चाय
dantakatha · 3 months
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असम की भूतनी
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यह दिमाग को सुन्न कर देने वाली घटना काज़ीरंगा नेशनल पार्क असम के पास की है.. अप्रैल 2021 में मेरा काज़ीरंगा नेशनल पार्क में घूमने जाना हुआ वहाँ एक जानकार हैं मेरे तो उन्होंने मेरे लिए एक किराय पर कमरा काज़ीरंगा पार्क के मेन गेट के पास ही लेकर रख दिया! Horror story in hindi मेरी बस ने मुझे रात 12:30 के आस पास वहाँ उतारा वो भाई मुझे लेने आ गए और मुझे कमरे पर छोड़कर अपने घर लौट गए.. मैंने गेट बंद करके सामान रखा ही था कि मुझे अपने गेट के सामने ही किसी की झाड़ू लगाने की आवाज़ आने लगी ये मुझे थोड़ा अजीब तो लगा मगर मैं थका हुआ था और मुझे फ्रेश भी होना था इसलिय मैंने उस बात जो जाने दिया मैं टॉयलेट से बाहर आया तो वो आवाज़ बंद हो चुकी थी मैं भी सोने के लिए पलंग पर लेट गया और बहुत थका होने के कारण लेटते ही सो गया रात 2:45 के लगभग मेरी आँखें अचानक कपडे धोने वाली धापी की आवाज से खुली तो सुना कि मेरे बाथरूम में एक औरत दीवार की तरफ मुँह करके कपडे धो रही है जिसको मैं अपने पलंग से देख भी सकता हूँ ये सब होता देख मैं अंदर तक काँपने लगा कि बंद कमरे में कोई कैसे आ सकता है, मैंने उठने की बहुत हिम्मत कि मगर उठ नहीं सका और न ही मेरी आवाज़ निकल रही थी काफी कोशिश करने के बाद मेरी हुँह हुँह की ज़रा सी आवाज़ निकली जो उस औरत तक पहुँच गईं और वो औरत पहले तो उठी जिससे उसका कद मुझे दिखा जो कि 6 फुट से भी ज्यादा रहा होगा और फिर कपडे छोड़कर मेरी तरफ बढ़ी जिससे मुझे उसका चेहरा दिखा मगर चेहरा एकदम बिगड़ा हुआ था जैसी किसी ने चेहरे से नोंचकर मांस निकाल लिया हो और खून चेहरे पर ही जम गया अब क्या था उसको खुद की तरफ बढ़ता देख मेरी साँसों ने पहले तो दौड़ना फिर उखाड़ना शुरू कर दिया कुछ नहीं सूझ रहा था की गले में पड़े हनुमान जी के लौकिट की याद आई जैसे तैसे उस लौकिट को हाथ में रखकर मैंने हनुमान चालीसा की चार लाइनें पढ़ डाली और आँखें बंद करके खोली ही थी की मंज़र बदल गया वहाँ कोई लम्बी चौड़ी खूंखार औरत नहीं वहाँ मेरी मच्छरदानी उड़ रही थी ये देखकर जान में जान आई मगर नींद नहीं आई और सुबह होने तक जागता रहा फिर 4-5 बजे सुबह थोड़ी देर के लिए सो गया.. 6 बजे सुबह वो मेरे जानकार मुझे सफारी के लिए लेने आ गए मैं तैयार होकर जब अपने कमरे का ताला लगाने लगा तो बराबर वाले कमरे पर गईं उसमें पहले से ताला लगा हुआ था मैंने सोचा शायद सुबह चाय बगान में काम पर गए होने क्यूंकि वहाँ के ज्यादातर लोग सुबह इसी रोजगार पर निकलते हैं.. मैं जीप में सफारी के लिए ये सोचकर गया कि आते ही इस कमरे से बोरिया बिस्तर उठाकर कहीं और ही रहूँगा सफारी से आते हुए मैंने अपने जानकार से पूछा कि मेरे बराबर वाले कमरे में कितने लोगों का परिवार रहता है फिर उसने जो जवाब दिया उससे मुझे मौत के मुँह से वापस आने का एहसास हुआ.. उसने कहा कि वहाँ तो अब कोई नहीं रहता पहले एक लम्बी तगडी औरत रहती थी और पूरे दिन घर के कामों में लगी रहती थी जैसे सफाई, खाना बनाना या कपडे धोना, उसका पति कोलकाता में नौकरी करता था ये दोनों कमरे उसके ही हैं मगर तीन साल पहले जंगल से निकलकर एक भालू ने उस औरत पर जानलेवा हमला कर दिया वो औरत उस समय अपने कमरे के आगे झाड़ू लगा रही थी उस भालू ने उसको जान से तो मारा ही साथ में उसका चेहरा अपने लम्बे नाखूंनों से नोंच डाला जिससे उस औरत को पहचान पाना मुश्किल हो गया था! ये सुनकर मेरे रौंगटे खड़े हो गए और मैंने अपनी रात की आपबीती अपने जानकार को बता डाली जिससे उसके भी होश फाकता हो गए और उसने मेरे साथ आकर मेरा सारा सामान निकलवाया और मुझे अपने घर ले गया फिर अपने घर पर मेरी तरफ चाय का कप बढ़ा कर बोला कि आप तो कल मौत के मुँह से निकल आए…!!!
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gyandutt · 3 months
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सुमित पाण्डेय, फर्नीचर निर्माता
ब्लॉग - सुमित, फर्नीचर निर्माता सुमित ने मुझे एक चौकी उपहार स्वरूप बना दी है। मेरे मन माफिक। उसका प्रयोग मैं बिस्तर पर बैठ लिखने-पढ़ने के लिये करता हूं। व्यक्ति की जिस चीज में आसक्ति हो और कोई वह उपहार स्वरूप दे दे तो उस व्यक्ति को कभी भूलता नहीं वह।
गांव में ही फर्नीचर की दुकान खोली है सुमित ने। उनके अनुसार आठ महीना हो गया। मैने बाहर निकलना कम कर दिया है, इसलिये गांव की हलचल पता ही नहीं चलती, वर्ना किराना, चाय, मोबाइल आदि की दुकान से अलग कुछ व्यवसाय प्रारम्भ हो तो पता तो चलना ही चाहिये। यह भी कहा जा सकता है कि उम्र बढ़ने के साथ अपनी खोल में ज्यादा घुसा रहने लगा हूं मैं। बहरहाल सुमित से मिला, जानपहचान हुई और उनकी दुकान देखी – अच्छी लगी दुकान।…
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vyapartalks · 9 months
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ये मजेदार जोक्स आपको भी हंसने पर कर देंगे मजबूर, पढ़कर आप भी हसेंगे ठहाके लगाकर
The Best Funny jokes in Hindi: ये मजेदार जोक्स आपको भी हंसने पर कर देंगे मजबूर, पढ़कर आप भी हसेंगे ठहाके लगाकर, आज कल की व्यस्त जीवन में लोग खुद को समय देना भूल गए हैं जिस कारण उनके जीवन से हंसी पूरी तरह गायब हो गयी है। हंसने के लिए लोग समय ही नहीं निकाल पाते हैं इसलिए आज हम आपके लिए लाये हैं हंसने का गजब का साधन जिससे आप कहीं भी कभी भी हँस सकते हैं और इन जोक्स को पढ़कर आपका पूरा दिन शानदार बीत सकता है।
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The Best Funny jokes in Hindi
मिंकी एक दुकान में गई मिंकी- 2 BHK का क्या Rate है? दुकानदार- ये रेडीमेड कपड़ों की दुकान है.. मिंकी- लेकिन बाहर तो लिखा है “Flat 70% Off”
पप्पू- तुझे मुझसे जो मांगना है मांग ले…तुझे सब मिलेगा गप्पू- पैसा ! पप्पू- पैसे को साइड में रख यार…. इसके अलावा मांग जो मांगना है गप्पू- तेरे साइड में रखे हुए पैसे
पहला दोस्त- ओये सुन! सेकेंड ईयर का रिजल्ट आ गया क्या? दूसरा दोस्त- हां आ गया और अब तमीज से बात कर। पहला दोस्त- क्यों? दूसर दोस्त- क्योंकि अब मैं तेरा सीनियर हूं।
The Best Funny jokes in Hindi
पड़ोसी- यार तेरे घर से रोज हंसी की आवाज आती है। इस खुशहाल जिंदगी का राज क्या है? पप्पू – वो क्या है ना कि मेरी बीवी रोज मुझे जूतों से मारती है, लग जाए तो वो हंसती है और ना लगे तो मैं हंसता हूं! बस ऐसे ही हंसी-खुशी जिंदगी गुजर रही है…!!! पड़ोसी बेहोश…
पप्पू- यार, लड़कियों का ही अच्छा है… शादी से पहले पापा की परी होती हैं और  शादी के बाद घर की लक्ष्मी हो जाती हैं…! गप्पू- और लड़के…? पप्पू- लड़कों का क्या, शादी से पहले पापा से मार खाते हैं  और शादी के बाद बीवी से…!
संता (बंता से)- पूरी जिंदगी निकली जा रही है इसी इंतजार में, कभी कोई टीचर मिलेगा तो एक बात उनसे जरूर पूछूंगा। संता- क्या? बंता- ये साइन थीटा, कॉस थीटा और टैन थीटा का यूज लाइफ में कब और कैसे करना है?
यह भी पढ़ें  GF-BF Funny Jokes: आज के इन वायरल जोक्स को पढ़कर आप भी हो जायेंगे जमीन पर लोट-पोट
संता और बंता के मजेदार जोक्स The Best Funny jokes in Hindi
संता: "तुम्हारी गर्लफ्रेंड बहुत तेज़ है!"
बंता: "हाँ, एक सुबह मैंने उसे बोला कि बिस्तर से तेज़ उतरो, और शाम को वो अभी भी गिरी हुई है!"
बंता: "तेरी गर्लफ्रेंड बहुत बोलती है।"
संता: "वो तो है, पर अक्सर इनकम टैक्स की तरह होती है, जो बस फाइल कर देती है!"
बंता: "तुम्हारी तो शादी हो गई थी?"
संता: "हाँ, लेकिन शादी सिर्फ गुज़र गई, बच्चा अभी बाकी है!"
संता: "मेरी पत्नी कभी भी बात नहीं समझती।"
बंता: "तो तुम बातें उससे क्यों करते हो?"
संता: "उसकी समझ से कम से कम मेरी आवाज़ तो सुनेगी!"
बंता: "तुम्हारी नयी गर्लफ्रेंड कैसी है?"
संता: "वो बहुत प्यारी है, पर एक समस्या है, वो चाय पीती है, और चाय की बदबू कुछ तेल तक आ गई है!"
बंता: "तुम्हारी बीवी कुछ नया क्यों नहीं सीखती?"
संता: "ताकि मैं कुछ नया सीखा सकूं!"
बंता: "तुम्हारी पत्नी बहुत बेवकूफ है।"
संता: "पर तुम्हारी तो पत्नी भी तो वही है!"
संता: "तुम्हारा बच्चा बहुत तेज़ है।"
बंता: "हाँ, वो तो बच्चों की तरह तेज़ भागता है, जब उसे अपनी बज़ुर्ग दादी के साथ खाने के लिए बुलाया जाता है!"
संता: "मैंने एक बार सबसे खतरनाक चोरी की।"
बंता: "क्या चोरी की?"
संता: "पार्टी में किसी और के प्लेट से खाने की!"
बंता: "तुम्हारी पत्नी बहुत प्यारी है, उसका सिर्फ एक ही गलती है।"
संता: "क्या?"
बंता: "वो तुम्हारे साथ है!"
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पति और पत्नी के मजेदार जोक्स The Best Funny jokes in Hindi
पत्नी: "तुम्हारे दोस्त बहुत हंसते हैं, तुम क्यों नहीं हंसते?"
पति: "क्योंकि मैं उनके जोक्स से बेहतर हंसता हूं।"
पप्पू: "बाबू, एक बात बताओ, बिजली जाते समय कैसा महसूस होता है?"
मिस्टर बीन: "जैसे टोम और जेरी देख रहे हों!"
दोस्त: "तुम्हारी गर्लफ्रेंड तुम्हारे साथ शादी क्यों करेगी?"
बुद्धू: "क्योंकि उसे मेरे जैसा आदमी नहीं मिलेगा!"
टीचर: "बच्चों, चाँद पे क्या पाया गया?"
बुन्देला: "सर, बेहतर स्क्रीन रेज़ोल्यूशन!"
बीवी: "तुम्हारे माता-पिता मुझे बेहद प्यार करते हैं।"
पति: "वो तो होना ही था, तुम्हारी वजह से ही तो मैं उनका बेटा बना!"
एक दोस्त दूसरे दोस्त से: "बता, तू इतना प्यार क्यों करता है खाने की चीज़ों से?"
दूसरा दोस्त: "क्योंकि खाने से मेरी मौत होगी, प्यार तो इसलिए है कि मैं तुम्हारा साथ दूंगा!"
आशा है, आपको ये जोक्स पसंद आएंगे! इसी तरह The Best Funny jokes in Hindi मे पाने के लिए https://vyapartalks.com/ पर जाए जाए।
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infohotspot · 9 months
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आयुर्वेद किसी भी बीमारी को ठीक करने का तरिका है जिसे प्राचीनकाल से इस्तमाल किया जा रहा है। अब तो विदेशो मे भी इसका चलन बढ गया है।आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे है, जिसे आप हररोज अपनाकर बीमारियों से दूर रेह सकते है। किसी मित्र या सहकर्मी के साथ टहलने का कार्यक्रम बनाएं। आयुर्वेद एक त्रिदोष व्यायाम चलने पर विचार करता है: यह आपके शरीर पर अत्यधिक दबाव डाले बिना तीनों दोषों को संतुलित करता है। यह मन को शांत करता है और इंद्रियों का पोषण करता है। दोपहर को ताज़ा खाना खाए और शांत वातावरण में खाएं और जब आप खाएं तो अपने भोजन पर ध्यान दें। और हर बाईट को अच्छे से चेबाकर खाए कहा जाता है की खाने खाते वक़्त खाने को 32 बार चेबना चाहिए। जब कभी भी खाना खाए तो पेट में हल्की सी जगह रखनी चाहिए। सुबह का नास्ता जरुर करना चाहिए और हो सके तो शाम को 8 बजे से पहले खाना खाए लेना चाहिए। सुबह के वक़्त फल का रस पीना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए और पानी हमेशा खाना खाने के 40 मिनिट बाद पीना चाहिए। हर रोज सुबह उठकर गरम गुनगुना पानी पीना चाहिए और कभी भी इसे एक साथ पीने की कोशिश न करे पानी हमेशा एक एक सिप करके पिए। एक गिलास दूध पिएं। एक थकाऊ दिन के अंत में, जब आप अपनी आँखें बंद नहीं कर सकते, तो निराश न हों: एक गिलास गर्म दूध पिएं। दूध कार्बनिक और योजक से मुक्त होना चाहिए, और इसे पचाने में आसान बनाने के लिए इसे पीने से पहले इलायची की एक चुटकी के साथ उबला हुआ होना चाहिए। अपच से बचने के लिए, भोजन से दूर इसे अकेले पिएं। जड़ी बूटी चाय पीएं। प्रकृति की हीलिंग जड़ी बूटियों से तैयार ऑल-नैचुरल, कैफीन-मुक्त चाय आराम और रिचार्ज करने का एक सही तरीका है: स्वाद और मिश्रण को चुनने के लिए महर्षि आयुर्वेद की विस्तृत श्रृंखला में से चुनें अपना स्किन पैक बनाएं। आयुर्वेदिक उपचारकर्ता आपकी त्वचा पर पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करने की सलाह देते हैं: अधिमानतः वे सामग्री जो खाने के लिए भी सुरक्षित हैं। शहद, ऑर्गेनिक रोज वॉटर, खीरा, दलिया, पिसे हुए बादाम, दूध, और दही जैसे खाद्य पदार्थों में से ऐसे पैक चुनें जो आपकी त्वचा को एक्सफोलिएट, क्लीन और मॉइस्चराइज़ करें। जल्दी सोए।आयुर्वेदिक चिकित्सक अच्छी नींद के मूल्य पर जोर देते हैं सिर्फ इसलिए कि आराम गतिशील गतिविधि का आधार है। यदि आप नींद के असंतुलन से पीड़ित हैं, तो महर्षि आयुर्वेद के आनंदमय नींद के फार्मूले की ओर मुड़ें। प्रकृति में सबसे अधिक उपचार वाली जड़ी-बूटियों में से कुछ से निर्मित, आपको बिना किसी साइड इफेक्ट के गुणवत्तापूर्ण आराम पहुंचाएगा। डीप रेस्ट उन लोगों के लिए है जो 2:00 और 4:00 बजे के बीच ऊर्जावान महसूस करते हैं। सूरज के साथ उदय। यह करना आसान होगा यदि आप 10:00 बजे से पहले बिस्तर पर जाते हैं। सुबह जल्दी उठने से आपको अपने सुबह के समय पर ध्यान केंद्रित करने और एक अच्छा पौष्टिक नाश्ता तैयार करने का समय मिलता है। इसके अलावा, यह आपको प्रकृति की शांत सुबह का आनंद लेने का समय देता है। अगर आप घुटनों के दर्द से परेशान है तो प्रतिदिन सुबह एक छोटी चेमच मेथी दाने का चूरण गुनगुने पानी के साथ सेवन करे ऐसा करने से दर्द कम होता है
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sharpbharat · 1 year
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Health alert - चाय पीने के शौकीन के लिए अच्छी खबर, यह चाय पीजिये, कैंसर जैसी बीमारी में भी है लाभकारी
शार्प भारत डेस्क : सुबह हो या शाम ज्यादातर भारतीयों को इस वक्त चाय पीना पसंद होता है. कई लोग तो सुबह बिना चाय पीए बिस्तर से हिलते भी नहीं. चाय की दीवानगी लोगों में इस कदर हावी है कि चाय की टपरियों पर हर समय भीड़ देखने को मिलती है. हालांकि सेहत के प्रति बढ़ी सजगता के बाद से लोग ग्रीन टी और ब्लैक टी जैसे हेल्दी विकल्प का चयन करने लगे हैं. अगर आप भी सेहत के प्रति सजग है और ग्रीन टी और ब्लैक टी की…
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"सुनो खुशबू ..
मम्मी पापा आ रहे हैं कल ..... दस दिन
यही रूकेंगे.....एडजस्ट कर लेना....."राजेश ने खुशबू को
बैड पर लेटते हुए कहा।
"..कोई बात नही राजेश ... आने दिजिए आपको शिकायत का कोई मौका नही मिलेगा....."....खुशबू
ने रिप्लाई दिया .....
सुबह जब राजेश की आंख खुली ... खुशबू बिस्तर छोड़ चुकी थी। "चाय ले लो..खुशबू ने राजेश की तरफ चाय का कप बढाते हुए कहा..
अरे खुशबू... तुम आज इतनी जल्दी नहा ली..
हां तुमने ही तो रात को बताया था कि आज मम्मी पापा आने वाले हैं तो सोचा घर को थोड़ा अरेंज कर
लूं.....वैसे..किस वक्त तक आ जाएंगे वो लोग..
"दोपहर वाली गाड़ी से पहुंचेंगे चार तो बज ही जाऐंगे....
राजेश ने चाय का कप खत्म करते हुए जवाब दिया..
"खुशबू..देखना कभी पिछली बार की तरह....."नही
नही..पिछली बार जैसा कुछ भी नही होगा..खुशबू ने भी कप खत्म करते हुए राजेश को कहा और उठकर रसोई की तरफ बढ गई।.......
नाश्ता करने के बाद राजेश ने खुशबू से पूछा "..तुम तैयार नही हुई..क्या
बात..आज स्कूल की छुट्टी है..??.." नही..आज तुम
निकलो मैं आटो से पहुंच जाऊंगी..थोड़ा लेट
निकलूंगी..खुशबू ने लंच बाक्स थमाते हुए राजेश को
कहा।...."..बाय बाय..कहकर राजेश बाइक से आफिस
के लिए निकल गया। और खुशबू घर के काम में लग
गई......
"..मुझे तो बहुत डर लग रहा है मैं तुम्हारे कहने से राजेश
के पास जा तो रहा हूं लेकिन पिछली बार बहू से
जिस तरह खटपट हुई थी ...मेरा तो मन ही भर गया
।....ना जाने ये दस दिन कैसे जाने वाले हैं..राजेश के
पिताजी राजेश की मम्मी से कह रहे थे।...."..अजी..
भूल भी जाइये..बच्ची है.......कुछ हमारी भी तो
गलती थी....हम भी तो खुशबू से कुछ ज्यादा ही
उम्मीद लगाए बैठे थे....उन बातों को अब सालभर
बीत गया है..क्या पता कुछ बदलाव आ गया
हो...इंसान हर पल कुछ नया सीखता है....क्या पता
कौन सी ठोकर किस को क्या सिखा दे राजेश की
मां ने पिताजी को हौंसला देते हुए कहा......
दरअसल दो भाइयों में राजेश बड़ा था और श्रवण
छोटा।...राजेश गांव से दसवीं करके शहर आ गया आगे
पढने..... और श्रवण पढाई में कमजोर था इसलिए गांव
में ही पिताजी का खेती बाड़ी में हाथ बंटाने
लगा....राजेश बी टेक करके शहर में ही बीस हजार रू
की नौकरी करने लगा....खुशबू से कोचिंग सेन्टर में ही
राजेश की जान पहचान हुई थी यह बात मम्मी
पापा को राजेश ने खुशबू से शादी के कुछ दिन पहले
बताई....पिताजी कितने दिन तक नही माने थे इस
रिश्ते के लिए.....फिर भी बड़ा दिल रखकर जब
पिछली बार राजेश और खुशबू के पास शहर आए थे तो
मन में बड़ी उमंगे थी पर सात आठ दिन में ही खुशबू के
तेवर और बेटे की बेबसी के चलते वापस गांव की तरफ
हो लिए.....
"अरे भागवान..उठ जाओ..स्टेशन आ गया उतरना नही
है क्या.... राजेश के पिताजी की आवाज से माँ की
नींद टूटी ..सामान उठाकर दोनो स्टेशन से बाहर आ
गए और आटो में बैठकर दोनो राजेश के घर के लिए
रवाना हो गए..घर पहुंचे तो खुशबू घर पर ही
थी...जाते ही खुशबू ने दोनो के पैर छुए.....चाय
पिलाई ....नहाने के लिए गरम पानी किया ....
पिताजी नहाने चले गए और खुशबू रसोई में खाना
बनाने लगी। थोड़ी देर में राजेश भी आ गया।
फिर बैठकर सबने थोड़ी देर बातें की और खाना
खाया। अगले दिन सुबह पांच बजे पिताजी उठे तो
खुशबू पहले ही उठ चुकी थी पिताजी को उठते ही
गरम पानी पीने की आदत थी खुशबू ने पहले से ही
पिताजी के लिए पानी गरम कर रखा था नहा
धोकर पिताजी को मंदिर जाने की आदत थी..खुशबू
ने उनको जल से भरकर लौटा दे दिया..नाश्ता भी
पिताजी की पसंद का तैयार था..सबको नाश्ता
करवाकर खुशबू राजेश के साथ चली गई ...तो
पिताजी ने चैन की सांस ली..
चलो अब चार पांच घण्टे तो सूकून से निकलेंगे.....दिन
के खाने की तैयारी भी खुशबू करके गई थी...... स्कूल
से आते ही खुशबू फिर से रसोई में घुस गई ...
शाम को हम दोनों को लेकर खुशबू पास के पार्क में
गई वहां उसने हमारा परिचय वहां बैठे बुजुर्गों से
करवाया.....अगले दिन सण्डे था.... खुशबू , राजेश और
हम दोनो चिड़ियाघर देखने गए..हमारे लिए ताज्जुब
की बात ये थी कि प्रोग्राम खुशबू ने बनाया
था..खुशबू ने खूब अच्छे से चिड़ियाघर दिखाया और
शाम को इण्डिया गेट की सैर भी करवाई.....खाना
पीना भी हम सबने बाहर ही किया.. इस
खुशमिजाज रूटीन से पता ही नही चला वक्त कब
पंख लगाकर उड़ गया..
कहां तो हम सोच रहे थे कि दस दिन कैसे गुजरेंगे और
कहां पन्द्रह दिन बीत चुके थे...।
आखिर कल जब श्रवण का फोन आया कि फसल
तैयार हो गई है और काटने के लिए तैयार है तो हमें
अगले ही दिन गांव वापसी का प्रोग्राम बनाना
पड़ा।
रात का खाना खाने के बाद हम कमरे में सोने चले गए
तो खुशबू हमारे कमरे में आ गई उसकी आंखों से आंसू बह
रहे थे।
मैने पूछा.."क्या बात है बहू..रो क्यों रही हो.?.......
तो खुशबू ने पूछा "..पिताजी, मां जी.....पहले आप
लोग एक बात बताइये..पिछले पन्द्रह दिनों में कभी
आपको यह महसूस हुआ की आप अपनी बहू के पास है
या बेटी के पास......"नही बेटा सच कहूं तो तुमने
हमारा मन जीत लिया..हमें किसी भी पल यह नही
लगा की हम अपनी बहू के पास रह रहें हैं तुमने हमारा
बहुत ख्याल रखा लेकिन एक बात बताओ
बेटा......"तुम्हारे अंदर इतना बदलाव आया कैसे..??
"पिताजी..पिछले साल मेरे भाई की शादी हुई
थी।...मेरे मायके की माली हालात बहुत ज्यादा
बढिया नही है।...इन छुट्टियों में जब मैं वहां रहने गई
तो मैने अपने माता पिता को एक एक चीज के लिए
तरसते देखा..बात बात पर भाभी के हाथों तिरस्कृत
होते देखा..मेरा भाई चाहकर भी कुछ नही कर
सकता था।...मैं वहां उनके साथ हो रहे बर्ताव से बहुत
दुखी थी....उस वक्त मुझे अपनी करनी याद आ रही
थी..कि किस तरह का सलूक मैंने आप दोनो के साथ
किया था।
""किसी ने यह बात सच ही कही है कि जैसा बोओगे
वैसा काटोगे।""
मैं अपने मां बाप का भविष्य तो नही बदल सकती
लेकिन खुद को बदल कर मैं ये उम्मीद तो अपने आप में
जगा ही सकती हूं कि कभी मेरी भाभी में भी
बदलाव आएगा और मेरे मां बाप भी सुखी
होंगे......खुशबू की बात सुनकर मेरी आंखे भर आई।
मैने बहू को खींचकर गले से लगा लिया....."हां बेटा
अवश्य एक दिन अवश्य ऐसा होगा...
खुशबू अब भी रोए जा रही थी उसकी आंखों से जो
आंसू गिर रहे थे वो शायद उसके पिछली गलतियों के
प्रायश्चित के आंसू थे..। 🙏🏻🙏🏻
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iobnewsnetwork · 1 year
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ताकि कोई मां बाप खुद को बदनसीब ना समझे....!
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जयपुर। सुख दुख हर किसी के जीवन में आताजाताहै मगर यह बात अलग है कि कोई सक्स प्लानिंग के साथ दुखभरे दिनों से संघर्ष करता है और फिर अपने आप को संकट के इस दौर से बाहर निकल लेता है । मगर इसके विपरीत कुछ लोग दुख को अंत हीन मान कर डिप्रेशन जैसे दुख भरा कायरतापूर्ण का कदम उठा कर सुसाइड कर लेता है। संघर्ष में हारे व्यक्ति को क्या कुछ हासिल होता हो, मगर उसकी जिम्मेदारियों के साथ क्या कुछ गुजरता होगा, इसकी कल्पना करना मुश्किल है। यह सत्य कथा एक गरीब परिवार की है। पीड़ित का नाम हरभजन सिंह है। 1947 में जन्मे इस सक्स ने शायद ही कभी सुख भोगा हो, मगर है व्यक्त दुख के कड़ा व सुलगता रहा। हरभजन के गांव के पास पड़ोसी कहते है की उनके इस मित्र के पिता बचपन में ही मर गए थे। तब उसकी उम्र केवल आठ साल की थी। इकलोती संतान होने पर उसका स्कूल छूट गया। कमाई का कोई साधन न होने पर गांव के बस अड्डे पर कल्लू हलवाई की दुकान पर काम करने लगा। नन्हे बच्चे की ड्यूटी बड़ी सख्त थी। सुबह सात बजे ही वह दुकान के लिए घर से निकल पड़ता था। नाश्ते में एक प्याला चाय और रात की बची रोटी को गोल करके,चाय के कप में डूबो कर बड़े सकून से खा कर पैदल ही घर से निकल पड़ता था। उसकी पोशाक बहुत ही साधारण हुआ करती थी। पिता की मौत के कोई एक माह पहले उन्ही ने स्कूल यूनिफार्म के तौर पर सिलवाया था। तब ��ूनिफार्म का कपड़ा सरकार की ओर से ��िला करता था। स्कूल के अलावा परिवार या फिर अन्य कोई सामाजिक समारोहमें इसे धुलवाया करता था। फिर बिस्तर के सिराने लगा कर सपनों की दुनियां में खो जाता था। बीस साल की उम्र में उसकी शादी कलवंती कौर से हो गई। शरीर में कमजोर होने पर अक्सर वह बीमार रहा करती थी। फिर भी उसने पांच बेटियों को जन्म देकरवह मर गई। शायद कोई बीमारी हो गई थी। उसका उपचार भी करवाया। मगर पूरा खर्च नहीं उठा सका। घरवाली की मौत होने परहरभजन सिंह पर बड़ी जम्मेदारी आ गई थी। देखो तो एक बेटी को पालना ही मुश्किल होता है। मगर जाने कैसे हाड़ मांस का बना था यह सक्स।पुत्रियों को कोई भी कष्ट नहीं होने दिया सभी की शादियां करदी। मगर समधियो में एक भी ढंग का नही निकला। दहेज के लोभी निकले। आए दिन,इनके घर आ जाते। बेशर्म से कोई ना कोई डिमांड करने लग जाते। मांग पूरी ना होने का मतलब एक ही था। पैसा दो या फिर बेटी को रखो अपने घर। इसी के चलते दो बेटियों का तलाक हो गया। बाकी तीन,अपनी मां की तरह बीमारियों की शिकार होकर मर गई। इनमें बीस साल की बेटी रणवीर कौर शादी के कुछ दिनों के बाद से ही अपने पिता के पास रह रही थी। एक के बाद एक दुखो को झेलते हरभजन बहुत कमजोर हो गया था। आंखों की रोशनी चली गई। गांव में अक्सर जब भी कभी हरभजन को चर्चा होती थी तो एक ही बात कही जाती थी, यही की घर में छोरा होता तो बुढ़ापा आराम से कट जाता। मगर वाह गुरु का खेल कौन जानता था,जो हर पल कोई ना कोई परीक्षा लेता रहता था। हरभजन के पास कितनी सी प्रॉपर्टी थी,फिर भी इसका दुरुपयोग ना होंजाय, ऐसे में डेढ़ बीघा जमीन और टूटा फूटा मकान भी बेटियो के नाम कर दिया।हरभजन बताया करता था की संघर्ष और दुख भरे दिनों में परिवार या रिश्तेदार, इनमे किसी ने भी उसका साथ नहीं दिया। आंखों की बीमारी का जहां तक सवाल था गांव की पंचायत ने ही उसका इलाज करवाया। हर भजन एक ही इच्छा थी कि उसके जीते जी अपनी मौत की तमाम रस्में उसकी आंखो के सामने ही जाए। 27 फरवरी को ये सभी रस्में भी पूरी हो गई।बरसी का समारोह भी गांव में ही करवाया। सभी परिचितों,रिश्तेदारों और पूरे गांव को भोजन कराया।गांव के एक बुजुर्ग कहते है की आज कल सामाजिक हालत ही इस तरह के हो गए है कि लोगों में प्यार तो खत्म ही हो गया। हालांकि समाज इतना भी नही गिरा कि किसी का अंतिम संस्कार भी ना हो। लेकिन हर भजन की जो इच्छा थी, जो उन्ही ने पूरी की। Read the full article
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ragbuveer · 2 years
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल(तृतीया तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
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#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-10-मार्च-2023
वार:---------शुक्रवार
तिथी:-------03तृतिया:-21:42
पक्ष:--------कृष्णपक्ष
माह:--------चैत्र
नक्षत्र:------चित्रा(अहोरात्र)
योग :-------वृद्बि:-20:38
करण:------वणिज:-09:21
चन्द्रमा:-----कन्या:-18:36/तुला
सुर्योदय:-------06:57
सुर्यास्त:-------18:40
दिशा शूल-------पश्चिम
निवारण उपाय:---दही का सेवन
ऋतु :---------------बंसत ऋतु
गुलीक काल:---08:11से 09:40
राहू काल:-------11:09से12:37
अभीजित-------12:07से13:00
विक्रम सम्वंत .........2079
शक सम्वंत ............1944
युगाब्द ..................5124
सम्वंत सर नाम:------नल
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-06:57से08:27तक
लाभ:-08:27से09:56तक
अमृत:-09:56से11:25तक
शुभ:-12:54से14:23तक
चंचल:-17:11से18:40तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-21:42से23:22तक
शुभ:-00:54से02:25तक
अमृत:-02:25से03:56तक
चंचल:-03:56से05:27तक
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
आज के विशेष योग
वर्ष का341वा दिन, भद्रा प्रारंभ 09:21 से 21:42 तक पाताल- लोक शुभ ईशान, कल्पादि, छ. शिवाजी जयंती (तिथि प्रमाण) राजयोग सूर्योदय से 21:42,
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👉वास्तु टिप्स 👈
दक्षिण-पश्चिम दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे ना रखे।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*सुविचार*
सब दुखः दूर होने के बाद मन प्रसन्न होगा ये एक वहम हैं
मन प्रसन्न होने के बाद दुखः दूर होगें ये वास्तिवकता हैं।
राधे राधे
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
🌻 *चिकनपॉक्स/ छोटी माता* 🌻
ये एक संक्रामक रोग है, सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा, मरीज को पानी उबाल कर पिलाना है और पानी उबाल कर बदन पोंछना होता है, मरीज का बिस्तर सुबह शाम बदलना होता है और बिस्तर तथा मरीज के कपडे खौलते हुए पानी से धोने होते हैं, मरीज के सिरहाने नीम की पत्तियों का गुच्छा रखना होता है, इसमें मरीज को एंटीबायोटिक नही दी जाती है।
✍ गिलोय की 5 इंच लंबी लकड़ी को कुचल कर 1 गिलास पानी में उबालें, जब 1/4 पानी बचे तब छान कर सुबह शाम मरीज को दें
✍ तुलसी के 5 पत्ते, 5 मुनक्का, बड़ी पीपली (छोटे बच्चों को 1/4 पीपली व बड़े बच्चों को 1/2 पीपली) को पीसकर पेस्ट बना लें। छोटे बच्चों को 1/2 चम्मच व बड़े बच्चों को एक चम्मच सुबह-शाम को दें।
✍यदि फुंसियों में ज्यादा खुजली हो तो छोटे बच्चों को 1/4 चम्मच और बड़े बच्चों को 1/2 चम्मच हल्दी को 1/2 गिलास दूध में मिलाकर दिन मे दो बार देने से लाभ होगा। तुलसी के 5 पत्तों को चाय बनाते समय उबाल लें और छानकर पीने से दर्द, खुजली में राहत मिलती है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
*🐑मेष :~ अ, ल, इ*
अचानक हानि-दुर्घटना संभव है। शरीर अस्वस्थ रहेगा। पराक्रम से लाभ के अवसर बनेंगे। व्यापार-व्यवसाय से लाभ होगा। सत्कर्म में रुचि बढ़ेगी।
*🐂वृषभ :~ ब, व, उ*
शुभ समाचार मिलेंगे। श‍त्रु परास्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय, निवेश-नौकरी के लिए समय ठीक है। सम्मान मिलेगा। आर्थिक स्थिति संतोषजनक रहेगी।
*💑मिथुन :~ क, छ, घ*
शारीरिक कष्ट हो सकता है। यात्रा से लाभ होगा। अचानक लाभ के प्रस्ताव आएंगे। व्यापार-निवेश से लाभ होगा। परिवार में सुख-शांति होगी।
*🦀कर्क :~ ड, ह*
व्यय बढ़ने से कर्ज लेना पड़ सकता है। चोरी-दुर्घटना से बचें। शत्रु कष्ट दे सकते हैं। मातृपक्ष की चिंता होगी। किसी की आलोचना न करें।
*🦁सिंह :~ म, ट*
यात्रा लाभदायक रहेगी। व्यापार-व्यवसाय से लाभ होगा। निवेश के लिए शुभ समय है। शत्रु शांत रहेंगे। समस्या का हल निकलेगा।
*👸🏼कन्या :~ प, ठ, ण*
अचानक संकट उपस्थित हो सकता है। नई योजनाएं बनेंगी। कार्य में रुचि बढ़ेगी। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। नवीन काम के अवसर भी हैं।
*⚖तुला :~ र, त*
शरीर कष्ट तथा धनहानि की आशंका है। धर्म-कर्म, तंत्र-मंत्र में रुचि बढ़ेगी। सरकार कार्य पूर्ण होंगे। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के कारण मन में शांति रहेगी।
*🦂वृश्चिक :~ न, य*
चोरी-दुर्घटना से हानि संभव है। व्यय बढ़ेगा। व्यापार-व्यवसाय धीमा चलेगा। विवाद से बचना होगा। कई दिनों के रुके कार्य होने के अवसर हैं।
*🏹धनु :~ भ, ध,फ*
गृहस्थ सुख मिलेगा। सरकारी कार्य पूर्ण होंगे। व्यापार-निवेश से लाभ होगा। यात्रा कल्याणकारी होगी। घरेलू उलझनों को अनदेखा न करें।
*🐏मकर :~ ख, ज*
शत्रु संकट उपस्थित करेंगे। संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। व्यापार-निवेश, नौकरी-इंटरव्यू मनमाफिक चलेंगे। संतान के कार्यों पर नजर रखें।
*⚱कुंभ :~ ग, स, श, ष*
विद्यार्थी वर्ग को सफलता मिलेगी। शुभ समाचार मिलेंगे। दावत का आनंद मिलेगा। शत्रु षड्यंत्र रचेंगे। दिन उत्साहवर्धक रहेगा।
*🐠मीन :~ द, च*
चोरी-दुर्घटना से हानि संभव। वाद-विवाद से मानहानि होगी। व्यापार-निवेश में हानि संभव। जोखिम के कार्य टाल दें।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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mwsnewshindi · 2 years
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हल्दी की चाय: इस सर्दी में हल्दी के 5 फायदों का लुत्फ उठाएं
हल्दी की चाय: इस सर्दी में हल्दी के 5 फायदों का लुत्फ उठाएं
हल्दी वाली चाय के फायदे: सर्दियों के मौसम में स्वस्थ और लचीले शरीर का प्रबंधन करना कठिन हो सकता है। भले ही कई लोग ठंड का आनंद लेते हैं, लेकिन यह उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। सर्दियों का समय गले में खराश, सर्दी, खांसी और शरीर में दर्द के लिए एक सामान्य समय होता है, जिसके कारण आप अपने बिस्तर पर कंबल ओढ़े रहना चाहते हैं। हल्दी की चाय लंबे समय से भारतीय पारंपरिक चिकित्सा (विशेष रूप से…
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broservices2021 · 3 years
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आज मौसम बड़ा बेईमान है………बड़ा…!
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आज कल जैसे, हर सेलिब्रिटी के फैन होते है वैसे ही, अलग-अलग मौसमों ने भी कुछ लोगो को अपना दीवाना बना दिया है। हर एक का अपना एक प्यारा मौसम है। सबसे ज्यादा फैन फॉलोइंग है, बरसात के मौसम की। मगर बरसात के जितने दीवाने है, उतने ही इसे न पसंद करने वाले भी है। भीगना, घूमना जिन्हे पसंद नहीं उन्हे यह मौसम अड़चन ही लगती है। और जिन्हे कीचड़ जैसी चीजों से चिढ़ है उन्हे भी। गर्मी का मौसम कुछ कम लोगो को ही पसंद आता है। अब ठंड की बात की जाय तो, इसके सिर्फ फैन ही मिलेंगे कोई इस मौसम को नापसंद नही करेगा। जैसे हर मौसम पसंद नापसंद आने की वजह है, ठंड के मौसम के साथ भी बहुत सारी दिलचस्प बाते जुड़ी है।
एक बात त�� है, की बारिश के मौसम में, बरसात के पानी के साथ आपस के वातावरण में जो हरियाली फैलती है और उस वजह से कायनात जो रूप ढाल लेते है, इन सब चीजों के चलते लोगों को बरसात का मौसम बड़ा सुहाना लगता है। ठंड के मौसम में, ठंडी हवा और वातावरण के साथ, निकलती धूप जो इन दिनों ज्यादा तेज नही होती इसलिए ठंड के मौसम में दिन भी बड़े सुहाने निकलते है। एक तो ठंड की वजह से और दूसरा गर्माहट की वजह से ठंड का मौसम लोगों को अच्छा लगता है। खुदको चद्दर में लिपटकर देर तक सोना, सुबह के साफ आसमान से निकले सूरज की गर्मी को चेहरे पर महसूस करना, गर्म चाय के प्याले के चारो तरफ उंगलियां घेर कर मीठी चुस्कियों के साथ चाय का आनंद उठाना और श्याम में सूरज ढलते ही बढ़ती हुई ठंड के साथ, आग पकड़ती सुखी लकड़ियों पर हाथ सेकते हुए, गप्पे मरना, बाते करना यह सब कुछ सिर्फ ठंड के मौसम में ही संभव हो पाता है। इस मौसम में ना गर्मी और पसीने के टेंशन होती है और ना ही कीचड़ और गीले कपड़े सुखाने की टेंशन। साल के सबसे सुहाने कोई दिन है, तो वो है ठंड के मौसम के गर्माहट भरे दिन। जैसे हर चीज के दो पहलू होते है, वैसे ही इस सुहाने पालो को जीते हुए घरवालों ने अगर गतली से भी सुबह जल्दी, कोई सामान लाने बाहर भेजा, तो इस सुहाने मौसम को बेईमान होने में कितनी देर लगती है? कौन अपना बिस्तर छोड़ कर गर्मी का बलिदान देकर कड़ी ठंड में समान लेने जाए। इन हलाथो मे, सुहाने लगने वाले इस मौसम की भी बुराई करने का मन करता है। ठंड से सिकुड़े हुए हाथो में भारी सामान उठाकर लाना किसी जंग से कम नहीं लगता। अगर शॉप से दूर हो फिर तो कयामत ही आई समझो। घर से दूर चलकर तो नही जा सकते। ठंड के मौसम में बाइक पर कही जाना मतलब, भरे तूफान में कश्ती लेकर समंदर में उतरने के बराबर है। एक काम की वजह से सारे मूड की बैंड बज जाती है। एक पल में प्यार लगने वाला मौसम दुश्मन बन जाता है। मौसम के खातिर प्यार भरे गाने गाने वाला इंसान गलियां बकना शुरू करता है।
ऐसे हालातों में, सिर्फ एक ही प्रणाली आपके और आपके मौसम के प्रति प्यार को टूटने नही देती और वो है : BRO Services। जो आपको घर बैठे सामान पोहचाकर आपके और मौसम के रिश्ते को बरकरार रखता है। BRO Services की मदद से बिना बिस्तर छोड़े, नींद का आनंद लेते हुए बस pick location और drop location BRO को बताकर घर बैठे सामान मंगा सकते है। सिर्फ एक ठंड के मौसम में ही नही आपके फेवरेट हर मौसम में BRO आपके काम आता है। जिसके चलते आपको अलग मौसमों की अच्छाई दिखती रहेगी, आप हर एक मौसम बिना उसकी बुराई किए मजे से जी सकते है। BRO की मदद से मौसम और आपके बीच प्यार बरकरार रहता है।
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कल बाज़ार में फल खरीदने गया,
तो देखा कि एक फल की रेहड़ी की छत से एक छोटा सा बोर्ड लटक रहा था,
उस पर मोटे अक्षरों से लिखा हुआ था…
“घर मे कोई नहीं है, मेरी बूढ़ी माँ बीमार है,
मुझे थोड़ी थोड़ी देर में उन्हें खाना,
दवा और टॉयलट कराने के लिए घर जाना पड़ता है,
अगर आपको जल्दी है तो अपनी मर्ज़ी से फल तौल लें, रेट साथ में लिखे हैं।
पैसे कोने पर गत्ते के नीचे रख दें, धन्यवाद!!”
अगर आपके पास पैसे नहीं हो तो मेरी तरफ से ले लेना, इजाज़त है..!!
मैंने इधर उधर देखा,
पास पड़े तराजू में दो किलो सेब तोले दर्जन भर केले लिये, बैग में डाले,
प्राइस लिस्ट से कीमत देखी, पैसे निकाल कर गत्ते को उठाया,
वहाँ सौ-पचास और दस-दस के नोट पड़े थे, मैंने भी पैसे उसमें रख कर उसे ढंक दिया।
बैग उठाया और अपने फ्लैट पे आ गया,
रात को खाना खाने के बाद मैं उधर से निकला,
तो देखा एक कमज़ोर सा आदमी, दाढ़ी आधी काली आधी सफेद,
मैले से कुर्ते पजामे में रेहड़ी को धक्का लगा कर बस जाने ही वाला था,
वो मुझे देखकर मुस्कुराया और बोला “साहब! फल तो खत्म हो गए।”
उसका नाम पूछा तो बोला: “सीताराम”
फिर हम सामने वाले ढाबे पर बैठ गए।
चाय आयी, वो कहने लगा, “पिछले तीन साल से मेरी माता बिस्तर पर हैं,
कुछ पागल सी भी हो गईं है और अब तो फ़ालिज भी हो गया है,
मेरी कोई संतान नहीं है, बीवी मर गयी है, सिर्फ मैं हूँ और मेरी माँ..!!
माँ की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, इसलिए मुझे ही हर वक़्त माँ का ख्याल रखना पड़ता है”…
एक दिन मैंने माँ के पाँव दबाते हुए बड़ी नरमी से कहा, “..माँ!!
तेरी सेवा करने को तो बड़ा जी चाहता है पर जेब खाली है
और तू मुझे कमरे से बाहर निकलने नहीं देती, कहती है,
तू जाता है तो जी घबराने लगता है, तू ही बता मै क्या करूँ?”
न ही मेरे पास कोई जमा पूंजी है।..
ये सुन कर माँ ने हाँफते-काँपते उठने की कोशिश की।
मैंने तकिये की टेक लगवाई, उन्होंने झुर्रियों वाला चेहरा उठाया अपने कमज़ोर हाथों को ऊपर उठाया,
मन ही मन राम जी की स्तुति की फिर बोली..
“तू रेहड़ी वहीं छोड़ आया कर, हमारी किस्मत का हमें जो कुछ भी है, इसी कमरे में बैठकर मिलेगा।”
मैंने कहा, “माँ क्या बात करती हो,
वहाँ छोड़ आऊँगा तो कोई चोर उचक्का सब कुछ ले जायेगा,
आजकल कौन लिहाज़ करता है? और बिना मालिक के कौन फल खरीदने आएगा?”
कहने लगीं.. “तू राम का नाम लेने के बाद बाद रेहड़ी को फलों से भरकर छोड़ कर आजा बस,
ज्यादा बक-बक नहीं कर, शाम को खाली रेहड़ी ले आया कर, अगर तेरा रुपया गया तो मुझे बोलियो!”
ढाई साल हो गए हैं भाईसाहब सुबह रेहड़ी लगा आता हूँ …
शाम को ले जाता हूँ, लोग पैसे रख जाते हैं..
..फल ले जाते हैं, एक धेला भी ऊपर नीचे नहीं होता,
बल्कि कुछ तो ज्यादा भी रख जाते हैं, कभी कोई माँ के लिए फूल रख जाता है,
कभी कोई और चीज़!!
परसों एक बच्ची पुलाव बना कर रख गयी,
साथ में एक पर्ची भी थी “अम्मा के लिए!”
एक डॉक्टर अपना कार्ड छोड़ गए पीछे लिखा था,
‘माँ की तबियत नाज़ुक हो तो मुझे कॉल कर लेना,
मैं आ जाऊँगा, कोई ख़जूर रख जाता है,
रोजाना कुछ न कुछ मेरे हक के साथ मौजूद होता है।
न माँ हिलने देती है न मेरे राम कुछ कमी रहने देते हैं,
माँ कहती है, तेरे फल मेरा राम अपने फरिश्तों से बिकवा देता है।
आखिर में, इतना ही कहूँगा की अपने मां -बाप की सेवा करो,
और देखो दुनिया की कामयाबियाँ कैसे हमारे कदम चूमती हैं।…🙏🙏🌹
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thelostpahadi · 6 years
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आज और दिनों के मुकाबले माया जल्दी उठ गई थी घड़ी में 6 बज रहे थे। जल्दी से गैस में चाय रखी और सब्जी काटने के लिए बैठ गयी । कुछ देर में चाय पीते हुए , सब्जी छौंकी और रोटियाँ बनायीं तब तक 7 बज चुके थे । रिद्धि के पापा आज ऐसे खर्राटे मार रहे थे मानो किसी ने पुराना बेकार पड़ा जनरेटर चला दिया हो । मेरी हंसी भी छूट रही थी और गुस्सा भी आ रहा था तभी गैस में रखी चाय भी बनकर तैयार हो चुकी थी। दोनों बच्चों को उठाया और अपने प्यारे से जनरेटर यानी कि मेरे पति, हाँ मेरे बेग अरे छोड़िये, घचमरते हुए उनको उठाया और हाथ में चाय पकड़ा दी। पहाड़ी होने का सबसे बड़ा फायदा होता है कि सुबह नाश्ता भले कुछ ना दो उनको स्टील के गिलास में चाय दे दो बस और क्या चाहिए। रिद्धि और अपने छोटे बेटे को स्कूल छोड़कर आयी और तब तक रिद्धि के पापा भी तैयार हो चुके थे। उनका टिफन बनाया और उनको आफिस के लिए भेजा। सर्दियूँ में कपड़े धोना मानों बर्फ की चादर समेट कर उसको सुखाना जैसे होता है। कपड़े ज्यादा नहीं बस 2 बनियान और एक दो जोड़ी बच्चों के कपड़े। सीढ़ी उतरते समय अचानक पैर फिसल गया और दर्द के मारे में कराह गयी। जैसे तैसे कपड़े सुखाने डाल दिये और बिस्तर में लेट गयी। दर्द कम नहीं हुआ था लेकिन सूजन बड़ गया था। रिद्धि के पापा आफिस से घर आये और जल्दी से हॉस्पिटल लेके गए जहां एक्सरे करने के बाद पता चला पैर के हड्डी टूट गयी है। मेरा मन उतना नहीं घबराया इस बार हाँ चिंता की लकीर मेरे चेहरे साफ झलक रही थी। कुछ देर बाद प्लास्टर चढ़वाया और डॉक्टर ने सख्त हिदायत दी बिस्तर में से एक हफ्ते तक हिलना नहीं है। आँखों कोने से आँसू अपने आप बह निकले। ये दुनिया का दस्तूर है आँसू बिना कहे नहीं आते हैं वो बस चले आते हैं चाहे दुख हो या सुख। शाम को घर आकर बगल वालों ने खाने पीने की व्यवस्था की थी। अगले दिन मेरी बड़ी बेटी मुझसे जल्दी उठ के झाड़ू पूछा कर चुकी थी और मेरे पति चाय की गिलास मेरे हाथों में देते हुए कह रहे थे मैं संभाल लूँगा। तुम बस अपने पैर का ध्यान रखो। मेरी बड़ी बेटी जोकि मात्र 10 साल की है उसने स्कूल से घर आके मैग्गी बनाई और अपने छोटे भाई और मुझे भी खिलाई । कितना स्वाद भर था उसके हाथों में । हम पहाड़ियों की सबसे आदत ये है हम बच्चों को घर के चूल्हे चौकी करने में कसर नहीं छोड़ते हैं। खुशियों यूँ ही नहीं आती है कई बार कुछ ऐसे हालात बन जाते जहाँ आपको खुशियां देने के लिये हर कोई खड़ा होता है। शाम को उसने अपने पापा के लिए अधजली रोटियाँ बनाई थी सच में आज मेरी बेटी बड़ी हो गयी थी। #pahadi #uttarakhand #kumaoni_culture #gadwall #bhyp #haldwani (at Noida) https://www.instagram.com/p/Bs_Ld3MA9fy/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=13z6jerdrwy1c
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thesuergicalnews · 3 years
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जिसे नौ महीने कोख में पाला, उसे बना दिया जानवरों का निवाला, हद है-----
जिसे नौ महीने कोख में पाला, उसे बना दिया जानवरों का निवाला, हद है—–
प्रेम कुमार दिलदारनगर(गाजीपुर)।अहले शुक्रवार की सुबह जब मैं बिस्तर छोड़ नित्य क्रिया से फारिग हो चाय पीने के लिए।नगर के रेलवे फाटक पर आया तो कड़ाके की ठंड में चाय की चुस्कियों के साथ पहले से बैठे लोगों में यह चर्चा सुन हैरान रह गया कि नगर के त्रिमुहानी से सटे दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन के बगल में बीती रात किसी महिला ने एक नवजात शिशु को पॉलीथिन में लपेट कर फेंक दी है।जिसे जानवरों ने अपना निवाला…
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becharapati · 3 years
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बहस 👥
::
रमेश और रीता में काफ़ी देर से
बहस चल रही थी …
::
रमेश - आखिर तुम चाहती क्या हो ?💁‍♂️
::
रीता - कुछ नहीं
बस तुम ढंग से रहा करो 😉
::
रमेश - सुबह पाँच बजे उठता हूँ
तुमको बिस्तर पर ही चाय 🫖 देता हूँ
जब तक तुम फ्रेश हो कर
योगा 🧘‍♀️करती हो तब मैं
पूरे घर में सफाई करता हूँ,
नाश्ता 🍳 बनाता हूँ,
बच्चों को उठाकर तैयार करता हूँ,
नौ बजे 🕘 बच्चों को स्कूल 🏫 भेजकर
सबके लिए लंच 🍱 तैयार करता हूँ
इस बीच में मुझे नाक👃
पोंछने तक की फुरसत नहीं मिलती
::
रीता- वही….वही तो 🤢
मैं भी तो ये ही कह रही हूँ,
कि कम से कम नाक तो पोंछ लिया करो 🤷‍♀️
कितने गंदे दिखते 👀 हो 😏
बेचारा पति 😢😰😭
😁🤣😍😎🤪
😁🙂😍🤩😎🤪
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mwsnewshindi · 2 years
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समय के सुनहरे दागों के बीच: केरल में 110 वर्षीय अंबिका विलास का दौरा
समय के सुनहरे दागों के बीच: केरल में 110 वर्षीय अंबिका विलास का दौरा
एक्सप्रेस समाचार सेवा अनुभव यहाँ ऑपरेटिव शब्द है। दिन के उजाले को देखें क्योंकि आप अपनी सुबह की चाय को अपने आलीशान, शान��ार ढंग से सजाए गए चार-पोस्टर बिस्तर से पीते हैं। यदि पर्दों को खींचा जाए, तो आपको कभी पता ही नहीं चलेगा कि सूर्य उपर से उग आया है। यदि आप अपने आप को बिस्तर ��े बाहर खींच लेते हैं, तो बगल के अध्ययन में चले जाते हैं, किताबों में कंघी करते हैं या पक्षियों की पुकार को सुनते हैं। यहाँ…
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manmohan888-blog · 3 years
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सुबह सुबह की चाय का प्याला
सुबह सुबह की चाय का प्याला
अलसाई सी आंख खुली शरीर को खेंचा मरोड़ा थोड़ी तान दी पैरों को हिलाया उंगलियों को हिलाया लगा कि हां शरीर में कुछ हलचल सी तो है लेकिन मांसपेशियां अकड़ी अकड़ी सी है बहुत देर तक बिस्तर पर उलट पलट होते होते कभी रजाई को दूर करते कभी वापस ओढ़ लेते हुए आधे घंटे का समय बीत गया।हल्की सी आंख खोलकर कभी रसोई की ओर देखा कभी वापस आंखें बंद कर ली इंतजार था कि बिस्तर छोड़ने से पहले चाय मिल जाए लेकिन नसीब भी रोज…
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