आज दिनांक - 19 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - पौष
पक्ष - शुक्ल
तिथि - नवमी रात्रि 07:51 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र - भरणी मध्य रात्रि 02:50 तक तत्पश्चात कृतिका
योग - साध्य दोपहर 12:46 तक तत्पश्चात शुभ
राहु काल - सुबह 11:28 से 12:50 तक
सूर्योदय - 07:23
सूर्यास्त - 06:18
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:16 तक
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कठोर या चंचल स्वभाव बदलने की कुंजी
स्वभाव कठोर है तो कमल का ध्यान करें, स्वभाव कोमल हो जायेगा । चंचल स्वभाव है तो ऐसा चिंतन करें कि “मैं शांत आत्मा हूँ, चिद्घन आत्मा हूँ, चैतन्य आत्मा हूँ... चंचलता मन में है, उसको जाननेवाला, चल मन को जाननेवाला अचल मेरा आत्मा-परमात्मा है । ॐ ॐ ॐ....” थोड़े दिन में स्वभाव ठीक हो जायेगा ।
मनुष्य कितना भी पतित हो वह महान बन सकता है
‘ॐऽऽऽ...’ उच्चारण किया और जितनी देर उच्चारण किया उतनी देर शांत हो जाय, ध्यान में डूबता जाय । अगर ऐसा १०-१५ मिनट सुबह-शाम करे, गुरुगीता का पाठ करे, युवाधन-सुरक्षा के नियमों पर अमल करे और भगवान् को, सदगुरु को एकटक देखे, उनसे बातें करे, प्रेरणा ले फिर अंतर में डुबकी मारे तो कितना भी पतित, कैसा भी गिरा हुआ व्यक्ति हो, उसका पतन बंद होने लगेगा, मन पवित्र होने लगेगा । वह मंगल के रास्ते चल पड़ेगा ।
लक्ष्मीप्राप्ति व घर में सुख-शांति हेतु
तुलसी-गमले की प्रतिदिन एक प्रदक्षिणा करने से लक्ष्मीप्राप्ति में सहायता मिलती है ।
तुलसी के थोड़े पत्ते पानी में डाल के उसे सामने रखकर भगवद्गीता का पाठ करे । फिर घर के सभी लोग मिल के भगवन्नाम - कीर्तन करके हास्य - प्रयोग करे और वह पवित्र जल सब लोग ग्रहण करे । यह प्रयोग करने से घर के झगड़े मिटते है, शराबी की शराब छुटती है और घर में सुख शांति का वास होता है ।
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 08 नवम्बर 2022 सूर्योदय :- 06:37 सूर्यास्त :- 17:45 सूर्य राशि :- तुला चंद्र राशि :- मेष मास :- कार्तिक तिथि :- पूर्णिमा वार :- मंगलवार नक्षत्र :- भरणी योग :- व्यतिपात करण :- बव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- शरद लाभ :- 10:47 - 12:11 अमृत:- 12:12 - 13:35 शुभ :- 14:58 - 16:22 राहु काल :- 14:58 - 16:22 जय महाकाल महाराज :- *चन्द्र ग्रहण* *कार्तिक पूर्णिमा* आज मंगलवार 8 नवम्बर 2022, कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को लगने वाला चंद्रग्रहण भारत वर्�� में खग्रास चंद्रग्रहण के रूप में दिखेगा। *ग्रहण प्रारंभ* सायँकाल 5:32 पर होगा। *ग्रहण समाप्ति* सायँकाल 6:19 पर होगा। ग्रहण के बेध समय मे वृद्ध, बाल, अस्वस्थ को छोड़कर अन्य के लिए भोजन आदि निषेध है। ग्रहण समाप्ति के पश्चात स्नानादि से निवृत होकर पूजन-पाठ, दान आदि करें। आज का मंत्र :- ""|| ॐ नमो हनुमंते भय भंजनायय सुखं कुरु फट स्वाहा।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 08 नवम्बर 2022 ( मंगलवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/Ckr2mwQLe6d/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (पंचमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
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#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-14-मार्च-2024
वार:------गुरुवार
तिथी :---05पचंमी:-23:27
पक्ष :------शुक्लपक्ष
माह:-----फाल्गुन
नक्षत्र :-----भरणी:-16:56
योग:------वैधृति:-22:01
करण:-----बव:-12:21
चन्द्रमा:----मेष22:40/वृषभ
सूर्योदय:----06:52
सूर्यास्त:-----18:42
दिशा शूल-----दक्षिण
निवारण उपाय:-----राई का सेवन
ऋतु :----बसंत ऋतु
गुलीक काल:---09:50से11:19
राहू काल:---14:12से15:41
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-06:52से08:22तक
चंचल:-11:12से12:42तक
लाभ:-12:42से14:12तक
अमृत:-14:12से15:42तक
शुभ:-17:12से18:42तक
🌗चोघङिया रात🌓
अमृत:-18:42से20:12तक
चंचल:-20:12से21:42तक
लाभ:-00:42से02:12तक
शुभ:-03:42से05:12तक
अमृत:-05:12से06:52तक
आज के विशेष योग
वर्ष का357वा दिन, याज्ञवल्क्य जयंती, सूर्य मीन पर 12:36, बं. चैत्र मास प्रारंभ, वैधृति पुण्य,दग्धयोग 23:26 से 30:44 तक, रवियोग 16:56से, यमघण्ट- योग 16:56 से 30:44 तक, ज्वालामुखी योग 16:56तक, महर्घ,
🙏🪷टिप्स🪷🙏
गुरुवार के दिन केले ना खायें।
*सुविचार*
क्षमा के बिना कोई प्यार नहीं और प्यार के बिना कोई क्षमा नहीं... 👍🏻 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
शरीर को शक्तिशाली बनाना: शरीर में कमजोरी आने पर या खून की कमी होने पर लगभग 250 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना पालक का रस पीना चाहिए। इससे चेहरा एकदम गुलाब की तरह लाल हो जाता है। इसके अलावा मानसिक तनाव और रक्तचाप भी ठीक रहता है।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
कोई पुराना रोग उभर सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। शारीरिक हानि की आशंका है। किसी भी तरह के विवाद से दूर रहें। स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
किसी आशंका से ग्रसित रह सकते हैं। कोर्ट-कचहरी तथा सरकारी कार्यालयों के कार्य मनमाफिक चलेंगे। किसी विवाद में विजय प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। पारिवारिक चिंता रहेगी। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। स्थायी संपत्ति की वृद्धि के योग हैं। किसी भी तरह के कागजात ध्यान से पढ़कर निर्णय लें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश लाभदायक रहेगा।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
धन प्राप्ति के लिए किए गए प्रयास सफल रहेंगे। विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य में सफलता प्राप्त करेगा। किसी लंबी यात्रा की संभावना है। मनोरंजन के अवसर प्राप्त होंगे। नौकरी में नए कार्य कर पाएंगे। उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
शारीरिक कष्ट की आशंका है। किसी अपने ही व्यक्ति से विवाद हो सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। भागदौड़ रहेगी। दु:खद समाचार प्राप्ति की आशंका है, धैर्य रखें। व्यापार-व्यवसाय में लाभ होगा।
👩🏻🦱 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
किसी भूले-बिसरे शत्रु से हानि की आशंका है। पिछले समय किए गए प्रयासों का लाभ मिलने का प्रारंभ होगा। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
किसी दुष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति का साथ हानिप्रद रहेगा। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। नए संपर्क बन सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। हल्की मजाक बिलकुल न करें।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य खराब हो सकता है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में अधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। यात्रा लाभदायक रहेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। भाग्य अनुकूल रहेगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
कोई बड़ा खर्च सामने आ सकता है। आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय हो सकता है। धन प्राप्ति सुगम होगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। नए काम मिल सकते हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। भाग्य का साथ रहेगा।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
विवाह के उम्मीदवारों को वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मित्रों तथा रिश्तेदारों की सहायता कर पाएंगे। लाभ होगा।
🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
किसी धार्मिक यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। पूजा-पाठ में मन लगेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में रुकावट दूर होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता रहेगी। परिवार के साथ समय सुखमय व्यतीत होगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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2024 में भरणी नक्षत्र तिथियों पर एक नज़र डालें | MyPandit
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२०८० साल माघ ४ गतेको वैदिक राशिफल
आजमिति २०८० साल माघ ४ गते तदअनुसार जनवरी १८, २०२४ विहिवार, शुक्लपक्षको अष्टमी तिथि, भरणी नक्षत्र, सिद्द योग, मेष राशिमा चन्द्रमा, यो योगमा नया कुरा सिक्नको लागि राम्रो मानिन्छ। विष्टि करण परेको हुनाले शुभ कार्य गर्न त्यति राम्रो मानिँदैन
• अभिजित् मुहूर्त: बिहान ११:५३ देखि १२:३५ सम्म,
• काठमाण्डौंमा सुर्योदय: बिहान ०६:५६
• सुर्यास्त: बेलुका ०५:३३ बजे
वैदिक ज्योतिषशास्त्र अनुसारको आजको…
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२०८० साल माघ ४ गतेको वैदिक राशिफल
आजमिति २०८० साल माघ ४ गते तदअनुसार जनवरी १८, २०२४ विहिवार, शुक्लपक्षको अष्टमी तिथि, भरणी नक्षत्र, सिद्द योग, मेष राशिमा चन्द्रमा, यो योगमा नया कुरा सिक्नको लागि राम्रो मानिन्छ। विष्टि करण परेको हुनाले शुभ कार्य गर्न त्यति राम्रो मानिँदैन
• अभिजित् मुहूर्त: बिहान ११:५३ देखि १२:३५ सम्म,
• काठमाण्डौंमा सुर्योदय: बिहान ०६:५६
• सुर्यास्त: बेलुका ०५:३३ बजे
वैदिक ज्योतिषशास्त्र अनुसारको आजको…
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Aaj Ka Rashifal: मेष राशि वालो के लिए धन लाभ के योग बने हुए है देखे अन्य राशियाँ
Aaj Ka Rashifal पंचांग 23 दिसंबर 2013 दिन शनिवार मार्ग शीर्ष मास चल रहा है। शुक्ल पक्ष है। एकादशी तिथि रहेगी, सुबह 7:11 तक फिर द्वादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी, भरणी नक्षत्र रहेगा, रात को 9:19 तक फिर कृतिका नक्षत्र शुरू हो जाएगा। चंद्रमा मेष राशि में गोचर कर रहे हैं। भगवान सूर्य धनु राशि में विराजमान है,
आज अभिजीत मुहूर्त का समय होगा। सुबह 11:59 से दोपहर 12:41 तक जो भी महत्वपूर्ण कार्य है, अभिजीत…
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आज सोमबारको राशिफल संगै राम-जानकी भगवानको दर्शन गरौँ !
२०८० कार्तिक १३ गते, साेमवार, ३० अक्टाेबर २०२३। कार्तिक कृष्णपक्ष द्वितीया तिथि। भरणी नक्षत्र, ६ः२९ बजेपछि कृत्तिका। चन्द्रराशि मेष, १२ः२३ बजेपछि वृष।
मेष – ARIES
चु, चे, चो, ला, लि, लु, ले, लो, अ
लगनशीलताले उपलब्धिको स्रोत प्राप्त हुनेछ। पहिलेकाे काम पूरा हुनासाथ नयाँ जिम्मेवारी प्राप्त हुनेछ। आयस्रोत बढ्नेछ। दिगो काम सुरु गर्ने समय छ। दिउँसोदेखि बौद्धिक कलाको प्रभाव बढ्नेछ। बुद्धिको उपयोगले…
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Today Panchang 2 अक्टूबर: विघ्नराज चतुर्थी संकष्टी व्रत व चतुर्थी श्राद्ध आज, शुभ पंचांग से देखें मुहूर्त
02 अक्तूबर, सोमवार, 10 आश्विन (सौर) शक संवत् 1945, 16 आश्विन मास प्रविष्टे 2080 (पंजाब पंचांग), 16 रबिउल्लावल सन्1445, आश्विन कृष्ण तृतीया प्रात 07.37 बजे तक पश्चात चतुर्थी सुबह 06.12 बजे तक, उपरांत पंचमी। भरणी नक्षत्र सायं 06.24 मिनट तक, हर्ष योग प्रात 10.29 बजे तक पश्चात वज्र योग, विष्टि (भद्रा) करण प्रात 07.37 बजे तक चंद्रमा मेष राशि में रात्रि 12.15 मिनट तक उपरांत वृष राशि में। सूर्य…
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★★★वेदांग ज्योतिष के अनेक अंग★★★
ज्योतिष, व्याकरण, शिक्षा, कल्प, निरुक्त और छंद वेद के छः अंग हैं। ये वेद के नेत्र, मुख, नासिका, कर्ण, हाथ और पैर हैं। देवर्षि नारद का कथन है कि ज्योतिष रूपी वृक्ष के सिद्धान्त, संहिता और होरा रूपी तीन स्कन्ध हैं, यह कल्मष से रहित निर्मल वेद-नेत्र है और इसके बिना श्रौतस्मार्त कर्म सिद्ध नहीं होते अतः ब्रह्मा ने संसार के कल्याण के लिए इसे स्वयं बनाया है।
"सिद्धान्तसंहिताहोरारूपं स्कन्धत्रयात्मकम्।
वेदस्य निर्मलं चक्षुः ज्योतिःशास्त्रमकल्मषम् ॥
विनैतदखिलं श्रतं स्मार्तं कर्म न सिध्यति।
तस्मात् जगद्धितायेदं ब्रह्मणा निर्मितं पुरा ॥"
ज्योतिषशास्त्र को आगम और तंत्र भी कहते हैं तथा आगम और तंत्र को शंकर-पार्वती का संवाद भी कहा जाता है। सामान्यतः यह माना जाता है कि ब्रह्मा के चार मुखों से चार वेद उत्पन्न हुए हैं परन्तु महर्षि कणाद ने अपने नाडीज्ञान में लिखा है कि शिव पंचानन हैं और उनके चार मुखों से चार वेदों की तथा पाँचवे से आगम की उत्पत्ति हुई है। वर्तमान ज्योतिष के गौरीजातक और चौघड़िया मुहूर्त आदि कुछ विषय उमाशंकर के संवाद भी माने जाते हैं परन्तु इन कथनों में अनेक शंकाएँ हैं।
(१) व्याकरण आठ हैं तो क्या आठों ब्रह्मा और शिव के मुख से उत्पन्न हैं। आज पाणिनि व्याकरण का ही प्रचलन है। वैदिक व्याकरण उससे भिन्न है और उसका प्रचार नहीं है। वस्तुतः ब्रह्मा के मुख से वही निकला होगा तो हम पाणिनि की ब्रह्मा से श्रेष्ठ क्यों मानते हैं?
(२) करोड़ों वर्षों तक जीने वाले नारद का हमें आजकल दर्शन क्यों नहीं हो रहा है?
(३) क्या नारद के समय होरा शब्द का और बारह राशियों एवं सात वारों वाले इस होराशास्त्र का प्रचलन था?
(४) नारद का कथन है कि ज्योतिष के अध्ययन के अधिकारी केवल द्विज हैं। यदि यह सत्य है तो सूर्य ने मय दानव को ज्योतिष क्यों पढ़ाया? आचार्य वराहमिहिर ने लिखा है कि यवन म्लेच्छ हैं किन्तु ज्योतिष भली-भाँति उन्हीं में स्थित है और वे ऋषियों की भाँति पूज्य हैं।
" म्लेच्छा हि यवनास्तेषु सम्यक् शास्त्रमिदं स्थितम्।
ऋषिवत्तेऽपि पूज्यन्ते किं पुनर्दवविद् द्विजः ॥"
तो ब्रह्मा जी यह शास्त्र म्लेच्छों को क्यों पढ़ने देते हैं?
(५) क्या शुद्ध गणित आदि भी न पढ़ें?
(६) क्या हमारा आधुनिक ज्योतिष ब्रह्मा और शिव के मुख से उत्पन्न और निर्मल है?
(७) इस ज्योतिष का मूलाधार बारह राशियाँ और सात बार हैं। तो वेदांग ज्योतिष के इन मुख्य विषयों का वर्णन वेद में क्यों नहीं है? इनके नाम क्यों नहीं हैं? वेद में होरा शब्द क्यों नहीं है जो इस शास्त्र का मुख्य नाम है?
(८) वेद ने भद्रा भरणी आदि शब्दों को शुभ क्यों माना है?
(९) योगेश्वरी योगीश्वर उमाशंकर ने आगम और तेल में अतिशय अश्लील, अभद्र और अनैतिक विषयों की चर्चा क्यों की है?
(१०) हम एक मुख से चारों वेद पढ़ लेते हैं और अनेक भाषाएँ बोल लेते हैं तो ब्रह्मा और शिव को वेदागम पाठ के लिए चार-पाँच मुख क्यों बनाने पड़े?
(११) सामवेद में ऋग्वेदातिरिक्त केवल ७५ मंत्र हैं तो उतने के लिए उन्होंने अन्य मुख क्यों धारण किये?
(१२) वे ऋग्वेद के मंत्रों की अन्य वेदों में क्यों पढ़ते हैं?
(१३) गीता आदि प्राचीन ग्रंथों में वेदों की संख्या तीन ही क्यों बतायी गयी हैं?
(१४) ब्राह्मा ने युग, ऋतु, पक्ष, तिथि, करण, नक्षल आदि के नामों की और शुभाशुभ की यह शिक्षा विश्व के अन्य देशों को क्यों नहीं दी?
ज्योतिष वेदांग कहा जाता है और तीन ग्रंथ वेदांगज्योतिष के नाम से प्रसिद्ध भी हैं, पर उनमें भेद है। इसलिए विद्वानों ने उनके तीन नाम रख दिये हैं।
(१) ऋज्योतिष ,
(२) यजुन्योतिष,
(३) अथर्वज्योतिष ।
प्रथम और द्वितीय में थोड़ा सा ही अन्तर है पर तीसरा दोनों से बहुत भिन्न और नूतन है। ऋग्ज्योतिष के आचार्य लगध हैं। उसमें युग के पाँच संवत्सरों के शुभ नाम हैं पर उनके स्वामियों में बाद में थोड़ा मतभेद हो गया है। उसमें ऋतु, मास, पक्ष, अधिमास, पर्व, तिथि, नक्षल मुहूर्त, नाडी, पल, सावन और नक्षलदेव वर्णित हैं। युगारम्भ उत्तरायण के आरम्भ से है, ग्रहों में केवल सूर्य चन्द्र की चर्चा है, धनिष्ठा प्रथम नक्षत्र है और कुछ नक्षत्रों को उम्र क्रूर भी कहा है, पर वर्तमान ज्योतिष के उम्र क्रूर नक्षत्र उनसे भिन्न हैं। उसमें सात बार नहीं है और बारह राशियाँ नहीं है पर सूर्यमास शब्द हैं। सूर्यमास, चन्द्रमास और अधिमास तीनों है।
अथर्वज्योतिष में लिखा है कि इसे पितामह ने कश्यप को पढ़ाया था। इसमें मुहूतों के रौद्र, श्वेत आदि १५ नाम लिखे हैं और बताया है कि शुभ नाम वाले मुहूतों में शुभ तथा अशुभ नाम वालों में अशुभ कर्म करो। इसमें तिथि के करणों के तथा उनके देवों के नाम हैं, उनके शुभाशुभ फल हैं, भद्रा की पूँछ है, नंदा भद्रा आदि तिथियाँ हैं और वार भी हैं अतः इसकी नूतनता स्पष्ट है फिर भी इसमें राशियाँ नहीं हैं। ऋग्ज्योतिष का रचनाकाल विद्वानों ने ई०पू० ११०० से १४०० के मध्य में निश्चित किया है पर अथर्वज्योतिष बहुत नया है। इसमें ऐसे कई विषयों का वर्णन है जो वेद से अस्पष्ट है फिर भी यह अपने को वेदांग कहता है। बाद के ज्योतिष को, वेदांग उपाधि भी ऐसी हो कपटी है।
ज्योतिषशास्त्र आकाशस्थ ग्रह, नक्षत्र, विद्युत्, धूमकेतु आदि ज्योतियों से सम्बन्धित है। इनकी स्थिति जानने में अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित और गोलीय रेखागणित आवश्यक होते हैं इसलिए वे भी ज्योतिष के अंग माने जाते हैं। ज्योतिष प्रत्येक व्यक्ति और राष्ट्र का तथा वर्षा, रोग, युद्ध आदि का भूत भविष्य बताता है। आजकल ज्योतिष में संहिता, जातक, ताजिक, मुहूर्त, शकुन, स्वर, सामुदिक, अंगस्फुरण, छींक, भूगर्भ-विद्या, वास्तुशास्त्र आदि अनेक विषय आ गये हैं। क्योंकि ये सब भी भविष्य बताते हैं। संहिता ग्रंथों में ज्योतिष के अतिरिक्त अन्य विषयों का भी वर्णन है। जातक शास्त्र मनुष्य के स्वास्थ्य, सौन्दर्य, आयु, धन, विद्या, भाग्य, पत्नी आदि अनेक विषयों की स्थिति बताता है किन्तु इस समय ज्योतिष की मुख्य शाखाएँ तीन हैं।
(१) वैज्ञानिक ज्योतिष,
(२) होराशास्त्र और,
(३) वैदिक ज्योतिष ।
वैज्ञानिक ज्योतिष प्रयोगजन्य अनुभूतियों पर आश्रित होने से पूर्ण सत्य है। उसने ग्रहों, तारों तथा धुमकेतुओं आदि के विषय में बहुत कुछ जाना है और वह उनके प्रभाव के अध्ययन में भी तत्पर है। प्राचीन काल में भारतीय ज्योतिष को भी यही स्थिति थी किन्तु बाद में ज्यातिषियों ने गौतम बुद्ध, आर्यभट और भास्कराचार्य आदि के नूतन शोधों को अस्वीकार कर दिया। अतः विकास अवरुद्ध हो गया। होराशास्त्र विदेशी है, होरा शब्द विदेशी है, उसकी बारह राशियाँ विदेशी हैं, सात वार विदेशी हैं, ए, बी, सी, डी, से बना अवकडा चक्र विदेशी है और ताजिक विदेशी है। विदेशी ज्ञान बुरा नहीं होता पर आज के हौरा में कल्पनाओं का राज्य है। वेदों में ज्योतिष के कुछ ही विषयों का वर्णन है पर जो है व��� सब प्राकृतिक, प्रत्यक्ष, सत्य, अनुभूत और हितावह है पर दुर्भाग्य से आज वह अप्रचलित है और भारत के बड़े-बड़े ज्योतिषी मासों, पक्षों, दिनों, रातों और मुहूर्तादिकों के वैदिक शुभ नामों तक को भूल गये हैं। वैदिक ज्योतिष प्रतिदिन विवाह का आदेश देता है पर आज वैदिक हिन्दू को कुछ संवत्सरों में विवाह का एक भी मुहूर्त नहीं मिलता और आज के होराशास्त्र के सब नियमों का माना जाय तो विवाह का निर्दोष मुहूर्त सौ वर्ष में भी नहीं मिलेगा। होराशास्त्र अपने को वेदनेत्र कहता है पर वह वेदविरुद्ध और प्रत्यक्ष विरुद्ध है।
Credit :- From Facebook profile of Triskanda Jyotishi Shashank Shekhar Shulbh
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*🌞~ आज दिनांक - 14 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - गुरूवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पंचमी रात्रि 11:25 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - भरणी शाम 04:56 तक तत्पश्चात कृतिका*
*⛅योग - वैधृति रात्रि 10:00 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:19 से 03:49 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:49*
*⛅सूर्यास्त - 06:48*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13से 06:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:12 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - षडशीति-मीन संक्रांति*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹षडशीति-मीन संक्रांति - 14 मार्च🌹*
*🔸(पुण्यकाल - दोपहर 12:46 से सूर्यास्त तक)*
*🔸संक्रान्ति का अर्थ है, 'सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण (जाना)'। फाल्गुन महीने में सूर्य देव 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश करेंगे, इसे मीन संक्रांति कहा जाता है ।*
*षडशीतिमुखी संक्रांति : सूर्य का मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि में गोचर ।*
*🔸षडशीति संक्रांति में किये गए जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल 86000 हजार गुना होता है । -पद्म पुराण*
*🔹गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*
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केपी सिस्टम क��� विसंगतियां ( भाग - ३ )
1) उपपति की गणना में ही केपी सिस्टम की आधारशिला है तथापि यह उपपति की गणना कई सैद्धांतिक विसंगतियां एवं भूलो से भरी पड़ी है उदाहरणार्थ यदि सूर्य के उप नक्षत्र विस्तार का मान खोजने के लिए इस पद्धति में त्रैराशिक समीकरण का प्रयोग करते है । लेकिन गणित के मूलभूत सिद्धांतों को देखें तो यह आवश्यक बन जाता है की किसी भी त्रैराशिक समीकरण में उपर - नीचे की किसी भी इकाई का बदलाव कदापि न हों । जब यहां केपी सिस्टम की इस प्रक्रिया में 120 ( अंश / वर्ष ) के नीचे उसके आधार के तौर पर 800 कला का प्रयोग करके उपपति का मान ढूंढने की मूर्खतापूर्ण चेष्टा की है । जब की यहां स्वतः रूप से 800 या तो वर्ष बन जाएगा या अंश बनेगा । त्रैराशिक समिकरण में 120 के नीचे सिर्फ 800 लिख देने भर से वो कला हो जाएंगा यह कोरी कपोल कल्पित गाणितिक विसंगति है क्योंकि *"त्रैराशिक समीकरण का मूल सिद्धान्त है की परिणाम ज्ञात करने के लिए किसी भी हाल में इकाई बदल ही नहीं सकती ।"* क्या आपने कभी ऐसी त्रिराशि या समीकरण देखा है की 12 आम के 500 रुपए तो 6 केले के कितने रुपए अब इस समीकरण में कौनसी सैद्धांतिक बात है उसे भी स्पष्ट करिए यदी नहीं हो पा रहा तो फिर इस पद्धति में आप क्या जताना चाहते हों की 1 अंश = 1कला या 1 वर्ष = 1 कला ??
2) केपी सिस्टम के अनुसार मेष से कर्क राशि तक, ( और सिंह से वृश्चिक एवं धनु से मीन तक ) आने वाले 9 नक्षत्रों में कुल मान 120° अंश का है जिसे यदि क्षेत्र के हिसाब से देखे तो इन 4 राशियां / 9 नक्षत्रों का मान 120 अंश है और दशा वर्ष के हिसाब से देखे तो यह विमशोत्तरी के हिसाब से 120 वर्ष है ( किन्तु ध्यान रहें प्रत्येक दशा पद्धति में यह मान घटता बढ़ता रहेगा)
यद्यपि यहा 120 अंश का दशमान 9 नक्षत्रों के अंत में 120 वर्ष होता है तथापि यहां यह बात अवश्य ध्यान रहे की 1 अंश = 1 वर्ष कदापि नहीं हो सकता क्योंकि यदि ऐसा होता तो मेष राशी में 0 से 7 अंश तक अश्विनी नक्षत्र, 7 से 27 अंश तक भरणी नक्षत्र, मेष राशि के 27 अंश से वृषभ राशि के 3 अंश तक कृतिका नक्षत्र, 3 अंश से 13 अंश तक रोहिणी नक्षत्र, 13 अंश से 20 अंश तक मृगशीर्ष नक्षत्र, वृषभ राशि के 20 अंश से मिथुन राशि के 8 अंश तक आद्रा नक्षत्र, 8 अंश से 24 अंश तक पुनर्वसु नक्षत्र, मिथुन राशि के 24 अंश से कर्क राशि के 13 अंश तक पुष्य नक्षत्र और 13 अंश से 30 अंश तक आश्लेषा नक्षत्र आना चाहिए लेकिन ऐसा कोई परिणाम हमें वैदिक में देखने को नहीं मिलता है फिर इस निराधार एवं कोरी कल्पना के आधार पर टिकी केपी सिस्टम तो ऐसे ही तर्को पर टिकी है जिसमे आश्चित होना एक भयंकर भुल है । लेकिन फिर भी निर्णय अपना अपना है । यदि कोई बौद्धिकता को गिरवी रख कर बिना सोचे समझे भेड़ बकरियों की चाल ही चलना चाहता है तो उसमें सबका अपना अपना निर्णय है वहा किसी को कोई आपत्ती नहीं होगी ।
3) जब केपी सिस्टम में आप कहते हों की नक्षत्र पति= महादशा और उपनक्षत्रपति = अंतरदशा है तो सूर्य और गुरु के नक्षत्र में 10 उपपति क्यों ? क्या सूर्य और गुरू की महादशा में 10 अंतर्दशाऐं आएगी ?
सूर्य और गुरू के नक्षत्र के 10 उपपति कैसे हो गए उसकी तथकथित विसंगतियों से भरी कोरी कपोल कल्पित गणना कुछ इस प्रकार है ।
7 ग्रह के 9 विभाग = 7 * 9 = 63 उपपति
2 ग्रह ( सूर्य गुरु के ) 10 विभाग = 2 * 10 = 20
9 नक्षत्र के टोटल उपापति = 83
27 नक्षत्र के 83*3 = 249 टोटल उपपति
ऐसी है विचित्र विसंगतियों से भरी है गणना गणना!
इस हिसाब से सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा दो बार और गुरु की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा दो बार आनी चाहिए जब की ऐसा कोई प्रमाण और दशाओं में तो छोड़ो विम्शोत्तरी में भी नहीं मिलता है ।
4) यदी मानते हो की उपपति ही अंतर्दशा है 9 नक्षत्र के 81 उपपति होने चाहिए 83 क्यों ?? ग्रहों की तीनों आवृति में अंतर्दशा तो 243 ही रहेगी फिर उपपति 249 क्यों ?
5) चलों ठीक है तोड़ मरोड़ कर 249 उपपति भी कर दिए फिर 243 अंतर्दशा के साथ सादृश्यता कैसे बैठ पाएंगी ? कैसे होगा उपपति = अंतर्दशा ? क्या केपी सिस्टम यह जताना चाहती है की 243 = 249 😂😂
Credit - nisarg sanatan and uk jha
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (अष्टमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-03-फरवरी-2024
वार:-------शनिवार
तिथि :---08अष्टमी:-17:21
पक्ष:-----कृष्णपक्ष
माह:-----माघमास
नक्षत्र:----विशाखा:-29:57
योग:-----गंड:-13:46
करण:----कोलव:-17:21
चन्द्रमा:---तुला:-25:04/वृश्चिक
सूर्योदय:-----07:26
सूर्यास्त:-----18:18
दिशा शूल-----पूर्व
निवारण उपाय:---वाह्वारंग या उडद का सेवन
ऋतु :-----शिशिर ऋतु
गुलिक काल:-07:26से 08:49
राहू काल:---10:11से11:33
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-----पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-08:49से10:11तक
चंचल:-12:48से14:10तक
लाभ:-14:10से15:32तक
अमृत:-15:32से16:54तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-18:18से19:56तक
शुभ:-21:34से23:12तक
अमृत:-23:12से00:50तक
चंचल:-00:50से02:30तक
लाभ:-05:48से07:26तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का 317वाँ दिन, गुरु भरणी पर 12:59, बिछुडो 25:04 से, दग्धयोग 17:21 से 31:21तक, स्वामी विवेकानंद जयंती (तिथि प्रमाण),
🌺👉वास्तु टिपस 👈🌺
माघमास में नमक का दान करे।
*सुविचार*
भेष देख मत भुलिये बूझि लिजिये ज्ञान ,
बिना कसौ��ी होत नही, कंचन की पहचान...👍🏻 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌿🍃*
*सर्दी में कोमल त्वचा के अचूक उपाय -*
5. त्वचा पर बहुत अधिक चिपचिपे क्रीम या अन्य उत्पादों का प्रयोग न करें। ऐसा करने से त्वचा पर धूल-मिट्टी आकर चिपकेगी और यह आपकी त्वचा में संक्रमण पैदा कर सकती है।
6. रात के समय शरीर पर ग्लीसरीन, गुलाब जल और नींबू का मिश्रण भी लगाया जा सकता है, यह त्वचा को फटने से भी बचाता है और निखार भी लाता है। इस मौसम में आप घरेलू सौंदर्य प्रसाधनों से सौंदर्य को निखार सकते हैं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
परिवार में आवाजाही बनी रहेगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। जोखिम न उठाएं। तनाव रहेगा, मान बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। बेरोजगारी दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। यात्रा से लाभ होगा। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। यात्रा मनोरंजक होगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। विवाद को बढ़वा न दें।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
फालतू खर्च होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। पुराना रोग उभर सकता है। चिंता रहेगी, बाकी सामान्य रहेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। रुका हुआ धन मिल सकता है।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। रुके कार्यों में गति आएगी। धनलाभ होगा। नए अनुबंध हो सकते हैं। जल्दबाजी से बचें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त होंगे।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
आंखों में कष्ट संभव है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। योजना फलीभूत होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। आय बढ़ेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा।
🐡 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
राजकीय सहयोग से लाभ के अवसर बढ़ेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। दौड़धूप अधिक रहेगी। तनाव रहेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
परिवार के वरिष्ठजनों के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। लेन-देन में सावधानी रखें।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। प्रेम-प्रसंग में सफलता मिलेगी। व्यावसायिक गतिविधि बढ़ेगी। विवेक से कार्य करें। लाभ होगा। निवेश व यात्रा मनोनुकूल रहेंगे। चिंता रहेगी। तीर्थदर्शन संभव है। पूजा-पाठ में मन लगेगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
विरोधी सक्रिय रहेंगे। तनाव बना रहेगा। भूमि व भवन के कार्य बड़ा लाभ देंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। जोखिम लेने का साहस कर पाएंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। उन्नति होगी। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। धनार्जन होगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। क्रोध पर नियंत्रण रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रहेगी। बुरी सूचना मिल सकती है, धैर्य रखें। घर-बाहर अशांति रह सकती है। थकान महसूस होगी। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। फालतू खर्च होगा।
🐡 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलेगा। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा, रोजगार में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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21-apr Hindu panchang
*⛅दिनांक – 21 अप्रैल 2023**⛅दिन – शुक्रवार**⛅विक्रम संवत् – 2080**⛅शक संवत् – 1945**⛅अयन – उत्तरायण**⛅ऋतु – ग्रीष्म**⛅मास – वैशाख**⛅पक्ष – शुक्ल**⛅तिथि – प्रतिपदा सुबह 08:28 तक तत्पश्चात द्वितीया**⛅नक्षत्र – भरणी रात्रि 10:59 तक तत्पश्चात कृतिका**⛅योग – प्रीति सुबह 11:00 तक तत्पश्चात आयुष्मान**⛅राहु काल – सुबह 11:03 से 12:39 तक**⛅सूर्योदय – 06:15**⛅सूर्यास्त – 07:03**⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा…
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रीपोस्ट - कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान – एक उत्सव
#Repost कोंहड़ौरी (वड़ी) बनाने का अनुष्ठान
सबसे पहले सात सुन्दर वड़ियां खोंटी जाती थीं। यह काम घर की बड़ी स्त्री करती थी। उन सात वड़ियों को सिन्दूर से सजाया जाता था।
अर्थ यह था कि जितनी सुन्दर कोंहड़ौरी है, वैसी ही सुन्दर सुशील बहू घर में आये।
जीवन एक उत्सव है. जीवन में छोटे से छोटा अनुष्ठान इस प्रकार से किया जाए कि उसमें रस आये – यह हमारे समाज की जीवन शैली रही है। इसका उदाहरण मुझे मेरी मां द्वारा वड़ी बनाने की क्रिया में मिला।
मां ने बताया कि कोंहड़ौरी (कोंहड़े व उड़द की वड़ी) को बहुत शुभ माना गया है। इसके बनाने के लिये समय का निर्धारण पण्डित किया करते थे। पंचक न हो; भरणी-भद्रा नक्षत्र न हो – यह देख कर दिन तय होता था। उड़द की दाल एक…
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