जुलाई में जमकर बरसेंगे बदरा, कई जगह तो बाढ़ का खतरा, जान लीजिए अपने राज्य का हाल
नई दिल्ली : जून में बारिश में कमी के बाद अब जुलाई में देश के ज्यादातर हिस्सों में 'सामान्य से ज्यादा बारिश' देखने को मिल सकती है। पूर्वोत्तर, पूर्वी यूपी और पश्चिमी बिहार में ही इस महीने सामान्य से कम बारिश देखने को मिलेगी। भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, जून में 1901 के बाद से उत्तर-पश्चिम भारत इस साल सबसे ज्यादा गर्म रहा। जुलाई में सामान्य से ज्यादा बारिश का पूर्वानुमान अच्छी खबर है क्योंकि इसी महीने में खरीफ के फसलों की बुवाई, रोपाई होती हैं। आईएमडी के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को भारी बारिश का अनुमान है। दिल्ली में बारिश के साथ तूफान आने, बिजली चमकने और तेज हवाएं चलने का भी अनुमान है।दिल्ली में मंगलवार को भी बारिश के अनुमानमौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में मंगलवार को न्यूनतम तापमान 30.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस मौसम के सामान्य तापमान से 2.8 डिग्री सेल्सियस अधिक है। सुबह साढ़े आठ बजे आर्द्रता 76 प्रतिशत दर्ज की गई। अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। आईएमडी के अनुसार, भारी बारिश को एक दिन में 64.5 से 124.4 मिलीमीटर के बीच बारिश के रूप में परिभाषित किया जाता है। दिल्ली में मंगलवार के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया गया है। आईएमडी रंगों पर आधारित चार स्तर की चेतावनियां जारी करता है जो क्रमश: ‘ग्रीन (कोई कार्रवाई आवश्यक नहीं), ‘येलो’ (सतर्क रहें और जानकारी रखें), ‘ऑरेंज’ (तैयार रहें) और ‘रेड’ (कार्रवाई करें) हैं। जुलाई में हिमालयी क्षेत्रों में बाढ़ की आशंकाआईएमडी ने सोमवार को कहा कि जुलाई में भारत में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। भारी वर्षा के कारण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों और देश के मध्य भाग में नदी घाटियों में बाढ़ आने की आशंका है। आईएमडी ने पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम वर्षा का पूर्वानुमान जताया है। आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूरे देश में जुलाई की औसत बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है जो लंबी अवधि के औसत (एलपीए) 28.04 सेमी से 106 प्रतिशत अधिक रह सकती है।इन क्षेत्रों में बारिश में देखने को मिल सकती है कमीउन्होंने कहा, ‘पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और उत्तर-पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।’आईएमडी प्रमुख ने कहा कि सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान ‘निश्चित रूप से’ कुछ क्षेत्रों में बहुत भारी वर्षा की संभावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘विशेष रूप से, यदि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के अलावा पश्चिमी हिमालय की तराई को देखें तो हम सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद कर रहे हैं।’महापात्र ने कहा, ‘यह वह क्षेत्र है जहां बादल फटने, भारी वर्षा के कारण भूस्खलन, बाढ़ के रूप में विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं। कई नदियां भी यहीं से निकलती हैं। मध्य भारत में भी गोदावरी, महानदी और अन्य नदी घाटियों में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है। इसलिए वहां बाढ़ की आशंका अधिक है।’पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ का खतरा ज्यादा रहेगानेपाल स्थित अंतर-सरकारी संगठन अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी) के विशेषज्ञों ने भी बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और पाकिस्तान सहित हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र के देशों के लिए मॉनसून के दौरान मौसम की चरम घटनाओं की चेतावनी दी है। आईसीआईएमओडी में जलवायु सेवा के लिए कार्यक्रम समन्वयक मंदिरा श्रेष्ठ ने कहा, ‘पिछले वर्ष हिंदुकुश हिमालयी देशों के कई इलाकों में औसत से कम वर्षा हुई थी, इस तथ्य के बावजूद हिंदुकुश हिमालय के क्षेत्रों में समुदाय कई बार विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हुए।’उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में, इस वर्ष का मॉनसून पूर्वानुमान चिंताजनक है। यह समग्र तापमान वृद्धि की प्रवृत्ति के भी विपरीत है, जिसके बारे में हम जानते हैं कि यह बर्फ और हिमनदों के अधिक पिघलने के नुकसान से जुड़ा है। बर्फ का पिघलना अक्सर विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन का एक प्रमुख कारक होता है जिसे हम इस समय अपने क्षेत्र में देख रहे हैं।’वर्ष 2023 में जुलाई और अगस्त में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तथा अक्टूबर में पूर्वी हिमालय में तीस्ता नदी में विनाशकारी बाढ़ आई थी। भारत में जून में सामान्य से 11 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। महापात्र ने जून में सामान्य से कम वर्षा के लिए मौसम प्रणालियों की कमी के कारण देश के उत्तरी और पूर्वी भागों में मॉनसून की धीमी प्रगति को जिम्मेदार ठहराया।आईएमडी ने कहा कि पश्चिमी तट को छोड़कर उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है। मौसम विभाग ने कहा, ‘मध्य… http://dlvr.it/T930wG
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1.क्या भारत में आम आदमी का विकास हुआ है? (Has Comman Man Developed in India?),क्या भारत में आम आदमी का विकास से रिश्ता है? (Does Comman Man Have a Relationship with Development in India?):
क्या भारत में आम आदमी का विकास हुआ है? (Has Comman Man Developed in India?) आम आदमी के विकास को मापन के लिए यदि जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) को ही कसौटी माना जाए और जैसा कि आमतौर पर माना भी जाता है तो निःसंदेह भारत में आजादी के लगभग 75 सालों में बहुत तरक्की की है।कई क्षेत्रों में तरक्की चमत्कारिक है।1947 में जब भारत आजाद हुआ था उस समय देश की आर्थिक स्थिति कितनी जर्जर थी।इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि तब प्रतिव्यक्ति आय लगभग 61 रुपए थी।प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत लगभग 0.01 किग्रा थी और इसका उत्पादन लगभग शून्य था।देश की अर्थव्यवस्था का शुमार दुनिया की पहली 20 क्या 30 अर्थव्यवस्थाओं में भी नहीं था।वगैरह वगैरह…. ।
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Onmobile Global Share Market : सस्ता में मिल रहा है यह शेयर अभी उठा लो करोड़पति बना देगा
नमस्ते मित्रों, मेरे नए और ताज़ा लेख में आपका स्वागत है।
वर्तमान समय में हम देख रहे हैं कि शेयर बाजार में काफी वृद्धि हो रही है।
विश्व बाजारों में बुलिश ( Bullish ) संदेश देखा जा रहा है।
भारत में भी इस वृद्धि की काफी मजबूती महसूस की जा रही है।
भारत के आर्थिक विकास में वर्तमान समय में काफी सुधार देखा जा रहा है।
इसकी आर्थिक विकास दर उचित है।
इस प्रकार, यहां की अधिकांश कंपनियाँ बुलिश ( Bullish ) हैं।
इस बढ़ते हुए बाजार में नये व्यक्ति भी निवेश कर लाभ कमा सकता है।
परन्तु फिर भी लाभ कमाने के लिए सही रणनीति एवं कंपनी का Fundamental सही होना जरूरी है।
इस बढ़ते बाजार में भी कुछ कंपनियों के शेयर निगेटिव रिटर्न दे रहे है।
ऐसी स्थिति में हम वैसे कंपनी ��ें भी निवेश करके अच्छी रिटर्न पा सकते है ।
इसके लिए हमलोग को यह समझना होगा कि इस कंपनी का Fundamental सही होना चाहिए।
जिस कंपनी को हम टारगेट उस कंपनी का Sales सही हो कंपनी पर कर्ज कम हो या नहीं ��ो तो यह और बेहतर होगा।
हमलोग आज के इस आर्टिकल में ऐसी ही एक कंपनी के बारे में जानकारी लेंगे जिस कंपनी में निवेश से निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सके।
अच्छी रिटर्न के लिहाज से एक कंपनी है जो सुचना प्रोद्योगिकी की कंपनी है
कंपनी का पूर्ण विवरण ( Company Details )
इस कंपनी का नाम Onmobile Global Share Market है।
यह कंपनी Service Sector की कंपनी है
यह साफ्टवेयर कंपनी है।
Onmobile Global Share Market कंपनी का शेयर का हाल
इस कंपनी का बाजार पूंजीकरण 871.49 करोड़ रुपया है।
यह कंपनी बाजार पूंजीकरण के लिहाज से एक छोटी कंपनी है।
इस कंपनी के एक शेयर का प्राइस 83.65 रूपया है।
इसके शेयर का प्राइस एक वर्ष के उच्चतम कीमत 128.40 रूपया रहा चुका है
जबकि एक वर्ष के निम्नतम कीमत की बात करें तो यह नीचे में इसका प्राइस 55.55 रूपया तक रह चुका है।
इस कंपनी में निवेश करने से पहले यह भी जान लें कि इसके शेयर में उतार चढाव अधिक देखा जाता है।
इस कंपनी का शेयर फरवरी 2008 में 347.00 रूपया के पार चला गया था
जबकि नीचे में इसके शेयर का प्राइस जनवरी 2020 में 14.50 रूपया तक जा चुका है।
अगर इस कंपनी के शेयर का प्रदर्शन पूरे कालखंड में देखा जाए तो -61.98 प्रतिशत का रिटर्न दिया है
यानी इसका रिटर्न पूरे कालखंड में निगेटिव रहा है।
इस तरह अभी यह शेयर सस्ता कीमत में ले सकता है।
Onmobile Global Share Market वित्तीय संकेतक ( Financial Indicators )
इस कंपनी का Stock PE 63.60 प्रतिशत है एवं बुक वैल्यू 67.22 रूपया है।
यह कंपनी अपने निवेशकों को Dividend भी दिया करती है
इस कंपनी का Dividend yield 1.82 प्रतिशत है।
इस कंपनी के शेयर का Face Value 10.00 रूपया है।
इस कंपनी का ROE 1.20 प्रतिशत एवं ROCE 1.94 प्रतिशत है।
इस कंपनी का Sales Growth 6.24 प्रतिशत है
इस कंपनी का Profit Growth निगेटिव में है
यह -113.30 प्रतिशत पर है।
इस कंपनी के पास नकद राशि 36.50 करोड़ रुपया है।
इस कंपनी के ऊपर ऋण मात्र 8.00 करोड़ रुपया है एवं यह आंकड़ा बता रहा है कि जितना ऋण है
उससे अधिक कंपनी के पास नकद राशि है।
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इस कंपनी के रिटर्न की बात करें तो इसका शेयर प्राइस नीचे है यह छः महीने से लगातार निगेटिव रिटर्न दे रहा है।
इसके एक वर्ष में रिटर्न देखा जाए तो यह 18.12 प्रतिशत है एवं इसका पांच वर्षों का रिटर्न 174.26 प्रतिशत है।
इस हिसाब यह कंपनी का शेयर सस्ता लग रहा है यानी इसको लेने से अच्छा लाभ का अनुमान है।
Onmobile Global Share Market कंपनी का शेयर होल्डिंग पैटर्न
इस कंपनी में प्रवर्तक समूह 47.94 प्रतिशत का हिस्सेदारी रख रहे है।
इस कंपनी के अंशधारकों में 0.42 प्रतिशत विदेशी संस्थागत निवेशक जबकि 0.01 प्रतिशत घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी है बाकि सभी हिस्सेदारी यानी 51.63 प्रतिशत शेयर खुदरा निवेशकों के पास है।
इस कंपनी में कुल अंशधारकों की संख्या 85026 के आसपास स्थित है।
खुलासा ( Disclosure )
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मेलानिस्टिक टाइगर सफारी
ओडिशा द्वारा सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व (STR) के निकट स्थापित विश्व की पहली मेलानिस्टिक टाइगर सफारी का अनावरण किया जाएगा।
मेलानिस्टिक टाइगर सफारी के लिये ओडिशा का दृष्टिकोण
- मेलानिज़्म तथा मेलानिस्टिक टाइगर: मेलानिज़्म एक आनुवंशिक स्थिति है जिसके परिणामस्वरूप मेलानिन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे जानवरों की त्वचा अथवा बालों का रंग लगभग या पूरी तरह से काला होता है।
- सिमलीपाल के रॉयल बंगाल टाइगर्स का संबंध एक विशेष वंश से है जिनमें मेलानिन की अत्यधिक मात्रा होती है जिसके ���रिणामस्वरूप बाघों के शरीर पर काली तथा पीली अंतर-छिद्रित धारियाँ विकसित होती हैं जो उन्हें स्यूडो अथवा छद्म-मेलानिस्टिक बनाते हैं।
- अखिल भारतीय बाघ अनुमान, 2022 के अनुसार सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व में 16 बाघ हैं जिनमें से 10 मेलानिस्टिक गुण हैं।
- सफारी की अवस्थिति: धनबाद-बालासोर राष्ट्रीय राजमार्ग-18 के निकट लगभग 200 हेक्टेयर में विस्तरित यह सफारी स्थल STR के समीप स्थित है जिसका परिदृश्य सिमलीपाल के सामान है।
- प्रारंभ में सफारी के परिबद्ध घेरे में, नंदनकानन चिड़ियाघर के तीन मेलानिस्टिक बाघ के साथ-साथ अन्य बचाए गए अथवा अनाथ बाघों को रखा जाएगा।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य मेलानिस्टिक बाघों की संरक्षण आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, शोधकर्त्ताओं तथा इच्छुक लोगों को इन दुर्लभ बड़ी बिल्लियों के साथ जुड़ने के लिये एक मंच प्रदान करना है।
- अनुमोदन: इस परियोजना के लिये केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण तथा देश में वन्यजीव पहल की देखरेख करने वाले अन्य नियामक निकायों से अनुमोदन की आवश्यकता है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण समिति द्वारा अंतिम मंज़ूरी देने से पूर्व इस प्रस्तावित स्थल का व्यवहार्यता संबंधी अध्ययन किया जाएगा।
बाघों में अन्य रंग भिन्नताएँ
- काली अथवा भूरी धारियों वाला ऑरेंज टाइगर: यह बाघ का सबसे सामान्य तथा व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त प्रकार है। उदाहरणार्थ रॉयल बंगाल टाइगर।प्रत्येक बाघ का धारी पैटर्न अद्वितीय होता है जो प्राकृतिक आवास में छद्मावरण (Camouflage) के रूप में कार्य करता है।
- व्हाइट टाइगर: उन्हें एक अलग उप-प्रजाति नहीं माना जाता है। व्हाइट टाइगर के फर का रंग ल्यूसिज़्म नामक आनुवंशिक उत्परिवर्तन का परिणाम है।ल्यूसिज़्म एक आनुवंशिक स्थिति है जिसके परिणामस्वरूप जानवरों में रंजकता कम हो जाती है, जिससे उनकी त्वचा अथवा शल्क सफेद या हल्के रंग के हो जाते हैं।
- गोल्डन टाइगर: इन्हें बाघों की उप-प्रजाति भी नहीं माना जाता है क्योंकि उनके सुनहरे रंग में भिन्नता "वाइडबैंड" नामक एक अप्रभावी जीन की उपस्थिति के कारण होती है।वाइडबैंड जीन बालों के विकास के चक्र के दौरान मेलेनिन उत्पादन को कम कर देता है।हाल ही में इसे काज़ीरंगा नेशनल पार्क में देखा गया।
सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व
- अवस्थिति: सिमलीपाल दक्कन प्रायद्वीप जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित है।
- वनस्पतियाँ: इसमें उष्णकटिबंधीय अर्द्ध-सदाबहार वन, उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती पहाड़ी वन और विशाल घास के मैदान मौजूद हैं।
- फ्लोरा: भारत के 7% फूल वाले पौधे और 8% ऑर्किड प्रजातियाँ यहीं हैं।
- वनस्पति और जीव: 55 स्तनपायी प्रजातियाँ, 361 पक्षी प्रजातियाँ, 62 सरीसृप प्रजातियाँ, 21 उभयचर प्रजातियाँ और असंख्य कीड़े तथा सूक्ष्म जीवों का घर।
- बाघों के अलावा प्रमुख प्रजातियों में सांभर, चीतल, भौकने वाला हिरण, गौर और माउस हिरण, तेंदुए, मछली पकड़ने वाली बिल्ली आदि शामिल हैं।
- प्रबंधन प्रयासों ने खैरी और देव नदियों के किनारे मगरमच्छों की आबादी को पुनर्जीवित कर दिया है।
- इसे वर्ष 2009 से ग्लोबल नेटवर्क ऑफ़ बायोस्फियर साइट के रूप में भी नामित किया गया है।
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केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत मंडपम में प्रदान किए 'अति विशिष्ट रेल सेवा पुरस्कार
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत मंडपम में प्रदान किए 'अति विशिष्ट रेल सेवा पुरस्कार
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता के तहत, भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और रेलवे इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा"
मंत्री ने राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए सभी रेलवे कर्मचारियों की प्रतिबद्धता की सराहना की
रेलवे भारत को 'विकसित भारत' बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा: अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड
उत्तर मध्य रेलवे को मिली सिग्नल और टेलीकॉम शील्ड
उत्तर मध्य रेलवे के छह कर्मचारी सम्मानित झांसी मंडल के ट्रैक मेंटेनर श्री अनुज पटेल भी हुए सम्मानित
केंद्रीय रेल, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, श्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को देश भर के विभिन्न जोनों/मंडलों, उत्पादन इकाइयों और रेलवे पीएसयू के 100 रेलवे कर्मचारियों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए 'अति विशिष्ट रेल सेवा पुरस्कार' (एवीआरएसपी) से सम्मानित किया। उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 21 शील्ड भी प्रदान कीं। पुरस्कार/शील्ड नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आयोजित 68वें रेलवे सप्ताह केंद्रीय समारोह में प्रदान किए गए। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं सीईओ और सदस्य, जोनल रेलवे के महाप्रबंधक और रेलवे की उत्पादन इकाइयों और रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों के प्रमुख उपस्थित थे। इस अवसर पर महाप्रबंधक उत्���र मध्य रेलवे श्री सतीश कुमार के साथ प्रधान मुख्य संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर/उत्तर मध्य रेलवे श्री सतेंद्र कुमार ने माननीय केंद्रीय रेल, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव से सिग्नल और दूरसंचार से शील्ड प्राप्त की।
उत्तर मध्य रेलवे के तीन अधिकारियों और तीन कर्मचारियों को प्रतिष्ठित अति विशिष्ट रेल सेवा पुरस्कार भी मिला। इन अधिकारियों में श्री विवेक दिवाकर सीनियर डीएमएम/आगरा, सुश्री प्रशस्ति श्रीवास्तव, डीसीएम सह पीआरओ/आगरा और श्री विजय नारायण एडीएमई/कानपुर शामिल रहे, जबकि स्टाफ में श्रीमती ऋतु मसीह, मुख्य नर्सिंग अधीक्षक, केंद्रीय अस्पताल, श्री मनोज कुमार, हेल्पर/कानपुर, श्री अनुज पटेल, ट्रैक मेंटेनर/माताटीला/झांसी शामिल रहे। । पुरस्कार और शील्ड प्रदान करने के बाद अपने संबोधन में, केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने सभी पुरस्कार विजेताओं को उनके असाधारण कार्य और प्रयास के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे में परिवर्तनकारी कार्य पूरी गति से चल रहा है। पिछले 40 वर्षों की तुलना में 9.5 वर्षों में अधिक विद्युतीकरण किया गया है। इस बदलाव के पीछे बड़ी तस्वीर यह है कि जब 2015 में प्रधानमंत्री ने रेल बजट को आम बजट में मिला दिया, तो रेल अनुदान पर पहले जो ब्याज/पूंजी शुल्क देना पड़ता था, उसकी जरूरत नहीं रही और इससे रेलवे के लिए सभी वित्तीय बाधाएं दूर हो गईं। निवेश की कमी, जो रेलवे के लिए सबसे बड़ी समस्या थी, अब अतीत की बात है।" केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''रेलवे से लोगों की उम्मीदें अब पूरी हो रही हैं। प्रधानमंत्री अक्सर कहते हैं कि यह रेलवे का स्वर्णिम काल है और इसके पीछे आप सभी की ताकत है। सभी रेलवे कर्मचारियों की यह प्रतिबद्धता हर किसी को गर्व महसूस कराती है क्योंकि हम सभी अपने देश के लिए ऐसा कर रहे हैं। रेलवे के बुनियादी ढांचे को रिकॉर्ड गति और पैमाने पर विकसित किया जा रहा है। कई नई चीजें हो रही हैं जो रणनीतिक लक्ष्य हासिल करने में मदद कर रही हैं।” रेलवे के माध्यम से रसद लागत में बड़े पैमाने पर संभावित बचत के बारे में बात करते हुए, श्री वैष्णव ने कहा, “ऐसा परिवहन, यदि सड़क मार्ग से किया जाता है, तो इसमें ईंधन लागत के साथ-साथ उच्च लागत भी शामिल होती है। एक अनुमान के मुताबिक, 3000 मिलियन टन नया माल आएगा और अगर इसका आधा हिस्सा भी रेलवे को मिलता है तो इससे संभावित रूप से 16,000 करोड़ लीटर ईंधन और रुपये की बचत होगी. इससे 1,28,000 करोड़ रुपये की बचत होगी जो देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि और बचत होगी।” देश की आर्थिक प्रगति के बारे में विस्तार से बताते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 में, भारत वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 10वें स्थान पर था, जबकि 2004 में, भारत पहले से ही 10वें स्थान पर था और इसलिए, यह एक खोया हुआ दशक था। अब, भारत 5वें स्थान पर है और आने वाले वर्षों में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता के तहत, भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल कर लेगा। उन्होंने आगे कहा, “हम सभी को औपनिवेशिक मानसिकता को बदलना चाहिए और 2027 तक हम शीर्ष तीन में से एक बन जाएंगे। भारत की विकास यात्रा में रेलवे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हम अकेले लॉजिस्टिक लागत में भारी मात्रा में कमी कर रहे हैं। हम सभी भाग्यशाली हैं कि हमारे पास ऐसा प्रधानमंत्री है जो रेलवे से भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री ने अक्सर मेरे साथ इतने सारे अनुभव साझा किए हैं कि यह केवल कोई ऐसा व्यक्ति ही बता सकता है जिसे रेलवे की कार्यप्रणाली के बारे में गहराई से जानकारी हो। रेलवे के प्रति उनकी बहुत प्रतिबद्धता है और सभी रेलवे कर्मचारी एक बहुत ही प्रतिबद्ध, समर्पित टीम का हिस्सा हैं जो राष्ट्र के विकास के लिए काम करना जारी रखेंगे। आप सभी राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं और मुझे आशा है कि आप भविष्य में भी इसी तरह इसी दक्षता, प्रेरणा और समर्पण के साथ काम करते रहेंगे।'' श्री वैष्णव ने कहा।
इस अवसर पर अध्यक्ष रेलवे बोर्ड सुश्री जया वर्मा सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि भारतीय रेलवे ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जैसे यात्रियों के परिवहन के लिए 34 नई वंदे भारत ट्रेनें, अमृत भारत के तहत 1309 स्टेशनों का पुनर्विकास जिससे यात्रियों के लिए समग्र अनुभव में सुधार होगा और समय की बचत होगी। रेल संरक्षा के विषय में बोलते हुए सीआरबी ने कहा कि संरक्षा में समग्र सुधार के लिए रेलवे द्वारा कवच सहित उन्नत तकनीको का उपयोग किया जा रहा है जिसे तेज गति और बड़े पैमाने पर लागू किया जा रहा है। भविष्य के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए कई नई पहल हैं जिन्हें हम लागू करेंगे, जिसमें मिशन 3000 मिलियन टन माल ढुलाई शामिल है; GQGD में बढ़ती गति; पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर सहित सभी रेल से अछूते क्षेत्रों को जल्द ही जोड़ा जाएगा। पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए सुश्री सिन्हा ने कहा कि "इन सभी पुरस्कार विजेताओं की उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता रेलवे को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है"। उन्होंने कहा, "रेलवे भारत को 'विकसित भारत' या एक विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"
कार्यक्रम में भारतीय रेलवे की परिवर्तन यात्रा पर एक लघु वृत्तचित्र चलाया गया और मनमोहक नृत्य प्रदर्शन सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत मंडपम में प्रदान किए 'अति विशिष्ट रेल सेवा पुरस्कार
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Widening income inequality in India and its impact on the rural economy 13 Nov 2023
भारत में, सबसे धनी 1% आबादी देश की कुल आय का लगभग 22% दावा करती है, जबकि निचले 50% को केवल 13% प्राप्त होता है। इसके अलावा, ग्रामीण भारत में आर्थिक मंदी के चिंताजनक संकेत हैं, जिन्हें वित्त मंत्रालय द्वारा अक्टूबर के लिए जारी नवीनतम मासिक आर्थिक रिपोर्ट में हल्के में लिया गया है।
वित्त मंत्रालय की सबसे हालिया मासिक आर्थिक रिपोर्ट, जो अक्टूबर में प्रकाशित हुई थी, ने "मजबूत निजी मांग और खपत" के कारण भारत के विकास की संभावनाओं को "मजबूत" बताया। इसने चालू वित्त वर्ष के लिए लगभग 6.5% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया और जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) संग्रह और रिकॉर्ड-ब्रेकिंग कार बिक्री के संबंध में सकारात्मक समाचार भी बताया।
हालांकि, सतह के नीचे, रिपोर्ट चिंताजनक रुझानों को प्रकट करती है। इस स्पष्ट "विकास" कहानी का एक बड़ा हिस्सा ऊपरी-मध्यम-आय वर्ग और उससे ऊपर के वर्गों द्वारा संचालित किया जा रहा है। ग्रामीण भारत में मंदी के स्पष्ट संकेत हैं, और यहां तक कि शहरी वेतनभोगी कार्यबल के कुछ वर्ग भी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
भारत की जीडीपी
भारत में चकाचौंधपूर्ण आय असमानता करोड़पतियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि से स्पष्ट है, जिसके 2026 तक दोगुना होने की उम्मीद है। यह ग्रामीण बाजारों में मजदूरी और खपत में ठहराव के साथ हो रहा है।
भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने इस मुद्दे को हल करने की तात्कालिकता पर जोर दिया है, जिसमें कहा गया है कि "भारत की जीडीपी अच्छी तरह से बढ़ रही है, लेकिन यह सब शीर्ष पर जा रही है।" विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक के रूप में भारत की स्थिति को रेखांकित करती है।
यह परेशान करने वाली असमानता धनी और गरीब के बीच आय अंतर में परिलक्षित होती है, जो COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से काफी बढ़ गया है। रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में शीर्ष 10% आय अर्जक वर्तमान में निचले 50% की तुलना में 20 गुना अधिक आय अर्जित करते हैं। इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात है कि भारत का सबसे धनी 1% देश की कुल आय का लगभग 22% प्राप्त करता है, जिससे निचले 50% को केवल 13% ही मिल पाता है।
ऑटोमोटिव और रियल एस्टेट क्षेत्र महत्वपूर्ण मांग असमानताओं को प्रदर्शित करते हैं। जबकि रिकॉर्ड कार बिक्री हुई है, एक करीबी परीक्षा से पता चलता है कि ये बिक्री मुख्य रूप से एसयूवी और लगभग 10 लाख रुपये और उससे अधिक की कीमत वाली कारों से प्रेरित है। इसके विपरीत, दोपहिया बाजार में बिक्री में समान उछाल नहीं आया है और अ��ी तक महामारी से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाया है। दोपहिया बिक्री में ठहराव का सबसे स्पष्ट प्रभाव एंट्री-लेवल मोटरसाइकिल सेगमेंट में देखा जाता है, जो दर्शाता है कि ग्रामीण उपभोक्ता खरीद निर्णय लेने में सतर्क हैं।
यही प्रवृत्ति एंट्री-लेवल हैचबैक कार बाजार में देखी जाती है।
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6 तरीके जो आपको 2023 में जयपुर में अपना मनचाहा फ्लैट पाने में मदद कर सकते हैं
अधिकांश लोग जयपुर में उपयुक्त फ्लै�� ढूंढने में असफल क्यों हो जाते हैं? भारत में सबसे तेजी से जनसंख्या वृद्धि देखने वाले प्रमुख शहरों में से एक जयपुर है, जिसे अक्सर "गुलाबी शहर" के रूप में जाना जाता है। यह शहर पहले से ही उत्तर भारत में रहने के लिए सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक के रूप में स्थापित हो चुका है। साथ ही यह शहर देश के अन्य मुख्य महानगरीय केंद्रों की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित और कम अराजक है। स्मार्ट सिटी के रूप में पहचाने जाने के बाद, जयपुर ने स्थानीय रियल एस्टेट बाजार में महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया। इसके अलावा, स्टार्ट-अप इंडिया मिशन के लॉन्च के परिणामस्वरूप यह आईटी और आईटी से संबंधित सेवा फर्मों के लिए एक केंद्र बन गया है। इस तथ्य के कारण, जयपुर में सही लक्जरी अपार्टमेंट या किसी की व्यक्तिगत मांगों के आधार पर फ्लैट चुनना मुश्किल है।
इससे पहले कि आप जयपुर में एक फ्लैट/अपार्टमेंट खरीदने का निर्णय लें, हमने आपके लिए आवश्यक आवश्यक जानकारी की एक चेकलिस्ट तैयार की है: -
1. किसी प्रतिष्ठित बिल्डर्स से संपत्ति खरीदना
अधिकांश समय, सम्मानित रियल एस्टेट डेवलपर्स के पास अनुभव का एक लंबा इतिहास और साथ ही सफलता की निरंतर दर होती है। आपको निर्माण की गुणवत्ता के बारे में चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है, और हम वादा करते हैं कि आपको अपना नया घर समय पर मिलेगा। इसके अलावा, अच्छी तरह से स्थापित रियल एस्टेट फर्मों के घरों के खरीदारों को अपनी खरीदारी करते समय आधुनिक सुविधाओं जैसे अतिरिक्त लाभों तक पहुंच प्राप्त होती है।
2. स्थान
आपका जीवन स्तर न केवल घर के स्थान से बल्कि उसके वर्तमान बाजार मूल्य से भी प्रभावित होता है। बाजार की अप्रत्याशितता के संदर्भ में, समृद्ध आवासीय क्षेत्रों में स्थित फ्लैट बेहतर कनेक्शन और उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसके अलावा, संपत्ति के करीब स्थित स्थानीय बुनियादी ढांचे का इसके वर्तमान बाजार मूल्य और इसके संभावित भविष्य के बाजार मूल्य दोनों पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। इसलिए, किसी संपत्ति के निवेश पर रिटर्न पर विचार करते समय स्थान सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।
3. कानूनी जांच
सुनिश्चित करें कि आपके अपार्टमेंट/फ़्लैट को ज़मीन पर खड़ा होने के लिए अधिकृत किया गया है और उसके पास ऐसा करने के लिए उचित अनुमति है। यानी, क्या डेवलपर के पास जल आपूर्ति, सीवेज बोर्ड, बिजली बोर्ड आदि के लिए नगर निगम के साथ-साथ अन्य स्थानीय विकास संगठनों से आवश्यक अनुमोदन और अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हैं।
4. सुपर बिल्ट-अप एरिया को जानें
सुपर बिल्ट-अप क्षेत्र, जिसे अक्सर ब्रोशर में शामिल किया जाता है, में सीढ़ियां, दीवार की मोटाई, लिफ्ट में जगह, लॉबी में जगह इत्यादि शामिल हैं। परिणामस्वरूप, अपार्टमेंट का सुपर बिल्ट-अप क्षेत्र इकाई के वास्तविक कालीन वाले स्थान से लगभग 30 प्रतिशत बड़ा है। अपने सपनों का घर खरीदने से पहले, सुनिश्चित करें कि आप आस-पड़ोस के बारे में अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें।
5. जयपुर में फ्लैटों की निर्माण गुणवत्ता
आप यह सुनिश्चित करने के लिए बिल्डर से संरचनात्मक इंजीनियर द्वारा दिए गए संरचनात्मक स्थिरता प्रमाणपत्र की एक प्रति मांग सकते हैं कि इमारत की योजना बनाई गई थी और उसका निर्माण अनुमानित भार के अनुसार किया गया था। भूमि की प्रकृति, जिसमें पहुंच मार्ग के ऊपर भूमि की ऊंचाई, समुद्र तल या नदी स्तर से ऊपर भूमि की ऊंचाई और उच्चतम बाढ़ स्तर से भूमि की ऊंचाई शामिल है, का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
6. संपत्ति के मूल्य में वृद्धि
रियल एस्टेट जयपुर के कुछ निवेशों में से एक है जो मुद्रास्फीति की दर से अधिक रिटर्न प्रदान कर सकता है। इस संबंध में मूल्य वृद्धि में बुनियादी ढांचे का विकास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोई भी नया कनेक्शन, परिवहन, सड़क या पारगमन केंद्र एक विकास चालक के रूप में काम करेगा, क्योंकि यह अनुमान है कि वे अधिक लोगों को आकर्षित करेंगे और बदले में मांग में वृद्धि करेंगे। किसी आवासीय संपत्ति का आसपास और साइट पर बुनियादी ढांचा इसके वर्तमान और भविष्य के मूल्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
1. क्या अब जयपुर में अपार्टमेंट खरीदने का अच्छा समय है?
मेट्रो द्वारा प्रदान की गई निर्बाध कनेक्टिविटी, तेजी से बढ़ते विशेष आर्थिक क्षेत्र, और पर्यटन से संबंधित व्यवसायों, जैसे गेस्ट हाउस, किराए के अपार्टमेंट, बिस्तर और नाश्ता, आदि की विशाल विकास क्षमता, सभी संकेत देते हैं कि वर्तमान क्षण आदर्श है जयपुर में संपत्ति या लक्जरी फ्लैट खरीदने का समय आ गया है। इसके अलावा, जयपुर में कई रियल एस्टेट डेवलपर्स घर खरीदारों को जयपुर में अपार्टमेंट पर आकर्षक सौदे प्रदान कर रहे हैं; इसलिए, यह एक मौका है जिसे चूकना नहीं चाहिए।
2. क्या जयपुर में संपत्ति की कीमतें बढ़ने वाली हैं?
कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर कंस्ट्रक्शन कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर पड़ा है. ऐसी संभावना है कि बिल्डरों को निर्माण खर्च में 12% की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। साथ ही श्रम लागत में भी लगभग 20% की वृद्धि हुई।
3. जयपुर फ्लैट खरीदने के लिए अधिक लोकप्रिय क्यों हो रहा है?
स्मार्ट सिटी के रूप में पहचाने जाने के बाद, जयपुर ने स्थानीय रियल एस्टेट बाजार में महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित किया। इसके साथ में शहर के उच्च-स्तरीय वाणिज्यिक और अवकाश केंद्र, सूचना प्रौद्योगिकी पार्क, स्कूल, विश्वविद्यालय, किराना दुकानें, अस्पताल, मॉल, पार्क, थिएटर और अन्य सार्वजनिक स्थान सभी शहर के उत्कृष्ट जीवन स्तर में योगदान करते हैं।इसलिए, यह शहर पहले से ही उत्तर भारत में रहने के लिए सबसे वांछित स्थलों में से एक और जयपुर में फ्लैट खरीदने के लिए एक आदर्श स्थान के रूप में स्थापित हो चुका है।
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पशु आहार (Animal Feed): देश को अब क्यों एक ज़बरदस्त चारा-क्रान्ति की ज़रूरत है?
किसानों के लिए कमाई बढ़ाने का अहम क्षेत्र है चारा उत्पादन क्योंकि देश में सूखे और हरे चारे के अलावा सन्तुलित पशु आहार की भारी कमी है
पशुधन और दूध उत्पादन के लिहाज़ से दुनिया में भारत शीर्ष पर है। माँग की तुलना में देश में अब भी क़रीब 36 प्रतिशत हरा चारा, 11 प्रतिशत सूखा चारा तथा 44 प्रतिशत तक सन्तुलित पशु आहार की कमी है। इसीलिए वक़्त आ चुका है कि हरित-क्रान्ति, श्वेत-क्रान्ति और नीली-क्रान्ति की तर्ज़ पर भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था अब चारा-क्रान्ति की दिशा में भी तेज़ी से अपने क़दम आगे बढ़ाये।
पशु आहार (Animal Feed): वक़्त आ चुका है कि हरित-क्रान्ति, श्वेत-क्रान्ति और नीली-क्रान्ति की तर्ज़ पर भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था अब चारा-क्रान्ति की दिशा में भी तेज़ी से अपने क़दम आगे बढ़ाये। क्योंकि भारत भले ही, अपने क़रीब 54 करोड़ पशुधन के साथ दुनिया में सबसे आगे हो, वैश्विक दूध उत्पादन में भी लम्बे अरसे से शीर्ष पर हो और भले ही, देश में पशुधन की सालाना विकास दर 7.9% हो, लेकिन माँग की तुलना में देश में अब भी क़रीब 36 प्रतिशत हरा चारा, 11 प्रतिशत सूखा चारा तथा 44 प्रतिशत तक सन्तुलित पशु आहार की कमी है।
ICAR-Indian Grassland and Fodder Research Institute (IGFRI) या भारतीय चारागाह और चारा अनुसन्धान संस्थान, झाँसी के वैज्ञानिकों अनुमान है कि साल 2050 तक भी देश में 18.4 प्रतिशत हरे चारे की और 13.2 प्रतिशत सूखे चारे की कमी बनी रहेगी। इसका मतलब है कि हरे चारे की खेती और सन्तुलित पशु आहार का उत्पादन ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें किसानों के लिए बढ़िया कमाई के ज़ोरदार अवसर हैं। लिहाज़ा, ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को पशु चारा उत्पादन के क्षेत्र में अपनी मेहनत और कौशल को आज़माना चाहिए।
देश में 2 करोड़ लोगों की आजीविका है पशुधन
भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में पशुधन और पशुपालन की हिस्सेदारी 28.63 प्रतिशत है। देश की 2 करोड़ ��े ज़्यादा आबादी की आजीविका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पशुधन और पशुपालन पर निर्भर है।
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भारत की अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर : सीतारमण
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को लोकसभा में अपने बजट भाषण में कहा कि देश की अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है। दुनिया में आर्थिक सुस्ती के बाद भी भार��� की विकास दर सात फीसदी रही। यह बजट अमृत काल का पहला बजट है।मौजूदा वित्त वर्ष में हमारी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7% रहने का अनुमान है, यह विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। भारतीय अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और…
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नई दिल्ली । केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस पुरी ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को कम करने में अग्रणी है और ऊर्जा परिवर्तन के अपने एजेंडे पर तेजी से कार्य कर रहा है।
आज का कार्यक्रम यह दर्शाता है कि भारत ऊर्जा की अपनी बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करने के बारे में अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए किस सीमा तक नवाचार करने को तैयार है।
ऑटो एक्सपो-2023 में हरदीप एस पुरी ने कहा कि ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए यह आयोजन कल को सुरक्षित, स्वच्छ, जुड़ाव युक्त और साझा बनाने के लिए हमारी तकनीकी क्षमता और गतिशीलता के विजन की एक प्रदर्शनी होगा। दर्शकों के लिए यह इको-सिस्टम की गतिशीलता का अनुभव प्रदान करेगा जो रोजाना सामने आ रहा है
और हमारी सभी जरूरतों के लिए बेहतर समाधान भी प्रस्तुत कर रहा है। यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और अन्य हितधारकों के लिए एक मंच भी उपलब्ध कराएगा।
एक्सप्लोर द वर्ल्ड ऑफ मोबिलिटी थीम के साथ इस ऑटो एक्सपो- 2023 का आयोजन ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए), भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) द्वारा किया जा रहा है।
इस आयोजन में 100 से अधिक कंपनियों और 30000 से अधिक दर्शकों की उपस्थिति का अनुमान है। उन्होंने ने जोर देकर कहा कि यह कार्यक्रम सहायक और निवेश अनुकूल माहौल के साथ भारत को वैश्विक आर्थिक विकास के इंजन और वैश्विक खपत के चालक के रूप में प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा।
भारत द्वारा इथेनॉल सम्मिश्रण के बारे में की गई प्रगति के बारे में बातचीत करते हुए श्री हरदीप पुरी ने कहा 2013-14 में पेट्रोल में इथेनॉल सम्मिश्रण 1.53 प्रतिशत था जिसे 2022 में बढ़ाकर 10.17 प्रतिशत कर दिया गया है। यह नवंबर 2022 की समय सीमा से अधिक है।
2025-26 से 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा में बढ़ोत्तरी हुई है बल्कि 41,500 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत भी हुई है
और 27 लाख मीट्रिक टन जीएचजी का उत्सर्जन कम हुआ है। इसके अलावा और इससे 40,600 करोड़ रुपये से अधिक के त्वरित भुगतान के कारण साथ किसान लाभान्वित हुए हैं।
हरदीप सिंह पुरी ने सुरक्षा जमा राशि को 5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत किए जाने का भी उल्लेख किया और कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, जैव ईंधन पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने से इथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं को 400 करोड़ रुपये का लाभ हुआ।
उन्हों ने कहा कि सरकार देश में हरियाणा के पानीपत (पराली), पंजाब के बठिंडा, ओडिशा के बरगढ़ (पराली), असम के नुमालीगढ़ (बांस) और कर्नाटक के देवनगेरे में पांच 2जी इथेनॉल बायो-रिफाइनरी स्थापित कर रही है।
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टैटू का शौक है तो पढ़ लीजिए यह रिपोर्ट, 20,000 करोड़ का धंधा हो सकता है चौपट
नई दिल्ली: इसे (Tattoo) बोलिए या गोदना या गुदना। भारत में यह काफी पुराना है। हालांकि इस बारे में कोई अभिलेख तो नहीं है, लेकिन आदिवासियों में गोदना गुदवाने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस समय यह फिर से लौट आया है। युवाओं में तो टैटू को लेकर खास ही क्रेज है। चाहे क्रिकेट खिलाड़ी हों या फिल्मी सितारे, कोई भी इससे अछूते नहीं है। तभी तो अनुमान लगाया गया है कि भारत में टैटू उद्योग (Tatoo Industry) हर साल 20,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का रेवेन्यू जेनेरेट करता है। लेकिन एक रिपोर्ट ने टैटू इंडस्ट्री के विकास पर ग्रहण लगा दिया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन व्यक्ति के शरीर पर टैटू बना होता है, उनमें कैंसर होने का खतरा 21 फीसदी ज्यादा होता है।
हर जगह दिखेगा टैटू बनाने वाले
भारत का टैटू उद्योग कितनी तेजी से बढ़ रहा है, इसका अनुमान इसी बात से लगता है कि आपको हर जगह टैटू बनाने वाले मिल जाएंगे। आप चाहे गोवा के समुद्र तट जाएं, उत्तराखंड में हरिद्वार-ऋषिकेश जाएं, दिल्ली का कनॉट प्लेस इलाका हो या गुड़गांव का डीएलएफ मॉल, या नोएडा का डीएलएफ मॉल, सब जगह आपको टैटू आर्टिस्ट या टैटू पार्लर मिल जाएगा। अनुमान है कि इससे हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये का योगदान अर्थव्यवस्था में होता है।
टैटू वाले व्यक्तियों को कैंसर का खतरा?
स्वीडन में एक विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी है स्वीडन में लुंड विश्वविद्यालय (Lund University)। इसी यूनिवर्सिटी की एक हालिया अध्ययन में एक आश्चर्यजनक खोज की गई है। इसमें बताया गया है कि टैटू वाले व्यक्तियों में लिंफोमा (Lymphoma) विकसित होने का खतरा 21 फीसदी अधिक होता है। यह बढ़ा हुआ जोखिम टैटू के आकार की परवाह किए बिना लागू होता है। मतलब कि यह नहीं कह सकते हैं कि हमने छोटा टैटू बनवाया है तो कैंसर होगा। फलाने ने बड़ा सा टैटू बनवाया है तो उसे ही कैंसर होगा। यह दर्शाता है कि छोटे टैटू भी इस प्रकार के कैंसर के विकास की संभावना में योगदान कर सकते हैं।
क्या है लिम्फोमा
फॉक्स की रिपोर्ट के अनुसार, लिम्फोमा कैंसर का एक रूप है जो लसीका प्रणाली (Lymphatic system) को निशाना बनाता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा रक्षा तंत्र (Immune defense mechanisms) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फॉक्स ने इस स्टडी के हवाले से बताया है कि टैटू वाले व्यक्तियों में सबसे अधिक प्रचलित कैंसर बड़े बी-सेल गैर-हॉजकिन लिंफोमा (Diffuse large B-cell non-Hodgkin lymphoma) और कूपिक गैर-हॉजकिन लिंफोमा (Follicular non-Hodgkin lymphoma) थे।
कैंसर के अलावा अन्य रोग भी हो सकते हैं
आपको टैटू बनवाना पसंद है? दिल्ली में हिंदूराव अस्पताल के रिटायर्ड सीएमओ डॉक्टर नागेंद्र कुमार सिन्हा का कहना है कि टैटू बनवाते समय सावधान रहें। किसी दूसरे व्यक्ति के शरीद पर टैटू बनाने के लिए इस्तेमाल की गई स्याही और सुई से आपको हेपेटाइटिस बी, सी, एचआईवी और यहां तक कि लीवर और रक्त के कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
इनमें खतरा अधिक
स्वीडन में लुंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा 11,905 व्यक्तियों पर किए गए हालिया अध्ययन में पाया गया कि टैटू गुदवाने वाले व्यक्तियों में लिंफोमा का खतरा अधिक होता है। लिंफोमा का खतरा उन व्यक्तियों में सबसे अधिक था, जिन्होंने अपना पहला टैटू दो साल से कम समय में बनवाया था। उल्लेखनीय है कि इस समय भारत ही नहीं, दुनिया भर में टैटू शारीरिक कला के एक रूप और अपने विचारों या जुनून को व्यक्त करने के साधन के रूप में, विशेष रूप से युवाओं के बीच बहुत लोक��्रिय हो गए हैं। http://dlvr.it/T7jcnd
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Indian Economy: IMF ने घटाया विकास दर का अनुमान, चालू वित्त वर्ष में 6.8% रह सकती है भारत की GDP ग्रोथ
Indian Economy: IMF ने घटाया विकास दर का अनुमान, चालू वित्त वर्ष में 6.8% रह सकती है भारत की GDP ग्रोथ
Indian Economy: आईएमएफ (IMF) ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 6.8 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत रहेगी. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि भारत एक बेहद मुश्किल बाहरी वातावरण का सामना कर रहा है.
चालू वित्त वर्ष में मजबूती से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था
आईएमएफ के भारतीय मिशन की प्रमुख शोएरी नाडा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पत्रकारों के…
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RBI ने FY23 के लिए GDP ग्रोथ प्रोजेक्शन को घटाकर 6.8% कर दिया
RBI ने FY23 के लिए GDP ग्रोथ प्रोजेक्शन को घटाकर 6.8% कर दिया
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की जीडीपी वृद्धि का अनुमान घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया।
मुंबई:
रिजर्व बैंक ने आज चालू वित्त वर्ष के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को अपने पहले के 7 प्रतिशत के अनुमान से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया।
हालांकि, आर्थिक विकास प्रक्षेपण में गिरावट के बावजूद, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहेगा, भारतीय रिजर्व बैंक…
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विश्व बैंक ने अपनी वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट जारी की
विश्व बैंक ने अपनी वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार वर्ष 2024 के अंत तक वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है जो 30 वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की सबसे धीमी गति से वृद्धि करने वाला अर्द्ध दशक सिद्ध हो सकता है।
रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु
30 वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का सबसे धीमा अर्द्ध दशक
- वर्ष 2024 में 2.4% की वृद्धि दर के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में तीन दशकों में सबसे धीमी GDP वृद्धि का अनुभव होने का अनुमान है।
विगत वर्ष की तुलना में बेहतर प्रदर्शन
- अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मज़बूत होने से वैश्विक मंदी का जोखिम कम हो गया है जिसके परिणामस्वरूप विगत वर्ष की तुलना में वैश्विक आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है।
- किंतु बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव विश्व अर्थव्यवस्था के लिये आगामी भविष्य में चिंताएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के मध्यम अवधि प्रदर्शन में गिरावट
- वैश्विक अर्थव्यवस्था एक वर्ष पूर्व की तुलना में बेहतर स्थिति में है जबकि कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का मध्यम अवधि का प्रदर्शन प्रभावित हुआ है। इसके कारकों में धीमी वृद्धि, वैश्विक व्यापार में कमी तथा प्रतिकूल वित्तीय स्थितियाँ शामिल हैं।
वैश्विक व्यापार तथा उधार ग्रहण करने की लागत में चुनौतियाँ
- वर्ष 2024 में वैश्विक व्यापार की वृद्धि महामारी से पूर्व दशक की औसत वृद्धि से लगभग आधी रहने का अनुमान है।
- विकासशील अर्थव्यवस्थाओं, विशेषकर कम क्रेडिट रेटिंग वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिये उधार लेने की लागत अधिक रहने का अनुमान है।
वैश्विक विकास
- वैश्विक वृद्धि लगातार तीसरे वर्ष धीमी रहने का अनुमान है जिसके अनुसार वर्ष 2023 में 2.6% की तुलना में वर्ष 2024 में यह घटकर 2.4% हो जाएगी।
- विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में यह स्तर केवल 3.9% बढ़ने का अनुमान है इसमें विगत दशक के औसत से लगभग एक प्रतिशत से अधिक की कमी हुई है।
- निम्न आय वाले देशों में 5.5% की वृद्धि होने का अनुमान है जो शुरुआती पूर्वानुमान से कम है।
सन्निकट विकास का अभाव तथा उच्च ऋण स्तर
- विशेष रूप से विकासशील देशों में निकट अवधि में अल्प वृद्धि होने का अनुमान है जिससे ऋण का स्तर ऊँचा हो जाएगा तथा खाद्यान्न तक पहुँच सीमित हो जाएगी। इससे अनेक वैश्विक लक्ष्यों की प्रगति में बाधा उत्पन्न होगी।।
सिफारिशें
- मौजूदा दशक में अवसर व्यर्थ होने से बचने के लिये निवेश में तेज़ी लाने और राजकोषीय नीति ढाँचे को मज़बूत करने हेतु तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
- रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और 2030 तक अन्य प्रमुख वैश्विक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये विकासशील देशों द्वारा प्रति वर्ष लगभग 2.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश में 'ज़बरदस्त' वृद्धि की सिफारिश करती है।
- विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को व्यापक नीति पैकेज लागू करने की आवश्यकता है, जिसमें राजकोषीय और मौद्रिक ढाँचे में सुधार, सीमा पार व्यापार तथा वित्तीय प्रवाह का विस्तार, निवेश माहौल में सुधार एवं संस्थागत गुणवत्ता को मज़बूत करना शामिल है।
विश्व बैंक
- इसे वर्ष 1944 में IMF के साथ मिलकर पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD) के रूप में स्थापित किया गया था। बाद में IBRD विश्व बैंक बन गया।
- विश्व बैंक समूह पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है जो विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये कार्य कर रहा है।
- विश्व बैंक संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों में से एक है।
- विशव के 189 देश इसके सदस्य हैं।
- भारत भी इसका सदस्य है।
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आरबीआई के फैसले से पहले शेयर बाजार में तेजी का रुख
आरबीआई के फैसले से पहले शेयर बाजार में तेजी का रुख
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की आज से शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक के अंत में रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को कम करेगी, चीन के प्रतिबंधों को कम करने के फैसले से संबंधित कोरोना, 2022 के अंत से पहले मुनाफावसूली करने के लि�� विदेशी निवेशकों की रणनीति और भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क सूचकांक वैश्विक बाजारों से ताजा कारकों की कमी के…
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Widening income inequality in India and its impact on the rural economy 13 Nov 2023
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Widening income inequality in India and its impact on the rural economy 13 Nov 2023
भारत में, सबसे धनी 1% आबादी देश की कुल आय का लगभग 22% दावा करती है, जबकि निचले 50% को केवल 13% प्राप्त होता है। इसके अलावा, ग्रामीण भारत में आर्थिक मंदी के चिंताजनक संकेत हैं, जिन्हें वित्त मंत्रालय द्वारा अक्टूबर के लिए जारी नवीनतम मासिक आर्थिक रिपोर्ट में हल्के में लिया गया है।
वित्त मंत्रालय की सबसे हालिया मासिक आर्थिक रिपोर्ट, जो अक्टूबर में प्रकाशित हुई थी, ने “मजबूत निजी मांग और खपत” के कारण भारत के विकास की संभावनाओं को “मजबूत” बताया। इसने चालू वित्त वर्ष के लिए लगभग 6.5% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया और जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) संग्रह और रिकॉर्ड-ब्रेकिंग कार बिक्री के संबंध में सकारात्मक समाचार भी बताया।
हालांकि, सतह के नीचे, रिपोर्ट चिंताजनक रुझानों को प्रकट करती है। इस स्पष्ट “विकास” कहानी का एक बड़ा हिस्सा ऊपरी-मध्यम-आय वर्ग और उससे ऊपर के वर्गों द्वारा संचालित किया जा रहा है। ग्रामीण भारत में मंदी के स्पष्ट संकेत हैं, और यहां तक कि शहरी वेतनभोगी कार्यबल के कुछ वर्ग भी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
भारत की जीडीपी
भारत में चकाचौंधपूर्ण आय असमानता करोड़पतियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि से स्पष्ट है, जिसके 2026 तक दोगुना होने की उम्मीद है। यह ग्रामीण बाजारों में मजदूरी और खपत में ठहराव के साथ हो रहा है।
भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने इस मुद्दे को हल करने की तात्कालिकता पर जोर दिया है, जिसमें कहा गया है कि “भारत की जीडीपी अच्छी तरह से बढ़ रही है, लेकिन यह सब शीर्ष पर जा रही है।” विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक के रूप में भारत की स्थिति को रेखांकित करती है।
यह परेशान करने वाली असमानता धनी और गरीब के बीच आय अंतर में परिलक्षित होती है, जो COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से काफी बढ़ गया है। रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में शीर्ष 10% आय अर्जक वर्तमान में निचले 50% की तुलना में 20 गुना अधिक आय अर्जित करते हैं। इससे भी अधिक परेशान करने वाली बात है कि भारत का सबसे धनी 1% देश की कुल आय का लगभग 22% प्राप्त करता है, जिससे निचले 50% को केवल 13% ही मिल पाता है।
ऑटोमोटिव और रियल एस्टेट क्षेत्र महत्वपूर्ण मांग असमानताओं को प्रदर्शित करते हैं। जबकि रिकॉर्ड कार बिक्री हुई है, एक करीबी परीक्षा से पता चलता है कि ये बिक्री मुख्य रूप से एसयूवी और लगभग 10 लाख रुपये और उससे अधिक की कीमत वाली कारों से प्रेरित है। इसके विपरीत, दोपहिया बाजार में बिक्री में समान उछाल नहीं आया है और अभी तक महामारी से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाया है। दोपहिया बिक्री में ठहराव का सबसे स्पष्ट प्रभाव एंट्री-लेवल मोटरसाइकिल सेगमेंट में देखा जाता है, जो दर्शाता है कि ग्रामीण उपभोक्ता खरीद निर्णय लेने में सतर्क हैं।
यही प्रवृत्ति एंट्री-लेवल हैचबैक कार बाजार में देखी जाती है।
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