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#मुझे पढ़ो
the-breathing-pen · 8 months
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बादल मिया बड़े दिन बाद पधारे, काफ़ी कर इक्कठी लाये होंगे,
जल्दी पढ़ना शुरू करो ना, हमनफ़ज़ की चिट्ठी लाये होंगे,
दिलबर का मेरे पढ़ो संदेसा, इधर उधर की बरसाओ ना,
प्यासे कान जाने कबसे मेरे, इन्हें और तरसाओ ना,
क्या मतलब कुछ लिखा नहीं है, बड़े मज़ाकिया हो रे तुम,
बिना ख़त लिए आये हो, अरे केसे डाकिया हो रे तुम,
क्या बात करते हो! इश्क़ उन्हीं से था मुझे, तुम तो बातों का ज़रिया थे,
मुझे कहा था मालूम! किनारों को बाटने वाले, तुम ही दरिया थे,
जाओ मुझे है नफ़रत तुमसे, उन्हीं के आसमां सजना तुम,
जिसके नाम उन्होंने खत लिखा है, उन्हीं के आँगन गरजना तुम...🥀
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santram · 2 years
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ये लो गीता जी पढ़ो
#असली_गीता_सार गीता बोलने वाला भगवान की जानकारी:-👇👇👇👇
11/32 मैं काल हूँ ।
11/46 मैं 1000 हाथ ,सिर वाला हूँ ।
07/24 मेरा अनुत्तम भाव है,
07/25 मेरी भगति भी अनुत्तम है ।
04/05 मेरा भी जन्म मरण होता है ।
07/25 मैं ब्रह्मलोक में गुप्त छुपा रहता हूँ ।
11/48 मुझे तेरे अतिरिक्त कोई नही देखा ।
11/53 मुझे दान तप से ही नही देख सकते है।
07/13 मैं 3 गणों त्रिदेव से अलग हूँ
07/10 सबके बुद्धि व तेज मेरे हाथ मे है ।
08/16 ब्रह्म लोक भी नाशवान ही है ।
08/13 मेरा सिर्फ एक ही ॐ मंत्र है ।
10/25 ॐ मेरा मंत्र है ।
14/04 मैं जीव के बीज स्थापन का पिता हूँ ।
07/05 2 प्रकृति है,1 कुदरत,1 देवी,
14/13 प्रकृति मेरी गरब धारण पत्नी है ।
14/04 वो (रज,सत,तमस)गुणों की माता है ।
07/13 मैं 3 गुणो से भी अलग हूँ।
14/05 त्रिदेव सब जीवो को शरीर मे बंदते है ।
07/15 3 गुणों त्रिदेव को पूजने वाले असुर है।
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#परमात्मा_और_ब्रह्मांड_की_जानकारी
15/01 ये ब्रह्मांड उल्टा हुवा वृक्ष है।
15/16 यहां 2 भगवं है 1 क्षर (ॐ) & 2 अक्षर ।
08/03 3rd परमअक्षर ब्रह्म जो परमात्म है ।
15/17 वो परमअक्षर ब्रह्म कोई और है ।
08/09 उसका नाम कवी है ।
08/21 मेरा भी परम् धाम वो ही है ।
08/22 उसकी भक्ति और विधि अन्य है ।
17/23 उसके 3 मंत्र 3 विधि(ॐ तत सत)।
18/66 तुम भी उसके शरण मैं जाओ ।
18/62 वो सास्वत स्थान(सतलोक) है ।
04/32 उसकी महिमा भगवान खुद बताते।
04/34 उसकी विधि तत्वदर्शी संत से मिलेगी ।
15/05 फिर तत्वज्ञान का खोज करनी है।
07/19 वासुदेव बताने वाला संत दुर्लभ है ।
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#भक्ति_की_जानकारी 👇👇👇👇
16/23 शास्त्र विधि त्यागकर भक्ति मना है ।
16/23 मनमानी विधि से सुख नही मिलेगा ।
06/16 व्रत नही रखना है ।
17/05 तप नही करना है।
09/25 पितर भूत देवता पूजने से वो ही बनेंगे ।|
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#LifeHistory_ProphetMuhammad
हजरत मुहम्मद जी ने अपनी पत्नी खदीजा जी को
बताया कि मैं जब गुफा में बैठा था तो एक फरिश्ता आया ।
उसके हाथ में एक रेशम का रूमाल था । उस पर कुछ
लिखा था । फरिश्ते ने मेरा गला घोंट कर कहा इसे पढ़ो।
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे प्राण निकलने वाले हैं।
पूरे शरीर को भींच कर जबरदस्ती मुझे पढ़ाना चाहा।
ऐसा दो बार किया । तीसरी बार फिर कहा पढ़ो, मैं
अशिक्षित होने के कारण नहीं पढ़ पाया। अबकी बार
मुझे लगा कि यह और पीड़ा देगा। मैंने कहा क्या पढूं ।
तब उसने मुझे कुरान की आयत पढ़ाई ।
(यह विवरण पुस्तक जीवनी हजरत मुहम्मद के पृष्ठ 67 से 75
तक लिखा है तथा पृष्ठ 157 से 165 तक लिखा है।)
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jyotis-things · 3 months
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart22 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart23
हिन्दू साहेबान आप शिक्षित हैं, कृपया अब ध्यान दें! : गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में क्या कहा है? अध्याय 7 श्लोक 12-15 तथा 20-23 में क्या कहा है? सुनो! पढो!
गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है: पित्तरों को पूजने वाले पित्तरों को प्राप्त होते हैं यानि पित्तर बनते हैं। भूत पूजने वाले भूत बनते हैं। देवताओं को पूजने वाले देव लोक में जाते हैं। मेरे भक्त मुझे प्राप्त होते हैं। प्राप्त तो करना है परमात्मा को, आप शिव लोक तथा विष्णु लोक को प्राप्त करके अपने को धन्य मान बैठे हो। गीता के अमृत ज्ञान को फिर से पढ़ो। गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15 में तीनों गुणों यानि रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी की पूजा करते हैं। जिनका ज्ञान इस त्रिगुणमयी माया द्वारा हरा जा चुका है यानि जो इन देवताओं से ऊपर किसी को नहीं मानते। वे राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूर्ख मुझे नहीं भजते। फिर इसी अध्याय 7 श्लोक 20-23 में इन तीन प्रधान देवताओं से अन्य देवताओं की पूजा करने वालों को कहा है कि इन देवताओं को मैंने ही कुछ शक्ति दे रखी है। जो देवताओं को पूजते हैं, उन अल्पबुद्धि (अज्ञानियों) का वह फल नाशवान है। देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं। मेरा भक्त मुझे प्राप्त होता है।
विचारणीय विषय है कि इस पुस्तक हिमालय तीर्थ के इस प्रकरण के अनुसार श्री शिव जी ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था जो पांचवा था। वह शिव जी के हाथ से चिपक गया। उससे छुटकारा पाने के लिए शिव जी सब जगह गया, परंतु ब्रह्म हत्या का पाप नहीं छूटा। चौदह भुवन घूमे, पाप नहीं कटा। जैसे ही बदरिकाश्रम पहुँचे तो ब्रह्मा का सिर (कपाल) सहसा हाथ से छूट गया। वह ब्रह्मा का सिर बदरिकाश्रम में ब्रह्म शिला के नाम से विख्यात है। इसे ब्रह्म कपाल तीर्थ भी कहते हैं। यह भी तीर्थ बन गया। वहाँ पिंडदान करने का बहुत लाभ बताया है।
सूक्ष्मवेद में कहा है कि :-
गरीब, भूत जूनी तहाँ छूटत हैं, पिंड दान करंत। गरीबदास जिंदा कहै, नहीं मिले भगवंत ।।
अर्थात् संत गरीबदास जी ने कहा है कि पिण्ड दान करने से भूत योनि छूट जाती है। फिर वह जीव गधे की योनि में चला जाता है। क्या मुक्ति हुई? वेदों में इस कर्मकाण्ड को अविद्या यानि मूर्ख साधना कहा है।
4G
इस प्रकरण से यह सिद्ध किया है कि मूर्ति पूजा, देव पूजा आदि शंकराचार्य जी ने दृढ़ता के साथ प्रारंभ करवा दी। उसी को पूरा हिन्दू समाज घसीट रहा है। सब श्राद्ध करते हैं। सब मूर्ति पूजा, भूत पूजा करते हैं। भूत बने हैं, तभी श्राद्ध करने पड़े। यह सब प्रपंच काल ब्रह्म द्वारा किया गया है। इति सिद्धम् कि :- "हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता व वेदों का ज्ञान।"
"अद्भुत प्रसंग"
पृष्ठ 41 पर पुस्तक हिमालय तीर्थ में लिखा है कि भगवान शंकर व पार्वती कपाल मोचन में सुंदर महल बनवाकर निवास करते थे। उस स्थान की विशेषताओं से मुग्ध होकर उस मकान पर कब्जा करने के उद्देश्य से भगवान विष्णु एक बालक रूप धारण करके ऋषि गंगा के पास बुरी तरह हाथ-पैर मारकर रोने लगे। शिव भगवान व माता पार्वती जी स्नान करने जा रहे थे। पार्वती को दया आई। कहा कि कोई पत्थर हृदय स्त्री बालक को छोड गई। उसे उठाकर अपने मकान में छोड आई। शिव जी ने मना भी किया था कि यह कोई मायावई देव लगता है। पार्वती नहीं मानी। जब स्नान करके शिव जी व पार्वती जी लौटे तो तब तक उस बालक ने चतुर्भुज नारायण रूप धारण करके सारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। उसकी नारायण रूप में पूजा होती है। शिव जी विवाद से बचकर उसे छोड़कर केदार नाथ चले गए। वहाँ स्थित हो गए। वहाँ शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित कर दिया। विचार करो : इन देवताओं की कहानियों से क्या शिक्षा मिलेगी? क्या
दूसरे के घर पर कब्जा करना नेक व्यक्ति का कार्य है? महादुष्ट व्यक्ति ऐसी हरकत करता है। क्या ऐसे व्यक्ति देवता माने जा सकते हैं? क्या इनकी पूजा करने को मन करेगा? क्या श्री विष्णु जी ऐसी बेहूदी हरकत कर सकते हैं? क्या वे बैकुंठ (Heaven) को छोड़कर इस कपाल मोचन पर रहना चाहेंगे? यह सब पुराणों का बोया बीज है। पाठकजन प्रमाण के लिए लगी फोटोकॉपी भी पढ़ें ताकि आपको भ्रम न रह जाए कि रामपाल ने कुछ मिलाकर लिखा है। सन् 2013 में केदार नाथ पर लाखों श्रद्धालु पूजा के लिए गए थे। तेज बारिश हुई, बाढ आ गई। पर्वत गिर गए। लगभग एक लाख भक्त व भक्तमति बहनें, बच्चे मारे गए, अनर्थ हो गया। यदि भक्ति शास्त्रोक्त है तो भक्त की रक्षा परमात्मा करते हैं। यह सब लोक वेद यानि दंत कथा है जो इस हिमालय तीर्थ पुस्तक में बताई हैं। इस साधना से अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है। ये सब प्रपंच यानि षड्यंत्र काल ब्रह्म ने किए हैं जीवों से शास्त्रविधि के विपरीत फिजूल की पूजा करवाने के लिए। उनका मानव जीवन नष्ट करवाने के लिए।नर तथा नारायण ऋषियों ने कठिन तप (घोर तप) किया। घोर तप करने के विषय में गीता क्या कहती है, कृपया पढ़ें निम्न प्रसंग :-
86%
* विश्व में जितने धर्म (पंथ) प्रचलित हैं, उनमें सनातन धर्म (सनातन पंथ जिसे आदि शंकराचार्य के बाद उनके द्वारा बताई साधना करने वालों के जन-समूह को हिन्दू कहा जाने लगा तथा सनातन पंथ को हिन्दू धर्म के नाम से जाना जाने लगा, यह हिन्दू धर्म) सबसे पुरातन है।
हिन्दू धर्म की रीढ़ पवित्र चारों वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) तथा पवित्र श्रीमद्भगवत गीता है। सत्ययुग के प्रारंभ में केवल चार वेदों के आधार से विश्व का मानव धर्म-कर्म किया करता था। शास्त्रोक्त साधना लगभग एक लाख वर्ष तक ठीक से चली। ये चारों वेद प्रभुदत्त (God Given) हैं। इन्हीं का सार श्रीमद्भगवत गीता है। इसलिए यह गीता शास्त्र भी प्रभुदत्त (God Given) हुआ ।
ध्यान देने योग्य है कि जो ज्ञान स्वयं परमात्मा ने बताया है, वह ज्ञान पूर्ण सत्य होता है। इसलिए ये दोनों शास्त्र निःसंदेह विश्वसनीय हैं। प्रत्येक मानव को इनके अंदर बताई साधना करनी चाहिए। वह साधना शास्त्रविधि अनुसार कही जाती है। इन शास्त्रों में जो साधना नहीं करने को कहा है, उसे जो करता है तो वह शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण कर रहा है जिसके विषय में गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में इस प्रकार कहा है :- ➤ श्लोक नं. 23 जो पुरूष यानि साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न परम
गति यानि पूर्ण मोक्ष को और न सुख को ही। (गीता अध्याय 16 श्लोक 23) ➤ श्लोक नं. 24: इससे तेरे लिए इस कर्तव्य यानि जो भक्ति कर्म करने योग्य हैं और अकर्तव्य यानि जो भक्ति कर्म न करने योग्य हैं, इस व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। ऐसा जानकर तू शास्त्रविधि से नियत कर्म यानि जो शास्त्रों में करने को कहा है, वो भक्ति कर्म ही करने योग्य हैं। (गीता अध्याय 16 श्लोक 24)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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shayarikitab · 3 months
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30+ One Sided Love Shayari in Hindi एक तरफा इश्क
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दोस्तों, हिंदी में One Sided Love Shayari in Hindi के हमारे संग्रह में आपका स्वागत है। अक्सर, जब हम एकतरफा प्यार में पड़ जाते हैं, तो हम वन साइडेड लव शायरी सुनने और पढ़ने में सुकून पाते हैं, क्योंकि यह हमेशा जरूरी नहीं होता कि आप जिससे प्यार करते हैं, वह भी आपकी भावनाओं का जवाब दे। One Sided Love Shayari in Hindi का हमारा संग्रह आपको गहराई से प्रभावित करेगा। अगर आपका कोई प्रेमी या दोस्त है जिससे आप बेपनाह प्यार करते हैं, तो आप अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए इनमें से कोई भी हिंदी वन साइडेड Love Shayari चुन सकते हैं। इन शायरी को शेयर करके आप अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं और उन्हें अपने प्यार से अवगत करा सकते हैं। इन शायरी को फेसबुक और Instagram जैसे Social Media प्लेटफॉर्म पर भी शेयर किया जा सकता है। तो, चलिए शुरू करते हैं और इन दिल को छू लेने वाली Shayari को पढ़ते हैं।.
One Sided Love Shayari in Hindi with Images
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तकलीफ ये नही की प्यार हो गया, मुद्दा ये है के भुलाया नही जा रहा..!!!
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वो मेरी ऐसी मुस्कान थी, जिसे देख कर मेरी मां को मुझपर शक होता था..!!!
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बड़े बेताब थे वो मोहब्बत करने को हमसे, जब मैने भी करली तो उन्होंने शोक बदल लिया..!!!
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चांद का मिजाज भी तेरे जैसा है, जब देखने की तमन्ना होती है नजर नहीं आता..!!!!
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आंखे ही देख कर फना हो गए उनकी, पर्दा ना किया होता तो पर्दा कर गए होते..!!!
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हर चलती फिरती लड़की पर लाइन मारू, इतने भी सस्ते शोक नही रखता..!!!
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हाथो की लकीरों के फरेब में मत आना यारो, ज्योतिषियों की दुकानों पर मुकद्दर नही मिलते..!!!
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तुम्हारी दुनियां में हमारी कीमत कुछ भी ना हो मगर, हमने हमारी दुनियां में तुम्हे रानी का दर्जा दे रक्खा है..!!!
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अब मैं थक गया हु, हवा से कह दो, मुझे बुझा दे..!!!
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आंखे पढ़ो और जानो हमारी रजा क्या है, हर बात लफ्जों से हो तो फिर मजा क्या है..!!!
Best Shayari For One sided Love in Hindi
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दिल को जैसे तैसे बहला रक्खा है, तू आएगा यही वहम दिला रक्खा है..!!!
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साफ दामन का दौर अब खत्म हुआ, लोग अपने धब्बों पर गुरुर करने लगे..!!!
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उतार कर फेंक दी उसने तोहफे में मिली पायल, उसे डर था छनकेगी तो याद बहुत आऊंगा मैं..!!!
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उसकी डोली कोई और ले गया, हम तो परदेश में कमाते रह गए…!!!
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शुकून गिरवी है उसके पास, मोहब्बत उधार ली थी जिससे..!!!
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मत भागो उनके पीछे, जिनको तुम्हारे आगे और भी लोग नजर आते है..!!!
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उसे सब्र सीखा रही है जिंदगी, जिसे हर चीज जिद करके लेने की आदत थी..!!!
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मैं उसके नाम से अपने घर में बदनाम हु, और वो बोलती है तुमने कभी प्यार किया ही नहीं..!!!
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एक बार ही बहकती है नजर, इश्क सो बार नही होता, ये दिल का सौदा है जो हर बार नही होता..!!!
One Sided Love Sad Shayari
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मेरे जैसे तुझे 36 मिल सकते है तो सोच, तेरे जैसों का तो बाजार लगा होगा..!!!
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मालूम नही था 12vi के बाद, खुशियों की 13vi हो जाएंगी..!!!
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घर से भागो तो संभलकर भागना रांझो, हमने कटघरे में बदलती हुई हीर देखी है..!!!
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बस एक बार और हो जाती मुलाकात तुमसे, कुछ बाते है जो अब उम्र भर अधूरी रहेंगी..!!!
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मैं गिरा, रोया, उठा, फिर हँसा, तुम बस हँसे और कितना गिर गए..!!!
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हमारी फितरत में नही है तमाशा करना, बहुत कुछ जानते थे मगर खामोश रहे..!!!
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आज फिर से तेरी याद में हु, आके देख जरा मैं किस हाल में हु..!!!
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इतना भी मत रूठा करो आप हमसे, आप हमारी किस्मत में वैसे भी नहीं हो..!!!
One Side Love Shayari for Lovers
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रुकने वाला वजह ढूंढता है, और जाने वाला बहाने..!!!
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कमजोर पड़ गया था, मुझसे ताल्लुक उसका, क्योंकि उसके सिलसिले कहीं और मजबूत हो गए थे..!!!
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जिससे चरित्र पर दाग लगे, ऐसे रिश्ते को आग लगे..!!! Read Also: Read the full article
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hardas64 · 3 months
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#TheLifeOfProphetMuhammad "जाने हजरत मोहम्मद जी को कुरान का बयान कैसे दिया गया" हजरत मोहम्मद जी ने अपनी पत्नी खदीजा को बताया कि जब गुफा में बैठा था तो एक रिश्ता आया उसके हाथ में एक रेशम का रुमाल था उसे पर कुछ लिखा था फरिश्ते में मेरा गला घोट कर कहा इसे पढ़ो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे प्राण निकलने वाले हैं पूरे शरीर को भींचकर जबरदस्ती मुझे पढ़ना चाहा ऐसा दो बार किया तीसरी बार फिर कहा पढ़ो मैं अशिक्षित होने के कारण नहीं पढ़ पाया अबकी बार मुझे लगा कि यह और पीड़ा देगा मैंने कहा कि क्या पढ़ूं तब उसने मुझे कुरान की आयत पढ़ाई (यह विवरण पुस्तक जीवनी हजरत मोहम्मद के पृष्ठ 67 से 75 तक लिखा है तथा पृष्ठ 157 से 165 तक लिखा है)
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kawaiimoonpeace · 8 months
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#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
पवित्र गीता, वेदों व पुराणों में भी पित्तर व भूत पूजा मोक्षदायक नहीं बताई है।"
हिन्दू श्रद्धालु श्राद्ध करते तथा करवाते हैं जबकि गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है कि जो पित्तरों की पूजा करते हैं, वे पित्तर योनि प्राप्त करेंगे, मोक्ष नहीं होगा। जो भूत पूजते हैं, वे भूत बनेंगे।
गीता अध्याय 9 श्लोक 25
श्रीमद्भगवद्गीता
-अध्याय 9 श्लोक 25
यान्ति, देववृत्तः, देवान्, पितृन्, यान्ति, पितृवृतः, भूतानि, यान्ति, भूतेज्याः, यान्ति, मध्याजिन्ह, अपि, मम ||25||
अनुवादः (देववृताः) देवताओं के उपासक (देवान्) देवताओं के पास (यांति) जाते हैं (पितृवृत्तः) पितरों के उपासक (पितृन) पितरों के पास (यांति) जाते हैं (भूतेज्याः) भूतों के उपासक (भूतानि) भूत (यांति) जाते हैं तथा (मध्याजिनः)) इसी प्रकार मेरे जो भक्त शास्त्र विधि से पूजा करते हैं, वे मतानुसार (अपि) को भी (माम्) मुझे (यांति) प्राप्त करते हैं। (25)
श्राद्ध करना पित्तर पूजा तथा भूत पूजा है। तेरहवीं क्रिया करना, वर्षी क्रिया करना, शमशान घाट से हड्डियों के अवशेष उठाकर गंगा में प्रवाह करना पित्तर तथा भूत पूजा है जिससे मोक्ष नहीं दुर्गति प्राप्त होती है।
मेरे अज़ीज़ हिंदुओं स्वयं पढ़ो अपने ग्रंथ
- जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
Sant Rampal Ji Maharaj
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dharmel · 8 months
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सभी कथा वाचक और धर्म गुरु बताते हैं कि श्राद्ध निकालने से जीव की मुक्ति होती है और पितृ पूजा से पितृ खुश होते हैं!
मेरे अज़ीज़ हिंदुओं स्वयं पढ़ो अपने ग्रंथ
गीता अध्याय 9 श्लोक 25
यान्ति, देवव्रताः, देवान्, पितृन्, यान्ति, पितृव्रताः, भूतानि, यान्ति, भूतेज्याः, यान्ति, मद्याजिनः, अपि, माम् ॥ २५ ॥
कारण यह नियम है कि-
श्रीमद्भगवद्गीता
देवताओंको पूजनेवाले
देवव्रताः "
यान्ति
प्राप्त होते हैं
(और)
देवान्
देवताओंको
मद्याजिनः
यान्ति
प्राप्त होते हैं,
मेरा पूजन
करनेवाले भक्त
पितृव्रताः
- पितरोंको पूजनेवाले
माम्
मुझको
अपि
हो
पितृन्
पितरोंको
प्राप्त होते हैं।
यान्ति
प्राप्त होते हैं,
(इसीलिये मेरे
यान्ति
भूतेज्याः
भूतोंको पूजनेवाले
भूतानि
भूतोंको
भक्तोंका पुनर्जन्म
नहीं होता।")
संत रामपाल जी महाराज
मार्कण्डेय पुराण में "रौच्य ऋषि के जन्म" की कथा आती है। वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वेदों अनुसार साधना करता , विवाह नहीं कराया था। रुची ऋषिके पिता, दादा, परदादा तथा तीसरे दादा सब पित्तर (भूत) योनि में भूखे-प्यासे भटक रहे थे। एकदिन उन चारों ने रुची ऋषि को दर्शन दिए तथा कहा कि बेटा! आप ने विवाह क्यों नहीं किया? विवाह करके हमारे श्राद्ध करना। रुची ऋषि ने कहा कि हे पिता���हो! वेद में इस श्राद्ध आदि कर्म को अविद्या कहा है, मूर्खी का कार्य कहा है। फिर आप मुझे इस कर्म को करने को क्यों कह रह हो?" पित्तरों ने कहा कि यह बात सत्य है कि श्राद्ध आदि कर्म को वेदों में मूर्खीका कार्य ही कहा है। पित्तरों ने यह भी कहा है कि बेटा! तुम जिस मार्ग पर चल रहे हो, यह मोक्षका मार्ग है।" रूची ऋषि के पूर्वज सब ब्राह्मण (ऋषि) थे। वेद पढ़ते थे। कर्मकाण्ड वेदविरूद्ध करते थे। जिस कारण से प्रेत योनि में गिरे। फिर उन पित्तरों ने वेद विरुद्ध ज्ञान बताकर रूची ऋषि को भ्रमित कर दिया क्योंकि मोह भी अज्ञान की जड़ है। मार्कण्डेय पुराण के प्रकरण से सिद्ध हुआ कि वेदों में तथा वेदों के ही संक्षिप्त रुप गीता में (अध्याय 9 श्लोक 25) श्राद्ध-पिण्डोदक आदि भूत पूजा के कर्म को निषेध बताया है, नहीं करना चाहिए। मार्कण्डेय पुराण
हिन्दू साहेबान! नहीं समझे
गीता, वेद, पुराण
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पेज 250
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sunita-123 · 1 year
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#GodMorningFriday
#TheLifeOfProphetMuhammad
हजरत मुहम्मद जी ने अपनी पत्नी खदीजा जी को बताया कि मैं जब गुफा में बैठा था तो एक फरिश्ता आया उसके हाथ में एक रेशम का रूमाल था। उस पर कुछ लिखा था। फरिश्ते ने मेरा गला घोंट कर कहा इसे पढ़ो। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे प्राण निकलने वाले हैं।
Allah Kabir
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तिब्बत में मिलारेपा नाम का एक बहुत बड़ा साधु हुआ। उसके पास एक आदमी आया और उसने कहा कि मैं कोई मंत्र सिद्ध करना चाहता हूं ताकि मेरे पास बड़ी शक्तियां आ जाएं, मैं कोई चमत्कार, मिरेकल कर सकूं। मिलारेपा ने कहा कि मैं तो सीधा-सादा फकीर हूं, मुझे कोई चमत्कार नहीं मालूम और न कोई शक्ति और न कोई मंत्र। लेकिन जितना उसने इनकार किया उतना ही उस आदमी को ऐसा लगा कि जरूर इसके पास कुछ होना चाहिए, इसीलिए बताता नहीं है। वह उसके पीछे ही पड़ गया, वह उसके...रात वहीं पड़ा रहता उसके दरवाजे पर। आखिर मिलारेपा घबड़ा गया। उसने एक रात, अमावस की रात थी, उससे कहा कि ठीक है, तुम नहीं मानते, यह मंत्र ले जाओ। एक कागज पर पांच पंक्तियों का छोटा सा मंत्र लिख दिया और कहा, इस मंत्र को ले जाओ, अमावस की रात को ही यह सिद्ध होता है, इसे तुम पांच बार पढ़ना, पांच बार पढ़ते से ही यह सिद्ध हो जाएगा।
वह आदमी तो कागज को लेकर भागा। उसे धन्यवाद देने का भी खयाल न रहा, उसने नमस्कार भी न���ीं की, उस दिन उसने पैर भी नहीं छुए। वह तो भागा जल्दी से कि घर जाए और मंत्र को सिद्ध करे। मंदिर की कोई बीस-पच्चीस सीढ़ियां थीं, वह उनसे नीचे उतर ही रहा था, बीच सीढ़ियों पर था, तभी उस साधु ने चिल्ला कर कहा कि सुनो, एक शर्त और है! मंत्र जब पढ़ो तो खयाल रखना बंदर की स्मृति न आए, बंदर दिखाई न पड़े। अगर मन में बंदर का खयाल आ गया तो मंत्र बेकार हो जाएगा।
उस आदमी ने कहा, यह भी क्या बात बताई! मुझे जिंदगी हो गई, आज तक बंदर का खयाल नहीं आया, स्मृति नहीं आई। कोई डर की बात नहीं, कोई चिंता का कारण नहीं।
लेकिन वह सीढ़ियां पूरी भी नहीं उतर पाया कि उसके भीतर बंदर की स्मृति आनी शुरू हो गई। वह जैसे घर की तरफ चला, भीतर बंदर भी उसके मन में स्पष्ट होने लगा, बंदर बहुत साफ दिखाई पड़ने लगा घर पहुंचते-पहुंचते। वह बहुत घबड़ाया। उसने कहा, यह क्या मुश्किल हो गई! वह बंदर को भगाने लगा कि हटो मेरे मन से। लेकिन बंदर था कि जितना वह हटाने लगा, और स्पष्ट होने लगा। मन में उसका बिंब, बंदर की प्रतिमा स्पष्ट होने लगी। वह घर गया, आंख बंद करे तो बंदर दिखाई पड़े, अब मंत्र को कैसे पढ़ा जाए जब तक बंदर दिखाई पड़े! रात भर में परेशान हो गया, लेकिन बंदर से छुटकारा नहीं हो सका।
सुबह वापस लौटा, उसने वह मंत्र उस साधु को लौटा दिया और कहा, क्षमा करें, अगर यही शर्त थी तो आपको मुझे बताना नहीं था। बताने से सब गड़बड़ हो गई। बंदर मुझे कभी स्मरण नहीं आता था, आज रात भर बंदर मेरे पीछे पड़ा रहा। और दुनिया का कोई जानवर मुझे दिखाई नहीं पड़ा, सिर्फ बंदर दिखाई पड़ा। और मैं इसे रात भर निकालने की कोशिश करता था, लेकिन वह नहीं निकलता था।
जिसको कोई निकालना चाहेगा उसे निकालना कठिन हो जाएगा, क्योंकि निकालने के कारण ही उसकी स्मृति परिपक्व होती है, मजबूत होती है। तो फिर क्या रास्ता है?
अगर किसी विचार को, किसी स्मृति को निकालना हो मन से, तो पहली तो बात यह है, निकालने की कोशिश मत करना। पहली शर्त! फिर क्या होगा? अगर नहीं निकालेंगे तब तो वह आएगा। सिर्फ उसको देखना। निकालना मत, मात्र चुपचाप बैठ कर उसे देखना। न उसे निकालना, न उसे हटाना। तटस्थ-भाव से विटनेस भर हो जाना, उसके साक्षी भर हो जाना।
जैसे कोई रास्ते पर बैठ जाए--रास्ते पर लोग निकलते हैं, तांगे निकलते हैं, कारें निकलती हैं, जानवर निकलते हैं--किनारे पर हम बैठ कर चुपचाप देख रहे हैं। रास्ता चल रहा है, न हम चाहते हैं कि फलां आदमी रास्ते पर चले, न हम यह चाहते हैं कि फलां आदमी न चले, हम सिर्फ देख रहे हैं। हमारा कोई लगाव नहीं, हम मात्र देख रहे हैं अनासक्त भाव से, बिना किसी लगाव के, अनअटैच्ड, सिर्फ देख रहे हैं।
ठीक ऐसे ही, अगर मन से किन्हीं विचारों से मुक्ति पानी हो, तो सिर्फ देखना, उनसे लड़ना मत। लड़ने के बाद तो उनको हटाना असंभव है। मात्र उनको देखना। जब भी कोई स्मृति ऐसी है जो हटाने जैसी है, कोई विचार ऐसा है जिसे विदा करना है--एकांत में बैठ जाओ, उसे आने दो, आंख बंद कर लो, चुपचाप देखो। जैसे फिल्म देखते हैं हम, सिनेमा में बैठ कर एक पर्दे पर चलते हुए चित्रों को देखते हैं, वैसे चुपचाप उसे देखो। कुछ करो मत, छेड़ो मत, हटाओ मत, बुलाओ मत, मात्र देखो--जैसे केवल एक दर्शक मात्र। तुम हैरान हो जाओगे, अगर दर्शक मात्र की तरह देखो तो थोड़ी देर में वह विलीन हो जाएगी। और जब भी वह आए तब दर्शक की तरह देखो, कुछ दिन��ं में वह विलीन हो जाएगी, उसका आना बंद हो जाएगा।
~PPG~
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kameshwar · 1 year
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17-04-2023 (पटना)
आज बार-बार याद आ रहा है अपना बचपन। मैं भाई-बहन में बड़ा हूँ। मुझसे छोटी तीन बहनें और एक भाई है। पिताजी बेटों को पढ़ाने के लिए बहुत प्रयासरत रहे। बेटियों की पढ़ाई के प्रति उदासीन ही रहे। मुझसे जस्ट छोटी बहन , संजु, सिर्फ दो साल छोटी है। वो सिर्फ अपना नाम लिखने भर की साक्षर हो पायी। गरीबी तो थी ही। पैरेंट्स की सोच भी नहीं थी कि लड़कियों को पढ़ाया जाए। संजू से छोटी बहन अनिता है। अनिता बिल्कुल ही अलग थी। वह जिज्ञासु और जिद्दी थी। वह पढ़ना चाहती थी। पढ़ने में उसका दिमाग तेज चलता था। वह मेरे जैसा ही सबकुछ करना चाहती थी। पढ़ना चाहती थी, खेलना चाहती थी। सात-आठ साल की रही होगी जब उसे यह महसूस होने लगा कि उसके साथ भेदभाव हो रहा है। वह मां से झगड़ने लगी थी।
एक बार मैं ट्यूशन पढ़कर आया तो देखा कि वो एक कटोरे में दाल-भात खा रही थी। सब्जी के बिना ही। मैंने मां से खाना मांगा। मां ने मुझे भी दाल-भात दी और सब्जी एक गिलास से निकाल कर दिया। मेरे लिए उन्होंने सब्जी बचाकर रखी थी। अनिता भी सब्जी मांगने लगी ।
मां ने उससे कहा - सब्जी सिर्फ भैया के लिए बची है। तुम दाल-भात ही खाओ।
अनिता रोने लगी। मुझे मां पर बहुत गुस्सा आया था उस दिन। मैं चिल्लाते हुए मां से बोला- अगर तुम अनिता को सब्जी नहीं दोगी तो मैं भी नहीं खाऊंगा सब्जी ।
ऐसा नहीं है कि मां-बाप बेटियों को कम प्यार करते है। लेकिन रूढ़िबद्ध परिवारों में पैरंटहुड में इकोनॉमिक्स घुस जाता है। बेटा पढ़ेगा तो बुढ़ापे में मां-बाप का सहारा बनेगा। बेटियां तो परायी घर चली जाएंगी।
उस दिन की घटना मेरे दिल को रूला गया। उस घटना को आज पैंतीस साल हो गए होंगे। मैं अब पैंतालीस साल का हूँ।मेरे भी तीन संतान है। बेटी सबसे छोटी है। वह भी अब अठारह साल की होने वाली है। मेरे घर में कुछ भी खाने का आए या बने, सबसे पहले मेरी बेटी के लिए ही होता है। मेरी बेटी का स्कूल बेटों के स्कूल से महंगा रहा है। उसकी पढ़ाई पर मैंने हमेशा बेटों की पढ़ाई से ज्यादा खर्च किया है। अब वह कॉलेज जाएगी। उसका कॉलेज भी बेटों के कॉलेज से महंगा रहेगा।
अपनी बहन का भाग्य तो मैं बदल नहीं पाया। यह संतोष रहेगा कि उसका प्रायश्चित मैंने किया है अपनी बेटी के माध्यम से। इसी साल अनिता की बेटी, पुनम (मेरी भांजी) मैट्रिक की परीक्षा 85% से पास कर गयी है। न तो कोचिंग गयी और न ही ट्यूशन की। अब वह गांव से निकलकर मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी के लिए शहर जाना चाहती है। पटना में गर्ल्स हॉस्टल में रहकर कोचिंग संस्थान में एडमिशन लेना चाहती है।
उसकी मां तैयार नहीं है। वह बोलती है- जो पढ़ना है यही गांव में रहकर पढ़ो। बेटे के पढ़ाई में ही खर्च बहुत हो रहा है। बेटी को नहीं पढ़ा सकते।
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gadgetsforusesblog · 2 years
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Financetime.in MWC 2023: 240W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट वाला Realme GT 3 स्मार्टफोन 28 फरवरी, 2023 को लॉन्च होगा
मुझे पढ़ो ने पुष्टि की है कि वह आगामी टेक शो में अपने अगली पीढ़ी के फ्लैगशिप स्मार्टफोन का प्रदर्शन करेगी एमडब्ल्यूसी 2023. चीनी स्मार्टफोन निर्माता ने पुष्टि की है कि दायरे GT3 स्मार्टफोन 28 फरवरी को बार्सिलोना, स्पेन में मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2023 में। कंपनी ने कहा, “रियलमी नई शुरुआत के अवसर पैदा कर सीमाओं को आगे बढ़ाने में विश्वास करती है। रियलमी जीटी3 के साथ, जो 240 वॉट चार्जिंग टेक्नोलॉजी…
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sanjaygarg · 2 years
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#LifeHistory_ProphetMuhammad
जाने हजरत मोहम्मद जी को कुरान का ज्ञान कैसे दिया गया
हजरत मोहम्मद जी ने अपनी पत्नी खदीजा जी को बताया कि जब मैं गुफा में बैठा हुआ था एक रिश्ता आया उसके हाथ में एक रेशम करुमाल था उस पर कुछ लिखा था रिश्ते ने मेरा
गला घोट कर कहा कि इसे पढ़ो मुझे ऐसा
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kartarkartar · 2 years
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#GodNightMonday
हजरत मुहम्मद जी ने अपनी पत्नी खदीजा जी को बताया कि मैं जब गुफा में बैठा था तो एक फरिश्ता आया । उसके हाथ में एक रेशम का रूमाल था। उस पर कुछ लिखा था। फरिश्ते ने मेरा गला घोंट कर कहा इसे पढ़ो। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे प्राण निकलने वाले हैं। पूरे शरीर को भी
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jyotis-things · 3 months
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart22 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart23
हिन्दू साहेबान आप शिक्षित हैं, कृपया अब ध्यान दें! : गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में क्या कहा है? अध्याय 7 श्लोक 12-15 तथा 20-23 में क्या कहा है? सुनो! पढो!
गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में कहा है: पित्तरों को पूजने वाले पित्तरों को प्राप्त होते हैं यानि पित्तर बनते हैं। भूत पूजने वाले भूत बनते हैं। देवताओं को पूजने वाले देव लोक में जाते हैं। मेरे भक्त मुझे प्राप्त होते हैं। प्राप्त तो करना है परमात्मा को, आप शिव लोक तथा विष्णु लोक को प्राप्त करके अपने को धन्य मान बैठे हो। गीता के अमृत ज्ञान को फिर से पढ़ो। गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15 में तीनों गुणों यानि रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी की पूजा करते हैं। जिनका ज्ञान इस त्रिगुणमयी माया द्वारा हरा जा चुका है यानि जो इन देवताओं से ऊपर किसी को नहीं मानते। वे राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूर्ख मुझे नहीं भजते। फिर इसी अध्याय 7 श्लोक 20-23 में इन तीन प्रधान देवताओं से अन्य देवताओं की पूजा करने वालों को कहा है कि इन देवताओं को मैंने ही कुछ शक्ति दे रखी है। जो देवताओं को पूजते हैं, उन अल्पबुद्धि (अज्ञानियों) का वह फल नाशवान है। देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं। मेरा भक्त मुझे प्राप्त होता है।
विचारणीय विषय है कि इस पुस्तक हिमालय तीर्थ के इस प्रकरण के अनुसार श्री शिव जी ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था जो पांचवा था। वह शिव जी के हाथ से चिपक गया। उससे छुटकारा पाने के लिए शिव जी सब जगह गया, परंतु ब्रह्म हत्या का पाप नहीं छूटा। चौदह भुवन घूमे, पाप नहीं कटा। जैसे ही बदरिकाश्रम पहुँचे तो ब्रह्मा का सिर (कपाल) सहसा हाथ से छूट गया। वह ब्रह्मा का सिर बदरिकाश्रम में ब्रह्म शिला के नाम से विख्यात है। इसे ब्रह्म कपाल तीर्थ भी कहते हैं। यह भी तीर्थ बन गया। वहाँ पिंडदान करने का बहुत लाभ बताया है।
सूक्ष्मवेद में कहा है कि :-
गरीब, भूत जूनी तहाँ छूटत हैं, पिंड दान करंत। गरीबदास जिंदा कहै, नहीं मिले भगवंत ।।
अर्थात् संत गरीबदास जी ने कहा है कि पिण्ड दान करने से भूत योनि छूट जाती है। फिर वह जीव गधे की योनि में चला जाता है। क्या मुक्ति हुई? वेदों में इस कर्मकाण्ड को अविद्या यानि मूर्ख साधना कहा है।
4G
इस प्रकरण से यह सिद्ध किया है कि मूर्ति पूजा, देव पूजा आदि शंकराचार्य जी ने दृढ़ता के साथ प्रारंभ करवा दी। उसी को पूरा हिन्दू समाज घसीट रहा है। सब श्राद्ध करते हैं। सब मूर्ति पूजा, भूत पूजा करते हैं। भूत बने हैं, तभी श्राद्ध करने पड़े। यह सब प्रपंच काल ब्रह्म द्वारा किया गया है। इति सिद्धम् कि :- "हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता व वेदों का ज्ञान।"
"अद्भुत प्रसंग"
पृष्ठ 41 पर पुस्तक हिमालय तीर्थ में लिखा है कि भगवान शंकर व पार्वती कपाल मोचन में सुंदर महल बनवाकर निवास करते थे। उस स्थान की विशेषताओं से मुग्ध होकर उस मकान पर कब्जा करने के उद्देश्य से भगवान विष्णु एक बालक रूप धारण करके ऋषि गंगा के पास बुरी तरह हाथ-पैर मारकर रोने लगे। शिव भगवान व माता पार्वती जी स्नान करने जा रहे थे। पार्वती को दया आई। कहा कि कोई पत्थर हृदय स्त्री बालक को छोड गई। उसे उठाकर अपने मकान में छोड आई। शिव जी ने मना भी किया था कि यह कोई मायावई देव लगता है। पार्वती नहीं मानी। जब स्नान करके शिव जी व पार्वती जी लौटे तो तब तक उस बालक ने चतुर्भुज नारायण रूप धारण करके सारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। उसकी नारायण रूप में पूजा होती है। शिव जी विवाद से बचकर उसे छोड़कर केदार नाथ चले गए। वहाँ स्थित हो गए। वहाँ शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित कर दिया। विचार करो : इन देवताओं की कहानियों से क्या शिक्षा मिलेगी? क्या
दूसरे के घर पर कब्जा करना नेक व्यक्ति का कार्य है? महादुष्ट व्यक्ति ऐसी हरकत करता है। क्या ऐसे व्यक्ति देवता माने जा सकते हैं? क्या इनकी पूजा करने को मन करेगा? क्या श्री विष्णु जी ऐसी बेहूदी हरकत कर सकते हैं? क्या वे बैकुंठ (Heaven) को छोड़कर इस कपाल मोचन पर रहना चाहेंगे? यह सब पुराणों का बोया बीज है। पाठकजन प्रमाण के लिए लगी फोटोकॉपी भी पढ़ें ताकि आपको भ्रम न रह जाए कि रामपाल ने कुछ मिलाकर लिखा है। सन् 2013 में केदार नाथ पर लाखों श्रद्धालु पूजा के लिए गए थे। तेज बारिश हुई, बाढ आ गई। पर्वत गिर गए। लगभग एक लाख भक्त व भक्तमति बहनें, बच्चे मारे गए, अनर्थ हो गया। यदि भक्ति शास्त्रोक्त है तो भक्त की रक्षा परमात्मा करते हैं। यह सब लोक वेद यानि दंत कथा है जो इस हिमालय तीर्थ पुस्तक में बताई हैं। इस साधना से अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है। ये सब प्रपंच यानि षड्यंत���र काल ब्रह्म ने किए हैं जीवों से शास्त्रविधि के विपरीत फिजूल की पूजा करवाने के लिए। उनका मानव जीवन नष्ट करवाने के लिए।नर तथा नारायण ऋषियों ने कठिन तप (घोर तप) किया। घोर तप करने के विषय में गीता क्या कहती है, कृपया पढ़ें निम्न प्रसंग :-
86%
* विश्व में जितने धर्म (पंथ) प्रचलित हैं, उनमें सनातन धर्म (सनातन पंथ जिसे आदि शंकराचार्य के बाद उनके द्वारा बताई साधना करने वालों के जन-समूह को हिन्दू कहा जाने लगा तथा सनातन पंथ को हिन्दू धर्म के नाम से जाना जाने लगा, यह हिन्दू धर्म) सबसे पुरातन है।
हिन्दू धर्म की रीढ़ पवित्र चारों वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद) तथा पवित्र श्रीमद्भगवत गीता है। सत्ययुग के प्रारंभ में केवल चार वेदों के आधार से विश्व का मानव धर्म-कर्म किया करता था। शास्त्रोक्त साधना लगभग एक लाख वर्ष तक ठीक से चली। ये चारों वेद प्रभुदत्त (God Given) हैं। इन्हीं का सार श्रीमद्भगवत गीता है। इसलिए यह गीता शास्त्र भी प्रभुदत्त (God Given) हुआ ।
ध्यान देने योग्य है कि जो ज्ञान स्वयं परमात्मा ने बताया है, वह ज्ञान पूर्ण सत्य होता है। इसलिए ये दोनों शास्त्र निःसंदेह विश्वसनीय हैं। प्रत्येक मानव को इनके अंदर बताई साधना करनी चाहिए। वह साधना शास्त्रविधि अनुसार कही जाती है। इन शास्त्रों में जो साधना नहीं करने को कहा है, उसे जो करता है तो वह शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण कर रहा है जिसके विषय में गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में इस प्रकार कहा है :- ➤ श्लोक नं. 23 जो पुरूष यानि साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न परम
गति यानि पूर्ण मोक्ष को और न सुख को ही। (गीता अध्याय 16 श्लोक 23) ➤ श्लोक नं. 24: इससे तेरे लिए इस कर्तव्य यानि जो भक्ति कर्म करने योग्य हैं और अकर्तव्य यानि जो भक्ति कर्म न करने योग्य हैं, इस व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। ऐसा जानकर तू शास्त्रविधि से नियत कर्म यानि जो शास्त्रों में करने को कहा है, वो भक्ति कर्म ही करने योग्य हैं। (गीता अध्याय 16 श्लोक 24)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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kansharma · 2 years
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हजरत मुहम्म्द जी की जीवनी में लिखा है कि जिस समय जिब्राईल फरिश्ता प्रथम बार वह्य (वह्य) लेकर आया मनुष्य रूप में दिखाई दिया, तो उसने मुहम्मद जी का गला घोंट कर कहा इसे पढ़ो। हजरत मुहम्मद जी ने बताया कि मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे, वह मेरा गला घोंट रहा हो। मेरे शरीर को दबा रहा हो। ऐसा दो बार किया फिर तीसरी बार फिर कहा पढ़ो। मुझे ऐसा लगा कि वह फिर गला घोटेंगा, इस बार और जोर से भींचेगा, मैं बोला क्या पहूं ? कुअन की प्रथम आयत पढ़ाई, वह मुझे याद हो गई। फिर फरिश्ता चला गया, मैं घबरा गया। दिल बैठता जा रहा था। पूरा शरीर थर-थर कांपने लगा। गुफा के बाहर आकर सोचा यह कौन था। फिर वही फरिश्ता आदमी की सूरत में दिखाई दिया, जहाँ देखूं वही दिखाई देने लगा। ऊपर, नीचे, दांए, बांए सब ओर घर आकर चादर ओढ़कर लेट गया। सारा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। मुझे डर है कि खदीजा कहीं मर न जाऊँ। फिर हजरत मुहम्मद जी ने अपनी पत्नी खदीजा को सारी बात बताई, फिर एक 'बरका' नामक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद जी से सारी बातें सुन कर कहा आप 'नबी' बनोगे। यही फरिश्ता मूसा जी के पास भी आता था। उपरोक्त विवरण से तो सिद्ध होता है कि फरिश्ता आदमी रूप में वह्य लाता था तो भी हजरत मुहम्मद जी को बहुत कष्ट हुआ करता ।
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बाख़बर संत रामपाल जी महाराज
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