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#विश्व गुलाब दिवस का महत्व
mwsnewshindi · 2 years
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विश्व गुलाब दिवस 2022: अपने प्रियजनों के साथ साझा करने के लिए इतिहास, महत्व, तथ्य और उद्धरण
विश्व गुलाब दिवस 2022: अपने प्रियजनों के साथ साझा करने के लिए इतिहास, महत्व, तथ्य और उद्धरण
छवि स्रोत: INSTAGRAM/CAREALOT.MY विश्व कैंसर दिवस 2022 विश्व गुलाब दिवस 2022: हर साल 22 सितंबर कैंसर रोगियों और उनकी देखभाल करने वाले लोगों को समर्पित है। यह दिन विशेष रूप से कनाडा की 12 वर्षीय कैंसर पीड़िता मेलिंडा रोज की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने अपने जीवन के अंतिम 6 महीने अपने आसपास के कैंसर रोगियों के लिए खुशी और आशा लाने के लिए समर्पित कर दिए। 1996 में उनकी मृत्यु हो गई। विश्व गुलाब…
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abhay121996-blog · 3 years
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world milk day: दूध के उत्पादन में भारत इस तरह बना दुनिया का अग्रणी देश Divya Sandesh
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world milk day: दूध के उत्पादन में भारत इस तरह बना दुनिया का अग्रणी देश
नई दिल्ली जून महीने की 1 तारीख को वर्ल्ड मिल्क डे (World Milk Day) मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day) के रूप में मनाता है। वर्ल्ड मिल्क डे (World Milk Day) डेयरी इंडस्ट्री की ग्रोथ और वैश्विक खाद्य पदार्थ के रूप में दुग्ध उत्पादन के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। एफएओ ने वर्ल्ड मिल्क डे (World Milk Day) की शुरुआत 1 जून 2000 को की थी।
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दूध का महत्व बताने के लिए वर्ल्ड मिल्क डे दूध (Milk) इंसान के डाइट का बहुत जरूरी हिस्सा है। इस बात को समझाने और दूध को डाइट में शामिल करने के लिए जागरुक (Aware) करने के उद्देश्य से वर्ल्ड मिल्क डे (World Milk Day) मनाया जाता है। इसके साथ ही दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता देना भी World Milk Day का उद्देश्य है।
अमूल का श्वेत क्रांति में योगदान देश की सबसे बड़ी दूध उत्पादक कंपनी ने 1945-46 में कारोबार शुरू किया था। Amul के कारोबार की शुरुआत के साथ हुई थी। लौह पुरुष के नाम से मशहूर सरदार वल्लभ भाई पटेल (Patel) ने सहकारी दुग्ध योजना की नींव रखी थी। उसके बाद 14 दिसंबर 1946 को सहकारी सोसाइटी के तौर पर Amul का रजिस्ट्रेशन हुआ। अमूल गुजरात के आणंद में स्थित है। Amul के प्रोडक्ट में आज दूध, दूध का पाउडर, मक्खन, घी, चीज़,पनीर, दही, चॉकलेट, श्रीखण्ड, आइसक्रीम, गुलाब जामुन, न्यूट्रामूल आदि शामिल हैं।
Amul की स्थापना का उद्देश्य सरदार वल्लभ भाई पटेल की सोच थी कि किसानों को आर्थिक मजबूती तभी प्रदान की जा सकती है जब वे दलालों की मजबूत पकड़ से बाहर आ सकें। 4 जनवरी 1946 को गुजरात के खेडा में एक मीटिंग में इस पर विचार किया गया कि गांव में दुग्ध उत्पादन केंद्र ( Center) बनाना चाहिए। इसके बाद पहली सहकारी संस्था आनंद में बनाई गई। छोटे किसानों ने हाथ मिलाकर एक सहकारी समूह तैयार किया। बाद में यही सहकारी संस्था पूरे देश में आकार लेने लगी और अमूल के नाम से पूरे देश में मशहूर हुई। साल 1973 में यह गुजरात सहकारी दुग्ध मार्केटिंग फ़ेडरेशन लि. में तबदील हो चुकी थी और अमूल के नाम से लोकप्रिय हुई।
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श्वेत क्रांति के जनक डॉ कुरियन डॉ. वर्गीज कुरियन (verghese kurien) को भारत में श्वेत क्रांति (White Revolution) का जनक कहा जाता है। डॉ कुरियन का जन्म 26 नवंबर को हुआ था। डॉ कुरियन के सम्मान में हर साल देश भर में 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) ���नाया जाता है। डॉ कुरियन 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोड में एक ईसाई परिवार में जन्मे थे। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद कुरियन (verghese kurien) डेयरी की पढ़ाई के लिए भारत सरकार ने स्कॉलरशिप दी। साल 1949 में सरकार ने को आनंद में एक डेयरी में काम करने के लिए भेजा। सरकारी नौकरी में जी नहीं लगने की वजह से डॉक्टर कुरियन (verghese kurien) को त्रिभुवनदास पटेल ने रोक लिया। इसके बाद त्रिभुवनदास पटेल और डॉ कुरियन ने मिलकर कैरा डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन के तहत मिल्क कॉपरेटिव मूवमेंट की शुरुआत की। इसे आज अमूल (Amul) के नाम से जाना जाता है।
में भारत दूध उत्पादन (Milk Production) के मामले में भारत पहले नंबर पर है। भारत हर साल पूरी दुनिया के दूध उत्पादन (Milk Production) में 22 फीसदी योगदान देता है। साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक भारत का डेयरी उद्योग सालाना 5.6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। भारत ने 2018-19 में दुनिया में सबसे अधिक 18.77 करोड़ टन दूध का उत्पादन (Milk Production) किया था। इसके बाद यूरोपीय संघ के देशों ने मिल कर 2018 में कुल 16.73 करोड़ टन दूध का उत्पादन (Milk Production) किया था। दुनिया में इस साल 84 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था।
सहकारी समिति का कामकाज गांव के लोगों के लिए कई सहकारी समितियों (Cooperative) का गठन किया गया था। दुग्ध उत्पादक (Milk Producer) किसानों का मुख्य कार्य दिन में दो बार दूध इकट्ठा करना था। दूध और उसके फैट के हिसाब से किसानों को दूध के भाव दिए जाते हैं। किसानों को शिक्षित करना और फैट मापने की आधुनिक मशीनें इस प्रक्रिया को सरल बनाने में काम आई। दूध के रोजाना के संग्रह करने वाले केन को दूध को ठंडा रखने वाली इकाइयों में बदल दिया गया था। इसके कुछ समय बाद पास्चुरीकरण (दूध में रोगों और कमियों से नष्ट करना), ठंडा करने और पैकिंग का कार्य शुरू किया गया। पैक किया गया दूध (Packed Milk) पहले थोक वितरक और उसके बाद खुदरा विक्रेताओं के पास पहुंचने के बाद ग्राहकों को मिलता है।
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