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#श्रद्धाँजली
संगीत ग्रंथ शंकर जी -- हिंदी फिल्म संगीत का ध्रुव तारा
संगीत ग्रंथ शंकर जी — हिंदी फिल्म संगीत का ध्रुव तारा
शंकर जी की 100 वीं जन्मतिथि पर सादर श्रद्धांजलि हिंदुस्तान के हिंदी फिल्म संगीत जगत में कई आतिशी संगीतकार आये और चले गए,कुछ समय के लिए जगमगाये फिर धुंआ बन अस्तित्वविहीन हो गए।आज समस्त विश्व में हज़ारो गगन चुम्बी इमारते बन रही है इसके बावजूद भी विश्व में मात्र 7 स्थानों को ही दुनिया का आश्चर्य माना जाता है?इसका मुलभुत कारण उनकी अपनी विशिष्ठता है। उत्तम सृजनकर्ता सदियों में उत्पन्न होते है?हिंदी…
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शैलेन्द्र की पुण्यतिथि 14 दिसम्बर पर विशेष! Tribute by #shivshankergahlot शैलेन्द्र ने हम सबके जीवन को अपने गीतों से इतने बेहतर तरीके से साधारण भाषा में परिभाषित किया है । प्यार की अवधारणा को शैलेन्द्र ने जन जन की भाषा में संगम के गाने में कितनी सरलता से लिखा और गीत को अमर बना दिया । सुनते हैं प्यार की दुनिया में दो दिल मुश्किल से समाते हैं, क्या गैर वहां, अपनों तक के, साये भी न आने पाते हैं । सपनों का सौदागर मे शैलेन्द्र ने लिखा था ..... सपनों का सौदागर आया, ले लो ये सपने ले लो, किस्मत तुमसे खेल चुकी, तुम किस्मत से खेलो । जब जब मै किसी ग़रीब मुफलिस को देखता हूँ और देखता हूँ कि वो कैसे खैनी या तम्बाकू मसाला खाकर या बीड़ी सिगरेट पीकर सुकून पाने मे लगा परमानंद में लीन है और याद करता हूँ सरकारी विज्ञापन कि तंबाकु कैंसर पैदा करता है तब तब शैलेन्द्र की ये पंक्तियां याद आती हैं । ये कितना सटीक बयान करती हैं उस गरीब की परिस्थिति को जिसके साथ किस्मत ने तो खिलवाड़ कर लिया और अब वो अपनी किस्मत से खेल रहा है । कैंसर जब आयेगा आ जायेगा अभी तो सुकून और आनंद इसी मे है । आगे देखिये.. चार आंसूं कोई रो दिया , फेर कर मुंह कोई चल दिया, इस दुनिया की फितरत को अगर एक लाईन में कहा जा सकता है तो यही वो लाईन है । इसके आगे क्या कहा जाय । शैलेन्द्र को अपनी मौत का आभास हो गया था और मरने से पहले जो उन्होंने गाने लिखे उन्हें सुनकर आप ये अन्दाज़ लगा सकते हैं । दीवाना फिल्म के गाने देखिये... हम तो जाते अपने गाम अपनी राम राम राम कभी जो कह न पाये बात वो होठों पे अब आई अदालत उठ चुकी है अब करेगा कौन सुनवाई । था तो बहुत कहने को लेकिन अब तो चुप बेहतर, ये दुनिया है एक सराय, जीवन एक सफर है । रुका भी है कोई किसी के पुकारे... यही वो गीत हैं जो दुनिया छोड़ने से पहले शैलेन्द्र ने लिखे । शैलेन्द्र सच्चा इन्सान था जिसने फणीश्वरनाथ रेणु से दोस्ती निभाई । शैलेन्द्र ने उसकी लिखी कहानी मारे गये गुलफाम उर्फ तीसरी कसम से भी सच्चाई बरती चाहे उसके लिये उसकी जान चली गई । पैसा तो सब कमाते हैं पर शैलेन्द्र ने वो कमाया जो उससे कहीं ऊपर है । फिल्म दर्शक और प्रशंसक शैलेन्द्र का नाम अपने दिल में संजोये हैं । महान शख्सियत कविराज शैलेन्द्र को मेरी तहेदिल से श्रद्धाँजली । 💐💐🌻🌻🙏🙏❤️💞❤️ https://www.instagram.com/p/CmJLciJvjko/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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Part 2 of tribute to #Shankar of #ShankarJaikishan duo By #ShivShankerGehlot सीनियर कावस लॉर्ड जी ने ये भेद भी खोल दिया कि जब धुन शंकर जी की होती थी तो रिहर्सल कराने वही आते थे । जब धुन जयकिशन की होती तो रिहर्सल कराने अकेले जयकिशन आते थे । रेकॉर्डिंग में दोनों आते थे । जिसकी धुन हो वो ऑर्केस्ट्रा रूम में होता था और दूसरा रिकॉर्डिंग रूम में बैठता । ये सिस्टम बना हुआ था । शंकर जी बड़े थे सीनियर थे इसलिये बड़े भाई के रोल में रहते थे । जयकिशन छोटे थे तो छोटे भाई की तरह ही रहते थे । दोनों में कभी मनमुटाव नहीं हुआ कभी पैसों को लेकर झगड़ा नहीं हुआ । हमेशा दोनों दो जिस्म मगर एक जान की तरह रहे । उनके काम करने के तरीके से उन लोगों को आपत्ति है जो उनमें फूट डलवाना चाहते थे । पर ये कभी हुआ नहीं । मरते दम तक दोनों एक रहे । हमारे लिये तो दोनों हमारे चाचा ताऊ थे । किसी एक को भी बुरा कोई कहेगा वो हमारे लिये अच्छा आदमी नहीं है । शंकर जी की जयन्ति पर मैं उन्हें श्रद्धाँजली दूँगा इस पुरानी याद से कि जब मैं 12 वीं के एग्ज़ाम के लिये अपने बड़े भाई के दोस्त और हमारे कॉलेज में कैमिस्ट्री के लैक्चरर श्री बी. बी. लाल से नई मंडी, मुज़फ्फरनगर में उनके घर पर ट्यूशन पढ़ रहा था और दूर कहीं रेडियो पर दोस्त दोस्त ना रहा का प्रिल्यूड बजने लगा । गाना खत्म होने तक मुझे नहीं मालूल लाल सर ने क्या पढ़ाया । ऐसे गाने बनाते थे शंकर जी । 🙂🙂❤️💕👍👌🙏🙏❤️💗��🙂🙂🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CVF22ZWPa7w/?utm_medium=tumblr
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