हिमाचल प्रदेश में राज बदला, रिवाज कायम, मतदाताओं ने सत्ता की चाबी कांग्रेस को सौंपी
हिमाचल प्रदेश में राज बदला, रिवाज कायम, मतदाताओं ने सत्ता की चाबी कांग्रेस को सौंपी
शिमला। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 1990 से चले आ रहे सत्ता परिवर्तन के रिवाज को कायम रखते हुए मतदाताओं ने भाजपा के हाथ से सत्ता की चाबी खींचकर कांग्रेस को सौंप दी है। कांग्रेस ने कुल 68 सीटों की विधानसभा में 39 सीटें जीत कर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। एक सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी आगे चल रहा है। इस तरह कांग्रेस 40 सीटें जीतने जा रही है। राज्य में सरकार बनाने के लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा 35 है।…
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बांग्लादेश में चार हिंदू महिलाओं के साथ गैंगरेप, 9 लोगों की हत्या; 69 मंदिरों, चर्चों और मठों पर हुए हमले
बांग्लादेश में चार हिंदू महिलाओं के साथ गैंगरेप, 9 लोगों की हत्या; 69 मंदिरों, चर्चों और मठों पर हुए हमले
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Bangladesh News: प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे भयानक अत्याचारों के बारे में रिपोर्ट सामने आई हैं। बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि 5 अगस्त को राजनीतिक परिवर्तन के बाद से चार हिंदू महिलाओं का सामूहिक बलात्कार किया गया है, जिसमें एक महिला बहरी है। इसके अलावा, बीएनपी-जेमाात…
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Jamshedpur bjp : कोल्हान प्रमंडल में 23 सितंबर से भाजपा करेगी परिवर्तन यात्रा का आगाज, "ना सहेंगे, ना कहेंगे, बदल कर रहेंगे" के संकल्प के साथ कोल्हान में 1100 किमी की होगी यात्रा
जमशेदपुर : भारतीय जनता पार्टी झारखंड के छह सांगठनिक प्रमंडलों में परिवर्तन यात्रा निकाल रही है. कोल्हान प्रमंडल में 23 सितंबर से भाजपा परिवर्तन यात्रा की शुरुआत करने जा रही है. इस यात्रा की शुरुआत बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र के पवित्र चित्रेश्वर धाम से होगी और समापन चाईबासा में होगा. इस परिवर्तन यात्रा का उद्देश्य झारखंड में सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ व्यवस्था परिवर्तन को अंजाम देना है. इस यात्रा…
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पूर्व सीएम चव्हाण का दावा- हरियाणा और महाराष्ट्र में होगा सत्ता परिवर्तन, भाजपा पर साधा निशाना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र और हरियाणा में सत्ता परिवर्तन होगा। इसका असर केंद्र की एनडीए गठबंधन सरकार पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में महिलाएं केवल लड़की बहन योजना के कारण भाजपा को वोट नहीं देंगी। विपक्ष के महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में तनाव पर उन्होंने…
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गोरखापत्र र नेपाल टेलिभिजनका कार्यकारी अध्यक्षलाई पदबाट नहटाउन सर्वोच्चको अन्तरिम आदेश
काठमाडौं । गोरखापत्र संस्थानका कार्यकारी अध्यक्ष विष्णुप्रसाद सुवेदी र नेपाल टेलिभिजनका कार्यकारी अध्यक्ष समिरजंग शाहलाई स्पष्टीकरण सोधेर बर्खास्त गर्ने सरकारको तयारीमा रोक लगाउँदै सर्वोच्च अदालतले अन्तरिम आदेश जारी गरेको छ ।
सर्वोच्च अदालतका न्यायाधीशद्वय नहकुल सुवेदी र साराङ्गा सुवेदीको संयुक्त इजालसले सुवेदी र शाहलाई पदबाट नहटाउन अन्तरिम आदेश जारी गरेको हो ।
सत्ता गठबन्धन परिवर्तन हुनसाथ…
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*चैत्र नवरात्रि: इस वर्ष घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं माँ दुर्गा- जानें इसका महत्व और मुहूर्त की जानकारी!*
अप्रैल के महीने में चैत्र नवरात्रि का पावन त्यौहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल चार नवरात्रियां मनाई जाती है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होते हैं और एक शारदीय और एक चैत्र नवरात्रि होती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र को गुप्त नवरात्रि की तुलना में ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि यह गृहस्थ लोग करते हैं और अक्सर देखा गया है कि गुप्त नवरात्रि करने वाले लोग इसे तंत्र साधना के लिए करते हैं। इस खास ब्लॉग में आज हम बात करेंगे जल्द शुरू होने वाले चैत्र नवरात्रि की।
यहां हम जानेंगे कि इस साल चैत्र नवरात्र कब से प्रारंभ हो रही है, इसका घट स्थापना मुहूर्त क्या रहने वाला है, इस साल मां का आगमन वाहन क्या रहने वाला है और इससे क्या संकेत मिल रहे हैं। साथ ही जानेंगे चैत्र नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले उपायो��� की जानकारी और ये चैत्र नवरात्रि किन राशियों के लिए विशेष रूप से शुभ रहेगी इसकी जानकारी भी आपके यहां दी जाएगी। तो चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले जान लेते हैं चैत्र नवरात्रि का यह पर्व कब से मनाया जाएगा।
*चैत्र नवरात्रि 2024 घटस्थापना मुहूर्त कब से?*
घटस्थापना मुहूर्त : 06:01:45 से 10:15:48 तक
अवधि :4 घंटे 14 मिनट
*बेहद ही शुभ योग में प्रारंभ हो रही है चैत्र नवरात्रि*
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि इसलिए भी खास खाने जा रही है क्योंकि यह बेहद ही शुभ योग में प्रारंभ हो रही है। दरअसल हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि के दिन रेवती नक्षत्र रहने वाला है। रेवती नक्षत्र इस दिन सुबह 7:32 तक रहेगा और इसके बाद अश्विनी नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। इसके अलावा योग की बात करें तो इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। यह दोनों योग सुबह 7:32 से लेकर अगले दिन 5:06 तक रहने वाले हैं। ऐसे में इस दौरान आप किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य कर सकते हैं। यह विशेष रूप से फलदाई रहने वाला है।
*घटस्थापना विधि*
सबसे पहले बात कर ले घट स्थापना विधि की तो इसके लिए आप एक मिट्टी के चौड़े मुंह वाला बर्तन ले लें और उसमें सप्तनाज रख लें।
इसके ऊपर कलश में जल भर कर रख लें और उसके ऊपरी भाग में कलावा बांध लें।
इसके बाद आम या फिर अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रख दें।
अब नारियल को एक साफ लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लवों के बीच में रख दें।
नारियल में कलावा भी लपेट दें।
घट स्थापना पूरी होने के बाद देवी का आवाहन करें और इसके बाद पूजा प्रारंभ करें।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
बात करें महत्व की तो चैत्र नवरात्रि के दौरान मां भगवती के 9 स्वरूपों की पूजा का विधान निर्धारित किया गया है। माना जाता है कि इस दौरान जो कोई भी भक्त मां की विधिवत पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, ऐसे लोगों को हर एक कष्ट और दुखों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है। इसके अलावा ऐसे जातकों के घर परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।
*चैत्र नवरात्रि 2024: क्या रहेगा मां का वाहन?*
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जब भी नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा धरती पर आती हैं तो वह एक विशेष वाहन से आती हैं। इस वाहन का कोई ना कोई संकेत होता है और महत्व भी होता है। बात करें चैत्र नवरात्रि में मां के वाहन की तो इस साल मां घोड़े पर सवार हो कर आने वाली हैं। चूंकि चैत्र नवरात्रि मंगलवार से शुरू हो रही है इसीलिए माँ का आगमन वाहन घोड़ा रहने वाला है।
बात करें इसके संकेत कि तो, जब भी माँ घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो इससे सत्ता में परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। साथ ही इस दौरान साधकों के जीवन में से सभी तरह के कष्ट और परेशानियों से छुट्टी मिलने की भी उच्च संभावना बन रही है। ................................... _*इसी प्रकार की रोचक और जीवन उपयोगी जानकारियां पाने के लिए*_
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कल देंगे इस्तीफा, 15 दिनों में छोड़ेंगे सीएम आवास; उपराज्यपाल से मिलने का मांगा समय
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कल देंगे इस्तीफा, 15 दिनों में छोड़ेंगे सीएम आवास; उपराज्यपाल से मिलने का मांगा समय
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Arvind Kejriwal Resign: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिलने का समय मांगा है। बताया जा रहा है कि कल सीएम अरविंद केजरीवाल इस्तीफा दे सकते हैं। अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को इस्तीफा दिया था, ऐसे में वह 15 दिन के अंदर सीएम आवास छोड़ देंगे।
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, ‘जब किसी राजनीतिक दल में सत्ता परिवर्तन होता है, नेतृत्व परिवर्तन होता है तो राजनीतिक फैसले लिए…
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उत्तराखंड: (Pushkar Singh Dhami) समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक उत्तराखंड 2024 बुधवार को विधानसभा में पारित कर दिया गया। विधेयक पर दो दिनों तक लंबी चर्चा हुई। सत्ता और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर अपने-अपने सुझाव दिए। इस प्रकार उत्तराखंड विधानसभा आजाद भारत के इतिहास में समान नागरिक संहिता का विधेयक पारित करने वाली पहली विधानसभा बन गई है l
Pushkar Singh Dhami मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 को विधानसभा में पेश किया था। बुधवार को सदन में विधेयक पर चर्चा के बाद सदन ने इसे पास कर दिया। अब अन्य सभी विधिक प्रक्रिया और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। विधेयक में सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून का प्रावधान है। महिला-पुरुषों को समान अधिकारों की सिफारिश की गई है। अनुसूचित जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है l
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से किए गए वायदे के अनुसार पहली कैबिनेट बैठक में ही यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई। समिति ने व्यापक जन संवाद और हर पहलू का गहन अध्ययन करने के बाद यूसीसी के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया है। इसके लिए प्रदेश भर में 43 जनसंवाद कार्यक्रम और 72 बैठकों के साथ ही प्रवासी उत्तराखण्डियों से भी समिति ने संवाद किया l
समान नागरिक संहिता विधेयक के कानून बनने पर समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर रोक लगेगी, लेकिन किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे। बाल और महिला अधिकारों की ये कानून सुरक्षा करेगा l
विवाह का पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं से होना पड़ सकता है वंचित।
पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूर्णतः प्रतिबंधित।
सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित।
वैवाहिक दंपत्ति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास ही रहेगी।
UCC in Uttarakhand- सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार।
सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।
मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक।
संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना गया है।
किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। उसके माता-पिता का भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार होगा। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया गया ।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा और उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे l
“हमारे देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रऋषि नरेन्द्र मोदी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व ��ें यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है।” “समान नागरिक संहिता का विधेयक प्रधानमंत्री द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है।”“UCC के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।
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Bihar politics nitish government : सज गई फिल्डिंग, नीतीश कुमार के नौवीं बार सीएम बनने का रास्ता साफ, चिराग से लेकर मांझी, शाह से लेकर नड्डा तक सबकी नाराजगी दूर
पटना : बिहार में शनिवार को सभी पार्टियों की हुई बैठक के बाद राज्य में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन होना तय हो गया है. राजधानी में आज सबसे पहले राजद, उसके बाद कांग्रेस, फिर हम और भाजपा तथा अंत में जदयू की बैठक हुई. इसके बाद बिहार में सत्ता परिवर्तन की बात लगभग पक्की हो गयी है. सत्ता परिवर्तन का पूरा दारोमदार भाजपा पर टिका है. बताया जा रहा है कि रविवार सुबह 9 बजे भाजपा की बैठक होगी, उसके बाद 10 बजे…
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गृह सचिवमा एकनारायण अर्याल
काठमाडौं, २८ फागुन । सरकारले गृह सचिवमा एकनारायण अर्याललाई सरुवा गरेको छ। सोमबार बसेको मन्त्रिपरिषद् बैठकले दिनेश भट्टराईलाई प्रधानमन्त्री कार्यालयमा पठाएर अर्याललाई गृहमा सरुवा गरेको हो।
यसअघि अर्याल प्रधानमन्त्री कार्यालयमा थिए। अर्याल गृह प्रशासन बुझेका कर्मचारीको रूपमा चिनिन्छन्।
सत्ता गठबन्धन परिवर्तन भएसँगै सरकारले सचिव परिवर्तन गरेको हो।
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केंद्र की सियासत में बिहार: बीजेपी के छांव तले एक बार फिर नीतीश चले! शुरू हुआ मीटिंग का दौर, आरजेडी और कांग्रेस ने बुलाई बैठक
केंद्र की सियासत में बिहार: बीजेपी के छांव तले एक बार फिर नीतीश चले! शुरू हुआ मीटिंग का दौर, आरजेडी और कांग्रेस ने बुलाई बैठक
नई दिल्ली। बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हो सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले दो तीन दिनों में बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार बना सकते हैं। लेकिन प्रदेश की कमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों ही होगी। 28 जनवरी को सुबह 10 बजे सीएम ने कुमार…
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'जोराम' से 'काला पानी' तक, हिंदी सिनेमा में स्वदेशी समुदायों का बदलता चित्रण
एऐसे समय में जब भारतीय जनता पार्टी की जनजातीय पहुंच समृद्ध चुनावी लाभ दे रही है, मनोरंजन उद्योग भी समाज के एक वर्ग पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है जो आबादी का लगभग 8.5% है।वर्षों से, स्वदेशी समुदायों का चित्रण घिसी-पिटी बातों और रूढ़ियों द्वारा चिह्नित किया गया है। अक्सर उन बर्बर लोगों के रूप में चित्रित किया जाता है जो अपने नास्तिक रीति-रिवाजों को बचाने के लिए अंधाधुंध हत्या करते हैं, उन्हें हमेशा नायक के सभ्यतागत आलिंगन की आवश्यकता होती है। उनकी महिलाओं को भोला-भाला दिखाया गया है, जो आसानी से शहर में पले-बढ़े पुरुष नायक की स्थिति और पुरुषत्व के सामने आत्मसमर्पण कर देती हैं।'पुराने' बॉलीवुड में चित्रणआदिवासी लोगों के चित्रण को अक्सर शहरी दृष्टिकोण के अनुरूप कामुक बनाया जाता है और एक धारणा बनाई गई है कि जब सांस्कृतिक संचार की बात आती है, तो स्वदेशी समुदाय या तो 'चढ़ गयो पापी बिछुआ' में टूट जाते हैं या 'झींगा लाला हू' की लयबद्ध बकवास में झूम उठते हैं। '. से मधुमती (1958) और तलाश (1969) से कारवां (1971) और शालीमार (1978), ऐसी फिल्मों की एक लंबी सूची है जहां स्वदेशी लोगों को कैरिकेचर या कार्डबोर्ड पात्रों तक सीमित कर दिया जाता है जहां पुरुषों और महिलाओं को मोतियों और पंखों से सजी पोशाकें पहनाई जाती हैं। यहां तक कि सत्यजीत रे भी इस रूढ़िवादिता को कायम रखने के दोषी थे अरण्येर दिन रात्रि (1970) जहां सिमी ग्रेवाल का चेहरा काला कर दिया गया था ताकि उन्हें एक आदिवासी चरित्र में फिट किया जा सके जो शहरी बाबू, भद्रलोक के आकर्षण के आगे झुक जाती है। उद्योग के संचालन में शायद ही कोई भूमिका होने और बॉक्स ऑफिस पर केवल सीमित खपत के कारण, पुशबैक नरम रहा है। मृणाल सेन एक शानदार अपवाद रहे हैं मृगया (1976)। आपातकाल के दौरान रिलीज़ हुई, यह असमान समाजों में कानून के शासन के बारे में है। जब कामुक साहूकार एक आदिवासी विद्रोही को मार देता है तो उसे औपनिवेशिक स्वामी द्वारा पुरस्कृत किया जाता है, लेकिन जब युवा आदिवासी नायक अपनी पत्नी को उसके चंगुल से बचाने के लिए जानवर का सिर काट देता है, तो वह ब्रिटिश शासन के कानून का शिकार हो जाता है। फिल्म का संदेश संस्कृतियों के टकराव से परे है। यह उस व्यवस्था के खिलाफ प्रतिरोध की बात करता है जो अन्याय करने वालों को क्षतिपूर्ति देती है।चार दशक बाद, एसएस राजामौली स्वदेशी समुदायों की सबसे समस्याग्रस्त प्रोफाइलिंग में से एक लेकर आए बाहुबली जहां फिल्म बताती है कि जिन लोगों ने हिंदू पद्धति अपनाई वे सभ्य हो गए और बाकी लोग 'अंधकार युग' में ही रह गए। एक उल्लेखनीय परिवर्तन हाल ही में, मनोरंजन क्षेत्र अंततः आदिवासी पहचान और अस्तित्व के मुद्दों पर अधिक सूक्ष्म बहस में शामिल हो रहा है। लेखक आदिवासी पात्रों को कथा की प्रेरक शक्ति के रूप में चित्रित करने के लिए उत्सुक दिखते हैं क्योंकि सामान्य कहानियाँ अधिक जीवंत अनुभवों को रास्ता देती हैं। भोलापन अब रोमांटिक नहीं रहा और महिला किरदारों में अधिक वजन है। इन दिनों अधिकांश सिनेमाई रुझानों की तरह, आदिवासी महिला के आने से जोर दक्षिण से आया है जय भीम(2021) सत्ता के सामने खड़े हुए और संविधान द्वारा प्रदान की गई परिधि के भीतर लड़ाई के बिना कुचले जाने से इनकार कर दिया। राजामौली ने भी इसमें संशोधन किया आरआरआर (2022)। गोंड लड़की मल्ली आदिवासियों की प्राकृतिक संपदा का प्रतीक बन गई है जिसे सत्ता में बैठे लोग अपने निहित स्वार्थों के लिए नष्ट करते रहते हैं।
'भेड़िया' का एक दृश्य
लोकप्रिय परिवेश में, अमर कौशिक का भेड़िया(2022) 'प्रकृति है तो प्रगति है' नारे के साथ सतत विकास का संदेश देने के लिए उत्तर पूर्व की अपातानी जनजाति की मान्यताओं और लोककथाओं का चतुराई से उपयोग करता है। रिची मेहता के दूसरे सीज़न में सिस्टम के एक वर्ग का गहरा पूर्वाग्रह सामने आता है दिल्ली क्राइम (नेटफ्लिक्स) जहां दक्षिण दिल्ली के पॉश इलाके में चोरियों और भयानक हत्याओं में अचानक वृद्धि के लिए गैर-अधिसूचित जनजातियों के सदस्यों को झूठा फंसाया जाता है। यहां, मामले पर प्रकाश डालने के लिए एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को बुलाया जाता है और हमें याद दिलाया जाता है कि औपनिवेशिक शासन के दौरान विमुक्त जनजातियों को आपराधिक जनजाति कहा जाता था और आजादी के बाद भी उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया है। जैसा कि भ्रष्ट अधिकारी पूरे समुदाय को एक ही ब्रश से चित्रित करता है, श्रृंखला उस सामान्य भावना को व्यक्त करती है जो समाज में विमुक्त जनजातियों के खिलाफ मौजूद है और इसने उन्हें एक कोने में कैसे धकेल दिया है। मामले को सुलझाने की जल्दी में सिस्टम अक्सर ऐसी खतरनाक प्रोफाइलिंग का शिकार हो जाता है। अपने अंत में, यह श्रृंखला अलग दिखती है क्योंकि इस रूढ़िवादिता को वर्तिका चतुवेर्दी और भूपेन्द्र जैसे संवेदनशील अधिकारियों द्वारा ध्वस्त किया गया है, जो उसी प्रणाली के चेहरे हैं जो आदिवासियों को अपराधी बनाती है। 'नक्सल' कथा का मुकाबला
'जोरम' के एक दृश्य में मनोज बाजपेयी
अगर दिल्ली क्राइम देवाशीष मखीजा की हालिया रिलीज हमें दिखाती है कि शहरी जंगल में स्वदेशी जनजातियाँ हमारे बगल में रह रही हैं योराम विकास की बहस को संबोधित करता है और मैन-ऑन-द-रन थ्रिलर शैली के प्रति सच्चे रहते हुए झारखंड में आदिवासी-नक्सल कथा को डी-हाइफ़न करता है। फिल्म में आदिवासी समुदाय से आने वाली एक महिला विधायक द्वारा विकास के नाम पर जंगलों को खनन केंद्रों में बदल दिया गया है। और नायक दसरू तथाकथित संरक्षकों और उसके निवास स्थान को हड़पने वालों के बीच फंस गया है। हालाँकि फिल्म सही और गलत के बारे में नहीं बताती है, लेकिन यह दर्शाती है कि कैसे दसरू जैसे लोग अपनी भूमि और संस्कृति से बेदखल हो रहे हैं। फिल्म के एक दृश्य दृश्य में, दसरू, मुंबई से लौटते समय, जिस शहर में उसे दिहाड़ी मजदूर के रूप में प्रवास करने के लिए मजबूर होना पड़ा था, एक यात्री से पूछता है कि क्या उसने खेती करना छोड़ दिया है। "कोई अनाज नहीं है, हमारे खेतों में अब लोहा उगता है," दो टूक उत्तर आता है। जंगल के संसाधनों के लिए लड़ने की हिम्मत पेट की भूख के आगे हार जाती है। जैसे वर्तिका में दिल्ली क्राइमरत्नाकर, कनिष्ठ पुलिस अधिकारी योराम पूर्वानुमेय नक्सली आख्यान को ध्वस्त करने का एक उपकरण बन जाता है। नवदीप सिंह की यह बात हिल गई है कि आदिवासी हित एक अखंड बात है और सभी आदिवासी गरीब हैं शहर लाखोत (अमेज़ॅन प्राइम) जहां एक पीएच.डी. धारक आदिवासी नेता राजस्थान के मार्बल बेल्ट में आदिवासी भूमि के अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन करते हैं। इसमें दिखाया गया है कि कैसे उद्योगपति आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय आदिवासी विधायक का इस्तेमाल करते हैं।आर या पार (डिज़्नी हॉटस्टार) एक आदिवासी युवा द्वारा प्राकृतिक संसाधनों पर कब्ज़ा करने के लिए एक कॉर्पोरेट बदमाश के अतृप्त लालच को अपनाने से पहले के विकल्पों से निपटता है। क्या सरजू तीरंदाजी में देश को गौरवान्वित करेगा या बदला लेने और जीवित रहने के लिए भाड़े का हत्यारा बन जाएगा? यह एक टेढ़ी-मेढ़ी शृंखला है लेकिन एक बार फिर तर्क की आवाज एक कानून लागू करने वाले की ओर से आती है। प्रतिरोध ख़त्म करने के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी आदित्य दत्त कहते हैं कि ये लोग (आदिवासी) मानते हैं कि जंगल उनकी दुनिया है जबकि हम इसे अपनी जागीर के रूप में देखते हैं। निदेशक नीला माधब पांडा इस बात पर काम कर रही हैं कि जलवायु परिवर्तन उन लोगों को सबसे अधिक कैसे प्रभावित करता है जिनके पास कोई कार्बन पदचिह्न नहीं है। अपनी नवीनतम सावधान कहानी में, जेंगाबुरु अभिशाप (SonyLiv), वह इस विचार को ओडिशा के आदिवासी क्षेत्र में आगे ले जाता है जिसे खनन माफियाओं द्वारा कुचला जा रहा है और स्थानीय मुद्दों को वैश्विक पर्यावरण संकट से जोड़ता है।
नेटफ्लिक्स पर 'काला पानी' का एक दृश्य
स्वदेशी समुदायों के मूल्य का एक अधिक जटिल लेकिन ठोस विश्लेषण समीर सक्सेना में आता है काला पानी (नेटफ्लिक्स)। उत्तरजीविता नाटक में, काल्पनिक ओराका जनजाति के पास अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में आए घातक वायरस का इलाज है। श्रृंखला अस्थिर विकास मॉडल की आलोचना करती है, भले ही प्रशासन एक विशिष्ट ट्रॉली समस्या की नैतिक दुविधा से जूझ रहा हो: क्या विकास और परिवर्तन के नाम पर हजारों लोगों को बचाने के लिए कुछ का बलिदान देना ठीक है?
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