चैतन्य महाप्रभु का जन्म संवत 1407 में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सिंह लगन में होलिका दहन के दिन भारत के बंग प्रदेश के नवद्वीप नामक गांव में हुआ। वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। इनके द्वारा की गई लीलाओं एवं श्रीकृष्ण रूप देखकर हर कोई हैरान हो जाता था। उनके बचपन का नाम निमाई था। बहुत कम उम्र में ही निमाई न्याय व व्याकरण में पारंगत हो गए थे। इन्होंने कुछ समय तक नादिया में स्कूल स्थापित करके अध्यापन कार्य भी किया। निमाई बाल्यावस्था से ही भगवद् चिंतन में लीन रहकर श्रीराम व श्रीकृष्ण का स्तुति गान करने लगे थे । चैतन्य महाप्रभु को भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप माना जाता है तथा इस संबंध में एक प्रसंग भी आता है कि एक दिन श्री जगन्नाथजी के घर एक ब्राह्मण अतिथि के रूप में आए। जब वह भोजन करने के लिए बैठे और उन्होंने अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए नेत्र बंद किए तो बालक निमाई ने झट से आकर भोजन का एक ग्रास उठाकर खा लिया। जिस पर माता-पिता को पुत्र पर बड़ा क्रोध आया और उन्होंने निमाई को घर से बाहर भेज दिया और अतिथि के लिए निरंतर दो बार फिर भोजन परोसा परंतु निमाई ने हर बार भोजन का ग्रास खा लिया और तब उन्होंने गोपाल वेश में दर्शन देकर अपने माता-पिता और अतिथि को प्रसन्न किया।चैतन्य मत का मूल आधार प्रेम और लीला है। गोलोक में श्रीकृष्ण की लीला शाश्वत है। प्रेम उनकी मूल शक्ति है और वही आनन्द का कारण भी है। यही प्रेम भक्त के चित्त में स्थित होकर महाभाव बन जाता है। यह महाभाव ही राधा की उपासना के साथ ही कृष्ण की प्राप्ति का मार्ग भी है। उनकी प्रेम, भक्ति और सहअस्तित्व की विलक्षण विशेषताएं युग-युगों तक मानवता को प्रेरित करती रहेगी। संकीर्तन-भक्ति रस के माध्यम से समाज को दिशा देने वाले श्रेष्ठ समाज सुधारक, धर्मक्रांति के प्रेरक और परम संत को उनके जन्म दिवस पर न केवल भारतवासी बल्कि सम्पूर्ण मानवता उनके प्रति श्रद्धासुमन समर्पित कर गौरव की अनुभूति कर रहा है। #chaitanayamahaprabhu #lordchaitanya #harekrishna #krishna #vrindavan #haribol #krishnaconsciousness #darshan #harekrishnatemple #iskcon #bhakti #vrindavandham #radharaman #lordkrishna #radharamana #jairadharaman #dailydarshan #prabhupada https://www.instagram.com/p/CM8sN-nBWKt/?igshid=2ie6sobcyqnz
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