एक बार की बात है कि एक संत एक वृक्ष के नीचे अपनी साधना में लीन थे कि उसी वृक्ष पर कुछ पक्षियों का झुण्ड आकर बैठा और करुणा क्रदन करने लगा उनका करुणा क्रदन सुनकर संत बोले कि हे पक्षियों इतने क्यों परेशान हो ?
पक्षी अचंभित होते हुए कि एक संत ने हमारी वाणी समझ ली उनको प्रणाम कर उनसे बोले कि महाराज हम अपने जीवन में बहुत दुखी हो गए है और उस दुःख का कारण है हमारे कुटुम्भियों और परिजनों से एक व्याघ्र के कारण वियोग I
संत ने पूछा कि यह व्याघ्र कि क्या कथा है ? पक्षी बोले महाराज कि एक व्याघ्र आता है जाल बिछाता है दाना डालता है और जो उसके जाल में फँस जाते है उनको ले जाकर बेच देता है , इससे बचने का कोई उपाय बताए
संत मुस्कुरा कर बोले कि तुम लोगो की समस्या का समाधान हो सकता है पक्षी बोले महाराज समस्या का समाधान कैसे हो सकता है कृपया बताये
संत बोले कि जब व्याघ्र आये जाल बिछाये दाना डाले तो तुम्हे उसे नहीं चुगना है और इसी ज्ञान का अभ्यास करना है I
पक्षी प्रसन्न होते हुए बोले बस महाराज इतना ही करना है महाराज बोले हाँ बस इतना ही करना है I
उसके बाद उन्होंने अपने कुटुम्ब को यह रटवाना शुरू कर दिया कि
व्याघ्र आएगा जाल बिछायेगा दाना डालेगा और हमें नहीं चुगना है I
व्याघ्र आएगा जाल बिछायेगा दाना डालेगा और हमें नहीं चुगना है I
व्याघ्र आएगा जाल बिछायेगा दाना डालेगा और हमें नहीं चुगना है I
इस ज्ञान को रटते रटते वह पक्षी वहाँ से उड़ कर अपने अपने स्थान को चले गए I
कुछ समय पश्चात संत महात्मा अपने रास्ते में जब जा रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक व्याघ्र बहुत सारे पक्षियों को जाल में लेकर जा रहा है और
पक्षी वही रटते हुए जा रहे थे कि व्याघ्र आएगा जाल बिछायेगा दाना डालेगा और हमें नहीं चुगना है I
संत को देखते ही पक्षी उन्हें प्रणाम करते हुए पूछने लगे कि महाराज आपका समाधान तो निष्फल हो गया, हमने तो आपका रटाया हुआ - व्याघ्र आएगा जाल बिछायेगा दाना डालेगा और हमें नहीं चुगना है, ही बोल रहे थे और अब भी वही रटते हुए जा रहे है तो भी इसका कोई लाभ नहीं मिला I
संत करुणापूर्वक बोले कि मूर्खो तुम्हे यह ज्ञान मात्र रटने के लिए नहीं अभ्यास के लिए दिया था जो ज्ञान अभ्यास में नहीं लिया गया वह व्यर्थ हुआ तुम लोग उस ज्ञान को रट रहे थे, किंचित अभ्यास में लिया होता तो व्याघ्र के जाल में नहीं फँसते I
इस साधारण सी कथा के माध्यम से हमें जो भी ज्ञान मिला कृपया उसे अभ्यास में लेने का प्रयास करे I
🌹🌹राम राम 🌹🌹
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अपने कर्म और कर्तव्य का पालन ही जीवन का सही मार्ग है क्योंकि कर्म करना अकर्मण्यता से हमेशा बेहतर है। कर्तव्य में दोष देखकर पीछे न हटें क्योंकि हर कर्म में कोई न कोई छोटा-बड़ा दोष हो सकता है जैसे अग्नि के ��ाथ धुआँ भी होता है। सदैव कर्म करो, कर्म करने से पहले विचार करो लेकिन बहुत ज्यादा विश्लेषण मत करो।
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राम नवमी एक हिंदू वसंत त्योहार है जो विष्णु के सातवें अवतार राम के जन्मदिन का जश्न मनाता है। हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा में राम का विशेष महत्व है। यह त्योहार अयोध्या में राजा दशरथ और रानी कौशल्या के जन्म के माध्यम से विष्णु के राम अवतार के रूप में अवतरण का जश्न मनाता है।
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