कबीर परमात्मा द्वारा मृत लड़की को जीवित करना
मुस्लिम पीर शेखतकी की शर्त मुर्दे को जीवित करने वाली स्वीकार करते हुए कबीर साहेब जी ने शेखतकी की ६ महीने पूर्व मृत्यु को | प्राप्त बेटी को कब्र से निकाल कर जीवित कर दिया था
सम्मन और नेकी ने अपने गुरुदेव कबीर जी की सेवा के लिए किसी कारण वश अपने बेटे की गर्दन काटनी पड़ गई तो परमेश्वर कबीर जी ने अपने भक्त की कटी हुई गर्दन को वापिस जोड़ दी और कहा-
आओ सेऊ जी मिलो, यह प्रसाद प्रेम।
शीश कटत है चोरों के, साधो के नित क्षेम।।
गरीब, सेऊ धड़ पर शीश चढ़ा, बैठा पंगत मांही। नहीं घरैरा गर्दन पर, औह सेऊ अक नांही।।
ऋग्वेद मंडल नं. 10 सूक्त 161 मंत्र 2, मंडल नं. 9 सूक्त 80 मंत्र 2, सामवेद मंत्र संख्या 822 में भी यहीं प्रमाण है कि परमेश्वर अपने भक्तों की आयु भी बढ़ा देता है।
स्वामी रामानंद जी विष्णु जी की काल्पनिक मूर्ति बनाकर मानसिक पूजा करते थे। एक समय ठाकुर की मूर्ति पर माला डालनी भूल गए। तब कबीर परमात्मा जो कि 5 वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे बोले कि माला की गांठ खोल कर गले में डाल दो स्वामी जी, पूजा खंडित नहीं होगी। तब रामानंद जी जो पर्दे के भीतर मन में पूजा कर रहे थे, कबीर परमात्मा को सबके सामने गले लगा लिया।
गुजरात में जीवा-दत्ता नाम के परमात्मा में आस्थावान भक्त रहते थे जिन्हें तत्वदर्शी सन्त की तलाश थी। उन्होंने एक गमले में सूखी टहनी डाल दी और तय किया कि जिस सन्त के चरण धोने के पश्चात जल से गमले की टहनी हरी हो जाएगी वह सन्त पूर्ण तत्वदर्शी सन्त होगा।
एक दिन कबीर साहेब पहुंचे और उनके चरण धोए। जल से वह टहनी हरी हो गयी।
सिकंदर लोदी को ज्वलन का असाध्य रोग था जिसके लिए वह अनेक वैद्यों व काजियों से परामर्श ले चुका था किन्तु रोग ज्यों का त्यों बना रहा। थक हार कर बादशाह सिकन्दर, राजा वीर सिंह बघेल जो कबीर साहेब के शिष्य थे के कहने पर कबीर साहेब के पास गया। कबीर परमात्मा के आशीर्वाद मात्र से वह ज्वलन का असाध्य रोग ठीक हो गया।
कबीर साहेब जी ने समुद्री तूफ़ान को रोककर अपने भक्त दामोदर सेठ के जहाज़ को समुद्र में डूबने से बचाया। और उस जहाज में उपस्थित वे सभी लोग जो दामोदर सेठ का मजाक उड़ाते थे उन्होंने भी परमेश्वर कबीर की शरण ली
कबीर साहेब द्वारा मृत लड़के कमाल को जीवित करना
सिकंदर लोधी दिल्ली पहुंचा तो उसने काशी में हुए चमत्कार के बारे में अपने धर्म गुरु शेखतकी को बताया तो वह ईर्ष्या की आग में जल उठा। उसने शर्त रख दी कि यदि वह सच में अल्लाह का रसूल है, तो किसी मुर्दे को जीवित कर दे। मै इसे अल्लाह मान लूंगा । कबीर साहेब जी ने यह शर्त स्वीकार कर ली।
संत रामपाल महाराज जी के शिष्यों के द्वारा निकाली गई विशाल शोभायात्रा। यह शोभा यात्रा परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस के अवसर पर निकाला गई थी। कबीर परमेश्वर जी चारों युगों में आते हैं सतयुग में सतसुकृत, त्रेतायुग में मुनींद्र नाम से द्वापरयुग करुणामय नाम से और कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर परमेश्वर (कबीर साहेब) के नाम से प्रकट होते हैं। कबीर साहेब प्रकट दिवस के अवसर पर पूरे भारतवर्ष में 10 आश्रमों में 2, 3, एवं 4 जून 2023 को विशाल भंडारा, रक्तदान एवं दहेज मुक्त आदर्श विवाह का आयोजन किया जा रहा है
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परमात्मा कबीर साहेब जी ने अठारह लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।