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सरल भाषा में यहां समझिए ग्रीन, रेड, ऑरेंज और कंटेनमेंट जोन का मतलब

चैतन्य भारत न्यूज देशभर में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। लेकिन तीसरे चरण के लॉकडाउन में देश के अलग-अलग हिस्सों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में रखकर कुछ छूट दी गई है। इनमें से एक श्रेणी कंटेनमेंट जोन की भी है। कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा सख्ती लागू है। इस लेख के जरिए हम आपको अलग-अलग जोन का मतलब समझाएंगे और यह भी बताएंगे कि जोन किस आधार पर तय किया जाता है। ग्रीन जोन ग्रीन जोन में ऐसे जिलों को रखा गया है जहां या तो अब तक कोरोना वायरस का कोई भी कंफर्म केस सामने नहीं आया है या पिछले 21 दिनों में कोई कंफर्म केस नहीं मिला है है। यानी जो जिले फिलहाल कोरोना से पूरी तरह से मुक्त हैं वह ग्रीन जोन में रखा गया है। देश के कुल 733 जिलों में से 319 जिले फिलहाल ग्रीन जोन में हैं। रेड जोन रेड जोन में वो जिले हैं जहां कोरोना के एक्टिव केस हैं। इस जोन में कोरोना केस की कुल संख्या, कंफर्म केस दोगुनी होने की दर, जिलों से प्राप्त कुल परीक्षण (टेस्टिंग) और निगरानी सुविधा संबंधी जानकारियों को ध्यान में रखा जाता है। देश के 130 जिले रेड जोन में हैं। ऑरेंज जोन इस जोन में वो जिले आते हैं, जिन्हें न तो रेड जोन और न ही ग्रीन जोन में रखा गया है। यानी बचे हुए सभी जिले ऑरेंज जोन में माने जाएंगे। फिलहाल, 284 जिले इस जोन में हैं। कंटेनमेंट जोन रेड, ऑरेंज या ग्रीन जोन जिलों के हिसाब से तय किया गया है, लेकिन कंटेनमेंट जोन इलाकों के हिसाब से तय होता है। यदि अगर किसी कॉलोनी, मोहल्ले या फिर वार्ड में कोरोना का संक्रमण ज्यादा फैल रहा है तो स्थानीय प्रशासन ऐसे इलाकों को कंटेनमेंट जोन की श्रेणी में रख लेता है। कंटेनमेंट जोन रेड या ऑरेंज दोनों में से किसी भी जोन में हो सकते हैं। इस जोन में सबसे ज्यादा सख्ती लागू की जाती है। कंटेनमेंट जोन वाले कुछ इलाकों में खाने-पीने की चीजें, दूध और मेडिकल स्टोर को ही इजाजत दी गई है लेकिन कुछ इलाकों में तो जरा भी छूट नहीं दी जाती, जरूरत की चीजें भी प्रशासन होम डिलीवर करता है। कौन से जिले किस जोन में जाएंगे यह केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेशों को यह छूट दी गई है कि वो कुछ और जिलों को रेड व ऑरेंज जोन के रूप में शामिल कर सकते हैं, लेकिन जो जिले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हिसाब से रेड या ऑरेंज जोन में पहले से रखे गए हैं, उसे सूची से बाहर नहीं किया जा सकता है। Read the full article
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सरल भाषा में यहां समझिए ग्रीन, रेड, ऑरेंज और कंटेनमेंट जोन का मतलब

चैतन्य भारत न्यूज देशभर में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। लेकिन तीसरे चरण के लॉकडाउन में देश के अलग-अलग हिस्सों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में रखकर कुछ छूट दी गई है। इनमें से एक श्रेणी कंटेनमेंट जोन की भी है। कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा सख्ती लागू है। इस लेख के जरिए हम आपको अलग-अलग जोन का मतलब समझाएंगे और यह भी बताएंगे कि जोन किस आधार पर तय किया जाता है। ग्रीन जोन ग्रीन जोन में ऐसे जिलों को रखा गया है जहां या तो अब तक कोरोना वायरस का कोई भी कंफर्म केस सामने नहीं आया है या पिछले 21 दिनों में कोई कंफर्म केस नहीं मिला है है। यानी जो जिले फिलहाल कोरोना से पूरी तरह से मुक्त हैं वह ग्रीन जोन में रखा गया है। देश के कुल 733 जिलों में से 319 जिले फिलहाल ग्रीन जोन में हैं। रेड जोन रेड जोन में वो जिले हैं जहां कोरोना के एक्टिव केस हैं। इस जोन में कोरोना केस की कुल संख्या, कंफर्म केस दोगुनी होने की दर, जिलों से प्राप्त कुल परीक्षण (टेस्टिंग) और निगरानी सुविधा संबंधी जानकारियों को ध्यान में रखा जाता है। देश के 130 जिले रेड जोन में हैं। ऑरेंज जोन इस जोन में वो जिले आते हैं, जिन्हें न तो रेड जोन और न ही ग्रीन जोन में रखा गया है। यानी बचे हुए सभी जिले ऑरेंज जोन में माने जाएंगे। फिलहाल, 284 जिले इस जोन में हैं। कंटेनमेंट जोन रेड, ऑरेंज या ग्रीन जोन जिलों के हिसाब से तय किया गया है, लेकिन कंटेनमेंट जोन इलाकों के हिसाब से तय होता है। यदि अगर किसी कॉलोनी, मोहल्ले या फिर वार्ड में कोरोना का संक्रमण ज्यादा फैल रहा है तो स्थानीय प्रशासन ऐसे इलाकों को कंटेनमेंट जोन की श्रेणी में रख लेता है। कंटेनमेंट जोन रेड या ऑरेंज दोनों में से किसी भी जोन में हो सकते हैं। इस जोन में सबसे ज्यादा सख्ती लागू की जाती है। कंटेनमेंट जोन वाले कुछ इलाकों में खाने-पीने की चीजें, दूध और मेडिकल स्टोर को ही इजाजत दी गई है लेकिन कुछ इलाकों में तो जरा भी छूट नहीं दी जाती, जरूरत की चीजें भी प्रशासन होम डिलीवर करता है। कौन से जिले किस जोन में जाएंगे यह केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेशों को यह छूट दी गई है कि वो कुछ और जिलों को रेड व ऑरेंज जोन के रूप में शामिल कर सकते हैं, लेकिन जो जिले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हिसाब से रेड या ऑरेंज जोन में पहले से रखे गए हैं, उसे सूची से बाहर नहीं किया जा सकता है। Read the full article
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सरल भाषा में यहां समझिए ग्रीन, रेड, ऑरेंज और कंटेनमेंट जोन का मतलब

चैतन्य भारत न्यूज देशभर में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। लेकिन तीसरे चरण के लॉकडाउन में देश के अलग-अलग हिस्सों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में रखकर कुछ छूट दी गई है। इनमें से एक श्रेणी कंटेनमेंट जोन की भी है। कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा सख्ती लागू है। इस लेख के जरिए हम आपको अलग-अलग जोन का मतलब समझाएंगे और यह भी बताएंगे कि जोन किस आधार पर तय किया जाता है। ग्रीन जोन ग्रीन जोन में ऐसे जिलों को रखा गया है जहां या तो अब तक कोरोना वायरस का कोई भी कंफर्म केस सामने नहीं आया है या पिछले 21 दिनों में कोई कंफर्म केस नहीं मिला है है। यानी जो जिले फिलहाल कोरोना से पूरी तरह से मुक्त हैं वह ग्रीन जोन में रखा गया है। देश के कुल 733 जिलों में से 319 जिले फिलहाल ग्रीन जोन में हैं। रेड जोन रेड जोन में वो जिले हैं जहां कोरोना के एक्टिव केस हैं। इस जोन में कोरोना केस की कुल संख्या, कंफर्म केस दोगुनी होने की दर, जिलों से प्राप्त कुल परीक्षण (टेस्टिंग) और निगरानी सुविधा संबंधी जानकारियों को ध्यान में रखा जाता है। देश के 130 जिले रेड जोन में हैं। ऑरेंज जोन इस जोन में वो जिले आते हैं, जिन्हें न तो रेड जोन और न ही ग्रीन जोन में रखा गया है। यानी बचे हुए सभी जिले ऑरेंज जोन में माने जाएंगे। फिलहाल, 284 जिले इस जोन में हैं। कंटेनमेंट जोन रेड, ऑरेंज या ग्रीन जोन जिलों के हिसाब से तय किया गया है, लेकिन कंटेनमेंट जोन इलाकों के हिसाब से तय होता है। यदि अगर किसी कॉलोनी, मोहल्ले या फिर वार्ड में कोरोना का संक्रमण ज्यादा फैल रहा है तो स्थानीय प्रशासन ऐसे इलाकों को कंटेनमेंट जोन की श्रेणी में रख लेता है। कंटेनमेंट जोन रेड या ऑरेंज दोनों में से किसी भी जोन में हो सकते हैं। इस जोन में सबसे ज्यादा सख्ती लागू की जाती है। कंटेनमेंट जोन वाले कुछ इलाकों में खाने-पीने की चीजें, दूध और मेडिकल स्टोर को ही इजाजत दी गई है लेकिन कुछ इलाकों में तो जरा भी छूट नहीं दी जाती, जरूरत की चीजें भी प्रशासन होम डिलीवर करता है। कौन से जिले किस जोन में जाएंगे यह केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेशों को यह छूट दी गई है कि वो कुछ और जिलों को रेड व ऑरेंज जोन के रूप में शामिल कर सकते हैं, लेकिन जो जिले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हिसाब से रेड या ऑरेंज जोन में पहले से रखे गए हैं, उसे सूची से बाहर नहीं किया जा सकता है। Read the full article
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