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valenciahyldgaard02 · 4 months
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गाँव की भाभी पर दिल आ गया- 2 (New Hindi Xxx Bhabhi Chudai)
न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई का मजा मैंने लिया अपने पड़ोस की सेक्सी भाभी को पटाकर! इस आशिकी के चक्कर में मेरी एक बार पिटाई भी हो गयी थी. कहानी के पहले भाग गर्म देसी भाभी से प्यार का इजहार में अपने पढ़ा कि मैंने अपने पड़ोस की एक भाभी को चोदना चाहता था. मैंने भाभी को सेट भी करलिया था और चुदाई की बात भी तय हो चुकी थी. अब आगे न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई:
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अगले दिन भाभी ने मुझे बता दिया कि रात के 10:00 बजे आ जाना। बड़ी बेसब्री से मैंने रात होने का इंतजार किया। रात को 10:00 बजे मैं भाभी के घर की दीवार को फांद कर चुपके से भाभी के कमरे की तरफ जो कि ऊपर था वहां पर पहुंच गया। सावधानी से मैंने दरवाजा खोला। Hindi sex story देखा रचना भाभी बेड पर लेटी हुई थी। जैसे ही हमारी नजरें मिली, भाभी ने एकदम कहा- 2 मिनट बाद आना! मैं 2 मिनट के बाद अंदर गया तो देखा कि भाभी ने घूंघट किया हुआ था और बेड पर बैठी थी। मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी।
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मैं कांपती टांगों से भाभी के बेड पर चला गया. मैंने देखा भाभी ने ब्लैक कलर का पटियाला सलवार सूट पहना हुआ था। भाभी ने अपने हाथों में काले रंग की चूड़ियां से अपनी कलाइयों को भर रखा था। उन्होंने अपने पांव में पाजेब डाल रखी थी। मैं भाभी के पास बैठ गया, भाभी के घूंघट के अंदर झांकने लगा. भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा, मुस्कुराई और अपनी गर्दन नीचे कर ली। तब मैं भाभी के बिल्कुल पास बैठा था। भाभी बोली- देवर जी, मुझे मेरा मुंह दिखाई चाहिए। मेरे पास भाभी को देने के लिए कुछ नहीं था तो मैंने कहा- मेरे पास तो कुछ भी नहीं है देने को! भाभी मुस्कुरा कर बोली- जी, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस आपका प्यार चाहिए.
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इतना कहते ही मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
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मेरा एक हाथ भाभी के के चूतड़ों के पास था। भाभी के मस्त मोटे मोटे चूतड़ों को मेरी उंगलियां छू रही थी। मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया। भाभी के मोटे मोटे उरोज मेरी छाती से लग रहे थे। मैंने एक हाथ भाभी के चूतड़ों पर रख दिया, उन्होंने दबाने लगा. भाभी सीसी करने लगी। मैं भाभी के मोटे मोटे चूतड़ों को सहलाने की बजाय उनको फुटबॉल की तरह दबा रहा था। भाभी को नशा सा हो रहा था- उफ्फ देवर जी … ऐसे ना छेड़ो … आई उफ्फ! वे मेरी बांहों में छटपटा रही थी। इस छटपटाहट में मेरा मोटा तना हुआ लौड़ा भाभी के हाथ से लग रहा था। या यूं कहूं कि भाभी जानबूझ के मेरे लौड़े से खेल रही थी। भाभी बोली- उफ्फ मोटा है देवर जी! नही … मेरी लाडो फट जाएगी। मैंने भाभी के हाथ को पकड़ कर अपने तने हुए लौड़े पे रख दिया। भाभी ने झट से किसी डंडे की तरह मेरे लौड़े को पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके लौड़े को सहलाने लगी।
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मैं जल्द से जल्द भाभी की सलवार खोलना चाहता था।
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भाभी के मोटे और कसे हुए चूतड़ों का कब से दीवाना था मैं! मैंने एक उंगली भाभी के लटकते हुए नाड़े में फंसाई और एक ही झटके में भाभी की काली सलवार का नाड़ा खोल दिया। सलवार अपने आप भाभी की चिकनी चौड़ी फैली हुई गांड से फिसल कर नीचे सरक गई। अब भाभी के सुडौल चूतड़ों पे मात्र काली छोटी सी पैंटी बची थी।
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मैं पागलों की तरह भाभी के मोटे दूधिया या ये कहूं लालिमा लिए हुए पुष्ट कूल्हों को काली कसी हुई पैंटी में निहार रहा था। मैंने कांपते हाथों से भाभी की चिकनी गांड को छुआ तो मेरे हाथ अपने आप फिसल कर नीचे पैंटी से टकरा गए।
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मेरी हालत को देख कर भाभी ने मेरे लन्ड पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी और जोर जोर से उसको सहलाने लगी। मैंने भाभी के कमोज को उतारने के लिए इशारा किया तो भाभी मुस्करा दी और खुद अपना सूट उतार दिया। अब भाभी मात्र काली डिजाइनर ब्रा और पैंटी में थी। मैं भाभी को देख कर पागल सा हो गया था। भाभी का मंगलसूत्र भाभी की 36 साइज की गोरी तनी हुई चूचियों में फंसा हुआ था।
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उन्होंने आज मेरी फरमाइश पर लाल की बजाय काले रंग की चूड़ियां को अपनी कोहनियों तक डाला हुआ था। भाभी की पतली नागिन सी बल खाती हुई कमर पर चांदी की घुंगरुओं वाली तागड़ी थी जो भाभी के थोड़ा सा भी हिलने पर आवाज कर रही थी। नीचे भाभी ने पांवों में पायल पहनी हुई थी। भाभी के आगे रंभा, उर्वशी, मेनका जैसी स्वर्ग लोक को अप्सरा भी फीकी पड़ जाएं भाभी का रूप और यौवन देख कर! उनके चेहरे पे बाल बिखरे हुए थे जिनमें से भाभी का लाल गोरा दमकता हुआ चेहरा चमक रहा था। भाभी ने मेरी तरफ मुस्करा कर देखा और कहा- लाडले देवर जी, देखने से मन भर गया हो तो आ जाओ अपनी लाडली भाभी के पास! मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में अपने तने हुए तंबू को लेकर भाभी के डबल बेड पर भाभी के करीब जाकर भाभी को अपनी बाहों की गिरफ्त में ले लिया। मैंने भाभी के चांद से रोशन चेहरे को देखते हुइ अपने होठों को भाभी के गुलाबी होठों पे रख दिया। भाभी मेरे निचले होठ को अपने होठों में दबा कर चूस रही थी। मेरा एक हाथ भाभी की चिकनी कमर को दबोचे हुए था और एक हाथ पैंटी के ऊपर से भाभी की गोल मांसल गांड पे फेर रहा था। भाभी मस्ती से अपनी गांड को हिला रही थी। कभी मैं, कभी भाभी एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। मैंने एक हाथ भाभी की पैंटी में डाल दिया। पैंटी में हाथ जाते ही मैंने पाया कि भाभी की योनि से काम रस की नदियां बहती हुई प्रतीत हो रही थी। मेरा पूरा हाथ भाभी के काम रस से भीग चुका था। भाभी का चेहरा और आँखें वासना से गुलाबी हो चुके थे। मैंने भाभी की कमर के पीछे हाथ ले जाकर भाभी की काले रंग की ब्रा का हुक खोल दिया। भाभी की ब्रा के खुलते ही दो सफेद कबूतर आजाद हो गए। उनके दोनों चूचे बिलकुल तने हुए थे। मोटे गोरे चूचों पर दो ब्राउन रंग के तने हुए निप्पल थे। मैं जरा भी देर ना करते हुए भाभी की चूचियों को पागलों की तरह चूसने लगा। मैं चूचियों को बदल बदल के चूस रहा था। भाभी पागल सी हो गई थी। रचना भाभी ने मेरे लौड़े को अंडरवियर में हाथ डालकर पकड़ लिया और उसको मुठियाने लग गई। भाभी के लन्ड के मुठियाने और मेरे चूचियों को चूसने के कारण भाभी की चूड़ियों, पायल, कमर में बंधी तागड़ी की आवाज कमरे में म्यूजिक का काम कर रही थी। छन छन की आवाज से कमरे का माहौल और मादक हो गया था। भाभी ने एकदम से मुझे नीचे गिरा लिया और भूखी शेरनी की तरह से मेरे लौड़े को अंडरवियर से आजाद कर दिया और उसपे टूट पड़ी। कभी अपने गोरे गर्म गालों को मेरे लन्ड पे रगड़ती, कभी उसको मुठिया के अपने दोनों चूचों के बीच भरती।
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दो मिनट के बाद भाभी ने मेरे सात इंची लन्ड के टोपे पे अपने गुलाबी हाथ रख दिए। जिसके परिणाम स्वरूप मेरा लन्ड उत्तेजना से प्रीकम उगलने लगा।
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भाभी प्रीकम को अपनी नुकीली जीभ से चाट चाट कर तुरंत साफ करने लगी। उनकी इस हरकत से मैं अपनी कमर को उछलने लगा। भाभी ने अपना पूरा मुंह खोलकर मेरे मोटे लन्ड का स्वागत किया। वे ज्यादा से ज्यादा मेरे लौड़े को मुंह में लेने को कोशिश कर रही थी। कभी टोपे को कभी अंडकोष को मुंह में भरकर चूसने से मेरा लौड़ा अब वीर्य उगलने वाला था। मैंने भाभी को इशारा भी किया कि मेरा वीर्य निकलने वाला है। भाभी बोली- लाडले देवर के यास का टेस्ट करके रहूंगी। आह आजा देवर जी … उगल दो वीर्य! “उफ्फ भाभी आह … सी आई आई” मेरे लन्ड से पिचकारी सीधी भाभी के गले में उतर गई। भाभी ने एक बूंद को भी बाहर नहीं आने दिया; सारा का सारा वीर्य घूंट घूंट कर भाभी अपने गले में उतार गई। वीर्य की दो बूंद उनकी ठोढ़ी पे लगी हुई थी जिससे उनका चेहरा और भी मादक लग रहा था। अब मेरी बारी थी; मैं बेड से नीचे उतरा और भाभी को घोड़ी बना दिया। मैं भाभी के चूतड़ों के पीछे आ गया। भाभी के मोटे चूतड़ों के दोनों पट काफी विशाल थे। उनकी कमर में बंधी चांदी की तागड़ी भाभी की कमर और चूतड़ों को और कामुक बना रही थी। इन विशाल चूतड़ों की सबसे बड़ी खासियत थी उनका गोरापन … और उनके ऊपर एक बड़ा कला सा तिल। भाभी की काली पैंटी उनकी गान्ड की दरार में फंसे होने के कारण पूरी तरह से काम रस में भीगी हुई थी। मैं किसी सांड की तरह अपने मुंह को भाभी की गान्ड के पास ले गया और अपने नाक को बदहवास होकर भाभी के चूतड़ों की गहरी खाई में घिसने लगा। मुझे एक मादक गंध ने मदहोश कर दिया था। मैंने एक झटके में भाभी पैंटी को भाभी के चूतड़ों से अलग कर दिया।
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उनके मोटे चूतड़ों से जैसी ही पैंटी अलग हुई, भाभी की योनि के दर्शन मात्र से मेरा लौड़ा पागल हो गया था। भाभी की योनि के दोनों होठ बहुत मोटे और गुलाबी रंगत लिए हुए थे। योनि के बीचों बीच डेढ़ इंच का एक चीरा था जो गहरा गुलाबी था जिस पर भाभी के योनिरस की बूंदें चमक रही थी। मुझसे अब और इंतजार नहीं हो रहा था। मैं अपने चेहरे को भाभी की चिकनी डबल रोटी जैसी योनि के पास ले गया और किसी कुत्ते की तरह जीभ निकाल कर भाभी के योनि द्वार से छेड़छाड़ करने लगा। मेरी इस हरकत से भाभी सिर से लेकर पांव तक कांप गई। मैं अपनी जीभ से उनके मोटे गोरे मांसल चूतड़ों को चाटने लग गया था। पूरे के पूरे चूतड़ चाट चाट कर लाल बना दिए। मैं घोड़ी बनी भाभी की गान्ड के बीचों बीच अपनी जीभ को फेर रहा था। भाभी की योनि के मोटे होठों को कुरेद कुरेद कर भाभी को उत्तेजित कर रहा था। वे धीरे धीरे अपनी कमर और गांड को हिला रही थी। अब मैंने अपनी पूरी जीभ भाभी की योनि में डाल दी थी। भाभी ज्यादा से ज्यादा अपनी गांड को मेरे मुंह पर धकेल रही थी। मैं उनकी योनि के अंगूर के दाने को अपने दोनों होठों में दबा कर चूस रहा था। भाभी जोर जोर से अपनी गांड को मेरे मुंह पर मार मार कर बड़बड़ा रही थी- आह्ह देवर जी … उफ्फ गई … आह उफ्फ! देवर जी आह … सी आई उफ्फ! गई मैं! ये बोल कर भाभी ने ढेर सारा पानी मेरे मुंह पर छोड़ दिया। मैंने अभी भाभी की रसीली योनि को छोड़ा नहीं था। मैं पागल हो गया था। एक पल भी मैं रचना भाभी को छोड़ना नहीं चाहता था। पांच मिनट योनि चाटने के बाद भाभी फिर से बड़बड़ाने लगी- डाल दे ना मूसल लौड़ा अब … आह्ह्ह डाल दो ना लाडले देवर जी! चोदो ना अभी चुड़ककड़ भाभी को! लव यू देवर जी … चौड़ी कर दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से! मैंने झट से भाभी की कमर को थाम लिया। लन्ड का टोपा भाभी की गोरी और चिकनी चूत पे सेट किया और एक झटके में आधे से ज्यादा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया। मेरे इस प्रकार लन्ड की चोट के लिए भाभी तैयार नहीं थी- उई मां देवर जी … आह्ह हआ धीरे से देवर जी!
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मैंने किसी बात की परवाह नही की बल्कि भाभी की कहराती आवाज ने मुझे हौंसला दिया और जालिम तरीके से भाभी को पेलने लगा। भाभी भी गांड उठा उठा के मेरे लौड़े पर पटकने लगी। वे अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी। भाभी की पहनी गई चूड़ियों, पायल ने कमरे में एक तरह का म्यूजिक चला दिया था। मैं अपनी घोड़ी का घुड़सवार बन गया था। भाभी के मोटे विशाल चूतड़ मेरी जांघों से टकराने पर पूरे कमरे में पटापट की आवाजें आ रहीं थीं। पांच मिनट में घोड़ी बना कर चोदने के बाद भाभी बोली- देवर जी, मुझे भी अब सवारी करने दो। भाभी का मतलब मैं समझ गया और भाभी झट से मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े पर बैठ कर उछलने लगी। पूरा का पूरा लौड़ा भाभी ने अपनी चिकनी चूत के अंदर ले लिया था। “अह्ह देवर जी … आई लव यू! उफ्फ … सीआई!” भाभी पागलों की तरह मेरे लौड़े पर उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरे दोनों हाथ भाभी की गोरी गांड को दबोचे हुए थे। मैं नीचे से भाभी को चोद रहा था और उपर से भाभी अपनी विशाल गांड को पटक रही थी। भाभी के मोटे चूचे हवा में झूल रहे थे। चार मिनट की इस चुदाई के बाद भाभी गर्र गर्र करती ह��ई झड़ गई और मेरे ऊपर ढेर हो गई। मैं अभी फारिग नही हुआ था। मैंने भाभी को मिशनरी पोजीशन में लिया और योनिरस से सने लन्ड को भाभी की चूत में डाल दिया। मैं कमर को उचका कर धक्कों को रफ्तार से भाभी की योनि में लौड़ा अंदर बाहर कर रहा था। मैंने भाभी की हिलती चूचियों को अपने मुंह में जितनी आ सकती थी, उतनी भर लिया। मैं भाभी को चोदने के साथ साथ उनकी मस्त चूचियों का रसपान कर रहा था।
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भाभी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा लौड़ा सटासट अंदर ले रही थी- रज्जा आ आई आआई आई … चोदो मेरे बलम … मेरे सैंया … आई … गई सी …आई उफ्फ श्सह देवर जी चोदो … बना लो अपनी! आह देवर जी, आपके मोटे लौड़े से फाड़ दो मेरी चूत!
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उनके इतना बोलते ही मैं और भाभी दोनों एक साथ झड़ने लग गए। मैं निढाल हो कर भाभी की मस्त चूचियों के ऊपर सिर रख कर भाभी के सीने से चिपक गया. भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। पूरी रात हमने जमकर चुदाई की। इसके बाद जब भी मौका मिलता, मैं और भाभी एक दूसरे से मिलते और सेक्स का मजा लेते. तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली सेक्स स्टोरी? इस न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई के बारे में जरूर मुझे ईमेल पे बताइए। अपनी फैंटेसी शेयर कीजिए। आपका अपना अमित [email protected]
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valenciahyldgaard02 · 4 months
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गाँव की भाभी पर दिल आ गया- 2 (New Hindi Xxx Bhabhi Chudai)
न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई का मजा मैंने लिया अपने पड़ोस की सेक्सी भाभी को पटाकर! इस आशिकी के चक्कर में मेरी एक बार पिटाई भी हो गयी थी. कहानी के पहले भाग गर्म देसी भाभी से प्यार का इजहार में अपने पढ़ा कि मैंने अपने पड़ोस की एक भाभी को चोदना चाहता था. मैंने भाभी को सेट भी करलिया था और चुदाई की बात भी तय हो चुकी थी. अब आगे न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई:
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अगले दिन भाभी ने मुझे बता दिया कि रात के 10:00 बजे आ जाना। बड़ी बेसब्री से मैंने रात होने का इंतजार किया। रात को 10:00 बजे मैं भाभी के घर ���ी दीवार को फांद कर चुपके से भाभी के कमरे की तरफ जो कि ऊपर था वहां पर पहुंच गया। सावधानी से मैंने दरवाजा खोला। Hindi sex story देखा रचना भाभी बेड पर लेटी हुई थी। जैसे ही हमारी नजरें मिली, भाभी ने एकदम कहा- 2 मिनट बाद आना! मैं 2 मिनट के बाद अंदर गया तो देखा कि भाभी ने घूंघट किया हुआ था और बेड पर बैठी थी। मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी।
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मैं कांपती टांगों से भाभी के बेड पर चला गया. मैंने देखा भाभी ने ब्लैक कलर का पटियाला सलवार सूट पहना हुआ था। भाभी ने अपने हाथों में काले रंग की चूड़ियां से अपनी कलाइयों को भर रखा था। उन्होंने अपने पांव में पाजेब डाल रखी थी। मैं भाभी के पास बैठ गया, भाभी के घूंघट के अंदर झांकने लगा. भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा, मुस्कुराई और अपनी गर्दन नीचे कर ली। तब मैं भाभी के बिल्कुल पास बैठा था। भाभी बोली- देवर जी, मुझे मेरा मुंह दिखाई चाहिए। मेरे पास भाभी को देने के लिए कुछ नहीं था तो मैंने कहा- मेरे पास तो कुछ भी नहीं है देने को! भाभी मुस्कुरा कर बोली- जी, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस आपका प्यार चाहिए.
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इतना कहते ही मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
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मेरा एक हाथ भाभी के के चूतड़ों के पास था। भाभी के मस्त मोटे मोटे चूतड़ों को मेरी उंगलियां छू रही थी। मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया। भाभी के मोटे मोटे उरोज मेरी छाती से लग रहे थे। मैंने एक हाथ भाभी के चूतड़ों पर रख दिया, उन्होंने दबाने लगा. भाभी सीसी करने लगी। मैं भाभी के मोटे मोटे चूतड़ों को सहलाने की बजाय उनको फुटबॉल की तरह दबा रहा था। भाभी को नशा सा हो रहा था- उफ्फ देवर जी … ऐसे ना छेड़ो … आई उफ्फ! वे मेरी बांहों में छटपटा रही थी। इस छटपटाहट में मेरा मोटा तना हुआ लौड़ा भाभी के हाथ से लग रहा था। या यूं कहूं कि भाभी जानबूझ के मेरे लौड़े से खेल रही थी। भाभी बोली- उफ्फ मोटा है देवर जी! नही … मेरी लाडो फट जाएगी। मैंने भाभी के हाथ को पकड़ कर अपने तने हुए लौड़े पे रख दिया। भाभी ने झट से किसी डंडे की तरह मेरे लौड़े को पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके लौड़े को सहलाने लगी।
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मैं जल्द से जल्द भाभी की सलवार खोलना चाहता था।
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भाभी के मोटे और कसे हुए चूतड़ों का कब से दीवाना था मैं! मैंने एक उंगली भाभी के लटकते हुए नाड़े में फंसाई और एक ही झटके में भाभी की काली सलवार का नाड़ा खोल दिया। सलवार अपने आप भाभी की चिकनी चौड़ी फैली हुई गांड से फिसल कर नीचे सरक गई। अब भाभी के सुडौल चूतड़ों पे मात्र काली छोटी सी पैंटी बची थी।
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मैं पागलों की तरह भाभी के मोटे दूधिया या ये कहूं लालिमा लिए हुए पुष्ट कूल्हों को काली कसी हुई पैंटी में निहार रहा था। मैंने कांपते हाथों से भाभी की चिकनी गांड को छुआ तो मेरे हाथ अपने आप फिसल कर नीचे पैंटी से टकरा गए।
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मेरी हालत को देख कर भाभी ने मेरे लन्ड पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी और जोर जोर से उसको सहलाने लगी। मैंने भाभी के कमोज को उतारने के लिए इशारा किया तो भाभी मुस्करा दी और खुद अपना सूट उतार दिया। अब भाभी मात्र काली डिजाइनर ब्रा और पैंटी में थी। मैं भाभी को देख कर पागल सा हो गया था। भाभी का मंगलसूत्र भाभी की 36 साइज की गोरी तनी हुई चूचियों में फंसा हुआ था।
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उन्होंने आज मेरी फरमाइश पर लाल की बजाय काले रंग की चूड़ियां को अपनी कोहनियों तक डाला हुआ था। भाभी की पतली नागिन सी बल खाती हुई कमर पर चांदी की घुंगरुओं वाली तागड़ी थी जो भाभी के थोड़ा सा भी हिलने पर आवाज कर रही थी। नीचे भाभी ने पांवों में पायल पहनी हुई थी। भाभी के आगे रंभा, उर्वशी, मेनका जैसी स्वर्ग लोक को अप्सरा भी फीकी पड़ जाएं भाभी का रूप और यौवन देख कर! उनके चेहरे पे बाल बिखरे हुए थे जिनमें से भाभी का लाल गोरा दमकता हुआ चेहरा चमक रहा था। भाभी ने मेरी तरफ मुस्करा कर देखा और कहा- लाडले देवर जी, देखने से मन भर गया हो तो आ जाओ अपनी लाडली भाभी के पास! मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में अपने तने हुए तंबू को लेकर भाभी के डबल बेड पर भाभी के करीब जाकर भाभी को अपनी बाहों की गिरफ्त में ले लिया। मैंने भाभी के चांद से रोशन चेहरे को देखते हुइ अपने होठों को भाभी के गुलाबी होठों पे रख दिया। भाभी मेरे निचले होठ को अपने होठों में दबा कर चूस रही थी। मेरा एक हाथ भाभी की चिकनी कमर को दबोचे हुए था और एक हाथ पैंटी के ऊपर से भाभी की गोल मांसल गांड पे फेर रहा था। भाभी मस्ती से अपनी गांड को हिला रही थी। कभी मैं, कभी भाभी एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। मैंने एक हाथ भाभी की पैंटी में डाल दिया। पैंटी में हाथ जाते ही मैंने पाया कि भाभी की योनि से काम रस की नदियां बहती हुई प्रतीत हो रही थी। मेरा पूरा हाथ भाभी के काम रस से भीग चुका था। भाभी का चेहरा और आँखें वासना से गुलाबी हो चुके थे। मैंने भाभी की कमर के पीछे हाथ ले जाकर भाभी की काले रंग की ब्रा का हुक खोल दिया। भाभी की ब्रा के खुलते ही दो सफेद कबूतर आजाद हो गए। उनके दोनों चूचे बिलकुल तने हुए थे। मोटे गोरे चूचों पर दो ब्राउन रंग के तने हुए निप्पल थे। मैं जरा भी देर ना करते हुए भाभी की चूचियों को पागलों की तरह चूसने लगा। मैं चूचियों को बदल बदल के चूस रहा था। भाभी पागल सी हो गई थी। रचना भाभी ने मेरे लौड़े को अंडरवियर में हाथ डालकर पकड़ लिया और उसको मुठियाने लग गई। भाभी के लन्ड के मुठियाने और मेरे चूचियों को चूसने के कारण भाभी की चूड़ियों, पायल, कमर में बंधी तागड़ी की आवाज कमरे में म्यूजिक का काम कर रही थी। छन छन की आवाज से कमरे का माहौल और मादक हो गया था। भाभी ने एकदम से मुझे नीचे गिरा लिया और भूखी शेरनी की तरह से मेरे लौड़े को अंडरवियर से आजाद कर दिया और उसपे टूट पड़ी। कभी अपने गोरे गर्म गालों को मेरे लन्ड पे रगड़ती, कभी उसको मुठिया के अपने दोनों चूचों के बीच भरती।
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दो मिनट के बाद भाभी ने मेरे सात इंची लन्ड के टोपे पे अपने गुलाबी हाथ रख दिए। जिसके परिणाम स्वरूप मेरा लन्ड उत्तेजना से प्रीकम उगलने लगा।
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भाभी प्रीकम को अपनी नुकीली जीभ से चाट चाट कर तुरंत साफ करने लगी। उनकी इस हरकत से मैं अपनी कमर को उछलने लगा। भाभी ने अपना पूरा मुंह खोलकर मेरे मोटे लन्ड का स्वागत किया। वे ज्यादा से ज्यादा मेरे लौड़े को मुंह में लेने को कोशिश कर रही थी। कभी टोपे को कभी अंडकोष को मुंह में भरकर चूसने से मेरा लौड़ा अब वीर्य उगलने वाला था। मैंने भाभी को इशारा भी किया कि मेरा वीर्य निकलने वाला है। भाभी बोली- लाडले देवर के यास का टेस्ट करके रहूंगी। आह आजा देवर जी … उगल दो वीर्य! “उफ्फ भाभी आह … सी आई आई” मेरे लन्ड से पिचकारी सीधी भाभी के गले में उतर गई। भाभी ने एक बूंद को भी बाहर नहीं आने दिया; सारा का सारा वीर्य घूंट घूंट कर भाभी अपने गले में उतार गई। वीर्य की दो बूंद उनकी ठोढ़ी पे लगी हुई थी जिससे उनका चेहरा और भी मादक लग रहा था। अब मेरी बारी थी; मैं बेड से नीचे उतरा और भाभी को घोड़ी बना दिया। मैं भाभी के चूतड़ों के पीछे आ गया। भाभी के मोटे चूतड़ों के दोनों पट काफी विशाल थे। उनकी कमर में बंधी चांदी की तागड़ी भाभी की कमर और चूतड़ों को और कामुक बना रही थी। इन विशाल चूतड़ों की सबसे बड़ी खासियत थी उनका गोरापन … और उनके ऊपर एक बड़ा कला सा तिल। भाभी की काली पैंटी उनकी गान्ड की दरार में फंसे होने के कारण पूरी तरह से काम रस में भीगी हुई थी। मैं किसी सांड की तरह अपने मुंह को भाभी की गान्ड के पास ले गया और अपने नाक को बदहवास होकर भाभी के चूतड़ों की गहरी खाई में घिसने लगा। मुझे एक मादक गंध ने मदहोश कर दिया था। मैंने एक झटके में भाभी पैंटी को भाभी के चूतड़ों से अलग कर दिया।
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उनके मोटे चूतड़ों से जैसी ही पैंटी अलग हुई, भाभी की योनि के दर्शन मात्र से मेरा लौड़ा पागल हो गया था। भाभी की योनि के दोनों होठ बहुत मोटे और गुलाबी रंगत लिए हुए थे। योनि के बीचों बीच डेढ़ इंच का एक चीरा था जो गहरा गुलाबी था जिस पर भाभी के योनिरस की बूंदें चमक रही थी। मुझसे अब और इंतजार नहीं हो रहा था। मैं अपने चेहरे को भाभी की चिकनी डबल रोटी जैसी योनि के पास ले गया और किसी कुत्ते की तरह जीभ निकाल कर भाभी के योनि द्वार से छेड़छाड़ करने लगा। मेरी इस हरकत से भाभी सिर से लेकर पांव तक कांप गई। मैं अपनी जीभ से उनके मोटे गोरे मांसल चूतड़ों को चाटने लग गया था। पूरे के पूरे चूतड़ चाट चाट कर लाल बना दिए। मैं घोड़ी बनी भाभी की गान्ड के बीचों बीच अपनी जीभ को फेर रहा था। भाभी की योनि के मोटे होठों को कुरेद कुरेद कर भाभी को उत्तेजित कर रहा था। वे धीरे धीरे अपनी कमर और गांड को हिला रही थी। अब मैंने अपनी पूरी जीभ भाभी की योनि में डाल दी थी। भाभी ज्यादा से ज्यादा अपनी गांड को मेरे मुंह पर धकेल रही थी। मैं उनकी योनि के अंगूर के दाने को अपने दोनों होठों में दबा कर चूस रहा था। भाभी जोर जोर से अपनी गांड को मेरे मुंह पर मार मार कर बड़बड़ा रही थी- आह्ह देवर जी … उफ्फ गई … आह उफ्फ! देवर जी आह … सी आई उफ्फ! गई मैं! ये बोल कर भाभी ने ढेर सारा पानी मेरे मुंह पर छोड़ दिया। मैंने अभी भाभी की रसीली योनि को छोड़ा नहीं था। मैं पागल हो गया था। एक पल भी मैं रचना भाभी को छोड़ना नहीं चाहता था। पांच मिनट योनि चाटने के बाद भाभी फिर से बड़बड़ाने लगी- डाल दे ना मूसल लौड़ा अब … आह्ह्ह डाल दो ना लाडले देवर जी! चोदो ना अभी चुड़ककड़ भाभी को! लव यू देवर जी … चौड़ी कर दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से! मैंने झट से भाभी की कमर को थाम लिया। लन्ड का टोपा भाभी की गोरी और चिकनी चूत पे सेट किया और एक झटके में आधे से ज्यादा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया। मेरे इस प्रकार लन्ड की चोट के लिए भाभी तैयार नहीं थी- उई मां देवर जी … आह्ह हआ धीरे से देवर जी!
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मैंने किसी बात की परवाह नही की बल्कि भाभी की कहराती आवाज ने मुझे हौंसला दिया और जालिम तरीके से भाभी को पेलने लगा। भाभी भी गांड उठा उठा के मेरे लौड़े पर पटकने लगी। वे अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी। भाभी की पहनी गई चूड़ियों, पायल ने कमरे में एक तरह का म्यूजिक चला दिया था। मैं अपनी घोड़ी का घुड़सवार बन गया था। भाभी के मोटे विशाल चूतड़ मेरी जांघों से टकराने पर पूरे कमरे में पटापट की आवाजें आ रहीं थीं। पांच मिनट में घोड़ी बना कर चोदने के बाद भाभी बोली- देवर जी, मुझे भी अब सवारी करने दो। भाभी का मतलब मैं समझ गया और भाभी झट से मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े पर बैठ कर उछलने लगी। पूरा का पूरा लौड़ा भाभी ने अपनी चिकनी चूत के अंदर ले लिया था। “अह्ह देवर जी … आई लव यू! उफ्फ … सीआई!” भाभी पागलों की तरह मेरे लौड़े पर उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरे दोनों हाथ भाभी की गोरी गांड को दबोचे हुए थे। मैं नीचे से भाभी को चोद रहा था और उपर से भाभी अपनी विशाल गांड को पटक रही थी। भाभी के मोटे चूचे हवा में झूल रहे थे। चार मिनट की इस चुदाई के बाद भाभी गर्र गर्र करती हुई झड़ गई और मेरे ऊपर ढेर हो गई। मैं अभी फारिग नही हुआ था। मैंने भाभी को मिशनरी पोजीशन में लिया और योनिरस से सने लन्ड को भाभी की चूत में डाल दिया। मैं कमर को उचका कर धक्कों को रफ्तार से भाभी की योनि में लौड़ा अंदर बाहर कर रहा था। मैंने भाभी की हिलती चूचियों को अपने मुंह में जितनी आ सकती थी, उतनी भर लिया। मैं भाभी को चोदने के साथ साथ उनकी मस्त चूचियों का रसपान कर रहा था।
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भाभी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा लौड़ा सटासट अंदर ले रही थी- रज्जा आ आई आआई आई … चोदो मेरे बलम … मेरे सैंया … आई … गई सी …आई उफ्फ श्सह देवर जी चोदो … बना लो अपनी! आह देवर जी, आपके मोटे लौड़े से फाड़ दो मेरी चूत!
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उनके इतना बोलते ही मैं और भाभी दोनों एक साथ झड़ने लग गए। मैं निढाल हो कर भाभी की मस्त चूचियों के ऊपर सिर रख कर भाभी के सीने से चिपक गया. भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। पूरी रात हमने जमकर चुदाई की। इसके बाद जब भी मौका मिलता, मैं और भाभी एक दूसरे से मिलते और सेक्स का मजा लेते. तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली सेक्स स्टोरी? इस न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई के बारे में जरूर मुझे ईमेल पे बताइए। अपनी फैंटेसी शेयर कीजिए। आपका अपना अमित [email protected]
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