वो मेरे लिए मारा गया, गाड़ा गया और तीसरे दिन फिर जी उठा।
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*MORNING MANNA HINDI*
*MAY 7, 2022*
*सुबह का मन्ना*
*7 मई, 2022*
*तू अपना मूंह पसार*
"तेरा परमेश्वर यहोवा मैं हूँ जो तुझे मिस्र देश से निकाल लाया है तू अपना मुँह पसार मैं उसे भर दूंगा" *(भजन 81:10)*
यहां पर भजन लिखनेवाला स्पष्ट रूप से अपना मुँह खोलकर प्रार्थना करना और परमेश्वर की आराधना करने की धन्यता के बारे में बताता है, जो हमें मिस्र देश से निकाल लाया है। दूसरे शब्दों में यदि हमारा मुंह बंद होगा तो यह संकेत करता है कि हम मिस्र देश में बंधे हुए हैं। जो परमेश्वर की स्तुति करके प्रार्थना करके और परमेश्वर की प्रशंसा करने के लिए अपने हृदय और मुंह को खोलते हैं वे मिस्र की बंधुआई पाप से छुटकारा प��एंगे।
"मेरी प्रजा ने मेरी ना सुनी, इस्राएल ने मुझको न चाहा इसीलिए मैंने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दिया कि वह अपनी ही युक्तियों के अनुसार चले" (वचन 11,12) जैसे हजारों वर्षों के पूर्व हुआ। उसी प्रकार अभी भी इस विषय में अर्थात अपने ह्रदय और मुंह को खोलकर परमेश्वर से प्रार्थना करने और आराधना करने के लिए मुंह खोलने की आज्ञा का कुछ लोग पालन नहीं करते। जिन लोगों ने अपना मुंह नहीं खोला उन्हें क्या हुआ? परमेश्वर ने उन्हें मन के हट पर छोड़ दिया कि वे अपनी ही युक्तियों के अनुसार चलें। यदि हम परमेश्वर के लिए अपना हृदय खोलने को तैयार न होंगे तो हम परमेश्वर की इच्छा नहीं कर पाएंगे।
"यदि मेरी प्रजा मेरी सुने यदि इस्राएल मेरे मार्गों पर चले तो मैं क्षण भर में उनके शत्रुओं को दबाऊ और अपना हाथ उनके द्रोहियों के विरूद्ध चलाऊं" (वचन 13,14) मुंह खोलकर परमेश्वर की स्तुति और प्रार्थना की आज्ञा मानने में और एक आशीष यह है कि हम अपने शत्रुओं को परमेश्वर के द्वारा दबाया हुआ पाएंगे। साथ ही साथ "जब किसी का चाल चलन यहोवा को भावता है तब वह उसके शत्रुओं का भी उससे मेल कराता है" *(नीति. 16:11)*
"और वे उनको उत्तम से उत्तम गेहूं खिलाता और मैं चट्टान में के मधु में से उसको तृप्त करूँ" (वचन 16) हृदय और मुंह खोलकर परमेश्वर की स्तुति और महिमा करने में कितनी धन्यता है हम उत्तम से उत्तम गेहूं पाते हैं। सर्वोत्तम आत्मिक भोजन और चट्टान में का मधु। यद्यपि चट्टान इस पृथ्वी की कठोरतम वस्तु है, तो भी मधु इस संसार में सबसे मधुर वस्तु है। जैसे जैसे हम सबसे कठोर और कठिन रास्तों चट्टान से गुजरेंगे, परमेश्वर उनहे सबसे मधुर अनुभव मधु होकर बदल देगा। ऐसा है तो परमेश्वर की प्रार्थना करने और स्तुति करने के लिए क्यों ना हम अपने हृदय और मुंह को खोले ताकि वह हमें अपने सर्वोत्तम के साथ भर दे?
*सुबह का मन्ना*
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