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yogainhindi · 8 years
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Surya Namaskar Yoga in Hindi: सूर्य नमस्कार आसन
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सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। 'सूर्य नमस्कार' स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास बारह स्थितियों में किया जाता है, जो निम्नलिखित है-
(1) दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों। नेत्र बंद करें। ध्यान 'आज्ञा चक्र' पर केंद्रित करके 'सूर्य भगवान' का आह्वान 'ॐ मित्राय नमः' मंत्र के द्वारा करें।
(2) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर केन्द्रित करें।
(3) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे 'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।
(4) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र' पर ले जाएँ। मुखाकृति सामान्य रखें।
(5) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।
(6) श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दण्डवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर लगा दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास छोड़ दें। ध्यान को 'अनाहत चक्र' पर टिका दें। श्वास की गति सामान्य करें।
सूर्यनमस्कार व श्वासोच्छवास (7) इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। मूलाधार को खींचकर वहीं ध्यान को टिका दें।
(8) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।
(9) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र' पर ले जाएँ। मुखाकृति सामान्य रखें।
(10) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे 'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।
(11) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर केन्द्रित करें।
(12) यह स्थिति - पहली स्थिति की भाँति रहेगी।
सूर्य नमस्कार की उपरोक्त बारह स्थितियाँ हमारे शरीर को संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं। यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है। इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर होकर उनमें सबलता आ जाती है। गर्दन, फेफड़े तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो जाती हैं, शरीर की फालतू चर्बी कम होकर शरीर हल्��ा-फुल्का हो जाता है।
सूर्य नमस्कार के द्वारा त्वचा रोग समाप्त हो जाते हैं अथवा इनके होने की संभावना समाप्त हो जाती है। इस अभ्यास से कब्ज आदि उदर रोग समाप्त हो जाते हैं और पाचनतंत्र की क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है। इस अभ्यास के द्वारा हमारे शरीर की छोटी-बड़ी सभी नस-नाड़ियां क्रियाशील हो जाती हैं, इसलिए आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियां सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं।
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yogainhindi · 8 years
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Lotus Position Padmasana Yoga in Hindi: पद्मासन योग आसन
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पद्मासन योग (Lotus Position, Padmasana Yoga) - आसन संस्कृत भाषा में *पद्म * से तात्पर्य कमल से है। यह आसन एक पारंपरिक मुद्रा है। इस आसन में, शारीरिक गतिविधि को न्युनतम कर लिया जाता है।
तकनीक
जमीन पर बैठ जायें।
दाहिने पैर को मोड़ लें और दाहिने पंजे को बायें पैर जाँघ पर नितम्बों के समीप रखें। दाहिने पैर की एड़ी से पेट के बायें भाग पर दबाव बनना चाहिउए।
दाहिने पैर को मोड़ लें और दाहिने पंजे को बायें पैर जाँघ पर नितम्बों के समीप रखें। दाहिने पैर की एड़ी से पेट के बायें भाग पर दबाव बनना चाहिउए।
हाथों को घुटनों पर ज्ञानमुद्रा में रख लें।
रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। सामान्य रूप से सास लें।
लाभ
पद्मासन मानसिक शांति और संयम देता है।
यह कोकिक्स और सैक्रल क्षेत्र को अधिक रक्त देकर सुदृढ़ करता है।
यह पाचन प्रणाली को मजबूत बनाकर कब्ज में आराम देता है।
यह एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाता है।
यह साँस की तकलीफ से ग्रस्त व्यक्तियों को मदद करता है।
यह पंजों में अधिक पसीना आना, दुर्गंध और गर्म/ठंड संवेदना जैसे समस्याओं को ठीक करने में उपयोगी है।
सावधानी
जिन व्यक्तियों को घुटनों के दर्द की समस्या हो उन्हें यह अभ्यास नहीं करना चाहियैं।
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yogainhindi · 8 years
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Mayurasana Yoga in Hindi: मयुरासन योग आसन
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मयुरासन योग आसन (Mayurasana Yoga) - मयूर का अर्थ है मोर। इस आसन में,शरीर मोर का आकार लेता है।
तकनीक
वज्रासन में बैठ जायें। घुटनों को खोलें घुटनों को जमीन पर टिका कर झुकें।
आगे की ताफ झुक जायें,अपने हाथ के अंगुलियों को बाहर की तरफ खींचते हुए हथेली जमीन पर रखें और अंगुलियाँ पंजों के तरफ रहेंगी।
दोनो अग्रबाहुओं को एक साथ लगाकर कोहनियों को मोड़े। कोहनियों को नाभि के दोन��� तरफ लगायें सीना ऊपरी बाँह के पीछे रहेगा।
दोनो पैरों में तनाव लायें; दोनो पैरों को एक साथ करते हुए धीरे धीरे सावधानी पूर्वक आगे आयें।
शरीर के भार हाथ और कलाईयों पर डालते हुए, पैरों को जमीन से उठायें।
सिर और धड़ को आगे की तरफ ले जाएं।
सुविधाजनक समय तक इस मुद्रा को बनायें रखें। अन्तिम स्थिति में शरीर दोनो पैरों को एक साथ ताने हुए जमीन के समनांतर हो जाता है।
सिर को नीचे ले जाते हुए पीछे आयें; घुटनों को जमीन पर रखें फिर पैरों को रखें।
लाभ
इस आसन के अभ्यास से अपच, कब्ज और वायु विकार में आराम होता है। यह पेट के बीमारियों को दूर करने में उपयोगी है।
यह दृष्टिदोष के ईलाज में उपयोगी है।
यह हाथ और भुजाओं को मजबुती देता है।
यह फेफड़ों के लिये भी लाभकारी है।
यह मधुमेह का ईलाज भी करता है।
सावधानी
जिन्हें हार्नियाँ और पेट सम्बन्धी चोट हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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MandukasanaYoga in Hindi: उत्तानमण्डुकासन योग आसन
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उत्तानमण्डुकासन योग आसन (MandukasanaYoga) - “उत्तान” का अर्थ है सीधा और “मण्डुक” का अर्थ है मेढ़क। उत्तानमण्डुकासन में अन्तिम स्थिति एक सीधे मेढ़क जैसी लगती है, इसलिये इसका यह नाम पड़ा है। मण्डुकासन में, सिर कोहनियों द्वारा पकड़ा हुआ होता है।
तकनीक
वज्रासन में बैठ जायें।
दोनो घुटनों चैड़ाई में फैलायें और पंजो को एक साथ रहनें दें।
अपने दाहिने भूजा को उठायें, मोड़े और उसे पीछे ले जायें और दाहिने कंधे से हथेली को बायें कंधे पर रखें।
अब, इसी प्रकार बायें भुजा को मोड़ें और हथेली को दाहिने कंधे पर रखें।
मुद्रा को बनाये रखें। वापस आते समय, धीरे धीरे बाये हाथ को उठाये फिर दाहिने हाथ को; घुटनों को पूर्ववत स्थिति में वापस ले आयें।
लाभ
यह आसन पीठ दर्द और गर्दन के दर्द में उपयोगी है।
यह डायफ्राम के गति को विकसित करता है।
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yogainhindi · 8 years
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Bhekasana Yoga in Hindi: मण्डुकासन योग आसन
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मण्डुकासन योग आसन (Bhekasana Yoga) - मण्डुक का अर्थ है मेंढ़क। इस मुद्रा के अन्तिम स्थिति में शरीर मेंढ़क का रूप ले लेता है; इसलिये इसका नाम पड़ा है।
तकनीक
वज्रासन में बैठ जायें।
अंगूठे को अंदर करके मुट्ठी बाँधें। मुट्ठी को नाभि के पास रखें और उनपर दबाव डालें।
धीरे धीरे साँस छोड़ते हुए, कमर से आगे की तरफ झूकें; सीने को नीचें लाये ताकि जाँघ पर आ सकें।
सिर और गर्दन को ऊपर उठायें; दृष्टि को सीधा रखें।
आरामदेह स्थिति तक रहने तक मुद्रा बनाये रखें।
धीरे धीरे वज्रासन में वापस आ जायें और आराम करें।
लाभ
यह आसन पेट की बीमरियों और निकले हुए पेट के लिये लाभकारी है।
यह अपच और कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
यह पेट के जहरीले गैस को निकालता है और उदर वायु को दूर करता है।
सावधानी
जिन व्यक्तियों को पीठ दर्द रहता है उन्हें इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Yogasana Yoga in Hindi: योगासन योग आसन
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योगासन योग आसन (Yogasana Yoga) - इस आसन के लिये, “प्राणायाम बहुत आवश्यक है”, इसलिये इसे योगासन कहते हैं। इस आसन को करते हुए कुम्भक करना चाहिये।
तकनीक
पद्मासन में बैठिये।
दोनो हाथों को पीछे ले जायें, शरीर को सीधा खिंचते हुए दाहिने कलाई को बायें हाथ से पकड़ लें।
धीरे धीरे शरीर को आगे की तरफ झुकाते हुए थोड़ी को जमीन पर टिकायें।
दृष्टु को स्थिर बनाये रखें। कुछ समय तक रुकने के बाद धीरे मूल स्थिति में वापस लौट जायें।
लाभ
यह पाचन को सुदृढ़ करता है और कब्ज को दूर करता है।
शरीर में चमक पैदा होती है।
यह अभ्यास एकाग्रता विकसित करने में लाभकारी है।
इस आसन के अभ्यास से श्वसन सम्बन्धी बीमारी प्रबंधित की जा सकती है।
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yogainhindi · 8 years
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Ardha Matsyendrasana Yoga in Hindi: अर्धमत्स्येंद्रासन योग आसन
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अर्धमत्स्येंद्रासन योग आसन (Ardha Matsyendrasana Yoga) - अर्धमत्स्येंद्रासन का नाम महान योगी मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर पड़ा। प्रारंभिक स्थिति में इस आसन को पूर्ण रूप से कर पाना मुश्किल होता है। इसलिये इसको रूपांतरित किया गया। इस रूपांतरित रूप को अर्धमत्स्येंद्रासन कहते हैं।
तकनीक
जमीन पर बैठ जायें। बायें पैर को मोड़ें जिससे एडि़याँ नितम्ब के बगल को छू रही हों।
दाहिने पंजे को जमीन पर बायें घुटने के पास रखें।
बायें हाथ को दाहिने घुटने के पास रखें और बायें हाथ से दाइने पैर की अंगुलियों को पकड़ लें।
दाहिने हाथ को ���मर की तरफ से पीठ के पीछे लेकार पीछे से नाभि को छूने की कोशिश करें।
अपने सिर को दाहिने तरफ घुमाकर पीछे देखने की कोशिश करें।
दूसरे तरफ से दोहरायें।
लाभ
यह आसन एड्रिनल ग्रंथि, गूर्दे, जिगर और तिल्ली के लिये लाभकारी है।
यह कब्ज, दमा, अपच और मोटापे को दूर करने में मदद करता है।
यह रीढ़ और पीठ की पेशी को मजबूती और लचीलापन प्रदान करता है।
यह झुकते हुए कंधों, पीठ का टेढ़ापन और मुद्रा की गड़बड़ी को ठीक करता है।
यह कंधों, कुल्हों और गर्दन में खिंचाव और मजबूती लाता है।
यह मधुमेह के रोगियों के लिये लाभकारी है।
सावधानी
जिनकी पीठ में अकड़न हो उन्हें यह आसन सावधानी से करनी चाहिये। गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Simhasana Yoga in Hindi: सिंहासन योग आसन
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सिंहासन योग आसन (Simhasana Yoga) - यह मुद्रा सिम्हासन के नाम से जाना जाता है क्योंकि जीभ निकालने से चेहरा किसी गरजते हुए क्रोधी शेर जैसा दिखने लगता है। संस्कृत में ßसिम्हß का अर्थ ßशेरß होता हैS] इसीलिये इसका नाम पड़ा।
तकनीक
दोनो एडि़यों को स्क्रोट्रम के नीचे विपरीत दिशाओं मे (जैसे बायें एड़ी को दाहिने ओर और दायें एड़ी को बायें ओर) रखें और ऊपर की तरफ घुम जायें।
पिंड्ली के सामने के सिरे को और हाथों को जमीन पर रखें। मूँह को खुला रखें। जालन्धर बंध लगायें और दृष्टि को नाक के सिरे पर लगायें।
यह सिम्हासन है।
लाभ
यह आसन सामान्य तौर सभी पेशियों में खिंचाव ला देता है और खास तौर पर गर्दन और चेहरे के पेशियों पर।
यह आँखों और गले के लिये अच्छा व्यायाम है।
यह पेट की पेशियों के लिये अच्छा व्यायाम है।
यह रक्त परिसंचरण को सुदृढ़ करता है।
यह आवाज सम्बन्धी समस्या में लाभकारी है।
यह थायराईड के क्रियाकलाप को नियंत्रित करता है।
सावधानी
घुटनों या कुल्हों के अर्थराईटिस के मरीज] तेज पीठ दर्द और संतुलन में कमी होने पर यह आसन नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Gomukhasana Yoga in Hindi: गोमुखासन योग आसन
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गोमुखासन योग आसन (Gomukhasana Yoga) - संस्कृत भाषा में “ गोमुख“ का अर्थ होता है गाय का मूँह। इस आसन में, पैरों की स्थिति गाय के मूँह जैसे हो जाती है। इसलिये इसे गोमुखासन नाम से जाना जाता है।
तकनीक
सीधे बैठ जायें, दोनो पैरों को सामने सीधा फैलायें। दोनो हाथों को अगल बगल रखें हथेली को जमीन पर रखें, और अंगुलियों को सामने के तरफ करें।
बायें पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाहिने पैर के नितम्ब के पास रख दें।
इसी प्रकार दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए; बायें पैर के ऊपर लाते हुए दाहिने एड़ी को बायें नितम्ब पर रख दें।
बायें हाथ को ऊपर उठायें, कोहनी से मोड़ें और उसे पीठ की तरफ कंधे से नीचे ले जायें।
दाहिना हाथ उठायें, कोहनी से मोड़ें और पीठ की तरफ ऊपर ले जायें।
पीठ के पीछे दोनो अंगुलियों को आपस में फंसा लें।
अप सर को कोहनी के विपरीत जितना हो सके पीछे जितना संभव हो सके ले जाने का प्रयास करें।
जब तक आसानी से रह सकें इसी मुद्रा में रूकें और मूल स्थिति में वापस आ जायें।
पैरो और हाथों की स्थिति को बदलकर इस अभ्यास को दोहरायें।
लाभ
इस आसन के अभ्यास से पीठ और द्विशिर पेशी (बाईसेप्स) की पेशियों को मजबूती मिलती है।
यह कुल्हे और निछले हिस्से के दर्द को मिटाता है।
यह रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने में मदद करता है।
यह आसन अर्थराईटिस और सूखे बवासीर में बहुत उपयोगी है।
सावधानी
जिन्हें रक्त बवा़सीर हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Siddhasana Yoga in Hindi: सिद्धासन योग आसन
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सिद्धासन योग आसन (Siddhasana Yoga) - साधना के लिये सभी हठयोग के ग्रंथों में सिद्धासन को स्वीकृत किया गया है। संस्कृत में सिद्ध का अर्थ है प्राप्तए पूर्णए पहुँच जानाए पा लेना। यह कहा गया है कि सिद्धासन बोध की प्राप्ति की तरफ ले जाता है जो कि हठसाधना का परम उद्देश्य हैए इसी इसे इसका नाम पड़ा है।
तकनीक
जमीन पर बैठ जायेंय बायें पैर के एड़ी को गुदा द्वार के सामने रखें और दाहिये पंजे को शिवानिनादी या चित्रक्यानादि के साथ अंडकोष के अन्दर रखें।
दोनो पैरों के पंजे जाँघों और पिण्डलियों के बीच में रहने चाहिये।
हाथों को सम्बन्धित घुटनों पर ज्ञानमुद्रा में रखें।
इस मुद्रा में बैठने के दौरान रीढ़ की हड्डी और पूरा शरीर बिल्कुल सीधा होना चाहिये।
अपनी दृष्टि को इन पाँच बिंदुओंध्तरीकों पर किसी एक पर लगायें- भ्रुमध्य ,भौंह के बीच मेंद्धए समद्रष्टि ,सीधेद्धए नासिकाग्र ,नाक के सिरे परद्धए अर्धोन्मेष ,पलके आधी खुली हुईंद्धए नेत्र बंद ,पलकें पूर्ण बंदद्ध।
लाभ
इस आसन के अभ्यास से विषय भोग की जाँच हो जाती है और ब्रम्हचर्य मिलता है।
यह आसन मानसिक अनुशासन प्रदान करता हैय सुषुम्ना नाड़ी में प्राण के रास्ते को निश्चित करता है और कुंडालिनी जगाने में मदद करता है।
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yogainhindi · 8 years
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Vajrasana Yoga in Hindi: वज्रासन योग आसन
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वज्रासन योग आसन (Vajrasana Yoga) - इसे साधनात्मक मुद्रा भी कह सकते हैं। साधना के लिये अभ्यास करने पर अंतिम स्थिति में व्यक्ति की आँखें बंद हो जाती हैं।
तकनीक
दोनो पैरों को एक साथ फैलाकर बैठें हाथों को शरीर के बगल में लगायें , हथेली जमीन रहें और अंगुलियों आगे की दिशा में।
दाहिने पैर को घुटनों से मोड़ें और दाहिने नितम्ब के अन्दर दाहिने पंजे को रखें।
इसी प्रकार बायें पैर को मोड़ते हुए बायें पंजे को बायें नितम्ब के अन्दर रख लें।
दोनो एडि़यों को इस प्रकार जमायें कि अंगुठे एक दूसरे पर चढ़ जायें।
नितम्ब को एडि़यों के बीच के स्थान में स्थित करें।
हाथों को सम्बन्धित घुटनों पर रखें।
रीढ़ की हड्डी सीधी रखें, सामने दृष्टि लगायें या आँखें बंद कर लें।
मूल स्थिति में लौटते समय, थोड़ा सा आगे क�� तरफ झुक जायें, बायें पैर को बाहर निकाल कर फैला लें।
इसी प्रकार दाहिने पैर को फैलाते हुए मूल स्थिति में लौट आयें।
लाभ
यह आसन जाँधों और टखनों की पेशी को मजबूत करता है।
यह आसन पाचन प्रणाली के लिये अच्छा होता है।
यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत आधार देता है और सीधा रखता है।
सावधानी
बवासीर के मरीज को यह आसन नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Ustrasana Yoga in Hindi: ऊष्ट्रासन योग आसन
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ऊष्ट्रासन योग आसन (Ustrasana Yoga) - “ऊष्ट्र” का अर्थ होता है ऊँट। इस मुद्रा में शरीर एक ऊँट का आकार ले लेता है, इसलिये इसका नाम पड़ा है।
तकनीक
जमीन पर घुटनों के बल आ जायें। अपने जाँघों और पंजो को एक साथ रखें, पंजे पीछे की तरफ रहे और जमीन पर टिकाये रहें।
घुटनों और पंजों को एक फुट की दूरी पर चैड़ा करें और घुटनों पर खड़े हो जायें।
साँस लेते समय पीठ पीछे झुकायें। पीछे झुकते समय गर्दन को अ़चकाये नहीं।
साँस छोड़ते हुए दाहिने हथेली को दाहिने एड़ी पर रखें और बायें हथेली को बायें एड़ी पर।
अन्तिम स्थिति में, जाँघ फर्श पर लम्बवत होना चाहिये और सिर पीछे की तरफ झुके रहेगा।
इस आसन का अभ्यास सर्वांगासन के बाद विपरीत मुद्रा के रूप में सर्वांगासन के लाभ को बढ़ाने के लिये किया जाता है।
लाभ
ऊष्ट्रासन दृष्टिदोष में बहुत लाभकारी है।
यह पीठ दर्द और गर्दन के दर्द में बहुत लाभकारी है।
यह पेट के वसा को कम करने में मदद करता है।
यह पाचन प्रणाली की समस्या में उपयोगी है।
सावधानी
उच्च रक्त चाप, हृदय की बीमारी, हार्निया के मरीज को ये आसन नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Trikonasana Yoga in Hindi: त्रिकोणासन योग आसन
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त्रिकोणासन योग आसन (Trikonasana Yoga) - त्रिकोणासन (ट्रायेगुलर पॉश्चर) त्रिकोण का अर्थ तिकोन होता है। इस आसन में, शरीर तिकोना आकार बनाने लगता है, इसलिये इसका नाम त्रिकोणासन है।
तकनीक
दोनो पैरो को एक साथ सीधा करके खड़े हो जायें , हाथों को जाँघों के बगल में रखें।
फिर पंजों को 2 -3 फीट अलग कर लें और भुजाओं को फैलाते हुए कंधों के स्तर तक ले आयें।
धीरे धीरे साँस लें, अपने दाहिने हाथ को सर के ऊपर ऐसे ले जायें, जिससे कि वह कान को छूता रहे।
अब, धीरे धीरे साँच छोड़ते हुए, अपने आपको बायें तरफ झुकायें। अपने घुटने न मोड़े न ही अपने हाथ को कान से अलग करें। अंतिम स्थिति में आपका दायाँ हाथ जमीन के समनांतर लगने लगेगा और आपका बायां हाथ बाये पैर के साथ रहेगा लेकिन उसपर टिकेगा नहीं।
अंतिम स्थिति को सामान्य रूप से साँस लेते हुए बनायें रखें।
साँस लेते समय, धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आयें।
इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ भी दोहरायें।
लाभ
इस आसन के अभ्यास से पीठ दर्द में आराम मिलता है और कुल्हे मजबूत होते हैं।
शरीर हल्का हो जाता है। फेफड़ों की बीमारियाँ और त्वचा के फोड़े और मुहाँसे ठीक होते हैं।
इस आसन की यह भी विशेषता है कि यह बढ़ते हुए बच्चों की लम्बाई बढ़ने में भी मदद करता है।
धीरे धीरे अभ्यास करने पर यह आसन सायटिका के मरीज के लिये भी लाभकारी होता है।
सावधानी
तेज पीठ दर्द में इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Sirsasana Yoga in Hindi: शीर्षासन योग आसन
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शीर्षासन योग आसन (Sirsasana Yoga) - शीर्ष का अर्थ है सिर। इस आसन में व्यक्ति सिर के बल खड़ा होता है, इसलिये यह शीर्षासन कहलाता है।
तकनीक
फर्श पर एक मोड़े हुए कपड़े को रखें और उसके पास झुक जायें।
अंगुलियों को कसकर आपस में फँसाकर हथेली को एक कप का आकार दें और उन्हें मोड़े हुए कपड़े पर रख दें।
सिर को कपड़े पर ऐसे रखें कि सिर का शीर्ष भाग हथेलियों को छू रहा हो।
पंजो को सिर की तरफ खींचते हुए घुटनों को फर्स से उठायें। अराम से फर्श से झुलते हुए मुड़े हो घुटनों के साथ पैरों को फर्श से ऊपर कर लें।
जब शरीर इस स्थिति में संतुलित हो जाये, धीरे धीरे आराम से पैरों को सीधा करें। संतुलन बनाये बिना अचानक पैर उठा लेने से गिरने का डर रहता है। इस आसन में संतुलन बनाने में थोड़ा समय लगता है।
सामथ्र्य के अनुसार इस मुद्रा में बने रहें। विपरीत दिशा में घुटनों को मोड़ते हुए और फर्श उन्हें लगाते हुए वापस आ जायें।
लाभ
यह सिर की तरफ रक्त परिसंचरण करता है, इसप्रकार स्मरण शक्ति बढ़ती है।
यह आसन तंत्रिका तंत्र और एंड्रोकाईन ग्रंथि को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।
यह आसन पाचन तंत्र के लिये उपयोगी होता है।
यह गले की अकड़न, जिगर और तिल्ली की बीमारी में उपयोगी है।
यह पियुष और पिनियल ग्रंथि के क्रियाकलाप को मजबूत करता है।
सावधानी
जिन्हे उच्च रक्त चाप, पुराना जुकाम, कान बहना, हृदय की बीमारी और सर्विकल स्पंडोलाईटिस हो उन्हें यह अभ्यास नहीं करना चाहिये।
शुरू में इसका अभ्यास बहुत कम समय के लिये करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Shashankasana Yoga in Hindi: शशांकासन योग आसन
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शशांकासन योग आसन (Shashankasana Yoga) - शशांक का अर्थ है खरगोश। इस मुद्रा में खरगोश का रूप ले लेता है, इसलिये इसका यह नाम पड़ा है।
तकनीक
वज्रासन में बैठ जायें। रीढ़ की हड्डी सीधे रखें।
दोनो घुटनों को चैड़ा करें जबकि पंजों को एक साथ बनायें रखें।
दोनो हाथों को सिर के ऊपर उठायें। भुजाओं को कंधों के चैड़ाई तक फैलायें।
साँस छोड़ते हुए, कमर से आगे की तरफ झूकें और भुजाओं को सीधे रखें।
थोड़ी और भुजाओं को फर्श पर रखें।
सामने देखें और आरामदेह रहने तक इस स्थिति को बनाये रखें।
पीछे वापस आते समय, धीरे धीरे मूल स्थिति में वापस आयें।
लाभ
यह आसन जिगरम गूर्दों, और अन्य जीवनी अंगों के क्रियाकलापों को विकसित करता है।
यह प्रजनन सम्बन्धी अंगों को सुदृढ़ करता है।
यह पेट और पेड़ू को मजबूती प्रदान करता है।
यह आसन सायटिका नर्व के दर्द में आराम देता है।
सावधानी
जिन व्यक्तियों को पीठ दर्द रहता हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Sarvangasana Yoga in Hindi: सर्वांगासन योग आसन
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सर्वांगासन योग आसन (Sarvangasana Yoga)- सर्वांगासन का अर्थ है ऐसा आसन जो शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करें। द्वामी धिरेंद्र ब्रम्हचारी के अनुसार इस आसनको उध्र्व सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन में कंधे पर खड़े होने की मुद्रा बनायी जाती है। सर्वांगासन उत्तानपादासन अर विपरीतकरणीमुद्रा का विकसित रूप हो सकता है।
तकनीक
पीठ के बल लेट जायें, हाथ जंघे के अगल बगल और हथेली जमीन पर रहेंगी।
धीरे धीरे घुटनों को झुकाये बिना हाथ पर दबाव बनाते हुए पैरों को उठायें। 300 के कोण पर रुक जायें।
पैरों को थोड़ा और उठाये और 600 के कोण पर रुक जायेंद्य।
अब धीरे धीरे 900 के कोण पर ले आयें।
हाथों पर दबाव बनाते हुए नितम्बों को उठाते हुए पैरों को सिर की तरफ ले आयें। पैर, पेट और सीने को उठायें। एक सीधी रेखा बनाये। आधार के लिये हथेली को पीठ पर लगा दें।
ठुड्डी को सीने के साथ लगा दे (ग्रीवा चिन्ह)। 
जब तक हो सके इस मुद्रा को बनाये रखें।
धीरे धीरे मूल स्थिति में वापस आ जायें। ऐसा करते समय, पहले पीठ को हाथ से सहारा देते हुए नितम्बों को वापस लायें; धीरे धीरे नितम्बों को जमीन पर टिका दें और पैरों को 900 डिग्री के कोण पर ले आयें।
धीरे धीरे पैर नीचे ले आयें; उन्हें घुटनों से मोड़े बिना जमीन पर रखें; और पीठ के बल वापस मूल स्थिति में आ जायें।
लाभ
यह आसन असमय बुढ़ापे के लक्षणों को और असमय सफेद हो रहे बालों से बचाता है।
यह अपच, कब्ज, हार्निया और आंत्र सम्बन्धी बीमारी, बवासीर, गर्भाशय भ्रंश और एंडोक्राईन ग्रंथि से सम्बन्धित बीमारियों में यह बहुत लाभकारी है।
सावधानी
उच्च रक्त चाप, मिर्गी, गर्दन का दर्द, सायटिका, और कमर दर्द में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिये।
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yogainhindi · 8 years
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Salabhasana Yoga in Hindi: शलभासन योग आसन
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शलभासन योग आसन (Salabhasana Yoga) - शलभ या एक टिड्डा। इस आसन के अन्तिम स्थिति में, शरीर टिड्डे का आकार लगने लगता है, इसलिये इसका यह नाम पड़ा है।
तकनीक
पेट के बल लेट जायें, हथेली को जाँघों के नीचे रखें, एडि़यों को मिला लें।
साँस लेते हुए, हथेली को ��ीचे की तरफ दबायें और पैरों को जितना हो सके ऊपर ले जायें।
ऊपर की तरफ देखें और पाँच बार साँस लें।
साँस छोड़ते हुए पैरों को नीचे ले आयें। हाथों को हटा लें।
लाभ
दमा के मरीजों के लिये शलभासन।
यह रक्त की शुद्धि करता है और इसका परिसंचरण सुदृढ़ करता है।
सावधानी
जिन्हें उच्च रक्त चाप, हृदय की बीमारी हो और दमा की शिकायत हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
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