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देश की दशा
अंकित पुरोहित
पांच साल में बदल रही सरकार,
पर कम नहीं हो रहा ये भ्रष्टाचार,
दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा इसका आकार।
नहीं दिख रहे इसके कम होने के आसार।
हर पार्टी करती है वादा, कम करेंगे भ्रष्टाचार ज्यादा से ज्यादा,
पर आजतक नहीं हुआ इसका फायदा।
अब सरकार बदल रही कानून क्षण-क्षण,
सामान्य के सपने हुए ख़तम,
बढ़ा दिया है आरक्षण।
आरक्षण ने हर क्षेत्र में बढ़ा दिया भ्रष्टाचार,
इस पर कर लो तुम जरा सोच-विचार।
अब हारकर करता मैं निवेदन सरकार से,
ख़तम करो ये भ्रष्टाचार देश-समाज से,
मत खेलो हमारे जीवन के सार से,
बस बहुत हुआ!
ख़तम करो ये भ्रष्टाचार देश-समाज से।

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