एक लेखक का सबसे बड़ा उपहार यही है कि उसके शब्द हर किसी के दिल के तार छू जाएं, सबके मन में एक हलचल पैदा कर दें। मैं एक ऐसा ही लेखक बनना चाहता हूँ ✍️ ताकि शब्दों में भावनाओं का पूरा संसार बसा सकूँ। मेरे लिए हर कविता 🖋️, हर कहानी 📖 केवल शब्दों का मेल नहीं है, बल्कि मेरे जीवन की उन गहरी अनुभूतियों का प्रतिबिंब है, जो समय के हर मोड़ पर म��रे साथ चलती हैं। मैं साधारण से पलों में छुपी गहराइयों को ढूँढने की कोशिश करता हूँ 🌌, ताकि हर शब्द के पीछे एक नयी दुनिया का दरवाजा खुल सके। मेरी लेखनी आपके मन को उस जगह ले जाए जहाँ आप अपने ही जीवन की कुछ छवियाँ देख सकें, अपने ही सवालों के जवाब पा सकें 🌠। मेरा प्रयास है कि हर लफ़्ज़ में आपको अपनी कोई भूली हुई याद, कोई छिपा हुआ एहसास मिल जाए — और आप भी मेरी इस यात्रा का एक हिस्सा बन सकें 🌿।
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**।।~~स्कूल का आखिरी दिन: एक यादगार सफर~~।।**
हमारे स्कूल का आखिरी दिन मेरे लिए कभी न भूलने वाला अनुभव था। उस दिन, जब S.N. High School, Gua में मेरा सफर आखिरी पड़ाव पर था, एक ऐसी स्मृति बन गया जो शायद ज़िंदगी भर के लिए मेरे साथ रहेगा। उस सुबह, जब मैंने आखिरी बार अपनी स्कूल की ड्रेस पहनी, दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। यह वही ड्रेस थी जिसे मैं हर दिन पहना करता था, लेकिन उस दिन यह कुछ खास लग रही थी, जैसे इसे पहनते ही मैं अपने बचपन के सबसे सुनहरे दिनों से विदा ले रहा था।
स्कूल के गेट पर कदम रखते ही मन में एक गहरा एहसास हुआ कि आज के बाद सब कुछ बदल जाएगा। वो दोस्त, जिनके साथ हर दिन हंसी-मज़ाक में बीता, आज उनकी आंखों में भी वही अजीब सी उदासी थी, जो मेरे दिल में थी। हमारे बीच अनकही बातें थीं—वो सारे मज़ाक, वो सारी शरारतें, और वो मासूमियत, जो आज आखिरी बार एक साथ सांस ले रही थी।
जब मैं स्कूल के मैदान में कदम रखता, हर कोना जैसे मुझसे कुछ कह रहा था। वो मैदान, जहाँ कभी दोस्ती के अनगिनत खेल खेले, अब किसी पुरानी तस्वीर जैसा महसूस हो रहा था। क्लासरूम की तरफ जाते हुए, मन बार-बार उन यादों में खो जाता था, जहाँ हम दोस्तों ने साथ में कितनी हंसी बांटी थी, और कभी-कभी टीचर्स से डांट भी खाई थी।
क्लासरूम में बैठकर चारों ओर नज़र घुमाई तो महसूस हुआ कि इन दीवारों ने हमारी हर छोटी-बड़ी बातों को सुना है। ब्लैकबोर्ड पर लिखी वो आखिरी तारीख, बेंच पर खुदे हुए नाम, सब अब इतिहास का हिस्सा बनने वाले थे। और फिर प्रार्थना सभ�� का समय आ गया, जहाँ मैंने और विनय ने प्रार्थना का नेतृत्व किया। प्रार्थना के शब्द आज भी मेरे दिल में गूंज रहे हैं, मानो वो पल ठहर सा गया हो।
प्रार्थना सभा के बाद जब हम सभी वापस अपनी-अपनी कक्षाओं में लौटे, तो हर किसी के चेहरे पर अजीब सा मिश्रण था—खुशी और गम का। एक तरफ जहाँ हम सब इस दिन का इंतजार कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ ये एहसास भी था कि आज के बाद सब कुछ बदलने वाला है। क्लासरूम में जब बुद्धेश्वर सर आए, तो माहौल थोड़ा हल्का हुआ। वो हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए बोले, "आज तुम्हारा आखिरी दिन है, लेकिन जिंदगी में यह बस एक शुरुआत है।" उनकी आवाज़ में गहराई थी, और उनकी आँखों में वो आत्मीयता थी जो हमेशा हमें प्रेरित करती थी।
हर एक शिक्षक की अपनी-अपनी खासियत थी,राजेश सर की हिंदी क्लास, पुष्पा मैडम की विज्ञान की कहानियाँ, गोडार्ड सर के इंग्लिश के लेसन, विनीता मैडम के इतिहास के किस्से, और सुखदेव सर के भूगोल के नक्शे—हर क्लास, हर विषय एक यादगार के तौर पर हमारे दिल में बसी हुई थी।
आखिरी घंटी बजी और हम सब एक-दूसरे से मिलने के लिए क्लास से बाहर निकलने लगे। स्कूल का वह मैदान, जो कभी हंसी-ठिठोली और भागदौड़ का गवाह था, अब एक गहरी चुप्पी से भरा हुआ लग रहा था। मेरे कदम जैसे थम गए थे, मानो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस जगह को छोड़कर कैसे जाऊं। कुछ हंस रहे थे, तो कुछ की आंखें भीगी हुई थीं।
वहीं खड़े-खड़े, मैं अपने दोस्तों की ओर मुड़ा। सबकी आँखों में वही दर्द था, ��ो मेरे दिल में था। हम सब एक-दूसरे से गले मिल रहे थे, जैसे वो गले लगाना हमारी बिछड़ने की कसक को थोड़ा कम कर देगा। कुछ चेहरे मुस्कुरा रहे थे, तो कुछ की आंखों में आँसू थे, और कुछ में दोनों ही भाव थे। यह सिर्फ हमारे स्कूल का आखिरी दिन नहीं था, बल्कि एक युग का अंत था।
मैंने भी अपने सबसे करीबी दोस्तों को गले लगाया, लेकिन एक अजीब सा खालीपन महसूस हो रहा था।
जैसे ही मैं अपने दोस्तों के साथ स्कूल से बाहर निकलने लगा, दिल में एक अजीब सा खालीपन महसूस होने लगा। मानो इस जगह को छोड़ना मेरे लिए किसी प्रिय दोस्त से बिछड़ने जैसा था। श्याम के साथ चलते हुए मैं हर कदम सोच-समझकर रख रहा था, जैसे मैं उस पल को खींचकर और लंबा करना चाहता था। हर चीज़, हर कोना अब अचानक से खास लगने लगा था। वो क्लासरूम की खिड़कियाँ, जिनसे कभी बाहर झांककर बारिश देखा करते थे, अब मानो विदाई के इशारे कर रही थीं। बेंच पर बैठकर कभी जो हंसी ठहाके लगाते थे, वो सब अब यादें बनकर दिल में बसने लगे थे।
जब हम गेट के पास पहुंचे, पीछे मुड़कर स्कूल को आखिरी बार देखने का मन हुआ, मैंने पलटकर स्कूल की बिल्डिंग की तरफ आखिरी बार देखा। स्कूल की इमारत, वो क्लासरूम की खिड़कियां, वो मैदान, सब जैसे मुझे अलविदा कह रहे थे। जो कभी साधारण सी लगती थी, अब एक मंदिर जैसी पवित्र और भावनात्मक लग रही थी। मुझे लगा जैसे यह सिर्फ एक स्कूल नहीं था, बल्कि मेरी यादों का एक हिस्सा था, जिसे मैं अपने दिल में हमेशा के लिए लेकर जा रहा था।
मैं सोच रहा था कि कल से यहाँ नए चेहरे होंगे, नई कहानियाँ बनेंगी, लेकिन हमारी यादें हमेशा इस जगह की दीवारों में बसी रहेंगी।
एक पल के लिए, मैं वहाँ खड़ा रहा, उस पल को अपने दिल में कैद करते हुए। मेरे भीतर एक एहसास उमड़ा कि इस सफर का अंत केवल एक पड़ाव है, पर यह सफर ही हमें हमारे भविष्य की राह दिखाएगा।




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