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महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) (जन्म - 9 मई, 1540 ई. कम्भलगढ़, राजस्थान; मृत्यु 29 जनवरी 1597 ई.) का नाम भारतीय इतिहास में वीरता और दृंढ प्रतिज्ञा के लिए अमर है। वे उदयपर, मेवाड़ मैं सिसोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर 'मेवाड़-मुकुट मणि' राणा प्रताप का जन्म हआ। वे अकेले ऐसे वीर थे, जिसने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता किसी भी प्रकार स्वीकार नहीं की। वे हिन्दू कुल के गौरव को सुरक्षित रखने में सदा तललीन रहे। महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कैंलण्डर के अनसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है।
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शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) का जन्म 19 फ़रवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम शाहजी भोसलें और माता का नाम जीजाबाई था। शिवनेरी दुर्ग पुणे के पास है। उनकी माता ने उनका नाम भगवान शिवाय के नाम पर शिवाजी रखा। उनकी माता भगवान शिवाय से स्वस्थ सन्तान के लिए प्रार्थना किया करती थी।
शिवाजी के पिताजी शाहजी भोंसले एक मराठा सेनापति थे, जो कि डेक्कन सल्तनत के लिए कार्य किया करते थे। शिवाजी के जन्म के समय डेक्कन की सत्ता तीन इस्लामिक सल्तनतों बीजापुर, अहमदनगर और गोलकोंडा में थी।
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Bhagat Singh का जन्म 28 सितंबर 1907 को एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी।
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चन्द्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) का जन्म भाबरा गाँव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर) में एक ब्राह्मण परिवार में 23 जुलाई सन् 1906 को हुआ था। आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी व उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था। आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गाँव में बीता अतएव बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष-बाण चलाये। इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी। बालक चन्द्रशेखर आज़ाद का मन अब देश को आज़ाद कराने के अहिंसात्मक उपायों से हटकर सशस्त्र क्रान्ति की ओर मुड़ गया। उस समय बनारस क्रान्तिकारियों का गढ़ था। वह मन्मथनाथ गुप्त और प्रणवेश चटर्जी के सम्पर्क में आये और क्रान्तिकारी दल के सदस्य बन गये। क्रान्तिकारियों का वह दल "हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ" के नाम से जाना जाता था।
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नेताजी सुभाषचन्द्र बोस (Subhas Chandra Bose) का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। पहले वे सरकारी वकील थे मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। उन्होंने कटक की महापालिका में लम्बे समय तक काम किया था और वे बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था। प्रभावती देवी के पिता का नाम गंगानारायण दत्त था। दत्त परिवार को कोलकाता का एक कुलीन परिवार माना जाता था। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 सन्तानें थी जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे। सुभाष उनकी नौवीं सन्तान और पाँचवें बेटे थे। अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरद चन्द्र से था।
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भारत के स्वतंत्रता संग्राम में देश के अनेक महापुरुषों और स्त्री-पुरुषों ने अपना योगदान दिया है। भारत जैसे विविधता से भरे देश में पूरी जनता को अगर स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकीकृत रूप से संगठित करने का श्रेय किसी महापुरुष को जाता है तो वह महात्मा गांधी जी है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) जी द्वारा जीवन भर अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया गया था और देश को परतंत्रता की बेड़ियों मुक्ति दिलाई गयी थी। भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिलाकर पूरे विश्व में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें सं���ार में साधारण जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी (Mahatma Gandhi) को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी, तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी।
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लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 (Telecom Bill 2023) बिल पास हो चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नए टेलीकॉम विधेयक 2023 (Telecom Bill 2023) को मंजूरी दे दी है। इसके पश्चात्, इस विधेयक को कानून बना दिया गया है। इसी के साथ इस बिल को 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की जगह मिलने जा रही है। यह बिल कानून बनता है तो बहुत से नियम पहले की तरह नहीं रहेंगे। नए नियमों के साथ कई नए बदलाव देखे जा सकेंगे। नए नियमों के साथ अनचाही कॉल्स पर शिकंजा कसा जा सकेगा। यह विधेयक सरकार को नागरिकों और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में किसी भी दूरसंचार सेवा या नेटवर्क को प्रबंधित, प्रतिबंधित, या निलंबित करने की अनुमति प्रदान करता है।
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New Upcoming Cars 2024: भारत में नए साल में आ रही है ये शानदार कारें, आप किसे खरीदना चाहेंगे?
नए कार खरीदने के इंतजार में बैठे ग्राहकों के लिए अगले साल कई सारे ऑप्शन लाने वाला है, और यह अपेक्षाएँ हैं कि नई गाड़ियों में नवाचार और मोदर्निजेशन की खूबसूरत मिश्रण होगा। जिनमें से कुछ कारें नई पीढ़ी के बदलाव के साथ आ रही हैं, और कुछ कारें और रूप में बदल गई हैं।
Hyundai Creta Facelift
2. New Maruti Suzuki Swift
3. महिंद्रा थार 5-डोर
4. Citroen C3X Sedan
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#Hyundai Creta Facelift#New Maruti Suzuki Swift#महिंद्रा थार 5-डोर#Citroen C3X Sedan#New Upcoming Cars 2024
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Veer Bal Divas - 2023 | धर्म के लिए हुए बलिदान, मुगलों के सामने नहीं झुकने दी खालसा की शान: चार साहिबजादों को समर्पित है ‘वीर बाल दिवस’
वीर बाल दिवस एक महत्वपूर्ण भारतीय पर्व है, जिसका मुख्य उद्देश्य गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बच्चों के बलिदान की स्मृति में उनका सम्मान करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद से 26 दिसंबर के दिन वीर बाल दिवस (Veer Bal Divas) के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन समर्पित है गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों को। इन्होंने धर्म के लिए खुद को बलिदान कर दिया, लेकिन बर्बर मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके।
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Telecom Bill 2023: मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के बदल जाएंगे नियम, जानिए फ़ायदे और नुक़सान
लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 (Telecom Bill 2023) बिल पास हो चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नए टेलीकॉम विधेयक 2023 (Telecom Bill 2023) को मंजूरी दे दी है। इसके पश्चात्, इस विधेयक को कानून बना दिया गया है। इसी के साथ इस बिल को 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की जगह मिलने जा रही है। यह बिल कानून बनता है तो बहुत से नियम पहले की तरह नहीं रहेंगे। नए नियमों के साथ कई नए बदलाव देखे जा सकेंगे। नए नियमों के साथ अनचाही कॉल्स पर शिकंजा कसा जा सकेगा। यह विधेयक सरकार को नागरिकों और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में किसी भी दूरसंचार सेवा या नेटवर्क को प्रबंधित, प्रतिबंधित, या निलंबित करने की अनुमति प्रदान करता है। Read more...
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