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Adhyay 17 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 17 उर्दू शायरी में गीता
सत्रहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में श्री भगवान ने बताया है कि जो इंसान शास्त्रों का रास्ता छोड़कर अपनी म���्ज़ी से काम करता है उसको सुख नहीं मिलता l अर्जुन के पूछने पर उन्होनें बताया कि फितरतन आदमी की श्रद्धा तीन तरह की होती है :-
1. सात्विक
2. राजसी
3. तामसी
आदमी, श्रद्धा यानी अक़ीदे का पुतला है l जैसा जिसका अक़ीदा है वह वैसा ही होता है l सात्विक लोग देवताओं को पूजते हैं l राजसी लोग राक्षसों को और तामसी भूत प्रेतों को l
उसी तरह जो यज्ञ नियम के मुताबिक़ किया जाए यानी करने वाला मन में फल की ख्वाहिश न रखता हो वह सात्विक यज्ञ है और जिसका फल यज्ञ करने वाला चाहता हो वह राजसी है l तामसी यज्ञ वह है जिसमें श्रद्धा, खैरात और दान कुछ भी न हो l उसी तरह खैरात भी तीन तरह की होती है l जो दान हक़दार को दिया जाए और बदले में कुछ न चाहा जाए वह सात्विक दान है l राजसी दान वह है जिसमें बदले में कुछ पाने की ख्वाहिश हो l तामसी दान वह है जिसको देते वक़्त एहसान जतलाया जाए l
वेदों ने ब्रह्म का ज़िक्र "ओम तत सत" के तौर पर किया है l "ओम" यानी वाहिद और लाज़वाल (अविनाशी), ब्रह्म, "तत" यानी वह सत यानी सच सुख देने वाला l मतलब ईश्वर एक है, वही है और वही सच है l जो इस तरह का जज़्बा रखकर ईश्वर में खो कर यज्ञ, दान या तप करता है वही सात्विक है l ऐसे ही इंसान को मोक्ष (निज़ात) हासिल होता है l
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Adhyay 16 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 16 उर्दू शायरी में गीता
सोलहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में यह बताया गया है कि अपने कर्मों की कामना से ही आदमी नेकी या बदअतवारी (भ्रष्ट चरित्र) लेकर दुनिया में आता है l श्री भगवान फरमाते हैं कि नेक सीरत का इंसान निडर, पाकीज़ा, ज्ञानी, दान करने वाला, सादगी और सच्चाई पसंद और गुरूर (घमंड) से खाली होता है l
उसके बरअक्स शैतानी खिसलत वाला इंसान मक्कार, मगरूर, गुस्से वाला, संगदिल और अज्ञानी होता है l श्री भगवान पुनः फरमाते हैं कि काम, क्रोध और लालच यह तीनों दरवाज़े दोज़ख (नर्क) में ले जाने वाले हैं l इसलिए इन तीनों को छोड़ देना चाहिए l
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Adhyay 16 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 16 उर्दू शायरी में गीता
सोलहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में यह बताया गया है कि अपने कर्मों की कामना से ही आदमी नेकी या बदअतवारी (भ्रष्ट चरित्र) लेकर दुनिया में आता है l श्री भगवान फरमाते हैं कि नेक सीरत का इंसान निडर, पाकीज़ा, ज्ञानी, दान करने वाला, सादगी और सच्चाई पसंद और गुरूर (घमंड) से खाली होता है l
उसके बरअक्स शैतानी खिसलत वाला इंसान मक्कार, मगरूर, गुस्से वाला, संगदिल और अज्ञानी होता है l श्री भगवान पुनः फरमाते हैं कि काम, क्रोध और लालच यह तीनों दरवाज़े दोज़ख (नर्क) में ले जाने वाले हैं l इसलिए इन तीनों को छोड़ देना चाहिए l
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स्वराज्य के स्वप्न को संस्कारों से सींचने वाली, वीर शिरोमणि छत्रपति शिवाजी महाराज जी की वीर माता परम पूज्य राजमाता जीजाबाई जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !
उनकी धर्मनिष्ठा ने छत्रपति शिवाजी महाराज जी जैसे युगपुरुष को गढ़ा, जिनके संकल्प में स्वराज्य और स्वाभिमान की ज्योति जलती रही । उनके दिए संस्कारों व विचारों ने छत्रपति शिवाजी महाराज को केवल वीर नहीं, धर्मरक्षक और राष्ट्रनायक बनाया ।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक, दूरदर्शी विचारक एवं सामाजिक समरसता के अग्रदूत परम पूज्य बालासाहेब देवरस जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !
उन्होंने संगठन को नई ऊर्जा, नई दिशा और व्यापक जनसंपर्क का आधार दिया । उनका जीवन राष्ट्रसेवा व सामाजिक समरसता का संगम था, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा ।
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उत्तर प्रदेश सरकार में मा. राज्यमंत्री श्री मयंकेश्वर शरण सिंह जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
प्रभु श्री राम जी से प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें ।
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Adhyay 15 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 15 उर्दू शायरी में गीता
पन्द्रहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में श्री भगवान ने अपने शुद्ध स्वरुप का बयान किया है l वह कायनात को दरख़्त से तशबीह (उपमा) देकर बताते हैं कि इस दरख़्त को बेताल्लुकी के हथियार से काटना चाहिए l जीवात्मा ईश्वर का अंश है l मन और इन्द्रियों के वश में आकर इंसान संसार के चक्र में घिरा रहता है l इस सारे राज़ की असलियत वही ईश्वर है l वही सब प्राणियों को संभाले हुए है l योगी उसे अपने अंदर देखते हैं वह ईश्वर लाज़वाल (अविनाशी) है l तीनों लोकों में है l सबका पालन पोषण करता है l कृष्ण जी कहते हैं वह ईश्वर मैं हूँ जो तमाम आलम में पुरुषोत्तम नाम से जाना पहचाना जाता है l
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Adhyay 15 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 15 उर्दू शायरी में गीता
पन्द्रहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में श्री भगवान ने अपने शुद्ध स्वरुप का बयान किया है l वह कायनात को दरख़्त से तशबीह (उपमा) देकर बताते हैं कि इस दरख़्त को बेताल्लुकी के हथियार से काटना चाहिए l जीवात्मा ईश्वर का अंश है l मन और इन्द्रियों के वश में आकर इंसान संसार के चक्र में घिरा रहता है l इस सारे राज़ की असलियत वही ईश्वर है l वही सब प्राणियों को संभाले हुए है l योगी उसे अपने अंदर देखते हैं वह ईश्वर लाज़वाल (अविनाशी) है l तीनों लोकों में है l सबका पालन पोषण करता है l कृष्ण जी कहते हैं वह ईश्वर मैं हूँ जो तमाम आलम में पुरुषोत्तम नाम से जाना पहचाना जाता है l
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Adhyay 14 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 14 उर्दू शायरी में गीता
चौदहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में प्रकृति के तीन गुणों की तशरीह (व्याख्या) की गयी है और बताया गया है कि दुनिया के तमाम काम इन्हीं तीनों गुणों के ज़रिये होते हैं l
1. सतोगुण (सुकून का वस्��़)
2. रजोगुण (हरकत का वस्फ़)
3. तमोगुण (काहिली का वस्फ़)
ये तीनों गुण प्रकृति यानी माद्दा से पैदा होते हैं l यह तीनों गुण ही जीव (आत्मा) को जिस्म से बाँध कर रखते हैं l इसमें सतोगुण पाकीज़ा और रौशन है जो जीव को सुख और ज्ञान के साथ बांधता है l रजोगुण मोह का रूप है l वह ख्वाहिश और लालच से पैदा होता है l वह जीव को कामों में लगाता है l तमोगुण इंसान को काहिली, गफलत और नींद में फंसाये रखता है l इन तीनों में हर वक़्त खींचा तानी होती रहती है l मरते वक़्त जिस गुण का आदमी में ज़ोर होता है वैसा ही उसे नतीजा भुगतना पड़ता है l आत्मा और परमात्मा इन तीनों गुणों से बालातर (श्रेष्ठ) है l इसलिए जो आदमी इन तीनों गुणों से ऊपर उठ जाता है वही निज़ात (मुक्ति) पाता है l वही भगवान में लीन हो जाता है l इसलिए कि परमेश्वर ही अविनाशी और अखंड सुखों का भण्डार है l
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Adhyay 14 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 14 उर्दू शायरी में गीता
चौदहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में प्रकृति के तीन गुणों की तशरीह (व्याख्या) की गयी है और बताया गया है कि दुनिया के तमाम काम इन्हीं तीनों गुणों के ज़रिये होते हैं l
1. सतोगुण (सुकून का वस्फ़)
2. रजोगुण (हरकत का वस्फ़)
3. तमोगुण (काहिली का वस्फ़)
ये तीनों गुण प्रकृति यानी माद्दा से पैदा होते हैं l यह तीनों गुण ही जीव (आत्मा) को जिस्म से बाँध कर रखते हैं l इसमें सतोगुण पाकीज़ा और रौशन है जो जीव को सुख और ज्ञान के साथ बांधता है l रजोगुण मोह का रूप है l वह ख्वाहिश और लालच से पैदा होता है l वह जीव को कामों में लगाता है l तमोगुण इंसान को काहिली, गफलत और नींद में फंसाये रखता है l इन तीनों में हर वक़्त खींचा तानी होती रहती है l मरते वक़्त जिस गुण का आदमी में ज़ोर होता है वैसा ही उसे नतीजा भुगतना पड़ता है l आत्मा और परमात्मा इन तीनों गुणों से बालातर (श्रेष्ठ) है l इसलिए जो आदमी इन तीनों गुणों से ऊपर उठ जाता है वही निज़ात (मुक्ति) पाता है l वही भगवान में लीन हो जाता है l इसलिए कि परमेश्वर ही अविनाशी और अखंड सुखों का भण्डार है l
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Adhyay 13 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 13 उर्दू शायरी में गीता
तेरहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
यह अध्याय सबसे ज़्यादा फ़लसफ़ियाना (दार्शनिक) है l सच्चे ज्ञान को पाने का रास्ता क्या है ? कायनात में असल चीज़ जानने की क्या है ? सच्चा ज्ञान किसे कहते हैं ? भगवान शरीर में कैसे मौजूद हैं ? जानने वाले और जानने की चीज़ों के मिलाप से यह दुनिया बनी है l सच्चे ज्ञान के हासिल करने के रास्ते यह हैं - गुरूर (घमण्ड न करना), किसी से फरेब न करना, अहिंसा का पालन करना, सबको माफ़ कर देना, ईमानदारी से गुरु की सेवा करना, जिस्म को पाक साफ़ रखना, मन को क़ाबू में रखना, इंद्रियों की ख्वाहिशों से दिल को दूर रखना, रूहानियत (आध्यात्म) की तरफ़ झुकाव रखना यही सच्चा ज्ञान है l
श्री भगवान फिर कहते हैं कि इन सबसे बढ़ कर जानने की चीज़ वह ब्रह्म है जिसकी कोई इब्तिदा है न इंतिहा l जो सबमें रमा और रचा बस�� है l जो निर्गुण है लेकिन सब गुणों का खज़ाना है l वही सब को पालने वाला, मारने वाला और पैदा करने वाला है l वह नूर ही नूर है l अस्ल में वही ज्ञान है l
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Adhyay 13 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 13 उर्दू शायरी में गीता
तेरहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
यह अध्याय सबसे ज़्यादा फ़लसफ़ियाना (दार्शनिक) है l सच्चे ज्ञान को पाने का रास्ता क्या है ? कायनात में असल चीज़ जानने की क्या है ? सच्चा ज्ञान किसे कहते हैं ? भगवान शरीर में कैसे मौजूद हैं ? जानने वाले और जानने की चीज़ों के मिलाप से यह दुनिया बनी है l सच्चे ज्ञान के हासिल करने के रास्ते यह हैं - गुरूर (घमण्ड न करना), किसी से फरेब न करना, अहिंसा का पालन करना, सबको माफ़ कर देना, ईमानदारी से गुरु की सेवा करना, जिस्म को पाक साफ़ रखना, मन को क़ाबू में रखना, इंद्रियों की ख्वाहिशों से दिल को दूर रखना, रूहानियत (आध्यात्म) की तरफ़ झुकाव रखना यही सच्चा ज्ञान है l
श्री भगवान फिर कहते हैं कि इन सबसे बढ़ कर जानने की चीज़ वह ब्रह्म है जिसकी कोई इब्तिदा है न इंतिहा l जो सबमें रमा और रचा बसा है l जो निर्गुण है लेकिन सब गुणों का खज़ाना है l वही सब को पालने वाला, मारने वाला और पैदा करने वाला है l वह नूर ही नूर है l अस्ल में वही ज्ञान है l
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Adhyay 12 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 12 उर्दू शायरी में गीता
बारहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में भगवान कहते हैं कि जो मुझे साकार यानी शक्ल वाला मान कर पूरी आस्था से मेरी इबादत करता है वह योग का बेहतर जानने वाला है l निराकार यानी बेशक्ल जान कर जो मेरी पूजा करता है वह भी मेरा अपना है l लेकिन चूँकि बेनाम और बेनिशान की इबादत अक्ल से परे है और बहुत कठिन है इसलिए वह आला दर्ज़े के लोगों के लिए है l जो लोग मन में पैदा होने वाली बुराइयों को रोकने की कोशिश करते हैं, अपने सब कामों का नतीजा मुझ पर छोड़ कर अपने फ़राएज़ (कर्तव्य) को अदा करते हैं, किसी से बैर नहीं रखते, सुख दुःख में यकसां रहते हैं, ग़रज़ कि जो हर हाल में मेरी रज़ा से राज़ी हैं वे सब मेरे नूरे नज़र हैं l
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Adhyay 12 Urdu Shayari Mein Geeta | अध्याय 12 उर्दू शायरी में गीता
बारहवें अध्याय का ख़ुलासा (सारांश)
इस अध्याय में भगवान कहते हैं कि जो मुझे साकार यानी शक्ल वाला मान कर पूरी आस्था से मेरी इबादत करता है वह योग का बेहतर जानने वाला है l निराकार यानी बेशक्ल जान कर जो मेरी पूजा करता है वह भी मेरा अपना है l लेकिन चूँकि बेनाम और बेनिशान की इबादत अक्ल से परे है और बहुत कठिन है इसलिए वह आला दर्ज़े के लोगों के लिए है l जो लोग मन में पैदा होने वाली बुराइयों को रोकने की कोशिश करते हैं, अपने सब कामों का नतीजा मुझ पर छोड़ कर अपने फ़राएज़ (कर्तव्य) को अदा करते हैं, किसी से बैर नहीं रखते, सुख दुःख में यकसां रहते हैं, ग़रज़ कि जो हर हाल में मेरी रज़ा से राज़ी हैं वे सब मेरे नूरे नज़र हैं l
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आधुनिक भारतीय रसायन विज्ञान के पुरोधा, महान शिक्षक, स्वदेशी के प्रति आस्थावान, महान समाज सुधारक डॉ. प्रफुल्ल चंद्र राय जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
आधुनिक भारतीय रसायन शास्त्र की नींव रखकर देश की प्रगति में योगदान देने के लिए देश आपको सदैव स्मरण करेगा ।
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महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, स्वराज पार्टी के संस्थापक एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता चित्तरंजन दास ‘देशबंधु’ जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !
'देशबंधु' की उपाधि उनके त्याग, माँ भारती की सेवा व राष्ट्रप्रेम की जीवंत पहचान थी । उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को वैचारिक दिशा दी तथा स्वराज की राह में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ।
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अंतर्राष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस पर आइए, हम उन अनदेखे हाथों को धन्यवाद दें जो हमारे जीवन को सुचारु और व्यवस्थित बनाते हैं ।
इन मेहनती कामगारों का सम्मान, उनके अधिकारों की रक्षा और उनके प्रति न्यायपूर्ण व्यवहार हमारी नैतिक जिम्मेदारी है ।
सम्मान दें, अधिकारों की रक्षा करें — यही सच्ची मानवता है ।
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