janbhaashahindi
janbhaashahindi
Janbhaashahindi.com is a literary website.
34 posts
Don't wanna be here? Send us removal request.
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
बिकती नहीं क़लम अब...
बिकती नहीं क़लम अब...
Tumblr media
       शीर्षक पढ़कर थोड़ा उलझन में ज़रूर पड़ सकते हैं आप! परन्तु मैं जिस बारे में बात करने जा रहा हूँ वह एकदम सत्य है। कुछ समय पहले साहित्यिक पुस्तकों को खरीद कर पढ़ना रहीसी, शान, सभ्यता और पढ़े-लिखे होने का प्रतीक माना जाता था। पुस्तकें एक दूसरे को भेंट की जाती थी। ज्यादातर खाली समय का सदुपयोग पुस्तकों को पढ़कर ही किया जाता था। परन्तु अब परिस्थितियाँ विपरीत हैं। पुस्तक खरीदना आज कल लोगों को फिजूलखर्ची लगने लगा है और तो और जिन रचनाकारों की रचनाएँ जिस पुस्तक में शामिल हैं, उसे खरीदना उन्हें महंगा लगता है। जब कलमकार ही अपनी पुस्तक खरीदने में सौ बार सोचता है, तो पाठकों से क्या उम्मीद की जा सकती है!          
       एक समय वह था जब रचनाकार को अपनी रचना अथवा पुस्तक प्रकाशित कराने हेतु काफ़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। रचनाओं या पुस्तकों की पांडुलिपि प्रकाशक को भेजकर इंतज़ार करना पड़ता था कि उनकी रचनाएँ या पुस्तक प्रकाशन योग्य समझी जाएगी अथवा अस्वीकृत कर दी जाएगी। परन्तु आज अनेक स्वयं प्रकाशन योजनायें फल-फूल रही हैं। प्रकाशक को उचित धनराशि देकर आप अपनी पुस्तक आसानी से पकाशित करा सकते हैं। अब आपको इंतज़ार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, न ही पांडुलिपि के अस्वीकृत होने का डर रहता है। क्या यह सिलसिला सही है? कुछ मायनों में तो नहीं।
पूरा आलेख पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/07/Bikati-Nahi-Kalam-Ab.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
पैशाचिक जंगल
Tumblr media
ये पैशाचिक जंगल अभिशप्त भी है। रोमानिया के ह्रदय में स्थित ट्रांसिल्वानिया जिले में 'होइया बसिऊ' (Hoia Baciu) नाम से एक रहस्यमयी जंगल है। स्थानीय निवासियों के अनुसार ये जंगल प्रेत-ग्रस्त है या एक शब्द में कहें तो 'पैशाचिक' है। यहाँ होने वाली बहुत-सी भूतिया तथा रहस्यमय या पैरानोर्मल घटनाओं के लिए ये जंगल न केवल ट्रांसिल्वानिया में बल्कि पूरे विश्व में बदनाम है।
रहस्य और रोमांच को पसंद करने वाले लोग जब इस जंगल में घूम कर वापस आते हैं तो उनके शरीर पर जलने तथा खरोंचों के खतरनाक निशान होते हैं। कभी-कभी भयंकर सिरदर्द तथा उबकाई भी महसूस होती है (मालूम पड़ता है जैसे नर्क की यात्रा करके लौटे हों) लेकिन सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि उनके अनुसार उन्हें पता ही नहीं होता कि ये सब कैसे हुआ।
     वहीं एक और बड़ी रहस्यमय बात यह है कि वहाँ कुछ पर्यटक ये भी दावा करते हैं कि अपनी जंगल यात्रा के दौरान उन्हें अपनी यात्रा के बीच के कुछ घंटे याद नहीं रहे, इस दौरान उनके साथ क्या हुआ, वह किससे मिले, इस बारे में वह पूरी तरह से अनजान होते हैं तथा वह इसको 'लुप्त समय' या 'The Lost Time' कहते हैं। मष्तिष्क पर बहुत ज़ोर डालने के बाद भी उन्हें इस बारे में कुछ भी याद नहीं आता। हाँ इतना ज़रूर याद रहता है कि बीच के कुछ समय की यादें उनके मष्तिष्क से गायब हैं।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Vampire-Forest.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
भारत का अमृत महोत्सव
Tumblr media
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों पर वेबिनारों की श्रृंखलाः भारत का अमृत महोत्सव     
भारत की स्वतंत्रता के ७५ वर्ष पूरे होने की यादगार के तौर पर केंद्र सरकार, 'भारत का अमृत महोत्सव' का आयोजन कर रही है। इस आयोजन के तहत पिछले ७५ वर्षों के दौरान नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने क्या-क्या उपलब्धियाँ अर्जित की हैं, इसके विषय में कार्यक्रम किये जा रहे हैं। मंत्रालय ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धियों पर वेबिनारों की एक पूरी शृंखला का आयोजन किया है। ये वेबिनार १५ मार्च, २०२१ को शुरू हुये हैं और ७५ सप्ताह तक चलते रहेंगे।
     एक अप्रैल, २०२१ को "भारत में सौर पार्क" विषय पर एक वेबिनार हुआ। इस वेबिनार में देश में सौर पार्कों के विकास के बारे में ��र्चा की गई। इस आयोजन में लगभग ३५० लोगों ने हिस्सा लिया। पैनल में शामिल वक्ताओं ने इस विषय पर अनुभव साझा किये और मुख्य चुनौतियों के बारे में चर्चा की।
     बायो-गैस संयंत्र निर्माताओं / विकासकर्ताओं के साथ बातचीत करने के लिये एक वेबिनार का आयोजन १२ अप्रैल, २०२१ को किया गया। इसमें देश में बायो-गैस के विकास का जायजा लिया गया। वेबिनार में नई प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की गई। इस दौरान यह भी ग़ौर किया गया कि इस क्षेत्र में किसे-कहाँ कामयाबी मिली है। बायो-गैस कार्यक्रम की बढ़ती चुनौतियों पर भी विचार किया गया।
    एक वेबिनार १६ अप्रैल, २०२१ को आयोजित किया गया था, जिसका विषय "सौर ऊर्जा में अनुसंधान और नवाचार" था। इसका आयोजन राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) ने किया था। यह संस्थान मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्तशासी संस्था है। वेबिनार में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हालिया अनुसंधान और नवाचार, एनआईएसई द्वारा विकसित उत्पादों को बाज़ार में उतारने जैसे विषयों पर चर्चा की गई। इस आयोजन में लगभग २०० लोगों ने हिस्सा लिया।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Bharat-Ka-Amrit-Mahotsav.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
भारत के लिए ऑक्‍सीजन परियोजना
Tumblr media
ख़ास ख़बर
ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने देश की सेवा में ३०००० मीट्रिक टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन आपूर्ति का कीर्तिमान बनाया
ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने देश के दक्षिणी राज्यों को १५००० एमटी से अधिक एलएमओ की डिलीवरी की
४२१ ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने पूरे देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति पूरी की
ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने १७३४ टैंकरों से १५ राज्यों को ऑक्सीजन सहायता पहुँचाई
ऑक्सीजन एक्सप्रेस द्वारा आंध्र प्र���ेश, कर्नाटक और तमिलनाडु को क्रमशः ३६००, ३७०० और ४९०० एमटी से अधिक एलएमओ की आपूर्ति की गई
महाराष्ट्र में ६१४ एमटी ऑक्सीजन, उत्तर प्रदेश में लगभग ३७९७ एमटी, मध्य प्रदेश में ६५६ एमटी, दिल्ली में ५७२२ एमटी, हरियाणा में २३५४ एमटी, राजस्थान में ९८ एमटी, कर्नाटक में ३७८२ एमटी, उत्तराखंड में ३२० एमटी, तमिलनाडु में ४९४१ एमटी, आंध्र प्रदेश में ३६६४ एमटी, पंजाब में २२५ एमटी, केरल में ५१३ एमटी तेलंगाना में २९७२ एमटी, झारखंड में ३८ एमटी और असम में ४८० एमटी ऑक्सीजन पहुँचाई गई
ख़बर विस्तार
     कोविड-१९ की दूसरी लहर के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में चिकित्‍सा ऑक्सीजन की मांग में उल्‍लेखनीय वृद्धि देखी गई। चिकित्‍सा ऑक्‍सीजन की वर्तमान मांग को पूरा करते हुए भविष्य में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इसका उत्‍पादन काफ़ी महत्त्वपूर्ण हो गया है। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की परियोजना 'प्रोजेक्ट O2 फॉर इंडिया' यानी भारत में ऑक्‍सीजन परियोजना चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग में हुई इस वृद्धि को पूरा करने के लिए देश की क्षमता को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हितधारकों को समर्थ बनाती है।
     'प्रोजेक्ट O2 फॉर इंडिया' के तहत ऑक्सीजन का एक राष्ट्रीय कंसोर्टियम जिओलाइट्स जैसे महत्त्वपूर्ण कच्चे माल की राष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति, छोटे ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना, कंप्रेसर का विनिर्माण, अंतिम उत्पाद यानी ऑक्सीजन संयंत्र, कन्‍सेंट्रेटर एवं वेंटिलेटर आदि को सुनिश्चित करता है। यह कंसोर्टियम न केवल तात्‍कालिक अथवा अल्पकालिक राहत प्रदान करने के लिए तत्पर है, बल्कि यह दीर्घकालिक तैयारियों के लिहाज से विनिर्माण परिवेश को मज़बूत करने के लिए भी काम कर रहा है।
पूरी ख़बर पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Oxygen-Project-for-India.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
कोविड-19 टीकाकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Tumblr media
कोविड-19 टीकाकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ख़ास ख़बर
क्या एलर्जी वाले लोगों को टीका लगाया जा सकता है?
क्या गर्भवती महिलाएँ कोविड १९ का टीका लगवा सकती हैं? स्तनपान कराने वाली माताएँ भी लगवा सकती हैं?
क्या टीका लगवाने के बाद मुझमें पर्याप्त एंटीबॉडी बन जाती हैं?
क्या वैक्सीन का इंजेक्शन लगने के बाद रक्त का थक्का बनना सामान्य है?
अगर मुझे कोविड संक्रमण हो गया है, तो कितने दिनों के बाद मैं टीका लगवा सकता हूँ?
ख़बर विस्तार
     ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो कोविड टीकाकरण के बारे में लोग अक्सर उठाते हैं। डॉ. वी के पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग और डॉ. रणदीप गुलेरिया, निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ने रविवार ६ जून को डीडी न्यूज पर एक विशेष कार्यक्रम में कोविड-१९ टीकों के बारे में लोगों की विभिन्न शंकाओं का समाधान किया।       सही तथ्यों और सूचनाओं की जानकारी के लिए इसे पढ़ें और संक्रमण से सुरक्षित रहें। इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अक्सर पूछे जाने वाले अन्य प्रश्नों के भी उत्तर दिये हैं।
क्या एलर्जी वाले लोगों को टीका लगाया जा सकता है?
      डॉ. पॉल: अगर किसी को एलर्जी की गंभीर समस्या है, तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही कोविड का टीका लगवाना चाहिए। हालांकि, अगर यह केवल मामूली एलर्जी-जैसे सामान्य सर्दी, त्वचा की एलर्जी आदि का सवाल है, तो टीका लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Covid-19-Teekakaran-Par-Aksar-Puchhe-Jane-Vale-Prashn.html
2 notes · View notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस समारोह को संबोधित किया
Tumblr media
ख़ास ख़बर
पेट्रोल में २० प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित करने के लक्ष्य की प्राप्ति का समय घटा कर २०२५ तक किया गया
सरकार ने रिसाइक्लिंग द्वारा संसाधनों के बेहतर उपयोग करने वाले ११ क्षेत्रों को चिन्हित किया
पुणे में इथेनॉल उत्पादन और पूरे देश में वितरण के लिए ई-१०० पायलट परियोजनाका शुभारंभ किया
ख़बर विस्तार
     प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विश्व पर्यावरण दिवस समारोह को सम्बोधित किया। समारोह का आयोजन पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। प्रधानमंत्री ने समारोह के दौरान पुणे के एक किसान के साथ बातचीत भी की जिन्होंने जैविक खेती और कृषि में जैव-ईंधन के उपयोग के बारे में अपने अनुभव को साझा किया।
     प्रधानमंत्री ने "रिपोर्ट ऑफ द एक्सपर्ट कमेटी ऑन रोडमैप फॉर इथेनॉल ब्लेंडिंग इन इंडिया २०२०-२०२५" जारी की। उन्होंने पुणे में इथेनॉल के उत्पादन और पूरे देश में वितरण के लिए महत्त्वाकांक्षी ई-१०० पायलट परियोजना का शुभारंभ किया। इस वर्ष के समारोह का विषय '���ेहतर पर्यावरण के लिए जैव-ईंधन को प्रोत्साहन' था। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी, श्री नरेंद्र सिंह तोमर, श्री प्रकाश जावडेकर, श्री पीयूष गोयल तथा श्री धर्मेन्द्र प्रधान उपस्थित थे।
     प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर इथेनॉल क्षेत्र के विकास के लिए विस्तृत रोडमैप जारी करके भारत ने एक और छलांग लगाई है। उन्होंने कहा कि इथेनॉल २१वीं सदी के भारत की बड़ी प्राथमिकता बन गई है। उन्होंने कहा कि इथेनॉल पर फोकस करने का बेहतर प्रभाव पयार्वरण के साथ-साथ किसानों के जीवन पर भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पेट्रोल में २० प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य प्राप्त करने का समय कम करके २०२५ करने का संकल्प लिया है। इससे पहले इस लक्ष्य की प्राप्ति का समय २०३० तय किया गया था जिसे५ वर्ष कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि २०१४ तक पेट्रोल में औसत रूप में केवल १.५ प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जाता था जो अब बढ़कर ८.५ प्रतिशत हो गया है। २०१३-१४ में देश में लगभग ३८ करोड़ लीटर इथेनॉल की खरीद हुई थी जो अब बढ़कर ३२० करोड़ लीटर हो गई है। उन्होंने कहा कि इथेनॉल खरीद में आठ गुना वृद्धि से देश के गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ हुआ है।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक आर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Pradhanmantri-Ne-Vishva-Paryavaran-Divas-Samaroh-Ko-Sambodhit-Kiya.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
बच्चों में कोविड-19: खतरे और सावधानियां
Tumblr media
      सीएसआईआर की नई इकाई, सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपी��र) , नई दिल्ली ने कल (०४ जून २०२१ को) बच्चों में कोविड-१९ के बारे में आधे दिन का एक ऑनलाइन सत्र आयोजित किया। यह सत्र हाल ही में कोविड-१९ की दूसरी लहर के प्रकोप और बच्चों पर इसके प्रभाव, खतरों और बच्चों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी प्रोटोकॉल पर केन्द्रित था। इस वेबिनार के मुख्य अतिथि डॉ. वी. विजयलक्ष्मी, अतिरिक्त आयुक्त (अकादमिक), केवीएस (मुख्यालय), नई दिल्ली थीं और अतिथि वक्ता श्री बालाजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसबीएमसीएच), चेन्नई, तमिलनाडु के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के कार्यकारी बोर्ड सदस्य २०२१ प्रोफेसर डॉ. आर. सोमशेखर थे। इस कार्यक्रम में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा फ़ेसबुक पर उपलब्ध कराए गए लिंक के माध्यम से कई गणमान्य व्यक्तियों, संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों और विभिन्न स्कूलों के छात्रों सहित लगभग १५० प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 
       सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक डॉ. रंजना अग्रवाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में 'जिज्ञासा', जोकि वर्ष २०१७ के मध्य में शुरू हुई छात्रों-वैज्ञानिकों को जोड़ने की पहल है और जिसका उद्देश्य स्कूली छात्रों में 'वैज्ञानिक चेतना' पैदा करना और उन्हें विज्ञान उन्मुख बनाना है, के जरिए दो महान संस्थानों, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के बीच असाधारण सम्बंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा कि 'जिज्ञासा' ने वास्तव में न केवल छात्रों के बीच एक सराहनीय प्रभाव पैदा किया है, बल्कि वैज्ञानिकों में भी उत्साह जगाया है। उन्होंने कहा कि 'जिज्ञासा' छात्रों को सीधे वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान करता है और इस तरह युवा दिमाग़ को नवीन सोच और दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करता है। दीर्घकालिक स्तर पर, विशेष रूप से समाज के लिए फायदेमंद विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के संदर्भ में इस पहल से प्रभावशाली परिणाम मिलने की उम्मीद है।
और अधिक पढने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Bachchon-Me-Covid-19-Khatare-Aur-Savadhaniyan.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स पर व्यापार मार्जिन की अधिकतम सीमा निर्धारित की
Tumblr media
व्यापार मार्जिन पर ७० प्रतिशत की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई एनपीपीए एक सप्ताह के भीतर संशोधित एमआरपी सूचित करेगा
     कोविड महामारी के कारण उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों, जिसके परिणामस्वरूप् ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की अधिकतम खुदरा कीमतों (एमआरपी) में हाल में अस्थिरता आई है, को देखते हुए सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की क़ीमत को विनियमित करने के लिए क़दम उठाने का फ़ैसला किया है। सरकार द्वारा संग्रहित सूचना के अनुसार, वर्तमान में वितरक के स्तर पर मार्जिन १९८ प्रतिशत तक चला गया है।
    व्यापक सार्वजनिक हित में डीपीसीओ, २०१३ के पैरा १९ के तहत असाधारण शक्तियों को लागू करते हुए एनपीपीए ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स पर वितरक के लिए मूल्य (पीटीडी) स्तर पर व्यापार मार्जिन पर ७० प्रतिशत की अधिकतम सीमा निर्धारित की है। इससे पहले, फरवरी २०१९ में एनपीपीए ने सफलतापूर्वक कैंसर-रोधी दवाओं पर व्यापार मार्जिन पर अधिकतम सीमा निर्धारित की थी। अधिसूचित व्यापार मार्जिन के आधार पर, एनपीपीए ने विनिर्माताओं/आयातकों को तीन दिनों के भीतर संशोधित एमआरपी रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। एनपीपीए द्वारा एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक रूप से संशोधित एमआरपी की सूचना दे दी जाएगी।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Sarakar-Ne-Oxygen-Concentrators-Par-Vyapar-Margin-Ki-Adhikatam-Sima-Nirdharit-Ki.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता की
Tumblr media
हमें इस दशक की ज़रूरतों के साथ-साथ आने वाले दशकों की ज़रूरतों के लिए भी तैयार रहना होगा: प्रधानमंत्री
      प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता की।
    इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। लेकिन अतीत में जब भी कोई बड़ा मानवीय संकट आया है, विज्ञान ने एक बेहतर भविष्य के लिए रास्ता तैयार किया है। उन्होंने कहा कि विज्ञान की मूल प्रकृति संकट के समय समाधानों और संभावनाओं की तलाश कर नई ताकत पैदा करना है।
      मानवता को इस महामारी से बचाने के लिए एक साल के भीतर जिस पैमाने और गति से टीके बनाए गए, उसके लिए प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी घटना हुई है। उन्होंने कहा कि पिछली सदी में दूसरे देशों में आविष्कार किए गए थे और भारत को उनके लिए कई वर्षों तक इंतज़ार करना पड़ा था। लेकिन आज हमारे देश के वैज्ञानिक दूसरे देशों के साथ एक जैसी गति से और बराबर का काम कर रहे हैं। उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को कोविड-१९ के टीके, जांच किट, आवश्यक उपकरण और नई कारगर दवाओं के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को विकसित देशों के बराबर लाना उद्योग और बाज़ार के लिए बेहतर रहेगा।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Pradhanmantri-Ne-CSIR-Society-Ki-Baithak-Ki-Adhyakshata-Ki.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
प्रदर्शन कला: नाटक और रंगमंच
     नाटक प्रदर्शन कला की वह शाखा है जिसमें भाषण, हावभाव, संगीत, नृत्य और ध्वनि के संयोजन का उपयोग करके कहानियों का अभिनय किया जाता है।
Tumblr media
भारतीय नाटक
और रंगमंच का एक विशद इतिहास है। संगीत, ओपेरा, बैले, भ्रम, माइम, शास्त्रीय भारतीय नृत्य, काबुकी, ममर्स के नाटक, कामचलाऊ थिएटर, स्टैंड-अप कॉमेडी, पैंटोमाइम और गैर-पारंपरिक या आर्ट हाउस थिएटर जैसे कई थिएटर रूपों का विकास हुआ।
     भारतीय नाटक का इतिहास आकर्षक, गूढ़ और अविश्वसनीय है। भारत की एक स्वदेशी नाटकीय परंपरा है और अभी भी किसी भी विदेशी प्रभाव से अप्रभावित है। हिंदू नाटक उधार या किसी अन्य की नक़ल नहीं था, बल्कि यह देशी प्रतिभा की उपज है। नाटककार भासा या भरत को पारंपरिक रूप से भारतीय नाटक के इतिहास में संस्थापक और "पिता" माना जाता है।
     किसी भी साहित्यिक कृति को शासक को समर्पित करने की प्रथा थी जिसके पक्ष में; लेखक जीवित रहने के लिए बाध्य था। भारतीय नाटक का इतिहास ४०० और ९०० ईस्वी के बीच भारत में लिखे गए लगभग एक दर्जन नाटकों से शुरू होता है। कालिदास द्वारा लिखे गए शकुंतला और मेघदूत जैसे नाटक कुछ पुराने नाटक हैं, जो भासा द्वारा रचित तेरह नाटकों के बाद हैं। भारत के दो सबसे बड़े नाटककारों, कालिदास और भवबुती की रचनाओं का श्रेय क्रमशः सम्राट शूद्रक और श्रीहर्ष को जाता है।
    भारतीय नाटक के इतिहास में औपनिवेशिक काल और इसके विकास ने देश के नाटककारों के लिए एक क्रांतिकारी और लगभग बवंडर का दौर ला दिया था। अंग्रेजों के लिए सबसे प्रसिद्ध नाटक कालिदास का शकुंतला था, जिसका १७८९ में सर विलियम जोन्स द्वारा अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया था। इस नाटक ने जर्मन कवि, उपन्यासकार और नाटककार, गोएथे जैसे विद्वानों पर एक व्यावहारिक प्रभाव डाला और एक 'साहित्यिक सनसनी' पैदा की। तब यह सोचा गया था कि ग्रीक साहित्य ने भारत में प्रवेश किया था और उस समय के नाटककारों को प्रभावित किया था। यह नाटक देर से मध्य युग की यूरोपीय नैतिकता के समानांतर है। द सिग्नेट ऑफ द मिनिस्टर नामक एक राजनीतिक रचना, जो लगभग ८०० ईस्वी सन् में लिखी गई थी और द बाइंडिंग ऑफ ए ब्रैड ऑफ हेयर, प्राचीन भारत के अन्य प्रसिद्ध नाटक हैं।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Pradarshan-Kala-Natak-Aur-Rangmanch.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
प्रभावशाली रहा मई 2021 में भारत का व्यापार प्रदर्शन
Tumblr media
     वाणिज्य सचिव डॉ. अनूप वधावन ने आज कहा कि भारत का निर्यात प्रदर्शन प्रभावशाली बना हुआ है। मई 2021 में व्यापारिक निर्यात के अन���तिम आंकड़ों में मई 2020 के स्तर पर 67.39 प्रतिशत और मई 2019 के स्तर पर 7.93 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। मीडिया से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि पीओएल और रत्न और आभूषण को छोड़कर व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात के क्षेत्र मेंमई 2021 में 2020-21 की समान अवधि के मुकाबले 45.96 प्रतिशत और 2019-20 की समान अवधि के मुकाबले11.51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।
     मई 2021 के दौरान, पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में, व्यापारिक वस्तुओं के आयात में 68.54 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। मई 2019 की तुलना में मई 2021 के दौरान आयात में (-) 17.47 प्रतिशत की गिरावट आई है।
      मई 2021 में अनुमानित सेवा निर्यात 17.85 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जिसमें मई 2020 की तुलना में 6.44 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई है। मई 2020 की तुलना में,मई 2021 में सेवाओं के आयात का अनुमानित मूल्य 0.30 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज करते हुए 9.97 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जबकि, मई 2021 के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 7.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें मई 2020 की तुलना में 15.39 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज होने की संभावना है।
जिंस वार प्रगति का रूख
      जिन वस्तुओं/वस्तु समूहों ने मई 2021 और मई 2020 के दौरान सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है, वे हैं अन्य अनाज (823.83 प्रतिशत), जूट एमएफजी, फ्लोर कवरिंग समेत (255.77 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (199.85 प्रतिशत), हस्तशिल्प, हस्तनिर्मित कालीन समेत (192.05 प्रतिशत), रत्न और आभूषण (179.16 प्रतिशत), चमड़ा और चमड़ा निर्माता (155.06 प्रतिशत), मानव निर्मित यार्न/फैब्रिक/मेड-अप आदि (146.35 प्रतिशत), मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद (146.19 प्रतिशत), सूती धागे/फैब्रिक/मेड-अप, हथकरघा उत्पाद आदि (137.92 प्रतिशत), सभी वस्त्रों का आरएमजी (114.15 प्रतिशत), कालीन (107.97 प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक सामान (90.8 प्रतिशत), सिरेमिक उत्पाद और कांच के बने पदार्थ (81.39 प्रतिशत), अभ्रक, कोयला और अन्य अयस्क, प्रसंस्कृत खनिजों सहित खनिज (74.95 प्रतिशत), भुना अनाज और विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं (53.66 प्रतिशत), इंजीनियरिंग सामान (53.14 प्रतिशत), काजू (38.4 प्रतिशत), समुद्री उत्पाद (33.59 प्रतिशत), लौह अयस्क (25.68 प्रतिशत), प्लास्टिक और लिनोलियम (20.44 प्रतिशत), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (20.11 प्रतिशत), तंबाकू (15.06 प्रतिशत), चावल (12.22 प्रतिशत), तिलहन की खली (8.28 प्रतिशत), मसाले (1.37 प्रतिशत) और कॉफी (1.07) प्रतिशत)।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Prabhavshali-Raha-May-2021-Me-Bharat-Ka-Vyapar-Pradarshan.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
भगवान शिव को क्यों प्रिय है श्मशान?
Tumblr media
भगवान शिव को क्यों प्रिय है श्मशान? श्मशानेष्वाक्रीडा स्मरहर पिशाचाः सहचराः। चिता-भस्मालेपः स्रगपि नृकरोटी-परिकरः।। अमङ्गल्यं शीलं तव भवतु नामैवमखिलं। तथापि स्मर्तॄणां वरद परमं मङ्गलमसि।। भावार्थ     आप श्मशान में रमण करते हैं, भूत - प्रेत आपके मित्र हैं, आप चिता भष्म का लेप करते हैं तथा मुंडमाल धारण करते हैं। ये सारे गुण ही अशुभ एवं भयावह जान पड़ते हैं। तब भी हे श्मशान निवासी! उन भक्तों जो आपका स्मरण करते है, आप सदैव शुभ और मंगल करते है।      मृत्यु का पल या मृत्यु की संभावना अधिकतर लोगों के जीवन का सबसे तीव्र अनुभव होता है। उनमें से अधिकांश लोग तीव्रता के उस स्तर को अपने जीवनकाल में कभी महसूस नहीं कर पाते। उनके प्रे�� में, उनकी हंसी में, उनकी खुशी में, उनके आनंद में, उनके दुख में.. किसी भी स्थिति में वैसी तीव्रता नहीं होती।       इसी वजह से शिव श्मशान या कायांत में जाकर बैठते और इंतजार करते हैं। 'काया' का अर्थ है 'शरीर' और 'अंत'  का मतलब है 'खत्म होना'। कायांत का अर्थ है : जहां शरीर खत्म हो जाता है, न कि जहां जीवन खत्म होता है। अगर आप अपने जीवन में केवल अपने शरीर को ही जानते हैं, तो जिस पल आप शरीर छोड़ते हैं, वह पल आपके जीवन का सबसे तीव्र पल बन जाता है।      अगर आप अपने शरीर के परे कुछ जानते हैं, तो शरीर का छोड़ना बहुत महत्वपूर्ण नहीं रह जाता। जिस किसी ने भी यह पहचान ��िया है कि वह कौन है, और क्या है, उसके लिए कायांत उतना बड़ा पल नहीं होता। वह सिर्फ जीवन का एक और पल है, बस। लेकिन जिन्होंने सिर्फ एक स्थूल शरीर के रूप में जीवन जिया है- जब उन्हें शरीर के रूप में सब कुछ छोड़ना पड़ता हैं, तब वह पल बहुत ही तीव्र होता है।       अगर आप सिर्फ एक काया न बनकर, जीव बन जाएं, अगर आप सिर्फ एक जीवित शरीर नहीं, बल्कि एक जीवित प्राणी बन जाएं- तो अमरता आपके लिए एक स्वाभाविक स्थिति होगी। अमरता हर किसी के लिए एक स्वाभाविक स्थिति है। नश्‍वरता एक गलती है। यह जीवन के बारे में गलत समझ है। स्थूल शरीर का कायांत, निश्चित रूप से आएगा। लेकिन अगर आप सिर्फ एक काया न बनकर, जीव बन जाएं,  अगर आप सिर्फ एक जीवित शरीर नहीं, बल्कि एक जीवित प्राणी बन जाएं- तो अमरता आपके लिए एक स्वाभाविक स्थिति होगी। आप नश्वर हैं या अमर, यह केवल आपकी समझ पर निर्भर करता है; इसके लिए अस्तित्व में किसी बदलाव की जरूरत नहीं है। ................
पूरा आलेख पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Bhagvan-Shiv-Ko-Kyon-Priy-Hai-Shmashan.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
हिन्दू शब्द की उत्पत्ति
हिन्दू शब्द की उत्पत्ति
Tumblr media
      हिन्दू कौन हैं? क्या आप जानते हैं? नहीं जानते है तो पढ़ें... हिन्दू शब्द की खोज -
"हीनं दुष्यति इति हिन्दूः से हुई है।”
     अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं। 'हिन्दू' शब्द, करोड़ों वर्ष प्राचीन, संस्कृत शब्द है! यदि संस्कृत के इस शब्द का सन्धि विछेदन करें तो पायेंगे ....
हीन+दू = हीन भा��ना + से दूर
     अर्थात जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे, मुक्त रहे, वो हिन्दू है! हमें बार-बार, सदा झूठ ही बतलाया जाता है कि हिन्दू शब्द मुगलों ने हमें दिया, जो "सिंधु" से "हिन्दू" हुआ. हिन्दू शब्द की वेद से ही उत्पत्ति है!
जानिए, कहाँ से आया हिन्दू शब्द, और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति?
      कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह फारसी शब्द है। परंतु ऐसा कुछ नहीं है! ये केवल झुठ फ़ैलाया जाता है। हमारे "वेदों" और "पुराणों" में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला है! "ऋग्वेद" के "ब्रहस्पति अग्यम" में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया हैं :-
“हिमलयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं । तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।
     अर्थात हिमालय से इंदु सरोवर तक, देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं! केवल "वेद" ही नहीं, बल्कि "शैव" ग्रन्थ में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया हैं:-
"हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये।”
      अर्थात जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं! इससे म���लता जुलता लगभग यही श्लोक "कल्पद्रुम" में भी दोहराया गया है :................
पूरा आलेख पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Hindu-Shabd-Ki-Utpatti.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क की नकल करने वाला कुशल आर्टिफिशियल सिनैप्टिक नेटवर्क विकसित किया
Tumblr media
    वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जो मानव मस्तिष्क की ज्ञान से संबंधित क्रिय���ओं की नकल कर सकता है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तरह काम करने में पारंपरिक तकनीकों की तुलना में अधिक कुशल है, इस प्रकार कम्प्यूटेशनल गति और ऊर्जा की खपत दक्षता को बढ़ाता है।     आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा है, जो ईमेल फिल्टर और संचार में स्मार्ट जवाबों से प्रारंभ होकर कोविड-19 महामारी से लड़ने में सहायता करता है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस  सेल्फ-ड्राइविंग ऑटोनॉमस व्हीकल्स, स्वास्थ्य सेवा के लिए संवर्धित रियलिटी, ड्रग डिस्कवरी, बिग डेटा हैंडलिंग, रियल-टाइम पैटर्न/ इमेज पहचान, रियल-वर्ल्ड की समस्याओं को हल करने जैसा बहुत कुछ कर सकता है। इनका अहसास एक न्यूरोमॉर्फिक उपकरण की सहायता से किया जा सकता है जो मस्तिष्क से प्रेरित कुशल कंप्यूटिंग क्षमता प्राप्ति के लिए मानव मस्तिष्क ढांचे की नकल कर सकता है। मानव मस्तिष्क में लगभग सौ अरब न्यूरॉन्स होते हैं जिनमें अक्षतंतु और डेंड्राइट होते हैं। ये न्यूरॉन्स बड़े पैमाने पर एक दूसरे के साथ अक्षतंतु और डेंड्राइट के माध्यम से जुड़ते हैं, जो सिनैप्स नामक विशाल जंक्शन बनाते हैं। माना जाता है कि यह जटिल जैव-तंत्रिका नेटवर्क ज्ञान संबंधी बेहतर क्षमताएं देता है।      सॉफ्टवेयर-आधारित कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (एएनएन) को खेलों (अल्फागो और अल्फाज़ेरो) में मनुष्यों को हराते हुए या कोविड -19 स्थिति को संभालने में मदद करते हुए देखा जा सकता है। लेकिन पावर-हंग्री  (मेगावाट में) वॉन न्यूमैन कंप्यूटर आर्किटेक्चर उपलब्ध सीरियल प्रोसेसिंग के कारण एएनएन के प्रदर्शन को धीमा कर देता है, जबकि मस्तिष्क समानांतर प्रसंस्करण के माध्यम से केवल 20 वाट्स की खपत करता है। यह अनुमान लगाया गया है कि मस्तिष्क शरीर की ऊर्जा का  कुल का 20% खपत करता है। कैलोरी के  रूपांतरण से यह 20 वाट है जबकि परंपरागत कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म बुनियादी मानव ज्ञान  की नकल करने के लिए मेगावाट, यानी 10 लाख वाट ऊर्जा की खपत करते हैं।    इस बाधा को दूर करने के लिएएक हार्डवेयर आधारित समाधान में एक कृत्रिम सिनैप्टिक उपकरण शामिल होता है, जो ट्रांजिस्टर के विपरीत, मानव मस्तिष्क सिनैप्स के कार्यों का अनुकरण कर सकता है। वैज्ञानिक लंबे समय से एक सिनैप्टिक डिवाइस विकसित करने का प्रयास कर रहे थे जो बाहरी सपोर्टिंग (सीएमओएस) सर्किट की सहायता के बिना जटिल मनोवैज्ञानिक व्यवहारों की नकल कर सकता है।    इस चुनौती के समाधान के लिए भारत सरकार के वि��्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत काम करने वाली स्वायत्त संस्था जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक सरल स्व-निर्माण विधि के माध्यम से (उपकरण संरचना गर्म करते समय स्वयं द्वारा बनाई जाती है) जैविक तंत्रिका नेटवर्क जैसा एक कृत्रिम सिनैप्टिक नेटवर्क (एएसएन) बनाने का एक नया दृष्टिकोण तैयार किया। यह उपलब्धि ‘मेटिरियल्स होराइजन्स‘ पत्रिका में हाल में प्रकाशित हुई है।    फैब्रिकेशन विधि से न्यूरोमॉर्फिक एप्लीकेशनों के लिए एक सिनैप्टिक उपकरण विकसित करने के उद्देश्य सेजेएनसीएएसआर की टीम ने जैविक प्रणाली की तरह न्यूरोनल निकायों और एक्सोनल नेटवर्क ..................
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/05/Vaigyanikon-Ne-Manav-Mastishk-Ki-Nakal-Karne-Vala-Kushal-Artificial-Sinaiptic-Network-Viksit-Kiya.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
हनुमान चालीसा की उत्पत्ति
     यह कहानी नही एक सत्य कथा है, शायद कुछ ही लोगो को यह पता होगा.....?  पवन पुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते है और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते है, पर इसकी उत्पत्ति कहा और कैसे हुई यह जानकारी बहुत ही कम लोगो को होगी।
Tumblr media
      बात 1600 ईसबी की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था। एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे रात होने से पहले उन्होंने अपना पडाव आगरा में डाला, लोगो को पता लगा की तुलसी दास जी ��गरा में पधारे है। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगो का ताँता लग गया।  जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने वीरबल से पुंछा की यह तुलसीदास कौन हैं.....? तब वीरबल ने बताया, इन्होंने ही रामचरितमानस की रचना की है, यह रामभक्त तुलसीदास जी है। मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा में भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।
      बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियो की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और  तुलसीदास जी को बादशाह का पैगाम सुनाया, की आप लाल किले में हाजिर हों। यह पैगाम सुन कर तुलसीदास जी ने कहा की मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, मुझे बादशाह और लाल किले से मुझे क्या लेना देना और लाल किले जाने की साफ मना कर दिया। जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो बहुत बुरी लगी और बादशाह अकबर गुस्से में लालताल हो गया, और उन्होंने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़बा कर लाल किला लाने का आदेश दिया। जब तुलसीदास जी जंजीरों से जकड़े लाल किला पहुंचे तो अकबर ने कहा की आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसी दास ने कहा मैं तो सिर्फ भगवान श्रीराम जी का भक्त हूँ कोई जादूगर नही हूँ जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। अकबर यह सुन कर आग बबूला हो गया और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।
     दूसरे दिन इसी आगरा के लाल किले पर लाखो बंदरो ने एक साथ हमला बोल दिया पूरा किला तहस नहस कर डाला। लाल किले में त्राहि त्राहि मच गई तब अकबर ने वीरबल को बुला कर पूंछा की वीरबल यह क्या हो रहा है....? वीरबल ने कहा  हुज़ूर आप करिश्मा देखना चाहते थे तो देखिये। अकबर ने तुरंत तुलसी दास जी को कल कोठरी से निकल वाया..............
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/06/Hanuman-Chalisa-Ki-Utpatti.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और सशक्तिकरण के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन – एम्पावरमेंट ऑफ कोविड अफेक्टेड चिल्ड्रेन का शुभारंभ
Tumblr media
कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और सशक्तिकरण के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन – एम्पावरमेंट ऑफ कोविड अफेक्टेड चिल्ड्रेन का शुभारंभ किया गया
सरकार कोविड के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के साथ खड़ी हैऐसे बच्चों को 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर मासिक वित्तीय सहायता और 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये की राशि मिलेगीकोविड के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा सुनिश्चित की जाएगीऐसे बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण दिलाने में सहायता की जाएगी और पीएम केयर्स उस ऋण पर लगने वाले ब्याज का भुगतान करेगाऐसे बच्चों को आयुष्मान भारत के तहत 18 वर्ष की आयु तक 5 लाख रुपये का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा और प्रीमियम का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा
बच्चे देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और हम बच्चों की सहायता एवं सुरक्षा के लिए सब कुछ करेंगे: प्रधानमंत्री
एक समाज के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों की देखभाल करें और उनमें उज्ज्वल भविष्य की आशा जगाएं: प्रधानमंत्री
    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड -19 के कारण अपने माता-पिता को खो देने वाले बच्चों की सहायता करने के लिए उठाये जा सकने वाले कदमों के बारे में चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री ने वर्तमान कोविड महामारी से प्रभावित बच्चों के लिए कई सुविधाओं की घोषणा की। इन उपायों की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चे देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और देश बच्चों की सहायता एवं सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगा ताकि वे मजबूत नागरिक के रूप में उभरें और उनका भविष्य उज्ज्वल हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे कठिन समय में एक समाज के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों की देखभाल करें और उनमें एक उज्ज्वल भविष्य की आशा जगाएं। कोविड-19 के कारण माता-पिता दोनों या माता-पिता में से जीवित बचे या कानूनी अभिभावक/दत्तक माता-पिता को खोने वाले सभी बच्चों को 'पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना के तहत सहायता दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन उपायों की घोषणा की जा रही है, वे सिर्फ पीएम केयर्स फंड जोकि कोविड -19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में सहायता करेगा, में उदार योगदान के कारण संभव हुए हैं।
और अधिक पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/05/Covid-Se-Prabhavit-Bachchon-Ki-Sahayata-Aur-Sashaktikaran-Ke-Liye-PM-Cares-For-Children-Empowerment-Of-Covid-Affected-Children-Ka-Shubharambh.html
0 notes
janbhaashahindi · 4 years ago
Text
गायत्री मन्त्र की गुप्त शक्तियाँ
Tumblr media
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
गायत्री सनातन एवं अनादि मंत्र है। पुराणों में कहा गया है कि ‘‘सृष्टिकर्त्ता ब्रह्मा को आकाशवाणी द्वारा गायत्री मंत्र प्राप्त हुआ था, इसी गायत्री की साधना करके उन्हें सृष्टि निर्माण की शक्ति प्राप्त हुई। गायत्री के चार चरणों की व्याख्या स्वरूप ही ब्रह्माजी ने चार मुखों से चार वेदों का वर्णन किया। गायत्री को वेदमाता कहते हैं। चारों वेद, गायत्री की व्याख्या मात्र हैं।’’ गायत्री को जानने वाला वेदों को जानने का लाभ प्राप्त करता है।
गायत्री के 24 अक्षर 24 अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण शिक्षाओं के प्रतीक हैं। वेद, शास्त्र, पुराण, स्मृति, उपनिषद् आदि में जो शिक्षाएँ मनुष्य जाति को दी गई हैं, उन सबका सार इन 24 अक्षरों में मौजूद है। इन्हें अपनाकर मनुष्य प्राणी व्यक्तिगत तथा सामाजिक सुख-शान्ति को पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकता है। गायत्री गीता, गंगा और गौ यह भारतीय संस्कृति की चार आधारशिलायें हैं, इन सबमें गायत्री का स्थान स��्व प्रथम है। जिसने गायत्री के छिपे हुए रहस्यों को जान लिया, उसके लिए और कुछ जानना शेष नहीं रहता।
समस्त धर्म ग्रन्थों में गायत्री की महिमा एक स्वर से कही गई। समस्त ऋषि-मुनि मुक्त कण्ठ से गायत्री का गुण-गान करते हैं। शास्त्रों में गायत्री की महिमा बताने वाला साहित्य भरा पड़ा है। उसका संग्रह किया जाय, तो एक बड़ा ग्रन्थ ही बन सकता है। गीता में भगवान् ने स्वयं कहा है ‘गायत्री छन्दसामहम्’ अर्थात् गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूँ। गायत्री उपासना के साथ-साथ अन्य कोई उपासना करते रहने में कोई हानि नहीं। सच तो यह है कि अन्य किसी भी मन्त्र का जाप करने में या देवता की उपासना में तभी सफलता मिलती है, जब पहले गायत्री द्वारा उस मंत्र या देवता को जाग्रत कर लिया जाए। कहा भी है-
यस्य कस्यापि मन्त्रस्य पुरश्चरणमारभेत्।
व्याहृतित्रयसंयुक्तां गायत्रीं चायुतं जपेत्।।
नृसिंहार्कवराहाणां तान्त्रिक वैदिकं तथा।
बिना जप्त्वातु गायत्रीं तत्सर्वं निष्फल भवेत।।
चाहे किसी मंत्र का साधन किया जाए। उस मंत्र को व्याहृति समत गायत्री सहित जपना चाहिए। चाहे नृसिंह, सूर्य, वराह आदि किसी की उपासना हो या वैदिक एवं तान्त्रिक प्रयोग किया जाए, बिना ���ायत्री को आगे लिए वे सब निष्फल होते हैं। इसलिए गायत्री उपासना प्रत्येक साधक के लिए आवश्यक है।
गायत्री सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोत्तम मन्त्र है। जो कार्य संसार में किसी अन्य मन्त्र से हो सकता है, गायत्री से भी अवश्य हो सकता है। इस साधना में कोई भूल रहने पर भी किसी का अनिष्ट नहीं होता, इससे सरल, स्वल्प, श्रम साध्य और शीघ्र फलदायिनी साधना दूसरी नहीं है।
समस्त धर्म ग्रन्थों में गायत्री की महिमा एक स्वर से कही गई है। अथवर्वेद में गायत्री को आयु, विद्या, सन्तान, कीर्ति, धन और ब्रह्मतेज प्रदान करने वाली कहा गया है। विश्वामित्र ऋषि का कथन है-‘‘गायत्री के समान चारों वेदों में कोई मंत्र नहीं है। सम्पूर्ण वेद, यज्ञ, दान, तप गायत्री की एक कला के समान भी नहीं है।’’
गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों में अनेक ज्ञान-विज्ञान छिपे हुए हैं। अनेक दिव्य अस्त्र-शस्त्र, सोना आदि बहुमूल्य धातुओं का बनाना, अमूल्य औषधियाँ, रसायनें, दिव्य यन्त्र अनेक ऋद्धि-सिद्धियाँ, शाप, वरदान के प्रयोग, नाना प्रयोजनों के लिए नाना प्रकार के उपचार, परोक्ष विद्या, अन्तर्दृष्टि, प्राण विद्या, वेधक, प्रक्रिया, शूल शाल्य, वाममार्गी तंत्र विद्या, कुण्डलिनी, चक्र, दश, महाविद्या, महामातृका, जीवन, निर्मोक्ष, रूपान्तरण, अक्षात, ��ेवन, अदृश्य, दर्शन, शब्द परव्यूह, सूक्ष्म संभाषण आदि अनेक लुप्त प्राय महान् विद्याओं के रहस्य बीज और संकेत गायत्री में मौजूद हैं। इन विद्याओं के कारण एक समय हम जगद्गुरु, चक्रवर्ती शासक और स्वर्ग सम्पदाओं के स्वामी बने हुए थे, आज इन विद्याओं को भूलकर हम सब प्रकार दीन- हीन बने हुए हैं। गायत्री में सन्निहित उन विद्याओं का यदि फिर प्रकटीकरण हो जाए, तो हम अपना प्राचीन गौरव प्राप्त कर सकते हैं।
गायत्री साधना द्वारा आत्मा पर जमे हुए मल विक्षेप हट जाते हैं, तो आत्मा का शुद्ध स्वरूप प्रकट होता है और अनेक ऋद्धि-सिद्धियाँ परिलक्षित होने लगती हैं। दर्पण माँज पर उसका मैल छूट जाता है, उसी प्रकार गायत्री साधना से आत्मा निर्मल एवं प्रकाशवान् होकर ईश्वरीय शक्तियों, गुणों, सामर्थ्यों एवं सिद्धियों से परिपूर्ण बन जाती है।
आत्मा के कल्याण की अनेक साधनायें हैं। सभी का अपना-अपना महत्त्व है और उनके परिणाम भी अलग-अलग हैं। ‘स्वाध्याय’ से सन्मार्ग की जानकारी होती है। ‘सत्संग’ से स्वभाव और संस्कार बनते हैं। कथा सुनने से सद्भावनाएँ जाग्रत होती हैं। ‘तीर्थयात्रा’ से भावांकुर पुष्ट होते हैं। ‘कीर्तन’ से तन्मयता का अभ्यास होता है। दान-पुण्य से सुख-सौभाग्यों की वृद्धि होती है। ‘पूजा-अर्चा’ से आस्तिकता बढ़ती है। इस प्रकार यह सभी साधन ऋषियों ने बहुत सोच-समझकर प्रचलित किये हैं। पर ‘तप’ का महत्त्व इन सबसे अधिक है। तप की अग्नि में पड़कर ही आत्मा के मल विक्षेप और पाप-ताप जलते हैं। जप के द्वारा ही आत्मा में वह प्रचण्ड बल पैदा होता है, जिसके द्वारा सांसारिक तथा आत्मिक जीवन की समस्याएँ हल होती हैं। तप की सामर्थ्य से ही नाना प्रकार की सूक्ष्म शक्तियाँ और दिव्य सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। इसलिए तप साधन को सबसे शक्तिशाली माना गया है। तप के बिना आत्मा में अन्य किसी भी साधन से तेज प्रकाश बल एवं पराक्रम उत्पन्न नहीं होता।
पूरा आलेख पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ...
https://www.janbhaashahindi.com/2021/05/Gayatri-Mantra-Ki-Gupt-Shaktiyan.html
0 notes