मुसलमानों के पीर शेख तकी ने कबीर साहेब को बांध कर एक गहरे झेरे कुएं में डलवा दिया। उसके बाद उस कुएं को ऊपर तक भरवा दिया। कबीर साहेब को मृत मानकर शेख तक सिकंदर लोधी के पास ये खुशखबरी सुनाने के लिए गया। वहां परमात्मा कबीर साहेब को सिकंदर लोधी के पास ही बैठा पाया
एक बार कबीर परमेश्वर जी को शेखतकी ने खूनी हाथी के सामने हाथ पैर बांध कर डलवा दिया। लेकिन जैसे ही हाथी कबीर परमेश्वर के पास आया तो कबीर परमेश्वर के स्थान पर शेर दिखाई दिया। जिसे देखकर हाथी डरके मारे भाग गया।
एक बार शेखतकी ने कबीर साहेब के नाम से झूठी चिठ्ठी डाली, कि कबीर साहेब तीन दिन का भंडारा कर रहे हैं। कपड़ा बुनकर आजीविका चलाने वाले समर्थ कबीर परमेश्वर ने तीन दिन तक 18 लाख लोगों को भंडारा कराया।