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प्राण का अर्थ है-ऐसा जीवन तत्व जो ब्रह्माण्ड के साथ ही साथ मानव शरीर में भी व्याप्त है। इस प्राण के माध्यम से ही मानव का इस ब्रह्माण्ड से अटूट सम्बन्ध है। प्राण को दूसरे रूप में जीवन कहा गया है। यदि प्राण बंद हो जाते हैं तो यही समझा जाता है कि जीवन समाप्त हो गया है। प्राण की व्याख्या करते हुए शास्त्रों में लिखा है-
“प्राण यति जीव यति इति प्राण”
अर्थात् जो प्राणी मात्र के जीवन का आधार बन कर रहता है वह प्राण है।
प्राण को नियमित रूप से संचालित करने को प्राणायाम कहा गया है। इसके माध्यम से चंचल और उच्छृंखल मन निर्दिष्ट केन्द्र पर स्थिर होना सीखता है, और जीवन एक सही रूप में नियमित होता है ।
श्वास की गति में तीव्रता होने से जीवन का शक्ति-कोष जल्दी समाप्त हो जाता है,
खरगोश प्रति मिनट ३८ बार श्वास लेता हैं और उसकी आयु ८ वर्ष होती है। इसी प्रकार कबूतर श्वास प्रति मिनट ३७, आयु ८ वर्ष। कुत्ता श्वास प्रति मिनट २८, आयु १३ वर्ष । बकरी श्वास, प्रति मिनट २४, आयु १४ वर्ष । मनुष्य श्वास प्रति मिनट १२, आयु १०० वर्ष । हाथी श्वास प्रति मिनट ११, आयु १०० वर्ष । कछुआ श्वास प्रति मिनट ४, आयु १५० वर्ष ।
इस तालिका से स्पष्ट होता है कि ��्रति मिनट जितनी कम श्वास ली जाती है उसकी आयु १५-१६ तक पहुँच गई है। इसी अनुपात से उसकी आयु भी घट गई है।
जब श्वास की गति बढ़ती है तो तापमान भी बढ़ जाता है। यह बढ़ा हुधा तापमान आयु क्षय करता है।
प्राणायाम में गहरी और लम्बी श्वांस लेने का अभ्यास किया जाता है। यह अभ्यास व्यक्ति के सामान्य समय में भी हो जाता है अर्थात प्राणायाम का अभ्यास करने वाला व्यक्ति सामान्य जीवन में भी लम्बी और गहरी श्वास लेने का अभ्यस्त हो जाता है। ऐसा होने पर उसका दीर्घ जीवी होना स्वाभाविक है।

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