The Holy Scriptures of Christianity and Islam proves that the Creator of the entire nature, the Destroyer of all sins, the Almighty, Eternal God is in visible human-like form and resides in Satlok. His name is Kabir, and is also called 'Allahu Akbar'.
Complete God KavirDev (Supreme God Kabir Sahib Ji), even prior to the knowledge of the Vedas, was present in Satlok, and has also Himself appeared in all the four yugas to impart His real knowledge.
સંત રામપાલજી મહારાજ એક એવા સમાજનું નિર્માણ કરવા માંગે છે, જ્યાં વિશ્વના સૌ માનવીઓ વાસ્તવિક પરમાત્મા કબીરજીની સત ભક્તિ કરે. સમાજમાં કોઈ પણ વ્યક્તિ દુ:ખી ન હોય. દરેક સમસ્યાનું સમાધાન હોય અને ધરતી સ્વર્ગ સમાન બની જાય.
सम्पूर्ण विश्वमाथि संत रामपालजी महाराजको सबभन्दा ठूलो उपकार संत रामपालजी महाराजले संपूर्ण विश्वमाथि सबभन्दा ठूलो उपकार के गर्नुभयो भने उहाँले हामीलाई हाम्रो निज घर सतलोकसित परिचित गराउनुभयो। होइन भने, आजसम्म नकली संतहरूले हामीलाई स्वर्गभन्दा माथिको कुनै जानकारी दिएका थिएनन्।
मगहर के समीप एक आमी नदी बहती थी। वह भगवान शंकर जी के श्राप से सूख गई थी। पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब ने उसी समय अपनी शक्ति से उसमें पानी बहाया। आज भी आमी नदी प्रमाण के तौर पर बह रही है। फिर परमेश्वर कबीर साहेब लाखों लोगों के सामने सशरीर सतलोक गये।
मगहर रियासत के अकाल प्रभावित स्थान में गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरुष भी बारिश करवाने में नाकाम रहे थे। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने वहां कुछ ही क्षण में बारिश करवाकर दिखा दी थी और साबित कर दिया कि वही जगत के पालनहार हैं।
शेखतकी ने जुल्म गुजारे बावन करी वदमाशी।खूनी हाथी आगे डाले बाँध जूड अबिनाशी।।सिकन्दर लाेधीका धार्मिक पीर/गुरु शेखतकीले कबीर साहेबलाई मार्नको लागि 52 पटक प्रयास गर्यो जसलाई 52 बदमाशीको नामले जानिन्छ, तर अविनाशी परमात्मालाई मार्नमा असफल रह्यो
कबीर परमात्मा जी द्वारा 18 लाख लोगों को भंडारा करवाना*
शेखतकी ने कबीर साहेब जी के नाम पर काशी में सभी को झूठी चिट्ठियां डाल दी थी और कबीर परमात्मा ने अपनी लीला के द्वारा काशी में 3 दिन तक विशाल भंडारे का आयोजन किया जिसमें 18 लाख लोगों ने भोजन किया था
कहते हैं कि, परमात्मा ही "अनहोनी को होनी और होनी को अनहोनी" कर सकता है।
ऐसे ही अनेकों अनहोनी कबीर परमेश्वर ने की थी आज से लगभग 600 वर्ष पहले। मुसलमान शेखतकी पीर की कब्र में दफ़न मरी हुई लड़की को हजारों लोगों के सामने जीवित किया था।
आदरणीय मलूक दास जी को परमेश्वर कबीर जी मिले और उन्हें सही आध्यात्मिक ज्ञान समझाया मलूक दास जी दो दिनों तक अचेत रहे। जब परमेश्वर ने उनकी आत्मा को सतलोक की सैर करवा दी तब पुनः पृथ्वी पर भेजा।
एक बार जीवा और दत्ता दो भाइयों ने ठाना कि पृथ्वी पर कोई पूर्ण संत होगा तो उनके चरणामृत से सूखी डाली हरी हो जाएगी उन्होंने उस समय के सभी प्रसिद्ध सन्तों/गुरुओं की परीक्षा ली, कुछ नहीं हुआ अन्त में जिन्दा महात्मा के रूप में प्रकट कबीर साहिब जी का चरणामृत सूखी डाली पर डाला तो उसी समय वह हरी-भरी हो गयी। इसका प्रमाण आज भी गुजरात के भरुच शहर में मौजूद है। वह पेड़ कबीर वट के नाम से जाना जाता है।
कबीर परमेश्वर जी जिंदा महात्मा के रूप में जम्भेश्वर जी महाराज (बिश्नोई धर्म प्रवर्तक) को समराथल में आकर मिले थे। अपना तत्वज्ञान समझाया। उन्होंने अपनी वाणी में प्रमाण दिया -
जो जिन्दो हज काबे जाग्यो, थलसिर (समराथल) जाग्यो सोई।
वह परमात्मा जिन्दा रूप में थल सिर (समराथल) स्थान में आया और मुझे जगाया।
गरीब , नौ लख नानक नाद में , दस लख गोरख तीर। लाख दत्त संगी सदा , चरणौं चरचि कबीर
परमात्मा कबीर जी की शरण में आकर नाद यानी वचन के शिष्य बन कर, श्री नानक देव जी जैसे भक्त नौ लाख पार हो गए, तथा श्री गोरखनाथ जी जैसे सिद्ध पुरुष दस लाख पार हो गए, श्री दत्तात्रेय जैसे ऋषि एक लाख उनकी शरण में सदा उनकी महिमा की चर्चा करते रहते हैं���
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