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कबीर, सतगुरु शरण में आने से, आई टले बलाय।
जै मस्तिक में सूली हो वह कांटे में टल जाय।।
सतगुरु अथार्त् तत्वदर्शी संत से उपदेश लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से प्रारब्ध कर्म के पाप अनुसार यदि भाग्य में सजाए मौत हो तो वह पाप कर्म हल्का होकर
सामने आएगा।

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पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण
सूरः अल बकरा-2 की आयत नं. 243:-
तुमने उन लोगों के हाल पर भी कुछ विचार किया जो मौत के डर से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे और हजारों की तादाद में थे। अल्लाह ने उनसे कहा मर जाओ। फिर उसने उनको दोबारा जीवन प्रदान किया। हकीकत यह है कि अल्लाह इंसान पर बड़ी दया
करने वाला है। मगर अधिकतर लोग शुक्र नहीं करते।
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जगन्नाथ मंदिर जाने से पहले जानें यह रहस्य
समुद्र बार बार जगन्नाथ मंदिर को तोड़ रहा था और विष्णु जी से प्रतिशोध ले रहा था। समुद्र ने कबीर परमात्मा से कहा कि जब यह श्री कृष्ण जी त्रेतायुग में श्री रामचन्द्र रूप में आया था तब इसने मुझे अग्नि बाण दिखा कर बुरा भला कह कर अपमानित
करके रास्ता मांगा था। मैं वह प्रतिशोध लेने जा रहा हूँ।

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जगन्नाथ मंदिर जाने से पहले जानें यह रहस्य
समुद्र बार बार जगन्नाथ मंदिर को तोड़ रहा था और विष्णु जी से प्रतिशोध ले रहा था। समुद्र ने कबीर परमात्मा से कहा कि जब यह श्री कृष्ण जी त्रेतायुग में श्री रामचन्द्र रूप में आया था तब इसने मुझे अग्नि बाण दिखा कर बुरा भला कह कर अपमानित
करके रास्ता मांगा था। मैं वह प्रतिशोध लेने जा रहा हूँ।

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जगन्नाथ मंदिर जाने से पहले जानें यह रहस्य
समुद्र बार बार जगन्नाथ मंदिर को तोड़ रहा था और विष्णु जी से प्रतिशोध ले रहा था। समुद्र ने कबीर परमात्मा से कहा कि जब यह श्री कृष्ण जी त्रेतायुग में श्री रामचन्द्र रूप में आया था तब इसने मुझे अग्नि बाण दिखा कर बुरा भला कह कर अपमानित
करके रास्ता मांगा था। मैं वह प्रतिशोध लेने जा रहा हूँ।

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मगहर के समीप एक आमी नदी बहती थी। वह भगवान शंकर जी के श्राप से सूख गई थी। पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब ने उसी समय अपनी शक्ति से उसमें पानी बहाया। आज भी आमी नदी प्रमाण के तौर पर बह रही है। फिर परमेश्वर कबीर साहेब लाखों लोगों के सामने सशरीर सतलोक गये।

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परमात्मा कबीर जी ने कहा था कि काल द्वारा चलाए गए 12 नकली पंथों के मिट जाने के बाद अपने ज्ञान को खुद आकर पुनः प्रकट करूंगा। फिर से सतयुग जैसा माहौल होगा।
परमेश्वर कबीर जी इस समय सतगुरु रामपाल जी महाराज जी के रूप में आए हुए हैं। सतगुरु रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गयी सतभक्ति से आज उनके करोड़ों शिष्य विकार रहित व सुखमय जीवन जी रहे हैं।
आप भी आओ और अपना कल्याण करवाओ।
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देवेंद्र सोनीपत, हरियाणा के रहने वाले एक व्यक्ति के फेंफड़े पूरी तरह ख़राब हो गए थे, डॉक्टरों ने कह दिया था कि यह मुश्किल से 15-20 दिन निकाल पाएंगे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लेने मात्र से, बिना कोई दवाई खाये वे बिलकुल ठीक हो गए। 600 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर भी ऐसी अनहोनियाँ किया करते थे। ऐसे लाभ परमात्मा के अतिरिक्त और कोई नहीं दे सकता l

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दिल्ली निवासी रेनू ने सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने से पहले संतोषी माता की 10 साल तक भक्ति की। संत रामपाल जी महाराज ने रेनू का जिन्न से पीछा छुड़ाया और जीवनदान दिया। उसके बाद रेनू ने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा 20 अक्टूबर 2013 में ले ली। ऐसे लाभ सिर्फ परमात्मा ही दे सकते हैं।

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मुसलमानों के पीर शेख तकी ने कबीर साहेब को बांध कर एक गहरे झेरे कुएं में डलवा दिया। उसके बाद उस कुएं को मिट्टी, गोबर, कांटे आदि डाल कर 150 फ़ीट ऊपर तक भरवा दिया। कबीर साहेब को मृत मानकर शेख तक सिकंदर लोधी के पास ये खुशखबरी सुनाने के लिए गया। वहां परमात्मा कबीर साहेब को सिकंदर लोधी के पास ही आसन पर बैठा पाया।

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शेखतकी ने विचार किया कि चक्र बनाकर कबीर स���हेब के सिर को काट दिया जाये। फिर एक दिन शेखतकी का इशारा पाकर चक्र चालक ने वार किया लेकिन उसका ही सिर कट गया। फिर कबीर साहेब ने उसे जिन्दा कर दिया अपनी शक्ति से क्योंकि कबीर परमात्मा समर्थ हैं।

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शेख फरीद को मिले परमात्मा
हठ योग करते हुए कुएं में उल्टे लटके हुए शेख फरीद को कबीर परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले और उन्हें वास्तविक ज्ञान से परीचित करवाया।

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শ্রী মলুক দাস সাহেব জী পূর্ণ পরমেশ্বর কবীর জী-র সাক্ষাৎ পান এবং শ্রী মলুক দাস সাহেব দুই দিন অচৈতন্য ছিলেন।

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7 वर्षीय संत घीसा दास जी गाँव खेखड़ा (जिला मेरठ, उत्तरप्रदेश) को सन् 1813 में संत दादू जी, संत गरीबदास जी की तरह कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के रूप में मिले व उन्हें सतलोक दिखाया।

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नानकदेव जी को कबीर साहेब सुल्तानपुर (वर्तमान पाकिस्तान) में बेई नदी पर जिंदा महात्मा के वेश में आकर मिले थे। उन्हें सचखंड यानी सत्यलोक के दर्शन कराए थे उन्होंने कबीर साहेब की महिमा गाते हुए कहा है :-
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।
(गुरु ग्रन्थ साहिब राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29)

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