manojupadhyay01
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Social Worker
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manojupadhyay01 · 2 years ago
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गरीब, माया का रस पीय कर, फूट गये दो नैन।
ऐसा सतगुरु हम मिल्या, बास दिया सुख चैन।।
 रावण ने सोने की लंका बनाई हुई थी। इतनी माया जोड़ी फिर भी उसका अंत कैसा दर्दनाक हुआ।
वर्तमानं में भी सब माया संग्रह करने में लगे हैं। मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य परमात्मा का भजन भक्ति करके जीव कल्याण कराना था। 
ये ज्ञान केवल तत्त्वदर्शी संत अथवा सतगुरु ही दे सकता है। जो कि वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
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