एक बार दिल्ली के सम्राट सिकंदर लोधी ने जनता को शांत करने के लिए अपने हाथों से कबीर साहेब को हथकड़ीयाँ लगाई, पैरों में बेड़ी तथा गले में लोहे की भारी बेल डाली और आदेश दिया गंगा दरिया में डुबोकर मारने का। उनको दरिया में फेंक दिया। कबीर परमेश्वर जी की हथकड़ी, बेड़ी और लोहे की बेल अपने आप टूट गयी परमात्मा जल पर सुखासन में बैठे रहे। कुछ नहीं बिगड़ा ।
जगतपिता परमेश्वर ने अपनी शब्द शक्ति से राष्ट्री अर्थात् सबसे पहली माया राजेश्वरी उत्पन्न की तथा उसी पराशक्ति के द्वारा एक-दूसरे को आकर्षण शक्ति से रोकने वाले कभी न समाप्त होने वाले गुण से उपरोक्त सर्व ब्रह्माण्डों को स्थापित किया है।
वह परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं। - संत रामपाल जी महाराज
हजरत मुहम्मद को कुरआन बोलने वाला अल्लाह कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टी की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया।
गोरख नाथ ने कबीर साहेब से कहा कि मेरी शक्ति देखो। यह कह कर गंगा की ओर चल पड़ा। सर्व दर्शकों की भीड़ भी साथ ही चली। लगभग 500 फुट पर गंगा नदी थी। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कहा कि मुझे ढूंढ दो। फिर मैं (गोरखनाथ) आप का शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन गए।
साहेब कबीर ने उसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ जी ने साहेब कबीर को पूर्ण परमात्मा स्वीकार किया और शिष्य बने।