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RaviRanaBJP
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raviranabjp · 5 years ago
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प्रादेशिक समाचार 30 मई 2020 :
*सांइटिज़ेर घोटाले में कौन हुआ ससपेंड ?*
क्या कहता है अमर उजाला, दिव्या हिमाचल , दैनिक भास्कर व् अन्य अख़बार ?
सुनते है *प्रादेशिक समाचार*
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raviranabjp · 6 years ago
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चाय पर चर्चा !
मलिक जी ,मनीष भाई, कमल वर्मा, जी बादल भाई , और शैलेंद्र गुप्ता जी के साथ!
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raviranabjp · 6 years ago
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Happy Himachal Statehood Day
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raviranabjp · 6 years ago
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Kufri #Shimla
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raviranabjp · 6 years ago
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Welcome to Shimla!
#trending #travelphotography #shimladiaries #himachalpradesh
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raviranabjp · 6 years ago
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Good Bye ! 2019 Don't Repeat Yourself.
#紅白歌合戦 #LiSA #ガキ使 #NHK紅白 #KingGnu絵師さんと繋がりたい #ももいろ歌合戦 #anuj_bajpai #Master #NewYearsEve #NewYearChallenge #NewYearsEve #Murphy
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raviranabjp · 6 years ago
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#IndiaReDiscovered -Chapter7
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The Majanpadas  : गांधार In the Times of Mahabharat : Gandhar | Shakuni  {From The Desk of RaviRana}
गांधार प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। इस प्रदेश का मुख्य केन्द्र आधुनिक पेशावर और आसपास के इलाके थे। इस महाजनपद के प्रमुख नगर थे - पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर) तथा तक्षशिला इसकी राजधानी थी। इसका अस्तित्व 600 ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक रहा। कुषाण शासकों के दौरान यहां बौद्ध धर्म बहुत फला फूला पर बाद में मुस्लिम आक्रमण के कारण इसका पतन हो गया।
महाभारत काल में यहाँ के राजा शकुनि थे। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी यहाँ की राजकुमारी थी जिसका नाम इसी के नाम पर पड़ा।
गंधार का अर्ध होता है सुगंध।
गांधारी गांधार देश के 'सुबल' नामक राजा की कन्या थीं। क्योंकि वह गांधार की राजकुमारी थीं, इसीलिए उनका नाम गांधारी पड़ा। यह हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन आदि कौरवों की माता थीं। गांधार प्रदेश भारत के पौराणिक 16 महाजनपदों में से एक था।
राजा सुबल के बाद गांधार राज्य का राजा शकुनि बना |
 क्या आप जानना नहीं चाहते कि आखिर शकुनि यह सब करने के लिए क्यों बाध्य हुआ? ऐसा क्या राज था शकुनि का जिसके चलते उसने अपनी बहन के पति को ही अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझ लिया था?
चौसर, शकुनि का प्रिय खेल था। वह पासे को जो अंक लाने के लिए कहता हैरानी की बात है वही अंक पासे पर दिखाई देता। इस चौसर के खेल से शकुनि ने द्रौपदी का चीरहरण करवाया, पांडवों से उनका राजपाठ छीनकर वनवास के लिए भेज दिया, भरी सभा में उनका असम्मान करवाया। शकुनि का अपने पासों से इतना गहरा संबंध और कुरुवंश को तबाह करने की मंशा एक-दूसरे के साथ गहराई से जुड़ी हैं, जिसकी नींव गांधारी के जन्म के साथ ही रख दी गई थी। जन्म के समय जब गांधारी की कुंडली बनवाई गई तो उसमें गांधारी के विवाह से जुड़ी एक परेशान कर देने वाली बात सामने आई। ज्योतिषाचार्यों ने गांधारी के पिता को बताया कि गांधारी की कुंडली में उसके दो विवाह होने के योग हैं। गांधारी की पहले पति की मौत निश्चित है, उसका दूसरा पति ही जीवित रह सकता है।
गांधारी के विषय में ��ह बात सुनकर उसके पिता ने उसका विवाह एक बकरे के साथ करवाकर उस बकरे की बलि दे दी। ऐसा कर गांधारी की कुंडली में पति की मौत के योग समाप्त हो गए और उसका परिवार उसके दूसरे विवाह और पति की आयु को लेकर निश्चिंत हो गया। जब गांधारी विवाह योग्�� हुई तब उसके लिए धृतराष्ट्र का विवाह प्रस्ताव पहुंचाया गया। इस विवाह प्रस्ताव को गांधारी के माता-पिता ने तो स्वीकार कर लिया और जब गांधारी को पता चला कि धृतराष्ट्र दृष्टिहीन है तो अपने माता-पिता द्वारा दिए गए वचन की लाज रखने के लिए वह इस विवाह के लिए राजी हो गई। लेकिन शकुनि को यह कदापि स्वीकार नहीं हुआ कि उसकी इकलौती बहन एक दृष्टिहीन की पत्नी बने। इस विवाह प्रस्ताव के लिए शकुनि के राजी ना होने के बावजूद गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से कर दिया गया। लेकिन विवाह होने के बाद जब धृतराष्ट्र को गांधारी के विधवा होने जैसी बात पता चली तो वह आगबबूला हो उठा। क्रोध के आवेग में आकर धृतराष्ट्र ने गांधार नरेश पर आक्रमण किया और उस परिवार के सभी पुरुष सदस्यों को कारागार में डलवा दिया। युद्ध के बंधकों की हत्या करना धर्म के खिलाफ है, इसलिए धृतराष्ट्र ने उन्हें भूख से तड़पा-तड़पाकर मारने का निश्चय किया। धृतराष्ट्र ने अपने सैनिकों से कहा कि गांधार राज्य के बंधकों को पूरे दिन में मात्र एक मुट्ठी चावल वितरित किए जाएं। ऐसे हालातों में सभी बंधकों ने धृतराष्ट्र के परिवार से बदला लेने का निश्चय किया। उन्होंने सर्वसम्मति से सबसे छोटे पुत्र शकुनि को जीवित रखने का निश्चय किया ताकि वह धृतराष्ट्र के परिवार को तबाह कर सके। मुट्ठीभर चावल सिर्फ शकुनि को खाने के लिए दिए जाते, जिसकी वजह से धीरे-धीरे सभी बंधक अपना दम तोड़ने लगे। शकुनि के सामने धीरे-धीरे कर उसका पूरा परिवार समाप्त हो गया और उसने यह ठान ली कि वह कुछ भी कर कुरुवंश को समाप्त कर देगा। अपने अंतिम क्षणों में शकुनि के पिता ने उससे कहा कि उसकी मौत के पश्चात उनकी अस्थियों की राख से वह एक पासे का निर्माण करे। यह पासा सिर्फ शकुनि के कहे अनुसार काम करेगा और इसकी सहायता से वह कुरुवंश का विनाश कर पाएगा। ऐसा भी कहा जाता है कि शकुनि के पासे में उसके पिता की रूह वास कर गई थी जिसकी वजह से वह पासा शकुनि की ही बात मानता था। 
महाभारत के लिए जिमेवार सिर्फ और सिर्फ जुए का खेल था !
महाभारत युद्ध में सहदेव ने वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए शकुनि और उलूक (शकुनि का पुत्र) को घायल कर दिया और देखते ही देखते उलूक का वध दिया। अपने पुत्र का शव ���ेखकर शकुनि को बहुत दु:ख हुआ और वह युद्ध छोड़कर भागने लगा। सहदेव ने शकुनि का पीछा किया और उसे पकड़ लिया। घायल होने पर भी शकुनि ने बहुत समय तक सहदेव से युद्ध किया और अंत में सहदेव के हाथों मारा गया।
………शेष कल
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raviranabjp · 6 years ago
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India Rediscovered Chapter 6
The Kingdom of Magadh : बिम्बिसार | अजातशत्रु
{From The Desk of RaviRana}
 बिम्बिसार (558 ईसापूर्व – 491 ईसापूर्व) मगध साम्राज्य का सम्राट था। वह हर्यक वंश का था। उसने अंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। यही विस्तार आगे चलकर मौर्य साम्राज्य के विस्तार का भी आधार बना।
 भारत में कई राजा हुए, जो अपने अलग-अलग काम के चलते विख्यात रहे. कुछ अपने सृजनात्मक कार्यों के जाने गए, तो कुछ अपनी क्रूरता और निरंकुश नीतियों के कारण कुख्यात भी रहे.
वहीं कुछ राजा ऐसे भी हुए, जिन्होंने सत्ता पाने के लिए हर हद को पार कर जाना उचित समझा. यहां तक कि अपने परिवार के लोगों तक को मौत के मुंहाने पर लाकर खड़ा कर दिया.
ऐसे हे राजा हुए अजातशत्रु  | अजातशत्रु बिम्बिसार के पुत्र थे |
‘अजातशत्रु’ मगध का सम्राट था, जोकि अपने पिता ‘बिंबिसार’ को जेल में डालकर सत्ता पर काबिज हुआ था. उसकी मां का नाम वैदेही था.
बचपन से ही वह कठोर दिल वाला इंसान था. कहते हैं कि बड़े होते ही वह मगध की बागडोर अपने हाथों में लेना चाहता था, किन्तु उसके पिता बिंबसार उसके रास्ते का सबसे बड़ी रुकावट थे.
पहले उसने उन्हें अपने विश्वास में लेने की कोशिश की, पर जब उसे अपनी दाल गलते नहीं दिखी, तो उसने बिंबसार को बंदी बनाने की योजना बना डाली. चूंकि, वह पहले से ही राज्य की सेना को अपने खेमे में कर चुका था, इसलिए उसके लिए यह काम कठिन नहीं था.
सत्ता संभालते ही उसने विस्तारवादी नीति को अपनाया और अपने सम्राज्य को बढ़ाना शुरु कर दिया. कहते हैं कि उसके सिर पर जीतने का जूनून इस कदर चढ़ा था कि वह अपने रास्ते में आने वाले किसी भी आदमी को नहीं छोड़ता था.
यहां तक कि उसने कोसल के राजा प्रसेनजित से झुकने के लिए कहा, लेकिन जब वह नहीं माने तो उसके खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी थी. यूं तो प्रसेनजित बहुत वीर योद्धा थे, किन्तु, अपनी रणनीतियों के चलते अजातशत्रु उन्हें मात देने में सफल रहा. यही नहीं उसने प्रसेनजित की बेटी राजकुमारी ‘वजिरा’ से विवाह तक कर लिया.
कहते हैं कि आप जैसा करते है,  वैसा ही आपको भरना पड़ता है. या फिर यूं कहे कि मगध में अपने पिता को मारने की प्रथा ही चल पड़ी थी. अजातशत्रु ने जिस तरह से सत्ता के लिए अपने पिता बिंबसार को कैद में रखा और बाद में वह उनकी मौत का कारण भी बना. ठीक उसी तरह कालचक्र ने उसे लाकर खड़ा कर दिया.
जिस तरह से उसने पिता को हटाकर सत्ता हासिल की थी, ठीक उसी तरह उसके पुत्र ‘उदयभद्र‘ ने किया. साथ ही 461 ई.पू. में अपने पिता को मारकर करीब 16 साल तक मगध पर राज किया.
 ………शेष कल
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raviranabjp · 6 years ago
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#IndiaReDiscovered #Thread5  The Kingdom of Magadh
#IndiaReDiscovered #Thread5 The Kingdom of Magadh : Mahabharat : King Jarasangh
{From The Desk of RaviRana}
मगध राज्य : जरासंघ
प्राचीन भारत में 16 प्रमुख राज्य थे ! इनमे से सबसे प्रमुख था मगध . आधुनिक पटना तथा गया जिला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) पाटलि��ुत्र थी।
महाभारत के समय जरासंघ यहाँ के प्रमुख राजा थे | वह अन्य राजाओं को हराकर अपने पहाड़ी किले में बंदी बना लेता था। जरासंध बहुत ही क्रूर था, वह बंदी राजाओं का वध कर चक्रवर्ती राजा बनना चाहता था |
जरासंध मथुरा के राजा कंस का ससुर एवं परम मित्र था। उसकी दोनों पुत्रियों आसित व प्रापित का विवाह कंस से हुआ था। श्रीकृष्ण से कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए उसने 17 बार मथुरा पर चढ़ाई की, लेकिन हर बार उसे असफल होना पड़ा। जरासंध के भय से अनेक राजा अपने राज्य छोड़ कर भाग गए थे। शिशुपाल जरासंध का सेनापति था। | जरासंध भगवान शंकर का परम भक्त था। उसने अपने पराक्रम से 86 राजाओं को बंदी बना लिया था। बंदी राजाओं को उसने पहाड़ी किले में कैद कर लिया था। जरासंध 100 को बंदी बनाकर उनकी बलि देना चाहता था, जिससे कि वह चक्रवर्ती सम्राट बन सके।
  एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया तथा अपने चारों भाइयों को दिग्विजय करने की आज्ञा दी। चारों भाइयों ने चारों दिशा में जाकर समस्त नरपतियों पर विजय प्राप्त की किन्तु जरासंघ को न जीत सके। इस पर श्रीकृष्ण, अर्जुन तथा भीमसेन ब्राह्मण का रूप धर कर मगध देश की राजधानी में जरासंघ के पास पहुँचे। जरासंघ ने इन ब्राह्मणों का यथोचित आदर सत्कार करके पूछा, "हे ब्राह्मणों! मैं आप लोगों की क्या सेवा कर सकता हूँ?"
जरासंघ के इस प्रकार कहने पर श्री कृष्ण बोले, "हे मगजधराज! हम आपसे याचना करने आये हैं। हम यह भली भाँति जानते हैं कि आप याचकों को कभी विमुख नहीं होने देते हैं। राजा हरिश्चन्द्र ने विश्वामित्र जी की याचना करने पर उन्हें सर्वस्व दे डाला था। राजा बलि से याचना करने पर उन्होंने त्रिलोक का राज्य दे दिया था। फिर आपसे यह कभी आशा नहीं की जा सकती कि आप हमें निराश कर देंगे। हम आपसे गौ, धन, रत्नादि की याचना नहीं करते। हम केवल आपसे युद्ध की याचना करते हैं, आप हमे द्वन्द्व युद्ध की भिक्षा दीजिये।"
श्री कृष्ण के इस प्रकार याचना करने पर जरासंघ समझ गया कि छद्मवेष में ये कृष्ण, अर्जुन तथा भीमसेन हैं। उसने क्रोधित होकर कहा, "अरे मूर्खों! यदि तुम युद्ध ही चाहते हो तो मुझे तुम्हारी याचना स्वीकार है। किन्तु कृष्ण! तुम मुझसे पहले ही पराजित होकर रण छोड़ कर भाग चुके हो। नीति कहती है कि भगोड़े तथा पीठ दिखाने वाले के साथ युद्ध नहीं करना चाहिये। अतः मैं तुमसे युद्ध नहीं करूँगा। यह अर्जुन भी दुबला-पतला और कमजोर है तथा यह वृहन्नला के रूप में नपुंसक भी रह चुका है। इसलिये मैं इससे भी युद्ध नहीं करूँगा। हाँ यह भीम मुझ जैसा ही बलवान है, मैं इसके साथ अवश्य युद्ध करूँगा।"
इसके पश्चात् दोनों ही अपना-अपना गदा सँभाल कर युद्ध के मैदान में डट पड़े। दोनों ही महाबली तथा गदायुद्ध के विशेषज्ञ थे। पैंतरे बदल-बदल कर युद्ध करने लगे। कभी भीमसेन का प्रहार जरासंघ को व्याकुल कर देती तो कभी जरासंघ चोट कर जाता। सूर्योदय से सूर्यास्त तक दोनों युद्ध करते और सूर्यास्त के पश्चात् युद्ध विराम होने पर मित्रभाव हो जाते। इस प्रकार सत्ताइस दिन व्यतीत हो गये और दोनों में से कोई भी पराजित न हो सका। अट्ठाइसवें दिन प्रातः भीमसेन कृष्ण से बोले, "हे जनार्दन! यह जरासंघ तो पराजित ही नहीं हो रहा है। अब आप ही इसे पराजित करने का कोई उपाय बताइये।" भीम की बात सुनकर श्री कृष्ण ने कहा, "भीम! यह जरासंघ अपने जन्म के समय दो टुकड़ों में उत्पन्न हुआ था, तब जरा नाम की राक्षसी ने दोनों टुकड़ों को जोड़ दिया था।
{महाभारत में बताया गया है की जरासंध का जन्म दो माताओं की कोख से हुआ था. मगध के राजा जिनका नाम  बृहद्रनाथ था, बृहद्नाथ ने दो शादिया की थी. पर उनकी दोनों पत्नियों के कोई संतान नही थी. संतान पाने की चाहत लेकर राजा और उनकी दोनों पत्निया ऋषि चंद्रकौशिक के आश्रम में जाकर उनकी सेवा करने करने लगे. तब उनकी सेवा से प्रसन्न होकर ऋषि ने उन्हें एक सेब दिया और रानी को खिलाने को कहा. राजा अपनी दोनों ही पत्नियों से बहुत प्यार करता था इसलिए उसने सेब के दो टुकड़े करके दोनों को दे दिए. सेब खाने के बाद दोनों रानियां गर्भवती हुईं.
जब रानियों को बच्चे हुए तो उन्होंने देखा की उन्होंने तो आधे-आधे बच्चो को जन्म दिया है. दोनों रानियां घबराकर अपनी संतान को जंगल में फेंक आईंं.उस जंगल में एक जरा नाम की जादूगरनी रहती थी. उसने आधे आधे बच्चो को देखा तो जादू से उस बालक के टुकड़ों को जोड़ दिया. वही बालक बड़ा होकर जरासंघ  के नाम से प्रसिद्द हुआ.}
  इसलिये युद्ध करते समय जब मै तुम्हें संकेत करूँगा तो तुम इसके शरीर को दो टुकड़ों में विभक्त कर देना। बिना इसके शरीर के दो टुकड़े हुये इसका वध नहीं हो सकता।"
जनार्दन की बातों को ध्यान में रख कर भीमसेन जरासंघ से युद्ध करने लगे। युद्ध करते-करते दोनों की गदाओं के टुकड़े-टुकड़े हो गये तब वे मल्ल युद्ध करने लगे। मल्ल युद्ध में ज्योंही भी ने जरासंघ को भूमि पर पटका, श्री कृष्ण ने एक वृक्ष की डाली को बीच से चीरकर भीमसेन को संकेत किया। उनका संकेत समझ कर भीम ने अपने एक पैर से जरासंघ के एक टांग को दबा दिया और उसकी दूसरी टांग को दोनों हाथों से पकड़ कर कंधे से ऊपर तक उठा दिया जिससे जरासंघ के दो टुकड़े हो गये। भीम ने उसके दोनों टुकड़ों को अपने दोनों हाथों में लेकर पूरी शक्ति के साथ विपरीत दिशाओं में फेंक दिया और इस प्रकार महाबली जरासंघ का वध हो गया।
 ………शेष कल
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raviranabjp · 6 years ago
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Reasons BJP loss in Jharkhand!
क्यों हारी रघुबर दास सरकार ?
From the Desk of Ravi Rana : 23Dec, 2019
Chhota Nagpur Tenancy Act and the Santhal Pargana Tenancy Act
2016 में, झारखंड में भाजपा सरकार ने छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट में संशोधन करने की कोशिश की, जो आदिवासी भूमि के मालिकों और किरायेदारों को गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करने की अनुमति देगा और दूसरा सड़क निर्माण के लिए आदिवासी भूमि के हस्तांतरण की अनुमति देगा। , नहरें, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और अन्य "सरकारी उद्देश्य"।
इसके कारण राज्य में भारी विरोध हुआ और हेमंत ने इन संशोधनों का कड़ा विरोध किया
Investor Meet
सीएम रघुबर दास ने 2017 में हेमंत को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन हेमंत ने शिखर सम्मेलन को "भूमि हड़पने वालों का महाचिंतन शिवर" कहा और दावा किया कि यह आदिवासिय���ं, मूलवासियों और राज्य के किसानों की भूमि को लूटने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
Death of 11-year-old girl Santoshi Kumari
अक्टूबर 2017 में, 11 वर्षीय लड़की संतोषी कुमारी की मौत की सीबीआई जांच की मांग की थी, जो कथित तौर पर सिमडेगा में भुखमरी से मर गई थी क्योंकि परिवार को जुलाई से राशन न देने के कारण उनके बैंक खाते में राशन नहीं दिया गया था। सोरेन ने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की, उन्होंने कहा, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक आदेश पारित किया था ताकि उन परिवारों का नाम न हटाया जा सके जिन्होंने अपने राशन कार्ड को अपने आधार नंबर से लिंक नहीं किया था
Allowing Liquor
बिहार के नक्शेकदम पर झारखंड में शराब पर प्रतिबंध लगाने के आह्वान का समर्थन हेमंत सोरेन ने किया । राज्य में शराब खुदरा दुकानों के प्रवेश के जवाब में, उन्होंने कहा, “अब सरकार गांवों में शराब के आउटलेट खोलेगी, जो अंततः झारखंड में गरीब आदिवासियों के जीवन को प्रभावित करेगी। मैं राज्य के ग्रामीण निवासियों से अपील करता हूं कि वे अपने गांवों में शराब की दुकानों की अनुमति न दें। "उन्होंने कहा कि महिला संगठनों को सरकार के शराब अभियान के खिलाफ संघर्ष शुरू करने के लिए आगे आना होगा।
रघुबर दास और बीजेपी राज्ये के मुद्दों को हाईलाइट करने में नाकाम हुई | राज्ये की जनता ने राज्य के मुद्दों
पर अपना पक्ष रखा और राष्ट्रीय मुद्दों को दरकिनार कर दिया |
prepoll अलायन्स बनाने में भी बीजेपी नाकाम हुई | और आदिवासी मुख्यमंत्री का न होना भी भाजपा को महंगा पड़ा
मोदी के नाम पर कब तक जीतेंगे ? राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्री भी कुछ प्रयास करेंगे तो ही बीजेपी विजय को बढ़| सकती है वर्ना ……..
एक इंजन तो ठीक मजबूती से देश में काम करे और स्टेट का इंजन फ़स हो जाये तो सेण्टर के इंजन को भी बड़ा झटका लगता है |
#BJPOnAlertInStates
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raviranabjp · 6 years ago
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The Great Kingdoms #Thread4
#IndiaReDiscovered #Thread4 The Great Kingdoms(Formation of the Sixteen Maha Janapadas) {From The Desk of RaviRana} #महाजनपदमहाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है।ईसापूर्व ६वीं-५वीं शताब्दी को प्रारम्भिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है जहाँ सिन्धु घाटी की सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित) का उदय हुआ।ये सभी महाजनपद आज के उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान से बिहार तक और हिन्दुकुश से गोदावरी नदी तक में फैला हुआ था।1. अंग  2. अश्मक (या अस्सक) 3. अवंती 4.चेदि  5. गांधार  6. काशी  7. काम्बोज 8. कोशल  9. कुरु 10. मगध  11. मल्ल  12. मत्स्य (या मछ) 13. पांचाल 14. सुरसेन  15. वज्जि  16. वत्स (या वंश)अंग यह मगध के पूरब था। वर्तमान के बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिले। इनकी राजधानी चंपा थी। चंपा उस समय भारतवर्ष के सबसे प्रशिद्ध नगरियों में से थी। मगध के साथ हमेशा संघर्ष होता रहता था और अंत में मगध ने इस राज्य को पराजित कर अपने में मिला लिया। तथा इसकी राजधानी चम्पा थी |                                 ………शेष कल
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raviranabjp · 6 years ago
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#IndiaReDiscovered #Thread3 आर्यावर्त : The land of Aryan's आर्यावर्त: पुण्यभूमिर्मध्यं विन्ध्यहिमागयो: ౹ Meaning : The holy land ‘Aryavarta’ is the region situated between the Vindhyas and the Himalayas. भारतवर्ष की इस संपूर्ण धरती के मध्य में आर्यावर्त था जिसकी सीमाएं वक्त के साथ बदलती रही। यह मध्यभूमि सरस्वती के इस किनारे से लेकर सिंधु के उस किनारे तक फैली थी जिसके चलते सिंधु और सरस्वती सभ्यता का जन्म हुआ। वेदों में खासकर सिंधु और सरस्वती और इनकी सहायक नदियों का अधिक उल्लेख मिलता है। आर्यभूमि का विस्तार काबुल की कुंभा नदी से भारत की गंगा नदी तक और कश्मीर की की वादियों से नर्मादा के उस पार तक था। सिन्धु के तट पर ही भारतीयों के पूर्वजों ने प्राचीन सभ्यता और धर्म की नींव रखी थी। सिन्धु घाटी में कई प्राचीन नगरों को ��ोद निकाला गया है। इसमें मोहनजोदड़ो और हड़प्पा प्रमुख हैं। सिन्धु घाटी की सभ्यता 3000 हजार ईसा पूर्व थी। ऋग्वेद में उल्लेख है की प्रथम मानव की उत्पत्ति वितस्ता नदी के किनारे हुई थी।
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raviranabjp · 6 years ago
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#IndiaUndiscoverd From the Desk of Ravi Rana BJP
17th December 2019: Tuesday : Place Solan. HP
भारत माता की जय ! भारत माता की जय !
These are the opening lines from the Discovery of India By Jawahar Lal Nehru .
बहनों भाइयों और साथियों आप लोग जो यह भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं यह अच्छी बात है
पर आप यह भी जानते हैं कि इन नारों का मतलब क्या है ?
कौन है भारत माता ?
किसकी जीत चाहते हैं आप ?
बतिये मै भी जानना चाहता हु
अच्छा तुम बताओ कौन है भारत माता
ग्रामीण : चुप कोई कुछ नहीं बोलता
आप लोगों को कम से कम इतना तो जाना ही चाहिए किस की जय ! क्या है भारत माता!
कभी देखा है आपने
ग्रामीण : पंडित जी पंडित जी भारत माता मतलब मतलब यह धरती हमारी माता है
पंडित जी : सिर्फ यह धरती , या इस ग्राम की धरती या इस सूबे की धरती या पुरे ह���ंदुस्तान की धरती
ग्रामीण : पुरे हिंदुस्तान की धरती
पंडित जी : भारत माता , तो यह सब है ही सभी नदियां पहाड़ खेत, घने जंगल समंदर आसमान | पर मेरे या तुम्हारे बिना यह सब बेमतलब है सबसे अहम है भारत की सरजमीं पर फैली आवाम| “ भारत के लोग” अपने करोड़ों बेटे बेटियों से ही पहचान इसलिए उसकी जीत होगी आप सभी की जीत से यानी कि देखा जाए तो आप सभी अपने आप में भारत माता है !
…...……................................….शेष कल ...................................
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raviranabjp · 6 years ago
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The SICIS : The World is a Mosaic
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raviranabjp · 6 years ago
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निर्णय आप को करना है!
निर्णय आप को करना है!
आज का विषय : क्या पैसे उधार देने चाहिए ? 
गाज़ियाबाद सुसाइड केस From the Desk of Ravi Rana : 5/12/2019 Place Solan 
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ऋण में दिया गया पैसा ही अनर्थ एवं अन्याय मूलक झगड़ों का कारण होता हैं
एक  रिश्तेदार से पैसे लेने थे !गाजियाबाद के इंदिरापुरम में मंगलवार की सुबह एक दंपती ने पहले अपने बच्चों की हत्या की फिर अपनी मैनेजर समेत आठवीं मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली।सोसायटी की आठवीं मंजिल पर स्थित फ्लैट संख्या ए-806 में गुलशन (45) पत्नी परमीना (43), बेटी कृतिका (18 ) और बेटे  ऋतिक (13) के साथ रहते थे। गुलशन की गांधीनगर दिल्ली में जींस की फैक्ट्री थी। उनकी मैनेजर संजना (26) भी परिवार के सदस्य के तौर पर उनके साथ रहती थी। करोड़ों के नुकसान तले दबा जींस कारोबारी गुलशन कई वर्षों से घाटे से उबरने की जद्दोजहद में जुटा था। लेकिन कुछ दिन पहले कोलकाता की कंपनी में करीब 60 लाख रुपये डूबने का पता लगने पर बुरी तरह टूट गया और आखिरकार परिवार के खात्मे का फैसला ले लिया।
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि राकेश वर्मा पर गुलशन वासुदेव के तकरीबन 2 करोड़ रुपये बकाया थे. गुलशन की जींस की फैक्ट्री थी जिसमें उसे घाटा हो गया था. फिलहाल वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. बाकी गुलशन वासुदेव की एक बड़ी रकम उसकी अपने रिश्तेदार के पास फंस गई थी और रकम उसे वापस नहीं मिल पा रही थी. मृतक गुलशन ने दिल्ली की झिलमिल कालोनी में अपनी पैतृक संपत्ति को बेचा था जिसमें मिली एक बड़ी रकम उसने अपने रिश्तेदार राकेश वर्मा को दे दिए थे. करीब दो करोड़ रुपये का विवाद चल रहा था. प्रॉपर्टी से मिले रुपये साढ़ू राकेश वर्मा के साथ दूसरी जगह इन्वेस्ट किए थे. आरोप है कि साढ़ू रुपये वापस देने में आनाकानी कर रहा था. इसके चलते गुलशन ने साढ़ू राकेश वर्मा व उसकी मां के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए साढ़ू राकेश वर्मा व उसकी मां को धोखाधड़ी के आरोप में जेल भेज दिया था. इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की किसी को भी पैसे चाहे वो दोस्त हो रिश्तेदार हो या किसी को ज्यादा ब्याज पर लालच वश मत दे ! नज़दीकी रिश्तो में उधार रिश्तो की मिठास को ख़तम कर देता है ! From the Desk of Ravi Rana  : "निर्णय आप को करना है!" 
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raviranabjp · 6 years ago
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Salute to Indian Army #IndiaNavyDay
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raviranabjp · 6 years ago
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Indian Navy Day : 4 December From the Desk of Ravi Rana 04/12/19 Place Solan Himachal Pradesh. कराची पर हमले की योजना बनाई गई और एक दिसंबर 1971 को सभी पोतों को कराची पर हमला करने के सील्ड लिफाफे में आदेश दे दिए गए। भारतीय नौसेना का पूरा वेस्टर्न फ्लीट दो दिसंबर को मुंबई से कूच कर गया। उनसे कहा गया कि युद्ध शुरू होने के बाद ही वह उस सील्ड लिफाफे को खोलें। हमला भी रूस की ओसा क्लास मिसाइल बोट से किया जाएगा। वह वहां खुद से चल कर नहीं जाएंगी, बल्कि उन्हे नाइलोन की रस्सियों से खींच कर ले जाया जाएगा। ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत पहला हमला निपट, निर्घट और वीर मिसाइल बोट्स ने किया। प्रत्येक मिसाइल बोट चार-चार मिसाइलों से लैस थीं। स्क्वार्डन कमांडर बबरू यादव निपट पर मौजूद थे। बाण की शक्ल बनाते हुए निपट सबसे आगे था उसके पीछे बाईं तरफ निर्घट था और दाहिना छोर वीर ने संभाला हुआ था। उसके ठीक पीछे आईएनएस किल्टन चल रहा था। कराची से 40 किलोमीटर दूर यादव ने अपने रडार पर हरकत महसूस की। उन्हें एक पाकिस्तानी युद्ध पोत अपनी तरफ आता दिखाई दिया। उस समय रात के 10 बज कर 40 मिनट हुए थे। यादव ने निर्घट को आदेश दिया कि वह अपना रास्ता बदले और पाकिस्तानी जहाज पर हमला करे। निर्घट ने 20 किलोमीटर की दूरी से पाकिस्तानी विध्वंसक पीएनएस खैबर पर मिसाइल चलाई। खैबर के नाविकों ने समझा कि उनकी तरफ आती हुई मिसाइल एक युद्धक विमान है। उन्होंने अपनी विमान भेदी तोपों से मिसाइल को निशाना बनाने की कोशिश की लेकिन वह अपने को मिसाइल का निशाना बनने से न रोक सके। तभी कमांडर यादव ने 17 किलोमीटर की दूरी से खैबर पर एक और मिसाइल चलाने का आदेश दिया और किल्टन से भी कहा कि वह निर्घट के बगल में जाए। दूसरी मिसाइल लगते ही खैबर की गति शून्य हो गई। पोत में आग लग गई और उससे गहरा धुंआ निकलने लगा। थोड़ी देर में खैबर पानी में डूब गया। उस समय वह कराची से 35 नॉटिकल मील दूर था और समय था 11 बजकर 20 मिनट। उधर निपट ने पहले वीनस चैलेंजर पर एक मिसाइल दागी और फिर शाहजहां पर दूसरी मिसाइल चलाई। वीनस चैलेंजर तुरंत डूब गया जबकि शाहजहां को नुकसान पहुंचा। तीसरी मिसाइल ने कीमारी के तेल टैंकर्स को निशाना बनाया जिससे दो टैंकरों में आग लग गई। इस बीच वीर ने पाकिस्तानी माइन स्वीपर पीएन एस मुहाफिज पर एक मिसाइल चलाई जिससे उसमें आग लग गई और वह बहुत तेजी से डूब गया। इस हमले के बाद से पाकिस्तानी नौसेना सतर्क हो गई और उसने दिन रात कराची के चारों तरफ छोटे विमानों से निगरानी रखनी शुरू कर दी छह दिसंबर को नौसेना मुख्यालय ने पाकिस्तानी नौसेना का एक संदेश पकड़ा जिससे पता चला कि पाकिस्तानी वायुसेना ने एक अपने ही पोत पीएनएस ज़ुल्फिकार को भारतीय युद्धपोत समझते हुए उस पर ही बमबारी कर दी। पश्चिमी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग एडमिरल कुरुविला ने कराची पर दूसरा मिसाइल बोट हमला करने की योजना बनाई और उसे ऑपरेशन पाइथन का नाम दिया गया। इस बार अकेली मिसाइल बोट विनाश, दो फ्रिगेट्स त्रिशूल और तलवार के साथ गई। आठ दिसंबर 1971 की रात आठ बजकर 45 मिनट का समय था। आईएनएस विनाश पर कमांडिंग आफिसर विजय जेरथ के नेतृत्व में 30 नौसैनिक कराची पर दूसरा हमला करने की तैयारी कर रहे थे। तभी बोट की बिजली फेल हो गई और कंट्रोल ऑटोपाइलट पर चला गया। वह अभी भी बैटरी से मिसाइल चला सकते थे लेकिन वह अपने लक्ष्य को रडार से देख नहीं सकते थे। वह अपने आप को इस संभावना के लिए तैयार कर ही रहे थे कि करीब 11 बजे बोट की बिजली वापस आ गई। जेरथ ने रडार की तरफ देखा। एक पोत धीरे धीरे कराची बंदरगाह से निकल रहा था। जब वह पोत की पोजीशन देख ही रहे थे कि उनकी नजर कीमारी तेल डिपो की तरफ गई। मिसाइल को जांचने-परखने के बाद उन्होंने रेंज को मैनुअल और मैक्सिमम पर सेट किया और मिसाइल फायर कर दी। जैसे ही मिसाइल ने तेल टैंकरों को हिट किया वहां जैसे प्रलय ही आ गई। जेरथ ने दूसरी मिसाइल से पोतों के एक समूह को निशाना बनाया। वहां खड़े एक ब्रिटिश जहाज हरमटौन में आग लग गई और पनामा का पोत गल्फ स्टार बर्बाद होकर डूब गया। चौथी मिसाइल पीएनएस ढाका पर दागी गई लेकिन उसके कमांडर ने कौशल और बुद्धि का परिचय देते हुए अपने पोत को बचा लिया। कराची के तेल टैंकरों में आग लेकिन कीमारी तेल डिपो में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। ऑपरेशन खत्म होते ही जेरथ ने संदेश भेजा, 'फोर पिजंस हैपी इन द नेस्ट। रिज्वाइनिंग'। उनको जवाब मिला, 'एफ 15 से विनाश के लिए: इससे अच्छी दिवाली हमने आज तक नहीं देखी।' कराची के तेल डिपो में लगी आग को सात दिनों और सात रातों तक नहीं बुझाया जा सका। अगले दिन जब भारतीय वायु सेना के विमान चालक कराची पर बमबारी करने गए तो उन्होंने रिपोर्ट दी कि यह एशिया का सबसे बड़ा बोनफायर था।’ कराची के ऊपर इतन��� धुआं था कि तीन दिनों तक वहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंच सकी।
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