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#SundayMotivation #sundayvibes
गरीब, कुष्टी होवे संत, बन्दगी कीजिए।
वैश्या के विश्वास, चरण चित्त दीजिए।।
#GodNightSunday #सत_भक्ति_संदेश

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#SaintRampalJiQuotes
कभी भी ना छोड़िये
चाहे निंदा करे संसार
भक्ति...
में ही परम सुख यह
सब वेदों का सार..!
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#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
श्रीमदभगवद्गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण तक ही सीमित नहीं है। इसका गूढ़ रहस्य समझो।
गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने प्रश्न किया कि {आपने गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में जो तत् ब्रह्म कहा है} वह तत् ब्रह्म क्या है? जिसका उत्तर देते हुए गीता अध्याय 8 श्लोक 3, 8, 9, 10, गीता अध्याय 15 श्लोक 4 तथा 17 आदि में कहा है। जिस लोक में वह तत् ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म (सत्यपुरूष) रहता है, उसमें परमशांति है यानि महासुख है। उस सनातन परम धाम में गए ��ाधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते। ज��कि स्वर्ग आदि लोकों में जाने के बाद वापस आना पड़ता है ।
अपने शास्त्रों को समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनें।
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#हमारीभीसुनो_बुद्धिमानहिंदुओं
सत भगति ज्ञान को समझने के लिए अवश्य सुनें जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन शाम 7.30से 8.30 तक साधना चैनल पर हर रोज़
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अब आप आसानी से पता कर सकते हो कौन असली है कौन नकली है
@__satlok__
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Please Spot me 🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺
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#हमआपके_दोस्तहैं_दुश्मन_नहीं
हिंदू भइयों संभल जाओ
हिन्दू धर्म गुरूजन मूर्ति पूजा करने की राय देते हैं। यह काल ब्रह्म द्वारा दिया गलत ज्ञान है जो वेदों व गीता के विरूद्ध साधना होने से व्यर्थ है।
सूक्ष्मवेद में कबीर परमेश्वर जी ने आन-उपासना निषेध बताया है। उपासना का अर्थ है अपने ईष्ट देव के निकट जाना यानि ईष्ट की पूजा करना।
आन-उपासना वह पूजा है जो शास्त्रों में वर्णित नहीं है। मूर्ति-पूजा आन-उपासना है ।
इस विषय पर सूक्ष्मवेद में कबीर साहेब ने इस प्रकार स्पष्ट किया है:-
कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहार।
तातें तो चक्की भली, पीस खाए संसार।।
बेद पढ़ैं पर भेद ना जानें, बांचें पुराण अठारा।
पत्थर की पूजा करें, भूले सिरजनहारा।।
Sant Rampal Ji Maharaj
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#glory_of_lordkabir
आदरणीय गरीबदास जी महाराज को, 10 वर्ष की आयु में, कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के रूप में सन् 1727 में नला नामक खेत में मिले और अपने सतलोक का साक्षी बनाया तब गरीबदास जी महाराज ने परमेश्वर की महिमा का वर्णन करते हुए कहा,
अनन्त कोटि ब्रह्मांड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सृजनहार।।
Kabir Prakat Diwas 14 June

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