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studyara · 2 years ago
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studyara · 2 years ago
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Haryana Teacher Eligibility Test (HTET2023)
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studyara · 2 years ago
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विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव
विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव की चर्चा कीजिए |
उत्तर -
भूमिका :- वर्तमान समय में बहुराष्ट्रीय निगमों का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है | अधिकांश नवीन राजनीति व अर्थशास्त्र के लेखकों को यह बात आश्चर्यजनक प्रतीत होती है, पर इतिहास के विद्यार्थी इस तथ्य से परिचित हैं कि पिरामिड में पाई जाने वाली बहुत सी वस्तुएं भारत की थी तथा रोम से भारत का व्यापार होता था | मध्यकाल में अरब और ईरानी भारत से व्यापार करते थे तथा ईस्ट इंडिया कंपनी, फ्रेंच और डच व्यापारिक कंपनियों ने व्यापार विस्तार में उल्लेखनीय भूमिका उस समय निभाई थी, परंतु अब अधिकांश वस्तुएं भारत के बाहर की होती है भारत में और भारत जैसे अनेक विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय निगमों का बोलबाला बहुत तेजी से बढ़ रहा है | इसके हमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव देखने को मिलते हैं कुछ विद्वान  बहुराष्ट्रीय निगमों के फायदे को गिनाते हैं, तो वहीं कुछ इससे होने वाले नुकसानों  पर जोर देते हैं | बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों के संप्रभुता को हानि हुई है | विकासशील और अल्पविकसित देशों के संसाधनों को भी बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है | वही दूसरी ओर बहुराष्ट्रीय निगमों से फायदे के रूप में रोजगार के अवसर और बेहतर उपभोक्ता वस्तुओं कि उपलब्धता को बताया जाता है |
बहुराष्ट्रीय निगमों की परिभ���षा
जो कंपनियां या निगम मूल रूप से एक देश में स्थापित होकर अन्य देश में अपनी शाखाओं का विस्तार करता है तथा वस्तुओं का निर्माण और व्यापार करता है, वह बहुराष्ट्रीय निगम कहलाता है | जैसे- कोका कोला या पेप्सी, कोलगेट, लीवर ब्रदर आदि |
पूंजी की विशालता, प्रचुरता व अनुभव और दक्षता के कारण इनका निरंतर विस्तार हो रहा है | ये बहुराष्ट्रीय निगम संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, हाॅलैंड, जर्मनी, जापान, कनाडा व दक्षिण कोरिया आदि देशों के हैं |
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विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव
बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों पर सकारात्मक प्रभाव -
बहुराष्ट्रीय निगम क्षमता में आश्चर्यजनक विश्वास प्रदर्शित करते हैं, कम दाम पर अधिक और अच्छा उत्पादन प्रस्तुत करते हैं, इसलिए इन उत्पादों के लिए तीव्रता से सार्वभौमिक मांग पैदा हुई है | बहुराष्ट्रीय निगम के सकारात्मक पहलुओं  में अटल विश्वास के लिए प्रमुख कारण बहुराष्ट्रीय निगमों की कार्य क्षमता है | बहुराष्ट्रीय निगम रोजगार के नए अवसर पैदा करता है, विकसित प्रौद्योगिकी प्रस्तुत करता है तथा विश्व के विकसित देशों में स्थानीय नागरिकों को आधुनिक प्रबंधन की कला और विज्ञान में निपुण बनाने का कार्य करता है | बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियां उत्पादन और वितरण प्रक्रिया का अंतरराष्ट्रीयकरण करती है | इन्होंने राष्ट्रीय राज्य के अपने प्रबंधकों और कर्मचारियों की 'अंध देशभक्ति' या 'अन्ध राष्ट्रभक्ति' से दूर रखा है, इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम विश्व के अच्छे नागरिक साबित हुए हैं | बहुराष्ट्रीय निगम विश्व कानून और सरकार के माध्यम से विश्व शांति और विकास का मार्ग तैयार करते हैं | बहुराष्ट्रीय निगम का अत्याधिक शक्तिशाली तर्क यह है कि उन्होंने अपने उत्पादों को विश्व स्तर पर पहुंचा दिया और उन्हें सुविधाओं के साथ सम्मिलित कर दिया है इसलिए अंतरराष्ट्रीय युद्धों का व्यवहार अपने आप में प्रचलित हो गया है अंटार्कटिक समुदाय धोखा एंकर और विध्वनशक युद्ध होगा साक्षी है परंतु अब बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियों के लाभदायक विकास के परिणाम स्वरूप पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गया है जो कि क्षेत्र में क्षेत्रीय एकीकरण की प्रक्रिया भी सफल हो गई है बहुराष्ट्रीय निगम उत्साह का तर्क है कि अंतः निर्भरता में विकास होने तथा आपसी प्रतियोगिता का आज अंटार्कटिक देशों में विकास हुआ है इसलिए कहा जा सकता है कि अमेरिका और कनाडा या फ्रांस और जर्मनी के बीच युद्ध जैसी घटना होना असंभव है |
बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों पर नकरात्मक प्रभाव-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमंडलीय निगमित गतिविधियों के साथ समस्याओं की व्यापक क्षेत्रों में पहचान की गई है केवल तीसरी दुनिया या विकासशील देशों ने ही नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय निगमों के ऊपर विकसित देशों ने भी आशंका व्यक्त की है | विकसित भागों में बहुराष्ट्रीय निगमों के कार्यों के गंभीर निहितार्थ के संबंध में लगातार चिंता व्यक्त की जाती रही है | पश्चिमी देशों के अनेक संगठित मजदूर संघों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय निगम अपने संयंत्रों को वहीं स्थापित करते हैं, जहां पर सस्ते श्रमिक मिलते हैं | इनके इस परिचालन के कारण अमेरिका, ब्रिटेन और विश्व के अन्य विकसित देशों में बेरोजगार की गंभीर समस्या पैदा हो गई है | बार्नेट और मूलर विद्वानों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय निगम बहुत ही शक्तिशाली मानव संगठन है और यह भविष्य में उपनिवेश निर्माण के साधन के रूप में कार्य करेगा | बहुराष्ट्रीय निगमों पर वह सीधे प्रहार करते हुए कहते हैं कि इनसे विश्वशांति और समृद्धि थी कल्पना करना व्यर्थ है | बार्नेट और मूलर तर्क देते हैं कि व्यापक भुखमरी, अत्यधिक बेरोजगारी और व्यापक असमानता जैसी गंभीर समस्याओं के संबंध में इस तरह की निगमों के पास कोई कार्यक्रम अथवा कोई एजेंडा नहीं है | यहां पर मुख्य विवाद यह है कि बहुराष्ट्रीय निगम छुपे हुए जमीदार की तरह है, जो सबसे पहले अपने लाभ की चिंता करते हैं, वे बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं के बारे में गंभीर या संवेदनशील नहीं है | इसके अति विशाल और सम्मोहन विज्ञापन अभियानों के कारण यह कंपनियां विकासशील देशों के लोगों की पसंद और उनके जीवन शैली को ही नष्ट नहीं कर रही, बल्कि उनको ऐश्वर्य की वस्तुओं का आदि बनाकर उन्हें आवश्यकता के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं | सामाजिकता के व्यापक और गंभीर मुद्दों जैसे कि पोषण, स्वच्छ वायु और सार्वजनिक स्वास्थ्य को इन निगमों ने कभी नहीं उठाया और न ही इन पर कुछ काम किया है | इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम विकासशील देशों में संदेह की दृष्टि से देखे जाते हैं |
बहुराष्ट्रीय निगम भविष्य में घोर असमानता, व्यापक बेरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन जैसी समस्याओं को उत्पन्न करेगा और यह किसी भी विकासशील देश के लिए विनाशकारी साबित होगा | बहुराष्ट्रीय निगम विकासशील देशों में अपने उद्योगों को स्थापित करते हैं और विकासशील देशों को लाभ का कम अंश देकर अधिकांश लाभ स्वयं रख लेते हैं | बहुराष्ट्रीय निगम अल्प विकसित या विकासशील देशों के लिए पर्यावरणीय रूप से भी अत्यधिक हानिकारक है |
निष्कर्ष :- बहुराष्ट्रीय निगम बहुत तेजी से बढ़े हैं तथा यह बहुराष्ट्रीय गतिविधियों को धन व विस्तार के कारण प्रभावित करते हैं तथा अपने उद्गम वाले राज्यों व मुख्यालय के आदेशों का पालन करते हैं | उन राज्यों के आदेशों की अनदेखी करते हैं, जहां इनकी शाखाएँ हैं  तथा राज्य के नियम अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नैतिकता के विरुद्ध है | उनका पालन राज्य संप्रभु होते हुए भी नहीं करवा सकता | जैसे- बहुराष्ट्रीय निगम की संपत्ति को भारत में संपत्ति का मूल अधिकार न होते हुए भी बिना मुआवजा दिए छीना नहीं जा सकता और न निगम के विदेशी स्वामी या अधिकारी का मुख्यालय आदि दूसरे देश में है, तो बंदी बनाया जा सकता है | अत: फासीवादी विचारकों का मत है कि इससे राज्य की संप्रभुता को हानि पहुंची है | परंतु उदारवादी विचारकों का मत है कि बहुराष्ट्रीय निगमों से अंतरराष्ट्रीयता और विश्वशांति को प्रोत्साहन मिला है तथा बहुराष्ट्रीय निगमों के भूमंडलीय निगमित गतिविधियों द्वारा शांति और समृद्धि के नव स्वर्ण युग का श्रीगणेश हुआ है |
दोनों से उनके मालिकों, अधिकारियों तथा शिक्षित कर्मचारियों को तो लाभ हुआ है, परंतु निर्धन देशों और निर्धन और अशिक्षित व्यक्तियों को तथा छोटे उद्योग -धंधों को हानि पहुंची है तथा बेकारी बढी है और अविकसित देश ऋणी हो जाने के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रभाव में आ गए हैं तथा उनकी संप्रभुता में कमी आई है |
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