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#अखिलेश यादव शिवपाल यादव न्यूज
lok-shakti · 2 years
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Mainpuri Bypoll: मैनपुरी में डिंपल यादव 3 लाख वोट से जीतेंगी, मतदान के बाद मुलायम सिंह यादव के भाई का दावा
Mainpuri Bypoll: मैनपुरी में डिंपल यादव 3 लाख वोट से जीतेंगी, मतदान के बाद मुलायम सिंह यादव के भाई का दावा
Uttarpradesh By Election 2022 Live Hindi News: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा सीट उपचुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। यहां सपा उम्मीदवार डिंपल यादव और बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य के बीच मुकाबला माना जा रहा है। वहीं मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम यादव ने दावा किया कि डिंपल यादव 3 लाख वोट से जीतेंगी।   हाइलाइट्समैनपुरी लोकसभा सीट पर वोटिंग शुरूमुलायम सिंह यादव के भाई ने डाला वोटअभय राम…
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trendingwatch · 2 years
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अखिलेश के साथ शिवपाल की दोस्ती ने उन्हें गर्म पानी में डाल दिया
अखिलेश के साथ शिवपाल की दोस्ती ने उन्हें गर्म पानी में डाल दिया
एक्सप्रेस न्यूज सर्विस लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रमुख और भतीजे अखिलेश यादव की ओर बढ़ते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (PSPL) के प्रमुख शिवपाल यादव मुश्किल में पड़ गए हैं। शिवपाल यादव मैनपुरी लोकसभा सीट के आगामी उपचुनाव के लिए सपा उम्मीदवार डिंपल यादव के लिए सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं। यूपी सरकार ने सोमवार को शिवपाल की सुरक्षा को ‘जेड’ से घटाकर ‘वाई’ कर दिया, जिससे उनके सिर पर तलवार…
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rudrjobdesk · 2 years
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शिवपाल यादव क्यों करने लगे महाभारत की बात, मुलायम के कुनबे में फिर छिड़ेगी जंग?
शिवपाल यादव क्यों करने लगे महाभारत की बात, मुलायम के कुनबे में फिर छिड़ेगी जंग?
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख व सपा विधायक शिवपाल यादव ने एक बार फिर बगावती तेवर दिखाए हैं। वह सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज हो गए हैं।इसी वजह से वह लखनऊ से इटावा Source link
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webvartanewsagency · 2 years
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राष्ट्रपति चुनाव: टूट रहा विपक्ष, मुर्मू को विरोधी खेमे से भी मिला समर्थन
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राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को वोट डाले जाएंगे और 21 जुलाई को नतीजे जाएंगे। विपक्ष की ओर से संयुक्त रूप से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है, तो वहीं एनडीए की ओर से झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है। लेकिन चुनाव के पहले ही विपक्ष टूटता हुआ दिखाई दे रहा है। शुक्रवार को एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू उत्तर प्रदेश में थी और उनके सम्मान में मुख्यमंत्री आवास पर एक भोज रखा गया था। इस भोज में सभी बीजेपी विधायकों और सहयोगी दलों के विधायकों को आमंत्रित किया गया था।बीएसपी के विधायक उमाशंकर सिंह, जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को भी आमंत्रित किया गया था। यह सभी नेता इस आयोजित भोज में पहुंचे और इसके बाद सभी नेताओं ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान भी कर दिया। बता दें कि ��ह सभी नेता एनडीए का हिस्सा नहीं है। वहीं ओमप्रकाश राजभर सपा के सहयोगी हैं और उनके ऐलान से समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को भी झटका लगा है।   शिवपाल सिंह यादव ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “मैं पहले ही कह चुका हूं कि जो मांगेगा उसे वोट दूंगा। न तो समाजवादी पार्टी ने मुझे फोन किया, न ही मेरा वोट मांगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कल मुझे आमंत्रित किया जहां मैंने एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें वोट देने का फैसला किया।” बता दें कि बसपा मुखिया मायावती ने पहले ही द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया था। उन्होंने अपनी पार्टी की नीतियों, मूवमेंट और सिद्धांतों पर चलने का हवाला देते हुए द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया था। वहीं अब इन नेताओं के समर्थन से एनडीए का संख्या बल और मजबूत हो गया है। Read the full article
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mastereeester · 3 years
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UP Panchayat Election Results 2021 : अखिलेश और शिवपाल के गठबंधन का कमाल, इटावा में टूटा बीजेपी की जीत का सपना [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
UP Panchayat Election Results 2021 : अखिलेश और शिवपाल के गठबंधन का कमाल, इटावा में टूटा बीजेपी की जीत का सपना [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
पत्रिका न्यूज नेटवर्कलखनऊ/इटावा. UP Panchayat Election Results 2021. यूपी पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav 2021) में चाचा (शिवपाल यादव)-भतीजे (अखिलेश यादव) की जोड़ी एक बार बार फिर सुपरहिट साबित हुई है। इटावा में जिला पंचायत का चुनाव समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया ने मिलकर लड़ा, जिसके चलते बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। बीते यूपी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भारतीय…
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lok-shakti · 2 years
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Akhilesh Yadav: खैनी खाना छोड़कर कन्‍नौज के विकास के बारे में सोचें, सुब्रत पाठक पर भड़के अखिलेश यादव
Akhilesh Yadav: खैनी खाना छोड़कर कन्‍नौज के विकास के बारे में सोचें, सुब्रत पाठक पर भड़के अखिलेश यादव
इटावा: अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सुब्रत पाठक (Subrat Pathak) का नाम लिए ब‍िना कहा है, जो लोग मुंह में खैनी और मसाला भरे रहते हैं उन्‍हें चाहिए कि खैनी खाना छोड़ दें और कन्‍नौज के विकास के बारे में सोचें। इससे पहले सुब्रत पाठक ने कहा था कि अखिलेश ने शिवपाल यादव को इसलिए समाजवादी से किनारे किया था क्‍योंकि शिवपाल पार्टी में गुंडा प्रवृत्ति के लोगों को लाए थे। अखिलेश उनके इसी बयान पर…
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trendingwatch · 2 years
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शहर में अखिलेश-शिवपाल की दोस्ती की बात; लेकिन इसकी लंबी उम्र मैनपुरी उपचुनाव के नतीजों पर निर्भर करती है
शहर में अखिलेश-शिवपाल की दोस्ती की बात; लेकिन इसकी लंबी उम्र मैनपुरी उपचुनाव के नतीजों पर निर्भर करती है
एक्सप्रेस न्यूज सर्विस लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (PSPL) के मालिक चाचा शिवपाल यादव के बीच की दोस्ती को हर कोई देख सकता है और महसूस कर सकता है, क्योंकि दोनों को पार्टी के चल रहे प्रदर्शन के दौरान एक-एक फ्रेम साझा करते देखा जा सकता है- मैनपुरी में चुनाव प्रचार मैनपुरी सपा उम्मीदवार डिंपल यादव के लिए वोट मांगने वाले सपा के 40 स्टार प्रचारकों में…
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chaitanyabharatnews · 4 years
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किस्सा कुछ यूं हैः 'धरती पुत्र' मुलायम सिंह को पहलवानी के साथ पढ़ाई का भी था शौक
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चैतन्य भारत न्यूज लखनऊ. राजनीति में कई किरदार इतने अनूठे और दिलों पर राज करने वाले होते हैं कि उनके बारे में किस्सों की कोई कमी नहीं होती। उनका व्यक्तित्व भी कम प्रेरक नहीं होता। कहानियां इतनी होती हैं किताबें कम पड़ जाती हैं। ऐसा ही एक व्यक्तित्व है उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का। धरती पुत्र के नाम से पहचाने जाने वाले मुलायम सिंह यादव पर करीब 28 किताबें लिखी गई हैं। पहलवानी के शौकीन मुलायम सिंह यादव को पढ़ाई से भी कम प्रेम नहीं था।
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कुश्ती के दांवपेच आजमा बने राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में 22 नवंबर, 1939 को हुआ था। इनके पिता का नाम सुघर सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी है। पिता सुघर सिंह उन्हें बड़ा पहलवान बनाना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने पहलवानी भी सीखी। मुलायम का मनपसंद दांव था चरखा दांव। उन्होंने कई कुश्तियां लड़ी। अखाड़े में अच्छे-अच्छों को पटखनी दी लेकिन पढ़ाई में भी उनका बहुत मन लगता था। उन्हें पढ़ाना भी पसंद था इसलिए बीटीसी की शिक्षा हासिल की और इंटर कॉलेज में पढ़ाना भी शुरू कर दिया। पढ़ाना शुरू करने के बाद कुश्ती लड़ना छोड़ दी लेकिन उसका आयोजन हमेशा करवाते हैं। मुलायम ने हमेशा पढ़ाई को प्राथमिकता दी। उन्होंने राजनीतिक जीवन से समय निकाल कर आगरा यूनिवर्सिटी से राजनीतिक शास्त्र की डिग्री ली।
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समाज में ऊंच-नीच के विरोधी मुलायम सिंह की पहली शादी घरवालों ने 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मुलायम उस वक्त दसवीं में थे। लोग बताते हैं कि उस वक्त वाहनों का इतना चलन नहीं था इसलिए मुलायम की बरात भैंसागाड़ी से गई थी। हालांकि मुलायम सिंह शुरू से खुले विचारों के थे। वे जाति प्रथा, ऊंच-नीच के भी विरोधी थे। एक घटना है, तीसरी कक्षा में एक उच्च जाति का लड़का जाटव छात्र को पीट रहा था। मुलायम ने न सिर्फ मदद मांग रहे उस लड़के की मदद की, बल्कि पीटने वाले लड़के की पिटाई भी की थी। मुलायम सिंह यादव 15 वर्ष की उम्र में लोहिया के आंदोलन से जुड़े। वे गांव-गांव जाया करते थे। इसी दौरान वे पास के गांव में पहुंचे। जहां कथित नीची जाति के लोग रहते थे। अपने साथियों के साथ पहुंचे मुलायम सिंह ने उनका आतिथ्य भी स्वीकार किया जो कि उस दौर में घृणित माना जाता था। नीची जाति का आतिथ्य स्वीकार करने की वजह से मुलायम को सैफई गांव में पंचायत में हाजिर होना पड़ा था, लेकिन मुलायम ही वह शख्सियत हैं, जो किसी भी दबाव में झुके नहीं। उनसे जब कहा गया कि या तो अब नीची जाति के लोगों से मिलना छोड़ दो या जुर्माना दो, तो उन्होंने कहा जुर्माना दूंगा।
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जमीन से जुड़े नेता ने हासिल की ऊंचाइयां मुलायम सिंह उत्तरप्रदेश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसने अपने दम पर जमीन से जुड़े रहने के साथ ही सियासी शिखर तक का सफल तय किया। उनके बारे में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह कहते थे यह छोटे कद का बड़ा नेता है। मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गए थे। साल 1992 में उन्होंने समाजवाद का नारा बुलंद किया और समाजवादी पार्टी बनाई। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। देश में जब ठाकुर-पंडित की राजनीति होती थी ऐसे में मुलायम ने यादव सहित सभी पिछड़ी जातियों को एक करके उन्हें पहचान दिलाने का काम किया।
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गठबंधन की राजनीति के जनक मुलायम सिंह यादव को गठबंधन की राजनीति का जनक भी कहा जाता है। उन्होंने पहली बार बसपा-सपा के गठजोड़ से उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बने। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से 28 वर्ष की उम्र में मुलायम 1967 में विधानसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद तो वे 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में विधान सभा सदस्य चुने गए। इस बीच वे 1982 से 1985 तक यूपी विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे। पहली बार 1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास के मुख्यमंत्रित्व काल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए। इसके बाद से ही वे करीबी लोगों के बीच मंत्रीजी के नाम से जाने लगे। वे तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके हैं।
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दो बार हो चुका है हमला मुलायम की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर विरोधियों ने उन पर हमला भी करवाया था। 1984 में मैनपुरी के करहल ब्लॉक के कुर्रा थाने के तहत महीखेडा गांव के बाहर उन पर लौटते वक्त हमला हो गया था। दरअसल मुलायम गांव में एक शादी में शामिल होने गए थे। तब हमलावरों ने उन पर झाड़ियों में छिपकर गोलियों से हमला कर दिया था। मुलायम ने चालाकी बरतते हुए सुरक्षाकर्मियों से कहा कि जोर-जोर से चिल्लाओ नेताजी मार दिए गए। सुरक्षाकर्मियों ने वैसा ही किया और हमलावर उनकी बात सुनकर आश्वस्त होकर भाग गए। इसके कुछ साल बाद मुलायम पर एक बार फिर हमला हुआ था। चुनाव अभियान के तहत क्रांति रथ से चल रहे मुलायम पर हैवरा के पास एक मिल से काफी गोलियां चली। सड़क पर बम भी रखे गए थे। इस हमले में मुलायम क्रांति रथ के ड्राइवर हेतराम की चालाकी से बाल-बाल बचे थे जबकि शिवपाल यादव इस हमले में जख्मी हो गए थे।
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अयोध्या राम मंदिर विवाद में नाम मिला मुल्ला मुलायम 30 अक्टबूर, 1990 को मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते राम मंदिर के कारसेवकों पर चली गोलियों में पांच लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल काफी गरमा गया था। 6 दिसंबर, 1992 में विवादित बाबरी ढांचे को गिरा दिया गया। 1990 के गोलीकांड के बाद हुए उप्र विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह बुरी तरह हार गए और भाजपा के कल्याण सिंह उप्र के नए मुख्यमंत्री बने। तब मुलायम को 'मुल्ला मुलायम' तक कहा जाने लगा क्योंकि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे। मुलायम सिंह ने इसी दौरान समाजवादी पार्टी का गठन भी किया और उन्हें मुस्मिलों का नेता कहा जाने लगा। साल 1990 की घटना के 23 साल बाद जुलाई 2013 में मुलायम ने कहा था कि उन्हें गोली चलवाने का अफसोस है लेकिन उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं था।
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देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा मुलायम सिंह का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा है। इस सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे से कुल 13 लोग क्रमश: मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव, राम गोपाल यादव, अंशुल यादव, प्रेमलता यादव, अरविंद यादव, तेज प्रताप सिंह यादव, सरला यादव, अंकुर यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव राजनीतिक धरातल पर जोर-आजमाइश कर रहे हैं। मुलायम का बड़ा राजनीतिक कुनबा होने के बावजूद उनके एक भाई अभय राम आज भी सादगी भरा जीवन सैफई में रहकर जीते हैं। आज भी वह खेतों में काम करते दिखेंगे। इसी तरह उनके भाई रतन सिंह भी किसानी में रमे थे, लेकिन उनकी हाल ही में मृत्यु हो गई। Read the full article
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toldnews-blog · 6 years
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New Post has been published on https://toldnews.com/hindi/newswrap-%e0%a4%97%e0%a4%a0%e0%a4%ac%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a4%a8-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%ac%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a5%81%e0%a4%b2-%e0%a4%b9%e0%a4%ae%e0%a4%b8/
NewsWrap-गठबंधन पर बोले राहुल-हमसे बात नहीं की गई, पढ़ें, शाम की 5 बड़ी खबरें - Newswrap rahul gandhi dubai sp bsp alliance delhi police special cell arrested two hijbul terrorist with arson
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दुबई में कहा कि यूपी में गठबंधन पर सपा-बसपा ने हमसे कोई बात नहीं की. वहीं आतंकियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने बड़ी कार्रवाई की है. जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर स्पेशल सेल ने हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से हथियार भी बरामद किए गए हैं. पढ़े, शाम की 5 बड़ी खबरें…
1.SP-BSP गठबंधन पर बोले राहुल गांधी- मुझसे या कांग्रेस पार्टी से बात तक नहीं की
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर हैं और यहां उन्होंने कई मौकों पर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखे हमले कर चुके हैं. राहुल गांधी ने एक हिंदी न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा कि जो सच्चाई है, उसे नकारा नहीं जा सकता. देश की छवि कोई बिगाड़ नहीं सकता. यूपी में गठबंधन सपा-बसपा गठबंधन पर राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने हमें कमतर आंका, और उन्होंने इस संबंध में हमसे और हमारे लोगों से कोई बातचीत नहीं की.
2. दिल्ली पुलिस की बड़ी कार्रवाई, हिज्बुल के दो आतंकी गिरफ्तार
आतंकियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने बड़ी कार्रवाई की है. जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर स्पेशल सेल ने हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से हथियार भी बरामद किए गए हैं. दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने शोपियां पुलिस के साथ मिलकर इन दो आतंकियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आतंकी कश्मीरी पुलिस का हिस्सा थे और 2017 में आतंक का रास्ता अपना लिया था.
3. गठबंधन पर बोले शिवपाल यादव- कांग्रेस बात करेगी तो मैं बिल्कुल तैयार
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन फाइनल होने के बाद कांग्रेस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह अकेले ही राज्य की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, दूसरे छोटे दलों के साथ कांग्रेस के गठबंधन की चर्चा के बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) के मुखिया और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने इस संबंध में अपने पत्ते खोल दिए हैं. शिवपाल ने कहा है कि अगर कांग्रेस गठबंधन के लिए उनसे बात करेगी, तो वह इसके लिए तैयार हैं.
4. अमित शाह को ठाकरे का जवाब- शिवसेना को पटकने वाला अभी पैदा नहीं हुआ
लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच बयानबाजी भी उतनी ही तीखी होती जा रही है. गठबंधन न होने की स्थिति में पूर्व सहयोगियों को हराने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बयान के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सख्त लहजे में पलटवार करते हुए कहा है कि शिवसेना को हराने वाला अभी पैदा नहीं हुआ है. ठाकरे का यह बयान अमित शाह की उस टिप्पणी का जवाब माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने गठबंधन न होने की स्थिति में पूर्व सहयोगियों को पटकने की बात कही थी.
5. गरीब सवर्णों को नौकरी में आरक्षण देने वाला पहला राज्य बना गुजरात, कल से लागू
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी बिल पर हस्ताक्षर करने के बाद गुजरात ने अपने राज्य में इस व्यवस्था को लागू करने का ऐलान किया है. गुजरात गरीब सवर्णों को आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. शनिवार को राष्ट्रपति कोविंद के मंजूरी देने के बाद अब देश में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ हो गया.
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अखिलेश और शिवपाल में सुलह के संकेत: प्रस्पा से चुनावी गठबंधन की बनेंगी बात
अखिलेश और शिवपाल में सुलह के संकेत: प्रस्पा से चुनावी गठबंधन की बनेंगी बात
लखनऊ: पिछले विधानसभा चुनावों आत्ममुग्धता का शिकार बने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इस बार सही ट्रैक पर चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। ….आगे पढें https://manvadhikarabhivyakti.com/2021/06/16/अखिलेश-और-शिवपाल-में-सुलह/ निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें ‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से…
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news4me · 5 years
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चार साल बाद करीब आए चाचा-भतीजा, होली पर अखिलेश यादव ने छुए शिवपाल यादव के पैर
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इस साल होली के मौके पर अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच दूरियां कम होती दिखीं। अखिलेश के घर होली मिलन समारोह में शिवपाल यादव पहुंचे तो अखिलेश ने आगे बढ़कर उनके पैर छू लिए।
Published By Nilesh Mishra | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: 11 Mar 2020, 08:26:00 AM IST
शिवपाल यादव के पैर छूते अखिलेश यादव हाइलाइट्स
होली पर जुटा समाजवादी कुनबा, साथ आए अखिलेश यादव और शिवपाल यादव
अखिलेश के घर…
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indiawriters-blog · 6 years
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शिवपाल यादव के बागी तेवर- 'वक्त बताएगा मैं सपा के खिलाफ काम करूंगा या नहीं'
शिवपाल यादव के बागी तेवर- ‘वक्त बताएगा मैं सपा के खिलाफ काम करूंगा या नहीं’
 समाजवादी पार्टी (सपा) में लंबे समय से हाशिए पर चल रहे वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव पार्टी छोड़ सकते हैं. भतीजे अखिलेश यादव के पार्टी की कमान संभालने के बाद से ही शिवपाल हाशिए पर हैं. जी न्यूज से बातचीत में शिवपाल सिंह यादव ने कहा, ‘मुझे जब-जब बुलाया गया मैं गया, दावत में शामिल होने के लिए टेलीफोन किया गया तो उस तक में पहुंच गया. जब नहीं बुलाया जा रहा तो नहीं जा रहा.’ शिवपाल ने आगे कहा, ‘सपा के…
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mastereeester · 4 years
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कोरोना वैक्सीन का विरोध कर चौतरफा घिरे अखिलेश, अपर्णा के बाद शिवपाल यादव ने कही यह बात [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
कोरोना वैक्सीन का विरोध कर चौतरफा घिरे अखिलेश, अपर्णा के बाद शिवपाल यादव ने कही यह बात [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
पत्रिका न्यूज नेटवर्कलखनऊ. कोरोना वैक्सीन का विरोध कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को चौतरफा विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ट्विटर पर जहां लोगों ने उन्हें ट्रोल किया वहीं, उनके ‘अपने’ भी सपा प्रमुख के बयान से सहमत नहीं हैं। अखिलेश यादव के छोटे भाई की पत्नी व सपा नेता अपर्णा यादव ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री का कोरोना वैक्सीन न लगवाने का ऐलान ठीक नहीं है। वहीं, उनके चाचा व…
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upenews · 4 years
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Shivpal Yadav attacked the central government said PM Modi brought Corona to the country PM मोदी देश में लेकर आए कोरोना... फिर लगाया लॉकडाउन, जानें किसने कहा?
Shivpal Yadav attacked the central government said PM Modi brought Corona to the country PM मोदी देश में लेकर आए कोरोना… फिर लगाया लॉकडाउन, जानें किसने कहा?
शिवपाल यादव ने केंद्र सरकार पर हमला बोला हैं. उन्होंने सरकार के झूठे वादें करने का आरोप लगाया. शिवपाल ने कहा कि बीजेपी ने अच्छे दिन के वादे किए थे, लेकिन आज किसान सड़कों पर है, कौन से अच्छे दिन.  शिवपाल यादव का केंद्र पर हमला (Photo Credit: न्यूज नेशन) लखनऊ: देश में कोरोना वैक्सीन को लेकर सियासत जारी है. इसकी शुरुआत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने की, तो सपाईयों ने भी खुलकर…
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सपा के संविधान में हुए बड़े बदलाव, पांच साल होगा अध्यक्ष का कार्यकाल यूथ इण्डिया न्यूज, संवाददाता। समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शनिवार को पार्टी के संविधान में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए। इनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल से बढ़ाकर पांच साल करना शामिल हैं। वहीं, राष्ट्रीय महासचिव व सचिव पदों की संख्या बढ़ाकर 10-10 कर दी गई है। अभी तक 6 महासचिव और 6 उपाध्यक्ष का प्रावधान था। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के भी अब एक के बजाय तीन पद होंगे। कार्यकारिणी में तय हुआ कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए सितंबर में अधिवेशन होगा। इससे पहले जिला और प्रदेश सम्मेलन होंगे।राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक सपा मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई। एक जनवरी को सपा के विशेष अधिवेशन के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यह पहली बैठक थी। महासचिव रामगोपाल यादव ने पार्टी के संविधान में संशोधन का प्रस्ताव रखा। इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रमुख महासचिव का नया पद सृजित किया गया है। माना जा रहा है कि यह पद रामगोपाल यादव के लिए बनाया गया है। बैठक में सबसे महत्वपूर्ण फैसला सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने का रहा। अब अध्यक्ष का चुनाव पांच साल के लिए होगा। प्रदेश अध्यक्ष भी 5 साल के लिए चुना जाएगा। प्रदेश कार्यकारिणी में भी प्रमुख महासचिव का एक नया पद बनाया गया है। महासचिव के पद एक से बढ़ाकर तीन कर दिए गए हैं। सभी संशोधनों पर बिना किसी चर्चा के मुहर लगा दी गई। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में तय हुआ कि सपा का सदस्यता अभियान 15 अप्रैल से शुरू होगा। यह जून 2017 तक चलेगा। इसके बाद जिला सम्मेलन और फिर प्रदेश सम्मेलन होंगे। जिला और प्रदेश सम्मेलन में चुने गए प्रतिनिधि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। इसके लिए राष्ट्रीय अधिवेशन सितंबर में होगा। संगठनात्मक चुनाव के लिए रामगोपाल यादव को मुख्य निर्वाचन अधिकारी चुना गया है। बैठक में न तो किसी ने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की गैरहाजिरी का मुद्दा उठाया और न ही शिवपाल सिंह यादव का। करीब दो घंटे चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उन्हें भुला ही दिया। शिवपाल तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी नहीं हैं। मुलायम सिंह सदस्य हैं या नहींए इसे लेकर स्थिति साफ नहीं है। बैठक में कुछ लोगों ने भितरघात और गुटबंदी को हार की वजह बताया। रामगोपाल ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जिला और मंडलवार हार के कारणों की समीक्षा कर रहे हैं। जो भी दोषी होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भितरघातियों को बख्शा नहीं जाएगा। कई सदस्यों ने ईवीएम में गड़बड़ियों का अंदेशा जताते हुए कहा कि जहां सपा के पक्ष में मतदान हुआ, वहां भी वोट कम निकले हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि जब ईवीएम पर अंगुलियां उठ रही हैं तो निर्वाचन आयोग को इसकी जांच करानी चाहिए। कार्यकारिणी में सभी की राय अगले चुनाव बैलेट से कराने की थी लेकिन इस आशय का कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया।
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chaitanyabharatnews · 4 years
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किस्सा कुछ यूं हैः 'धरती पुत्र' मुलायम सिंह को पहलवानी के साथ पढ़ाई का भी था शौक
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चैतन्य भारत न्यूज लखनऊ. राजनीति में कई किरदार इतने अनूठे और दिलों पर राज करने वाले होते हैं कि उनके बारे में किस्सों की कोई कमी नहीं होती। उनका व्यक्तित्व भी कम प्रेरक नहीं होता। कहानियां इतनी होती हैं किताबें कम पड़ जाती हैं। ऐसा ही एक व्यक्तित्व है उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का। धरती पुत्र के नाम से पहचाने जाने वाले मुलायम सिंह यादव पर करीब 28 किताबें लिखी गई हैं। पहलवानी के शौकीन मुलायम सिंह यादव को पढ़ाई से भी कम प्रेम नहीं था।
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कुश्ती के दांवपेच आजमा बने राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में 22 नवंबर, 1939 को हुआ था। इनके पिता का नाम सुघर सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी है। पिता सुघर सिंह उन्हें बड़ा पहलवान बनाना चाहते थे। यही वजह थी कि उन्होंने पहलवानी भी सीखी। मुलायम का मनपसंद दांव था चरखा दांव। उन्होंने कई कुश्तियां लड़ी। अखाड़े में अच्छे-अच्छों को पटखनी दी लेकिन पढ़ाई में भी उनका बहुत मन लगता था। उन्हें पढ़ाना भी पसंद था इसलिए बीटीसी की शिक्षा हासिल की और इंटर कॉलेज में पढ़ाना भी शुरू कर दिया। पढ़ाना शुरू करने के बाद कुश्ती लड़ना छोड़ दी लेकिन उसका आयोजन हमेशा करवाते हैं। मुलायम ने हमेशा पढ़ाई को प्राथमिकता दी। उन्होंने राजनीतिक जीवन से समय निकाल कर आगरा यूनिवर्सिटी से राजनीतिक शास्त्र की डिग्री ली।
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समाज में ऊंच-नीच के विरोधी मुलायम सिंह की पहली शादी घरवालों ने 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मुलायम उस वक्त दसवीं में थे। लोग बताते हैं कि उस वक्त वाहनों का इतना चलन नहीं था इसलिए मुलायम की बरात भैंसागाड़ी से गई थी। हालांकि मुलायम सिंह शुरू से खुले विचारों के थे। वे जाति प्रथा, ऊंच-नीच के भी विरोधी थे। एक घटना है, तीसरी कक्षा में एक उच्च जाति का लड़का जाटव छात्र को पीट रहा था। मुलायम ने न सिर्फ मदद मांग रहे उस लड़के की मदद की, बल्कि पीटने वाले लड़के की पिटाई भी की थी। मुलायम सिंह यादव 15 वर्ष की उम्र में लोहिया के आंदोलन से जुड़े। वे गांव-गांव जाया करते थे। इसी दौरान वे पास के गांव में पहुंचे। जहां कथित नीची जाति के लोग रहते थे। अपने साथियों के साथ पहुंचे मुलायम सिंह ने उनका आतिथ्य भी स्वीकार किया जो कि उस दौर में घृणित माना जाता था। नीची जाति का आतिथ्य स्वीकार करने की वजह से मुलायम को सैफई गांव में पंचायत में हाजिर होना पड़ा था, लेकिन मुलायम ही वह शख्सियत हैं, जो किसी भी दबाव में झुके नहीं। उनसे जब कहा गया कि या तो अब नीची जाति के लोगों से मिलना छोड़ दो या जुर्माना दो, तो उन्होंने कहा जुर्माना दूंगा।
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जमीन से जुड़े नेता ने हासिल की ऊंचाइयां मुलायम सिंह उत्तरप्रदेश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसने अपने दम पर जमीन से जुड़े रहने के साथ ही सियासी शिखर तक का सफल तय किया। उनके बारे में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह कहते थे यह छोटे कद का बड़ा नेता है। मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गए थे। साल 1992 में उन्होंने समाजवाद का नारा बुलंद किया और समाजवादी पार्टी बनाई। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। देश में जब ठाकुर-पंडित की राजनीति होती थी ऐसे में मुलायम ने यादव सहित सभी पिछड़ी जातियों को एक करके उन्हें पहचान दिलाने का काम किया।
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गठबंधन की राजनीति के जनक मुलायम सिंह यादव को गठबंधन की राजनीति का जनक भी कहा जाता है। उन्होंने पहली बार बसपा-सपा के गठजोड़ से उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बने। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से 28 वर्ष की उम्र में मुलायम 1967 में विधानसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद तो वे 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में विधान सभा सदस्य चुने गए। इस बीच वे 1982 से 1985 तक यूपी विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे। पहली बार 1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास के मुख्यमंत्रित्व काल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए। इसके बाद से ही वे करीबी लोगों के बीच मंत्रीजी के नाम से जाने लगे। वे तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षा मंत्री रह चुके हैं।
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दो बार हो चुका है हमला मुलायम की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर विरोधियों ने उन पर हमला भी करवाया था। 1984 में मैनपुरी के करहल ब्लॉक के कुर्रा थाने के तहत महीखेडा गांव के बाहर उन पर लौटते वक्त हमला हो गया था। दरअसल मुलायम गांव में एक शादी में शामिल होने गए थे। तब हमलावरों ने उन पर झाड़ियों में छिपकर गोलियों से हमला कर दिया था। मुलायम ने चालाकी बरतते हुए सुरक्षाकर्मियों से कहा कि जोर-जोर से चिल्लाओ नेताजी मार दिए गए। सुरक्षाकर्मियों ने वैसा ही किया और हमलावर उनकी बात सुनकर आश्वस्त होकर भाग गए। इसके कुछ साल बाद मुलायम पर एक बार फिर हमला हुआ था। चुनाव अभियान के तहत क्रांति रथ से चल रहे मुलायम पर हैवरा के पास एक मिल से काफी गोलियां चली। सड़क पर बम भी रखे गए थे। इस हमले में मुलायम क्रांति रथ के ड्राइवर हेतराम की चालाकी से बाल-बाल बचे थे जबकि शिवपाल यादव इस हमले में जख्मी हो गए थे।
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अयोध्या राम मंदिर विवाद में नाम मिला मुल्ला मुलायम 30 अक्टबूर, 1990 को मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते राम मंदिर के कारसेवकों पर चली गोलियों में पांच लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल काफी गरमा गया था। 6 दिसंबर, 1992 में विवादित बाबरी ढांचे को गिरा दिया गया। 1990 के गोलीकांड के बाद हुए उप्र विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह बुरी तरह हार गए और भाजपा के कल्याण सिंह उप्र के नए मुख्यमंत्री बने। तब मुलायम को 'मुल्ला मुलायम' तक कहा जाने लगा क्योंकि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे। मुलायम सिंह ने इसी दौरान समाजवादी पार्टी का गठन भी किया और उन्हें मुस्मिलों का नेता कहा जाने लगा। साल 1990 की घटना के 23 साल बाद जुलाई 2013 में मुलायम ने कहा था कि उन्हें गोली चलवाने का अफसोस है लेकिन उनके पास अन्य कोई विकल्प नहीं था।
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देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा मुलायम सिंह का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा है। इस सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे से कुल 13 लोग क्रमश: मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव, राम गोपाल यादव, अंशुल यादव, प्रेमलता यादव, अरविंद यादव, तेज प्रताप सिंह यादव, सरला यादव, अंकुर यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव राजनीतिक धरातल पर जोर-आजमाइश कर रहे हैं। मुलायम का बड़ा राजनीतिक कुनबा होने के बावजूद उनके एक भाई अभय राम आज भी सादगी भरा जीवन सैफई में रहकर जीते हैं। आज भी वह खेतों में काम करते दिखेंगे। इसी तरह उनके भाई रतन सिंह भी किसानी में रमे थे, लेकिन उनकी हाल ही में मृत्यु हो गई। Read the full article
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