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#अरज
tasavvur-ki-duniya · 10 months
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कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे,
खाइयों ना तू नैना मोहे,
पिया के मिलन की आस।
Oh crow when I'll die, i request you to to eat my fleshes selectively, and I kindly request you to not eat my eyes because I yearn to see my beloved with me.
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siya-sayani · 3 months
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कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस
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( I know the world doesn't believe in such love anymore, but I just wish , when I am about to die, I get to meet u for the last time before I succumb . In my memories I want to keep us forever because u are probably, no, u are actually the only thing beautiful that happened to me that is worth remembering in heaven)
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the-sound-ofrain · 2 years
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कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस ।।
this line smears into your chest & rips the soul out of you. the way a.r rehman sir and irshad kamil sir manifest the pain of a lover who's dead inside & can see the death going to land on his chest in front of his eyes.
the lover's requesting the crow 'kaaga' - the carrier of death, the scavenger to eat the flesh with care & spare the eyes because he's waiting to meet his muse for the last time.
aghhhhhh ! the pain in the verse still sends the shivers down my spine.
- apollo
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dhoklaaminoacid · 6 months
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कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस
खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस
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mufrad · 10 months
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"कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस
खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस......"
✨🤌
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oyeevarnika · 2 years
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you're the best desi aesthetic blog on tumblr for me. love all your posts sm they make me feel oddly happy ✨🤌
कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस idk why but i had to yaaar
Imtiaz Ali simp ki bimaari hai mujhe bhi 😭
Moreover thank you so much for your kind words i hope ki ye दंतुरित मुस्कान बनी रहे 🌻
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hariramnishad · 12 days
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अरज अवाज अनाथ की, आजीज की अरदास।
गरीब आवन जावन मेट के, गुरु दीजो निश्चल वास।।
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brijkerasiya · 1 month
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धन्वंतरी चालीसा हिंदी अर्थ सहित | Dhanvantari Chalisa Hindi Translation
श्री धन्वंतरी चालीसा विडियो श्री धन्वंतरी चालीसा (Shree Dhanvantari Chalisa) ॥ दोहा ॥ करूं वंदना गुरू चरण रज, हृदय राखी श्री राम। मातृ पितृ चरण नमन करूँ, प्रभु कीर्ति करूँ बखान॥ तव कीर्ति आदि अनंत है, विष्णु अवतार भिषक महान। हृदय में आकर विराजिए, जय धन्वंतरि भगवान॥ ॥ चौपाई ॥ जय धनवंतरि जय रोगारी, सुनलो प्रभु तुम अरज हमारी। तुम्हारी महिमा सब जन गावें, सकल साधुजन हिय हरषावे। शाश्वत है आयुर्वेद…
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aartividhi · 4 months
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Hanuman Baan | श्री बजरंग बाण का पाठ
Hanuman Baan | श्री बजरंग बाण का पाठ
॥ दोहा ॥ निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ ॥ चौपाई ॥ जय हनुमंत संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥०१॥ जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥०२॥ जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा । सुरसा बद पैठि विस्तारा ॥०३॥ आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ॥०४॥ जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ॥०५॥ बाग उजारी सिंधु महं बोरा । अति आतुर यम कातर तोरा ॥०६॥ अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा ॥०७॥ लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुर पुर महं भई ॥०८॥ अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उर अन्तर्यामी ॥०९॥ जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता ॥१०॥ जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ॥११॥ ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। बैरिहिं मारू बज्र की कीले ॥१२॥ ग��ा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ॥१३॥ ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥१४॥ ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥१५॥ सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु धाय के ॥१६॥ जय जय जय हनुमंत अगाधा । दु:ख पावत जन केहि अपराधा ॥१७॥ पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥१८॥ वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥१९॥ पांय परों कर जोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥२०॥ जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥२१॥ बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ॥२२॥ भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ॥२३॥ इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ॥२४॥ जनकसुता हरि दास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥२५॥ जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ॥२६॥ चरण शरण कर जोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ॥२७॥ उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई । पांय परौं कर जोरि मनाई ॥२८॥ ॐ चं चं चं चं चपल चलंता । ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥२९॥ ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल । ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥३०॥ अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥३१॥ यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै ॥३२॥ पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करैं प्राण की ॥३३॥ यह बजरंग बाण जो जापै । तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे ॥३४॥ धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥३५॥ ॥ दोहा ॥ प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ॥ Read the full article
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jaiminiofficial · 4 months
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वीर हनुमाना अति बलवाना लिरिक्स  » Veer 
वीर हनुमाना अति बलवाना लिरिक्स  » Veer Hanumana Ati Balwana Lyrics वीर हनुमाना अति बलवाना,राम नाम रसियो रे,प्रभु मन बसियो रे । जो कोई आवे, अरज लगावे,सबकी सुनियो रे,प्रभु मन बसियो रे । ॥ वीर हनुमाना अति बलवाना…॥ बजरंग बाला फेरू थारी माला,संकट हरियो रे,प्रभु मन बसियो रे । ॥ वीर हनुमाना अति बलवाना…॥ ना कोई संगी, हाथ की तंगी,जल्दी हरियो रे,प्रभु मन बसियो रे । ॥ वीर हनुमाना अति बलवाना…॥ अर्जी…
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pgkadam75 · 5 months
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Bajrang Baan: बजरंग बाण जय हनुमन्त संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥
जय हनुमन्त संत हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।। जन के काज बिलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महासुख दीजै ।।
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shobha12sblog · 6 months
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गुरुजी ने जब अरज करी परमात���मा से ।। Sant Rampal Ji।। satlok ashram।। Onl...
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balajiindiaofficial · 6 months
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अब तो अरज सुनो प्रभु मेरी | Guru Bhajan | Prem Rawat Maharaj ji | #viral...
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dh5-presents · 7 months
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।। जय श्री राम ।।
#बजरंग_बाण
।। चौपाई ।।
।। 01 ।।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
.
.
.
.
#dh5present #deepsinghdeepakdevotional #bajrangbaan #shreebajrangbaan #hanumanji #bajrangbali #bhaktiquotes #writer #newpost #dailyupdates
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jyotis-things · 9 months
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( #Muktibodh_part163 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part164
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 315-316
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 726-792 :-
फिर गणिका कै संग चले, शीशी भरी शराब।
गरीबदास उस पुरी में, जुलहा भया खराब।।726।।
तारी बाजी पुरी में, भिष्ट जुलहदी नीच। गरीबदास गनिका सजी, दहूं संतौं कै बीच।।727।।
गावत बैंन बिलासपद, गंगाजल पीवंत। गरीबदास विह्नल भये, मतवाले घूमंत।।728।।
भडु.वा भडु.वा सब कहैं, कोई न जानैं खोज।
दास गरीब कबीर करम, बांट��� शिरका बोझ।।729।।
देखो गनिका संगि लई, कहते कौंम छतीस।
गरीबदास इस जुलहदी का, दर्शन आन हदीस।।730।।
शाह सिकंदर कूं सुनी, भिष्ट हुये दो संत।
गरीबदास च्यारों वरण, उठि लागे सब पंथ।।731।।
च्यारि वरण षट आश्रम, दोनौं दीन खुशाल।
गरीबदास हिंदू तुरक, पड्या शहर गलि जाल।।732।।
शाह सिकंदरकै गये, सुनि कबले अरदास।
गरीबदास तलबां हुई, पकरे दोनौं दास।।733।।
कहौ कबीर यौह क्या किया, गनिका लिन्हीं संग।
गरीबदास भूले भक्ति, पर्या भजन में भंग।।734।।
सुनौं सिकंदर बादशाह, हमरी अरज अवाज।
गरीबदास वह राखिसी, जिन यौह साज्या साज।।735।।
जडि़यां तौंक जंजीर गल, शाह सिकंदर आप।
गरीबदास पद लीन है, तारी अजपा जाप।।736।।
हाथौं जड़ी हथकड़ी, पग बेड़ी पहिराय। गरीबदास बीच गंग में, तहां दीन्हा छिटकाय।।737।।
झडि गये तौंक जंजीर सब, लगै किनारै आय।
गरीबदास देखै खलक, स्यौं काजी बादशाह।।738।।
नीचै नीचै गंगाजल, ऊपर आसन थीर। गरीबदास बूडै़ नहीं, बैठे अधर कबीर।।739।।
योह अचरज कैसा भया, देखैं दोनौं दीन।
गरीबदास काजी कहैं, बांधि दिया जल सीन।।740।।
गल में फांसी डारि करि, बांधौ शिला सुधारि।
गरीबदास यौह जुलहदी, जब बूडै़ गंगधार।।741।।
शिला धरी जब नाव में, बांधी गलै कबीर।
गरीबदास फंद टूटि कै, ना डूबै जलनीर।।742।।
शिला चली शाह और कौं, देखत काशी ख्याल।
गरीबदास कबीर का आसन अधर हमाल।।743।।
तीर बाण गोली चलैं, तोप रहकल्यौं शोर।
गरीबदास उस जुलहदीकै, गई एक नहीं ओर।।744।।
अधर धार गोले बहैं, जलकै बीच गभाक।
गरीबदास उस जुलहदी पर, शस्त्रा छूटैं लाख।।745।।
तोप रहकले सब चलैं, तीर बाण कमान।
गरीबदास वह जुलहदी, जल पर रहै अमान।।746।।
अधरि धार अपार गति, जल परि लगी समाधि।
गरीबदास निज ब्रह्मपद, खेलैं आदि अनादि।।747।।
जुलम हुआ बूडै़ नहीं, शस्त्रा लगै न बाण।
गरीबदास इब कौंन गति, कैसैं लीजै प्राण।।748।।
लगी समाधी अगाध में, बिचरै काशी गंग।
गरीबदास किलोल सर, छूहैं चरण तरंग।।749।।
च्यारि पहर गोले बगे, धमी मुलक मैदान।
गरीबदास पोखर सुखैं, रहे कबीर अमान।।750।।
अपनी करनी सब करी, थाके दोनौं दीन।
गरीबदास अब जुलहदी, पैठि गये जलमीन।।751।।
डूब्या डूब्या सब कहैं, हो गये गारत गोर।
गरीबदास कबले धनी, तुम आगै क्या जोर।।752।।
आनंद मंगल होत है, बटैं बधाई बेग। गरीबदास उस जुलहदी पर फिर गई रेती रेघ।।753।।
हस्ती घोडे़ चढत हैं, पान मिठाई चीर। गरीबदास काशी खुसी, बूडे़ गंग कबीर।।754।।
जावो घरि रैदासकै, हिलकारे हजूर। गरीबदास खुसिया कहौ, कहियो नहीं कसूर।।755।।
झालरि ढोलक बजत हैं, गावैं शब्द कबीर।
गरीबदास रैदास संगि, दोनौं एकही तीर।।756।।
काजी पंडित सब गये, शाह सिकंदर उठ।
गरीबदास रैदासकै, भेष गये जटजूट।।757।।
कोठी कुठले सब झके, बासन टींडर गोलि।
गरीबदास रहदास सुनौं, कहां गये वह बोल।।758।।
वे प्रगट पूरण पुरूष हैं, अबिनाशी अलख अल्लाह।
गरीबदास रैहदास कहैं, सुनौं सिकंदर शाह।।759।।
सूरजमुखी सुभांन सर, खिले फूल गुलजार।
गरीबदास काजी पंडित करता शाह पुकार।।760।।
शाह सिकंदर फिर गये, उस गंगा कै तीर।
दास गरीब कबीर हरी, बैठे ऊपर नीर।।761।।
बैठि मलाह जिहाज में, गये धार कै बीच।
गरीबदास हरि हरि करैं, प्रेम फुहारे सीच।।762।।
करी अरज मलाह तहां, दीन दुनी बादशाह।
गरीबदास आसन उधर, लगी समाधि जुलाह।।763।।
भंवर फिरत हैं गंग जल, फूल उगानें कोटि।
गरीबदास तहां बंदगी, हरिजन हरि की ओट।।764।।
संकल सीढी लाय करि, उतरे तहां मलाह।
गरीबदास हम बंदगी, याद किये बादशाह।।765।।
बैठ कबीर जहाज में, आये गंगा घाट। गरीबदास काशी थकी, हांडे बौह बिधि बाट।।766।।
खूनी हाथी मस्त है, पग बंधे जंजीर। गरीबदास जहां डारिया, मसक बांधि कबीर।।767।।
सिंह रूप साहिब धर्या, भागे उलटे फील।
गरीबदास नहीं समझती, याह दुनिया खलील।।768।।
बने केहरी सिंह जित, चौंर शिखर असमांन।
गरीबदास हस्ती लख्या, दीखै नहीं जिहांन।।769।।
कूटै शीश महावतं, अंकुश शीर गरगाप।
गरीबदास उलटा भगै, तारी दीजैं थाप।।770।।
भाले कोखौं मारिये, चरखी छूटैं पाख। गरीबदास नहीं निकट जाय, किलकी देवैं लाख।।771।।
जैसी भक्ति कबीर की, ऐसी करै न कोय।
गरीबदास कुंजर थके, उलटे भागे रोय।।772।।
दुंम गोवैं मूंडी धुनैं, सैंन न समझै एक। गरीबदास दीखै नहीं, आगै खड़ा अलेख।।773।।
पीलवान देख्या तबै, खड़ा केहरी सिंघ। गरीबदास आये तहां, धरि मौला बहु रंग।।774।।
उतरे मौला अरस तैं, भाव भक्ति कै हेत।
गरीबदास तब शाह लखे, कबीर पुरूष सहेत।।775।।
लीला की कबीर ने, दो रूप में रहे दीस।
दासगरीब कबीर कै, पास खडे़ जगदीश।।776।।
जंभाई अंगडाईयां, लंबे भये दयाल। गरीबदास उस शाह कूं, मानौं दर्श्या काल।।777।।
कोटि चन्द्र शशि भान मुख, गिरद कुंड दुम लील।
गरीबदास तहां ना टिके, भागि गये रनफील।।778।।
नयन लाल भौंह पीत हैं, डूंगर नक पहार।
गरीबदास उस शाह कूं, सिंह रूप दीदार।।779।।
मस्तक शिखर स्वर्ग लग, दीरघ देह बिलंद।
गरीबदास हरि ऊतरे, काटन जम के फंद।।780।
गिरद नाभि निरभै कला, दुदकारै नहीं कोय।
गरीबदास त्रिलोकि में, गाज तास की होय।।781।।
ज्यूं नरसिंह प्रहलादकै, यूं वह नरसिंह एक।
गरीबदास हरि आईया, राखन जनकी टेक।।782।।
बार-बार सताय कर, मस्तक लीना भार।
गरीबदास शाह यौं कहै, बकसौ इबकी बार।।783।।
तहां सिंह ल्यौलीन हुआ, परचा इबकी बार।
गरीबदास शाह यौं कहै, अल्लह दिया दीदार।।784।।
सुन काशी के पण्डितौ, काजी मुल्लां पीर।
गरीबदास इसके चरण ल्यौह, अलह अलेख कबीर।।785।।
यौह कबीर अल्लाह है, उतरे काशी धाम।
गरीबदास शाह यौं कहैं, झगर मूंये बे काम।।786।।
काजी पंडित रूठिया, हम त्याग्या योह देश।
गरीबदास षटदल कहैं, जादू सिहर हमेश।।787।।
इन जादू जंतर किया, हस्ती दिया भगाय।
गरीबदास इत ना रहैं, काशी बिडरी जाय।।788।।
काशी बिडरी चहौं दिशा, थांभन हारा एक।
गरीबदास कैसे थंभै, बिडरे बौहत अनेक।।789।।
क्यूं बिडरी गडरी दुनीं, कथा कबीर समूल।
गरीबदास उस वृक्षकै, अनंत कोटि रंग फूल।।790।।
बिडरे भेष बिवेक तजि, छाडि चले सब सौंज।
गरीबदास दिली आगरै, कोई दगरै सीरौंज।।791।।
कोई अजुध्याकूं चले, कोई वृन्दावन सेव।
गरीबदास सुरति तकी, कोई रामेश्वर देव।।792।।
क्रमशः______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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jeevanjali · 9 months
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Ram Chalisa: श्री रघुबीर भक्त हितकारी ,सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी,जरूर करें राम चालीसा का पाठRam Chalisa: श्री रघुबीर भक्त हितकारी ,सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी,राम चालीसा का पाठ करने से भगवान राम बहुत प्रसन्न होते हैं, राम चालीसा का पाठ बहुत ही लाभकारी और चमत्कारी माना गया है राम चालीसा का पाठ करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं
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