राज्य में श्रमण संस्कृति बोर्ड का गठन करे सरकार - श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र
जयपुर l श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर आग्रह किया कि राज्य में जिस प्रकार से सर्व समाज के कल्याण हेतु विभिन्न बोर्डों का गठन किया जा रहा है ठीक उसी प्रकार जैन समाज के कल्याण एवं उत्थान हेतु “श्रमण संस्कृति बोर्ड” का गठन हों ताकि जैन संस्कृति का अधिक प्रचार-प्रसार हो सकें।उन्होंने कहा कि आपके साढ़े चार वर्षीय कार्यकाल दौरान राजस्थान राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में काफी…
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17.02.2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के सहयोग से संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह, गोमती नगर, लखनऊ में कल्चरल क्वेस्ट द्वारा "विपश्यना नृत्य नाटिका" का प्रस्तुतीकरण किया गया | कार्यक्रम में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) ने आर्थिक सहयोग प्रदान किया है | विपश्यना नृत्य नाटिका की परिकल्पना, नृत्य कला एवं निर्देशन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कत्थक नृत्यांगना सुश्री सुरभि सिंह ने की हैं | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भिक्खु डॉ. नंद रतन, संयुक्त सचिव, कुशीनगर भिक्खु संघ, कुशीनगर तथा विशिष्ट अतिथि कुँ अक्षय प्रताप सिंह “गोपाल भैया”, माननीय सदस्य, विधान परिषद उत्तर प्रदेश, प्रतापगढ़, श्री हरगोविंद कुशवाहा बौद्ध, कार्यकारी अध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ, कुँ बृजेश सिंह राजावत, प्रदेश महासचिव, जनसत्तादल (राजा भैया) एवं श्री बाबा हरदेव सिंह, राजनीतिज्ञ भारतीय जनता पार्टी, प्रांतीय सिविल सेवा उ.प्र. (कार्यकारी शाखा) की गरिमामयी उपस्थिति रही |
सुश्री सुरभि सिंह एवं उनकी टीम के द्वारा, किस तरह महात्मा बुद्ध की शरण में नर्तकी वासवदत्ता का हृदय परिवर्तन हुआ, यह नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत किया गया | इस नृत्य नाटिका के माध्यम से विपश्यना ध्यान विधि, जो की दुखों से मुक्ति पाने का सबसे सशक्त माध्यम माना जाता है, को प्रभावी रूप से आम जन तक पहुंचाया गया | इसमें स्वयं में जाकर अपनी ही ध्यान की शक्ति से आर्य अष्टांगिक मार्ग पर चलकर जीवन के उद्देश्य को जानने की प्रक्रिया को संप्रेषित किया गया | इस प्रस्तुति का उद्देश्य जनजागरूकता पैदा करने के साथ-साथ युवाओं को शिक्षित करना भी था |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी अतिथियों एवं कलाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री परम आदरणीय माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ध्यान और योग को कितना महत्व देते हैं जिसके लिए पूरे विश्व में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, "वर्तमान समय में युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में तनाव और परेशानी आ�� है और विपश्यना की शिक्षाएं उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने में मदद कर सकती हैं |" वह कहते हैं कि "विपश्यना प्राचीन भारत का एक अनुपम उपहार होने के साथ ही एक आधुनिक विज्ञान भी है, जिसके जरिए युवा और बुजुर्ग लोगों को जीवन के तनाव और परेशानी से निपटने में मदद मिल सकती है । ध्यान और विपश्यना को कभी त्याग के माध्यम के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब यह व्यावहारिक जीवन में व्यक्तित्व विकास का माध्यम बन गया है । विपश्यना आत्मा की ओर एक यात्रा है और अपने भीतर गहराई से गोता लगाने का एक तरीका है । यह सिर्फ एक शैली नहीं, बल्कि एक विज्ञान है ।" तो आइए आज इस कार्यक्रम में विपश्यना नृत्य नाटिका के द्वारा हम भी विपश्यना ध्यान को समझने का प्रयास करते हैं और उसे कहीं ना कहीं अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं |
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री महेंद्र भीष्म, डॉ अलका निवेदन सहित शहर के अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही |
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Noida Latest News : एक बार फिर उठी प्राधिकरणों में जन भागीदारी की मांग, उद्योगों की समस्या भी उठाई गई
Noida Latest News : उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम 1976 (Uttar Pradesh Industrial Development Act 1976) के तहत गठित नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना विकास प्राधिकरणों में जन भागीदारी की मांग बहुत पुरानी है। बुधवार को यह मांग एक बार फिर उठाई गई है। इस बार इस मांग को उद्योगों के लिए काम करने वाली एक संस्था ने उठाया है। संस्था का मत है कि नोएडा शहर के व्यापक हित में यह जरुरी है कि नोएडा प्राधिकरण के बोर्ड में उद्योगपतियों के प्रतिनिधि के तौर पर उद्यमियों को शामिल जाए। नोएडा में यह व्यवस्था होते ही ग्रेटर नोएडा और यीडा में भी लागू हो जाएगी।
आपको बता दें कि वर्ष 1976 में स्थापित हुए नोएडा शहर का पूरा कामकाज नोएडा प्राधिकरण करता है। इस प्राधिकरण के तमाम फैसले प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त (IDC) की अध्यक्षता में काम करने वाला एक बोर्ड करता है। इस बोर्ड में आम जनता अथवा उद्योगपतियों का पक्ष रखने के लिए जनता का कोई प्रतिनिधि नहीं है। समय समय पर यह मांग उठती रही है कि नोएडा प्राधिकरण के बोर्ड में जन भागीदारी होनी चाहिए। इस आशय की मांग प्रदेश की विधानसभा में भी उठाई जा चुकी है। बुधवार को हुई उद्योग सहायक समिति की एक बैठक में यह मांग एक बार फिर उठाई गई।
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वार्ड क्रमांक 32 में विकास यात्रा के अविस्मरणीय पलहुई फूलों की वर्षा किया गया मां शारदा की चुनरी से सम्मान
सतना/ विकास यात्रा जहां पूरे प्रदेश में शासकीय योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुँचाने के उद्देश्य किया जा रहा है वहीं शुक्रवार को विकास यात्रा नगर पालिक निगम सतना के वार्ड न 32 पहुंची जहां यात्रा में शरीक जन प्रतिनिधियों का जगह जगह जमकर स्वागत सम्मान हुआ वहीं सम्मान की श्रृंखला में वार्ड न 32 स्थिति तक्षशिला इंग्लिश स्कूल के समिति पदाधिकारियों सहित स्कूल डायरेक्टर सूर्य प्रकाश सिंह ने महापौर योगेश…
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उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में आयोजित 10वें अंचल स्तरीय जनजाति प्रतिभा सम्मान समारोह एवं सर्व समाज शिक्षक गौरव समारोह-2022 को संबोधित किया। प्रदेश सरकार आदिवासी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्र के हित को ध्यान में रखकर ही योजनाएं तैयार की जा रही है। प्रतिभाओं को सम्मानित करते हुए राज्य सरकार द्वारा गत चार वर्षों में किए गए जनकल्याणकारी कार्यों को साझा किया।
आप मांगते-मांगे थक जाएंगे पर मैं देते-देते नहीं थकूँगा, मेरी ज़िंदगी का एक-एक क्षण आपके लिए है। मंच से आदिवासी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास को लेकर हुए कार्यों को साझा करते हुए कहा कि प्रदेश में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से हर परिवार को दस लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा दिया गया है जो देशभर में पहला उदाहरण है। अब निर्धन परिवार बड़ी-बड़ी बीमारियों का डट कर मुकाबला कर रहे हैं। हार्ट और लीवर ट्रांसप्लांट सहित बड़े-बड़े ऑपरेशन निःशुल्क होने से लोगों को राहत मिली है। प्रदेश में अनुप्रति योजना के माध्यम से बीस हजार छात्रों को कोचिंग कारवाई जा रही है। इसी प्रकार से उड़ान योजना के माध्यम से सरकार महिलाओं को हर माह 12 सेनेट्री नेपकिन उपलब्ध करवा रही है।
आज विश्व में अंग्रेजी की अहमियत को देखते हुए प्रदेश में जगह-जगह महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोले गए हैं जिससे अब निर्धन परिवारों के बच्चों को भी अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा उपलब्ध हो रही है। अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा प्राप्त कर ये बच्चे भविश्य में देश ही नहीं विदेश में भी काम कर पाएंगे। महंगाई से आज हर व्यक्ति परेशान है। ऐसे में राज्य सरकार ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए आगामी 1 अप्रैल से गैस सिलेंडर 500 रुपये में देने का फैसला किया है। किसान मित्र उर्जा योजना में प्रदेश के लगभग 8 लाख किसानों के बिजली बिल शून्य हो गए हैं तथा आम उपभोक्ताओं को भी 50 यूनिट तक बिजली निःशुल्क दी जा रही है। सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में प्रदेश में लगभग एक करोड़ लोगों को पेंशन दी जा रही है।
उदयपुर कलेक्टर श्री ताराचंद मीणा को श्री मानगढ़ धाम गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया। दुर्गाराम मुवाल और महेंद्र कुमार मीणा को नाना भाई खांट शिक्षक गौरव पुरस्कार से, डॉ किरण मीणा को आदिकवि महर्षि वाल्मीकि गौरव पुरस्कार, सीडीपीओ दीपिका मीणा को मेवाड़ वीर राणा पुंजा भील प्रतिभा पुरस्कार, पवन पुत्र निःशुल्क कोचिंग संस्था के संचालक रणवीर ठोलिया को वीर शहीद नानक भाई भील सामाजिक नेतृत्व पुरस्कार, डॉ सुनील मीणा को वीर बालक एकलव्य पुरस्कार, राज कलासुआ को शहीद जनजाति वीर बाला कालीबाई पुरस्कार तथा दृष्टिहीन क्रिकेट में अपना लोहा मनवाने वाले ललित मीणा को धनुर्धर श्री लिंबाराम पुरस्कार से सम्मानित किया।
कार्यक्रम में जनजाति विकास मंत्री श्री अर्जुन बामनिया, सांसद श्री अर्जुनलाल मीणा, डूंगरपुर सांसद श्री कनकमल कटारा, राजस्थान जन अभाव अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष श्री पुखराज पाराशर, पूर्व सांसद श्री रघुवीर सिंह मीणा, पूर्व विधायक श्री सज्जन कटारा, गोविन्द गुरू ट्राइबल यूनिवर्सिटी के वीसी श्री टी सी डामोर सहित जनप्रतिनिधि, उच्चाधिकारी एवं जनसमूह उपस्थित था।
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नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो!
देश को हिन्दू राष्ट्र में बदलने कीसाजिश का पुरजोर विरोध करो नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो!
एक तरफ जब देश भर में विवादित नागरिकता कानून पर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार की जन विरोधी कार्यवाही का भुगतभोगी बन रहे हैं, वैसे में सरकार ने अब एक और घोषणा की। 2020 की अप्रैल से सितंबर तक वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एन पी आर) को अपडेट करेगी। यह कदम वह तब करने जा रही है, जबकि पहले एन आर सी और फिर कैब के अंतर्गत लाखों लोग भारत की नागरिकता सूची से बाहर हो आज बिना नागरिकता वाले हो चुके हैं। वह भी तब जब एन आर सी अभी केवल उत्तर पूर्व के ही राज्य में शुरू हुआ है। कैब भी एन आर सी
हुआ अधिनियम है, एन आर सी जहां लोगों को भारत की नागरिक होने और ना होने की शिनाख्त करता है, वहीं सी.ए.ए विदेशी नागरिकों को
के दक्षिण एशिया के देशों से आये शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया कानून है। सी.ए.ए कानून के बन जाने के बाद भारत की नागरिकता का मख्य आधार व्यक्ति का धर्म हो गया है ना की उसकी कोई और बात। यह बिल भाजपा – आरएसएस की ��ाइन के मुताबिक बनाया गया है, जिन्हें भारत को एक हिन्दू राष्ट्र के तौर पर पेश करना है।आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से नाकम सरकार ने मेहनतकश, बेरोजगार युवाओं और अन्य देशवासियों को बहकाने के लिए अब अंध-राष्ट्रवाद और हिन्द-आधिपत्यवाद का न्य शगूफा नागरिकता बिल के माध्यम से छेडा है। हिन्द बहुसंख्यकों के हिस्से को धर्म के नाम पर वः भड़का कर पूंजीपतियों के पीछे रखना चाहती है। साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में विस्थापित विदेश से आये हिन्दुओं को बसा वो अपने राज को मजबूती प्रदान करवाना चाहती है।
मोदी सरकार की यह नीतियां इस बात की भी पुष्टि करती है कि भारत सरकार ने 70 साल बाद दो राष्ट्र सिद्धांत को आखिरकार मान लिया। दो राष्ट्र सिद्धांत या दो क़ौमी सिद्धांत, के मुताबिक हिन्���ू और मुसलामन एक राष्ट्र नहीं है बल्कि दो अलग अलग राष्ट्र है, और वे एक साथ नहीं रह सकते। बीएस मुंजे, भाई परमानंद, विनायक दामोदर सावरकर, एमएस गोलवलकर और अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों के अनुसार भी दो राष्ट्र सिद्धांत सही था और वे भी हिन्दू मुसलमानों को अपना अलग अलग देश की वकालत कर रहे थे, उन्होंने न केवल इस सिद्धांत की वकालत की बल्कि आक्रामक रूप से यह मांग भी उठाई कि भारत हिन्दू राष्ट्र है जहाँ मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है। भारत विभाजन में जितना योगदान लीग का रहा उससे कम आरएसएस और हिन्दू दलों का नहीं था। आज राष्ट्रवाद और अखंड भारत का सर्टिफिकेट बांटने वाले भी देश के बंटवारे में लीग जितना ही शरीक थे, यह बात हमे नहीं भूलनी चाहिए। हिन्द महासभा के संस्थापक राजनारायण बसु ने तो 19वीं शताब्दी में ही हिन्दु राष्ट्र और दो राष्ट्र का सिद्धांत पर अपनी प्रस्थापना रखनी शुरू कर दी थी। हिन्दू राष्ट्र के बारे में उन्होंने कहा था, "सर्वश्रेष्ठ व पराक्रमी हिंदू राष्ट्र नींद से जाग गया है और आध्यात्मिक बल के साथ विकास की ओर बढ़ रहा है। मैं देखता हूं कि फिर से जागृत यह राष्ट्र अपने ज्ञान, आध्यात्मिकता और संस्कृति के आलोक से संसार को दोबारा प्रकाशमान कर रहा है। हिंदू राष्ट्र की प्रभुता एक बार फिर सारे संसार में स्थापित हो रही है।" । बासु के ही साथी नभा गोपाल मित्रा ने राष्ट्रीय हिंदू सोसायटी बनाई और एक अख़बार भी प्रकशित करना शुरू किया था, इसमें उन्होंने लिखा था, “भारत में राष्ट्रीय एकता की बुनियाद ही हिंदू धर्म है। यह हिंदू राष्ट्रवाद स्थानीय स्तर पर व भाषा में अंतर होने के बावजूद भारत के प्रत्येक हिंदू को अपने में समाहित कर लेता है।” दो राष्ट्र का सिद्धांत फिर किस ने दिया इस पर हिंदुत्व कैंप के इतिहासकार कहे जाने वाले आरसी मजुमदार ने लिखा, "नभा गोपाल ने जिन्नाह के दो कौमी नजरिये को आधी सदी से भी पहले प्रस्तुत कर दिया था।" नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की
बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। सरकार का मानना है कि इन देशों में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और उनको सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, ऐसे में भारत का यह दाइत्व बनता है की हिन्दुओं की रक्षा करे। सरकार इस बात से पूरी तरह बेखबर है की भारत के कई पडोसी राज्यों में मुसलमान अल्पसंख्यक है और उनके साथ भी वहाँ के बहुसंख्यक जमात द्वारा जुल्म की खबर समय समय पर आती रहती है। श्री लंका में तो सिंघली और तमिल (हिन्द) के बीच दशकों से लगातार तनाव बना रहा है। तो क्या सभी तमिल जनता अब भारत आ सकती है? वही हाल बांग्लादेश और म्यांमार के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का है, तो क्या इन सभी को भारत अपना नागरिक बनाने के लिए तैयार है? और हाँ, तो फिर इन गैर मुस्लिम शरणार्थी और सताए जा रहे मुस्लिम शरणार्थी जैसे रोहिंग्या, पाकिस्तान में शिया, अहमदिया, अफगानिस्तान के हजारा, उज़बेक इत्यादि के साथ यह सौतेला व्यव्हार क्यों? सरकार को इस पर भी जवाब देना होगा। रोहिंग्या के साथ साथ भारत में म्यांमार से चिन शरणार्थी भी बहुसंख्या में भारत में निवास कर रहे हैं, अफगानिस्तान से आये शरणार्थी को भारत ने पनाह दी थी, उस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी? सीएए के लिए आंकडा एन पी आर से आएगा? नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की बात कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुई। सन 2000 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा गठित, कारगिल समीक्षा समिति ने नागरिकों और गैर-नागरिकों के अनिवार्य पंजीकरण की सिफारिश की सिफारिशों को 2001 में स्वीकार किया गया था और 2003 के नागरिकता (पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम पारित किए गए थे। इससे पहले एनपीआर को 2010 और 2015 में आयोजित किया गया था, 1955 नागरिकता अधिनियम में संशोधन के बाद एनपीआर को पहली बार 2004 में यूपीए सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था। संशोधन ने केंद्र को "भारत के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र" जारी करने की अनुमति दी। 2003 और 2009 के बीच चुनिंदा सीमा क्षेत्रों में एक पायलट परियोजना लागू की गई थी। अगले दो वर्षों (2009-2011) में एनपीआर तटीय क्षेत्रों में भी चलाया गया - इसका उपयोग मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया था - और लगभग 66 लाख निवासियों को निवासी पहचान पत्र जारी किए गए थे। इस बार एन पी आर की आंकड़े लेने में सरकार ने कुछ नए कॉलम जोड़ दिए। सरकार द्वारा 24
दिसंबर को घोषित राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में लोगों को पहली बार "माता-पिता की जन्म तिथि और जन्म स्थान" भी बताना पड़ेगा। यह जानकारी, 2010 में एनपीआर के लिए एकत्र नहीं गयी थी। मतलब साफ है, सरकार इस बार ये आंकड़े इसलिए मांग रही है ताकि वो किसी भी व्यक्ति के बारे में तय कर सके कि उसकी नागरिकता प्रामाणिक है या नहीं। फिर उसके ऊपर एनआरसी और सीएए की विभिन्न प्रावधान के तहत कार्यवाही करने में कितना वक्त लगेगा? इस रजिस्टर में दर्ज जानकारी के लिए, सरकार कह रही है कि आपको कोई दस्तावेज़ या प्रमाण नहीं देने की ज़रूरत है। तो फिर सवाल उठता है कि इन जानकारी की ज़रूरत किस लिए है, सरकार इस जानकारी से क्या करने वाली है? अगर वह इसका इस्तेमाल गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए करेगी, तो इसके लिए पहले से ही आधार कार्ड बनवाया गया। सरकार अलग अलग सर्वे करवा योजनाओं की ज़रूरत पर आंकड़े इकट्ठा करती है। किसी की आर्थिक स्थिति जानने के लिए उसके माता पिता का नाम और जन्म स्थान की जानकारी किस लिए चाहिए? इन सवालों पर सरकार मौन है। अगर हम भाजपा के मंत्रियों और प्रधानमंत्री की बातों पर ध्यान दें तो उनके द्वारा झूठा प्रचार किसी खतरनाक साजिश की तरफ इशारा करता है। भाजपा
और सरकार ने लगातार गलत सचना और कत्साप्रचार का सहारा ले रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गह मंत्री अमित शाह के विरोधाभासी का विरोध किया है। भाजपा ने दोनों के साथ अलग किया है आधिकारिक सरकार के रिलीज के पास कोई वास्तविक मूल्य नहीं है। यह सही लग रहा है कि इन झठ
और गलत बयानी के पीछे एक सोची समझी प्लान है, जिसका मकसद जनता के बीच भ्रम फैला कर असली योजना को कार्यान्वित करने का है। एक क्रम में सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है। पहले मज़दूर कानूनों को ख़त्म कर पूँजीपतियों के पक्ष कर दिया गया, फिर आया एन आर सी और सी ए ए और अब एन पी आर, साथ ही सरकार कम्प्यूटर के डेटा सुरक्षा कानून भी लेन वाली है, मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार इस कानून में सरकार किसी से भी किसी व्यक्ति के बारे में सूचना मांग सकती है। मतलब अब किसी की निजता नहीं रहेगी। मान लीजिये कि आप हस्पताल में भर्ती होते हैं, अस्पताल आपकी बीमारी और शरीर की सभी जानकारी कम्प्यूटर में दर्ज करती है। ये जानकारी आपकी निजी जानकारी होती है, लेकिन अब सरकार इन जानकारी को मांग सकती है। वो भी बिना आपकी इजाज़त के। इन जानकारियों को वो किसी भी तरह से इस्तेमाल करेगी। चाहे किसी दवा कंपनियों को बेच सकती है, या किसी को सामाजिक रूप से बेइज्जत करने के लिए। आज भी हमारे देश मे कई बीमारियों को सामाजिक रूप से शंका की नज़र से देखा जाता है जैसे एड्स, और अन्य गुप्त रोग व��ली बीमारियां। सवाल यह है कि सरकार इन सूचना को इकट्ठा क्यो कर रही है और किसलिये, इस पर वह झूठ क्यों कहा रही है? असल मे सरकार पूरे देश को एक बड़े बाड़े में तब्दील करने पर आमादा है। उसने इसके लिए काम शुरू भी कर दिया है। कई जगहों पर डिटेंशन कैम्प बनाए जा रहे है। जहां लोगों को भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी है। याद कीजिये हिटलर का यहूदियों और नाज़ी विरोधियों के लिए बनाया कंसन्ट्रेशन कैम्प। इन कैम्पों के कैदियों को केवल मौत के घाट नहीं उतारा गया बल्कि पहले उनसे गुलामों की तरह कमरतोड़ मेहनत करवा जाता था। उस समय तक पूँजीपतियों की कंपनियों में जानवरों की तरह काम करवाया जाता था जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती थी। पूँजीपतियों को मुफ्त के मज़दूर मिले रहते थे, जिनके किसी तरह की कानूनी अधिकार नहीं था, मालिक की मर्जी तक वे काम करते थे और जिस दिन वो काम करने लायक नहीं रह जाते उसी दिन उनकी जिंदगी खत्म कर दी जाती थी।
क्या मोदी सरकार, भारत में यही कैम्प बनाने की कवायद शुरू तो नहीं कर रही? अगर ऐसा है तो यह भारत के लिए दुर्दिन की शुरुआत है, मोदी की इन नीतियों की वजह से देश का सामाजिक ताना बाना टूटने वाला है, और फिर क्या हमारे देश की हालत अफ़ग़ानिस्तान, और अन्य देशों की तरह नहीं हो जाएगी जहां लोग एक दूसरे को खत्म करने में लग गए थे। देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ जाएगा। इसलिए हम इस हिन्द बहलतावादी सोच और मस्लिम को दसरे दर्जे का नागरिक बनाने का कड़ा विरोध करते हैं. देश को अंधराष्ट्रवाद की जहरीली खाई में धकेलने की इस कार्यवाही के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी करते हैं। हम तमाम साथियों से आह्वान करते हैं की इस खरतनाक साजिश के विरुद्ध एक हो कर मोदी सरकार के इस मंसूबे का विरोध करें। दोस्तों, अब समय आ गया है कि हम आम जनता आने वाले काले दिन के खिलाफ एक होकर संघर्ष करें। साथियों फासीवादी सरकार जनता को धर्म के नाम पर बाँट इस देश पर पूरी तरह से फासीवादी शासन लागू करना चाहती है। आज इसने मुसलमानों को अलग करने का काम शुरू किया है, आगे यह दलितों, आदिवासीयों और सभी दबे कुचलों के साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी। ब्राह्मणवादी-फासीवादी शासन की तरफ इसने एक क़दम उठा लिया है, अगर इसका विरोध नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हमारी देश की जनता उस काले काननों और बर्बर शासन व्यवस्था में जीने को मजबूर हो जाएगी। आज समय है की हम एक साथ पूरे जोर से इस शासन को टक्कर दें और उसे बतला दें कि देश की जनता अब उसकी छद्म देशभक्ति के बहकावों में आने वाली नहीं है। देश का युवा, मेहनतकश जाग रहा है, इस आन्दोलन को अब नये ऊँचाई पर ले जाने का समय आ गया है, एनआरसी, सीएए, एनपीआर की लड़ाई को लम्बी राजनितिक संघर्ष में बदलने का समय आ गया है, आज एक बार फिर हमे सर्वहारा वर्ग की राजनीति को मध्य में लाना होगा और देश में आमूल परिवर्तन की लडाई को तेज़ करना होगा।
नाम
* तमाम नागरिकता कानून को वापिस लो * देश को धर्म के आधार पर बांटने का पुर जोर विरोध करो * नागरिकता कानून की आड़ में भाषाई, धार्मिक और जातिय आधार पर जनता को बाँटने के खिलाफ संघर्ष तेज़ करो * मोदी साकार द्वारा देश में फ़ासीवाद लाने की कोशिश को जन-एकता से ध्वस्त करो
लोकपक्ष
Phone: 886030502, Email:
[email protected]
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सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 5सितम्बर की मजदूर-किसान संधर्ष रैली-’’सीटू’’ नोएडा, करोडों मजदूरों, किसानों, खेतिहर मजदूरों, कारीगरों, आगनवाड़ी, आशा व अन्य स्कीम वर्कस, घरेलू कामगारों, रेहडी पटरी फुटपाथ के दुकानदारों व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों सहित अन्य मेहनतकश वर्गो से जुड़े मुद्दों को उठाने तथा उनके लिये अच्छे कार्यो एवं कार्य करने के लिए अच्छी परिस्थितियों, अच्छी जिन्दगी एवं अच्छे भविष्य की मांगों को लेकर सीटू, अखिल भारतीय किसान सभा एवं अखिल भारतीय खेतीहर मजदूर यूनियन के संयुक्त आहा��ान पर 5 सितम्बर 2018 को दिल्ली में संसद के समक्ष होने वाली मजदूर-किसान संधर्ष रैली की तैयारी के लिए जिला-गौतमबुद्धनगर में बड़े व्यापक पैमाने पर सीटू कार्यकतओं ने जनसम्पर्क अभियान चला रख है। जिसके तहत औद्योगिक क्षेत्रों मजदूर बस्तियों में नुक्कड सभा, नुक्कड नाटक, परचा वितरण, माईक प्रचार किया जा रहा है। सोमवार 3 सितम्बर 2018 को सीटू कार्यकर्ता ने रामसागर, मदन प्रसाद गंगेश्वर दत्त शर्मा, रामस्वारस्थ, भरत डेंजर, मुकेश राधव, जोगेन्द्र सैनी, अजीत आदि केे नेतृत्व में नोएडा व ग्रेटर नोएडा में कई स्थानों पर नुक्कड सभा माईक प्रचार, परचा वितरण व जन सम्पर्क कर मेहनतकश लोगों से भारी संख्या में 5 सितम्बर 2018 की मजदूर किसान संधर्ष रैली में शामिल होने की अपील किया तथा ग्रामीण विकास समिति के नेता वशिष्ट मिश्रा, रामजी यादव, दयाशंकर पाण्रूे, प0 श्यामानन्द झा, सुनील दुबे, जय भगवान, किशनचन्द झा, सत्यप्रकाश, गोबिन्द सिंह, गोपी, लायक हुसैन रामदुलारे, मौ0 नफीस, तिलक भाई, मो0 जफर आदि ने उन्नति विहार, अम्बेडकर सिटि, राधाकुन्ज, कृष्णा कुन्ज, सैनिक विहार, गणेश नगर, सौरखा जाहिदाबाद, ककराला आदि कालेानियों में जनसम्पर्क कर लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में 5 सितम्बर की रैली में शामिल होने की अपील किया। रैली के अभियान को मजदूरों-किसानों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। जन सम्पर्क अभियन के दौरान सीटू कार्यकर्ताओं ने मजदूरों एवं आम जनता से रेली के लिए फण्ड भी इक्कठा किया।
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पंचायतराज के माध्यम से हमारा मुख्य एजेंडा गाँवों का सर्वांगीण विकास, नहीं बरते कोताही - गौरा
रियांबड़ी। पंचायत राज के माध्यम से हमारा मुख्य एजेंडा गाँवों का सर्वांगीण विकास है। शासन की कल्याणकारी योजनाओं के राजकार्य को निष्पक्षता व पारदर्शिता से करते हुए आम जन को लाभान्वित करना ही हमारा ध्येय होना चाहिए। उक्त बातें रियां बड़ी पंचायत समिति की प्रधान उगमा देवी गौरा ने गुरूवार को पंचायत समिति सभागार में आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में कही।
इस दौरान प्रधान गौरा ने कहा कि गांव-ढाणी में बैठे लोगों…
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"मानव अधिकारों के संरक्षण में संस्कारों की भूमिका"विषय पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में हुई संगोष्ठी आयोजित
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"मानव अधिकारों के संरक्षण में संस्कारों की भूमिका"विषय पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में हुई संगोष्ठी आयोजित
ऋषिकेश दिनांक 3 दिसंबर 2021
उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार एवं मानव अधिकार संरक्षण समिति, मुख्यालय, हरिद्वार के संयुक्त तत्वाधान मे “मानव अधिकारों के संरक्षण में संस्कारों की भूमिका” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी| सर्वप्रथम वेद विभाग के डॉ अरुण कुमार मिश्रा ने मंत्रोचारण से वेबिनार का शुभारंभ किया | न्यायमूर्ति, यू0सी0 ध्यानी(सेवानिवृत्ति), अध्यक्ष उत्तराखण्ड लोक सेवा अभिकरण ने मुख्य अतिथि बतौर कहा कि ‘माता-पिता के संस्कार बच्चे को भविष्य का मार्ग दिखाते हैं’ माता-पिता स्वयं मर्यादित और संस्कार वाला जीवन जिये। माता-पिता युवाओं को संस्कारों की शिक्षा देने वाले प्रथम गुरु होते है। संस्कार के बिना मर्यादा वाला जीवन नहीं बन सकता। 10 दिसंबर’ को पूरी दुनिया में मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा ने संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा को अंगीकृत किया गया। पिछले कुछ वर्षों में आयोग ने विशेष रूप से मानव अधिकार शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु कई कदम उठाए हैं। आयोग ने हमारे देश में मिट्टी में इसकी जड़ें गहराई तक ले जाने के लिए सर्वप्रथम हमारे समाज के तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया।
उत्तराखण्ड ���ंस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कहा कि मानव अधिकार की रक्षा हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। हमारी परम्पिराओं में हमेशा व्यक्ति के जीवन निमित समता, समानता उसकी गरिमा के प्रति सम्मान, इसको स्वी्कृति मिली हुई है। उन्होने कहा – ‘सर्वे भवन्तु सुखेन’ की भावना हमारे संस्कािरों में रही है। वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवनस्तर को प्राप्त करने का अधिकार है, जो उसे और उसके परिवार के स्वास्थ्य, कल्याण और विकास के लिए आवश्यक है। मानव अधिकारों में आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के समक्ष समानता का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार आदि नागरिक और राजनीतिक अधिकार भी सम्मिलित हैं।
मानव अधिकार संरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष इं0 मधुसूदन आर्य ने कहा कि मानवाधिकार का सम्बन्ध समस्त मानव जाति से है। जितना प्राचीन मानव है, उतने ही पुरातन उसके अधिकार भी हैं। इन अधिकारों की चर्चा भी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में प्रारम्भ से ही होती आई है, भले ही वर्तमान रूप में मानवाधिकारों को स्वीकृति उतनी प्राचीन न हो किन्तु साहित्य तथा समाज में मनुष्यों के सदा से ही कुछ सर्वमान्य तथा कुछ सीमित स्थितियों में मान्य अधिकार रहे हैं।
उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी धन्यवाद ज्ञापित करते हुये कहा कि कि मानव अधिकार और शिक्षा एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं। मानव अधिकारों को समाज में स्थापित करने के लिए यह जरूरी है कि मानवीय गरिमा और प्रतिष्ठा के बारे में जन-जागरूकता लाई जाए। जागरूकता और चेतना के लिए शिक्षा ही सर्वाधिक उपयुक्त साधन है इस दृष्टि से शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत ही मानावाधिकारों की शिक्षा भी शामिल है।
मानव अधिकार संरक्षण समिति की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष डा0 सपना बंसल, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली ने कहा कि मनुष्य के रूप में जन्म लेते ही हम सभी सार्वभौमिक मानव अधिकारों के स्वतः अधिकारी हो जाते हैं। यह एक ऐसा अधिकार हे जो जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त सम्मानजनक तरीके से सभी को मिलना चाहिये। मानवाधिकार मनुष्य के वे मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। सभी व्यक्तियों को गरिमा और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है।
संगोष्ठी का संचालन डा0 लक्ष्मी नारायण जोशी, छात्र कल्याण अधिष्ठाता उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार ने किया| उन्होने कहा भारतीय परिप्रेक्ष्य में प्राचीन संस्कृत साहित्य में ”सर्वेभवन्तुसुखिनः” का उल्लेख मानव अधिकारों की पुष्टि करता हैं| उन्होने कहा कि सामान्य रूप से मानवाधिकारों को देखा जाए तो मानव जीवन में भोजन पाने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, बाल शोषण, उत्पीड़न पर अंकुश, महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा से सुरक्षा, उसके शारीरिक शोषण पर अंकुश, प्रवास का अधिकार, धार्मिक हिंसा से रक्षा आदि को लेकर बहुत सारे कानून बनाए गए हैं जिन्हें मानवाधिकार की श्रेणी में रखा गया है। ये अधिकार सभी अन्योन्याश्रित और अविभाज्य हैं। मानव अधिकार का ढांचा मानव अधिकारों की शक्ति का सही उपयोग करने के लिए उनकी पर्याप्त जानकारी एवं आम लोगों तक उनकी पहुंच अतिआवश्यक है।
इस वेबिनार में मानव अधिकार संरक्षण समिति के लायन्स एस आर गुप्ता, राजीव राय, अनिल कंसल, कमला जोशी, नीलम रावत, शोभा शर्मा, हेमंत सिंह नेगी, रेखा नेगी, नेहा, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार से ज्योति कल्पना शर्मा, निवेदिता सिंह, पीयूष गोयल, समीक्षा अग्रवाल, सतीश शेखर, शैली शर्मा, स्वीटि चौहान, बन्दना मिश्रा, विनोद बहुगुणा, रचना शास्त्री, यज्ञ शर्मा, सुभद्रा देवी, अरुण कुमार मिश्रा, अनु चौधरी, अनुपम कोठारी, राकेश कुमार गर्ग, पिंकी रावत, तरुण कुमार पांडे, प्रेमा श्रीवास्तव, डॉ अभिजीत, मोनु मीना इत्यादि उपस्थित रहे |
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हरियाणा जाट आरक्षण -गयी भैंस पानी में -जग मोहन ठाकन
हरियाणा जाट आरक्षण : गई भैंस पानी में
चंडीगढ़ से जग मोहन ठाकन
हरियाणा में जाट आरक्षण का मामला फिर खटाई में पड़ता लग रहा है . पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशानुसार हरियाणा सरकार ने अपने कर्मचारियों का जातिगत विवरण तैयार कर राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को आंकड़े मुहैया करवा दिए हैं . अब आयोग ने आम जन से इन आंकड़ों पर आपत्तियां मांगीं हैं . सितम्बर माह में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा में जाट समेत छह जातियों जट सिख , मूला जाट , रोड , बिशनोई तथा त्यागी को पिछड़े वर्ग में आरक्षण देने पर ३१ मार्च ,२०१८ तक रोक लगा दी थी . हाई कोर्ट ने मामला स्टेट बैकवर्ड क्लास को रेफ़र कर दिया था और बैकवर्ड क्लास कमीशन को कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इन जातियों के सामाजिक आर्थिक आंकडे इक्कठे कर ३१ मार्च , २०१८ तक कमीशन अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा करे . याचिकाकर्ता ने जाट आरक्षण का विरोध करते हुए मुद्दा उठाया था कि जाटों का सरकारी नौकरियों में पहले से ही ज्यादा प्रतिनिधित्व है . याचिका कर्ता ने जाट आरक्षण एक्ट की संवैधानिक वैधता पर भी सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट के सम्मुख प्रदेश के शिक्षा विभाग के आंकड़े पेश करते हुए कहा था कि विभिन्न पदों पर ३० से ५६ % जाट पहले से ही काबिज हैं , तो फिर आरक्षण कोटा क्यों दिया जाए ? अब सरकार ने जो आंकड़े कमीशन को मुहैया करवाए हैं , वो भी याचिका करता के ही पक्ष को मजबूत कर रहे हैं . सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल सरकारी अमले २.४२ लाख में जाटों का वर्तमान प्रदेश की सरकारी नौकरियों में २८.२८ % प्रतिनिधित्व पहले से ही है . प्रथम श्रेणी पद (२४.४८ %) , द्वितीय श्रेणी ( ३०.२२ % ) , तृतीय श्रेणी (३१.०८ %) तथा चतुर्थ श्रेणी ( १४.१२ %) . एक अनुमान के अनुसार हरियाणा प्रदेश में जाटों की संख्या २५ से २८ % तक बताई जाती है . परन्तु पुष्टि हेतु पिछड़ा वर्ग आयोग ने अब सरकार से प्रदेश में विभिन्न ��ातियों की जनसँख्या के सही आंकड़े मांगे हैं . उल्लेखनीय है कि देशभर में २०११ में जातिगत गणना करवाई गयी थी ,परन्तु उसके आंकडे अभी तक सार्वजनिक नहीं किये गए हैं . अगर जातीय गणना के आंकड़ों को आधार बनाया जाता है तो जाटों का आरक्षण खटाई में पड़ सकता है . दूसरी तरफ सरकार द्वारा आयोग को दिए आंकड़ों की वैधता पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं . एक आरोप है कि सरकार ने इस गणना में कॉन्ट्रैक्ट पर लगे कर्मचारियों को इसमे नहीं जोड़ा है , दूसरी तरफ कुछ स्थाई कर्मचारियों / अधिकारियों को भी सही ढंग से श्रेणीबद्ध नहीं किया गया है . उत्तर प्रदेश से हरियाणा की जाट आरक्षण की राजनीति करने वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यश पाल मलिक ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार ने किस आधार पर ये आंकड़े पेश किये हैं इसकी स्टडी कर रहे हैं . हरियाणा से ही भाजपा के एक जाट नेता एवं केंद्र सरकार में मंत्री बिरेंदर सिंह ने अपनी ही पार्टी की हरियाणा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि प्रदेश में २३ प्रतिशत ऐसे जाट हैं ,जिनकी आय अनुसूचित जाति के परिवारों से भी कम है , उन्हें आरक्षण की जरुरत है .
अगर आंकड़ों के आधार पर ही जाट आरक्षण तय होना है ,तो इसकी संभावना कम ही है कि जाट आरक्षण ले पाएंगे . क्योंकि हरियाणा में जाट पहले से ही अपनी जातीय गणना के बराबर सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व ले चुके हैं . संविधान तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक ५० प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता , जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि अनुच्छेद १५(४) एवं १६(४) के तहत किसी समाज या वर्ग का शैक्षणिक एवं सरकारी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है . परन्तु क्या आंकड़ों के हिसाब से हरियाणा सरकार द्वारा इकोनोमिकली बैकवर्ड पर्सन यानि इबीपी के नाम पर दस प्रतिशत का आरक्षण सही है ? हरियाणा में 23 जनवरी , 2013 को एक ही दिन हरियाणा सरकार ने दो नोटिफ़िकेशन पत्र 59 एस डब्लू (1 ) – 2013 तथा 60 एस डब्लू ( 1 ) -2013 जारी किए थे । क्रमांक 59 के तहत राज्य में पाँच जातियों जाट , बिशनोई , जट्ट सिक्ख , रोड व त्यागी को दस प्रतिशत का आरक्षण विशेष पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत दिया था तथा क्रमांक 60 के तहत अन्य सर्वोच्च अगड़ी सवर्ण जातियों यथा ब्राह्मण , बनिया व राजपूत आदि को इकोनोमिकली बैक्वार्ड पर्सन ( ई बी पी ) श्रेणी के अंतर्गत 10 % का आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान किया गया था । जबकि हरियाणा सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इन अग्रणी जातियों को पहले से ही इनकी जन संख्या से कहीं अधिक प्रतिनिधित्व सरकारी नौकरियों में मिला हुआ हुआ है . उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक ब्राह्मण जाति हरियाणा में ८ प्रतिशत है ,परन्तु इसका प्रतिनिधित्व प्रथम श्रेणी सरकारी सेवाओं में १०.४७ % तथा द्वितीय श्रेणी में १३.४६% है . पंजाबी (अरोडा / खत्री ) का ११.८८% प्रथम श्रेणी पदों पर तथा १०.१६% द्वितीय श्रेणी पदों पर पहले से ही कब्ज़ा है , जबकि इनकी जन संख्या केवल ८% ही है . बनिया जाति की जन संख्या केवल ५% है परन्तु हरियाणा के प्रथम श्रेणी के १३.०१% पदों पर इनका प्रतिनिधित्व है ,जो सभी जातियों से अधिक है ,जबकि जाटों का प्रथम श्रेणी में भागीदारी २४.४८% ही है . हालाँकि जाटों का आरक्षण का मामला तीस लोगों की जान जाने तथा करोड़ों की संपत्ति सवाह होने के बावजूद सरकारों की लाली पॉप वाली टरकाऊ नीति के चलते कोर्ट व कमीशन के बीच झोले ले रहा है . जबकि हरियाणा में ई बी पी आरक्षण के नाम पर सामाजिक रूप से अग्रणी जातियों के व्यक्तियों को संविधान तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अंगूठा दिखाते हुए आज भी धड्ले से चालू है . हरियाणा में आर्थिक आधार पर आरक्षण की यह अनूठी पहल है , जहां सुप्रीम कोर्ट की 50% की सीमा रेखा का भी उल्लंघन होता है तथा इन्दिरा साहनी मामले में 1992 में सर्वोच्च न्यायालय के अगड़ी जातियों के आर्थिक रूप से गरीबों के लिए अलग से आरक्षण को अमान्य करार दिया जाने के बावजूद यह आरक्षण दिया जा रहा है । प्रश्न उठता है कि आंकड़ों के हिसाब से भी इन अगड़ी जातियों का पहले से ही हरियाणा में जन संख्या से फालतू प्रतिनिधित्व होने के बावजूद कैसे विशेष सवर्ण जातियों ब्राह्मण, बनिया ,राजपूत आदि अन्य जातियों को आर्थिक आधार पर ई पी बी (इकोनोमिकली बैक्वार्ड पर्सन) श्रेणी के तहत 10 % का विशेष आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की दोनों आपतियों ( 50 % से अधिक आरक्षण की सीमा रेखा के बाहर तथा अगड़ी सवर्ण जातियों के आर्थिक आधार पर आरक्षण अमान्य ) को किनारा कर हरियाणा में यह आरक्षण अभी भी दिया जा रहा है ?
जाट आरक्षण का मामला सभी राजनैतिक दलों के लिए एस वाई एल की तरह वोट बटोरने का एक विकल्प बना हुआ है . भारतीय जनता पार्टी हरियाणा राज्य में जाटों के आरक्षण में ‘चित भी मेरी पट भी मेरी’ की पालिसी के तहत दोनों हाथों में लड्डू रखने की चाल चल रही है . अभी नवम्बर माह में एक ही दिन दो समानांतर रैलियों का आयोजन किया गया , एक जाट आरक्षण के पक्ष में तथा दूसरी विरोध में .परन्तु विशेष बात यह रही कि दोनों ही रैली भाजपा द्वारा प्रायोजित एवं समर्थित थी. जहाँ रोहतक के गाँव जस्सिया में यशपाल मालिक द्वारा जाट आरक्षण के पक्ष में आयोजित रैली में अपने आप को जाट हितेषी स्तम्भ मानने वाले भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री बिरेंदर सिंह ने दहाड़ लगाईं कि हम आरक्षण लेकर रहेंगे . दूसरी तरफ उसी दिन उसी समय हरियाणा की मध्य स्थली जींद में भाजपा के सांसद राज कुमार सैनी चिल्ला रहे थे कि किसी भी कीमत पर आरक्षण नहीं लेने दिया जायेगा . इस रैली में केंद्र की भाजपा सरकार में शामिल मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंदर कुशवाहा आरक्षण विरोधी रैली में सैनी के समर्थन में भाषण दे रहे थे .
राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि हरियाणा में जाट –गैर जाट का विभाजन भाजपा को खूब रास आ रहा है और भाजपा अगले २०१९ के लोकसभा चुनाव तक , जिसके साथ ही पार्टी हरियाणा विधान सभा चुनाव भी करवाने की नीति पर चल रही है , इस विभाजन को और मजबूत करना चाहती है ताकि उसे प्रदेश में गैर-जाटों की नाव के माध्यम से एक बार फिर बैतरनी पार करने का सफल अवसर मिल सके . वह अगले लोकसभा चुनाव तक अपना सांप सीढी का ऐसा खेल जारी रखना चाह रही है कि जाटों को लगे कि बस अब आरक्षण मिलेगा और गैर –जाटों को दृढ विश्वास हो जाये कि जाटों को आरक्षण बिलकुल नहीं दिया जायेगा .
हाल के गुजरात विधान सभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा पटेल आरक्षण की घोषणा पर भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा की गयी प्रतिक्रिया स्पष्ट संकेत दे रही है कि भाजपा ५०% की आरक्षण कैप का उल्लंघन करने के मूड में नहीं है .अरुण जेटली का यह कहना कि कांग्रेस द्वारा ५०% से अधिक के आरक्षण की घोषणा अपने आप को धोखे में रखने वाली है तथा संवैधानिक रूप से असंभव है एवं कभी भी कानूनी रूप से अनुमत्त नहीं है , सीधे सीधे ५०% से अधिक आरक्षण पर भाजपा का रूख बतला रही है . कांग्रेस द्वारा पटेलों को आरक्षण देने की घोषणा पर पहले से ही आरक्षण ले रहे अनुसूचित जाति , जनजाति ( आदिवासी ) एवं ओ बी सी श्रेणी के मत दाताओं को पटेलों के खिलाफ लामबद्ध कर भाजपा से जोड़ने के उद्देश्य के तहत भाजपा ने जातीय विभाजन की खूब लकीर खीची . इन जातियों को यह समझाने के पूरे प्रयास किये गए कि यदि पटेलों को आरक्षण मिलता है तो पूर्व में आरक्षण ले रही जातियों के हिस्से को काटकर ही आरक्षण दिया जायेगा . लुनावाडा डेटलाइन से इकनोमिक टाइम्स में छपी पी टी आई की एक खबर(दिसंबर ०९ ,२०१७ ) के मुताबिक प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी ने एक जन सभा में कहा , “ मैं अपने मुस्लिम मित्रों से पूछना चाहता हूँ , क्या कांग्रेस ने उन्हें देश में कहीं भी आरक्षण दिया है ? क्या यह उनका झूठा वायदा साबित नहीं हुआ ? अब वे गुजरात की एक अन्य कम्युनिटी को आरक्षण का वायदा कर रहे हैं . वे उन्हें कहाँ से आरक्षण देंगे ? क्या वे ओ बी सी , आदिवासी तथा अनुसूचित जाति के कोटे से इसे छिनेंगे ?” मोदी के इस तर्क ने न केवल पटेलों के बिछोह से हुए वोट नुकसान की भरपाई की ,अपितु पूर्व में आरक्षित श्रेणी के लोगों को भाजपा से जोड़ने का काम भी सफलता पूर्व किया . हरियाणा में भी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ बी सी ) के तहत पूर्व में आरक्षण ले रही जातियों को भी जाटों के आरक्षण देने के मुद्दे पर गैर –जाट वर्ग के झंडे के नीचे भाजपा के ही एक सांसद राज कुमार सैनी द्वारा लामबद्ध किया जा रहा है और काफी हद तक सैनी को इसमें सफलता भी मिली है . क्यों भाजपा के ही सांसद द्वारा तीन साल से अधिक समय से किये जा रहे इस जातीय विभाजन पर भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व मौन साधे हुए है ? क्या यह सब उपरी निर्देश के तहत ही हो रहा है ? कहीं गुजरात नीति की तरह ही जाटों की प्रभावी राजनैतिक शक्ति के संतुलन के लिए हरियाणा में गैर-जाटों को भाजपा से जोड़ने के लिए तो भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व का कोई एजेंडा तो नहीं है ? मामला कुछ भी हो जाट आरक्षण की भैंस एक बार तो पानी में गोता लगाती प्रतीत हो ही रही है .
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ग्रामीण/ शहरी राजीव गांधी ओलंपिक खेलों के आयोजन के नोडल अधिकारी पद के कार्य से पीईईओ को मुक्त करने बाबत
राजस्थान में पंचायती राज्य के अधीन आगामी 23 जून 23 से ग्रामीण/शहरी ओलंपिक खेलों का आयोजन प्रस्तावित है , जिसमें पी ई ई ओ को पंचायत स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो कि ना केवल नियम विरुद्ध है बल्कि सरासर गलत है ,पूर्व में पंचायती राज के अधीन सरपंच, ग्राम सेवक एवं पटवारी को यह कार्य आवंटित है क्योंकि यह पंचायती राज से संबंधित कार्य है परंतु सरपंच, ग्राम सेवक एवं पटवारी की हड़ताल के चलते…
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माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" मंत्र की प्रेरणा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी की 76वीं जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा "दास्तान गोई, साज-ए-गजल तथा सेमिनार" का आयोजन कैफी आज़मी अकादमी, निशातगंज, लखनऊ में किया गया | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय डॉ दिनेश शर्मा, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार की गरिमामई उपस्थिति रही |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा जी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के परिवार के सदस्यों शाहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी, डॉ जानिसार आलम तथा ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने दीप प्रज्वलन करके किया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के परिवार के सदस्यों शहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी, डॉ जानिसार आलम तथा ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने प्रतीक चिन्ह, पुष्प गुच्छ तथा अंग वस्त्र से माननीय मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा जी का स्वागत एवं सम्मान किया | तत्पश्चात मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा ने अपने कर कमलों से कार्यक्रम "दास्तान गोई, साज-ए-गजल तथा सेमिनार" के प्रतिभागियों का सम्मान किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभागार में उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन करते हुए कहा कि, "आज के कार्यक्रम के माध्यम से हमारा उद्देश्य राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को प्रबल करना है और माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास" को जन-जन तक पहुंचा कर, आम जनमानस को देश हित में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है |
पदम श्री अनवर जलालपुरी वास्तव में मोहब्बत के सफ़ीर थे | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ उनका बहुत गहरा नाता था | उसी नाते हमारे बीच अनवर जी के तीनो बेटे शहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी तथा डॉ जानिसार आलम उपस्थित है | अनवर जी ने भगवत गीता को उर्दू में अनुवादित करके पूरे विश्व को भाईचारे और सौहार्द्र का संदेश दिया और इसकी जीती जागती मिसाल अनवर जी द्वारा लिखित पुस्तक “उर्दू शायरी में गीता” का महान संत परम श्रद्धेय मुरारी बापू द्वारा विमोचन है | मुरारी बापू कहते है अनवर जलालपुरी ने सम्पूर्ण गीता को बेहद आकर्षक ढंग से पाठको के लिए प्रस्तुत किया है | मेरा यकीन है कि “उर्दू शायरी में गीता” मदीने को काशी और काशी को मदीने तक ले जाएगी | मै कहता हूँ कि श्लोक को लोक तक जाना चाहिए | अनवर जलालपुरी ने इसी काम की शुरुआत की है |
यह हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का सौभाग्य है कि हमें उर्दू शायरी में गीता के विमोचन कार्यक्रम रूहानी संगम को आयोजित करने का अवसर प्राप्त हुआ | रूहानी संगम कार्यक्रम में, आज के हमारे मुख्य अतिथि परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्मभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज जी उपस्थित थे |
पद्मभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज जी कहते है कि मैंने गीता के हिंदी और अंग्रेजी भाषाओ के कई अनुवाद पढ़े है लेकिन जैसा अनुवाद अनवर जलालपुरी ने किया है वैसा मुझे अन्य कही देखने को नहीं मिला |
परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी का आशीर्वाद हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट को ट्रस्ट की स्थापना से पूर्व से निरंतर प्राप्त है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की उपलब्धियां परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी के मार्गदर्शन का नतीजा है | आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट जो भी जन सेवा कर रहा है उसका श्रेय परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी को जाता है | यह परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी का ही आशीर्वाद था जिसके कारण पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी के साहित्य कार्यो से माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी अवगत हुए |
माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से अनवर जलालपुरी जी द्वारा रचित “उर्दू शायरी में गीता” के ऑडियो संस्करण पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि श्री अनूप जलोटा जी के स्वर में सजने वाला यह संस्करण निश्चय ही कर्णप्रिय और मनोहारी होगा | माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी कहते है श्रीमद् भगवतगीता मनुष्य को सत्य के मार्ग पर चलने की सीख देती है | विपरीत परिस्थितियो में भी मन व मस्तिस्क को नियंत्रित करके सफलता पाने का अचूक मन्त्र देती है श्रीमद् भगवतगीता |
स्वयं पदम श्री अनवर जलालपुरी जी कहते है कि है योग वाले कृष्णा जहां, जहां पर है अर्जुन के तीरों कमा, वही फतहमंदी, मसर्रत वही, सभी के लिए शानो शौकत वही |
आपकी जानकारी में लाना है कि “उर्दू शायरी में गीता” का ऑडियो हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के Youtube Channel पर उपलब्ध है |
पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के सुपुत्र डॉ जानिसार आलम ने कहा कि, "आज हमारे वालिद मरहूम पद्मश्री अनवर जलालपुरी के 76वें जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है | मैं ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल का बहुत शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम को आयोजित करने में हमारा मार्गदर्शन किया तथा मैं आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा जी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार का तहे दिल से स्वागत करता हूं और आप सभी विद्वानों एवं श्रोताओं का भी स्वागत करता हूं |"
मुख्य अतिथि माननीय दिनेश शर्मा पूर्व उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि, "अनवर जलालपुरी से मेरा हृदय का संबंध था और मैं हर्ष वर्धन अग्रवाल को एवं उनके ट्रस्ट को साधुवाद देता हूं कि उन्होंने उनके तमाम कार्यक्रम कराए और उन तमाम कार्यक्रम में मुझे जाने का अवसर मिला l मुझे याद है अनवर साहब ने जब गीता को उर्दू शायरी में लिखने की बात की तो सबसे पहले मेरे साथ भेंट हुई | उस समय मेरे मन में यह आशंका थी कि इतनी अच्छी उर्दू बोलने वाला व्यक्ति, अरबी का ज्ञाता व्यक्ति जिसकी जुबान पर उर्दू शायरी बसी हुई हो, वह संस्कृत के श्लोकों का अर्थ कैसे करेगा और उसके भावार्थ को अपनी जुबान में जनमानस को कैसे समझाएगा l अनवर साहब ने मेरी यह आशंका तुरंत दूर कर दी तो मुझे लगा कि यह व्यक्ति आम जनमानस की भावनाओं को समझने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति है | श्रीमद्भगवद्गीता को अनवर साहब इंसानियत का सबसे बड़ा ग्रंथ मानते थे जो भटके हुए व्यक्ति को सही राह दिखा सकती है | आज इस कार्यक्रम में मैं यही कहना चाहूंगा कि सभी लोग अपनी परंपरा का पूरा सम्मान करते हुए आगे बढ़े | अगर हम हिंदू हैं तो हम खूब पूजा पाठ, जो कुछ भी कर सकते हैं, उसमें अडिग रहे | अगर हम मुस्लिम है तो पांचों वक्त की जो अजान करते हैं वह करें, उस पर कोई रोक टोक नहीं होनी चाहिए | लेकिन यह जो प्रोग्रेसिव नेचर है जो अनवर जलालपुरी साहब का था कि सबके साथ साथ युवाओं का सुनहरा भविष्य कहां से आए इस पर हमें चिंतन करना है | अभी जो हर्ष वर्धन अग्रवाल जी कह रहे थे "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" | इसका मतलब है जितने लोग हैं सब मिलकर इस मुल्क की तरक्की के लिए काम करें और उसके लिए यह जरूरी है कि हम, जो भी कुरीतियां हैं चाहे जिस धर्म की हो, उस पर विचार करते हुए क्या संशोधन कर सकते हैं और साथ में दूसरे धर्म ग्रंथ चाहे वह बाइबल हो चाहे गुरु ग्रंथ साहब चाहे कुरान हो चाहे गीता या रामायण हो, हम सब के बारे में अच्छाइयों को पढ़ें तो निश्चय ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा | आज अनवर जलालपुरी जैसे लोगो की बहुत जरूरत है | अनवर साहब जैसे व्यक्तित्व को कभी भुलाया नहीं जा सकता वह हमारी अंत: चेतना में हमेशा जीवित रहेंगे |
दास्तान गो शुजाउर रहमान तथा शाजिया खान ने दास्तान गोई (दास्तान-ए-गीता) की प्रस्तुतीकरण किया जिसके अंतर्गत उन्होंने पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी की अनुवादित पुस्तक उर्दू शायरी में गीता के श्लोकों को कहानी और शायरी के अनोखे मिश्रण से प्रस्तुत किया |
साज-ए-गजल में पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी की मशहूर गजलों को गजल गायक प्रदीप अली तथा आकांक्षा सिंह ने अपनी कर्णप्रिय आवाज में प्रस्तुत किया | प्रदीप अली ने "मैंकदे से देर से काबा से रुखसत हो गए", "हवा हो तेज तो शाखों से पत्ते टूट जाते हैं" तथा आकांक्षा सिंह ने "हम्द ना यह दिन ना यह रात बाकी रहेगी " गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया तथा अनवर साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की |
अनवर जलालपुरी: मोहब्बत के सफीर विषयक सेमिनार में सम्मानित वक्ता गणों ने पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला |
जाने माने उर्दू शायर जनाब वासिफ फारुकी ने अनवर जलालपुरी की शायरी और अदबी ख़िदमात व उनकी शख्सियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि, "अनवर जलालपुरी साहब उच्च कोटि के साहित्यकार, मानवता के पैरोकार, शायर और नाजिम-ए-मुशायरा थे।"
जनाब मनीष शुक्ला ने कहा कि, "पद्मश्री अनवर जलालपुरी साहब अपने आप में मुशायरों की निज़ामत का एक अलग और अज़ीम स्कूल थे |"
मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ इशरत नाहीद ने कहा कि, "अनवर जलालपुरी ने राष्ट्रीय एकता को मजबूती देने अपना एक अहम किरदार निभाया है | वह आधुनिक दौर के शुद्ध हिन्दुस्तानी संत थे | वह एक ऐसे संत थे जिनकी वाणी ने लोगों के दिलों को आकर्षित ही नहीं किया बल्कि राष्ट्रीयता और मानव प्रेम की भावना को लोगों में जागृत किया | उन्होंने राष्ट्रीय एकता के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का भी भरपूर प्रयास करते हुए पवित्र क़ुरआन शरीफ़ और श्रीमद् भगवत गीता का उर्दू में काव्यात्मक अनुवाद करके एक दूसरे को समझाने का प्रयास किया |"
अमेरिकन सेंटर लखनऊ के निदेशक डॉक्टर एहतेशाम अहमद खान ने बताया कि, "लेखनी भाषा का एक अहम और बहुत ही खास हिस्सा है | एक सफल लेखक और एक कामयाब शायर अपनी लेखनी या तहरीर में भाषा से चित्रकारी का काम लेता है | लेकिन अपनी आवाज़ से हयात व् कायनात की तस्वीर बनाने का फ़न अगर किसी को क़ुदरत ने निहायत ख़ूबसूरती के साथ बख्शा था तो वह यक़ीनन पदमश्री अनवर जलालपुरी थे |
मुशायरे की दुनिया में अपनी पुरकैफ़ आवाज़ से श्रोताओं की समाअत में सुरूर घोलने का फ़न पद्मश्री अनवर जलालपुरी से बेहतर नहीं मिलता है | वह अंतर्राष्टीय ख्याति प्राप्त उर्दू कवि एवं शायर, मंच संचालक, बेहतरीन वक्ता, टीवी सीरियल संवाद एवं गीत लेखक, शिक्षाविद, बुद्धिजीवी और सबसे बढ़कर एक बेहतरीन इंसान थे | आज जब हमारे समाज में हर इंसान अपनी ज़ात और धर्म के हिसार में क़ैद होता जा रहा है, आपसी सौहार्द और म���हब्बत समाप्त होती जा रही है ऐसे में हमें पदमश्री अनवर जलालपुरी की शिक्षा को याद करना बेहद अहम है:
मेरी बस्ती के लोगो! अब न रोको रास्ता मेरा
मैं सब कुछ छोड़कर जाता हूँ देखो हौसला मेरा |"
जनाब आतिफ हनीफ ने कहा कि, "गंगा जमुनी तहज़ीब के अलंबरदार अनवर जलालपुरी | अनवर जलालपुरी ने अपनी शायरी के जरिए हिंदुस्तानी तहजीब, संस्कृति एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की भरपूर कोशिश की है | वह भारत के ऐसे अनूठे साहित्यकार हैं जिन्होंने श्रीमद भगवत गीता के संस्कृत श्लोकों को उर्दू शायरी का लिबास पहनाया, और इसके जरिए धार्मिक और भाषाई एकता का प्रतीक बन गए | आज के समय में पद्मश्री अनवर जलालपुरी की रचनाओं की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है |"
जनाब अतहर हुसैन सिद्दीकी ने अनवर जलालपुरी जी की जो शख्सियत है वह वाकई काबिले तारीफ है | उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक का उर्दू में अनुवाद किया तथा गीता के भावार्थ को मुल्क के कोने-कोने तक पहुंचाया | यह अनवर साहब ही थे जिन्हें हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू हर विषय में महारत हासिल थी | जैसा कि आज की सेमिनार का विषय है अनवर जलालपुरी : मोहब्बत के सफीर, मैं मानता हूं कि अनवर साहब वास्तव में मोहब्बत के सफीर थे और उन्होंने उर्दू शायरी में गीता के माध्यम से संपूर्ण देश में अमन व भाईचारे की भावना को फैलाया | आज उनकी 76वी जन्म जयंती के अवसर पर मैं उन्हें सलाम करता हूं |
डॉ मसीहुद्दीन खान ने अनवर जलालपुरी साहब की शख्सियत और उनकी शायरी की अहमियत पर रोशनी डाली |
शहरयार जलालपुरी ने सभी का आभार व्यक्त किया |
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर मसीहुद्दीन खान ने किया |
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आम जन विकास सेवा समिति ने किया जरूरत मंदो को कम्बलो का वितरण।
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मुख्यमंत्री निवास पर हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में व्यापक जनहित को देखते हुए राजस्थान भू राजस्व अधिनियम की धारा 90-ए में संशोधन, रीट परीक्षा की वैधता आजीवन रखने, प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की भर्ती प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से किए जाने, 8 शहरों की पेयजल योजनाओं को नगरीय निकाय से पुनः जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को हस्तातंरित करने सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय किए गए।
मंत्रिमंडल ने व्यापक जनहित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राजस्थान भू राजस्व अधिनियम की धारा 90-ए की उपधारा 8 में संशोधन को स्वीकृति दी है। इससे 17 जून 1999 के बाद शहरी क्षेत्रों में कृषि भूमि पर आवास बनाकर रह रहे एवं आजीविका अर्जित कर रहे आमजन को बड़ी राहत मिल सकेगी।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान भू राजस्व अधिनियम की धारा 90-ए की उप धारा 8 में 17 जून, 1999 से पूर्व शहरी क्षेत्रों में कृषि भूमि का अकृषि उपयोग के लिए संप���िवर्तन किए जाने का प्रावधान है। लेकिन विगत दो दशकों में सामाजिक एवं आर्थिक वृद्धि सहित अन्य कारणों से नगरीय क्षेत्रों में तेजी से शहरीकरण हुआ है एवं कृषि भूमि पर विभिन्न अकृषि गतिविधियां विकसित हुई हैं, लेकिन इस तिथि के बाद की कृषि भूमि का संपरिवर्तन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इस प्रकार की भूमि पर आवास बनाकर एवं आजीविका अर्जित कर रहे आम जन को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से संपरिवर्तन को सुगम बनाना आवश्यक है। इसके लिए 17 जून 1999 के स्थान पर इस तिथि को 31 दिसम्बर 2021 किए जाने को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। गृह निर्माण सहकारी समितियों के द्वारा 16 जून 1999 के पश्चात जारी पट्टे ��ा भूमि आवंटन से संबंधित प्रकरणों पर यह उप धारा लागू नहीं होगी।
यह भी निर्णय लिया गया कि भविष्य में शहरों के सुनियोजित विकास के लिए कृषि भूमि के अकृषि में अनाधिकृत उपयोग को रोकने के लिए एक पृथक से समिति गठित की जाएगी। यह समिति शहरीकरण के साथ ही सुनियोजित विकास में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के निराकरण के लिए भी सुझाव देगी।
कैबिनेट ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक अध्यापक पद की सीधी भर्ती की प्रक्रिया और पद्धति निर्धारण के लिए राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 को संशोधित करने का निर्णय किया है। मंत्रिमंडल के इस निर्णय से प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक के पद पर चयन प्राधिकृत अभिकरण द्वारा प्रतियोगी परीक्षा आयोजित कर प्राप्तांकों की मेरिट के आधार पर किया जाएगा। अब तक यह चयन रीट के प्राप्तांकों के आधार पर किया जाता था। इस निर्णय से राज्य सरकार द्वारा निर्धारित एजेंसी से प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर के अधिक योग्य अध्यापकों का चयन पूर्ण पारदर्शिता से हो सकेगा।
कैबिनेट ने इसके साथ ही यह भी निर्णय किया कि प्रदेश में राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा ‘रीट’ की वैधता अब आजीवन रहेगी।
कैबिनेट ने ईसरदा बांध पेयजल परियोजना के डूब क्षेत्र के गांवों में राजकीय भूमि पर बनी परिसंपत्तियों तथा भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम-2013 की अनुसूची-2 के तहत आर एण्ड आर पैकेज के लिए 6 करोड़ 91 लाख 32 हजार 387 रूपये की एक्सग्रेशिया राशि के भुगतान को स्वीकृति दी है। इस निर्णय से परियोजना के डूब क्षेत्र में राजकीय भूमि में स्थित गांवों अरनियाकेदार, सवाई, बनेठा, चूरिया, करीरिया, चौकड़ी, सोलपुर एवं रायपुर में स्थित 228 मकानों तथा ईसरदा, सोलपुर एवं चौकड़ी के आरएण्डआर पैकेज (अनुसूची-2) से वंचित 79 विस्थापित व्यक्तियों को क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करते हुए उनका पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सकेगा।
बैठक में राज्य के 8 शहरों श्रीगंगानगर, जैसलमेर, बूंदी, नागौर, करौली, नाथद्वारा, चौमूं एवं नोखा की पेयजल योजनाओं को नगरीय निकाय से पुनः जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को हस्तातंरित करने की मंजूरी दी गई। इससे इन शहरों की पेयजल व्यवस्था भविष्य में मूल विभाग द्वारा सुचारू रूप से संचालित एवं संधारित की जा सकेगी और पेयजल वितरण व्यवस्था में गुणात्मक सुधार हो सकेंगे। यह भी निर्णय किया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जनता जल योजना के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों का समग्र रूप से परीक्षण करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी।
कैबिनेट ने हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय, जयपुर (संशोधन) विधेयक-2022 के प्रारूप का अनुमोदन किया है। बैठक में निजी क्षेत्र में सौरभ विश्वविद्यालय, हिण्डौन सिटी (करौली) विधेयक-2021 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इससे इस विश्वविद्यालय की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा।
कैबिनेट ने राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में सेवारत फार्मासिस्टों के चार स्तरीय पदोन्नति (कैडर गठन के लिए) राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा नियम-1963 तथा राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधीनस्थ सेवा नियम-1965 (यथा संशोधित) में संशोधन को मंजूरी दी है। इससे फार्मासिस्ट कार्मिकों को पदोन्नति के अवसर मिल सकेंगे, जिससे उनका मनोबल बढ़ेगा और कार्यक्षमता भी बेहतर होगी। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में फार्मासिस्टों की पदोन्नति के लिए कैडर नहीं है।
मंत्रिमंडल ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधीनस्थ सेवा नियम-1965 में संशोधन कर नर्स ग्रेड द्वितीय का पदनाम नर्सिंग ऑफिसर तथा नर्स ग्रेड प्रथम का पदनाम सीनियर नर्सिंग ऑफिसर करने का निर्णय किया है। इससे नर्सिंग कैडर के कार्मिकों का मनोबल बढे़गा।
मंत्रिमंडल ने राजस्थान नगर पालिका सेवा की प्रशासनिक एवं तकनीकी सेवाओं पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया राजस्थान लोक सेवा आयोग के माध्यम से करने के लिए राजस्थान नगर पालिका अधिनियम-2019 में संशोधन को मंजूरी दी है। इस निर्णय से इन पदों पर होने वाली भर्ती की प्रक्रिया को निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से संपादित किया जा सकेगा।
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हमारा संकल्प-समृद्ध राठ: कुलानन्द घनशाला महासचिव द्वारा अपनी वार्षिक रिपोर्ट आम सभा में प्रस्तुत की
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देहरादून: को राठ जन विकास समिति की आम सभा मनोरंजन सदन तृतीय, यमुना काॅलोनी, देहरादून में श्रीमती दर्शन रावत, अध्यक्ष की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक का संचालन करते हुए श्री कुलानन्द घनशाला महासचिव द्वारा अपनी वार्षिक रिपोर्ट आम सभा में प्रस्तुत की, जिसमें गत वर्ष मंे किये गये कार्यों, जिसमें 18 वें स्थापना दिवस पर सम्मानित किये गये शहीदों के परिवारों एवं राठ क्षेत्र के मेधावी छात्र-छात्राओं…
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नोएडा: हिंडन नदी पुस्ता के आसपास बसी कॉलोनियों में बिजली दिलाए जाने की मांग को लेकर 19 सितंबर 2021 को आम जनता के द्वारा सामूहिक रूप से विधायक कार्यालय पहुंचने के कार्यक्रम की तैयारी में ग्रामीण विकास समिति जन सम्पर्क अभियान चला रही है जिसके तहत ग्रामीण विकास समिति के नेता वशिष्ठ मिश्रा, हरगोविंद सिंह, विनोद कुमार, रामजी यादव, राजेश कुमार दुबे, राजेश कुमार राठौर, शैलेंद्र कुमार सुमन, ओम प्रकाश…
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