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#इनकम टैक्स सेविंग लिमिट
tarunblogblr · 4 years
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Post Office MIS Scheme in Hindi | Best Investment Plan
Post office MIS scheme in Hindi   ( POMIS )
MIS क्या है ?
इसके लिए किन दस्तावेजो की जरूरत होती है ? MIS में कौन कौन अपना खाता खुलवा सकता है ? Mis में कितनी ब्याज मिलेगी ? Mis का meturity period क्या है ? क्या mis रिस्क फ्री और टैक्स फ्री है ? कोन इस सुविधा का लाभ ले सकता है ? इन सब सवालो के जवाब हम देंगे अपने इस ब्लॉग में तो आइए जानते है
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MIS क्या है –
MIS यानि मंथली इनकम स्कीम है । ये पोस्ट ऑफिस की एक बेहतरीन स्कीम है । इस स्कीम में आपको fd और RD दोनों से अछे रिटर्न है । यह स्कीम बाकि सब से अच्छी इसलिए भी है क्योंकि इसमें आपको हर महीने ब्याज मिलेगी ।
रिस्क फ्री – मन्थली इनकम स्कीम भी fd, RD, nsc की तरह रिस्क फ्री स्कीम है जो निवेशक रिस्क ज्यादा नहीं ले सकते है उनके लिए ये एक बहुत ही अच्छी स्कीम है ।
खाता कौन खोल सकता है – 18 साल से ऊपर का हर भारतीय नागरिक इस स्कीम का फायदा ले सकता है । परन्तु यदि आप माइनर का 10 साल से ज्यादा लड़का / लड़की का खाता खोलना चाहते है तो खाता खुल जायेगा परंतु उसे ऑपरेट माता पिता ही कर सकेंगे ।
ट्रांसफर – मंथली इनकम स्कीम पोस्ट ऑफिस की एक बेहतरीन स्कीम है । आप अगर किसी वजह से एक शहर से दूसरे शहर में चले गए तो आप अपना खाता ट्रांसफर भी कर सकते है ।
ब्याज – मंथली इनकम स्कीम में आपको 7.9% ब्याज मिलती है । पोस्ट ऑफिस की ब्याज हर तीन महीने में बदलती रहती है । परंतु इस स्कीम में ब्याज 7-9% तक रहती है ।
टैक्स – इस स्कीम में आपको सेक्शन 80c के तहत आपको टैक्स में कोई भी छूट नही मिलेगी । अगर आप साल का 10000 से ऊपर रिटर्न कमाते हो तो आपको वहाँ टीडीएस कटेगा । परंतु यदि आप रिटर्न फाइल करते है और आप इनकम टैक्स की सूची में नही आते तो आप का टीडीएस नही कटेगा ।
Meturity period – MIS का meturity period 5 साल का होता है ।
आपको पैसे कैसे मिलेंगे – इस स्कीम में आपको हर महीने ब्याज मिलेगी । आपको ये पैसे आपका यदि पोस्ट ऑफिस में सेविंग खाता है तो आपके पैसे वहाँ जमा हो जाएंगे नहीं तो आपको चेक के द्वारा आपके पैसे मिल जायेंगे ।
कितने पैसे जमा करा सकते है – आप इस स्कीम में कम से कम 1500 रुपए तक जमा करा सकते है । यदि इस स्कीम में एक अकाउंट होल्डर है तो वह 4.5 लाख रूपए तक जमा करा सकता है । परंतु यदि 2 या 3 अकाउंट होल्डर है तो इसकी लिमिट 9 लाख तक है । आप ये पैसे यानि 1500 से ज्यादा आप जितने भी जमा कराना चाहते हो तो आप एक ही बार में करा सकते है ।
Pre -mature closure –. इस स्कीम में आप पहले साल यानि एक साल में आप अपने पैसे को नहीं निकाल सकते । यदि आप 1 से 3 साल के बीच में पैसो को निकलते है तो आपको 2% का जुर्माना लगेगा । यदि आप 3 से 5 साल के बीच में पैसे को निकलते है तो आपको 1 % का जुर्माना लगेगा ।
नॉमिनी – मंथली इनकम स्कीम में आप अपनी फैमिली के किसी एक मेंबर को नॉमिनी बना सकते है ।
ट्रांसफर – मंथली इनकम स्कीम पोस्ट ऑफिस की एक बेहतरीन स्कीम है । आप अगर किसी वजह से एक शहर से दूसरे शहर में चले गए तो आप अपना खाता ट्रांसफर भी कर सकते है ।
Calculation – अब हम देखते है calculation कर के की आपको कितने रुपए मिलेंगे – यदि आप 1 लाख रुपए जमा करवाते हो तो आपको हर महीने 690 रुपए मिलेंगे । अगर आप 2 लाख जमा करवाते है तो आपको 1380 रुपए हर महीने ब्याज मिलेगी । यदि आप 9 लाख यानि जो इस स्कीम की लिमिट है उतना जमा करवाओगे तो आपको 6210 रुपए हर महीने मिलेंगे।
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अगर आप MIS या किसी भी और इंवेस्टमेंट के बारे में कुछ पूछना चाहते है या कोई सुझाव देना चाहते है तो आप मुझे कमेंट कर सकते है या आप मुझे ईमेल भी कर सकते है [email protected] . ऐसे ही अन्य जानकारी के लिए TarunBlogs को फॉलो करते रहें|
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rohtakmedia-blog · 6 years
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5 लाख तक की टैक्सेबल इनकम टैक्स फ्री
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5 लाख तक की टैक्सेबल इनकम टैक्स फ्री : इस अंतरिम बजट में छोटे करदाताओं पर टैक्स का बोझ घटाने का प्रस्ताव दिया गया है। साल में पांच लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं देना होगा। यहां तक कि इससे ज्यादा कमाई वाले भी टैक्स देने से बच सकते हैं, बशर्ते आयकर क���नून की विभिन्न धाराओं में टैक्स डिडक्शंस क्लेम करने के बाद उनकी इनकम पांच लाख रुपये से कम रह जाए। अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट भाषण में कहा था, '6.5 लाख रुपये की सकल आमदनी वालों को भी टैक्स नहीं देना होगा, बशर्ते वे एक सीमा तक निवेश तय इंस्ट्रूमेंट्स में कर दें।' उदाहरण के लिए, सात लाख रुपये तक की कमाई वाले ऐसे शख्स को टैक्स नहीं देना होगा, अगर वह सेक्शन 80C में 1.50 लाख रुपये का निवेश करे और सेक्शन 80CCD(1B) के तहत 50 हजार रुपये एनपीएस में लगा दे। इन्हे भी पढ़े :- रिस्क लिए बिना बेहतर रिटर्न के, ये हैं निवेश के अच्छे विकल्प स छूट ने सेक्शन 87A के तहत मौजूदा बेनेफिट को बढ़ा दिया है। अब तक साल में 3.5 लाख रुपये तक कमाने वालों को 2,500 रुपये की टैक्स छूट मिलती थी। इस बार के प्रस्ताव में इसे बढ़ाकर 12,500 रुपये कर दिया गया है और इसे पाने की पात्रता सीमा 5 लाख रुपये तक की कमाई को कर दिया गया है। इस छूट का असर ज्यादा कमाई करने वालों पर नहीं पड़ेगा, लेकिन लोअर इनकम ग्रुप के टैक्सपेयर्स इस प्रस्ताव से टैक्स के रूप में 13 हजार रुपये तक की बचत कर सकते हैं। करीब तीन करोड़ टैक्सपेयर्स के टैक्स नेट से बाहर निकल जाने का अनुमान है। इससे सरकार को करीब 18,500 करोड़ रुपये के राजस्व से हाथ धोना पड़ेगा। टैक्स फाइलिंग पोर्टल टैक्सस्पैनरडॉटकॉम के को-फाउंडर सुधीर कौशिक ने कहा, 'इस छूट से केवल लो-इनकम टैक्सपेयर्स को फायदा होगा। दूसरों के मामले में मामूली बदलाव ही आएगा।' ज्यादा कमाई करने वालों के लिए एकमात्र फायदा यह है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन को 10 हजार रुपये बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रस्ताव है। इससे वेतनभोगी करदाताओं का सालाना टैक्स 3000 रुपये घट जाएगा। एक्सपर्ट्स ने इस कदम का स्वागत इस वजह से किया है कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल रीइंबर्समेंट पर टैक्स इग्जेंप्शन खत्म कर पिछले साल स्टैंडर्ड डिडक्शन का असर खत्म कर दिया गया था। क्लीयरटैक्सडॉटकॉम के फाउंडर और सीईओ अर्चित गुप्ता ने कहा, 'स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने से यह बेनिफिट ज्यादा सार्थक हो जाएगा। इस कदम से 80-90 प्रतिशत वेतनभोगी करदाताओं को फायदा होगा।' टैक्स प्लानिंग पर फोकस अंतरिम बजट के प्रस्तावों से टैक्स प्लानिंग पर जोर बढ़ने की संभावना है। थ्रेशोल्ड लिमिट के करीब वाले करदाताओं को यह पक्का करना होगा कि उनकी इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा न हो जाए। अभी सालाना 3.5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम वाले हर शख्स को सेक्शन 87A के तहत 2,500 रुपये की टैक्स छूट मिलती है। हालांकि यह इनकम 3.5 लाख रुपये से एक रुपया भी ज्यादा होने पर टैक्स छूट खत्म हो जाती है। कई टैक्सपेयर्स को यह भी पता नहीं है कि फिक्स्ड डिपॉजिट्स, बॉन्ड्स और कुछ लघु बचत योजनाओं (स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स) से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है। इसे टैक्सपेयर की आमदनी में जोड़ा जाता है और नॉर्मल रेट से उस पर टैक्स लगाया जाता है। ऐसे करदाता अपने रिटर्न में इस आमदनी का जिक्र करना भूल सकते हैं और इस पर एक सीमा तक मिलने वाली टैक्स छूट का दावा करने से चूक सकते हैं। इन्हे भी पढ़े :- SAMSUNG के फोल्डेबल स्मार्टफोन का इंतजार खत्म, इस तारीख को हो सकता है लॉन्च हालांकि इस ब्याज को जोड़ने पर अगर उनकी टोटल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा हो जाए तो वे टैक्स छूट पाने लायक नहीं रह जाएंगे। क्लीयरटैक्सडॉटकॉम के गुप्ता ने कहा, 'अधिकतर करदाता इस रिबेट का क्लेम अपना रिटर्न फाइल करते वक्त ही कर सकते हैं। उसी वक्त उन्हें पता लगेगा कि उनकी कुल आमदनी और डिडक्शंस का आंकड़ा क्या है।' एक्सपर्ट्स का कहना है कि बजट प्रस्तावों से टैक्स सेविंग के उपायों का इस्तेमाल बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए, 80CCD(2) के तहत एनपीएस बेनिफिट से टैक्सेबल इनकम काफी कम हो सकती है। इसके तहत एंप्लॉयी की बेसिक पे का 10 प्रतिशत तक हिस्सा एंप्लॉयर एनपीएस में रखे तो उस पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। टैक्सस्पैनरडॉटकॉम के कौशिक ने कहा, 'अब एनपीएस का 60 प्रतिशत तक मच्योरिटी कॉर्पस टैक्स फ्री है और आपात स्थिति में उसे निकाला जा सकता है। लिहाजा टैक्स सेविंग के लिए इस पेंशन स्कीम का सहारा लिया जा सकता है।' हालांकि, इस बजट में 60 साल से ऊपर के सीनियर सिटीजंस और 80 साल से ऊपर के बहुत सीनियर सिटीजंस के लिए कुछ खास नहीं है। पिछले साल के बजट में सीनियर सिटीजंस के लिए टीडीएस थ्रेशोल्ड बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया था। साथ ही, 80 साल से ऊपर के बुजुर्गों के लिए 5 लाख रुपये की बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट है। लिहाजा ताजा प्रस्तावों से उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 5 लाख तक की टैक्सेबल इनकम टैक्स फ्री स्त्रोत :- navbharattimes छायाचित्र भिन्न हो सकता है Read the full article
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अब मिडिल क्लॉस को टैक्स और होम लोन का तोहफा देगी मोदी सरकार सवर्णों को आरक्षण देने के बाद मोदी सरकार अब मिडिल क्लॉस को भी साधने में लगी हुई है। इसी कड़ी में कल होने वाली जीएसटी की बैठक में सरकार होम लोन में रियायत देने की तैयारी कर रही है। यही नहीं सूत्रों के मुताबिक, एक फरवरी होने वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए जाने वाले बजट में मोदी सरकार मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स में छूट का ऐलान भी कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि इस जीएसटी (GST) काउंसिल की बैठक में अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन फ्लैट पर टैक्‍स को घटाकर 5 फीसदी किया जा सकता है। अगर अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन फ्लैट पर जीएसटी (GST) में कमी की जाती है तो यह सस्‍ते हो जाएंगे, जिससे आम आदमी का इन्‍हें खरीदना आसान हो जाएगा। अभी अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन फ्लैट और मकानों पर 12 फीसदी की दर जीएसटी (GST) लगता है। अगर यह घट कर 5 फीसदी हो जाता है तो कॉमनमैन को टैक्‍स में 7 फीसदी की राहत मिल सकती है। इसी के साथ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार बजट (Budget 2019) में मिडिल क्लास को Income tax relief के तौर पर एक बड़ा तोहफा दे सकती है। पिछले दिनों एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने मिडिल क्लास को राहत दिए जाने के संकेत भी दिए थे। मीडिल क्लास भी लंबे समय से Income tax स्लैब में राहत की मांग कर रहा है। अब खबर आ रही है कि मोदी सरकार इस बार बजट में Income tax relief देने के लिए सेविंग लिमिट में बढ़ोतरी और अन्य tax benefits देने पर विचार कर रही है। एक अंग्रेजी के बिजनेस चैनल के अनुसार, केंद्र सरकार अपने अंतिम बजट में टैक्स बेनिफिट का ऐलान कर सकती है। इसमें सेविंग लिमिट में बढ़ोतरी, पेंशनर्स के लिए टैक्स बेनिफिट और हाउसिंग लोन के ब्याज पर अधिक छूट जैसे विकल्प शामिल हो सकते हैं। सूत्रों से बात करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि पिछले चार बजट के दौरान हमने (केंद्र सरकार ने) सैलरीड क्लास को राहत दी है, क्योंकि वे देश के सबसे ईमानदार करदाता हैं। हम इस साल भी अंतरिम बजट की सीमाओं के भीतर जितना कर सकते हैं, उतना किया जाएगा। आपको बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को बजट पेश करेंगे। ये अरुण जेटली द्वारा पेश किया जाने वाला छठा बजट होगा। यह अंतरिम बजट होगा, जिसे वोट ऑन एकाउंट (Vote-on-Account) भी कहते हैं। इसमें एक सीमित अवधि के लिए सरकार के जरूरी खर्चों की मंजूरी ली जाती है।
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1 अप्रैल से बदल जाएंगे इन्कम टैक्स, बैंक और प्रॉपर्टी से जु़ड़े ये बड़े नियम ! has been published on PRAGATI TIMES
1 अप्रैल से बदल जाएंगे इन्कम टैक्स, बैंक और प्रॉपर्टी से जु़ड़े ये बड़े नियम !
नई दिल्लीः 1 अप्रैल आने वाला है और नए वित्त वर्ष के साथसाथ आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में भी कई बदलाव आने वाले हैं।
इन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है क्योंकि ये बदलाव सीधे आपके पैसों से जुड़े हुए हैं. बदले नियमों की वजह से आपको कोई परेशानी न हो इसके लिए यहां आपको सारी जानकारी दी जा रही है। ये हैं वो नियम है जो 1 अप्रैल से बदलने जा रहे है। 1. इनकम टैक्स से जुड़े नियम बुधवार को लोकसभा में वित्तीय बिल के पास होते ही बजट 2017 में किए गए टैक्स संबंधित सभी प्रवधान अब कानून बन गए हैं. नए कानूनों के मुताबिक 1 अप्रैल से 2.5 लाख से 10 लाख के बीच इनकम वालों का टैक्स 10 से घटकर 5 फीसदी यानी आधा हो जाएगा और 50 लाख से 1 करोड़ रुपये की आय वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगेगा. वित्त वर्ष 201718 के लिए टैक्स रिटर्न भरने में देरी करने वालों पर 5000 रुपये की पेनाल्टी लगने का नियम शुरू हो जाएगा. वित्त वर्ष 2017-18 के लिए टैक्स रिटर्न भरने में देरी होने की स्थिति में 5,000 रुपये की पेनाल्टी लगेगी यदि रिटर्न 31 दिसंबर 2018 तक दाखिल कर दिया गया है. जैसा कि आप जानते हैं आईटी-रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई होती है. वहीं 31 दिसंबर के बाद आईटी रिटर्न भरने वालों पर 10,000 रुपये की पेनल्टी लगाई जाएगी. हालांकि छोटे टैक्सपेयर्स (5 लाख आय) वालों को कुछ राहत मिलेगी क्योंकि उनके लिए यह पेनाल्टी 1000 रुपये रहेगी. केंद्र सरकार ने वस्तुओं ओर सेवाओं की खरीद के दौरान 2 लाख रुपये से ज्यादा के कैश पेमेंट पर लगने वाले टैक्स को खत्म किया है. 1 अप्रैल से 2 लाख से ऊपर के कैश ट्रांजेक्शन पर रोक लगाने के बाद यह फैसला किया गया है. 5 लाख तक की बिजनेस आमदनी वालों के लिए आईटीआर भरते समय एक ही फॉर्म होगा जो कि पहले के मुकाबले आसान होगा. पहले एक से ज्यादा फॉर्म होते थे. 5 लाख रुप से ज्यादा सालाना आमदनी (नॉन-बिजनेस इनकम) वालों के लिए 1 पेज का टैक्स रिटर्न फॉर्म जारी किया जाएगा. वहीं पहली बार इस कैटेगरी में टैक्स रिटर्न भरने वालों के फॉर्म की स्क्रूटनी नहीं होगी. 1 जुलाई से इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त आधार नंबर का होना जरूरी होगा. इसके बिना आप आईटी रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे. वित्त वर्ष 2017-18 से यानी 1 अप्रैल 2017 से राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में निवेश करने वालों को मिलने वाली टैक्स छूट खत्म होगी. हालांकि 1 अप्रैल 2017 से पहले इस निवेश पर छूट क्लेम करने वालों को अगले 2 साल तक टैक्स बेनेफिट दिया जाएगा. आधार कार्ड को जरूरी सरकारी सुविधाओं के लिए जरूरी करने की दिशा में और आगे बढ़ते हुए सरकार ने पैन पाने के लिए भी अब आधार कार्ड का होना अनिवार्य कर दिया है. 2. प्रॉपर्टी के लेनदेन से जुड़े बदलाव प्रॉपर्टी से पैसा कमाने वालों के लिए भी फाइनेंस बिल में बड़े बदलाव हुए हैं. कैपिटल गेन टैक्स से बचने के लिए प्रॉपर्टी को रखने की टाइम-लिमिट हो जाएगी. इसे 3 साल से घटाकर 2 साल किया जाएगा. इस बदलाव से अब आपकी 2 साल पुरानी संपत्ति को बेचने पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा वहीं बेचने के बाद उसे फिर से निवेश करने की स्थिति में वह छूट का हकदार होगा. यानी प्रॉपर्टी बे��ने में हुए कैपिटल गेन्स को अगर गवर्नमेंट लिस्टिड बॉन्ड में इंवेस्ट किया जाता है तो आपको टैक्स छूट मिल पाएगी. वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में टैक्स ऐसेसमेंट करने के लिए महंगाई और कैपिटल की गणना का साल भी बदला गया है. इसे 1 अप्रैल, 1981 की कीमतों से बढ़ाकर 1 अप्रैल, 2001 कर दिया है. इस बदलाव के बाद प्रॉपर्टी बेचने से मिलने वाला मुनाफा कम हो जाएगा. वहीं उन प्रॉपर्टी होल्डर्स के लिए टैक्स बेनेफिट में कमी 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी जो उधारकर्ता बन कर किराए का फायदा उठाते हैं. 50,000 से ज्यादा का मकान का किराया पाने वालों को 5 फीसदी अतिरिक्त टीडीएस देना होगा. पेशनधारकों के लिए निर्देश आए कि, अलग से की जाने वाली निकासी का नेशनल पेंशन सिस्टम से कोई लेना देना नहीं होगा. 3. बैंकों के बदलने वाले नियम देश के सबसे बड़े बैंक स्टे बैंक ऑफ इंडिया कि एटीएम ट्रांजेक्शन के नियम 1 अप्रैल से बदल जाएंगे. एक अप्रैल से एसबीआई ग्राहक सिर्फ 3 बार खातों में मुफ्ट पैसे जमा कर पाएंगे. इसके बाद हर डिपॉजिट पर 50 रुपये का शुल्क लगेगा. इसके साथ ही बैंक के एटीएम से भी 5 मुफ्त ट्रांजैक्शन के बाद 10 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन का चार्ज लगेगा. एसबीआई 1 अप्रैल से एसएमएस सेवा के लिए भी चार्ज लेना शुरू करेगी. 1 अप्रैल से देश में 5 बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला एसबीआई में शामिल होंगे और अलग बैंक की तरह बंद होकर एसबीआई का ही हिस्सा हो जाएंगे. अलावा भारतीय महिला बैंक भी एसबीआई में शामिल होंगी. 4. भारतीय रेल के लिए नए नियम रेलवे की विकल्प स्कीम के तहत 1 अप्रैल से नए नियमों के तहत वेटिंग लिस्ट वाले पैसेंजर्स को राजधानी, शताब्दी या दूसरी प्रीमियम/स्पेशल ट्रेनों में सफर का मौका मिल सकता है. विकल्प के जरिए एक्सप्रेस ट्रेनों के किराए पर राजधानी-शताब्दी जैसी ट्रेनों में सफर कर पाएंगे अगर यात्रियों का टिकट वेटिंग लिस्ट में है तो.
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