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#एक स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम
dainiksamachar · 2 years
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केरल निकाय उपचुनाव नतीजे: कांग्रेस, बीजेपी का प्रदर्शन सुधरा, LDF का जलवा कायम, किसे कितनी सीटें
तिरुवनंतपुरम: केरल में स्थानीय निकाय के उपचुनाव में विपक्षी कांग्रेस और बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) नीत सत्तारूढ एलडीएफ का राज्य में दबदबा कायम रहा। एलडीएफ ने इन उपचुनावों में 28 स्थानीय निकाय वार्ड में से 14 पर जीत दर्ज की। कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) आठ सीट पर विजयी रहा। आज इन सीट के उपचुनाव के परिणाम की घोषणा हुई। एलडीएफ को 2021 की तुलना में चार सीट कम आई है। यूडीफ ने आठ सीट जीतकर जबर्दस्त वापसी की है। उसने पिछले चुनाव की तुलना में दो और सीट अधिक जीती है।बीजेपी को कितनी सीटें? भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को दो सीट मिली है । उसे पिछली बार की तुलना में एक अधिक सीट मिली है। चार वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे हैं। मंगलवार को 12 जिलों में 28 वार्डों में उपचुनाव हुए थे। इन उपचुनाव में 97 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। http://dlvr.it/SkCFWV
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mediawalablog · 2 years
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Jhabua Chopal! जब एसडीएम ने कलेक्टर का हाथ थामा!
जब एसडीएम ने कलेक्टर का हाथ थामा!
सहभागिता से सुपोषण को लेकर शहर की आंगनवाडियों के लिए खाद्यान और खिलौने एकत्रीकरण रैली कलेक्टर सोमेश मिश्रा की अगुवाई में नकाली गई। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान की तरह कलेक्टर हाथ ठेलागाडी लेकर तो नहीं निकले लेकिन, ट्रेक्टर ट्राली पर जरूर सवार हो गए।
कलेक्टर के साथ एसडीएम एलएन गर्ग भी ट्राली पर चढ गए! चलती ट्रेक्टर ट्राली में सवार लडखडाते कलेक्टर साहब को एसडीएम साहब हाथ थामकर सहारा दे देते! एसडीएम की कार्य शैली और व्यवहार से वाकिफ एक अधिकारी ने सहज भाव और दबी जुबान में कह दिया, एसडीएम साहब, कलेक्टर साहब को वल्लभ भवन न पहुंचा दे!
कमीशनबाज नेता ने सप्लायर की मदद से खिंचे हाथ!
जिस खेल सामग्री घोटाले की गुंज मुख्यमंत्री के कानों तक पहुंची थी उस घोटाले के सप्लायर आरोपी को भारी मशक्कत के बाद हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई लेकिन, उसके साथ ही अन्य व्यापारियों के लिए यह घटना एक सबक के रूप मे सामने आई। जो व्यापारी अपना काम निकालने के लिए नेताओं को हिस्सेदारी और कमिशन देकर अपना काम निकलवाते है, परेशानी के समय नेता भी अपने हाथ खिंच लेते है!
ऐसा ही वाकया खेल सामग्री सप्लायर के साथ हुआ! प्रशासन और पुलिस से परेशान सप्लायर जब मदद की गुहार लेकर नदिया के पार नेताजी के पास पहुंचा! नेताजी को माल तो मिला नही था ऐसे में वो मदद क्यों करते! नेताजी ने आंखे फेरते हुए मदद करने से पिछे हट गए! क्योंकि इस घोटालें की आंच नेताजी के दामन पर भी लग चुकी थी!
भाजपा ने खुरापाती और दागी को दिए पद!
नगर पालिका चुनाव में पिछली बार भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ और कांग्रेस के समर्थन मे खुलकर काम किया था। माना जा रहा है कि पार्टी ने ऐसे असंतुष्ट और खुरापाती भाजपाईयों को चुनाव से ठीक पहले पद देकर डेमेज कंट्रोल का काम किया है! जब कि इन नेताओं को दिए गए पद किसी जिम्मेदारी जैसे काम के नहीं है! फिर भी जुगाडु नेता अपनी रोटियां सेंक ही लेंगे!
भाजपा-कांग्रेस के लिए वर्चस्व की लडाई होंगे स्थानीय चुनाव!
त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा और कांग्रेस दोनो राजनीतिक दलों के नेताओं में वर्चस्व बनाए रखनें की चुनौती सामने आ गई है! जिलें की ग्राम पंचायतों में कांग्रेस समर्थित सरपंचों की संख्या अधिक है और जिला मुख्यालय की नपा पर भी कांग्रेस काबिज है! ऐसे में कांग्रेस को अपना वजूद बनाए रखने के लिए भरसक मेहनत करनी होगी! लेकिन सत्तारूढ भाजपा भी अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव कर नपा और पंचायतो पर अपना बहुमत हासिल करने में कोई कसर नहीं रखेगी! हालांकि दोनो ही दलों में अभी कोई मजबूत नेतृत्व उभरकर सामनें नहीं आया है! फिर भी इस बार के चुनाव के परिणाम आगामी विधानसभा सीटों को प्रभावित करेंगे!
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vsplusonline · 5 years
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दिल्ली फतह के बाद अब AAP का 'मिशन इंडिया', एक करोड़ लोगों को जोड़ने का लक्ष्य - Aap arvind kejriwal delhi assembly election mission india party meeting
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दिल्ली फतह के बाद अब AAP का 'मिशन इंडिया', एक करोड़ लोगों को जोड़ने का लक्ष्य - Aap arvind kejriwal delhi assembly election mission india party meeting
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हर राज्य के जिले में राष्ट्र निर्माण अभियान
एक करोड़ लोगों को AAP से जोड़ने का लक्ष्य
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. दिल्ली में एक बार नहीं, बल्कि दो-दो बार भारतीय जनता पार्टी के चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की रणनीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे को शिकस्त देने के बाद केजरीवाल ने अपने संबोधन में सूबे की सियासत पर ही पूरा फोकस रखा. हालांकि शाम होते-होते पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा और इसका प्लान भी सामने आ गया.
एक माह चलेगा अभियान
AAP अब पूरे देश में संगठन को मजबूत करने और लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए मिशन इंडिया शुरू करेगी. राष्ट्र निर्माण अभियान नामक कैंपेन के तहत एक करोड़ लोगों को पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. एक माह तक चलने वाले इस अभियान की शुरुआत 23 फरवरी को होगी. अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह के ठीक बाद AAP के संगठन प्रमुख और दिल्ली के प्रदेश प्रमुख गोपाल राय की अन्य राज्यों से आए पार्टी के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह फैसला लिया गया.
यह भी पढ़ें- राष्ट्रीय राजनीति के लिए क्या है केजरीवाल का प्लान, शपथ ग्रहण में नहीं खोले पत्ते
जानकारी के अनुसार गोपाल राय ने सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से कहा है कि वह हर राज्य के हर जिले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विकास के ‘दिल्ली मॉडल�� के बारे में लोगों को जागरूक करें. राष्ट्र निर्माण अभियान उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, गोवा के साथ ही दक्षिण भारत के राज्यों में भी चलाया जाएगा. बताया जा रहा है कि अभियान के समापन के बाद पार्टी संगठन की समीक्षा की जाएगी और इसके बाद फैसला किया जाएगा कि चुनाव लड़ने की शुरुआत कहां से की जाए.
यह भी पढ़ें- केजरीवाल के शपथ में पहुंचे इकलौते BJP नेता को न सीट मिली न पार्किंग!
गोवा-पंजाब चुनाव पर फोकस
फिलहाल AAP का ध्यान गोवा और पंजाब के 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है, जहां पहले से ही पार्टी की जमीन मौजूद है. पार्टी की इस रणनीति के पीछे अन्य राज्यों में हुए चुनावों के परिणाम को वजह माना जा रहा है. पार्टी पिछले परिणामों से सबक लेते हुए सीधे चुनाव मैदान में उतरने की बजाय अपनी जमीन मजबूत करना चाह रही है. इसीलिए सीधे विधानसभा चुनाव लड़ने की बजाय स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव से शुरुआत का निर्णय लिया गया है. मुंबई से आईं AAP की नेता प्रीति शर्मा मेनन ने कहा कि पार्टी नवी मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के साथ ही अन्य स्थानीय चुनाव भी लड़ेगी.
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vartha24-blog · 5 years
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जिला कांग्रेस का अंदरूनी घमासान रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। सैयद जावेद हुसैन,  धमतरी ब्यूरो : जिला कांग्रेस का अंदरूनी घमासान रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। एक ओर जहां कांग्रेसी नेता एकता का दावा करते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ इस तरह के मामले हो रहे हैं कि कांग्रेस की एकता तार-तार होती नजर आ रही है वर्चस्व की लड़ाई में एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कई प्रकार के हथकंडे यहां के नेता अपनाते नजर आ रहे हैं। जबकि कुछ ही महीनों में नगरी निकाय चुनाव होने हैं इसके बावजूद धमतरी जिला कांग्रेस में अंदरुनी घमासान मचा हुआ है जबकि पिछले चुनावों में कांग्रेस की हार हुई, बावजूद इसके यहां के नेता सबक लेते नजर नहीं आ रहे। मालूम हो कि अंतागढ़ कांड व नान घोटाले में छत्तीसगढ़ के दो पूर्व मुख्यमंत्री की संलिप्तता सामने आई, जिसे लेकर कांग्रेस ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन व पुतला दहन किया, इसी कड़ी में जिला कांग्रेस कमेटी धमतरी ने भी विरोध प्रदर्शन कर पुतला दहन किया इसके बाद मंगलवार को पार्टी की समीक्षा बैठक में पार्टी कार्यकर्ता वसीम खिलची ने पूर्व विधायक गुरुमुख सिंह होरा पर आरोप लगाया कि पुतला दहन के दौरान वे  अकारण मुझे थप्पड़ मार दिए। जिसकी सच्चाई जाने बगैर जिला बॉडी ने निंदा प्रस्ताव पारित कर प्रचारित भी कर दिया, जिसकी चर्चा शहर के चौक चौराहों पर आम हो गई। और उक्त स्थिति को संभालने की बजाय और हवा देते यहां के कांग्रेसी नेता दिखाई दिए। जिला कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं यहां पर स्वार्थ की राजनीति हावी है। पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ बयानबाजी से भी यहां के कांग्रेसी नहीं कतराते। जबकि ऐसी हरकतों से कांग्रेस की जड़े लगातार कमजोर होती जा रही है। इसके बाद भी पूर्व विधायक होरा व संगठन से दूरियां कोई नई बात नही है, इससे सभी वाकिफ भी है। ये दूरियां तब और भी बढ़ गई जब विधानसभा व लोकसभा में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। जबकि प्रदेश नेतृत्व ने भी स्थानीय नेताओं और संगठन के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश भी नही की। यही वजह है कि कांग्रेस संगठन यहां अंतरकलह की लपटों में झुलस रहा है जिसका सीधा परिणाम चुनावी नतीजों में देखने मिल रहा है। फिलहाल ज़िला कांग्रेस में नाटकीय घटनाक्रम जारी है। जिस कांग्रेसी कार्यकर्ता ने पूर्व विधायक होरा पर थप्पड़ मारने का आरोप लगाया था उसने आरोप पत्र लिखकर होरा के खिलाफ कार्यवाही की मांग की, फिर उसने जिलाध्यक्ष मोहन लालवानी के ऊपर आरोप लगाया कि जिलाध्यक्ष ने उसे प्रेरित किया ऐसा करने को, और इन सबके बाद उसने पार्टी में अपना त्यागपत्र भी दे दिया, और उसने अपने एक पत्र में जिलाध्यक्ष मोहन लालवानी पर भी कार्यवाही की मांग की। सूत्रों के हवाले से यह भी पता चला है कि पार्टी के कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष मोहन लालवानी के नेतृत्व से भी नाखुश हैं, कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिलाध्यक्ष हर काम मे अपनी ही मनमानी करते हैं, वे किसी भी विषय में पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श भी नही करते जिससे पार्टी का झंडा उठाने वाले कार्यकर्ताओं ने रोष उत्पन्न हो चुका है। ये स्थितियां कांग्रेस की चुनौतियों को बढ़ाती दिख रही हैं।
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onlinekhabarapp · 7 years
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उपत्यकामा एमाले सुदृढ, माओवादीको स्थिति निकै नाजुक
११ जेठ, काठमाडौं । काठमाडौं उपत्यकाका २१ मध्ये १९ स्थानीय तहको मतपरिणाम आइसकेको छ । घोषणा भएका मतपरिणामअनुसार एमालेले सबैभन्दा धेरै स्थानीय तह जितेर अग्रता कायम गरेको छ । निर्वाचन आयोगको तथ्यांकअनुसार उपत्यकामा एमालेले १० स्थानीय तहमा प्रमुख पद जितेको छ ।
प्रतिशतका आधारमा यो संख्या ५२.६ हो । उसले ११ स्थानमा उपप्रमुख जितेको छ, जुन घोषणा भएका तहमध्ये ५७.८९ प्रतिशतले अघि हो । अर्थात् एमालेले उपत्यकाभित्र प्रमुखमा ५२.६ र उपप्रमुखमा ५७.८९ प्रतिशत वर्चश्व कायम गर्न सफल भएको छ ।
एमाले स्थायी कमिटी सदस्य शंकर पोखरेलका अनुसार उपत्यकामा अहिले प्राप्त मत ०५४ को स्थानीय निकाय निर्वाचनको भन्दा राम्रो हो । राष्ट्रिय स्वाभिमान र समृद्धिको पक्षमा लिएको दृढताका कारण एमाले जबर्जस्त अघि आएको उनको तर्क छ ।
कांग्रेसले घोषणा भएका तहमध्ये ६ स्थानमा मात्रै प्रमुख जितेको छ । उपप्रमुख भने पाँच स्थानमा जितेको छ । अर्थात् कांग्रेसले घोषणा भएकामध्ये ३३.३ प्रतिशत तहमा प्रमुख जितेको छ । उपप्रमुख भने २७.७ प्रतिशत मात्रै जित्न सफल भएको छ ।
काठमाडौं उपत्यकामा वर्चश्व कायम गर्ने मामिलामा सत्ताको नेतृत्व गरेको दल माओवादी केन्द्र निकै पछि परेको छ । माओवादी केन्द्रले एक स्थानीय तहमा मात्रै प्रमुख र उपप्रमुख जित्न सकेको छ । अर्थात् माओवादीले उपत्यकामा ५.५ प्रतिशत स्थानमा मात्रै आफ्नो वर्चश्व कायम गर्न सकेको छ ।
माओवादी केन्द्रका अनुसार चुनावप्रतिको अन्योलता र एकांकी नेतृत्वका कारण परिणाम नाकारात्मक आएको नेताहरूको भनाइ छ ।माओवादी केन्द्रका केन्द्रीय कार्यालय सदस्य मणि थापाले उपयुक्त उम्मेदवार चयन गर्न नसक्नु र सरकारको काम जनतामा लग्न नसकिएकाले काठमाडौं उपत्यकामा पार्टीले चुनाव हार्न पुगेको बताए । नयाँ पत्रिका दैनिकमा खबर छ ।
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लाभ में रही भाजपा, कांग्रेस-बसपा की उपस्थिति दर्ज, निर्दलियों ने धोया
बदायूं जिले में स्थानीय निकाय चुनाव के समस्त परिणाम आ गये हैं। पिछली स्थिति से तुलना करें, तो भाजपा लाभ में है, क्योंकि भाजपा का एक मा��्र दातागंज नगर पालिका पर कब्जा था और अब बदायूं सहित तीन नगर पालिकाओं पर भगवा फहर गया है।
सर्वाधिक प्रतिष्ठा बदायूंनगर पालिका परिषद पर लगी हुई थी, यहाँ अप्रत्याशित परिणाम आया है, जिसे देख कर हर कोई चौंक गया है। निवर्तमान विधायक व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा की…
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abhay121996-blog · 4 years
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जानिए गुजरात में BJP की यह जीत क्यों है बड़ी और कांग्रेस के लिए दोहरा सदमा Divya Sandesh
#Divyasandesh
जानिए गुजरात में BJP की यह जीत क्यों है बड़ी और कांग्रेस के लिए दोहरा सदमा
गुजरात के सभी छह नगर निकायों में एकतरफा जीत ने बीजेपी को विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा बूस्ट दिया है। इस चुनाव परिणाम ने यह साफ कर दिया कि गुजरात के शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ और मजबूत हुई है। आंकड़े बताते हैं कि कैसे बीजेपी ने बीते दिनों में शहरी मतदाताओं के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने में सफलता पाई है जबकि कांग्रेस का रहा-सहा जनाधार भी लगातार सिकुड़ता जा रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (AIMIM) जैसी पार्टियां कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में हिस्सेदारी निभा रही हैं। गुजरात के सभी छह नगर निकायों में एकतरफा जीत ने बीजेपी को विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा बूस्ट दिया है। इस चुनाव परिणाम ने यह साफ कर दिया कि गुजरात के शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ और मजबूत हुई है।गुजरात के सभी छह नगर निकायों में एकतरफा जीत ने बीजेपी को विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा बूस्ट दिया है। इस चुनाव परिणाम ने यह साफ कर दिया कि गुजरात के शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ और मजबूत हुई है। आंकड़े बताते हैं कि कैसे बीजेपी ने बीते दिनों में शहरी मतदाताओं के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने में सफलता पाई है जबकि कांग्रेस का रहा-सहा जनाधार भी लगातार सिकुड़ता जा रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (AIMIM) जैसी पार्टियां कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में हिस्सेदारी निभा रही हैं। ​15.67% बढ़ीं बीजेपी की सीटें2015 में हुए गुजरात निकाय चुनाव में बीजेपी को 68.18% सीटों पर सफलता मिली थी, लेकिन इस बार उसने 83.85% सीटों पर कब्जा कर लिया। यानी, बीजेपी ने पिछले छह सालों में अपने कब्जे की सीटों में 15.67% का इजाफा कर लिया। पिछली बार 572 सीटों पर चुनाव हुए थे जबकि इस बार 576 सीटों पर। ​कांग्रेस को 21.05% सीटों का नुकसानगुजरात के शहरी मतदाता कितनी तेजी से कांग्रेस से दूर हो रहे हैं, इसका एक नमूना भी इस चुनाव परिणाम में देखने को मिला है। पार्टी ने 2015 में कुल 30.6% सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार यह घटकर सिर्फ 9.55% रह गया। यानी, कांग्रेस ने बीते छह सालों में 21.05% सीटें खो दीं।​किस-किसके हाथों कितना लुटी कांग्रेसबीजेपी के फायदे और कांग्रेस के नुकसान के बीच 5.38% का अंतर है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि कांग्रेस ने अपनी 21.05% सीटें खोईं जबकि बीजेपी की सीटों में 15.67% का इजाफा हुआ। यानी कांग्रेस के हिस्से की 5.38% सीटें बीजेपी के पास नहीं गईं। इसका मतलब है कि इन 5.38% सीटों पर अन्य उम्मीदवारों ने कब्जा किया। दरअसल, इन अन्य उम्मीदवारों के प्रदर्शन की तुलना करें तो 2015 में इनके पास 1.22% सीटें थीं जो इस बार बढ़कर 6.60% हो गईं। यानी, इस बार उन 5.38% सीटों पर अन्य ने कब्जा किया जो कांग्रेस से खिसकी तो लेकिन बीजेपी के पास नहीं गई। अब स्पष्ट करें तो पता चलेगा कि कांग्रेस ने जो 21.05% सीटें खोईं, उसका बड़ा हिस्सा 15.67% बीजेपी के पास जबकि 5.38% हिस्सा अन्य के पास गया। राजकोट में कांग्रेस पार्टी ने 2015 में 33 सीटें जीती थीं जो इस बार घटकर 4 पर आ गई।​पाटीदारों ने खारिज की हार्दिक पटेल की राजनीति?कांग्रेस को एक और मोर्चे पर झटका लगा है वो है पाटीदारों की राजनीति का मोर्चा। पाटीदार आंदोलन के बाद सक्रिय राजनीति में आए हार्दिक पटेल चुनावी अखाड़े में चारों खाने चित हो गए। कांग्रेस ने उन्हें बड़ी उम्मीद से अपनी गुजरात इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था, लेकिन अन्य इलाकों की बात ही क्या खुद पाटीदारों के इलाके में भी वो कांग्रेस मटियामेट हो गई। पाटीदारों के गढ़ सूरत में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला और वहां आम आदमी पार्टी ने जबर्दस्त सेंध लगाते हुए 27 सीटें अपने नाम कर ली। आम आदमी पार्टी के सारे कैंडिडेट 22 से 40 वर्ष के थे। पार्टी को वारछा, कोपदरा, काटरगाम और पुना जैसे पाटीदार बहुल इलाकों में शानदार समर्थन मिला। अब यह सवाल जरूर पूछा जाएगा कि क्या पाटीदार समाज ने हार्दिक पटेल की राजनीति को सिरे से खारिज कर दिया? ​आप का शानदार आगाजवहीं, राज्य में नगर निकाय चुनावों में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी (आप) ने 27 सीटों पर जीत हासिल की और ये सभी सीटें उसने सूरत में जीती। आप सूरत नगर निगम में मुख्य विपक्ष के रूप में उभरी। आप ने छहों नगर निगमों में कुल 470 उम्मीदवार उतारे थे। पहली बार गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने वाली असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने अहमदाबाद के मुस्लिम बहुल जमालपुर और मकतामपुरा वार्ड में सात सीटें जीतीं। जामनगर में बहुजन समाज पार्टी के तीन उम्मीदवारों ने जीत हासिल की जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार अहमदाबाद में जीता। ​कांग्रेस का सिमटा वोट बैंकविपक्षी दल कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और वह केवल 55 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई है। यहां तक कि कांग्रेस सूरत में अपना खाता खोलने में नाकाम रही। कांग्रेस ने तीन नगर निगमों में केवल एक अंक में सीटें जीतीं और सूरत में तो उसे एक भी सीट नहीं मिली। कांग्रेस ने अहमदाबाद में 25, राजकोट में चार, जामनगर में 11, भावनगर में आठ और वडोदरा में सात सीटें जीतीं। इन नगर निगमों के चुनाव के लिए मतदान 21 फरवरी को हुआ था। ​AIMIM ने मारी बाजीअसदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का अहमदाबाद नगर निगम चुनाव में आगाज अच्छा रहा। पार्टी ने इस नगर निगम के 21 वार्डों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे जिनमें 7 पर जीत हासिल हुई। पार्टी ने जमालपुर वार्ड की सभी चार सीटें जबक मकतमपुरा वार्ड की चार में से तीन सीटों पर कब्जा जमा लिया। इन सीटों पर पारंपरिक तौर से कांग्रेस पार्टी का कब्जा हुआ करता था। ​बीजेपी की प्रचंड जीतभाजपा ने गुजरात में छह नगर निगमों के लिए हुए चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की। मंगलवार को हुई मतगणना में 576 में से 483 सीटें जीतकर भाजपा ने इन नगर निकायों में अपनी सत्ता बरकरार रखी। सत्तारूढ़ दल ने राज्य के सभी छह नगर निगमों- अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, जामनगर और भावनगर में सत्ता बरकरार रखी। बीजेपी ने अहमदाबाद में 192 सीटों में से 159, राजकोट में 72 सीटों में से 68, जामनगर में 64 में से 50 सीटें, भावनगर में 52 सीटों में से 44, वडोदरा में 76 सीटों में से 69 और सूरत में 120 सीटों में से 93 सीटें जीतीं। ​मुख्यमंत्री रुपाणी का बढ़ा कदबीजेपी ने इस नगर निकाय चुनाव में सबसे बड़ी जीत मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के गृह नगर राजकोट में दर्ज की। वहां नगर निगम के 72 वार्डों में 68 सीटें बीजेपी की झोली में चली गईं। यानी, राजकोट की 94.44% सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया। बीजेपी के इस तगड़े प्रदर्शन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि 2016 में उसे यहां सिर्फ 38 सीटें मिली थीं जो बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से एक ज्यादा थी। साफ है कि राजकोट में रुपाणी के कारण बीजेपी में भरोसा बढ़ा और वो पिछली बार के मुकाबले 78% ज्यादा सीटें जीत गई। गुजरात के कोने-कोने में मिली यह जीत बहुत ही खास है। दो दशकों से ज्यादा समय तक सत्ता में रहने वाली पार्टी के लिए इस… https://t.co/sJG3QrCt78— Narendra Modi (@narendramodi) 1614091216000#WATCH आज गुजरात में म्युनिसिपल कॉरपोरेशन चुनाव के नतीजे दिखाते हैं कि गुजरात भारतीय जनता पार्टी का गढ़ के रूप में… https://t.co/w3QyZwSxzf— ANI_HindiNews (@AHindinews) 1614089558000આમ આદમી પાર્ટીના ગુજરાત યુનિટના તમામ કાર્યકરોની મહેનતને સલામ અને બધાને હાર્દિક અભિનંદન. સુરતના મતદાતાઓએ પણ વ્યક્ત ક… https://t.co/d50MNn4Bku— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) 1614142896000
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viralnewsofindia · 7 years
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पश्चिम बंगाल निकाय चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को मिली शानदार जीत कोलकाता:  पश्चिम बंगाल के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने दमदार उपस्थित दर्ज कराई है और दूसरे नंबर पर रही। वहीं सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया है। ज्ञातव्य है कि आज पश्चिम बंगाल में सात स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम आ गए हैं। इसके लिए 13 अगस्त को चुनाव हुए थे। बीजेपी इन चुनावों में दूसरे नंबर पर रही है। राज्य में एक तरह से मुख्य विपक्ष की भूमिका में आने वाली बीजेपी के लिए यह बडी उपलब्धि है।
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केन्या : चुनाव में मतदान प्रक्रिया शुरू has been published on PRAGATI TIMES
केन्या : चुनाव में मतदान प्रक्रिया शुरू
नैरोबी,(आईएएनएस)| केन्या में मतदाता मंगलवार को नए राष्ट्रपति और संसद के चुनाव में मतदान कर रहे हैं।
चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री रैला ओडिंगा और निवर्तमान राष्ट्रपति उहुरु केन्याता के बीच कड़ा मुकाबला है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सुबह छह बजे (स्थानीय समयानुसार) 40,000 से ज्यादा मतदान केंद्र खुल गए और यह शाम पांच बजे बंद हो जाएंगे। मतदान के लिए कुल 1.9 करोड़ केन्याई नागरिक पंजीकृत हुए हैं। चुनाव परिणाम मंगलवार देर रात तक आने की उम्मीद है। बुधवार शाम तक देश के अगले राष्ट्रपति के नाम की घोषणा होने की संभावना है, हालांकि निर्वाचन निकाय के पास आधिकारिक रूप से घोषणा करने के लिए सात दिन का समय होगा। चौथी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे ओडिंगा (74) 2008 से 2013 तक देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। सीएनएन के अनुसार, ‘नेशनल सुपर अलायंस’ पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर वह राष्ट्रपति पद के लिए आठ दावेदारों में से एक हैं। जुबली अलायंस का नेतृत्व कर रहे और दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे 55 वर्षीय केन्याता देश के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति हैं। अगर वह चुनाव हार जाते हैं, तो भी इतिहास बनाएंगे क्योंकि वह इकलौते ऐसे पदस्थ केन्याई राष्ट्रपति होंगे जो पुनर्निर्वाचित नहीं हो सके । पिछली बार 2007 में हुए चुनाव में हिसंक घटनाओं में 1,100 लोगों की मौत हो गई थी और 600,000 अन्य विस्थापित हो गए थे। बीबीसी के मुताबिक, मंगलवार को मतदान के पहले दिए भाषण में केन्याता ने नागरिकों से मतदान करने के फौरन बाद ‘वापस घर जाने का अनुरोध’ किया। उन्होंेने कहा, “अपने पड़ोसी के पास जाएं, चाहे वह कहीं से भी ताल्लुक रखते या रखतीं हों, किसी भी जनजाति, रंग या धर्म के हों..उनसे हाथ मिलाएं, साथ भोजन करें और उनसे कहें, चलो हम चुनाव परिणामों का इंतजार करते हैं।” चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट चाहिए और केन्या के 47 काउंटियों में से 24 काउंटी के कम से कम 25 प्रतिशत वोट चाहिए। मतदाता सांसदों, सीनेटर, गर्वनर, काउंटी के अधिकारी और महिला प्रतिनिधियों का भी चुनाव कर रहे हैं। चुनावों में 14,000 से ज्यादा उम्मीदवार खड़े हैं। उहुरु केन्याता के पिता जोमो केन्याता देश के पहले राष्ट्रपति (1964-78) रह चुके हैं, जबकि रैला ओडिंगा के पिता जारामोगी ओडिंगा उप राष्ट्रपति (1964-66) रह चुके हैं।
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gujarat-news · 4 years
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अगले चुनाव के लिए आज का परिणाम ट्रेलर: विजय रूपानी
अगले चुनाव के लिए आज का परिणाम ट्रेलर: विजय रूपानी
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अहमदाबाद। 10 नवंबर, 2020 को मंगलवार है
विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से खस्ताहाल रही है, जनता ने कांग्रेस को जकरा दिया है। आज का परिणाम आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए एक ट्रेलर है, मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने कहा।
भाजपा के राज्य कार्यालय-कमलम में, मुख्यमंत्री रूपानी ने कहा, “मैं कोरो महामारी के दौरान भी भाजपा को उत्साहपूर्वक वोट देकर…
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onlinekhabarapp · 7 years
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राप्रपाको निष्कर्षः चुनावी परिणामबाट विचलित हुनुपर्दैन
८ जेठ, काठमाडौं । राष्ट्रिय प्रजातन्त्र पार्टीले पहिलो चरणको स्थानीय तह निर्वाचनमा पार्टीले अपेक्षित परिणाम प्राप्त हुन नसकेको बताएको छ । तर, परिणामबाट चिन्तित र विचलित हुनु पर्ने अवस्था नरहेको बताएको छ ।
तुलनात्मक रुपमा कमजोर संगठन, साधन श्रोतको कमी एवं पार्टीको वैचारिक निष्ठा र राजनैतिक अडानबारे योजनावद्ध ढंगले सिर्जना गरिएको भ्रमका कारण अपेक्षित परिणाम नआएको राप्रपाले बताएको छ ।
बैठकपछि जारी विज्ञप्तिमा भनिएको छ, ‘निर्वाचनको माध्यमबाट पार्टीको एजेण्डा र अडानप्रति आमजनतामा चेतनाको अभिवृद्धि गर्न एवं संगठनको प्रभाव विस्तार गर्न सक्षम भएकोमा बैठक सन्तोष प्रकट गर्दछ ।’
राप्रपाले एक स्थानीय तहमा जित हात पारेको छ । एमालेसँग काठमाडौं र ललितपुरमा तालमेल गदर्ैै उपमेयरमा उम्मेदवारी दिएपछि जितको सम्भावना देखिएको छैन ।
बैठकले स्थानीय तह निर्वाचनको समग्र समिक्षा र पार्टीको स्थितिबारे अध्ययन गरी सुझाव दिन महामन्त्री ध्रुवबहादुर प्रधानको संयोजकत्वमा समिति गठन गरेको छ ।
राप्रपाले दोश्रो चरणको निर्वाचनको तयारी थालेको छ । उसले तयारीमा जुट्न पार्टीका सवै तहका निकाय र कार्यकर्ताहरुलाई भनेको छ । साथै दोश्रो चरणको निर्वाचनमा पार्टीलाई बढीभन्दा बढी सफलता दिलाउन भन्दै चारबुँदे निर्देशन जारी गरेको छ ।
चुनाव नसकिएसम्म केन्द्रीय सदस्यले जिल्ला छाड्न नपाउने
बैशाख २१ गतेभित्र जिल्लास्तरीय कार्यकर्ता भेला गर्ने निर्णय राप्रपाले गरेको छ । विभिन्न दलहरुसँग तालमेल गर्ने जिम्मेवारी जिल्ला कार्य समितिलाई दिएको छ भने सम्पूर्ण केन्द्रीय सदस्यहरु जेठ १५ देखि चुनाव नसकिएसम्म अनिवार्य रुपले जिल्लामा बस्नु पर्ने निर्णय गरेको छ ।
राप्रपाले दोस्रो चरणको चुनाव हुन लागेको बेला पूर्ण बजेट नल्याउन सरकारलाई सुझाव दिएको छ । दीर्घकालिन योजना र कार्यक्रम सहित पूर्ण बजेट ल्याउन अनुपयुक्त भन्दै उसले साधारण बजेट मात्र संसदमा पेश गर्न सरकारसँग माग गरेको छ ।
साथै स्थानीय तह निर्वाचनको क्रममा बैशाख ३१ गते कालिकोटको नरहरिनाथ गाउँपालिका वडा नम्बर ६ मा सुरक्षाकर्मीको गोलीबाट मारिएका वडाध्यक्षका उम्मेद्वार धनरुप बटालालाई शहीद घोषणा गर्न र घाइतेको उपचार गर्न पनि माग गरेको छ ।
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केन्या : चुनाव में मतदान प्रक्रिया शुरू has been published on PRAGATI TIMES
केन्या : चुनाव में मतदान प्रक्रिया शुरू
नैरोबी,(आईएएनएस)| केन्या में मतदाता मंगलवार को नए राष्ट्रपति और संसद के चुनाव में मतदान कर रहे हैं।
चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री रैला ओडिंगा और निवर्तमान राष्ट्रपति उहुरु केन्याता के बीच कड़ा मुकाबला है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सुबह छह बजे (स्थानीय समयानुसार) 40,000 से ज्यादा मतदान केंद्र खुल गए और यह शाम पांच बजे बंद हो जाएंगे। मतदान के लिए कुल 1.9 करोड़ केन्याई नागरिक पंजीकृत हुए हैं। चुनाव परिणाम मंगलवार देर रात तक आने की उम्मीद है। बुधवार शाम तक देश के अगले राष्ट्रपति के नाम की घोषणा होने की संभावना है, हालांकि निर्वाचन निकाय के पास आधिकारिक रूप से घोषणा करने के लिए सात दिन का समय होगा। चौथी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे ओडिंगा (74) 2008 से 2013 तक देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। सीएनएन के अनुसार, ‘नेशनल सुपर अलायंस’ पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर वह राष्ट्रपति पद के लिए आठ दावेदारों में से एक हैं। जुबली अलायंस का नेतृत्व कर रहे और दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे 55 वर्षीय केन्याता देश के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति हैं। अगर वह चुनाव हार जाते हैं, तो भी इतिहास बनाएंगे क्योंकि वह इकलौते ऐसे पदस्थ केन्याई राष्ट्रपति होंगे जो पुनर्निर्वाचित नहीं हो सके । पिछली बार 2007 में हुए चुनाव में हिसंक घटनाओं में 1,100 लोगों की मौत हो गई थी और 600,000 अन्य विस्थापित हो गए थे। बीबीसी के मुताबिक, मंगलवार को मतदान के पहले दिए भाषण में केन्याता ने नागरिकों से मतदान करने के फौरन बाद ‘वापस घर जाने का अनुरोध’ किया। उन्होंेने कहा, “अपने पड़ोसी के पास जाएं, चाहे वह कहीं से भी ताल्लुक रखते या रखतीं हों, किसी भी जनजाति, रंग या धर्म के हों..उनसे हाथ मिलाएं, साथ भोजन करें और उनसे कहें, चलो हम चुनाव परिणामों का इंतजार करते हैं।” चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट चाहिए और केन्या के 47 काउंटियों में से 24 काउंटी के कम से कम 25 प्रतिशत वोट चाहिए। मतदाता सांसदों, सीनेटर, गर्वनर, काउंटी के अधिकारी और महिला प्रतिनिधियों का भी चुनाव कर रहे हैं। चुनावों में 14,000 से ज्यादा उम्मीदवार खड़े हैं। उहुरु केन्याता के पिता जोमो केन्याता देश के पहले राष्ट्रपति (1964-78) रह चुके हैं, जबकि रैला ओडिंगा के पिता जारामोगी ओडिंगा उप राष्ट्रपति (1964-66) रह चुके हैं।
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